VAGEESHA CLUB

जीभरकर साेएं बदलें में इनाम भी पाएं- डा. अनुजा भट्ट

जापान में शादियां आयाेजित करने वाली एक कंपनी क्रेजी इंक अपने उन कर्मचारियों को वेतन से अलग एक इनाम देती है, जो अच्छी नींद के बाद दफ्तर पहुंचते हैं।हफ्ते के पांचों दिन कम से कम 6 घंटे की नींद लेने वाले कर्मचारियों को पूरे साल अवॉर्ड में कुछ पॉइंट्स देती है, जिनकी कीमत 570 डॉलर यानी करीब 41 हजार रुपये है। इन पॉइंट्स को कर्मचारी दफ्तर की कैंटीन में खर्च कर सकते हैं। यानी अच्छी नींद के बदले मिलेगा फ्री खाना।
कंपनी का मानना है कि बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए कर्मचारियों के लिए पर्याप्त नींद जरूरी है। इसलिए उन्होंने पर्याप्त नींद लेने वाले कर्मचारियों को इनाम देने का फैसला किया है। कंपनी के प्रमुख केजूहिको मोरियामा का कहना है कि हमें कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करनी होगी नहीं तो देश खुद-ब-खुद कमजोर हो जाएगा। यह कंपनी ऐप के जरिए सोने का ट्रैक जारी करती है। खासतौर पर विकसित किए गए एक ऐप के जरिए सोने के घंटे का ट्रैक रखा जाता है।
यह कंपनी नींद के अलावा बेहतर पोषण, व्यायाम और कार्यालय में पॉजिटिव माहौल को बढ़ावा भी देती है।
‘फुजी रियोकी’ नाम की कंपनी के सर्वे के मुताबिक, 20 साल से अधिक उम्र के 92 प्रतिशत से ज्यादा जापानियों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त नींद नहीं मिल रही है। एेसी स्थिति में यह कदम बेहद सराहनीय है।

निंरतर प्रयास से ही मिलती है सफलता

  प्रयास तभी सफल  हाे  सकते हैं  जब आप नियमित रूप से एक साधना  की तरह उसे करें।यह बात मैं अपने निजी अनुबव से  कह रही हूं। आत्मअनुशासन आपकाे सफलता देता है और  अगर आप चूक गए ताे आपकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। पहले मैं साेचती थी मेहनत पर पानी फिर जाने का   क्या अभिप्राय हा सकता है। इसी तरह

दुर्गा पूजा 2018


क्या आपकी जेब में 5 रूपये हैं ......

साेशल मीडिया के जरिए भी आप सामाजिक कार्य  कर सकते हैं।  इसके जरिए आप अपने सपने काे कई लाेगाें के साथ साझा कर सकते हैं। अभी दशहरे के दिन हल्द्वानी में थाल सेवा का शुभारंभ  हुआ। थाल सेवा स्थानीय नागरिकों की एक पहल है जिसे सोशल मीडिया द्वारा क्राउड फंड किया जाता है। हल्द्वानी के 10 नागरिकों के समूह ने एक साथ मिलकर यह सेवा चलाई है जिसमें 400 ग्राम मात्रा में चावल, सब्जी, दाल और सलाद होती है। इस ग्रुप के फाउंडर में हाउसवाइव्स, प्रफेशनल और स्थानीय व्यापारी भी शामिल हैं जो वॉट्सऐप और फेसबुक के जरिए फंड इकट्ठा करते हैं।

 इस भरपेट भोजन के लिए उन्हें सिर्फ 5 रुपये अदा करने होते हैं और खाना भी विशेष खानसामाओं की निगरानी में तैयार किया जाता है। इस पहल का नेतृत्व करने वाले दिनेश मनसेरा बताते हैं, 'हमने इस विचार के साथ इस मुहिम की शुरुआत की कि जो लोग अपने पारिवारिक सदस्य या किसी रिश्तेदार का हल्द्वानी के सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आते हैं, उनको भोजन उपलब्ध कराया जा सके।' वह आगे कहते हैं, ''उनमें से कई ऐसे हैं जो भरपेट भोजन नहीं वहन कर सकते। इस तरह हमने प्रॉजेक्ट का स्कोप बढ़ाकर उन सभी लोगों को इसमें शामिल किया जिन्हें उचित मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता।

उन्हें इस नेक काम की बदौलत उन्हें कनाडा, दुबई और मॉरीशस से भी डोनेशन मिलता है।  अस्पताल में अपने किसी करीबी का इलाज कराने आए पान सिंह बताते हैं, 'मील सर्विस उन लोगों के लिए बड़ी मदद है जिन पर अपने किसी पारिवारिक सदस्य की देखभाल करने का जिम्मा होता है।'

सोशल मीडिया में इस पहल को देखकर डोनेट करने वाले स्कॉटलैंड के सॉफ्टवेयर इंजिनियर आतिन अरोड़ा बताते हैं, 'इस तरह दान करना संतोषजनक है जिससे लोगों को मदद मिले।' यह समूह विकलांगों और मानसिक रूप से बीमार लोगों से पैसे नहीं लेता है।

दुर्गा पूजा - एक नजर फैशन पर भी- डा. अनुजा भट्ट

 उत्सव का माैसम आ गया है। पूजा, करवाचौथ, दीपावली स लेकर नए साल केआगाज तक। माैसम में मस्ती पूरी तरह घुली हुई है। और एेसे  माैसम में हम फैशन की बात न करें ताे यह कैसे हाे सकता है। हर त्याैहार के माैके पर नए परिधान पहनना फत्सव का स्वागत भी है और उल्लास का प्रतीक भी।
 इस बार फैशन में गिंगम स्टाइल (चेक प्रिंट) में ड्रेसेस का चलन  नजर आ रहा है। कहने वाले इसे माेदी जी क गमछे प्रेम से भी जाेड़ रहे हैं। जाे भी हाे वेस्टर्न फैशन से इंस्पायर्ड इंडियन गिंगम पुरुष अपने गले में डाले नजर आते रहे हैं। यही गमछा अब साड़ी में भी आ चुका है। गमछे की लाइंस और बॉक्स जिन्हें चेक्स भी कहते हैं, साड़ी में नए फैशन के रूप में उभरे हैं।  कॉटन साड़ी में पेस्टल और वाइब्रेंट कलर कॉम्बिनेशन में गमछा साड़ी यंग दीवाज़ से लेकर साड़ी लवर्स तक को खासी पसंद आ रही हैं। लगभग सभी कलर्स में इन्हें तैयार किया जा रहा है। इनका कूल अंदाज इन्हें समर फ्रेंडली साड़ी की लिस्ट में टॉप चॉइस में शामिल कर रहा है। इसे महिलाएं खूब कैरी कर रही हैं। 

ज्वैलरी  के साथ स्टाइलिंग


चेक्स साड़ी के साथ स्टाइलिंग के लिए कच्छ की भुजोड़ी ज्वेलरी यानी सिल्वर ऑक्सीडाइज, ट्राइबल ज्वेलरी को टीम-अप कर सकते हैं। इसके साथ शर्ट स्टाइल में ब्लाउज़ तैयार करवा सकते हैं। इसके अलावा मोजड़ी और एंब्रॉइडरी वाली जूतियां या जूते, सैंडल भी इसके साथ बहुत ही अच्छा लुक देती हैं।

खादी, लिनन, कॉटन का प्रयोग

फैशन एक्सपर्ट सपना सिंह परमार बताती हैं, जया जेटली ने वीवर्स की अामदनी बढ़ाने यह आइडिया विकसित किया। यह जीरो मेंटनेंस साड़ी है, जिसे वॉश एंड आयरन करना काफी है। यह स्टेटमेंट साड़ी एलीट क्लास का फैशन बन चुकी है जो कि खादी, लिनन, कॉटन में बन रही है। यह पाउडर, पेस्टल शेड्स में तैयार हो रही हैं। इसके एजेस में पोम-पोम, डेकोरेट एजिंग की जाती है। साड़ी लवर अपराजिता अग्रवाल कहती हैं, इसमें मिक्स ऑफ चेक्स, स्ट्राइप्स बहुत अच्छी लगती हैं।

मिसेज इंडिया फोटोजेनिक निधि जायसवाल बताती हैं कि युवा मोटिफ प्रिंट, गमछा प्रिंट, टसर सिल्क, बाटिक प्रिंट, अफगान ज्वेलरी, आर्टिफिशियल ज्वेलरी युवा को काफी भा रही है। मोटिफ का मतलब होता है छपाई की प्रक्रिया, जिसमें एक ही डिजाइन और पैटर्न को पूरे आउटफिट पर बनाया जाता है। मोटिफ प्रिंट को ब्लॉक प्रिंट भी कहा जाता है और इस बार दुर्गा पूजा के लिए मोटिफ प्रिंट के आउटफिट सबसे अधिक जंचने वाले हैं। कपड़ों के स्टोर्स में आपको मोटिफ प्रिंट के कई सारे आउटफिट मिल जाएंगे और आप चाहें तो ऑनलाइन भी इसे खरीद सकती हैं। इसमें आपको साड़ी से लेकर पैंट्स तक सब कुछ मिल जाएगा।
गमछा यह एक अनोखा हाथ से बना कपड़ा होता है, जिसे विशेष रूप से बंगाल के घरों में प्रयोग किया जाता है। यह काफी मुलायम और पहनने में आसान होता है। डिजाइनर्स अब गमछा से साड़ी से लेकर कई तरह की ड्रेस बनाने लगे हैं। इसमें स्टाइलिश गमछा कुर्ती, सूट-सलवार प्रमुख रूप से शामिल है।

: पारंपरिक सिल्क का कपड़ा होता है टसर और बंगाल और भारत के अन्य हिस्सों में व्यापक रूप से इसकी खेती की जाती है। कई सालों से लोग टसर का प्रयोग साड़ी बनाने में करते हैं। टसर सिल्क की साड़ी हर वर्ष की तरह वर्ष भी हिट है। इस साल भी आप टसर की सिल्क साड़ी में थोड़ा बदलाव कर पहन सकती हैं। टसर सिल्क पर एंब्राम्यडरी की हुई साड़ी इस दुर्गा पूजा में आपकी खूबसूरती के साथ-साथ स्टाइल में चार चांद लगा देगा।

अफगान व आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनीं पसंद: कपड़ों के साथ-साथ फैशन और ट्रेंड में ज्वेलरी भी चल रही है। इस साल दुर्गा पूजा पर अफगान ज्वेलरी खूब जंचेगी। इसे आप साड़ी, कुर्ता या फिर किसी भी ड्रेस के साथ मैच कर सकती हैं। इतना ही नहीं युवाओं के बीच आर्टिफिशियल ज्वेलरी भी पसंद में शुमार है।

