
मैने जानना चाहा कि इतनी छोटी लड़की इतना सब कैसे मैनेज करती है । उसकी मॉ ने मुझे बताया हम तो टाइम मैनेजमेंट करते है , स्कूल से आने को बाद उसके क्लासेज डिवाइड होते है । शाम को 4 बजे से 8बजे तक । फिर घर पर आकर स्कूल की स्टडीज। सच बताँऊ, एक बार तो मुझे फील हुआ कि क्या मै इतनी अच्छी मॉ नही हूँ ?
उसके बाद हम जब भी मिलते तो डोना के गाेल्ड मैडल और प्राइज की लिस्ट भी बढ़ती जा रही थी। फिर हमारे बच्चे 9क्लास मे आ गये । डोना का सलेक्शन एक नामी काेचिंग सेंटर मे हो गया । और शुरू हुई उससे और ज्यादा बेहतर करने की उम्मीद । मंथली टेस्ट मे कितनी पाेजिशनआयी इससे मेजरमेंट होता था उसका आईक्यू , और इंडीनियरिंग मे एडमिशन के चांसेज। बुरी तरीके से पिस रही थी वो छोटी सी बच्ची, मॉ - बाप और टीचरो की उम्मीदों के बीच । अब हमेशा उसके सिर मे दर्द रहता था। पढ़ नही पाती थी। डिप्रेस्ड थी। एक दिन उसने अपनी सारी किताबें फाड़ दी । उसके पेरेंट्स उसे काउंसलिंग को लिए ले गये । कांउसलर्स कि सलाह पर अभी उसकी स्टडीज बिलकुल बन्द हैं । इस बार वो बाेर्ड नही देगी । लोग उससे पुछते हैं तो उसकी मॉ उससे पहले ही नार्मली कह देती हैं डोना इस बार एग्जाम नही देगी। और उस समय उसके चेहरे की चमक और बढ़ जाती है । लोग पीठ पीछे कहते है देखो एग्जाम नही दे पी रही फिर भी कितनी खुश लगती है। पर डोना, मुझे पता है कि तुम खुश हो क्योकि तुम्हारे पेरेंट्स अब तुम्हारे साथ है, उन्हें तुम्हारे नंबराें से अब कोई मतलब नही । तुमसे वो कितना प्यार करते है ये उन्होने साबित कर दिया। तुम हमेशा हँसती, मुसकुराती रहो । जीवन मे आगे बढ़ो । हमारी शुभकामनायें हमेशा तुमहारे साथ हैं ।
डाेना जैसे कई बच्चे आपने देखे हाेंगे पर डाेना जैसे पेरेंट्स बहुत कम हाेते हैं। हमें अपने बच्चे की हर गतिविधि पर नजर रखनी चाहिए और तुरंत एक्शन लेना चाहिए। डाेना ने कापी ही फाड़ी कुछ और कर लेती ताे....
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