गुरुवार, 5 मार्च 2020

How To Fold A Fitted bed Sheet



There's no housekeeping task more defeating in nature than attempting to neatly fold a fitted sheet after it's been washed.
If you've managed to defer this hair-pulling task to parents or housemates in the past, well done, but eventually that negative karmic energy will come back to haunt you (I hope). For the rest of us searching for a simple solution, we've managed to come up with one that, while not perfect, will make this monstrous task a little less stressful.
Full disclosure, there are much better and more artistic ways to fold a fitted sheet, but this is the least complicated version.

First, make a rectangle

This is the hardest part but if you push through and come out the other end, you'll be the 2.0 version of yourself. Find one of the fitted sheet's corners, fold it inside out with the stitching facing out and then pop it inside the nearest corner (which isn't inside out). If you repeat on the other short side, you should a fitted sheet somewhat resembling a rectangle.

It's time for expert folding

Now that you have a neat-ish rectangle shape, the folding and storing part is a breeze. You have a few options here but you can go for the classic rectangle fold so it fits in with your other sheets.
Or you can do something drastic and seldom seen in the fitting sheet folders' scene: a rolled-up version. To do that, just roll it up like it was a sleeping bag from your eighth grade camping trip and that way you'll be able to avoid most creases when it's time to but it back on the mattress.

You did it

Welcome to the expert fitting sheet folders club. It's still a pretty exclusive club but once you're in it, you're in it for life.
















यूराेपियन शम्स और कुशन भाई भाई हैं

 होम डेकाेर के लिए प्रोडक्ट चुनते समय मैंने  "शम्स" के बारे में पढ़ा। और इसे खरीदने का फैसला किया। तब मुझे महसूस हुआ कि  शम्स, यूरोपीय शम्स, कुशन, किंग शम्स और कुशन कवर  दरअसल तकिए के  ही अलग अलग आकार और स्टाइल के नाम हैं। मेरे मन में कई सवाल  आए जैसे- प्रत्येक प्रकार का सजावटी तकिया वास्तव में क्या है, मैं थोड़ा असमंजस में थी।

शम्स
शम्स तकिए होते हैं जो आमतौर पर हेडबोर्ड के ठीक सामने लगाए जाते हैं, और वे अक्सर आपकी जोड़ी या रजाई से मेल खाते हैं। वे सोने के लिए नहीं हैं, सिर्फ सजावट के लिए। वे एक बुनियादी तकिय से अलग हैं, जिसमें उनके किनारों के चारों ओर फ्लैंगेस हैं,  जाे रंग / बनावट को जोड़ने के लिए हैं । इसके  तीन आकार हैं: मानक शम्स (लगभग 20 "26 से"), राजा शम्स (लगभग 20 "36"), और यूरोपीय शम्स (जो वर्ग हैं, लगभग 26 "26 या अधिक")।

कुशन

छोटे सजावटी तकिए  जिनको आम ताैर पर कुशन कहा जाता है। चौकोर होते हैं और आकार में भिन्न होते हैं: 18, "20," और 24 "। कुछ उच्च अंत खुदरा विक्रेताओं के पास" 50 से 50 "और 65" आकार में 65 "से बड़े कुशन होते हैं। 



रविवार, 1 मार्च 2020

ऑनलाइन चादरें चुनने से पहले आपको क्या जानना चाहिए


एक सुंदर बेडशीट निश्चित रूप से आपके पूरे शयनकक्ष की झलक दिखा सकती है। यह पहली चीज है जो आपके कमरे में प्रवेश करने वाले किसी का भी ध्यान आकर्षित करती है। सही बेडशीट चुनने से कमरे का आकर्षण  बेहतरीन हो सकता है।
बेडशीट में परंपरागत प्रिंट में  समकालीन डिजाइन और ठोस रंगों से लेकर सफेद तक, ऑनलाइन  उपलब्ध है। इससे पहले कि आप अपनी बेडशीट ऑनलाइन खरीदें,  आपको अपने आप से कुछ सवाल पूछने चाहिए।
1.      क्या आपकी चादरें, आपको रात की अच्छी नींद देने के लिए पर्याप्त आरामदायक हैं?
2.      क्या उन्हें धोना आसान है?
3.      क्या वे आपके बेडरूम की सजावट के अनुरूप हैं?
 इन कुछ आवश्यक सुझावों को ध्यान में रखते हुए आपको सही चुनाव करने में मदद मिलेगी।

 आखिर आप बैडशीट किस उद्देश्य से खरीद रहे हैं
बेडशीट को आप जिस भी कारण से खरीद रहे हैं उसी के अनुसार चुनें। आप रोजमर्रा के उपयोग के लिए एक स्टाइलिश, सूती बेडशीट, खास अवसर के लिए  भव्य डिजाइन की बेडशीट और अपने प्रियजनों को उपहार देने के लिए एक उपहार सेट का चयन कर सकते हैं।
 सामग्री
 सही डिजाइन या पैटर्न चुनना महत्वपूर्ण है,  सांस की तकलीफ, आराम और टिकाऊपन के कारण बेडशीट सबसे लोकप्रिय विकल्प है। प्रीमियम ग्रेड कॉटन विभिन्न प्रकारों में आता है जैसे कि शानदार मिश्रित कॉटन, अल्ट्रा-सॉफ्ट सुप्रीम कॉटन जो आपको गर्मियों के दौरान ठंडा और सर्दियों के दौरान गर्म रखता है। आप फलालैन, रेशम, साटन या लिनन से बने बेडशीट को भी देख सकते हैं।  आप सूती-पॉलिस्टर पर विचार कर सकते हैं, जो ठंड के मौसम में आपको गर्म रख सकते हैं।
3. थ्रेड काउंट
थ्रेड काउंट बेडशीट में थ्रेड्स की संख्या को इंगित करता है। उच्च थ्रेड काउंट की एक बेडशीट अधिक आरामदायक होगी और सोने के लिए नरम महसूस होगी।
4. आकार
बेडशीट ऑनलाइन खरीदते समय, आपको अपने गद्दे के साइज पर ध्यान देना होगा।  आपके बैड का साइज क्या है। किंग साइज है (72 इंच x 78 इंच / 6 फीट x 6.5 फीट), क्वीन साइज (60 इंच x 78 इंच / 5 फीट x 6.5 फीट) या सिंगल बेड (36 इंच x 72 इंच / इंच) 3 फीट x 6 फीट)
5. डिजाइन या पैटर्न
एक बार जब आपको अपनी सामग्री और आकार मिल गया, तो आपके द्वारा चुने गए पैटर्न या डिज़ाइन पर ध्यान देने का समय आ गया है, क्योंकि अंत में, इससे फर्क पड़ता है। अपने बेडरूम की सजावट में उपयोग किए जाने वाले रंगों या थीम पर ध्यान दें ताकि स्टाइल को पूरक करने वाली एक बेड शीट प्राप्त हो सके।


