बुधवार, 11 अप्रैल 2018

मास्टरपीस पुनीता- डा. अनुजा भट्ट

 
ताे जैसा कि मैंने कल बताया कि हमारे जीजाजी  और हम सब सहेलियां उसे  मास्टरपीस कहती थीं। परेशान हाेकर जीजाजी ने उसके हाथाें में पैसा देना बंद कर दिया। वह बहुत बेचैन रहने लगी। एक दिन मुझे कहीजाना था ताे मैंने साेचा इसे भी साथ ले लूं। मैं यह जानती थी  कि हमारी इस मास्टरपीस का आबजर्वेशन बहुत मार्के का है। और मुझे उस मीटिंग में एेसे ही जने की जरूरत थी। वह तैयार हाे गई। मैंने कहा, इतना सुंदर सूट है, दुप्पटा ताे ले ले। कहने लगी, पता नहीं, कहा रखा है। फिर बाेली, वैसे भी काैन आजकल दुप्पटा पहन रहा है। मैंने उसे टाेकते हुए कहा, दुप्पटा ही तेरी इस ड्रेस की शान है। कहने लगी,  नहीं मिल रहा ना। पहले की बात हाेती ताे मैं कल ही खरीद लेती एक सूट। तेरे साथ बिजनेस मीटिंग में जा रही हूं... मैंने तेज सास छाेड़ते हुए कहा उफ्फ... ये ना...
 रास्ते भर उससे बात करते हुए लगा कि वह बहुत परेशान है। कहने लगी अब बता ना डुग्गी एेसे कहीं हाेता है।   तभी मैंने कहा सब कुछ बेच दे। वैसे भी वक्त पर तुझकाे कुछ मिलता नहीं है। मेरा ध्यान बार- बार उसकी सूट पर था। लेकिन वह ताे मेरी बात पर सीरियस हाे गई। पर कैसे बेचूं डुग्गी।  मैंने भी कहा सेल में बेच दे। तुझे ताे कीमत पता ही है उसी हिसाब से बेच दे।  पर क्या क्या बेचेगी तू। पता नहीं क्या क्या खरीद लेती है।  सब बेच दूंगी। वह बुदबुदाई।
1-2 दिन बाद जीजा जी का फाेन आया। कहने लगे डुग्गी इसकाे क्या हाे गया।  सारी अलमारी से कपड़े निकाल लिए हैं। खाने पीने की काेई व्यवस्था नहीं है। कुछ बता भी नहीं रही। मैंने कहा आप सब .यहां आ जाएं। हमारे साथ डिनर कर लें या बाहर से मंगा लें। धन्यवाद, तुम्हारे साथ डिनर फिर कभी.. बाहर से ही आर्डर करता हूं। खैर हमारी इस मास्टर पीस ने अपनी साड़ियाें काे बाहर निकाला उनकाे प्रेस करवाया और फिर अखबार के जरिए सारी साेसायटी में पम्पलेट डलवा दिये।  मुझे भी संडे काे आने का बुलावा आया। मैं हैरान थी उसके पास कलेक्शन बुहत शानदार था।  ब्रिकी बहुत अच्छी हुई। लाेग उससे जानने के बेताब थे कि वह इतना सुंदर कलेक्शन कहां से लाई। वह और भी चीजें खरीदना चाहते थे। तय हुआ हर महीने वह सेल लगाएगी। साड़ी सूट चप्पल जूते आर्टीफिशियल गहने सब कुछ उसके पास था। मेरे साथ मेरी कुछ और सहेलियां भी गई थी  जाे हमारे उस मास्टरपीस काे देखना चाहती थी। पर वह भी वहां जाकर खरीददार बन गई। आज मेरी वही दाेस्त मास्टरपीस नाम से ही प्रदर्शनी लगाती है। देश विदेश घूमती है। लेकिन अब उसने अपना नियम बना लिया है वह खादी ही पहनती है और खरीदती है। कहती है इस से मुझे कंफ्यूजन नहीं हाेता आज क्या पहनूं। उसके पास खादी के खूबसूरत कुर्ते हैं। साड़ी पहनना उसने छाेड़ दिया। खरीदती वह आज भी है ।  उसका घर अब एक कलात्मक घर में तब्दील हाे गया है।

