हम सोचते हैं जानवरों को कुछ भी खिला दिया जाए पर हकीकत यह है कि जानवरों की पसंद भी खाने-पीने को लेकर इंसान जैसी ही है।
आजकल बैलेंस्ड डाइट पर चर्चा इंसानो की तरह ही जानवरों को लेकर भी हो रही है। मार्किट में कई कंपनियं हैं जो सिर्फ जानवरों के लिए फूड प्रोडक्ट बेच रही हैं। यह कहा जाता है कि घर का खाना पालतू जानवरों के लिए बैलेंस्ड डाइट नहीं है इसलिए मार्किट में डिब्बाबंद फूड आइटम का ट्रेंड बन चुका है। ऐसा भोजन जानवरों के लिए कितना फायदेमंद होता है आइए जानते हैं -
पालतू जानवरों को घर में बना हुआ खाना या फिर जो बच जाता था वही दिया जाता था। डाक्टर कहते हैं कि कुत्ता मांसभक्षी होता है। जिन घरों में मांसाहार नहीं बनता वहां के पालतू जानवर के खाने की रूचियां भी उसी परिवार के हिसाब से ढ़ल जाती हैं। इंसान की खाने-पीने की रूचियां अलग होती हैं। कुत्तों को शाकाहारी डाइट पर रखना आसान है लेकिन बिल्लीयों के लिए यह सही नहीं है। यदि बिल्लियों को शाकाहारी डाइट पर रखा जाए तो वह छः माह से ज्यादा जीवित नहीं रह पाएंगी। डाक्टर कहते हैं कि घर में मिलने वाली कई चीजें कुत्तों के लिए अच्छी नहीं होती जैसेकि चॉकलेट, प्याज, लहसुन, अंगूर, किशमिश, दूध आदि। लेकिन हम उनको यह खाने को देते हैं।
आज पेट्स के लिए कई तरह के ड्राई, वेट और ग्रेवी वाले फूड आइटम मार्किट में उपलब्ध हैं उनमें आडनरी और प्रीमियम कैटेगरी है। आर्डनरी फूड जानवरों के लिए खतरनाक है क्योंकि इसमें पॉलटरी वेस्ट मिला होता है जबकि प्रीमियम कैटेगरी में खाने वाली चीजों का इस्तेमाल होता है। तीसरी कैटेगरी में थेरेपिटक फूड आइटम आते हैं जोकि लिवर, किडनी और त्वचा की बीमारियों के समय दी जाती हैं। डाक्टर आगे बताते हैंे कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में ऐसी कोई रेगुलेटरी बॉडी नहीं है जोकि जानवरों को दिए जाने वाले पैकिट फूड की जांच कर सके।
डाक्टर पेट पेरेंट्स को यह सलाह देते हैं कि यदि आप अपने पालतू जानवर को सिर्फ पैकेट वाला खाना ही देते हैं तो उसे साथ में खूब पानी पीने को भी जरूर दें।
पेट पेरेंट्स अपने पालतू जानवर के लिए अलग-अलग तरह के भोजन बनाने की विधि ऑनलाईन भी तलाश कर सकते हैं।