"छलिया है वो छलिया "
छलिया है वो छलिया,
वो तो छलता जाता है,
मंद मंद मुस्कानो से,
अपना बनाता जाता है ।
सूरज जैसा तेज सदा,
उसके चेहरे पर गहराता है ।
मीठी मीठी बातों से वो,
मन को मोहता जाता है ।
बाँट सबका दुःख दर्द,
चेहरे पर खुशियाँ लाता है ।
मद मस्त पवन का झोंका,
शीतलता बरसाता है ।
इस धरती पर वो फरिश्ता,
ईश्वर का कहलाता है।
छलिया है वो छलिया,
वो तो छलता जाता है ।
मंद मंद मुस्कानो से,
अपना बनाता जाता है ।
छलिया है वो छलिया,
वो तो छलता जाता है,
मंद मंद मुस्कानो से,
अपना बनाता जाता है ।
सूरज जैसा तेज सदा,
उसके चेहरे पर गहराता है ।
मीठी मीठी बातों से वो,
मन को मोहता जाता है ।
बाँट सबका दुःख दर्द,
चेहरे पर खुशियाँ लाता है ।
मद मस्त पवन का झोंका,
शीतलता बरसाता है ।
इस धरती पर वो फरिश्ता,
ईश्वर का कहलाता है।
छलिया है वो छलिया,
वो तो छलता जाता है ।
मंद मंद मुस्कानो से,
अपना बनाता जाता है ।