रविवार, 8 सितंबर 2019

 केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नेशनल पेंशन स्कीम में बदलावों पर मुहर लगा दी है. अगले फाइनेंशियल इयर से ये लागू हो जाएंगे .सबसे बड़ा चेंज ये है कि अब से पैसे निकालना पूरी तरह टैक्स फ्री होगा. साथ ही इसके दायरे में आने वाले सेंट्रल गवर्नमेंट कर्मचारियों के लिए इसमें सरकार का कंट्रीब्यूशन भी बढ़ा दिया जाएगा. अगर आप इनवेस्ट कर रहे हैं तो नियमों में होने जा रहे बदलावों को जान लीजिए.
When computers are connected to each other, they form a network. Networked computers are able to exchange information and share hardware and software resources like printers, programs, databases, etc.

There are three types of computer network based on size and location.

Local Area Network [LAN]
Metropolitan Area Network [MAN]
Wide Area Network [WAN]

शनिवार, 19 जनवरी 2019

नया साल आ गया सेहत का कलैंडर बनाया या नहीं- डॉ. दीपिका शर्मा


हम कलेंडर फाेलाे करें या नहीं पर देखते जरूर हैं पर अगर आप इसे देखने के साथ फोलाे करना भी शुरू कर दें तो आप स्वस्थ और सानंद रह सकते हैं इसके लिए कुछ खास बाताें पर ध्यान दें-
दिनचर्या नियमित रखें
सुबह जल्दी उठें, इससे आपका दिल भी व्यवस्थित रहेगा और सेहत भी अच्छी रहेगी.
उठते ही मुंह में पानी भरकर आंखों पर पानी के छींटे मारने चाहिए इससे चेहरे पर रौनक भी रहेगी और आंखों के बहुत से रोग दूर हो जाएंगे.
गरम पानी में नींबू और शहद डालकर पीएं.
सुबह सैर की आदत अवश्य डालें थोड़ी जागिंग, तैरना, दौड़ना, नृत्य या योग जो भी पसंद हे अवश्य करें.
इसके बाद पांच मिनट डीप ब्रीथिंग या प्राणायाम अवश्य करें.
नाश्ता आपके दिन का मुख्य आहार होता है इसलिए भरपूर और पौष्टिक नाश्ता लें जिसमें दलिया, अंकुरित अनाज फ्रूट जूस सेंडविच दूध आदि शामिल करें.
यदि आफिस जाती है तो लगातार बैठ कर काम न करें.
बीच बीच में थोड़ा उठकर टहलें. पानी पिएं ज्यादा चाय काफी से दूर रहें.
योगा करने से पहले किसी प्रशिक्षित से योगा सीखें
यदि कंप्यूटर पर काम करती हैं तो एंटी ग्लेयर स्कीन लगा लें. हर आधे घंटे पर आंखें झपकाएं और दूर पर टिकाएं. बीच बीच में पानी के छीटें भी मारें, आराम मिलेगा.
लंच अगर हो सके ते घर का बना ही खाने की कोशिश करें. जिसमें दाल दही सब्जी और सलाद शामिल करें.
हर्बल टी भी सेहत के लिए अच्छी होती है इसमें एंटी आक्सीडेंट होते हैं सादा चाय काफी की जगह ग्रीन टी लें.
रात का खाना हलका लें और सोने से करीब 2 घंटे पहले लें.
टीवी में आंख गढ़ाए रखने के बजाए मेडीटेशन करें या किताब पढ़ें.
वजन पर जरूर ध्यान दें
सबसे जरूरी बात अपनी सोच सकारात्मक रखें. हमेशा खुश रहें इससे आपकी सेहत भी खिली खिली रहेगी.

डा. दीपिका शर्मा अपाेलाे  फेमिली क्लीनिक नौएडा, उत्तरप्रदेश, सेक्टर 110 में  फेमिली फिजिशियन हैं।
 सेहत से जुड़े सवाल आप हमारे मैं अपराजिता के फेसबुक पेज में कर सकते हैं। अपनी सेहत संबंधी समस्या के लिए आप हमें मेल भी कर सकते हैं-
.mainaparajita@gmail.com