लड़कों में कुर्ता-पायजामा ऑन डिमांड: युवाओं को फेस्टिव लुक मिले, इसके लिए नए-नए रंगों के साथ उनके कलेक्शन पेश किए गए हैं। इस पूजा बाजार में प्रिंट्स का चलन है। इन शर्ट को फॉर्मल पैंट और कैजुअल जींस के साथ भी पहनने के लिए डिजाइन किया गया है। इस बार पूजा में यंगस्टर्स के लिए बैलून पैंट और कुर्ता-पायजामा, धोती स्टाइल जैसे ट्रेडिशनल कपड़ों को नए लुक में पेश किया गया है। फ्लोरल प्रिंट्स, डॉट्स, चेक्स और ज्योमैट्रिकल प्रिंट्स पसंद किए जा रहे हैं। रग्गड़ जींस और स्मार्ट फिट ट्राउजर भी चलन में हैं। बंडी और लांग बंडी के भी नए कलेक्शन में हैं।

मेवे खाएं, भिगाेकर खाएं, सेहत बनाएं

ड्राईफ्रूट्स को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। यह दिमाग के लिए टॉनिक का काम करते हैं। लेकिन इनकाे खाने से पहले हमें काफी एहतियात बरतनी चाहिए। दरअसल,सूखे मेवों की तासीर गर्म होती है इसलिए इन्हें भिगोकर खाया जाना चाहिए। मेवों में उच्च मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है इसलिए ऐसे लोग जिन्हें किडनी रोग, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल या पाचन संबंधी रोग हो वे इन्हें डॉक्टरी सलाह के बाद ही खाएं।
सूखे मेवे या ड्राईफ्रूट्स को भले ही स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है, यह दिमाग के लिए टॉनिक का काम भी करता है, लेकिन क्‍या आपको पता है इसके नुकसान भी होते हैं।
सूखे मेवों की तासीर गर्म होती है इसलिए इन्हें भिगोकर खाया जाना चाहिए। किसी भी ड्राईफ्रूट को खाने से पहले इन्हें 6-8 घंटे पानी में भिगोकर रखना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे कि जिस पानी में आपने इन्हें भिगोया है उस पानी का प्रयोग दोबारा न करें क्योंकि इसमें छिलके की ऊपरी परत पर मौजूद दूषित कण शेष रह जाते हैं। मेवों से बने उत्पाद खाने की बजाय इन्हें ऐेस ही खाना चाहिए।
 बादाम
बादाम में कैल्शियम,विटामिन ई, विटामिन बी और फाइबर मौजूद होते है जिससे ये सेहत के लिए जितने अच्छे हैं ,वहीं इनका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि अधिक बादाम खाने से आपको कब्ज़ हो सकती है, इसलिए दिन में 5 बादाम से ज्य़ादा न खाएं।
बादाम से मोटापा भी बढ़ाता है। इसलिए बादाम का सीमित मात्रा में सेवन करें। बादाम मौजूद 65 प्रतिशत मोनोसेचुरेटिड फैट शरीर के बैड कोलेस्ट्रॉल को कमऔर अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। बादाम में विटामिन ई, विटामिन बी और फाइबर मौजूद होते हैं। कैल्शियम की अच्छी मात्रा होने की वजह से बादाम महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। बादाम को बिना छीले खाना चाहिए, क्योंकि इसके छिलकों में फ्लेवोनॉइड्स नाम का एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो हृदय और रक्त धमनियों को सुरक्षित रखने में सहायक होता है।
. सूखी अंजीर
माेटापा कम करने में कारगर अंजीर चाहे भूख को नियंत्रित रखने में सहायक होती है लेकिन इसका अधिक सेवन जिगर के लिए हानिकारक हो सकता है। अंजीर बहुत गर्म होती है, इसलिए 5 दाने से ज्य़ादा न खाएं।  इसमें फाइबर और पोटैशियम की मात्रा ज़्यादा होती है। मोटे लोगों को सूखी अंजीर का सेवन करना चाहिए।यह उनका वज़न कम करने में भी सहायक होती है।
.पिस्ता-पिस्ता हृदय रोगियों के लिए बेहद लाभकारी है,यह विटामिन बी-6 का प्रमुख स्रोत है। डाइटिंग कर रही महिलाओं के लिए पिस्ता फायदेमंद होता है, क्योंकि इससे पेट ज़्यादा देर तक भरा रहता है।लेकिन ज़्यादा पिस्ता खाने से आपको एसिडिटी की दिक्कत हो सकती है। पिस्ते में नमक होने की वजह से ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए ज्यादा नुकसानदायक होता है।   इसमें विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं।  पिस्ते में नमक होने की वजह से हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के नुकसानदायक हाे सकता है।
किशमिश
यदि आपकी याददाश्त कमज़ोर हो गई है और आप भूलने लगते हैं तो किशमिश का सेवन बहुत बढ़िया है। इसे एक बढ़िया एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है, जो स्टैमिना बढ़ाता है। परंतु हमेशा इसका सेवन भिगोकर ही करना चाहिए। किशमिश के सेवन से पेट की कब्ज़ दूर होती है। इसे एक बढ़िया एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है, जो स्टैमिना बढ़ाता है।
काजू
काजू को ड्राय फ्रूट्स का राजा भी कहा जाता है। काजू को प्रोटीन,आयरन, फाइबर और मैगनीशियम का अच्छा स्रोत माना जाता है। काजू का सेवन शरीर को ऊर्जा देने के साथ कई बीमारियों से हमारी रक्षा करता है। काजू ज्यादा न खाएं क्योंकि इससे आपके गले में खुश्की और खांसी हो सकती है और एसिडिटी की दिक्कत भी हो सकती है।
पीनट्स
पीनट्स में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं। अगर पीनट्स को डिब्बे में बंद करके फ्रिज में रखा जाए, तो ये छह महीने तक खराब नहीं होते। जिनको अस्थमा की दिक्कत है, वो प्रेग्नेंसी के समय पीनट्स न खाएं। पीनट्स भी गर्म होते हैं। ज्यादा खाने से आपको गर्मी की शिकायत हो सकती है।
अखराेट
अखरोट  में मौजूद फैट और पौष्टिक तत्व शरीर में इंसुलिन की मात्रा को संतुलित रखने में सहायक होते हैं। एग्ज़ीमा और अस्थमा के रोगियों के लिए अखरोट फायदेमंद होता है। अखरोट से टाइप टू डाइबिटीज़ के रोगियों में हृदय रोग की आशंका कम हो जाती है। अखरोट को 10 ग्राम से 20 ग्राम मात्रा में ही खाएं। अखरोट गरम व खुश्क प्रकृति का होता है।अखरोट पित्त प्रकृति वालों के लिए हानिकारक होता है।
साभार ओनली माई हेल्थ

नवरात्रि - नाै व्यंजन, भक्ति शक्ति और जायका



साबूदाना वड़ा



सामग्री
साबूदाना- 1/2 कप
उबला आलू- 1
भूनी हुई मूंगफली- 1/3 कप
जीरा- 1/2 चम्मच
कद्दूकस किया अदरक- 1 चम्मच
बारीक कटी हरी मिर्च- 1 चम्मच
बारीक कटी धनिया पत्ती- 2 चम्मच
नीबू का रस- 1 चम्मच
तेल- तलने के लिए

विधिसाबूदाना को धो लें और लगभग एक 1/3 कप पानी में चार से पांच घंटे तक डुबोकर रखें। जब साबूदाना सारा पानी सोख ले तो उसमें तेल के अलावा अन्य सभी सामग्री डालकर मिलाएं। मिश्रण को आठ हिस्सों में बांटें और उसे गोल आकार दें। कड़ाही में तेल गर्म करें और वड़ा को सुनहरा होने तक पकाएं। टिश्यू पेपर पर रखें ताकि अतिरिक्त तेल निकल जाए। हरी चटनी के साथ गर्मागर्म सर्व करें।

नवरात्रि आलू



सामग्रीआलू- 4
तेल- तलने के लिए
ऑरिगेनो- 1 चम्मच
नीबू का रस- 1 चम्मच
सेंधा नमक- स्वादानुसार
लाल मिर्च पाउडर- 1/2 चम्मच
(काली मिर्च पाउडर भी डाल सकते हैं)

विधिआलू को धो लें और आधे इंच लंबे और आधे इंच चौड़े टुकडे़ में काट लें। आलू के इन टुकड़ों को बर्फ वाले पानी में आधे घंटे के लिए डुबोकर रखें। जब आलू को तलना हो, उससे ठीक पहले उन्हें पानी से निकालें और टिश्यू पेपर की मदद से पानी को पूरी तरह से सुखा लें। कड़ाही में तेल गर्म करें और आलू के टुकड़ों को सुनहरा होने तक तलें। आलू के टुकड़ों को लगातार पलटती रहें। आलू को कड़ाही से निकालें और उन्हें टिश्यू पेपर पर रखें ताकि अतिरिक्त तेल निकल जाएं। तले हुए आलू पर ऑरिगेनो, लाल मिर्च पाउडर, नमक और नीबू का रस छिड़कें। सर्व करें।

मोतिया पुलाव



सामग्रीसामक के चावल- 2 कप
टमाटर- 1
हरी मिर्च- 2
कटी हुई धनिया पत्ती- 2 चम्मच
पनीर- 1 कप
खोया- 1/2 कप
सिंघाड़े का आटा- 2 चम्मच
घी- 4 चम्मच
सेंधा नमक- स्वादानुसार

विधिसामक के चावल को धोकर कुछ देर के लिए किसी अखबार पर फैला दें ताकि अतिरिक्त पानी हट जाए। अब एक चम्मच घी गर्म करें और सामक के चावल को हल्का सुनहरा होने तक भूनें। सेंधा नमक और दो कप पानी डालें। पानी में एक उबाल आने के बाद आंच कम करें और चावल पकाएं। गैस ऑफ करें और चावल को 10 से 12 मिनट तक ढककर रखें। टमाटर के बीज निकालें और उसे काट लें। हरी मिर्च भी काट लें। खोया को मैश करें और उसमें एक चम्मच सिंघाड़े का आटा और पनीर डालकर आटे की तरह गूंदें। आटे की बहुत ही छोटी-छोटी लोई बनाएं और उस पर सिंघाड़े का आटा लगाएं। बचे हुए घी को कड़ाही में गर्म करें और उसमें पनीर और खोया बॉल्स को सुनहरा होने तक तलें। पनीर बॉल्स, कटे टमाटर, हरी मिर्च और धनिया पत्ती को तैयार पुलाव में डालकर मिलाएं और खीरे के रायते के साथ सर्व करें।

