पति-पत्नी के बीच के रिश्ते सहमति और असहमति के बीच ही मजबूत होते हैं। लेकिन लड़ाई-झगड़ा, गृहक्लेश, मनमुटाव रिश्ते की नींव को कमजोर करता है।
हर रिश्ते की एक मर्यादा होती है। बात जब पति-पत्नी के रिश्ते की हो तो इस मर्यादा को जानना-समझना ज्यादा जरूरी है क्योंकि यह दोनों ही परिवार की धुरी है। इन दोनों की ट्यूनिंग जितनी अच्छी होगी परिवार की समस्याओं का हल भी उतनी ही जल्दी होगा। अगर आपकी सोच समझ मिलती हैं फिर आप कितनी भी कठनाईयों से क्यों न घिरे,ं बाहर जरूर निकल आएंगे। हम यहां कुछ ऐसे बिंदुओं को लेकर चर्चा कर रहे हैं जिसको लेकर आमतौर पर पति-पत्नी में झगड़ा या बहस होती है।
नहीं होगी लड़ाई
बहुत से जोड़े यह कहते हैं कि हमारे बीच कभी लड़ाई नहीं होती। ऐसे जोड़ों से बातचीत करें या उनके परिवार के साथ समय बिताएं तब यह राज समझ में आता है कि आखिर इतना बढ़िया सामंजस्य कैसे संभव है। दरअसल ऐसे जोड़े अपने वैचारिक मतभेद को कभी इतना नहीं बढ़ाते कि वह झगड़े तक पहुंच जाए। अगर कोशिश समझने की और उस पर अमल करने की हो तो रिश्ते मजबूत भी होते हैं और परिवार में खुशहाली का माहौल भी बना रहता है। समय का अभाव- बहुत बार तकरार का मुख्य कारण ही होता है कि साथी एक दूसरे को समय नहीं देते। जब हम एक दूसरे के साथ समय ही नहीं बिताएंगे तो उसकी खुशी और उसकी तकलीफ को कैसे जान सकेंगे। समय बिताने का मतलब यह नहीं कि आप घंटों साथ रहें यह संभव भी नहीं है। लेकिन कुछ समय साथ अवश्य रहें। चाहे आपके वैवाहिक जीवन को कितना भी समय क्यों नहीं बीत गया है अपना साथ साह्चर्य हमेशा महसूस करें। यह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना महत्वपूर्ण आपके लिए आफिस की मीटिंग। जैसे मीटिंग के समय आप फोन बंद कर देते हैं वैसे ही कुछ समय सिर्फ अपनी बातचीत के लिए निकालें। अन्यथा विवाद भी बढ़ेगा और दूरी भी।
रिश्तों को बराबर का सम्मान- रिश्तेदारी किसी भी पक्ष की हो उसे दोनों को निभाना है। लेन देन में एक निश्चित रकम तय हो जो सभी के लिए निभा पाना आसान हो। बहुत बार रिश्ते इसीलिए खराब हो जाते हैं क्योंकि या तो हम किसी से बहुत उम्मीद लगा लेते हैं या कभी दूसरा पक्ष हमसे बहुत उम्मीद लगा लेता है। लेन देन साथ साथ चलता है। अगर कोई हमें उपहार देता है तो हमें भी उसे उपहार देना चाहिए। उपहार देना एक शिष्टाचार है दिखावा नहीं। अधिक्तर रिश्ते दिखावे या उम्मीद के पूरा न हो पाने के कारण टूटते हैं। पति पत्नी में कलह का एक प्रमुख कारण यह भी होता है।
पैसा
शादी चाहे पारंपरिक हो या पसंद की कुछ ऐसे मुद्दे जरूर होते हैं जिसमें पति-पत्नी की राय अलग होती है। इसकी वजह यह है कि दोनों अलग अलग परिवेश से आते हैं और उनका पालनपोषण भी अलग ढंग से होता है। यदि एक को पैसे की कमी रही हो और दूसरे ने कभी भी पैसे की कमी न देखी हो। यदि ऐसे दो व्यक्ति एक साथ आते हैं तो यह हो सकता है कि एक तो पैसे को सोच समझकर खर्च करे और दूसरा खुले हाथों से तो ऐसी स्थिति में दोनों का टकराव संभव है। ऐसे में समझदारी से काम लें। एक दूसरे को अपनी स्थिति समझाएं और मतभेद को आपसी बातचीत से सुलझाने का प्रयास करें।
मल्टी टासकिंग
वह समय याद कीजिए जब आप दोनों ने बैठकर एक साथ वक्त गुजारा है। अधिकतर जब हम आपस में बैठकर बात करते हैं तो हमारा ध्यान कई चीजों में भटका रहता है। कभी टीवी, कभी मोबाईल तो कभी इंटरनेट। हम बात करते हुए भी कभी फोन देख रहे होते हैं तो कभी कुछ और काम कर रहे होते हैं। यह बात करने का सही तरीका नहीं है। जब आप बात करें फोन का स्विच ऑफ करें और टीवी बंद करें। एक दूसरे की बात को ध्यान से सुनें तभी रास्ता निकलेंगा। चीजों को इग्नोर करने से समस्या बढ़ती है। अगर प्राब्लम है तो उसका सामना करें/हल निकालें। अगर आप सर्फिंग करते करते बात करना चाहते हैं तो इन सब बातों से आपका साथी खुद को उपे़िक्षत महसूस करता है।
यदि आपको भी ऐसा ही महसूस होता है तो आप अपनी बात रख सकते हैं कि जब ऐसी को बात चल रही हो तो फोन या नेट को बंद रखा जाना चाहिए और यदि आपकी यह रिक्वेस्ट नहीं सुनी जा रही हो तो बेहतर है कि अपनी बात को किसी दूसरे वक्त के लिए टाल दिया जाए।
सुख दुख, मान सम्मान, इच्छा अनिच्छा, लेन देन, आदर अनादर ये ऐसे शब्द हैं जिसमें आपकी जिंदगी छुपी है। इनको समझने की जरूरत है। अपने साथी से बहुत प्यार करें पर उसे स्पेस भी दें ताकि वह प्यार महसूस कर सकें। वह प्यार की गिरफ्त में न हो, प्यार में हो।