मंगलवार, 10 अप्रैल 2018

डार्लिंग पुनीता - डा. अनुजा भट्ट

         
 पुनीता ही है नाम उसका। लेकिन हम सहेलियां उसे पुनीता न कहकर मास्टर पीस कहते हैं।  इसकी वजह है उसका घर। आप भी अगर उसके घर गए तो लगेगा कि यह घर है या स्टोर। रसोई से लेकर उसके घर का हर कमरा स्टोर में तब्दील हो  गया है।  वह बहुत शौकीन है जो चीज उसे पसंद आ जाए वह उसे लेकर ही रहेगी।  खाने में कुछ  पसंद आ जाए तो न जाने कितने डब्बे पैक करा लेगी। सब्जी से पूरा फ्रिज भरा रहेगा फिर भी घूम आउंगी कहकर साथ हो लेगी और फिर इतनी सब्जी ले लेगी जो खुद उठा के न  ले जा सके। फिर अपनी मेड को फोन करके बुलाएगी। कंजूस इतनी कि मेड को गिनकर 3 रोटी देगी। एक दिन मैंने कहा पेट भर खाना तो दे दिया कर। कहने लगी ज्यादा खाएगी तो काम कैसे करेगी? ज्यादा खाने से नींद आती है।  खुद  भी  इन दिनों खाना छोड़ा है हर रोज फल खाती है। सारी सब्जियां सड़ती है और फिर कूड़े दान में  चली जाती हैं। साड़ियां इतनी है कि खुद गिन नहीं पाएगी। पर जैसे ही सेल का बोर्ड दिखेगा उसे पांव वहीं रुक जाएंगे।  कुछ समय पहले  दिमाग में वास्तु का इतना ज्यादा असर था कि उसने अपने  पूरे घर का रिनोवेशन करा दिया। कुछ दिन तो तो ठीक रहा पर फिर से उसे बेचैनी होने लगी उसने फिर से अपना घर बनवाया लेकिन आज भी उसको अपना घर पसंद नहीं।  उसे जो चीज पहले बहुत पसंद आती है  फिर वह उसे नापसंद करने लगती है। अपने पहनावे को लेकर भी उसका यही रवैया है। अगर उसने अपनी पसंद की साड़ी पहनी हो और उसे कोई टोक दे तो वह उसे दोबारा नहीं पहनेगी। यही वजह है कि अब  उसके पति ने उसके हाथ में पैसा देना बंद कर दिया है।
 उसकी यही आदत अब उसके बच्चों में भी आ गई है और वह कोई निर्णय नहीं ले पाते। उनके घर  में 4 कमरे हैं वहां आपको 4 टीवी मिलेंगे। 2 फ्रिज, कई तरह के जूते,चप्पल, 4  मोटर सायकिल , 2 गाडियां। अब पूछिए 4 टीवी क्यों? कभी किसी को अपने कमरे में देखने का मन हो सकता है। उसका  कहना है। पर आपको जानकर अचंभा होगा कि उनके घर में टीवी कोई नहीं देखता।  सबके सब कंप्यूटर में लगे रहते हैं।  आजकल हमारी पुनीता को भी कंप्यूटर का चस्का लगा है। वह कंप्यूटर में गेम खेलती है।  घर में सबके पास लेपटॉप है फिर  भी कंप्यूटर 3 है जिसमें 2 खराब हैं। पुराने जमाने का म्यूजिक सिस्टम भी  रखा है। पुनीता के पास अपनी गाड़ी है पर उसे चलाना नहीं आता और ड्राइवर के साथ जाना उसे पसंद नहीं । पति के आफिस से कैब आती है जो ले भी जाती है और छोड़ भी जाती है। इसके बावजूद उनके घर में एक गाड़ी और आनेवाली है,बेटे के लिए। पुरानी गाड़ी बेटे को पसंद नहीं है।  बेटे की कोई फरमाइश नहीं है पर पुनीता  की जिद है कि उसका बेटा पुरानी गाड़ी नहीं  चलाएगा। अब बताइए पुनीता के पति यानी  हमारे जीजाजी क्या करें । वह जब उसे आवाज देते हैं  तो डार्लिंग कहते है पर बुदबुदाते हैं तो मास्टरपीस।