सोमवार, 14 जनवरी 2019

उत्तराखण्ड का लोक पर्व घुघुतिया त्यार

घुघुत की माला पहने एक बच्ची
मकर संक्रान्ति का त्यौहार वैसे तो पूरे भारत वर्ष में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है और यही त्यौहार हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम और तरीके से मनाया जाता है।  इस त्यौहार को हमारे उत्तराखण्ड में “उत्तरायणी” के नाम से मनाया जाता है। कुमाऊं में यह त्यौहार घुघुतिया के नाम से भी मनाया जाता है तथा गढ़वाल में इसे खिचड़ी संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है। यह पर्व हमारा सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है ।  इस पर्व पर पिथौरागढ़ और बागेश्वर को छोड़कर कुमाऊं के अन्य क्षेत्रों में मकर संक्रान्ति को आटे के घुघुत बनाये जाते हैं और अगली सुबह को कौवे को दिये जाते हैं (यह पितरों को अर्पण माना जाता है) बच्चे घुघुत की माला पहन कर कौवे को आवाज लगाते हैं;   काले कौवा का-का, ये घुघुती खा जा  ।  वहीं पिथौरागढ़ और बागेश्वर अंचल में मकर संक्रान्ति की पूर्व संध्या (मशान्ति) को ही घुघुत बनाये जाते हैं और मकर संक्रान्ति के दिन उन्हें कौवे को खिलाया जाता है। बच्चे कौवे को बुलाते हैं काले कौव्वा का-का, पूस की रोटी माघे खा ।  लोक अंचलों में घुघुतिया त्यार से सम्बधित एक कथा प्रचलित है….कहा जाता है कि एक राजा का घुघुतिया नाम का मंत्री राजा को मारकर ख़ुद राजा बनने का षड्यन्त्र बना रहा था… एक कौव्वे ने आकर राजा को इस बारे में सूचित कर दिया…. मंत्री घुघुतिया को मृत्युदंड मिला और राजा ने राज्य भर में घोषणा करवा दी कि मकर संक्रान्ति के दिन राज्यवासी कौव्वो को पकवान बना कर खिलाएंगे……तभी से इस अनोखे त्यौहार को मनाने की प्रथा शुरू हुई|  दूसरी कथा इस प्रकार है  पुरातन काल में यहां कोई राजा था, उसे ज्योतिषियों ने बताया कि उस पर मारक ग्रह दशा है। यदि वह ‘मकर संक्रान्ति’ के दिन बच्चों के हाथ से कव्वों को घुघुतों फाख्ता पक्षी का भोजन कराये तो उसके इस ग्रहयोग के प्रभाव का निराकरण हो जायेगा, लेकिन राजा अहिंसावादी था। उसने आटे के प्रतीात्मक घुघुते तलवाकर बच्चों द्वारा कव्वों को खिलाया। तब से यह परंपरा चल पड़ी। इस तरह की और कहानियां भी हैं। इसी प्रकार एक तीसरी किवदंती है कि कुमाऊं के एक राजा के पुत्र को घुघते (जंगली कबूतर) से बेहद प्रेम था। राजकुमार का घुघते के लिए प्रेम देख एक कौवा चिढ़ता था। उधर, राजा का सेनापति राजकुमार की हत्या कर राजा की पूरी संपत्ति हड़पना चाहता था। इस मकसद से सेनापति ने एक दिन राजकुमार की हत्या की योजना बनाई। वह राजकुमार को एक जंगल में ले गया और पेड़ से बांध दिया। ये सब उस कौवे ने देख लिया और उसे राजकुमार पर दया आ गई। इसके बाद कौवा तुरंत उस स्थान पर पहुंचा जहां रानी नहा रही थी। उसने रानी का हार उठाया और उस स्थान पर फेंक दिया जहां राजकुमार को बांधा गया था। रानी का हार खोजते-खोजते सेना वहां पहुंची जहां राजकुमार को बांधा था। राजकुमार की जान बच गई तो उसने अपने पिता से कौवे को सम्मानित करने की इच्छा जताई। कौवे से पूछा गया कि वह सम्मान में क्या चाहता है तो कौवे ने घुघते का मांस मांगा। इस पर राजकुमार ने कौवे से कहा कि तुम मेरे प्राण बचाकर किसी और अन्य प्राणि की हत्या करना चाहते हो यह गलत है। राजकुमार ने कहा कि हम तुम्हें प्रतीक के रूप में मकर संक्रांति को अनाज से बने घुघते खिलाएंगे। कौवा राजकुमार की बात मान गया। इसके बाद राजा ने पूरे कुमाऊं में कौवों को दावत के लिए आमंत्रित किया। राज का फरमान कुमाऊं में पहुंचने में दो दिन लग गए। इसलिए यहां दो दिन घुघत्या का पर्व मनाया जाता है।
घुघुती की माला
