रविवार, 19 फ़रवरी 2012

आभार


प्रिय मित्रों,
 आप सभी का आभार। आज वागीशा ने अपने पाठकों की संख्या 10,000  पार कर ली। यह सब आप सभी के सहयोग के बिना संभव नहीं था।   मात्र 3 माह में  यह आंकड़ा दर्शाता है कि आप वागीशा के प्रति कितने संजीदा है। वागीशा के हर कदम में आपने सहयोग किया। फिर चाहे वह समाज सरोकार का बात हो, लालनपालन की बात हो, साजसज्जा की बात हो, बाल साहित्य हो या खानपान की दुनिया हो या फिर  कुछ और।  हम बहुत जल्दी ही इसका विस्तार एक वेब मेग्जीन के रूप में करने जा रहे हैं जिसका नाम है अपराजिता।
 एक बार फिर से आप सभी का आभार
 आपकी अनुजा

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विदा मैं , मैं नहीं एक शब्द है हुंकार है प्रतिकार है मैं का मैं में विलय है इस समय खेल पर कोई बात नहीं फिर भी... सच में मुझे क्रि...