सोमवार, 9 अप्रैल 2018

जीने दो -पार्ट 2 श्रेया श्रीवास्तव

आज कोमल की तेरहवीं है। घर में भीड़ भाड़ का माहौल है। दूर दूर से संबंधी आये हैं। मित्र और पड़ोसी भी हैं।
जो सास ससुर रात दिन गाली गलौज करते थे कोमल का जीना दूभर कर दिये थे आज कोमल की तारीफ़ों के पुल बाँध रहे थे और ननद देवर देवरानी भी उनकी हाँ में हाँ मिला रहे थे जो हमेशा कोमल का मज़ाक बनाते थे।

वो पति जिसकी कोमल ने जीवन भर तन मन से सेवा की वट सावित्री करवाचौथ जैसे उपवास किये और बदले में अपमान के सिवाय कुछ न पाया था आज इठलाता हुआ घूम घूम कर सबको बता रहा था कि उसने भोज के लिये सबसे मँहगा हलवाई लगाया है पंडित जी को जी भर कर दान दूँगा।सबको बता रहा था कि कोमल की बीमारी पर उसने कितना पैसा लगाया था।

कोमल के पड़ोसी फुसफुसा रहे थे कि जब तक जिंदा थी आदमी ने पूछा नहीं जब तक जिंदा थी, छोटी छोटी चीज़ो के लिये तरसाता था आज नाटक कर रहा है।कोमल के बेटा बेटी भी पति की तरह यदा कदा उसका अपमान कर देते थे।अगर समझाने से न मानते तो झिड़कना पड़ता । कोमल ने इन लोगो को पैदा करने में और परवरिश में जो तकलीफ़ें सही थीं वो भूल चुके थे याद थी तो माँ की कड़वी बातें।कोमल एक पढी लिखी संभ्रांत परिवार की लड़की थी पर शादी के बाद उसे सब से अवहेलना और अपमान ही मिला था। कोमल इतनी आहत हो चुकी थी कि उसने मेडिकल काॅलेज जाकर जीते जी अपना देहदान कर दिया।कोमल ने तय कर लिया था कि जिस पति ने जीते जी उसे कभी इंसान तक नहीं समझा मरने के बाद भी उसे उसके कंधे नहीं चाहिये। कोमल के मरने की ख़बर मिलते ही मेडिकल काॅलेज के लोग आकर कोमल का शव छात्रों के परीक्षण के लिये ले गये।आज उसी कोमल की तेरहवीं धूम धाम से मनाई जा रही थी।

इस कहानी के द्वारा मैं आप सब ये विनम्र निवेदन करना चाहती हूँ कि आप के माँ बाप बीवी पति भाई बहन कोई भी संबंधी हों जब तक वो जीवित हैं उनकी परवाह करिये।अगर आदर नहीं दे सकते तो कम से कम ऐसा अपमान भी न करें कि फिर कोई कोमल जीतेजी अपनी मौत का इंतज़ाम करते करते चैन की साँस भी न ले सके।जीते जी जो पेट भर खाने को तरसती रही आज उसकी याद मे पकवान बनवाकर भोज करा के उसको देवी बता कर कैसे श्रद्धाँजलि दी जा ही थी मैं नहीं मानती कि इस तरह से कैसे देवता खुश होते हैं।इसलियें विनती है खुद भी चैन से रहें और दूसरों को भी जीने दें।