घुघुत बनाने के लिये गुड़ और आटे के मिश्रण से आकृतियां बनाई जाती हैं, जिन्हें सुबह नहा-धोकर कौव्वों को अर्पित करने के बाद इनकी माला बनाकर बच्चों के गले में डाली जाती है, बच्चे हर्षोल्लास से अपनी-अपनी मालाओं को प्रदर्शित करते हुये खाते हैं। बच्चों को यह गीत गुनगुनाते हुए भी सुना जा सकता है।  काले कव्वा काले, घुघुती माला खाले। ले कव्वा बड़, मैंके दिजा सुनौंक घ्वड़। ले कव्वा ढाल, मैंके दिजा सुनक थाल। ले कोव्वा पुरी, मैंके दिजा सुनाकि छुर। ले कौव्वा तलवार, मैंके दे ठुलो घरबार। इसके अतिरिक्त इस पर्व पर बागेश्वर में बहुत विशाल मेला लगता है, जिसका सामाजिक, आर्थिक, व्यापारिक और राजनीतिक महत्व भी है। पुराने जमाने में यह मेला भोट और शेष कुमाऊं के वस्तु विनिमय के लिये जाना जाता था, आज भी भोट के व्यापारियों द्वारा यहां शिरकत की जाती है और सांस्कृतिक जुलूस निकाला जाता है। उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध लोक प्रेम गाथा राजुला मालूशाही में भी उनके माता-पिता द्वारा भगवान बागनाथ के समक्ष अपने बच्चों के विवाह का संकल्प लिया था। उत्तरायणी का सांस्कृतिक पक्ष भारतीय परंपरा में ‘मकर संक्रान्ति’ को सूर्य के उत्तर दिशा में प्रवेश के रूप में मनाया जाता है। उत्तराखंड में इसे ‘उत्तरायणी’ कहा जाता है। पहाड़ में इसे घुगुतिया, पुस्योडि़या, मकरैण, मकरैणी, उतरैणी, उतरैण, घोल्डा, घ्वौला, चुन्या त्यार, खिचड़ी संगंराद आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन सूर्य धनुर्राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, इसलिए इसे ‘मकर संक्रान्ति’ या ‘मकरैण’ कहा जाता है। सौर चक्र में सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर चलता है, इसलिये इसे ‘उत्तरैण’ या ‘उत्तरायणी’ कहा जाता है। ‘उत्तरायणी’ जहां हमारे लिये लोक का त्योहार है वहीं यह नदियों के संरक्षण की चेतना का उत्सव भी है। ‘उत्तरायणी’ पर्व पर उत्तराखंड की हर नदी में स्नान करने की मान्यता है। उत्तरकाशी में इस दिन से शुरू होने वाले माघ मेले से लेकर सभी प्रयागों बिष्णुप्रयाग, नन्दप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग, सरयू-गोमती के संगम बागेश्वर के अलावा अन्य नदियों में लोग पहली रात जागरण कर सुबह स्नान करते हैं। असल में उत्तराखंड में हर नदी को मां और गंगा का स्थान प्राप्त है। कुमाऊं मंडल में ‘उत्तरायणी’ को घुघुतिया त्योहार के रूप में जाना जाता है। उत्तरायणी की पहली रात को लोग जागरण करते हैं। पहले इस जागरण में आंड-कांथ ;पहेलियां-लोकोक्तियांद्ध, फसक-फराव अपने आप कुछ समासामयिक प्रसंगों पर भी बात होती थी। सल्ट की तरफ रात को ‘तत्वाणी’ गरम पानी से नहान होती है। सुबह ठंडे पानी से नदी या नौलों में नहाने की परंपरा शिवाणी रही है।
सरयू-गोमती के संगम पर बागेश्वर मेला
स्वाधीनता आन्दोलन में भी इस पर्व का स्थान रहा, कुमाऊं केसरी बद्री दत्त पांडे के नेतृत्व में 14 जनवरी, 1921 को बागेश्वर के ‘उत्तरायणी’ मेले में हजारों लोग इकट्ठा हुये। सबने सरयू-गोमती नदी के संगम का जल उठाकर संकल्प लिया कि ‘हम कुली बेगार नहीं देंगे।’ कमिश्नर डायबिल बड़ी फौज के साथ वहां पहुंचा था। वह आंदोलनकारियों पर गोली चलाना चाहता था, लेकिन जब उसे अंदाजा हुआ कि अधिकतर थोकदार और मालगुजार आंदोलनकारियों के प्रभाव में हैं तो वह चेतावनी तक नहीं दे पाया। इस प्रकार एक बड़ा आंदोलन अंग्रेजों के खिलापफ खड़ा हो गया। हजारों लोगों ने ‘कुली रजिस्टर’ सरयू में डाल दिये। इस आंदोलन के सूत्राधारों में बद्रीदत्त पांडे, हरगोविन्द पंत, मोहन मेहता, चिरंजीलाल, विक्टर मोहन जोशी आदि महत्वपूर्ण थे। बागेश्वर से कुली बेगार के खिलाफ आंदोलन पूरे पहाड़ में फैला। 30 जनवरी 1921 को चमेठाखाल गढ़वाल में वैरिस्टर मुकन्दीलाल के नेतृत्व में यह आदोलन बढ़ा। खल्द्वारी के ईश्वरीदत्त ध्यानी और बंदखणी के मंगतराम खंतवाल ने मालगुजारी से त्यागपत्र दिया। गढ़वाल में दशजूला पट्टी के ककोड़ाखाल ;गोचर से पोखरी पैदल मार्ग नामक स्थान पर गढ़केसरी अनुसूया प्रसाद बहुगुणा के नेतृत्व में आंदोलन हुआ और अधिकारियों को कुली नहीं मिले। बाद में इलाहाबाद में अध्ययनरत गढ़वाल के छात्रों ने अपने गांव लौटकर आंदोलन को आगे बढ़ाया। इनमें भैरवदत्त धूलिया, भोलादत्त चंदोला, जीवानन्द बडोला, आदि प्रमुख थे। उत्तरायणी का ही संकप था कि पहली बार यहां की महिलाओं ने अपनी देहरी लांघकर आजादी की लड़ाई में हिस्सेदारी करना शुरू किया। कुन्तीदेवी, बिसनी साह जैसी महिलायें ओदालनों का नेतृत्व करने लगी। आज भी बागेश्वर के मेले में कभी राजनीतिक दलों के पंडाल लगते हैं और वह अपने-अपने विचारों को वहां पर व्यक्त करते हैं