मखाने की खीर



सामग्रीदूध- 5 कप
मखाना- 1 कप
चीनी-1 चम्मच
जायफल पाउडर- 1/4 चम्मच
केसर- चुटकी भर
घी- 1 चम्मच
कटा हुआ पिस्ता- गार्निशिंग के लिए

विधिपैन में घी गर्म करें और उसमें मखाना डालकर उसे दो से तीन मिनट तक भूनें। गैस ऑफ करें और मखाने को दरदरा पीस लें। नॉनस्टिक पैन में दूध डालें और जब उसमें एक उबाल आ जाए तो मखाना उसमें डालें और दो से तीन मिनट तक पकाएं। चीनी, जायफल पाउडर और केसर डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। गैस ऑफ करें। पिस्ता से गार्निश करें और सर्व करें।

फलाहारी पनीर



सामग्री
छोटे टुकड़ों में कटे पनीर- 250 ग्राम
कटी हुई धनिया पत्ती- 4 चम्मच
अदरक- एक गांठ
हरी मिर्च- स्वादानुसार
मलाई- 1 कप
दूध- आधा कप
सेंधा नमक- स्वादानुसार
घी- 1 चम्मच

विधिटमाटर को हल्का-सा उबाल कर छिलका उतार लें और टमाटर, अदरक और मिर्च का पेस्ट तैयार कर लें। मलाई और दूध को एक बर्तन में डालकर अच्छी तरह से फेंट लें। कड़ाही में घी गर्म करें और धीमी आंच पर टमाटर वाले पेस्ट को सुनहरा होने तक भूनें। स्वादानुसार नमक भी मिला दें। अब कड़ाही में फेंटी हुई मलाई को डालें। मलाई का रंग बदलने तक उसे चलाती रहें। जब मलाई और मसाला अच्छी तरह से फ्राई हो जाए, तो उसमें पनीर के टुकड़े डाल दें। अच्छी तरह मिक्स करके गैस ऑफ कर दें। धनिया पत्ती से गार्निश कर सर्व करें।

केले का चिप्स



सामग्रीतेल- तलने के लिए
काली मिर्च पाउडर- 1/2 चम्मच
सेंधा नमक- स्वादानुसार
कच्चा केला- 6

विधिकेले का छिलका उतारें। बर्फ वाले ठंडे पानी में नमक डालें और केले को उसमें 10 मिनट के लिए रखें। केले को पतले-पतले स्लाइस में काटकर पानी में ही डालें। कटे हुए केले को पानी में 10 मिनट और रहने दें। कड़ाही में तेल गर्म करें। केले के टुकड़ों को पानी से निकालकर किसी कपड़े पर रखें ताकि केले से सारा पानी हट जाए। तेज गर्म तेल में केले के टुकड़ों को डालें और तल लें। ऊपर से सेंधा नमक और काली मिर्च पाउडर डाल कर पेश करें।



लौकी की खीर



सामग्रीकद्दूकस किया घीया- 1 कप
दूध- 1 लीटर
चीनी- 1 कप
इलायची पाउडर- 1/2 चम्मच
मेवे- 2 चम्मच

विधिदूध को लगभग 20 मिनट तक धीमी आंच पर बीच-बीच में चलाते हुए उबालें। कद्दूकस किया हुआ घीया डालें और दूध के गाढ़ा होने तक पकाएं। चीनी डालकर मिलाएं और पांच मिनट और पकाएं। इलायची पाउडर और मेवे डालकर मिलाएं। गैस ऑफ करें और सर्व करें।



नारियल बर्फी



सामग्रीघी- 1 चम्मच

कद्दूकस किया नारियल- 3/4 कप

बूरा- 5 चम्मच

खोया- 2 चम्मच

केसर- चुटकी भर

पीला फूड कलर- कुछ बूंद

विधिघी और नारियल को माइक्रोवेव सेफ बर्तन में डालकर माइक्रोवेव में एक मिनट तक पकाएं। बूरा (चीनी का पाउडर) डालकर मिलाएं और माइक्रोवेव में सबसे ऊंचे तापमान पर दो मिनट पकाएं। खोया, दूध, केसर और फूड कलर डालकर मिलाएं और माइक्रोवेव में दो मिनट और पकाएं। मिश्रण को चिकनाई लगी किसी प्लेट में डालें और चम्मच के पीछे वाली साइड की मदद से फैलाएं। जब बर्फी थोड़ी ठंडी हो जाए तो उसे फ्रिज में कम-से-कम एक घंटे के लिए रखें। बर्फी के आकार में काटें और सर्व करें।

कुट्टू के दही बड़े



सामग्री
कुट्टू का आटा- 1 कटोरी
दही- 1 किलो
घी या तेल- आवश्यकतानुसार

हरी चटनी की सामग्री
धनिया पत्ती, हरी मिर्च और सेंधा नमक

मीठी सोंठ की सामग्री
इमली, चीनी, सेंधा नमक, काली या लाल मिर्च

विधिकुट्टू के आटे को एक बर्तन में डालकर उसका घोल तैयार करें और उसे10 मिनट तक छोड़ दें। 10 मिनट बाद उसमें दही डालकर अच्छी तरह से फेंट लें। घोल को उतना ही पतला रखें, जितना दाल के बड़े बनाते वक्त रखते हैं। कड़ाही में घी या तेल गर्म करें और बड़े तैयार करें। सारे बड़े तैयार करने के बाद उन्हें तेज गर्म पानी में डालें। इससे बड़े से अतिरिक्त तेल निकल जाएगा। बाकी आधा किलो दही को एक बर्तन में डालकर अच्छी तरह से फेंट लें और उसमें नमक और मिर्च पाउडर मिला दें। धनिया पत्ती को धोकर उसकी चटनी तैयार करें और उसमें सेंधा नमक और नीबू डालें। हरी चटनी तैयार है। इमली को दो-तीन घंटे पहले पानी में भिगो दें। अब उसको हाथ से मसलकर बीज को निकाल दें। इमली के गूदे को एक पैन में डालकर उसे चीनी, नमक और मिर्च के साथ पकाएं। अब बड़ों को पानी से निकालें। फेंटा हुआ दही उसके ऊपर डालें। उसके ऊपर हरी चटनी और मीठी सोंठ डालकर सर्व करें।
साभार- दैनिक हिंदुस्तान

नवरात्रि में रखें अपने खानपान का ख्याल

नवरात्र में लोग नौ दिन व्रत रहकर भगवान की पूजा अर्चना करते हैं, तो कई श्रद्धालु पूरे नव दिनों का उपवास भी रखते हैं। नवरात्रों में व्रत-पूजा की महत्‍ता सालों से चली आई है । आज बदलते समय के साथ ही व्रत पूजा के मायने भी कुछ दि तक बदल गये हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो वज़न घटाने के लिए नौ दिनों का व्रत रखते हैं । लेकिन आहार विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करना बिलुकल गलत है। अगर आप वज़न घटाने के लिए व्रत रख रहे हैं, तो भी आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है ।
बीमार लोगों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही उपवास रखना चाहिए। विशेष तौर पर डायबिटीज या उच्‍च रक्‍तचाप या हृदय के मरीज को। गर्भवती महिलाओं को व्रत रखने से परहेज करना चाहिए। व्रत स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है बशर्ते कुछ बातों का ध्यान रखा जाए।

इन्हें आजमाएं
  • व्रत के शुरुआत में भूख काफी लगती है। ऐसे में पानी में नींबू और शहद डालकर पिएं। इससे भूख को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी।
  • निर्जला उपवास न रखें। इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है और अपशिष्ट पदार्थ शरीर के बाहर नहीं आ पाते। इससे पेट में जलन, कब्ज, संक्रमण, पेशाब में जलन जैसी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
  • एक साथ खूब सारा पानी पीने के बजाए दिन में कई बार नींबू वाला पानी पिएं।
  • व्रत के दौरान चाय, काफी का सेवन काफी बढ़ जाता है। इस पर नियंत्रण रखें।
  • व्रत के दौरान आलू चिप्‍स और दूसरे स्‍नैक्‍स कम से कम खायें।
क्या खाएं
  • सुबह एक गिलास दूध पिएं।
  • दोपहर के समय फल या जूस लें। शाम को चाय पी सकते हैं।
  • कई लोग व्रत में एक बार ही भोजन करते हैं। ऐसे में एक निश्चित अंतराल पर फल खा सकते हैं।
  • रात के खाने में कुट्टू या सिंघाड़े के आटे से बनी पूरी और आलू, पकौड़ी और चीले खा सकते हैं। 

इस डायट प्‍लान को फालो करने के अलावा आपको कुछ और बातों पर भी ध्‍यान देना चाहिए
  • पूरा दिन थोड़ा-थोड़ा खाते रहने की बजाय दिन में 4-5 बार फल या जूस का सेवन करें ।
  • अच्‍छा होगा आप सुबह की शुरूआत हैवी नाश्‍ते से करें ।
  • अपनी स्‍वास्‍थ्‍य स्‍थितियों को देखते हुए ही व्रत करें ।
  • नौ‍ दिन के उपवास का अर्थ यह नहीं है, कि आप दसवें दिन जब खाना खायें तो क‍ुछ भी खा लें ।
  • नौ‍ दिनों के व्रत के बाद आपको संतुलित आहार का ही सेवन करना चाहिए ।
  • साभार- अोनलीमाईहेल्थ

