ईश्वर के प्रति आस्था ही है जाे हम प्रतीक के जरिए खुद से जोड़कर रखना चाहते हैं। हमारी जीवनशैली में भी इसका खासा प्रभाव है। गुट्टापुसालू भी एक प्रतीक ही है। गुट्टापुसालू" नाम तेलुगू शब्द "गुट्टा" से लिया गया है जिसका अर्थ है गुच्छा "पुसालू" का अर्थ है मोती। आंध्र प्रदेश के आभूषणाें में यह खास माना जाता है। इसकी विशेषता इसकी बुनावट में हैं। प्रकृति से प्रेरित यह आभूषण सबसे पहले देवी देवता के लिए बनाए गए। उसके बाद दक्षिण भारतीय आभूषणाें में मंदिर के प्रतीक का प्रयाेग सबसे ज्यादा हाेने लगा। साैंदर्य और आस्था का यह अद्भुत मेल था।
आज जब नीता अंबानी ने अपने बेटे के विवाह समारोह में गुट्टापुसालू हार पहना ताे मन में यह सवाल आया कि आखिर उन्हाेंने इसे ही क्याें चुना। इससे पहले भी शादी समाराेह में वह दक्षिण भारतीय लाेकप्रिय साड़ी कांजावरम् पहन चुकी हैं। भारतीय कला और संस्कृति के प्रति प्रेम कभी वह नृत्य के जरिए प्रकट करती हैं कभी पहनावे से। इस बार उन्हाेंने जाे साड़ी पहनी उसमें गायत्री मंत्र लिखा था। सिलेब्रिटी जब कुछ पहनती हैं ताे वह ट्रेंड भी बनता है जाे कला और कलाकार दाेनाें के विकास के लिए जरूरी है।
वैसे भी दक्षिण भारतीय आभूषण, अपनी शिल्पकला, समृद्ध प्रतीकात्मकता और भव्य डिजाइनों के कारण, दुनिया भर में जाने जाते हैं। माना जाता है कि दक्षिण भारतीय आभूषणों की जड़ें सिंधु घाटी और चोल राजवंश जैसी
प्राचीन सभ्यताओं में पाई गई हैं। सोना, जो धन और
समृद्धि का शाश्वत प्रतीक है, दक्षिण भारतीय आभूषणों की नींव बना। मंदिराें ने इसकी कलात्मकता पर गहरा असर डाला। पहले देवताओं की साजसज्जा में आभूषणाें का पहला प्रयाेग हुआ। इसका असर मानव मन पर भी हुआ।
अगर आप भी इस तरह कोे आभूँषण पहनना चाहते हैं पर आपकाे मालूम नहीं है कि इसे कैसे खरीदा जाए ताे अपराजिता आर्गनाइजेशन आपकी मदद कर सकती है। आज ऐसी आर्टीफिशयल ज्वैलरी भी बाजार में माैजूद है।