एक्सरसाइज आपके मूड को खुश रखती है। आपको शेप में
रखती है । इसके लिए फिटनेस प्रोग्रााम का चयन कीजिए।
प्रोग्राम ऐसा चुनें जो आपकी पर्सनेलिटी और लाइफस्टाइल
से मेल खाता हो। आप एक्ससाइज के जरिए क्या पाना चाहती हैं
इसको एकदम क् िलयर कर लें। क्या आप अपनी बॉडी को टोनअप
करना चाहती हैं या फिर कुछ वजन भी कम करना है। इन सबके लिए अलग अलग एक् सरसाइज हैं जैसे- कार्डियोवसकुलर, स्ट्रेंथ और फ्लेसिबल ट्रेंिंनंग। क्या है फंडा- कार्डियोवसकुलर
एक्ससराइज में कैलोरी बर्न होती हैं इसके लिए
तेज चाल से चलना, स्विमिंग और साइक्लिंग की जा सकती है। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में
वेट को कंट्रोल करने की एक्ससाइज की जाती है
ताकि आगे चलकर हड्डियों की समस्या न आए। आपकी बॉडी मजबूत रहे और ठीक से काम कर सके। फ्लेसिबल ट्रेंिंनंग में
यह बताया जाता है कि आपका खड़े होने बैठने का तरीका कैसा है
उसे कैसे सुधारा जाए। इसमें
आपको मांसपेशियों की एक्ससाइज
के बारे में बताया जाता है ताकि आपकी बॉडी फ् लेक्सेबल बनी रहे। योगा, पिलाटे, स्ट्रेचिंग, ताई ची इसी तरह की एक्सरसाइज हैं।रिलेक्स होने के लिए फुट मसाज बहुत काम आती है इससे आप
खुश महसूस करते हैं। प्राणायाम आपके दिल के
लिए अच्छा है। सप्ताह में १ दिन तेज
चाल से चलें यह भी आपको ताजगी देगा। सही खाने-पीने की चीजों का चुनाव करें- ऐसा खाना खाएं जो स्वाद के साथ आपकी सेहत
का भी ख्याल रखें। आपकी डाइट में संतुलन होना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फेट और पानी इनका तालमेल जरूरी है। याद रखें यदि आपने सेहत पर ध्यान नहीं दिया तो आपके शरीर की ताकत तो कम होगी और आपके
पचाने की शक्ति भी कम हो जाएगी। स्किन की चमक के लिए खूब पानी पिएं। कम से कम ८-१० गिलास पानी फल खाएं- पानी वाले फल जैसे तरबूज, खरबूज, खीरा, नारियल को डाइट में शामिल करें। अपने चेहरे को धूल, और सूरज की तेज किरणों
से बचाएं। अपनी स्किन के बारे में
जानें और उसी के हिसाब से क्रीम का चयन करें। माश्चराइजर का प्रयोग करें।
The fashion of the whole world is contained within the folk art.
शनिवार, 2 जनवरी 2016
अगर है डायबिटीज तो लीजिए ये डाइट- डॉ. शिखा शर्मा
संतुलित खान-पान का तरीका अपनाने से हम अपनी सेहत को सुधार सकते हैं और आने वाली बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं। बैलेंस्ड डायट न सिर्फ बीमारियों से बचाती है , बल्कि बीमार होने के बाद रिकवरी भी जल्दी होती सकती है। न्यूट्रीहेल्थ की डॉ. शिखा शर्मा कहती हैं, सही खानपान , व्यायाम और तनाव मुक्त रहकर हम बीमारी को आने से रोक सकते हैं। इस लेख में वह बता रही हैं डायबिटीज के रोगियों के लिए कैसा होना चाहिए उनका खान-पान। शुगर के मरीजों के लिए जरूरी है कि वे बैलेंस्ड डायट लें। ज्यादा न खाएं , लेकिन तीनों वक्त खाना खाएं और बीच में दो बार स्नैक्स भी लें। उन्हें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा कॉम्बिनेशन लेना चाहिए। मसलन , नाश्ते में दूधवाला दलिया लें या फिर ब्रेड के साथ अंडा लें। इसी तरह खाने में सब्जी के साथ दाल भी लें। इससे शुगर का लेवल सही रहता है। असल में , कार्बोहाइड्रेट से शुगर जल्दी बनती है , जबकि प्रोटीन से धीरे-धीरे शुगर रिलीज़ होती है , जिससे ज्यादा देर तक पेट भरा हुआ लगता है और ज्यादा खाने से बच जाते हैं। कुल खाने की फीसदी कैलरी कार्बोहाइड्रेट से , 15-20 फीसदी प्रोटीन से और 15-20 फीसदी फैट से मिलनी चाहिए। ज्यादा तला-भुना न खाएं। लो ग्लाइसिमिक इंडेक्स वाली