मिस ट्रांसक्वीन इंडिया 2018 का दूसरा संस्करण, मुंबई में वीणा सेन्द्रे ने जीता।


कर्नाटक और अन्य राज्यों की ट्रांस क्वीन ने मिस ट्रांसक्वीन इंडिया 2018 खिताब जीतने के लिए प्रतिस्पर्धा किया जहाँ छत्तीसगढ़ की वीणा सेन्द्रे ने ख़िताब जीता। सानिया सूद फर्स्ट रनर अप रहीं और नमिता अम्मू सेकंड रनर अप रहीं। इस इवेंट में टीवी एक्टर आशीष शर्मा ,बिग बॉस वाले सुशांत दिग्विकर आये थे पेजेंट को जज करने। ब्यूटी पीजेंट - मिस ट्रांसक्वीन इंडिया रीना राय की सोच है। उनका मानना है कि एलजीबीटी समुदाय की स्वीकृति और समावेश केवल तभी हो सकता है, जब हम उनके सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करना शुरू करें, "हमने ललित नई दिल्ली, द ललित मुंबई और द ललित अशोक बैंगलोर में ऑडिशन लिया। मिस ट्रांसक्वीन इंडिया के संस्थापक और अध्यक्ष मिस रीना राय ने कहा, "मैं अब कुछ वर्षों से समुदाय के साथ मिलकर काम करना चाहती हूं, अब मैं उन्हें सशक्त बनाना चाहती हूं, दृश्यता बढ़ा सकती हूं और रोज़गार के अवसर पैदा कर सकती हूं, और इसके माध्यम से एक समावेशी समाज के निर्माण में योगदान देना चाहता हूं।"
गार्नेट एंड गोल्ड मिस ट्रांसक्वीन इंडिया 2018 के लिए मीडिया पार्टनर रहे। ओल्मेक ब्यूटी और ट्रीटमेंट ने तीन लाख़ का सर्जरी विनर को गिफ्ट किया , क्रोनोकेयर गिफ्टींग पार्टनर रहे , सांताचेफ एनजीओ पार्टनर थे।
द ललित हॉस्पिटेलिटी पार्टनर थे । द ललित सूरी हॉस्पिटेलिटी ग्रुप के कार्यकारी निदेशक श्री केशव सूरी, मिस ट्रांसक्वीन इंडिया पेजेंट के साथ सहयोग के बारे में उत्साहित हैं। वह कहते हैं, "इस तरह की पहल के साथ, हम समुदाय के लिए अधिक समावेशी प्लेटफार्म तैयार करने में सक्षम होंगे। उन्हें कॉर्पोरेट, बॉलीवुड और समाज में सही स्वीकृति में प्रतिनिधित्व प्राप्त करें। मैं उन्हें शामिल करने के लिए यात्रा में सबसे अच्छी कामना करता हूं। "इसका लक्ष्य मुख्य लोगों को प्रदर्शन करने वाले स्थान में ट्रांसजेंडर समुदाय को जानना और स्वीकार करना है

मेरे पास 17 वर्षीय बेटा है जो कॉलेज से बाहर निकल गया। वह अब दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से स्नातक की पढ़ाई कर रहा है। समस्या यह है कि, वह घर से बाहर निकलने से इंकार कर देता है और कुछ भी करता है। ऐसे दिन होते हैं जब वह पूरे दिन बिस्तर से उठता नहीं है। वह किसी के साथ बातचीत करना पसंद नहीं करता है। हम उसे परामर्शदाता देखने के लिए राजी करने में सक्षम नहीं हैं। कृपया सुझाव दें कि क्या करना है।

यह वास्तव में एक मुश्किल स्थिति है। पूरी बातचीत आपके साझा गतिशीलता पर निर्भर करती है। सबसे पहले, उसे कॉलेज से बाहर निकलने का क्या कारण था? हो सकता है कि वह अभी भी कारण है कि वह जिस तरह से व्यवहार कर रहा है। खुले रहें और उससे पूछें कि क्या कुछ ऐसा हो रहा है और वह साझा करना चाहता है। उसे समझाओ कि आप बहुत चिंतित हैं।

उसे नाराज करने या उसे छेड़छाड़ किए बिना उससे बात करने के लिए प्रोत्साहित करें। यदि वह आपको पर्याप्त भरोसा करता है, तो शायद वह अंततः आपके लिए खुल जाएगा। जब वह करता है, तो उसे बताने की कोशिश न करें कि उसे क्या करना चाहिए या नहीं करना चाहिए या तुरंत समाधान और सलाह देना चाहिए। बस उसे सुनो और उससे पूछो कि वह क्या करना चाहता है, ताकि वह जिस तरह से महसूस कर सके, वह महसूस न करे।

पुष्टि करें कि आप चाहते हैं कि वह जीवन का आनंद उठाएं, बाहर जाएं और सामाजिककरण करें और यदि वह नहीं करता है, तो यह स्वस्थ नहीं हो सकता है। अगर वह इनकार करता है कि कुछ भी गलत है, तो उसे अपने साथ गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें। चलने के लिए या जिम के साथ जाओ। अगर उसका मनोदशा और व्यवहार वही रहता है, तो उसे एक मनोचिकित्सक या मनोचिकित्सक के पास ले जाएं, क्योंकि एक मेडिकल चेक-अप के लिए जाता है, यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सबकुछ उसके साथ ठीक है। दृढ़ रहो लेकिन अपना ठंडा मत खोना। अपने प्रतिरोध के माध्यम से आपको अभी तक निविदात्मक होने की आवश्यकता है।

मेरा बेटा एक बहिर्वाह है, स्कूल में काफी लोकप्रिय बच्चा है। वह 15 वर्ष है। हाल ही में मैंने देखा है कि वह विशेष रूप से सामाजिक सभाओं पर जोर दे रहा है। वह इसके बारे में बहुत सचेत हो रहा है।

स्टैमरिंग मनोवैज्ञानिक तनाव या कभी-कभी शारीरिक समस्या के कारण हो सकती है। हालांकि, चूंकि यह अभी शुरू हुआ है, यह मनोवैज्ञानिक कारण होने की अधिक संभावना है। उसे अपने बारे में न्याय या अजीब महसूस किए बिना उससे बात करें। यह पता लगाने की कोशिश करें कि क्या कोई ऐसी चीज है जो उसे परेशान कर रही है। क्या वह देर से चिंतित है या क्या ऐसी कोई घटना हुई है जो उसे परेशान कर रही है? यदि वह आपको खोल नहीं रहा है तो आप उसे परामर्शदाता के पास ले जा सकते हैं।

कभी-कभी, मनोवैज्ञानिक घटकों के साथ एक सौदे के बाद भी, किसी को बाधा को दूर करने के लिए अपने भाषण को पुनः प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है। उसे एक भाषण चिकित्सक के पास ले जाएं, जो इस मामले में आपके बेटे की मदद करने के लिए सबसे योग्य है। उसके साथ क्या हो रहा है उसके प्रति संवेदनशील रहें और बोलते समय उसे सही न रखें।

मैं अपने 16 वर्षीय बेटे के दराज में गंज के झुंड में आया हूं। मैं यह तय नहीं कर सकता कि मुझे उसका सामना करना चाहिए या इसे इस बार रहने दें और भविष्य में नजर रखें?

किसी समस्या को अनदेखा करने से आपको असहज टकराव मिल सकता है लेकिन लंबे समय तक सहायक नहीं होता है। इसे देने से समस्या का समाधान नहीं होता है। यदि यह आपके साथ ठीक है, तो हम अनुशंसा करते हैं कि आप उसे बताएं कि आपको दराज में क्या मिला है और उससे पूछें कि वह उसके साथ क्यों था। धैर्यपूर्वक उसे सुनें। एक बार जब आप सुनें कि उसे क्या कहना है, तो उसे बताएं कि यह आपके साथ बिल्कुल सही नहीं है। हालांकि, जब आप इसे संवाद करते हैं, तो अतिव्यापी या क्रोधित न हों। एक शांत लेकिन दृढ़ तरीके से उसके साथ संवाद करें।

बच्चे, बढ़ने के हिस्से के रूप में, आपके द्वारा निर्धारित सीमाओं को धक्का देंगे। वे हमारी दहलीज का परीक्षण करते हैं और हमारी सीमाओं को धक्का देते हैं लेकिन माता-पिता के रूप में, यह सीमा तय करने के लिए हमारा कर्तव्य है। यह आवश्यक नहीं है कि वे हमारे साथ सहमत हों या हर मुद्दे पर हमारे साथ आंखें देखें, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि वे हमारे द्वारा निर्धारित सीमाओं का सम्मान करना सीखें।

उसे बताएं कि यदि यह पहली बार और एक प्रयोग है, तो आप समझते हैं लेकिन आप इसे दोहराना नहीं चाहते हैं। यदि वह इस तर्क के साथ बहस करने का प्रयास करता है कि यह कितना अच्छा है, तो चर्चा को प्रोत्साहित न करें। उसे बताएं कि यह स्वीकार्य नहीं है और जब तक वह आपकी देखभाल में है, यह जारी नहीं रह सकता है। आप यह भी कह सकते हैं कि आपके पास यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि खरपतवार अपने शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है और यह चर्चा के लिए नहीं है।

अगर वह कहता है कि वह फिर से ऐसा नहीं करेगा तो उसे भरोसा करें और उसे वह वादा करने का मौका दें जो वह वादा कर रहा है। ध्यान रखें कि भविष्य में वह एक ही चीज़ दोहरा सकता है और आपको एक ही व्यायाम को दृढ़ तरीके से दोहराना पड़ सकता है। एक सीमा निर्धारित करना अक्सर एक लंबी दोहराव प्रक्रिया होती है, जब तक यह स्पष्ट और स्पष्ट न हो जाए। यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने बेटे पर नजर रखें।

मेरी 13 वर्षीय बेटी अभी भी कभी-कभी अपना बिस्तर बनाती है। उसने मासिक धर्म शुरू कर दिया है। हम उसकी मदद कैसे कर सकते हैं?

विभिन्न भौतिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों के कारण बिस्तर-गीलापन हो सकता है। कुछ बच्चे कभी-कभी तब तक बिस्तर-गीले होते हैं जब तक वे लगभग 12 वर्ष तक नहीं होते हैं या जब तक वे मासिक धर्म शुरू नहीं करते हैं। वह अभी तक सामान्य घंटी वक्र से बहुत दूर नहीं है। मेनारचे के समय, मूत्र पथ के आस-पास एक असहज महसूस करना भी असामान्य नहीं है, जिससे बिस्तर-गीलेपन हो सकता है। कभी-कभी मूत्र पथ में संक्रमण इस प्रकार के एपिसोड का कारण बन सकता है।

उसे पहले एक बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं और सुनिश्चित करें कि इसके लिए कोई शारीरिक कारण नहीं है। शारीरिक रूप से
mere paas 17 varsheey beta hai jo kolej 
मेरी बेटी, जो सांतवीं कक्षा में है, उसके लिए झूठ बाेलना एक आम बात बन गई है। वह बुनियादी चीजों के बारे में भी झूठ बोलती है। इसकी वजह क्या है क्या इसका मनाेवैज्ञानिक पहलू है।

जब कोई बच्चा झूठ बोलना सीखता है तो इसका मतलब है कि वे अपनी वास्तविकता को प्रभावित करने के लिए अपनी कल्पना का उपयोग करना सीख रहे हैं। हालांकि, कक्षा सांतवीं में एक लड़की के लिए यह सामान्य नहीं है।

आपसी बातचीत के जरिए समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। आप शांति से बैठें और अब उससके बात करें। उससे पूछें कि उसके जीवन में क्या चल रहा है और वह क्यों झूठ बोल रही है। कुछ तनाव हो सकते हैं कि जिसका वह सामना कर रही है, और यह तनाव उसे इस तरह से व्यवहार करने के लिए प्रेरित कर रहे हाें। साथ ही, क्या वह सिर्फ आपसे ही झूठ बाेलती है या हर किसी के साथ उसका यह व्यवहार है। क्या वह हर किसी के लिए झूठ बोल रही है? अगर वह सिर्फ आपसे झूठ बोल रही है तो आपको उसके साथ अपने बातचीत के कुछ पहलुओं को बदलने की आवश्यकता हो सकती है। स्पष्ट रूप से समझाएं कि आपके लिए गैर-विचारणीय क्या है। दृढ़ हों। एेसी स्थिति में गुस्सा आना स्वभाविक है पर आपके गुस्से का उसपर काेई असर नहीं पड़ेगा।

