मंगलवार, 3 अप्रैल 2018

तारों को आंचल तक लाना होगा-निधि घर्ती भंडारी


क्यों बैठी है सर को झुकाये,कमरे की बत्ती बुझाये.......

आंखें क्यों चुराए ज़माने से, क्यों शरमाए, क्यों घबराए.......

दिल के खिड़की दरवाजों को तू खोल दे, हवा सरसरा ने दे

कुछ गीत खुशी के गुनगुना,खुद को मुस्कुराने दे|

आसमां को कदमों में झुक जाना होगा, जरा जोर तो लगा|

तारों को आंचल तक आना होगा,अपनी बाहें तो फैला|

क्यों रीतियां-कुरीतियां बनी है सिर्फ औरत के लिए.

तूने हर एक को खुशी ही दी, और गम चुने अपने लिए|

रूढ़िवादी विचारधाराए तू छोड़ दे,

लकीर का फकीर ज़माना जिन पर चले|

अपने बुलंद हौसलों से तू लिख खुद अपनी इबारते,

जो तू चले तो जग चले, जो तू रुके तो जहां भी थम जाये|



अफवाहें, ताने, रोक-टोक तू सबकुछ पीछे छोड़ दे

जो बुरी नजर से है ताड़े, उनआंखों को तू फोड़ दे|

पौरुष का दम भरने वाला, अंधा समाज है भूल गया

जननी भी तू, अग्नि भी तू| दुर्गा,लक्ष्मी,काली भी तू|

जग तुझसे है,तू जग से नही, सब को बतलाना होगा|

उड़ रंग-बिरंगी तितली सी,हर फूल सजाना होगा|

आसमां को कदमों में झुक जाना होगा, ज़रा ज़ोर तो लगा|

तारों को आंचल तक आना होगा, अपनी बांहे तो फैला|





सफल इंसान की 5 खूबियाँ, जानिये इनमें से कौन सी खूबी है आप में- हितेश तिवारी



paanch aadat ek safal insan ki jo aap mein bhi ho sakti hai
हर व्यक्ति अपने जीवन में सफल होना चाहता है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे सफलता से प्रेम न हो। कई व्यक्ति सफल होने के लिए दिन रात एक कर देतें हैं और ताबड़तोड़ मेहनत करते हैं लेकिन फिर भी उनको सफलता प्राप्त नहीं होती। यह वाकई एक गंभीर विषय है, जिसके बारे में सोच कर कई लोग परेशान रहते हैं। क्या कभी आपने सोचा है की सफल व्यक्ति और असफल व्यक्ति में क्या फर्क है? प्रकृति ने हर व्यक्ति को 1 दिन में 24 घंटें दिए हैं, लेकिन कई लोग 24 घंटे में से 16 घंटे काम कर के भी सफल नहीं होते और वहीं कुछ लोग 24 घंटे में से सिर्फ 8 या 10 घंटे में काम खत्म कर के सफलता की सीढ़ी चढ़ जाते हैं। आखिर क्या कारण है जो इतनी मेहनत करने के बावजूद भी सफलता कुछ लोगों की झोली में नहीं आती और ऐसी क्या खूबी होती है उन व्यक्तियों में जो थोड़ी सी मेहनत करके सफलता को बड़ी आसानी से पा लेते हैं? चलिये आज हम आपको बतातें हैं की क्या होती है सफल इंसान की खूबी जिन्हें आप भी अपने जीवन में अपना कर हो सकते हैं सफल।

परिस्थिति को न कोसना 

हर सफल व्यक्ति की यह खासियत होती है की वह परिस्थिति के अनुरूप या खराब परिस्थिति को सुधारने के लिए काम करता है, न की परिस्थिति को कोस कर अपना समय बर्बाद करता है| हर व्यक्ति के जीवन में उतर चढ़ाव आतें हैं, ऐसे समय में आपको शांति से परिस्थिति का निरीक्षण कर के उसके अनुसार अपने काम पर ध्यान देना चाहिए|

