हम लाेग अपना खानपान अपने परिवार, रिश्तेदार या फिर दाेस्ताें के साथ बैठकर तय करते हैं जाे एकदम गलत है। |
खान-पान के बारे में शुरूआती राय तब जान लेनी चाहिए जब बच्चा कुछ खाना शुरू कर देता है।यानी 6 माह बाद। नन्ना शिशु जब खाना खाने लगता है ताे अधिक्तर उसे दूध से बना खाना खिलाया जाता है। अधिक्तर खीर। एेसे में बच्चा खूब हेल्दी दिखाई देता है पर वास्तव में उसके भीतर मिनरल और विटामिन की कमी हाे जाती है जिससे उसकी पाचन क्रिया पर असर पड़ता है।
हमारे शरीर की संरचना दो तरह की हाेती है एक ताे एप्पल शेप और दूसरी पियर शेप। सबसे पहले एप्पल शेप की बात करते हैं। इस तरह की बॉडी में माेटापा शरीर के ऊपरी हिस्से में हाेता है। एेसे में अपने खानपान पर ध्यान देना बहुत जरूरी है । नहीं तो आप गंभीर बीमारी के शिकार हाे सकते हैं। अपने खानपान में हरी सब्जियां,प्राेटीन और फलाें का जूस शामिल करें। फास्ट फू़ड से बचें। पीयर शेप में ताेंद बाहर आ जाती है। टमी वाले हिस्से में काफी फेट जमा हाे जाता है। आपकी डाइट में प्राेटीन और हरी सब्जियां शामिल हाेनी चाहिए। इस शेप के लाेगाें काे भी फास्ट फूड और काेल्ड ड्रिकं से बचना चाहिए। आपकी बॉडी टाइप काे जानकर डायटीशियन आपके स्वाद की रेसिपी आपकाे बता देंगे। जिससे आप अपने स्वादनुसार पाैष्टिक खाना खा सकते हैं। बच्चाें में भी उनके स्वाद के अनुसार भाेजन दिया जा सकता है। अमूमन मम्मी बच्चाें के खाना न खाने पर उसे मैगी, बर्गर, पास्ता जैसी चीजें दे देती हैं जाे सेहत के लिए बहुत खतरनाक है। वैसे भी जितने पैक्ड फूड हैं वह सेहत के लिए हानिकारक हाेते हैं।
इन दिनाें ब्लड टाइप पर भी चर्चा हाे रही है पर अभी इसमें काफी मतभेद हैं। डायटीशियन और डाक्टर की सलाह पर ही इसे करना चाहिए।