आपको दोहराने की आवश्यकता हो सकती है कि झूठ बोलना स्वीकार्य नहीं है। हालांकि, जब आप उसे बताते हैं कि झूठ बोलना सही नहीं है, तो आपको ईमानदारी से निपटने में सक्षम होने के लिए लचीला होना चाहिए। जब भी वह झूठ बोलने के बजाय ईमानदार होने का विकल्प चुनती है तो आपको उसे कबूल और इनाम देने में सक्षम होना चाहिए। अगर आपको लगता है कि समस्या हाथ से बाहर हो रही है, तो आप परामर्शदाता की मदद भी ले सकते हैं। परामर्शदाता न केवल आपकी बेटी की मदद कर सकता है बल्कि आपको यह बताने में भी सक्षम होगा कि उसके साथ क्या हो रहा है और आपसे बेहतर बातचीत करने में मदद करें।
धैर्य रखें
 आपका गुस्सा भी हाे सकता है वजह
कहीं घर में ताेझूठ नहीं बाेलते
 अपनी प्राेमिस नहीं ताेड़िए
 बच्चाें काे भी सारी बाेलिए
सिचुरएशन समझिए
कहानी कविताआें में भी  एेसी लाइन हाेती है जाे झूठ न बाेलने को प्रेरित करती हैं।

टीचर की सुनते हाे मां की भी सुनाे- डॉ. अनुजा भट्ट

साभार -भूपेश पंत
एक बच्चा संभलते नहीं संभलता ,पता नहीं टीचर कैसे इतने बच्चे को संभालते होंगे ।यह अक्सर ही हम सोचते हैं पर इसका उत्तर टीचर से नहीं पूछ पाते।यह गुत्थी टीचर ही सुलझा सकती है और उनको इसके लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। माओं के लिए फिलहाल ऐसे प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं है इसीलिए वह परेशान हैं।  बच्चे आपकी सुनें तो तेज बोलने की बजाय धीमी आवाज में उनसे कुछ कहें। फुसफुसाएं, बच्चे आपकी बात समझने की कोशिश में आपकी जरूर सुनेंगे।बच्चे की बर्थ डे पार्टी में फुसफुसाएं...यदि तुम लोग खरगोश की तरह उछलोगे तो तुम्हें केक मिलेगा। आप भले ही फुसफुसाए हों, थोड़ी देर में सभी बच्चे आपको उछलते हुए मिलेंगे। यदि बच्चों को कोई काम पसंद न आए तो उन्हें टाइमर लगाकर एक मिनट में वो काम पूरा करने को कहें। घर में आप सभी चीजों के लिए टाइमर सेट नहीं कर सकते। लिहाजा कुछ चीजों के लिए वक्त तय कीजिए। जैसे खाना खाने का, अपना कमरा सही करने का।
जो बच्चे छुट्टियों में स्कूल का कोई काम नहीं करते, स्कूल खुलने पर वे पढ़ाई पर कम ध्यान देने लगते हैं। इसलिए छुट्टियों के दौरान भी हर रोज उन्हें कुछ न कुछ लिखने के लिए प्रेरित करें।यदि आपका बच्चा लिखने में अनाकानी करता है तो आप उसकी पत्र मित्र बन जाएं। हर रोज एक दूसरे को कुछ न कुछ लिखें। ये पत्र तकिए के नीचे, मेज के नीचे आदि जगह पर छोड़ें। एक दूसरे के लिखे पत्र को पढऩे में मजा भी बहुत आएगा।बच्चों के सामने विकल्प न रखें ऐसा करने पर वह शिकायत भी कम करते हैं। जो है उसे खाना है, पहनना है। बच्चों के हाथ में पैसा मत दीजिए। उनमें बचत की आदत डालें चाहे वह पैसे की हो या समय की।जब बच्चों को महत्वपूर्ण बात बतानी हो, तो उनका ध्यान आकर्षित करना काफी मुश्किल होता है। इसलिए उनसे कहें कि मेरे मुंह की तरफ देखो, मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है। यदि बच्चे मेरी तरफ देखो कहने से भी न सुनें तो फिर कुछ क्रिएटिव हो जाएं। चलो हम दोनों अपना सिर से सिर भिड़ा कर बैठते हैं या फिर देखो मेरी नाक पर तो कुछ नहीं लगा हुआ। बच्चे जैसे ही आपके चेहरे की तरफ देखेंगे, आपकी सुनेंगे जरूर।बस आपका काम बन गया। अगर आप और भी इस तरह के टिप्स जानना चाहते हैं तो मुझे बताएं।..

नादिया मुराद जिनकाे मिला शांति के लिए नाेबेल पुरस्कार

नादिया मुराद
 अगस्त के एक दिन काले झंड़े लगे इराक में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के पैर पसारते ही खुशहाली की जिंदगी जी रहे यजीदी समुदाय के लोगों का खराब वक्त शुरू हो गया था। आतंकवादियों के चंगुल से किसी तरह जान बचा कर भागी यजीदी महिला नादिया मुराद को शुक्रवार को शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट रीस एंडरसन ने यहां नामों की घोषणा करते हुए कहा कि मुराद और कांगो के चिकित्सक डेनिस मुकवेगे को यौन हिंसा को युद्ध हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के इनके प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए संयुक्त रूप से चुना गया है।

पतले और पीले पड़ चुके चेहरे वाली मुराद (25) उत्तरी इराक के सिंजर के निकट के गांव में शांतिपूर्वक जीवन जी रहीं थी लेकिन 2014 में इस्लामिक स्टेट के आंतकवादियों के जड़े जमाने के साथ ही उनके बुरे दिन शुरू हो गए। वह उत्तरी इराक में सिंजर के जिस गांव में रह रही थी, उसकी सीमा सीरिया के साथ लगती है। और यह इलाका किसी जमाने में यजीदी समुदाय का गढ़ थाजिहादियों के ट्रक उनके गांव कोचो में धड़धड़ाते हुए घुस आए। इन आंतकवादियों ने पुरूषों की हत्या कर दी, बच्चों को लड़ाई सिखाने के लिए और हजारों महिलाओं को यौन दासी बनाने और बल पूर्वक काम कराने के लिए अपने कब्जे में ले लिया। आज मुराद और उनकी मित्र लामिया हाजी बशर तीन हजार लापता यजीदियों के लिए संघर्ष कर रहीं हैं। माना जा रहा है कि ये अभी भी आईएस के कब्जे में हैं।

दोनों को यूरोपीय संघ का 2016 शाखारोव पुरस्कार दिया जा चुका है। मुराद फिलहाल मानव तस्करी के पीड़ितों के लिए संयुक्त राष्ट्र की गुडविल एंबेसडर हैं। वह कहती हैं, ‘आईएस लड़ाके हमारा सम्मान छीनना चाहते थे लेकिन उन्होंने अपना सम्मान खो दिया।’आईएस की गिरफ्त में रह चुकीं मुराद इसे एक बुराई मानती हैं। पकड़ने के बाद आतंकवादी मुराद को मोसुल ले गए। मोसुल आईएस के स्वघोषित खिलाफत की ‘राजधानी’थी। दरिंदगी की हदें पार करते हुए आतंकवादियों ने उनसे लगातार सामूहिक दुष्कर्म किया, यातानांए दी और मारपीट की।

वह बताती हैं कि जिहादी महिलाओं और बच्चियों को बेचने के लिए दास बाजार लगते हैं और यजीदी महिलाओं को धर्म बदल कर इस्लाम धर्म अपनाने का भी दबाव बनाते हैं। मुराद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपबीती सुनाई। हजारों यजीदी महिलाओं की तरह मुराद का एक जिहादी के साथ जबरदस्ती निकाह कराया गया। उन्हें मेकअप करने और चुस्त कपड़े पहनने के लिए मारा पीटा भी गयाअपने ऊपर हुए अत्याचारों से परेशान मुराद लगातार भागने की फिराक में रहती थीं और अंतत:मोसूल के एक मुसलमान परिवार की सहायता से वह भागने में कामयाब रहीं। वह बताती हैं कि गलत पहचान पत्रों के जरिए वह इराकी कुर्दिस्तान पहुंची और वहां शिविरों में रह रहे यजीदियों के साथ रहने लगीं। वहां उन्हें पता चला कि उनके छह भाइयों और मां को कत्ल कर दिया गया है। इसके बाद यजीदियों के लिए काम करने वाले एक संगठन की मदद से वह अपनी बहन के पास जर्मनी चलीं गईं। आज भी वह वहां रह रही हैं। मुराद ने अब अपना जीवन ‘अवर पीपुल्स फाइट’ के लिए समर्पित कर दिया है।
साभार- टाइम्सनाउन्यूज

10 अक्टूबर से नवरात्रि. जाने विधान के नियम

इस साल शरद नवरात्रि 10 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार शरद नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होते हैं और विजयादशमी के पहले नवमी तक चलते हैं। इन नौ दिनों तक मां दुर्गे के नौ अलग- अलग रूपों - मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है।

इस बार नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना नीचे दीए गई इन तिथियों और दिन को होगी-

10 अक्टूबर, प्रतिपदा - बैठकी या नवरात्रि का पहला दिन- घट/ कलश स्थापना - शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी पूजा
11 अक्टूबर, द्वितीया - नवरात्रि 2 दिन तृतीय- चंद्रघंटा पूजा
12 अक्टूबर, तृतीया - नवरात्रि का तीसरा दिन- कुष्मांडा पूजा
13 अक्टूबर, चतुर्थी - नवरात्रि का चौथा दिन- स्कंदमाता पूजा
14 अक्टूबर, पंचमी - नवरात्रि का 5वां दिन- सरस्वती पूजा
15 अक्टूबर, षष्ठी - नवरात्रि का छठा दिन- कात्यायनी पूजा
16 अक्टूबर, सप्तमी - नवरात्रि का सातवां दिन- कालरात्रि, सरस्वती पूजा
17 अक्टूबर, अष्टमी - नवरात्रि का आठवां दिन-महागौरी, दुर्गा अष्टमी ,नवमी पूजन
18 अक्टूबर, नवमी - नवरात्रि का नौवां दिन- नवमी हवन, नवरात्रि पारण
19 अक्टूबर, दशमी - दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी

नवरात्रि का महत्व-
हिन्दू धर्म में किसी शुभ कार्य को शुरू करने और पूजा उपासना के दृष्टि से नवरात्रि का बहुत महत्व है। एक वर्ष में कुल चार नवरात्र आते हैं। चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक पड़ने वाले नवरात्र काफी लोकप्रिय हैं और इन्हीं को मनाया जाता है। इसके अलावा आषाढ़ और माघ महीने में गुप्त नवरात्रि आते हैं जो कि तंत्र साधना करने वाले लोग मनाते हैं। लेकिन सिद्धि साधना के लिए शारदीय नवरात्रि विशेष उपयुक्त माना जाता है। इन नौ दिनों में बहुत से लोग गृह प्रवेश करते हैं, नई गाड़ी खरीदते हैं साथ ही विवाह आदि के लिए भी लोग प्रयास करते हैं। क्योंकि मान्यता है कि नवरात्रि के दिन इतने शुभ होते हैं इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने के लिए लग्न व मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती।

संस्कृति- स्वागत गीत में बदल गया रेडिया ड्रामा

पितृपक्ष विसर्जन अमावस्या के दिन सुबह चार बजे देश और दुनिया के तमाम बंगाली उठ जाते हैं. श्राद्ध पक्ष के खत्म होने और दुर्गापूजा के आने के बीच इस दिन अल सुबह हर पारंपरिक परिवार में एक रस्म निभाई जाती है. रेडियो ऑन करके वीरेंद्र कृष्ण भद्र के धार्मिक प्ले महिषासुर मर्दनी को न सुन लिया जाए. दुर्गापूजा की शुरुआत नहीं मानी जा सकती है.

हिंदुस्तान अनोखी रवायतों का देश है और 1931 में पहली बार सुनाए गए इस प्ले का बंगाल के सबसे बड़े पर्व का हिस्सा बन जाना भी ऐसी ही एक अनोखी मिसाल है. 1966 में रेडियो पर पहली बार महालया (पितृविसर्जन अमावस्या का बंगाल में प्रचलित नाम) के दिन वीरेंद्र भद्र के प्ले महिषासुर मर्दनी को ब्रॉडकास्ट किया गया था. देखते ही देखते 90 मिनट की ये कंपोज़ीशन मां दुर्गा के स्वागत का प्रतीक बन गई.

1905 में पैदा हुए वीरेंद्र भद्र प्ले राइटर, ऐक्टर और डायरेक्टर थे. यूं तो उन्होंने ‘साहब बीबी गोलाम’ जैसे कई मशहूर बांग्ला नाटक डायरेक्ट किए मगर संगीतकार पंकज मल्लिक के साथ मिलकर बनाई गई उनकी कंपोजीशन महिषासुर मर्दनी ने उन्हें साहित्य और कला जगत के साथ-साथ धार्मिक रस्मो-रिवाज का हिस्सा बना दिया.
दुर्गा सप्तशती, लोक संगीत और कूछ दूसरे मंत्रों को मिलाकर बनाई गई इस रचना में विरेन के पढ़ने का अंदाज रोंगटे खड़े कर देता है. ऑल इंडिया रेडियो ने इस प्ले के साथ बीच-बीच में कई प्रयोग करने की भी कोशिश की. बांग्ला फिल्मों के सुपर स्टार उत्तम कुमार को वीरेंद्र भद्र की आवाज को रिप्लेस करने के लिए लाया गया. उत्तम कुमार अपनी तमाम लोकप्रियता के बावजूद बुरी तरह से हूट किए गए. आप आज भी उस दौर के किसी कोलकाता वाले से पूछिए, इस घटना को याद करके वो इस तरह से गुस्सा होगा मानों कि वीरेंद्र भद्र की आवाज को रिप्लेस करना कोई धार्मिक पाप हो.

वीरेंद्र भद्र 1991 में इस दुनिया से चले गए मगर उनकी आवाज हर साल एक तय वक्त पर देवी दुर्गा का स्वागत करती है. बदलते दौर के साथ महिषासुर मर्दनी यूट्यूब, सीडी और दूसरे डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध हो गया है मगर इसका जादू अभी भी वैसा है.
साभार-
फर्स्ट पाेस्ट से साभार...

बाल कहानी- जादुई गुलाबी तकिया/ नीलम चन्द्रा

'होप' नामक अनाथालय में ग्रेशिया नामक आठ वर्षीय बालिका रहा करती थी। वो तन और मन दोनों से ही बहुत सुंदर थी और सबकी चहेती थी। यह देखकर उसकी सहेली जूलिया बहुत जला करती थी। अनाथालय मुश्किलों के दौर से गुजर रहा था और हरदम पैसों की तंगी रहती थी। अनाथालय की बालिकाओं को हरदम कोई ऐसे अतिथि के आगमन का इंतज़ार रहता था जो उनके लिए अच्छी चीजें लेकर आए। यदि कोई अतिथि अच्छा खाना लेकर आ जाता तो उनको खाने में अच्छी चीजें मिल जाया करती थीं, वर्ना उन्हें पतली दाल और चावल खाकर ही गुजारा करना पड़ता था।कभी-कभी कुछ अधिक स्नेही अतिथि बालिकाओं के लिए अच्छे कपड़े अथवा खिलौने भी ले आते थे जिसे देखकर सभी के मुख पर मुस्कान आ जाती थी चूँकि अनाथालय तंगी के दौर से गुजर रहा था, इसलिए सभी बच्चों के बीच काम बाँट दिए गए थे। बड़े बच्चों को खाना बनाने का काम दे दिया गया था और छोटे बच्चों को सफाई, बर्तन साफ करना, अनाज चुनना, सब्जी काटना इत्यादि जैसे काम दे दिए गए थे। ग्रेशिया का दिन सुबह साढ़े चार बजे से शुरू हो जाता था। सबसे पहले वो सुबह उठकर एक-डेढ़ घंटा पढाई करती। फिर उस हफ्ते का उसको दिया हुआ काम निपटाती और फिर स्कूल जाती।
जहाँ स्कूल से लौटने पर बाकी बच्चे खेलते-कूदते, ग्रेशिया एक बार फिर पढाई में लग जाती। शाम को एक आद घंटा खेलने के पश्चात वो अपना शाम कार्य निपटा कर सो जाती, इस बार बहुत दिनों से कोई अतिथि का आगमन नहीं हुआ था और कई दिनों से वही पतली दाल और चावल खाते हुए बच्चे ऊब गए थे। एक रात जब ग्रेशिया रात को अपने बिस्तर पर सोने को लेटी, तो उसका कड़ा और कठोर सा तकिया देख दुःखी हो गई। जहाँ उसका बिस्तर था, उसी के पास खिड़की थी। खिड़की से आसमान साफ नज़र आ रहा था। ग्रेशिया सबसे तेज रोशनी वाले तारे की तरफ मुँह करती हुई बोली, "कितने नर्मआसमान में तुम रहते हो? क्या तुमको हमपर दया नहीं आती? अरे कम से कमखाना-पीना नहीं तो एक नर्म तकिया मुझे भी दिलवा दो ना! चूँकि रात को ग्रेशिया को देर तक नींद नहीं आई थी, उसे सुबह उठने में देर हो गई थी। दौड़ती-भागती वो स्कूल पहुँची। जब वापस अनाथालय पहुँची तो उसे आगँतुक कक्ष में भीड़ देखते ही समझ गया कि कोई अतिथि का आगमन हुआ है। अँदर पहुँचकर देखा एक बहुत प्यारी सी युवती थी। वो सभी बच्चों के लिए कुछ ना कुछ भेंट लाई थी। ग्रेशिया भी भेंट लेने के लिए लाइन में लग गई। वो लाइन में सबसे पीछे थी। उसे मन ही मन यह डर भी था कि उसका नंबर आते-आते कोई भेंट बचेगी भी कि नहीं। उधर जूलिया उसे चिढा भी रही थी। उसे बार-बार कहे जा रही थी, "देख लेना, तुम्हारा नंबर आते-आते सारी भेंट खत्म हो जाएँगी।" परग्रेशिया ने उसकी तरफ ध्यान देना बंद कर दिया था, जब उसका नंबर आया तो सचमुच उस युवती का झोला खाली हो चुका था। पर वो युवती मुस्कुराते हुए बोली, "तुम तो ग्रेशिया हो ना? तुम्हारे लिए मैं एक नर्म तकिया लाई हूँ। फिर उसने उसे एक सुँदर सा गुलाबी तकिया निकालकर दिया और बोली, "तुमको यही चाहिए था ना? देखो मुझे पता चल गया था। यह जादुई तकिया है। तुम इससे रोज एक मुराद माँग सकती हो। बस इस बात का ख्याल रखना कि कभी कोई गलत चीज मत माँग बैठना जिससे किसी और को हानि हो सकती हो। यह तकिया हरदम तुम्हारा साथ देगा।"
ग्रेशिया को मुराद वाली बात ना ही समझ में आई ना ही उसका ध्यान उसपर गया। वो तो एक नर्म तकिया पाकर खुश थी।उस रात वो उसपर बड़े आराम से सोई। और बच्चों को ज्यादतर सुंदर कपड़े,जूते इत्यादि मिले थे और वो बहुत खुश थे। जूलिया अपना लाल फ्रॉक उसे दिखा-दिखाकर जलाने की कोशिश करने लगी। पर ग्रेशिया अपनी भेंट से खुश थी। आखिर उसे मनचाही मुराद जो मिल गई थी। उसने उस तेज रोशनी वाले तारे को मन से धन्यवाद दिया, एक दिन ग्रेशिया अपने उस गुलाबी तकिए पर सर रखकर लेटी हुई थी। उसने देखा था कि उसके स्कूल में अन्य बच्चे पानी पीने के लिए वाटर बॉटल लाते हैं। वो सोचने लगी कि काश उसके पास भी एक वैसी ही बॉटल होती। उसे आश्चर्य तब हुआ जब अगले दिन वाकई स्कूल में उसकी टीचर ने घोषणा की कि ड्राइंग प्रतियोगिता में उसे प्रथम पुरस्कार मिला है और उसे एक सुँदर नीली बॉटल भेंट की। ग्रेशिया यह तो समझ गई थी कि यह सब गुलाबी जादुई तकिए की वजह से हुआ है और वो बहुत खुश रहने लगी थी। वो जो चाहती थी वो पूरा जो होने लगा था। पर उसने उस युवती कि बात हमेशा याद रखी और कभी किसी को हानि पहुँचाने वाली कोई चीज नहीं माँगी।
ग्रेशिया वैसे भी किसी को नुकसान पहुँचाने की सोच ही नहीं सकती थी। पर ग्रेशिया के मन की सारी इच्छाएँ पूरी होते देख जूलिया जलभुन कर राख होने लगी थी। उसका ध्यान अब इस पर ही रहने लगा था और वो ग्रेशिया पर नज़र रखने लगी थी। एक दिन जूलिया ने देखा कि ग्रेशिया अपने तकिए से कुछ बात कर रही है तो वो सतर्क होकर सुनने लगी। वो उससे कह रही थी, "प्यारे तकिए, तुम कितने अच्छे हो! तुम मेरी सारी जरूरतें पूरी कर देते हो। मैंने बहुत दिनों से आइसक्रीम नहीं खाई है। कल मुझे एक आइसक्रीम खिला देना – प्लीज!"जूलिया को अब ग्रेशिया की खुशी का राज समझ में आ गया था। अगले दिन जब सारे बच्चे स्कूल जा रहे थे, जूलिया ने पेटदर्द का बहाना बनाया और अनाथालय में ही रुक गई। सबके जाते ही उसने तुरंत अपना तकिया ग्रेशिया के तकिए से बदल दिया और उसके तकिए पर अपना गिलाफ चढ़ा दिया और अपने तकिए पर उसका। फिर वो खुशी-खुशी उस जादुई तकिए पर सर रखकर लेट गई जूलिया के मन में खोट तो थी ही। 
उसने जैसे ही तकिए पर हाथ रखा उसके मन में तुरंत आया कि वो सबसे पहले यह माँगे कि ग्रेशिया के साथ कुछ बुरा हो। उसने तकिए पर सर रखकर यह इच्छा जाहिर की कि ग्रेशिया को स्कूल में बहुत डाँट पड़े पर जूलिया को यह पता नहीं था कि कुछ बुरा माँगते ही तकिए की जादुईशक्ति खत्म हो जाती है। उसने यह इच्छा जाहिर की ही थी कि सामने वो युवती खड़ी थी जिसने उन्हें कुछ दिनों पहले कई उपहार दिए थे। वो युवती असल में सिमी परी थी और वो उस तेज चमकने वाले तारे पर रहती थी। उसी ने ग्रेशिया द्वारा एक नर्म तकिए की मुराद सुनी थी और उसे वो जादुई तकिया दिया था। पर उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसने तो वो जादुई तकिया ग्रेशिया को दिया था और अब वो जूलिया के पास था!उसे सारी बातें समझते देर ना लगी। उसने जूलिया से कहा, "जो दूसरों का बुरा चाहते हैं, उनके साथ बुरा ही होता है। मुझे पूरा विश्वास हैकि तुमने यह जादुई तकिया ग्रेशिया से चुराया है। इसकी सज़ा यह है कि मैं ग्रेशिया को यह वरदान देती हूँ कि अब उसकी एक की जगह दो मुरादें पूरी हुआ करेंगी। और तुम्हें अब तब तक कोई भी वस्तु नहीं मिलेगी जब तक तुम उस दिन कोई अच्छा काम नहीं करतीं।"
तब तक ग्रेशिया भी स्कूल से वापस आ गई थी। उसने जब यह सारी बातें सुनीं तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया। वो सिमी परी से जूलिया को माफ करने का निवेदन करने लगी। यह देख जूलिया की आँखों में आँसू आ गए।उसने तो जलन की वजह से ग्रेशिया का बुरा ही चाहा था। पर यहाँ ग्रेशिया उसके लिए माफी माँग रही थी। उसने सिमी परी से कहा, "मुझे आपकी शर्तमंजूर है। मेरी बुराइयों ने मेरी आँख के आगे पट्टी बाँध दी थी जो अबखुल चुकी है। शर्त के अनुसार मैं अब अच्छा कार्य करने की कोशिश करूँगी।" फिर वो ग्रेशिया की तरफ देखती हुई बोली, "बहन, मुझे माफ करदो और मुझे अपने जैसा बनाने में मेरी यदि मदद कर सको तो मैं तुम्हारी सदा आभारी रहूँगी ग्रेशिया ने जूलिया को गले लगा लिया।सिमी परी दोस्ती की इस शुरूआतको देख मुस्कुरा दी। NEELAM SAXENA CHANDRA-Electrical/electronic Engineering · Novelist · Poetry · Song writing · Writer