रविवार, 8 अप्रैल 2018

जिम ट्रेनर रही हैं फिल्म अभिनेत्री मुग्धा गोडसे-डा. अनुजा भट्ट

जन्मदिन 26 जुलाई
साभार मायापुरी

   इस सप्ताह मैंने फिल्म अभिनेत्री  मुग्घा गोडसे का इंटर्व्यू किया। पाठकों की यह दिलचस्पी रहती हैं कि वह एक्ट्रेस की लाइफ स्टाइल के बारे में जानना चाहते हैं। इसलिए हर रविवार मैंने तय किया कि आपको किसी सेलिब्रिटी से मिलाया जाए। आज का अंक मुग्धा गोडसे के साथ..
  पहला सवाल अभिनेत्री नहीं होती तो क्या होती..
 एक बहुत बड़े जिम की मालकिन। या अंतरराष्ट्रीय जिम ट्रेनर। आपको मालूम है मॉडल बनने से पहले एक जिम में काम करती थी मैं 17 साल की उम्र से वर्क-आउट कर रही हूं। इसलिए मुझे एक्सरसाइज और अच्छी डाइट के बारे में बहुत कुछ पता है। यह जरूर है कि कभी-कभार मैं भी उन चीजों को खा लेती हूं, जिनसे आपका वजन बढ़ता है। लेकिन उसके बाद मैं अपनी एक्सरसाइज बढ़ा देती हूं। सप्ताह में कम से कम चार दिन सुबह पौने घंटे की एक्सरसाइज जरूर करती हूं, जिसमें कार्डियो, वेट वगैरह होता है।
 वेट लास के लिए क्या एक्सरसाइज पर्याप्त है...
 सिर्फ एक्सरसाइज करने से हर कोई बोर हे जाता है  मेरे साथ भी यह होता है ।कभी-कभी मैं किक-बॉक्सिंग भी करती हूं और स्विमिंग भी। मैं डांस भी करती हूं,  मुझे योगा करना अच्छा लगता है। इससे मुझे शांति मिलती है। हमारी लाइफ अब ऐसी हो गई है कि काम का दबाव तो बना ही रहता है। मेरा मानना है कि हर चीज के बारे में पॉजिटिव सोच रख कर भी आप खुद को अंदर से फिट रख सकते हैं।
कौन सा डाइटचार्ट फालो करती हैं..
मैंने अपने लिए कोई डाइट चार्ट तो नहीं बनाया हुआ है, लेकिन मेरी कोशिश रहती है कि कम कार्बोहाइड्रेट, हाई प्रोटीन और हाई फाइबर वाला खाना लूं। नाश्ते में मैं कभी अंडे तो कभी साउथ इंडियन फूड लेती हूं। प्रोटीन स्नेक्स भी लेती हूं, जिनसे एनर्जी बनी रहती है। सलाद लेना मुझे बहुत पसंद है। रोस्टेड चिकन मिल जाए तो मैं कुछ और देखती भी नहीं हूं। दाल काफी लेती हूं, क्योंकि इसमें प्रोटीन ज्यादा होता है। मुझे अपनी दाल में ढेर सारा लहसुन अच्छा लगता है। साथ ही खाने में अचार लेना तो हम मराठियों की कमजोरी है।
 जंकफूड बिलकुल नहीं लेती...
आप चाहें दिल को कितना भी समझाएं, जीभ को नहीं समझा सकते।कभी-कभार जंक फूड भी लेती हूं
 मुग्धा गोडसे के ब्यूटी टिप्स
खूबसूरती को मिंटेन करने के लिए खासतौर से अपनी स्किन का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। अपनी बॉडी को समझ कर हमें ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना चाहिए न कि टेलीविजन में उसके विज्ञापन देख कर। अपने चेहरे को मैं बार-बार धोती हूं और रात को बिना मेकअप साफ किए नहीं सोती हूं। इसी तरह से अपने बालों को भी हमेशा साफ रखती हूं। मेरा मानना है कि स्किन और बालों की भी सफाई होती रहे तो सुंदर दिखने के लिए यह काफी है।

