रविवार, 22 अप्रैल 2018

गणेश जी की पाठशाला-रेनु दत्त

भगवान गणेश का जन्म भाद्रमास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसलिए हर साल भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश उत्सव मनाया जाता है। गणेश को वेदों में ब्रह्मा, विष्णु, एवं शिव के समान आदि देव के रूप में वर्णित किया गया है। इनकी पूजा त्रिदेव भी करते हैं। भगवान श्री गणेश सभी देवों में प्रथम पूज्य हैं। शिव के गणों के अध्यक्ष होने के कारण इन्हें गणेश और गणाध्यक्ष भी कहा जाता है। जैसा कि हम देखते हैं कि भगवान गणेश की एक विशेष तरह की आकृति है जिसमें उनका मस्तक हाथी का है। इन सबके प्रतीकात्मक अर्थ भी है।
बड़ा मस्तक
 गणेश जी का मस्तक काफी बड़ा है। माना जाता है कि बड़े सिर वाले व्यक्ति की नेतृत्व कला अद्भुत होती है, इनकी बुद्घि कुशाग्र होती है। गणेश जी का बड़ा सिर यह भी ज्ञान देता है कि अपनी सोच को बड़ा बनाए रखना चाहिए आंखें गणपति की आंखें यह ज्ञान देती है कि हर चीज को सूक्ष्मता से देख-परख कर ही कोई निर्णय लेना चाहिए। ऐसा करने वाला व्यक्ति कभी धोखा नहीं खाता
सूप जैसे लंबे कान
 गणेश जी के कान सूप जैसे बड़े हैं इसलिए वह सबकी सुनते हैं फिर अपनी बुद्धि और विवेक से निर्णय लेते हैं। बड़े कान हमेशा चौकन्ना रहने के भी संकेत देते हैं। गणेश जी के सूप जैसे कान से यह शिक्षा मिलती है कि जैसे सूप बुरी चीजों को छांटकर अलग कर देता है उसी तरह जो भी बुरी बातें आपके कान तक पहुंचती हैं उसे बाहर ही छोड़ दें। बुरीबातों को अपने अंदर न आने दें।
गणपति की सूंड
गणेश जी की सूंड हमेशा हिलती डुलती रहती है जो उनके हर पल सक्रिय रहने का संकेत है। यह हमें ज्ञान देती है कि जीवन में सदैव सक्रिय रहना चाहिए। शास्त्रों में गणेश जी की सूंड की दिशा का भी अलग-अलग महत्व बताया गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सुख-समृद्वि चाहते हो उन्हें दायीं ओर सूंड वाले गणेश की पूजा करनी चाहिए। शत्रु को परास्त करने एवं ऐश्वर्य पाने के लिए बायीं ओर मुड़ी सूंड वाले गणेश की पूजा लाभप्रद होती है। बड़ा उदर गणेश जी को लंबोदर भी कहा जाता है। लंबोदर होने का कारण यह है कि वे हर अच्छी और बुरी बात को पचा जाते हैं और किसी भी बात का निर्णय सूझबूझ के साथ लेते हैं। जो व्यक्ति ऐसा कर लेता है वह हमेशा ही खुशहाल रहता है।
एकदंत
 बाल्यकाल में भगवान गणेश का परशुराम जी से युद्घ हुआ था। इस युद्घमें परशुराम ने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत काट दिया। इस समय से ही गणेश जी एकदंत कहलाने लगे। गणेश जी ने अपने टूटे हुए दांत को लेखनी बना लिया और इससे पूरा महाभारत ग्रंथ लिख डाला। यह गणेश जी की बुद्घिमत्ता का परिचय है। गणेश जी अपने टूटे हुए दांत से यह सीख देते हैं कि चीजों का सदुपयोग किस प्रकार से किया जाना चाहिए। अगले रविवार पढ़िए भगवान गणेश क्याें खाते हैं माेदक----

