घर के इंटीरियर में अब बाजी मारी है ग्लास ने। अभी तक यह मुहावरा ही था कि घर शीशे जैसा चमकना चाहिए पर अब यह हकीकत में बदल चुका है। घर की साज सजावट में ग्लास का इस्तेमाल अब खिड़की , सीढिय़ों, दीवारों और दरवाजों र दस्तक देता हुआ फर्नीचर की दुनिया में कदम रख चुका है। जी हां बाजार में ग्लास के फर्नीचर की डिजाइनर रेंज मन को लुभा रही है। ग्लास का चलन बड़ी तेेजी से बढ़ा है। लिविंग रूम, डायनिंग रूम सभी जगह इसकी चमक है कहीं ग्लास रैक है तो कहीं मल्टी पर्पस टेबल ।
ग्लास की खासियत ये है कि ये एक अनक्लटर्ड लुक के अलावा घर में ज्यादा जगह का अहसास भी करवाता है। यानी अपने घर को एक रॉयल लुक देने के लिए ग्लास का फर्नीचर एक सही विकल्प है। ग्लास के बढ़ते चलन की सबसे बड़ी वजह है कि इसे लगाना बहुत आसान है। इससे एक कलात्मक और परंपरागत छवियां दोनों साथ साथ दिखाई देती हैं। साथ ही धूप की रोशनी सीधे अंदर आती है, जिससे अंधेरा नहीं रहता और इस तरह बिजली के खर्च में भी कटौती की जा सकती है।
ग्लास लाइटवेट, ट्रांस् पेरेंट होने के बावजूद कंक्रीट की तरह बहुत मजबूत होता है। पवीबी और लैमिनेटेड ग्लासों का उपयोग आर्किटेक्ट न सिर्फ एलिवेटर्स, बल्कि फ्लोर, वॉल्स, केबिन, क्यूबिकल्स और पार्टीशन में भी कर रहे हैं जिससे छोटी जगह भी बड़ी लगती है। ग्लास की पारदर्शिता की वजह से बाहर के नजारों का आनंद उठाकर बोरियत तो दूर होती है, और आप ज्यादा सक्रिय रहते हैं। ऐसे लोग जो खुला न चाहते हैं उनके लिए ग्लास से बेहतर और कोई विकल्प नहीं। ग्लास का उपयोग ऐसी जगह पर ज्यादा कारगर होता है जहां धूप नहीं आती ।
सवाल यह भी उठता है कि क्या ग्लास से आने वाली रेडिएशन नुकसानदेह हो सकती है? आर्किटेक्ट की मानें तो, अगर ग्लास में यू फैक्टर प्रयौग किया जाए तो अंदर आते रेडिएशन से काफी हद तक बचा जा सकता है। साथ ही आजकल डबल ग्लास भी मौजूद हैं, जिनके उपयोग से कोई नुकसान नहीं हुंचता है। ग्लास न केवल घर की सज्जा में चार चांद लगाता है, वरन एक सादगी का एहसास भी देता है। दीवारों पर ग्लास लगे होने से ठंडक और गर्मी दोनों का संतुलन बना रहता है। लिविंग रूम में रखी टेबल पर ग्लास लगा होता है। इसमें भी अनेक लेयर्स होती हैं। ऐसी साइड व कॉर्नर टेबल भी विभिन्न आकारों में मिल जाएंगी, जो केवल ग्लास की बनी होती हैं। किचन व बाथरूम में भी ग्लास अपनी एक खास जगह बना चुका है। अब ग्लास से पार्टीशन बनने लगे हैं। लिविंग रूम में ग्लास का पार्टीशन डाल एक से रेट पोर्शन बनाया जा सकता है। ग्लास की शेल्फ बनाकर उस पर कलाकृतियां सजाई जा सकती हैं। ग्लास के बुक शेल्फ भी खूबसूरत लगते हैं और उससे डेकोर भी खिल उठता है। जरूरी नहीं कि ग्लास को केवल वुड के साथ ही प्रयोग में लाया जाए। स्टोन के पिलर्स या टेबल के नीचे लगे स्टोन के पायों के साथ भी वह बेहद अच्छा लगता है।