शनिवार, 7 अप्रैल 2018

रोक-टोक- रिश्ताें की प्यारी कहानी-दर्शना बांठिया


सुमित और समीरा में बहुत अच्छी दोस्ती थी....और ये दोस्ती कब प्यार में बदल गई, पता ही नहीं चला।
शादी करने में काफी अड़चने आई , क्योंकि अन्तरजातीय विवाह था......पर दोनों ने आपसी समझ से सब सँभाल लिया।
दोनों खुशी से हनीमून मनाने गए। वापसी के समय प्लेन में सुमित ने समीरा को कई हिदायतें दी.....
"सुमी अब तुम्हें बहुत सँभल कर रहना है...मम्मी को शिकायत का एक मौका भी मत देना"....'कैसे रहना.....कब कैसे  कपड़े पहनना.....कब बोलना....वगैरह....-वगैरह  ढेरों अटकलें  सुमित ने बताई।
समीरा हैरानी से सुमित को देखने लगी.....,और बोली..."पता है सुमित..... मैं भी एक जॉन्ट फैमिली से आई हूँ,ये सारी बातें मैं भी जानती हूँ...,तुम ज्यादा ही सोच रहें हो."...।
तभी अनाउंसमेंट हुई और दोनों अपने सीट बेल्ट उतारकर ,बैग लेकर जाने लगे।
"सुमी घर में घुसने से पहले चुन्नी से सर ढ़क लेना....,और जो भी गिफ्टस लाएं है ,वो पहले सबको दे देना".... सुमित बोला।
समीरा समझदार थी,वो चुप-चाप सुन रहीं थी, उसे लगा शायद हमारी लव मैरिज हुई है,इसलिए ज्यादा नर्वस हो रहा है।
"आ गए बच्चों"....सुमित की मम्मी उनको वेलकम करनें के लिए बाहर  लॉन में खड़ी थी,
सुमी ने प्रणाम किया...और सामान अंदर ले जाने लगी..।
अरे!बेटा ये सब छोड़ो ......सुमित ले आएगा.,. सुमित की माँ ,समीरा का हाथ पकड़ कर  अंदर ले गई।
धीरे धीरे समीरा ने सबके दिल में जगह बना ली.....सुमित की मम्मी अपनी बहु से खुश थी।
"सुमी.....तुम मम्मी से हंसी -मजाक मत किया करो.....और कल पापा बैठे थे,फिर भी सर नहीं ढका ,उन्हें बुरा लगा तो."...सुमित बोला।
समीरा हैरानी से देखती है,और बोलती है,"मम्मी ने आपसे कुछ कहा क्या ...वो भी मेरे से हंसते -बोलते है....तो मुझे लगा उन्हें ये सब पसंद है....
'नहीं उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा'.,पर फिर भी....सुमित बोला।
''तो आप को क्या परेशानी है...घर में चार ही लोग है...आप और पापा ऑफिस चले जाते हो .....तो किससे बातचीत करें",
"सुमित आप बेवजह ही परेशान हो रहे हो.....सब  कुछ ..सही चल रहा है"-समीरा ने नाराजगी से बोला।
【समीरा को बहुत बुरा लगता कि, वो सब का ध्यान रखती है,सब उससे खुश है,फिर भी सुमित क्यों रोक-टोक करता है....शादी से पहलें तो ऐसा  नहीं था....पर अब क्यों?】
अगले दिन समीरा उदास मन से किचन में सब्जी बना रही थी तभी समीरा की सास बोली:-
"क्या हुआ बेटा,आज तबीयत ठीक नहीं है क्या.,या सुमित ने कुछ कहा.....उसकी तो खैर नहीं आज.....सुमित......इधर आ तो."
हाँ ...बोलो माँ.......,सुमित बोला।
"तूने बहु से कुछ कहा.....,झगड़ा किया.....देख ना सुबह से चुप सी है....
जब तक हम दोनों हंसी मजाक न करें,मेरा तो दिन ही शुरू नहीं होता....और ये क्या..... कल तो पापा ने मना किया था ...कि "पल्लू वगैरह कुछ नहीं लेना....शर्म आँखों में होनी चाहिए..., और तू तो हमारी  बेटी जैसी है"....समीरा की सास ने प्यार से उसे गले लगा लिया।
समीरा सुमित को देखने लगी,सुमित नजरें नीची कर किचन से बाहर चला गया।
            सच है दोस्तों,शादी के समय हमें कितनी  हिदायतें दी जाती है , ऐसा करना है....ऐसे बोलना है,कभी-कभी ऐसे लगता है कि हम दूसरे ग्रह से आयीं है ,जो इतनी बातें कर रहें हो,हम भी परिवार के बीच में रहे  है ,सही -गलत सब जानते है,फिर भी  रोक-टोक करना हमेशा चालू रहता है।