एडजेस्टमेंट या दबाव- दर्शना बांठिया

समीरा और नैंना दोनों खास दोस्त है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि दोस्त नहीं सगी बहनें है।नैंना की माँ दोनों में कोई फर्क नहीं करती..समीरा का भी उतना ही ख्याल रखती है ,जितना नैंना का ,क्योंकि समीरा की माँ के पास अपनी बेटी के साथ बैठने ,खेलने व उसकी बातों को सुनने का समय ही नहीं होता।समीरा की माँ मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर है। अपना करियर बनाने की इतनी धुन सवार थी ,कि किसी के साथ कोई संयोजन नहीं करना ,अपने काम से ही मतलब रखना ...., परिणामतः संयुक्त परिवार से ही अलग होना पडा़।संयुक्त परिवार को छोड़ अपने पति व बेटी समीरा के साथ मुंबई चली आई।वहीं पडो़स में नैंना से मुलाकात हुई,और धीरे -धीरे दोनों पक्की सहेलियाँ बन गई।

"समीरा ,तुम और नैंना शादी के लंहगे की मैचिंग चुडियाँ आज ही ले आओ,कल से नैंना बाहर नहीं जा सकेगी"...नैंना की माँ ने कहा।

क्यों आँटी ...समीरा बोली।

'अरे परसों मेंहदी और अगले दिन शादी,अभी भी बाजारों में घूमेगी तो लोग क्या कहेगें? अरे आँटी आप भी लोगों की बातों को सुनकर कुछ भी कहते हो ...समीरा बोली।

समीरा ,माँ सही कह रही है.अभी मेरी सासू माँ भी यही बोल रहे थे कि ,'बेटा अब ज्यादा बाहर न निकलना ,हमारे यहाँ तो शादी के एक हफ्ते पहले से ही लड़कियों का बाहर निकलना बंद हो जाता था'।"क्या तू भी अपनी सास की बातों को सीरियसली लेती है."..चल अब समीरा, नैंना का हाथ पकडकर बोली।

नैंना की शादी खूब धूम-धाम से हुई ,विदाई के समय नैंना की माँ खूब रोई,समीरा ने आँटी को सँभाला और बोली ;'अरे आँटी 2 सोसायटी छोडकर ही तो नैंना का ससुराल है ,जब जी चाहे चले जाना'।समीरा नैंना के ससुराल हर दूसरे -तीसरे दिन पहुँच जाती,और घंटो बतियाती।

नैंना की सास बहुत सरल थी,वो समय के साथ परिवर्तन करना जानती थी।

नैंना -'आज शोपिंग करने चलेंगे .. रोहित के साथ कोई प्लान मत बनाना '..समीरा ने रविवार सुबह ही फोन पर कहा।

ठीक है..वैसे भी आज मम्मी ने रोहित को खाने पर बुलाया है ,सिमू तू भी आ जाना,वही से शोपिंग करने चलेंगे'-नैंना ने कहा। ठीक है... पर जल्दी आना, समीरा बोली।

नैंना तैयार होकर रोहित को आवाज लगाती है,रोहित कितनी देर फोन पर बात करोगें,चलो ना....। आ रहा हूँ.1 मिनट.'सॉरी यार..आज मेरा खास दोस्त कुनाल आया है ,अमेरिका से ..और कल सुबह की फ्लाइट से वापस जा रहा है,तो वो अभी आ रहा है लंच पर ,प्लीज आज मम्मी के यहाँ नहीं चल पाएगें'।नैंना को बहुत बुरा लगा.. ।मम्मी व सिमू मेरा इंतजार कर रही होगी,उन्हें मना तो कर दूँ।। 'सिमू, आज नहीं हो पाएगा...सॉरी यार ' -नैंना ने उदासी से कहा। ''क्या है यार, इतनी मुश्किल से तो प्लान बनाया था ,सारा चौपट कर दिया.....'यार रोहित का दोस्त आ रहा है ,क्या करुँ'?नैंना बुझे मन से बोली। 'तो तू क्यों समझौता कर रही है ,बोल दे तुझे भी जाना है,समीरा ने गुस्से में कहा ।'छोड़ न यार कल मिलते है.'... अभी लंच भी बनाना है,चल बॉय ,नैंना ने फोन रखा और खाने की तैयारी में लग गई।

