रविवार, 7 अक्तूबर 2018

नादिया मुराद जिनकाे मिला शांति के लिए नाेबेल पुरस्कार

नादिया मुराद
 अगस्त के एक दिन काले झंड़े लगे इराक में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के पैर पसारते ही खुशहाली की जिंदगी जी रहे यजीदी समुदाय के लोगों का खराब वक्त शुरू हो गया था। आतंकवादियों के चंगुल से किसी तरह जान बचा कर भागी यजीदी महिला नादिया मुराद को शुक्रवार को शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट रीस एंडरसन ने यहां नामों की घोषणा करते हुए कहा कि मुराद और कांगो के चिकित्सक डेनिस मुकवेगे को यौन हिंसा को युद्ध हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के इनके प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए संयुक्त रूप से चुना गया है।

पतले और पीले पड़ चुके चेहरे वाली मुराद (25) उत्तरी इराक के सिंजर के निकट के गांव में शांतिपूर्वक जीवन जी रहीं थी लेकिन 2014 में इस्लामिक स्टेट के आंतकवादियों के जड़े जमाने के साथ ही उनके बुरे दिन शुरू हो गए। वह उत्तरी इराक में सिंजर के जिस गांव में रह रही थी, उसकी सीमा सीरिया के साथ लगती है। और यह इलाका किसी जमाने में यजीदी समुदाय का गढ़ थाजिहादियों के ट्रक उनके गांव कोचो में धड़धड़ाते हुए घुस आए। इन आंतकवादियों ने पुरूषों की हत्या कर दी, बच्चों को लड़ाई सिखाने के लिए और हजारों महिलाओं को यौन दासी बनाने और बल पूर्वक काम कराने के लिए अपने कब्जे में ले लिया। आज मुराद और उनकी मित्र लामिया हाजी बशर तीन हजार लापता यजीदियों के लिए संघर्ष कर रहीं हैं। माना जा रहा है कि ये अभी भी आईएस के कब्जे में हैं।

दोनों को यूरोपीय संघ का 2016 शाखारोव पुरस्कार दिया जा चुका है। मुराद फिलहाल मानव तस्करी के पीड़ितों के लिए संयुक्त राष्ट्र की गुडविल एंबेसडर हैं। वह कहती हैं, ‘आईएस लड़ाके हमारा सम्मान छीनना चाहते थे लेकिन उन्होंने अपना सम्मान खो दिया।’आईएस की गिरफ्त में रह चुकीं मुराद इसे एक बुराई मानती हैं। पकड़ने के बाद आतंकवादी मुराद को मोसुल ले गए। मोसुल आईएस के स्वघोषित खिलाफत की ‘राजधानी’थी। दरिंदगी की हदें पार करते हुए आतंकवादियों ने उनसे लगातार सामूहिक दुष्कर्म किया, यातानांए दी और मारपीट की।

वह बताती हैं कि जिहादी महिलाओं और बच्चियों को बेचने के लिए दास बाजार लगते हैं और यजीदी महिलाओं को धर्म बदल कर इस्लाम धर्म अपनाने का भी दबाव बनाते हैं। मुराद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपबीती सुनाई। हजारों यजीदी महिलाओं की तरह मुराद का एक जिहादी के साथ जबरदस्ती निकाह कराया गया। उन्हें मेकअप करने और चुस्त कपड़े पहनने के लिए मारा पीटा भी गयाअपने ऊपर हुए अत्याचारों से परेशान मुराद लगातार भागने की फिराक में रहती थीं और अंतत:मोसूल के एक मुसलमान परिवार की सहायता से वह भागने में कामयाब रहीं। वह बताती हैं कि गलत पहचान पत्रों के जरिए वह इराकी कुर्दिस्तान पहुंची और वहां शिविरों में रह रहे यजीदियों के साथ रहने लगीं। वहां उन्हें पता चला कि उनके छह भाइयों और मां को कत्ल कर दिया गया है। इसके बाद यजीदियों के लिए काम करने वाले एक संगठन की मदद से वह अपनी बहन के पास जर्मनी चलीं गईं। आज भी वह वहां रह रही हैं। मुराद ने अब अपना जीवन ‘अवर पीपुल्स फाइट’ के लिए समर्पित कर दिया है।
साभार- टाइम्सनाउन्यूज

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