ऐसे करें सूरजमुखी के बीज का खाने में इस्तेमाल, ये होंगे फायदे

सूरजमुखी एक वार्षिक पौधा है जिसकी ऊंचाई एक से तीन मीटर के बीच होती है. यह फूल दिखने में जितना प्यारा होता है उससे कहीं ज्यादा फायदेमंद इसके बीज होते हैं. कहने का मतलब यह है कि सूरजमुखी के बीज बहुत ही गुणकारी होते हैं. इसका सेवन बहुत ही सेहतमंद माना जाता है.

आइए हम बताते हैं आपको कि कैसे करें सूरजमुखी के बीज का इस्तेमाल और क्या होंगे इसे अपने खान-पान में शामिल करने के फायदे:

ये हैं सूरजमुखी बीज के फायदे:
- सूरजमुखी के बीज मिनरल्स से भरपूर होते हैं. इनके सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं.
- इनमें मैग्निशियम और कॉपर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इनमें पाया जाने वाला विटामिन E हड्डियों के दर्द में बहुत फायदेमंद है.
- इस बीज में मौजूद मैग्निशियम नसों को शांत रखने में मददगार है. इसके सेवन से स्ट्रेस, माइग्रेन जैसी शारीरिक समस्याएं दूर होती हैं.
- सूरजमुखी के बीज में पाया जाने वाला विटामिन E स्किन की चमक बढ़ाने में कारगर है. यह स्किन को UV rays से बचाता है.
- रोजाना एक चौथाई कप सूरजमुखी का बीज का सेवन दिल की बामारी से बचाता है. यह खराब कोलेस्ट्रोल को कम करता है.
- इतना ही नहीं बल्कि बीज के सेवन से गैस्ट्रिक, अल्सर, अस्थमा और स्किन प्रॉब्लम भी दूर हो सकती है.

कैसे करें अपने खान-पान में सूरजमुखी के बीज का इस्तेमाल:
- सलाद पर सूरजमुखी के बीज की गर्निशिंग की जा सकती है.
- आप इसे हल्का भूनकर भी इसे खा सकते हैं.
- दही में डालकर खाने से दही का स्वद भी बढ़िया हो जाता है.
- सैंडविच और पास्ता में इसे से डाला जा सकता है.
- इसे आटे में मिलाकर इसकी रोटी या पराठे खाने से जरूरी विटामिन्स शरीर को मिलती हैं
साभार 
 पकवानगलीडॉटइन से

रोस्टेड पनीर सीसम क्यूब्स- नीरा कुमार

पनीर से बनने वाले 'रोस्टेड पनीर सीसम क्यूब्स' की रेसिपी बहुत आसान है। यह तुरंत झटपट तैयार होने वाली बहुत ही टेस्टी डिश है। इसे आप बहुत आसानी से घर पर ही बना सकती हैं।इतना ही नहीं ये रेसिपी वो लोग भी बना सकते हैं, जिन्हें किचेन के बारे में जरा भी आइडिया नहीं है। ये इतनी आसान रेसिपी है कि खाना न बनाने वाले भी 'रोस्टेड पनीर सीसम क्यूब्स' बना सकते हैं।
जानें रेसिपी-
रोस्टेड पनीर सीसम क्यूब्स' के लिए सामग्री
पनीर: 200 ग्राम
तिल: 1 टेबल स्पून
चाट मसाला: 1/2 टी स्पून
रिफाइंड ऑयल: 1 टी स्पून
टूथपिक: थोड़े से
विधिपनीर के एक इंच लंबे, एक इंच चौड़े और आधा इंच मोटे क्यूब्स काट लें।
एक नॉनस्टिक पैन में तेल डालें।
गर्म तेल में पनीर के क्यूब्स डालें।
कम आंच में पनीर को उलटते-पलटते रहें।
जब किनारों से पनीर गुलाबी होने लगे तो ऊपर से तिल (सीसम) बुरक दें।
थोड़ी देर तक सेंकें। तिल फूलने पर चाट मसाला बुरकें।
टूथपिक लगा कर गर्मा-गर्म रोस्टेड पनीर सीसम क्यूब्स सर्व करें।
वेजीटेबल भेल
सामग्री : मिक्सड लाल
हरी पीली शिमलामिर्च (छोटे क्यूब में कटी) ½ कप
फ्रांसबीन छोटे टुकड़ों में कटी 2 बड़े चम्मच
छोटे क्यूब में कटी गाजर ½ कप
बारीक कटी पत्तागोभी ½ कप
उबली हरी मटर ½ कप
हरेप्याज छोटे टुकड़ों में कटे ½ कप
सोया सॉस 2 छोटे चम्मच
चीनी 1 छोटा चम्मच
कालीमिर्च चूर्ण ½ छोटा चम्मच
भुनी मूंगफली के दाने 3 बड़े चम्मच
भुने चने 3 बड़े चम्मच
नींबू का रस 1 बड़ा चम्मच
चाट मसाला और नमक स्वादानुसार
टोमैटो चटनी 1 बड़ा चम्मच
ऑलिव ऑयल 1 बड़ा चम्मच
मुरमुरे 1 कप
विधि : एक नॉनस्टिक पैन में तेल गरम करके गाजर और फ्रांसबीन पांच मिनट धीमी आंच पर पकाएं ताकि थोड़ी गल जाए।
इसमें मिक्सड शिमलामिर्च, पत्तागोभी, हरी मटर और हरी प्याज डालकर तीन चार मिनट सॉटे करें।
नमक, चीनी व सोया सॉस डालकर उलटे-पलटें, फिर गैस बंद करके बची सामग्री मिलाकर तुरंत सर्व करें।
नीरा कुमार एक जानी मानी कुकरी विशेषज्ञ हैं। कुकरी से जुड़े सवाल आप हमारे मैं अपराजिता के पेज पर पूछ सकते हैं। आपके सवालाें का स्वागत हैं।
mainaparajita@gmail.com