अगले दिन नैंना एक फूलों का गुलदस्ता और गिफ्ट लेकर समीरा से मिलने गई।

"हैप्पी बर्थ डे,सिमू".....नैंना ने उसे प्यार से गले लगा लिया।

'आ गई ,मैडम....मिल गई फुर्सत...थैंक्यू 'समीरा बोली।

"अरे यार आज तो पूरा दिन तेरे ही साथ हूँ..बता कहाँ चले ..मूवी, मॉल या केफे..सुन एक अच्छी हॉलीवुड मूवी लगी है ,चल वहीं चलते है....तेरी फेवरेट"..... नैंना उत्साह से बोली । ठीक है...मैडम अब आप कह रही है तो चलते है,समीरा की क्या मजाल जो मना करें,और दोनों खिलखिलाकर हँस पडी।

समीरा टिकट बुक हो गई ,तू तैयार हो जा 11 बजे का शो है ,नैंना ने कहा। आ रही हूँ दस मिनट... ...तभी नैंना का फोन बजा, 'बहू तुम अभी आ सकती हो ,मेरे क्लब की कुछ सहेलियाँ आई है ,तुम से मिलने..थोड़ी देर उनसे मिलकर दुबारा पीहर चली जाना..,अगर नहीं आ सकती तो कोई बात नहीं,फिर कभी मिल लेना 'नैंना की सास ने कहा।

नहीं-नहीं ऐसा कुछ नहीं है ,मैं आती हूँ कुछ देर में,नैंना ने कहा।

चल यार...मैं तैयार हूँ...समीरा बोली। "सॉरी सिमू....अभी मम्मी जी का फोन आया ,और बताया कि उनकी कुछ सहेलियाँ आ रही है ,मुझसे मिलने ..मैं मना नहीं कर पाई ",नैंना ने उदासी से कहा।

" नैंना तू हर समय किसी के दबाव में.क्यों आ जाती है,तेरी खुद की भी तो लाइफ है....हर जगह मत झुका कर..पागल..."।समीरा ने आवेश में कहा।

"इसमें झुकना क्या ? दबाव क्या ?मुझ पर उन्होंने कोई दबाव नहीं बनाया ,मैंने अपनी इच्छा से हाँ कहा है ,और थोड़ा बहुत एडजेस्टमेंट करना ही पड़ता है,उसमें क्या" ?नैंना ने कहा।

'अरे...,वो ही तो दबाव है,जब अपने मन का ही कुछ न कर पाएँ और उनके अनुसार चलें..वो जबरदस्ती अपनी बात मनवाएँ,ये सब दबाव नहीं है, तो क्या है..? तू बोल देती,मुवी की टिकट बुक हो गई है .अभी कैसे आऊँ.,समीरा झल्लाकर बोली।

सिमू ."एडजेस्टमेंट और दबाव में बहुत फर्क है,एडजेस्टमेंट सभी की खुशियों का ध्यान रखते हुए ,आपसी सहमति से काम करने को कहते है,जिस में सभी की खुशी शामिल हो,और दबाव जबरन काम करवाने को।"मुझ पर किसी ने कोई दबाव नहीं बनाया ,अभी नई-नई शादी हुई है मेरी, उनकी सहेलियाँ मिलना चाह रही है मुझसे और क्या....तू फालतू ही परेशान हो रही है...तेरी शादी होगी न तब पता चलेगा...चल अब मूड ठीक कर ,और मूवी का क्या ..3बजे का शो है ना वो चलते है ..फिर डिनर साथ में ही करेंगे..ठीक है..,नैंना ने उसके गाल सहलाते हुए कहा।

वास्तव में आजकल लोगों की सोच यहीं है कि हम क्यों समझौता करे,उन लोगों ने एडजेस्टमेंट और समझौता दोनों को समानार्थी शब्द बना दिया।

मेरा मानना है कि हम हवाओं को तो नहीं बदल सकतें,मगर कश्ती की दिशा को तो एडजेस्ट कर ही सकतें है।

आप अपनी राय जरुर दीजिए।

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