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

खुश रहना डाेना- साेमा सुर


कल डोना  को देखा, पहले की तरह हँसती मुसकुराती । बहुत अच्छा लगा। थोड़े दिन पहले जब मै उससे मिली थी ,तब  न तो उसके होठो पर हँसी थी न तो कोई  रौनक । आइए, पहले आपसे डोना का परिचय करवा दूँ।  ६ साल पहले की बात है जब हम इस नये शहर मे आये , डोना कि फेमिली  से हमे हमारे किसी परिचित ने मिलवाया था और डोना परिचय करवाया था,"  शी इज वेरी टेलेंटेड गर्ल। शी इज इन क्लास फीव्थ।गाट फर्स्ट पाेजिशन  इन एवरी क्लास। शी इज सुपर डांसर, सिंगर एंड आर्टिस्ट। शी गाट गाेल्ड मैडल्स इन एवरी ड्राइंड कंप्टीशन, सिंगिंग एंड डांस कंप्टीशन।(She is very talented girl . She is in class 5th . Got 1st position in every  class. She is super dancer , singer and artist . she got gold medals in every drawing competitions , singing and dance competitions.)  साथ मे उसकी मॉ  ने उसके कुछ और एचीवमेंट्स के बारे मे बताया । जैसे कितने गाेल्ड मैडल, शील्ड्स हैं और उन्हे इन सबको रखने को लिये एक नया शाेकेस बनवाना है । क्योकि मेरा बेटा भी फीव्थ मे ही था , तो उन्होने उसके  एचीवमेंट्स  जानने चाहे।  ड्राइंग,मेरे बेटे को लिये आड़ी तिरछी रेखाएं खींचना ही एक एचीवमेंट्स  थी । हॉ सिंगिंग का उसको शौक था पर हम उससे पहले एक छोटे शहर मे रहते थे जहॉ हम चाह कर भी उसे कुछ सिखा नही सके । ये सब सुनकर वो बहुत हताेत्साहित हुये और मुझे अच्छा खासा भाषण भी दिया । उन्हाेंने कहा, आजकल एक्स्ट्रा कैरिकुलर एक्टीविटी बहुत जरूरी है । हमारी बेटी तो जीवल है।इसकी मॉ  तो सारा दिन इसके पीछे ही लगी रहती है।

मैने जानना चाहा कि इतनी छोटी लड़की इतना सब कैसे मैनेज करती है । उसकी मॉ  ने मुझे बताया हम तो  टाइम मैनेजमेंट करते है , स्कूल से आने को बाद उसके क्लासेज डिवाइड होते है । शाम को 4 बजे से 8बजे तक । फिर घर पर आकर स्कूल की स्टडीज। सच बताँऊ,  एक बार तो मुझे फील हुआ कि क्या मै इतनी अच्छी मॉ नही हूँ ?

उसके बाद हम जब भी मिलते तो डोना  के गाेल्ड मैडल और प्राइज की लिस्ट भी बढ़ती जा रही थी। फिर हमारे बच्चे 9क्लास मे आ गये । डोना का सलेक्शन एक नामी  काेचिंग सेंटर मे हो गया । और शुरू हुई उससे और ज्यादा बेहतर करने की  उम्मीद । मंथली टेस्ट मे कितनी  पाेजिशनआयी इससे मेजरमेंट होता था उसका  आईक्यू  , और  इंडीनियरिंग मे   एडमिशन के चांसेज। बुरी तरीके से पिस रही थी वो छोटी सी बच्ची, मॉ - बाप और टीचरो की उम्मीदों के बीच । अब हमेशा उसके सिर मे दर्द रहता था। पढ़ नही पाती थी।  डिप्रेस्ड थी। एक दिन उसने अपनी सारी किताबें फाड़ दी । उसके पेरेंट्स उसे काउंसलिंग को लिए ले गये । कांउसलर्स कि सलाह पर अभी उसकी स्टडीज बिलकुल बन्द हैं । इस बार वो बाेर्ड नही देगी । लोग उससे  पुछते हैं तो उसकी मॉ उससे पहले ही नार्मली कह देती हैं डोना इस बार एग्जाम नही देगी।  और उस समय उसके चेहरे की चमक और बढ़ जाती है । लोग पीठ पीछे कहते है देखो एग्जाम नही दे पी रही फिर भी कितनी खुश लगती है। पर डोना,  मुझे पता है कि तुम खुश हो क्योकि तुम्हारे  पेरेंट्स अब तुम्हारे साथ है, उन्हें तुम्हारे नंबराें से अब कोई मतलब नही । तुमसे वो कितना प्यार करते है ये उन्होने साबित कर दिया। तुम हमेशा हँसती, मुसकुराती रहो । जीवन मे आगे बढ़ो । हमारी शुभकामनायें हमेशा तुमहारे साथ हैं ।