अपने मन की सुनना

आपके जीवन में आपको यह कई बार प्रतीत हुआ होगा की जिस कार्य को आप मन लगा कर करतें हैं, वह कार्य बिना किसी व्यवधान के सफल होता है और उस कार्य के लिए आपको प्रोत्साहित भी किया जाता है। लेकिन अगर कोई कार्य आप बे-मन करतें हैं या जिस कार्य को करने में आपकी रूचि नहीं होती है तब उस कार्य में कई तरह के व्यवधान आते हैं या फिर वह कार्य सफल नहीं हो पाता है। आप अपने जीवन में तब ही सफलता प्राप्त कर सकते हैं जब आप वह कार्य करें जिसमें आपकी रूचि हो।

बदलाव से न डरना 

समय की एक खासियत है की समय कभी एक जैसा नहीं रहता। अगर आप समय के हिसाब से आपके द्वारा किए गए कार्यों में बदलाव नहीं करते हैं तो शायद आप सफल न हो पायें क्योंकि बदलाव ही प्रकृति का नियम है जिसके अनुसार दुनिया चल रही है। अगर आपको जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो आपको जरुरी बदलाव करते रहना चाहिए।

लोगों की फ़िक्र न करना

जिस कार्य में आपकी रूचि हो वह कार्य आप बेधड़क हो कर करें। अगर आप अपने कार्य से सबको खुश करने जायेंगे तो आपके हाथ सिर्फ निराशा ही लगेगी क्योंकि हर व्यक्ति आपके द्वारा किए गए कार्यों से खुश हो यह संभव नहीं है। आपके लिए महत्वपूर्ण यह होना चाहिए की क्या आप उस कार्य से खुश हैं जो आप कर रहें हैं। सफल इंसान की यही खूबी होती है की वह विनम्रता से सबके साथ व्यवहार करता है लेकिन कभी किसी को खुश करने में अपना समय बर्बाद नहीं करता।

जोखिम लेने से न डरना

हर व्यक्ति के जीवन में एक बार ऐसा समय जरुर आता है जब उसे अपने जीवन के बेहतर भविष्य के लिए कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़े और यही उनके जीवन का सबसे कठिन समय होता है, क्योंकि आपका पूरा भविष्य आपके द्वारा लिए गए इसी निर्णय पर निर्भर करता है। कई व्यक्ति हालात से मजबूर हो कर या कठिन परिस्थितियों के आगे घुटने टेक कर गलत निर्णय ले लेते हैं, जिस वजह से आगे चलकर उन्हें पछतावा होता है। वहीं कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो जोखिम उठा कर अपने मन मुताबिक कार्य में पूरी शिद्दत से आगे बढ़ते हैं और उन्हें आगे चल कर सफलता प्राप्त होती है।