इंटरनेट में जिंदगी नहीं, माैत खाेजते हैं किशाेर


साइबर बुलिंग इस समय युवाओं में आत्महत्या का प्रमुख कारण है। साइबर बुलिंग इंटरनेट, मैसेज, एप्स, सोशल मीडिया, फोरम्स और गेम्स आदि के सहारे की जाती है। इस तरह की बुलिंग में कुछ लोग फर्जी आईडी या एप्लिकेशन बनाकर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं और फिर उन्हें उनकी प्राइवेट सूचनाओं या फोटो-वीडियो के माध्यम से ब्लैक मेल करते हैं। युवा इन मामलों में जल्दी फंसते हैं क्योंकि उनमें विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होता है या कई बार उन्हें सबकुछ जल्दी पा लेने की चाहत होती है। इन बातों से बच्चों को दूर रखना जरूरी है और बच्चों के इंटरनेट इस्तेमाल, उनके मोबाइल में इंस्टॉल एप्स के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी रखना जरूरी। अगर ये मुमकिन नहीं है, तो कम से कम बच्चों के व्यवहार परिवर्तन पर तो नजर जरूर रखें
अश्लील तस्वीरें और वीडियोज
इंटरनेट जितनी तेजी से लोगों की खासकर युवाओं की जिंदगी का हिस्सा बना है, उतनी ही तेजी से ये उनकी जिंदगियां छीन भी रहा है। सोशल मीडिया, डेटिंग साइट्स, वेबसाइट्स और प्राइवेट ग्रुप्स में चैटिंग करते समय लोग कई बार इतने घुल-मिल जाते हैं कि अपनी निजी जानकारियां और तस्वीरें दूसरों को देने में संकोच नहीं करते हैं। ज्यादातर मामलों में ये तस्वीरें और वीडियोज किसी गलत तरीके से वायरल कर दी जाती हैं। इसके बाद बेइज्जती और बदनामी के डर से या डिप्रेशन के कारण युवा लड़के-लड़कियां आत्महत्या का रास्ता चुन लेते हैं। इसलिए बच्चों को शुरू से ही ये बात समझाएं कि वो इंटरनेट पर ऐसी कोई भी जानकारी किसी से न शेयर करें, जिससे उन्हें बाद में परेशानी हो।
बच्चों के साथ समय बिताना जरूरीटीनएज या उससे छोटे बच्चे आमतौर पर प्यार और सम्मान की चाहत रखते हैं। आजकल की बिजी लाइफ में जब उन्हें ये प्यार और सम्मान घर-परिवार या समाज से नहीं मिलता है, तो वो इंटरनेट पर इसे ढूंढने की कोशिश करते हैं। अपना खाली समय किसी क्रिएटिव काम की बजाय आजकल ज्यादातर टीन एज बच्चे इंटरनेट पर बेवजह की चीजें देखने-पढ़ने में बिताते हैं। इसलिए ये जरूरी है कि मां-बाप बच्चों को समय दें, उनसे बात करें और उनकी परेशानियों में उनके साथ खड़े रहें। अकेलापन बच्चों को धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार बनाता है। बच्चे जब किसी से अपनी बात नहीं कह पाते हैं, तो आत्महत्या का रास्ता चुन लेते हैंरियल और वर्चुअल दुनिया में अंतर बताएंबच्चों के लिए छोटी उम्र में ये समझना कठिन होता है कि रियल और वर्चुअल वर्ल्ड में अंतर होता है। टीन एज बच्चे इंटरनेट पर सोशल मीडिया साइट्स और डेटिंग साइट्स पर दिखने वाले हर व्यक्ति को सच मान लेते हैं और उनपर विश्वास कर लेते हैं। इंटरनेट पर प्यार में धोखा और रिश्तों में दरार भी आजकल आत्महत्या का कारण बन रहा है। ऐसे में आप बच्चों को शुरुआत से ही ये बताएं कि उन्हें उन लोगों पर विश्वास करना चाहिए, जो उनके आस-पास हैं, न कि उन लोगों पर जिनको वे जानते नहीं हैं।
बच्चों के व्यवहार पर नजर रखेंआत्महत्या से पहले व्यक्ति के व्यवहार में कई तरह के परिवर्तन आते हैं। आमतौर पर डिप्रेशन, तनाव या परेशान होने पर किसी दूसरे व्यक्ति से अपने दिल की बात कह देने से तनाव कम होता है। इसलिए बेहतर होगा कि जब आप बच्चों के व्यवहार में थोड़ा परिवर्तन देखें, तो उनसे बात करें और उनकी परेशानी दूर करने की कोशिश करें। ऐसे समय में अगर बच्चे ने कोई बड़ी गल्ती भी की है, तो उसे मारें या डांटें नहीं, बल्कि प्यार से समझाएं और समस्या को सुलझाने की कोशिश करें।
साभार- आेनलीमाईहेल्थडॉटक़ॉम

हर्ब्स फॉर हैल्थ-़डा.दीपिका शर्मा

भारत में हजाराें वर्षाें से स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जड़ी बूटियाें का प्रयाेग हाेता रहा है। आयुर्वेद विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सापद्धति है जिससे सिर्फ राेगाें का उपचार ही नहीं हाेता उनसे बचाव और दीर्घायु के लिए भी जडी बूटियाें का प्रयाेग किया जाता है। एलाेपेथी और हाेम्याेपेथी की बहुत सी दवाएं भी वनस्पतियाें से बनाई जाती है। तुलसी, अश्वगंधा, आंवला, अशाेक और मुलहठी एेसी ही जड़ी बूटियाें के नाम है।
तुलसी काे सर्वआेषधि माना जाता है।अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां फायदेमंद साबित होती हैं। रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है। दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है। नैचुरोपैथों द्वारा ल्यूकोडर्मा का इलाज करने में तुलसी के पत्तों को सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया गया है।
 सिर के दर्द में तुलसी एक बढि़या दवा के तौर पर काम करती है। तुलसी का काढ़ा पीने से सिर के दर्द में आराम मिलता है। आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए।
श्वास संबंधी समस्याओं का उपचार करने में तुलसी खासी उपयोगी साबित होती है। शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से ब्रोंकाइटिस, दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है। नमक, लौंग और तुलसी के पत्तों से बनाया गया काढ़ा इंफ्लुएंजा (एक तरह का बुखार) में फौरन राहत देता है।
तुलसी गुर्दे को मजबूत बनाती है। यदि किसी के गुर्दे में पथरी हो गई हो तो उसे शहद में मिलाकर तुलसी के अर्क का नियमित सेवन करना चाहिए। छह महीने में फर्क दिखेगा।
तुलसी खून में कोलेस्ट्राल के स्तर को घटाती है। ऐसे में हृदय रोगियों के लिए यह खासी कारगर साबित होती है।
तुलसी की पत्तियों में तनाव काे कम करनेे के गुण भी पाए जाते हैं। हाल में हुए शोधों से पता चला है कि तुलसी तनाव से बचाती है।
अश्वगंधा- यह एक टानिक है जाे असमय बुढ़ापा नहीं आने देता है। बच्चाें के सूखा राेग में यह विशेष लाभदायक है। इसका पहला फायदा तो ज्यादातर लोग जानते हैं कि यह तनाव को कम करने में बेहद मददगार औषधि है। यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाने में भी काफी मददगार है और दिमाग को ठंडा रखने में भी।
अगर आपको नींद न आने की समस्या है और आपकी रात सिर्फ करवटें बदलने में ही निकल जाती है, तो अश्वगंधा आपके लिए एक प्रभावशाली दवा की तरह काम करता है और आप चैन की नींद सो पाते हैं।
 अगर आप पित्त प्रकृति के व्यक्ति हैं और आपके बाल असमय सफेद होने के साथ ही झड़ने भी लगे हैं, तो आपको अश्वगंधा का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे आपकी समस्या का जरूर समाधान हो जाएगा।
 यह बड़ी उम्र के हिसाब से भी बालों में पोषण का एक बेहतरीन जरिया है जो जड़ों तक पोषण देकर बालों को सफेद होने से बचाता है और उन्हें स्वस्थ बनाए रखता है।
 बालों की जड़ों व स्कैल्प संबंधी समस्याओं में भी यह काफी फायदेमंद है। जड़ों को मजबूती देने के साथ ही यह अन्य समस्याओं जैसे डैंड्रफ आदि से भी बचाता है।

आंवला-आंवले का उपयोग आंखाें की रोशनी को मजबूत करता है। आंखों में खुजली, व जलन से भी राहत देता है।
प्रतिदन एक या दो आंवलों चबाने से दांतों में कीडे लगने की संभावना कम हो जाती है , दांत मजबूत रहते हैं व दांतों का पीलापन भी काफी हद तक कम रहता है
आंवले में विटामिन सी व कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए आंवले के उपयोग से हड्डियां मजबूत रहती हैं।
आंवले के रस को मिश्री के साथ खाने से पाईल्स यानी बवासीर के रोग में लाभ मिलता है।
आंवले का रस पीने से शरीर की पाचन प्रणाली दुरुस्त रहती है। आंवले का रस कब्ज, बदहजमी व खट्टे डकार कम करने में भी अति लाभकारी है।
अशाेक- इसकी छाल रक्त प्रदर में, पेशाब रुकने में लाभ पहुंचाती है। गर्भाशय संबंधी सभी राेगाें में इसके सेवन से लाभ मिलता है। मासिक धर्म की अनियमितता, अतिरिक्त साव्र के लिए अशाेकारिष्ट एक श्रेष्ठ औषधि है। यह तनाव को कम करने में बेहद मददगार औषधि है। यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाने में भी काफी मददगार है और दिमाग को ठंडा रखने में भी।
मुलहठी-आयुर्वेदिक औषधि गुणों से भरपूर मुलहठी का प्रयाेग बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है। इसका इस्तेमाल श्वसन और पाचन क्रिया के रोग की आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा सर्दि में होने वाली समस्याएं जैसे सर्दी-खांसी, जुकाम, कफ, गले और यूरिन इंफैक्शन की प्रॉब्लम को भी यह जड़ से खत्म कर देता है। इसका सेवन कैंसर जैसी कई बीमारियों को भी दूर करने में मदद करता है। इसका सेवन कफ, सर्दी-खांसी और जुकाम समस्या को दूर करता है।
गले की सूजन, इंफैक्शन, खराश, मुंह में छाले और गला बैठने पर मुलेठी का एक टुकड़ा लेकर उसे चूसे। इससे आपकी सभी प्रॉब्लम दूर हो जाएगी।
यूरिन इंफैक्शन, जलन, और बार-बार यूरिन आने की समस्या  को दूर करने के लिए मुलेठी सबसे अच्छा उपाय है।
डा. दीपिका शर्मा अपाेलाे  फेमिली क्लीनिक नौएडा, उत्तरप्रदेश, सेक्टर 110 में  फेमिली फिजिशियन हैं।
 सेहत से जुड़े सवाल आप हमारे मैं अपराजिता के फेसबुक पेज में कर सकते हैं। अपनी सेहत संबंधी समस्या के लिए आप हमें मेल भी कर सकते हैं-
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गजानन के मस्तक पर विराजमान है गजासुर- डा. अनुजा भट्ट

आपने पिता पुत्र के बहुत से संवाद सुने होंगे। पर आज मैं आपको शिव और गणेश की बातचीत बता रही हूं । पिता पुत्र संवाद भीतर कौन जा रहा है बाहर क...