गुरुवार, 5 अप्रैल 2018

थके थके से क्यों हैं आप? डॉ.अनुजा भट्ट


हर सोमवार जब हम सुबह उठते हैं तो खुद को थका हुआ महसूस करते हैं और इसके लिए पिछले सप्ताह की व्यस्त कार्यशैली को उत्तरदायी ठहराते हैं। लेकिन हम यह महसूस नहीं करते कि इसकी वजह हमारी कार्यशैलीहै। पर्याप्त मात्रा में नींद न आना, व्यायाम न करना, पोषण युक्त भोजन न करना जैसे पर्याप्त कारण हैं जो आपके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आपकी जीवनशैली फिलहाल आपको बहुत खुशी दे रही है लेकिन कुछ ही समय बाद जब हमारा शरीर साथ देना बंद कर देगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। बहुत सारे लोग इस बारे में नहीं जानते कि पर्याप्त नींद न होने से या नींद में कमी आने से, स्वास्थ्यवर्धक खाना न खाने से और समय पर व्यायाम न करने से हम बहुत सारी बीमारी को निमंत्रण दे रहे हैं। जैसे मोटापा, ह्रदय संबंधी बीमारी कैंसर, डायबिटीज आदि। और दूसरी तरफ जो लोग जानते हैं और अनदेखी कर रहे हैं उनके शरीर की शक्ति धीरे-धीरे कम हो रही है।भारत में इस समय दो तरह की बीमारी है पहली संक्रामक और दूसरी असंक्रामक। जो तनाव, अस्वस्थ जीवनशैली और व्यायाम न करने के कारण है। शहरी जीवन में डायबिटीज, हायपरटेंशन, क्रानिक हार्टएलिमेंट्स और कैंसर जैसी बीमारियां बड़ी तेजी से फैल रही हैं। दूसरी तरफ नालों का खुला होना, शौचालय न होना, स्वच्छ पानी का अभाव डैंगू जैसी बीमारी के लिए जिम्मेदार है। दूसरी समस्या है मोटापा। यह बच्चो से लेकर बड़ों सभी को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। नींद न होने के कारण दोपहर में नींद आना, सुबह उठते समय सिरदर्द की शिकायत, सीखने की क्षमता और स्मरण शक्ति का कमजोर होना, चिड़चिड़ापन होना या फिर तनाव महसूस करना, मूड चेंज होना जैसे लक्षण दिखाई दें तो सावधान हो जाएं। सांस का कभी- धीमी य कभी तेज गति से चलना भी खतरनाक है। धीरे धीरे आपकी श्वांसनलिका का द्रार छोटा होता जा रहा है और गले का आकार सामान्य से बड़ा। यह एक गंभीर खतरा है। हम सब इसकी अनदेखी कर रहे हैं। हम जंकफूड खाते हैं जो हमारे शरीर से निकलता नहीं है बल्कि जमा हो जाता है। यह हमारे लीवर को क्षतिग्रस्त करता है।यही वह कारण है जिसकी वजह से भारत में लीवर ट्रांसप्लांट कराने वालों संख्या बढ़ती जा रही है।

Special Post

मिथक यथार्थ और फेंटेसी का दस्तावेज-डॉ. अनुजा भट्ट

  (अब पहले की तरह किस्से कहानियों की कल्पनाएं हमें किसी रहस्यमय संसार में नहीं ले जाती क्योंकि हमारी दुनिया में ज्ञान, विज्ञान और समाज विज्...