रविवार, 13 जनवरी 2019

फैशन में सिंड्रेला गाउन- अनुजा भट्ट


फेयरी टेल फैशन एक अनूठी और कल्पनाशील सृजनात्मकता का पर्याय है। जिसने उच्च फैशन के लेंस के माध्यम से परी कथाओं से फैशन को रचा जाता है। चार्ल्स पेरौल्ट, ब्रदर्स ग्रिम और हंस क्रिश्चियन एंडरसन जैसे लेखकों द्वारा लिखी गई परियों की कहानियों में पोशाक कई तरह के संदर्भ लिए होती है। उदाहरण के लिए, सिंड्रेला की ग्लास चप्पल का महत्व व्यापक रूप से जाना जाता है। लोकिन फैशन में यह ग्लास चप्पल और गाउन सिलेब्रिटी से लेकर आम जन की नजर में छा जाता है। अभी हाल ही में एक फैशन शो में फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत और अदिति राव हैदरी कुछ इसी अंदाज में नजर आई। यह ड्रेस डिजाइन की थी जानेमाने फैशन डिजाइनर गौरव गुप्ता ने।
सिंड्रेला का नाम सुनकर हमारे दिमाग में एक परी की कहानी याद आती है जो बच्चों को बहुत प्रिय है। उसका घेरदार गाउन और सिर पर सजा ताज बच्चों के साथ हमें भी मोहित करता है।
डिजाइनर गौरव गुप्ता के परिधानों पर नजर डालें तो लगता है जैसे रोबोट और सिंड्रेला का मिलन हुआ हो। रोबेट सिंड्रेला के बहुत करीब जान पड़ता है। इसी तरह हम डिजाइनर गौरव गुप्ता की डिजाइनर ड्रेस की नई श्रृंखला को व्याख्यायित कर सकते हैं। यह श्रृंखला उत्कृष्ट रफल्स, प्लीट्स और फोल्ड्स को अतिआधुनिक तरह से पेश करने वाली है।
गौरव गुप्ता की इस नई श्रृंखला का नाम है क्रिस्टल मिथ, जिसे उनके एवेरुजियन स्टोर में प्रदर्शन के लिए रखा गया है। कपड़े में एक आकृति उकेरी गई है, जो चमचमाते मोतियों की कड़ियों में एक लहर का सा आभास देती हुई खूबसूरती के अहसास से भर देती है। यह सब बहुत भविष्य की सुंदर परिकल्पना से सराबोर है, फिर भी स्वप्निल और महिलाओं को मोहने वाला है।

इस संग्रह के कई हिस्से हैं। जिसमें गाउन, ड्रेस, टोपी, लहंगा और साड़ी शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि इसका उद्घाटन इंस्टाग्राम पर सबसे पहले हुआ। गौरव कहते हैं, मुझे सिर्फ एक शो करने का मन नहीं था। आजकल सामान्यतः हर कोई इंस्टाग्राम पर मौजूद है और हर कोई देख भी रहा है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए गौरव कहते हैं," शो डिजाइन को नकल करने के लिए होते हैं। इंस्टा पर हम पूरे साल अपनी बनाई ड्रेस शो कर सकते हैं।



गौरव के लिए संग्रह किसी खास सीजन या मौके की पेशकश नहीं हैं। इसका मतलब है कि हर बार कुछ नया करते हैं। और जब उनके मन में कोई नया विचार जन्म लेता है उसे वह अपने डिजाइन में ढाल लेते हैं। हम रफल्स, प्लीट्स, कढ़ाई, बिगुल बीड्स और ड्रेपिंग सिल्हूट्स के साथ प्रयोग करते रहते हैं। यह श्रृंखला हमने 40 कपड़ों के साथ शुरुआत की और फिर हमने एक और 10 जोड़ा ... अब 100 हैं, '' वह आगे कहते हैं।

रंगों के विस्तार की बात करें तो यह रंग मिडनाइट ब्लू, ब्लैक शैंमपेन, केलको एक्रू, काबल ग्रे, लावा रेड, सेंड पिंक होते हैं। “मैं परिष्कृत, उत्कृष्ट रंगों का उपयोग करता हूं। ये अब गौरव गुप्ता रंग के रूप में जाने जाने लगे हैं। इस संग्रह में, शिफॉन, ट्यूल और दुपट्टे जैसे फ़्लेबी फैब्रिक को बड़ी रफ़ल और नाटकीय तरंगों में घुमाया जाता है, जिसमें गौरव की स्वदेशी बॉन्डिंग तकनीक के साथ बनाई गई सामग्री होती है जिसका उपयोग चोली बनाने में होता है।

एक साल पहले गौरव ने मेन्सवियर की अपनी लाइन शुरू की। वह हँसते हुए कहते हैं, मेरे दोस्त, रिश्तेदार और उसके बाद दुल्हनों के परिचित सभी ने यह सुझाव दिया कि मैं दूल्हे को इतना नजर अंदाज क्यों करता हूं। फिर मैंने पुरूषों के लिए भी परिधान बनाने शुरू किए। जिसे लोगो ने पसंद किया। उनका कहना है कि उन्हें सिर्फ पुरुषों के कपड़ों में ही गढ़ी गई तकनीक का इस्तेमाल करना था और लैपल्स की विभिन्न शैलियों पर काम करना था।

डिजाइन करते समय जो कुछ आप सोच रहे हैं उसे परिधान के रूप में पेश करना होता है ताकि लोगों को कुछ नया दिखाई दे। लोगो को पसंद को भी अपने विचार में ढालना होता है। कुच लोग एक जैसी चीज पसंद नहीं करते चाहे फिर उसे किसी अभिनेत्री ने ही क्यूं न पहना हो। और कुछ अभिनेत्री जैसे परिधान की ही मांग करते हैं। लेकिन मुझे पहली वाली सोच ज्यादा प्रभावित करती है। सचमुच वह अपनी पर्सनेलिटी के बारे में क्योम न सजग हो। फिर भी मेरा अनुमान है कि ज्यादातर अपने बारे में जानने लिए बहुत उत्सुक नहीं हैं। इसलिए वह अपने लिए ड्रेस को खोजने के लिए पर्याप्त उत्सुक नहीं हैं, "गौरव कहते हैं, मेरी व्यक्तिगत शैली कभी भी बदल सकती है। एकपल वह नई होती है और, अगले पल वह पुरानी हो जाती है। परिधान में उनका प्यार दो जड़ाऊ पिन में दिखाई दे रहा है, जो उनके किनारे को सजा रहा है - एक गोल-मटोल सुनहरी मछली और दूसरी तरफ मणि से सजा हुआ भौंरा।