इंडियन ग्लास एसोसिएशन के द्वारा किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक, ग्लास लगाने से बिल्डिंग की सार-संभाल में कटौती हो जाती है और सूरज की रोशनी के अंदर आने से बिजली के खर्च में भी कमी आ जाती है। इसके अलावा काम करने वाले लोगों को घुटन का एहसास नहीं होता। गर्म मौसम में बाहर से आने वाली गर्म व सर्दियों में ठंड को अंदर आने से इससे रोका जा सकता है। ग्लास और मैटीरियल की तुलना में सस्ता और पूरी तरह से रीसाइकल होने वाला होता है।
इसकी खासियत है कि इसे प्लेन के साथ सतरंगी रंगों से सजा सकते हैं। फिर चाहे खिड़कियों के पैनल हो या फिर घर में दीवार की शोभा बढ़ाती तस्वीर। अनेक रंगों में उपलब्ध होने के कारण ग्लास हर तरह के डेकोर के साथ मैच करता है।
ग्लास पर जब रोशनी पड़ती है तो अनेक रंग व शेड कमरे में बिखर उठते हैं। इनमें कुछ न कुछ तो खास है। बेहतरीन क्लास और संजीदगी का पैगान देते स्टाइलिश गोबलेट और ग्लास आप के डेकोर डिजाइन में चार चांद लगाने का काम करते हैं। साजसज्जा के अलावा क्राकरी में भी डिजाइनर ग्लास , वाइन ग्लास, ब्रेंडी और मार्तिनी ग्लास, एलिफेंट हेड ग्लास और डेकोरेटिव कोरल कलेक्शन की मांग बढ़ी है। देखने में चांदी की तरह है लेकिन उसकी चमक बरकरार रहती है। वास्तव में जो फिनिश कांसे को दी जा सकती है वह इन्हें ज्यादा आकर्षक और रखरखाव की दृष्टि से बढिय़ा बनाती है। भारत में वरसाचे, रोसेंथाल, बलगारी, रॉयल डोलटन, आईवीवी और मर्डिन्गर जैसे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय ब्रैंड्स को चाहनेवालों का संख्या बढ़ती जा रही है। इन दिनों लम्बे, ब्रॉड और स्लीक ग्लास की काफी मांग है। ग्लास और क्रिस्टल मिक्स में बढिय़ा फिनिश के साथ तैयार इन स्टाइलिश ग्लासवेयर की कीमत 1500 रु ए से शुरू होती है और यह 18000 रुपए प्रति पीस तक जा सकती है।
कुछ काम की बातें
- अलग-अलग स्टाइल के पॉट्स या लैंप लेकर आप होम डेकोर को अपने अंदाज में तैयार कर सकते हैं।
- दीवारों या दरवाजों र लगी स्टेन ग्लास की पेटिंग मेहमानों का ध्यान आकर्षित करती हैं।
- ग्लास की कलाकृतियाँ घर के किसी भी कमरे में लगाई जा सकती हैं।
- लटकते हुए ग्लास पैनल की फॉल्स सीलिंग का चलन भी इन दिनों खूब बढ़ गया है।
- खिड़कियों पर भी पेंट किए या टिनटेड ग्लास लगाए जा सकते हैं।
- ग्लास की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पर फ्लोरल से लेकर ज्यामितीय डिजाइनों को खूबसूरती से उकेरा जा सकता है।
- ग्लास के फ्रेम हों या ग्लास की मूर्तियाँ, घर में रखी अच्छी लगती हैं।
- ग्लास के डेकोरेटिव पीस फिर चाहे वह चैस बोर्ड हो या झूमर या फिर दीवार पर लगे पैनल, घर के डेकोर को एक शानदार टच प्रदान करते हैं।
- घर के इंटीरियर में जब भी ग्लास का उपयोग करें, यह ध्यान रखें कि दीवारों व फर्नीचर का रंग बहुत ज्यादा डार्क न हो।
- व्हाइट कलर या पेस्टल शेड्स के साथ इसका इफेक्ट बहुत बढिय़ा आता है।
- वुड से ज्यादा ग्लास इंटीरियर के साथ सेरेमिक या मार्बल का ही उपयोग करें।
- इसे साफ करने के लिए साबुन के पानी से कपड़ा मारें व पौछ दें।