बैड बॉय की गुड जीवनी- जानकीपुल- प्रभातरंजन

   संजय दत्त की जीवनी ‘द क्रेजी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ बॉलीवुडस बैड बॉय संजय दत्त’ जब से बाजार में आई है तब से यह लगातार चर्चा और विवादों में बनी हुई है. इस किताब  पर  चर्चित लेखक प्रभात रंजन की टिप्पणी-
आजकल यासिर उस्मान की लिखी किताब की बड़ी चर्चा है. संजय दत्त की यह जीवनी एक साथ चर्चा और विवादों में है. पहले संजय दत्त ने कहा कि उन्होंने ‘द क्रेजी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ बॉलीवुडस बैड बॉय संजय दत्त’ लिखने के लिए न तो प्रकाशक न ही लेखक यासिर उस्मान को इसके अधिकार दिए थे. उन्होंने एक ट्वीट में यह भी लिखा कि उनकी आधिकारिक जीवनी जल्दी ही आएगी. उन्होंने प्रकाशक जगरनॉट से यह भी कहा कि वे इसके अंशों को प्रकाशित होने से रोकें जिसे प्रकाशक ने मान लिया. उन्होंने किताब रोकने के लिए नहीं कहा. बस इसके अंशों के प्रकाशन को रोकने के लिए कहा. सब जानते हैं कि उनकी बायोपिक भी बन रही है जिसमें रणवीर कपूर ने संजय दत्त की भूमिका निभाई है.
यासिर बहुत संजीदा पत्रकार-लेखक हैं. इससे पहले वे दो जीवनियाँ लिख चुके हैं- राजेश खन्ना और रेखा की. उनकी लिखी रेखा की जीवनी पिछले साल अंग्रेजी में बेस्टसेलर सूचियों में छाई रही और निस्संदेह एक दिलचस्प जीवनी थी. किसी भी जीवनी के आधिकारिक होने का दावा नहीं था लेकिन उनको लेकर किसी तरह का विवाद नहीं हुआ.
यासिर ने हाल में ही खलीज टाइम्स को दिए गए अपने इंटरव्यू में यह कहा है कि अनाधिकारिक जीवनी लिखना अधिक मुश्किल होता है. इसके लिए आपको काफी शोध करना होता है और लिखते हुए कानूनी पहलू का भी पूरी तरह ध्यान रखना होता है. खैर, आधिकारिक अनाधिकारिक की इस बहस के बीच इस जीवनी को पढ़ते हुए संजय दत्त एक ऐसे किरदार के रूप में उभर कर आते हैं जिनको कहा भले ही बैड बॉय गया हो लेकिन वे आपके दिल में बस जाते हैं, अपनी सच्चाई, अपनी भावुकता और जीवन में एक के बाद एक घटित त्रासदियों के कारण. उन त्रासदियों से निकलकर एक सफल स्टार बनने के कारण. संजय दत्त का किरदार परदे पर हो सकता है उतना करिश्माई न लगा हो लेकिन परदे के बाहर वह एक चमत्कारिक व्यक्तित्व की तरह लगते हैं. जीवनी में लेखक केवल तथ्यों का संकलन करके उसे गुडी गुडी नहीं बनाता है बल्कि वह एक किसी व्यक्ति के किरदार को हर कों से दिखाने का काम भी करता है. इस रूप में यासिर उस्मान की लिखी यह जीवनी बहुत सफल है और रोचक भी.
लेकिन मुझे संजय दत्त की जीवनी को पढ़ते हुए सबसे अधिक जिस किरदार ने प्रभावित किया वह सुनील दत्त हैं. एक पति, एक पिता के रूप में सुनील दत्त का व्यक्तित्व बहुत प्रभावित करता है. पहले पत्नी नर्गिस को कैंसर और उसके बाद पुत्र संजय दत्त की नशामुक्ति के लिए अमेरिका में उनके इलाज करवाने के बाद जब सब कुछ पटरी पर आ रहा था कि अचानक संजय दत्त के ऊपर टाडा लगा दिया गया. यासिर ने इस जीवनी में यह बताया है कि जिस समय संजय दत्त टाडा में फंसे उस समय सुनील दत्त की मुम्बई में लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार को खतरा महसूस होने लगा था. संजय के ऊपर अगर आर्म्स एक्ट लगाया गया होता तो शायद उनको इतना अधिक नहीं भुगतना पड़ा होता. लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने उनके ऊपर टाडा लगा दिया और उनके ऊपर आतंकवादी की तरह कार्रवाई हुई, ट्रायल हुआ. यह सब जिस समय शुरू हुआ उस समय संजय अपने कैरियर के शिखर पर थे.
यह जीवनी संजय दत्त के व्यक्तित्व को सहानुभूति से देखती है और हर पढने वाले को उस व्यक्तित्व को लेकर सहानुभूति होने लगती है जो जीवन भर प्यार के लिए तरसता रहा, भागता रहा. जिसके प्रति नफरत भड़काने की जितनी भी कोशिश हुई उसके लिए लोगों में उतना ही प्यार बढ़ा.
निस्संदेह ‘बैड बॉय’ यासिर उस्मान की सबसे सुगठित, सुसंयोजित और अच्छी तरह से शोध करके लिखी गई किताब है. एक ऐसी किताब जिसे पढ़कर आप निराश नहीं होंगे. और हिंदी सिनेमा के सबसे अभिशप्त नायक के जीवन को कुछ और करीब से देख-समझ पायेंगे.

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