संक्षेप में कहें तो फैशन डिजाइनर का यह कहना एकदम सही है कि हम अपने लिए अपने हिसाब से कपडे चुनें । जो हमारे व्यक्तित्व पर सकारात्मक असर डालें। सब पर सब कुछ फबता नहीं इसलिए एसे परिधान चुनें जो आप पर फबें। परिधान चुतते समय अपनी कद काठी, रंग रूप और देहयष्टि पर भी विचार करें। दूसरों की तरह नहीं अपनी तरह दिखें।



खास चेहरे के वैडिंग गाउन की विशेषताएं

फैशन डिजाइनर राल्फ लॉरेन ने प्रियंका की क्रिश्चियन वेडिंग में हैंड एम्ब्रॉयडेड व्हाइट फ्लोरल गाउन तैयार किया था। उनके इस वेडिंग गाउन की एम्ब्रॉयरी में 1826 घंटे लगे. प्रियंका कहती है,यहां बात फैशन की नहीं थी. मैं कुछ बहुत अनूठा चाहती थी. मैं दुनिया का सबसे लंबा वेल चाहती थी और मुझे वो मिला.

वेल की लंबाई 75 फीट थी. यह दुनिया का अब तक का सबसे लंबा वेल था. प्रियंका के हाई नेक कॉलर, फुल लॉन्ग स्लीव गाउन में 23 लाख सीक्वेंस से कारीगरी की गई. इस गाउन का लुक ट्रांसपेरेंट है.

प्रियंका की खास फरमाइश पर उनके शादी के जोड़े में आठ शब्द और फ्रेज भी टांके गए थे। यह 'Hope', 'Family', Love', 'Compassion', 'ओम नम: शिवाय', 'December 1 2018' लिखा गया था। इसके अलावा उनके पति का पूरा नाम 'निकोलस जेरी जोनास' कोट पर और ड्रेस पर पीछे की तरफ उनके माता-पिता 'मधु और अशोक' भी लिखा गया था। सिर्फ इतना ही नहीं निक की मां डेनीस जोनास मिलर के अपनी शादी में पहने गए जोड़े की लेस भी पीसी के जोड़े में टांकी गई थी। फैमिली शब्द उनके गाउन के दाहिने बाजू पर टांका गया था, जिसमें 'Daddy's lil Girl' टैटू बना हुआ है। लव शब्द उन्होंने अपने पर दिल के पास वाली हिस्से पर लिखवाया था। यह सारी कढ़ाई आइवरी रंग के धागे से की गई थी।

प्रियंका की ड्रेस के कोट में बारीक कढ़ाई मुंबई के 15 कारीगरों ने की है। प्रियंका की ड्रेस में 32000 सीक्वेंस, 5600 मोतियां और 11632 स्वारोस्की क्रिस्टल्स का इस्तेमाल किया गया था। इस कोट को बंद करने के लिए सैटिन से बने 135 बटन का इस्तेमाल किया गया था।

शनिवार, 12 जनवरी 2019

भारतीय सेना दिवस 15 जनवरी महिला अफसर पहली बार करेंगी लीड, सलामी लेंगे आर्मी चीफ-डॉ. अनुजा भट्ट


