शनिवार, 7 अप्रैल 2018

रोक-टोक- रिश्ताें की प्यारी कहानी-दर्शना बांठिया


सुमित और समीरा में बहुत अच्छी दोस्ती थी....और ये दोस्ती कब प्यार में बदल गई, पता ही नहीं चला।
शादी करने में काफी अड़चने आई , क्योंकि अन्तरजातीय विवाह था......पर दोनों ने आपसी समझ से सब सँभाल लिया।
दोनों खुशी से हनीमून मनाने गए। वापसी के समय प्लेन में सुमित ने समीरा को कई हिदायतें दी.....
"सुमी अब तुम्हें बहुत सँभल कर रहना है...मम्मी को शिकायत का एक मौका भी मत देना"....'कैसे रहना.....कब कैसे  कपड़े पहनना.....कब बोलना....वगैरह....-वगैरह  ढेरों अटकलें  सुमित ने बताई।
समीरा हैरानी से सुमित को देखने लगी.....,और बोली..."पता है सुमित..... मैं भी एक जॉन्ट फैमिली से आई हूँ,ये सारी बातें मैं भी जानती हूँ...,तुम ज्यादा ही सोच रहें हो."...।
तभी अनाउंसमेंट हुई और दोनों अपने सीट बेल्ट उतारकर ,बैग लेकर जाने लगे।
"सुमी घर में घुसने से पहले चुन्नी से सर ढ़क लेना....,और जो भी गिफ्टस लाएं है ,वो पहले सबको दे देना".... सुमित बोला।
समीरा समझदार थी,वो चुप-चाप सुन रहीं थी, उसे लगा शायद हमारी लव मैरिज हुई है,इसलिए ज्यादा नर्वस हो रहा है।
"आ गए बच्चों"....सुमित की मम्मी उनको वेलकम करनें के लिए बाहर  लॉन में खड़ी थी,
सुमी ने प्रणाम किया...और सामान अंदर ले जाने लगी..।
अरे!बेटा ये सब छोड़ो ......सुमित ले आएगा.,. सुमित की माँ ,समीरा का हाथ पकड़ कर  अंदर ले गई।
धीरे धीरे समीरा ने सबके दिल में जगह बना ली.....सुमित की मम्मी अपनी बहु से खुश थी।
"सुमी.....तुम मम्मी से हंसी -मजाक मत किया करो.....और कल पापा बैठे थे,फिर भी सर नहीं ढका ,उन्हें बुरा लगा तो."...सुमित बोला।
समीरा हैरानी से देखती है,और बोलती है,"मम्मी ने आपसे कुछ कहा क्या ...वो भी मेरे से हंसते -बोलते है....तो मुझे लगा उन्हें ये सब पसंद है....
'नहीं उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा'.,पर फिर भी....सुमित बोला।
''तो आप को क्या परेशानी है...घर में चार ही लोग है...आप और पापा ऑफिस चले जाते हो .....तो किससे बातचीत करें",
"सुमित आप बेवजह ही परेशान हो रहे हो.....सब  कुछ ..सही चल रहा है"-समीरा ने नाराजगी से बोला।
【समीरा को बहुत बुरा लगता कि, वो सब का ध्यान रखती है,सब उससे खुश है,फिर भी सुमित क्यों रोक-टोक करता है....शादी से पहलें तो ऐसा  नहीं था....पर अब क्यों?】
अगले दिन समीरा उदास मन से किचन में सब्जी बना रही थी तभी समीरा की सास बोली:-
"क्या हुआ बेटा,आज तबीयत ठीक नहीं है क्या.,या सुमित ने कुछ कहा.....उसकी तो खैर नहीं आज.....सुमित......इधर आ तो."
हाँ ...बोलो माँ.......,सुमित बोला।
"तूने बहु से कुछ कहा.....,झगड़ा किया.....देख ना सुबह से चुप सी है....
जब तक हम दोनों हंसी मजाक न करें,मेरा तो दिन ही शुरू नहीं होता....और ये क्या..... कल तो पापा ने मना किया था ...कि "पल्लू वगैरह कुछ नहीं लेना....शर्म आँखों में होनी चाहिए..., और तू तो हमारी  बेटी जैसी है"....समीरा की सास ने प्यार से उसे गले लगा लिया।
समीरा सुमित को देखने लगी,सुमित नजरें नीची कर किचन से बाहर चला गया।
            सच है दोस्तों,शादी के समय हमें कितनी  हिदायतें दी जाती है , ऐसा करना है....ऐसे बोलना है,कभी-कभी ऐसे लगता है कि हम दूसरे ग्रह से आयीं है ,जो इतनी बातें कर रहें हो,हम भी परिवार के बीच में रहे  है ,सही -गलत सब जानते है,फिर भी  रोक-टोक करना हमेशा चालू रहता है।


















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