चीजें यानी जो शरीर में जाकर धीरे-धीरे ग्लूकोज़ में बदलती हैं , खानी चाहिए। इनमें हरी सब्जियां , सोया , मूंग दाल , काला चना , राजमा , ब्राउन राइस , अंडे का सफेद हिस्सा आदि शामिल हैं। खाने में करीब 20 फीसदी फाइबर जरूर होना चाहिए। गेहूं से चोकर न निकालें। लोबिया , राजमा , स्प्राउट्स आदि खाएं क्योंकि इनसे प्रोटीन और फाइबर दोनों मिलते हैं। स्प्राउट्स में ऐंटि-ऑक्सिडेंट भी काफी होते हैं। दिन भर में 4-5 बार फल और सब्जियां खाएं लेकिन एक ही बार में सब कुछ खाने की बजाय बार-बार थोड़ा-थोड़ा करके खाएं। फलों में चेरी , स्ट्रॉबेरी , संतरा , पपीता , मौसमी आदि और सब्जियों में करेला, घीया , तोरी , सीताफल , खीरा , टमाटर आदि खाएं। रोजाना एक मु_ी ड्राइ-फ्रूट्स खाएं यानी 10-12 बादाम या 5-7 बादाम और 3-4 अखरोट खा सकते हैं। घीया , करेला , खीरा , टमाटर , अलोवेरा और आंवला का जूस खास फायदेमंद है। लो फैट दही और स्किम्ड/डबल टोंड दूध लेना चाहिए। ग्रीन टी पीना अच्छा है। चाय के साथ हाई फाइबर बिस्किट या फीके बिस्किट ले सकते हैं। बीपी नहीं है तो नमकीन बिस्किट भी खा सकते हैं। जौ (बारले) , काला चना , मूंग दाल और जामुन खासतौर पर फायदेमंद हैं। इनका ग्लाइसिमिक इंडेक्स भी कम है और ये पित्त के इंबैलेंस को कम करने के साथ-साथ अगर अंदर सूजन हो गई है तो उसे भी कम करते हैं। काला नमक डालकर छाछ पिएं। नारियल पानी पिएं। घर में बने सूप पिएं। नीम-करेला पाउडर ले सकते हैं। हालांकि इसका कोई फौरी फायदा नहीं होता कि कोई उलटा-सीधा खाने के बाद सोचे कि दो चम्मच नीम-करेला पाउडर खा लेंगे तो ठीक हो जाएगा। यह गलत है। लेकिन लंबे वक्त में यह जरूर फायदा पहुंचाता है।परहेज करें चीनी , शक्कर , गुड़ , गन्ना , शहद , चॉकलेट , पेस्ट्री , केक , आइसक्रीम आदि मीठी चीजें न खाएं। हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजों से बचें क्योंकि ये जल्दी ग्लूकोज में बदल जाती हैं। इससे शरीर में शुगर एकदम से बढ़ जाता है। ऐसे में इंसुलिन को शुगर कंट्रोल करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। इनमें प्रमुख हैं मैदा , सूजी , सफेद चावल , वाइट ब्रेड , नूडल्स , पिज़्ज़ा , बिस्किट , तरबूज , अंगूर , सिंघाड़ा , चीकू , केला, आम , लीची आदि। पूरी , पराठें , पकौड़े आदि न खाएं। इनसे वजन के साथ-साथ कॉलेस्ट्रॉल भी बढ़ता है। जूस से बचना चाहिए क्योंकि इनमें शुगर की मात्रा ज्यादा होती है। पैक्ड जूस बिल्कुल न लें। सीधे फल खाना ज्यादा फायदेमंद है। सब्जियों में आलू , अरबी , कटहल , जिमिकंद , शकरकंद , चुकंदर न खाएं। इनमें स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट काफी ज्यादा होता है , जो शुगर बढ़ा सकते हैं। वैसे , इन्हें उबाल कर कभी-कभी खाया जा सकता है लेकिन फ्राई करके कभी न खाएं। फलों में आम , चीकू , अंगूर , केला , पाइन ऐपल , शरीफा आदि से परहेज करें क्योंकि इनमें शुगर काफी ज्यादा होती है। मैदा और मक्के का आटा न खाएं। इनका ग्लाइसिमिक इंडेक्स ज्यादा होता है और ये रिफाइन भी होते हैं। वाइट राइस की बजाय ब्राउन राइस खाएं। चावलों का मांड निकालकर खाना सही नहीं है क्योंकि इससे सारे विटामिन और मिनरल निकल जाते हैं। ऐनिमल फैट (मक्खन , पनीर , मीट आदि) कम कर देना चाहिए। शराब न पीएं। इससे हाइपोग्लाइसीमिया (शुगर लेवल का एकदम नीचे गिर जाना) हो सकता है। ज्यादा शराब पीने से यूरिक एसिड और ट्राइग्लाइसराइड बढ़ता है और शुगर को कंट्रोल करना मुश्किल होता है।
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