जब एक महिला कमांड कर रही हो और बाकी लोग उसे फॉलो कर रहे हों तो अच्छा लगता है. बाइक चलाती लड़कियां तो बहुत देखी पर बाइक में कलाबाजी करती लड़की दिखे तो और अच्छा लगता है. सेटेलाइट के जरिये सेना को मजबूत बनाने का संकल्प लेते यदि कोई लड़की दिखे तो अच्छा लगता है. उनके मजबूत इरादों को देखकर अच्छा लगता है. सवाल हो सकता है कि आखिर अच्छा लगने का कारण क्या है.... जी हां इस अच्छा लगने का अहसास शहर से लेकर गांव तक की हर लड़की को साहस के कारनामों के लिए उकसाता है.
एक जमाने में सर्कस में लड़कियों के हैरतअंगेज साहसिक कारनामे देखकर लोग लोग दांतों तले उंगुली दबा लेते थे और माहौल में मनोरंजन की जलेबी तैरने लगती थी. सर्कस खत्म हो जाता था पर जांबाजी के वे दृश्य याद रहते थे. महिलाओं की ये जांबाजी अब सर्कस के रिंग से निकल कर सेना के मैदान में आ पहुंची है. भारतीय सेना के इतिहास में पहली बार सेना दिवस के मौके पर एक महिला अफसर परेड को लीड करेगी.
सेना दिवस का यह अवसर सिर्फ हैरतअंगेज कार्यक्रम पेश करके चौंकाने के लिए नहीं है बल्कि देशवासियों को ये बताने के लिए है कि सेना ने उनकी हिफाजत के लिए क्या क्या इंतजाम किए हैं. और महिलाएं एक सैनिक के तौर पर खुद को कैसे तैयार कर रही हैं. यह ये बताने के लिए है कि उन्होंने जोखिम उठाने के लिए अपने दिल और कंधे दोनों को किस कदर मजबूत किया है.
इन्हीं जांबाज योद्धाओं में से एक लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी पहली महिला होंगी जो सेना दिवस के परेड का नेतृत्व करेंगी. अभी तक किसी भी महिला ने सेना दिवस समारोह में परेड को लीड नहीं किया है. लेफ्टिनेंट भावना इंडियन आर्मी सर्विस कॉर्प्स के ग्रुप का नेतृत्व करेंगी. यह ग्रुप पिछले 23 साल से परेड में भाग नहीं ले रहा था. इस साल दोबारा परेड में शामिल होगा. 144 जवान वहां होंगे. आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत इनकी सलामी लेंगे. वही जनरल बिपिन रावत, जिन्होंने एक न्यूज चैनल के इंटरव्यू में कहा था कि महिलाओं का पहला काम बच्चे पालना है. फ्रंटलाइन पर वो सहज महसूस नहीं करेंगी और जवानों पर कपड़े बदलते समय अंदर ताक-झांक किए जाने का आरोप भी लगाएंगी. इसलिए उन्हें कॉम्बैट रोल के लिए भर्ती नहीं करना चाहिए. अधिकतर जवान गांव के रहने वाले हैं और वो कभी नहीं चाहेंगे कि कोई और औरत उनकी अगुवाई करे. जरा फर्ज कीजिये, भावना कस्तूरी को कमांड देते देख कैसा महसूस करेंगे.
कौन हैं भावना कस्तूरी, शिखा सुरभि और भावना स्याल
लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी ने 2015 में अफसर के पद पर ज्वॉइन किया था. वो नेशनल कैडेट कॉर्प्स में थीं. नेशनल कैडेट कॉर्प्स के लिए आर्मी में स्पेशल एंट्री के एग्जाम होते हैं. उन्होंने यह परीक्षा दी और पूरे देश में चौथे स्थान पर रहीं.
भावना कहती हैं, जब मुझे परेड कमांड करने के लिए चुना गया तो इंस्ट्रक्टर से लेकर सभी ऑफिसर और जवान भी बेहद गर्व महसूस कर रहे थे. एक लेडी ऑफिसर कमांड दे रही है और 144 जवान उसकी कमांड फॉलो कर रहे हैं यह अपने आप में बिल्कुल अलग अनुभव है. आर्मी जवानों के दस्ते का नेतृत्व करती लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी का आत्मविश्वास न सिर्फ अपने जवानों को कमांड देते वक्त झलकता है बल्कि बातचीत में भी भी वह गर्व और आत्मविश्वास से लबरेज नजर आती हैं. उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता की आर्मी चीफ महिलाओं को कॉम्बैट रोल न देने के बारे में क्या सोचता है.
कैप्टन शिखा सुरभि पहली लेडी ऑफिसर हैं जो सेना दिवस पर डेयरडेविल्स टीम के साथ आर्मी डे परेड का अहम हिस्सा बनेंगी. बाइक पर स्टंट दिखाते आर्मी डेयरडेविल्स के बीच लेडी अफसर को देखना आर्मी के साथ ही सभी लोगों के लिए एक गर्व की अनुभूति है. वह कहती हैं, मुझे सेना में कोर ऑफ सिग्नल डेयर डेविल्स टीम के लिए चुना गया ते मुझे लगा अब मैं कुछ कर सकती हूं. देश के काम आ सकती हूं. मैं पहली महिला सदस्य चुनी गई. मेरा शुरू से ही बाइकिंग में इंटरेस्ट था लेकिन नॉर्मल बाइक चलाना और इस तरह बाइक पर स्टंट करना बिल्कुल अलग है. इसके लिए हमें बेसिक ट्रेनिंग दी गई कि किस तरह बाइक पर आगे की तरफ बैठना है ताकि टांगों से ही बाइक को होल्ड कर सकें क्योंकि हाथ छोड़ने होते हैं. यह तथ्य भी गौरतलब है कि आर्मी की डेयरडेविल्स टीम ने अब तक 24 वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाए हैं.
सेना दिवस के अवसर पर इन दो महिलाओं के साथ कैप्टन भावना स्याल भी अपनी उपलब्धि का तमगा लिए दिखाई देंगी. कैप्टन भावना स्याल आर्मी की सिगनल्स कोर से हैं और वह ट्रांसपोर्टेबल सैटलाइट टर्मिनल के साथ परेड पर भारतीय सेना की स्ट्रैंथ दिखाएंगी. कैप्टन भावना स्याल कहती हैं कि यह मशीन डिफेंस कम्युनिकेशन नेटवर्क का हिस्सा है. यह आर्मी को ही नहीं बल्कि तीनों सर्विस (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) के इंटीग्रेशन का भी काम करता है और वॉयस डेटा और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग फैसिलिटी देता है.
भारतीय सेनाओं में महिलाओं को सिर्फ अफसरों के तौर पर भर्ती किया जाता है. वह भी सिर्फ शॉर्ट सर्विस कमीशन पर. कॉम्बैट रोल देने के सवाल पर अभी भी वही पुरुषवादी नजरिया हावी है कि महिलाएं युद्ध का नेतृत्व कैसे करेंगी. आज से डेढ़ दो सौ साल पहले जब रानी झांसी, झलकारी बाई,जॉन ऑफ आर्क जैसी महिलाओं ने युद्ध का नेतृत्व किया होगा तो क्या पुरुष सैनिकों ने उनका नेतृत्व स्वीकार करने से इनकार कर दिया होगा. अगर ऐसा होता तो ये महिलाएं इतिहास की दुर्धष योद्धाओं के तौर पर याद नहीं की जातीं.
70 साल से हम सेना दिवस मनाते आ रहे हैं. अब जाकर महिलाएं पहली बार सेना दिवस परेड का नेतृत्व कर रही हैं. दुनिया के कई देशों में महिलाएं ये तमगा पहले हासिल कर चुकी हैं. इतने सालों के बाद अगर इसे भारतीय महिला सैनिकों की उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है तो उसके लिए उनके जज्बे को सलाम करना चाहिए. आखिर, सेना में महिलाओं के रोल सीमित करने के बावजूद उन्होंने यह मुकाम तो हासिल कर ही लिया. अगर आप महिला हैं तो यह मत समझिए कि आप फ्रंट पर लड़ नहीं सकतीं. आप भी एनसीसी की कैडेट परीक्षा देकर आर्मी का हिस्सा बन सकती हैं इस परीक्षा की नोटिफिकेशन जारी की जाती है. आपके पास एनसीसी का सीनियर डिवीजन में कम से कम दो साल या फिर C सर्टिफिकेट होना चाहिए साथ ही 50 फीसदी मार्क्स के साथ ग्रेजुएशन का सर्टिफिकेट.
आज महिलाएं भले ही नॉन कॉम्बैट रोल में भारतीय सेना में योगदान दे रही हों लेकिन जल्दी ही वो वक्त आएगा कि भारतीय जनरलों को महिलाओं को कॉम्बैट रोल देने होंगे, जहां उन्हें खुद को साबित करने का बड़ा मौका होगा. अब तक महिलाओं ने हर वो काम कर दिखाया है, जो पुरुषों का विशेषाधिकार वाला क्षेत्र समझा जाता था. भारतीय महिलाओं का जज्बा यहां भी उन्हें कामयाब बनाएगा. तो तैयार रहिए इस रोल को निभाने के लिए.भावना कस्तूरी, भावना स्याल और शिखा सुरभि की तरह लड़कियों की नई पीढ़ी जल्द ही साबित कर देंगी कि वे सिर्फ परेड ही नहीं युद्ध की कमान भी संभाल सकती हैं. ये शेर ऐसी ही लड़कियों के जज्बे को बयां करता है-
खुदी को कर बुलंद इतना
कि हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से खुद पूछे
बता तेरी रजा क्या है...
आप इस लेख काे आज के द क्विंट हिंदी वेबसाइट पर भी पढ़ सकते हैं
https://hindi.thequint.com/voices/opinion/army-day-lady-officer-will-lead-the-parade-for-the-first-time






