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एक्सपर्ट्स की राय में अब भी कुछ नहीं बिगड़ा। आप अपने व्यवहार में बदलाव कर पर्यावरण से तालमेल बैठा सकते हैं।
यह जाहिर सी बात है कि वर्तमान घर को ग्रीन बनाने के लिए तोड़ कर फिर से नहीं बनाया जा सकता है। लेकिन पयार्वरण के ख्याल से आप व्यवहारिक बदलाव तो ला ही सकते हैं। इससे आप पैसे की भी बचत कर सकेंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक दीवारों पर इंसुलेशन चढ़वाएं ताकि घर के भीतर गर्मी कम की जा सके। साथ ही, जब घर का रिनोवेशन करा रहे हों, तो डेंस मैटीरियल का कम से इस्तेमाल करें। यानी कि पेंट का इस्तेमाल न करें। यह नुकसान दायक है। इसकी जगह नेचुरल चीजें जैसे चंदन का इस्तेमाल करें। संगमरमर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें छित्र होते हैं जिस कारण यह काफी इकोफ्रेंडली है। वहीं आप ग्रेनाइट का कम से कम इस्तेमाल करें। किचन में तो यह चलेगा क्योंकि यह काफी डेंस होता है और इस वजह से काफी गर्मी सोखता है। लेकिन घर के अन्य हिस्सों के लिहाज से इसे इस्तेमाल करना ठीक नहीं होगा। जिन घरों में इस पत्थर का ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा, वहां गर्मी ज्यादा महसूस होगी।
जहं तक संभव हो, आप अपने घर को कुदरती तरीके से हवादार बनाने की कोशिश करें। घर में धूप का आना भी उतना ही जरूरी है इसलिए डिजाइन ऐसा हो कि आप को सूर्य की रोशनी भी मिल जाए तो उसकी गर्मी घर में ट्रैप भी न हो। धूप आने से घर में कीटाणु और कीड़े-मकोड़ों की भी कमी रहती है।
घर में एनर्जी बचाने वाले उपकरण इस्तेमाल करें। इससे ऊर्जा के साथ-साथ पैसे की भी बचत होगी। आप अगर घऱ में बल्ब या बड़ी ट्यूबलाइटों की जगह सीएफएल का इस्तेमाल करते हैं तो एनर्जी की कम खपत के साथ गर्मी और पॉकेट ढीला करने से भी राहत मिलेगी।
गर्मी के मौसम में गर्मी से बचाव के लिए यह जरूरी है कि आप खासतौर पर पूर्व और पश्चिम की खिड़कियों पर ब्लाइंड्स लगवाएं। इससे कमरे कूल रहेंगे। एसी वगैरह ज्यादा स्टार रेटिंग वाले ही इस्तेमाल में लाएं। स्टार रेटिंग वाले प्रोजक्ट थोड़े महंगे जरूर पड़ते हैं, लेकिन आप इसका खर्च थोड़े समय में ही वसूल कर लते हैं।
इको-फ्रेंडली होमं सिर्फ कागजी बात नहीं हैं आप इसमें आने वाली लागत को लेकर घबराएं नहीं। इस संबंध में हुए ताजे शोधों के मुताबिक इस तरह के घरों पर पारंपरिक तरीके से बनाए जाने वाले घरों की तुलना में लागत 17 से 30 फीसदी ज्यादा तो बैठती है, लेकिन यह लागत आप 3 से 5 साल के समय में वसूल कर लते हैं। आपके बिजली खर्च में ही 50 फसीदी से ज्यादा की बचत होती है। इमारतों के लिए ग्रीन रेटिंग सिस्टम डिवेलप करने वाली संस्था द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (टेरी) के मुताबिक ग्रीन बिल्डिंग के सपने को साकार करना कतई मुश्किल नहीं है। बस घर बनाते समय कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना होता है। जैसे कि ग्रीन हाउस अगर चाहते हैं तो उसमें खिड़की और दरवाजों का आकार पारंपरिक घरों की तुलना में अलग होता है ताकि कुदरती रोशनी आ सके। सोलर फिटिंग्स से भी बिजली बिल बचाने में काफी मदद मिलती है।