बुधवार, 2 जनवरी 2019

देह विदेह और माेह विमाेह का खूबसूरत संग्रह है मन के मंजीरे- डा. अनुजा भट्ट

मेरी मित्र रचना ने यूं ताे यह किताब मुझे बहुत पहले ही भेंट कर दी थी पर मैं जब भी इसे पढ़ती ताे हर बार लगता कि इसे बार बार पढ़ना चाहिए. यह कविता प्रेम के लाैकिक और पारलाैकिक दाेनाें पलड़ाें पर बराबर भारी है। कविता के साथ कभी जायसी ताे कभी कबीर की भूमि के रंगाें का असर भी दिखा ताे दूसरी आेर उर्दू और पंजाबी रंग भी नजर आए.. यह हाेना ही था. कविता अपनी भावभूमि काे कैसे नजर अंदाज कर सकती है। राजपालएंड संस से प्रकाशित इस संग्रह में कुल 141कविताएं हैं।
 सचमुच यह  प्रेम कविताएं मन काे सुकून देने वाली है दरअसल यहां बस आटाे या टेम्पाें पर लिखी गई महाेब्बत भरी शायरी नहीं जाे वैसे ही लिजलिजी से पाेस्टर का आभास दे. बल्कि यहां देह से हाेते हुए प्रेम के अमरत्व के रस की कुछ बूंदे हैं, जाे तृप्त करती हैं. प्रेम के माध्यम से यहां लाेक मानस की झलक भी बार बार मिलती है। भारतीय मिथकाें, प्रेम के दृश्य- अदृश्य रुपाकाराें काे रचनाकार ने बड़े जतन से सहेजा और संवारा है।
 प्रेम की सभी अभिव्यक्तियाें काे समेटने में वह कामयाब हुई हैं। उनकी कविताआें में उर्दू और पंजाबी शब्दाें का प्रयाेग भी हुआ है। एेसा जान पड़ता है यह शब्द कविता में ध्वनि और चमत्कार पैदा करने के लिए प्रयुक्त किए गए हैं, परन्तु यह प्रयाेग भावानुभूति के सतत प्रवाह में अवराेध पैदा करता है।  लेकिन हां पंजाबी शब्द  कविता की खूबसूरती काे चार चांद लगा देते हैं।
 इस संग्रह में देह का उत्सव एक अनाैखी कविता है। इसमें याेग ध्यान कुंडलनी और  चक्र का रूपक मन काे सुकून देता है। वह अपनी कविता में देह विदेह, आसक्ति अनासक्ति, स्वाद तृप्ति  का सुंदर विपरीत पर्याय बुनती हैं।
उसके अधराें के स्पर्श से
 बज उठी मैं कान्हा की बाँसुरी सी...
 हाैले हाैले कविता की बिम्ब याेजना अनूठी है।यहां लाेरियां प्रेम के वात्सल्य रूप काे प्रकट करती हैं। मुझे हाैले से उठाकर परियाें के देस ले जाता
 बिठाकर अरमानाें के उड़न खटाैेलेपर
 अपनी शहजादी काे आसमान की सैर करवाता..
कलंदर का लिबास, बरकत और बसावट भी मन काे छूती हैं। कुल मिलाकर संग्रह की सभी कविताएं अलग अलग समय शिल्प और अनुभूति काे पारंपरिक, दार्शनिक और आज के समय के साथ रचती है।आसमान में उड़ती ताे कभी स्कूटर में अपनी चुन्नी काे संभालती,कभी तारे देखती ताे कभी पीठ पर निकल आए तिल के साथ अपने मन की बात साझा करती कविताएं सचमुच बहुत प्यारी हैं।

Special Post

मिथक यथार्थ और फेंटेसी का दस्तावेज-डॉ. अनुजा भट्ट

  (अब पहले की तरह किस्से कहानियों की कल्पनाएं हमें किसी रहस्यमय संसार में नहीं ले जाती क्योंकि हमारी दुनिया में ज्ञान, विज्ञान और समाज विज्...