शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2018

बाल कहानी- जादुई गुलाबी तकिया/ नीलम चन्द्रा

'होप' नामक अनाथालय में ग्रेशिया नामक आठ वर्षीय बालिका रहा करती थी। वो तन और मन दोनों से ही बहुत सुंदर थी और सबकी चहेती थी। यह देखकर उसकी सहेली जूलिया बहुत जला करती थी। अनाथालय मुश्किलों के दौर से गुजर रहा था और हरदम पैसों की तंगी रहती थी। अनाथालय की बालिकाओं को हरदम कोई ऐसे अतिथि के आगमन का इंतज़ार रहता था जो उनके लिए अच्छी चीजें लेकर आए। यदि कोई अतिथि अच्छा खाना लेकर आ जाता तो उनको खाने में अच्छी चीजें मिल जाया करती थीं, वर्ना उन्हें पतली दाल और चावल खाकर ही गुजारा करना पड़ता था।कभी-कभी कुछ अधिक स्नेही अतिथि बालिकाओं के लिए अच्छे कपड़े अथवा खिलौने भी ले आते थे जिसे देखकर सभी के मुख पर मुस्कान आ जाती थी चूँकि अनाथालय तंगी के दौर से गुजर रहा था, इसलिए सभी बच्चों के बीच काम बाँट दिए गए थे। बड़े बच्चों को खाना बनाने का काम दे दिया गया था और छोटे बच्चों को सफाई, बर्तन साफ करना, अनाज चुनना, सब्जी काटना इत्यादि जैसे काम दे दिए गए थे। ग्रेशिया का दिन सुबह साढ़े चार बजे से शुरू हो जाता था। सबसे पहले वो सुबह उठकर एक-डेढ़ घंटा पढाई करती। फिर उस हफ्ते का उसको दिया हुआ काम निपटाती और फिर स्कूल जाती।
जहाँ स्कूल से लौटने पर बाकी बच्चे खेलते-कूदते, ग्रेशिया एक बार फिर पढाई में लग जाती। शाम को एक आद घंटा खेलने के पश्चात वो अपना शाम कार्य निपटा कर सो जाती, इस बार बहुत दिनों से कोई अतिथि का आगमन नहीं हुआ था और कई दिनों से वही पतली दाल और चावल खाते हुए बच्चे ऊब गए थे। एक रात जब ग्रेशिया रात को अपने बिस्तर पर सोने को लेटी, तो उसका कड़ा और कठोर सा तकिया देख दुःखी हो गई। जहाँ उसका बिस्तर था, उसी के पास खिड़की थी। खिड़की से आसमान साफ नज़र आ रहा था। ग्रेशिया सबसे तेज रोशनी वाले तारे की तरफ मुँह करती हुई बोली, "कितने नर्मआसमान में तुम रहते हो? क्या तुमको हमपर दया नहीं आती? अरे कम से कमखाना-पीना नहीं तो एक नर्म तकिया मुझे भी दिलवा दो ना! चूँकि रात को ग्रेशिया को देर तक नींद नहीं आई थी, उसे सुबह उठने में देर हो गई थी। दौड़ती-भागती वो स्कूल पहुँची। जब वापस अनाथालय पहुँची तो उसे आगँतुक कक्ष में भीड़ देखते ही समझ गया कि कोई अतिथि का आगमन हुआ है। अँदर पहुँचकर देखा एक बहुत प्यारी सी युवती थी। वो सभी बच्चों के लिए कुछ ना कुछ भेंट लाई थी। ग्रेशिया भी भेंट लेने के लिए लाइन में लग गई। वो लाइन में सबसे पीछे थी। उसे मन ही मन यह डर भी था कि उसका नंबर आते-आते कोई भेंट बचेगी भी कि नहीं। उधर जूलिया उसे चिढा भी रही थी। उसे बार-बार कहे जा रही थी, "देख लेना, तुम्हारा नंबर आते-आते सारी भेंट खत्म हो जाएँगी।" परग्रेशिया ने उसकी तरफ ध्यान देना बंद कर दिया था, जब उसका नंबर आया तो सचमुच उस युवती का झोला खाली हो चुका था। पर वो युवती मुस्कुराते हुए बोली, "तुम तो ग्रेशिया हो ना? तुम्हारे लिए मैं एक नर्म तकिया लाई हूँ। फिर उसने उसे एक सुँदर सा गुलाबी तकिया निकालकर दिया और बोली, "तुमको यही चाहिए था ना? देखो मुझे पता चल गया था। यह जादुई तकिया है। तुम इससे रोज एक मुराद माँग सकती हो। बस इस बात का ख्याल रखना कि कभी कोई गलत चीज मत माँग बैठना जिससे किसी और को हानि हो सकती हो। यह तकिया हरदम तुम्हारा साथ देगा।"
ग्रेशिया को मुराद वाली बात ना ही समझ में आई ना ही उसका ध्यान उसपर गया। वो तो एक नर्म तकिया पाकर खुश थी।उस रात वो उसपर बड़े आराम से सोई। और बच्चों को ज्यादतर सुंदर कपड़े,जूते इत्यादि मिले थे और वो बहुत खुश थे। जूलिया अपना लाल फ्रॉक उसे दिखा-दिखाकर जलाने की कोशिश करने लगी। पर ग्रेशिया अपनी भेंट से खुश थी। आखिर उसे मनचाही मुराद जो मिल गई थी। उसने उस तेज रोशनी वाले तारे को मन से धन्यवाद दिया, एक दिन ग्रेशिया अपने उस गुलाबी तकिए पर सर रखकर लेटी हुई थी। उसने देखा था कि उसके स्कूल में अन्य बच्चे पानी पीने के लिए वाटर बॉटल लाते हैं। वो सोचने लगी कि काश उसके पास भी एक वैसी ही बॉटल होती। उसे आश्चर्य तब हुआ जब अगले दिन वाकई स्कूल में उसकी टीचर ने घोषणा की कि ड्राइंग प्रतियोगिता में उसे प्रथम पुरस्कार मिला है और उसे एक सुँदर नीली बॉटल भेंट की। ग्रेशिया यह तो समझ गई थी कि यह सब गुलाबी जादुई तकिए की वजह से हुआ है और वो बहुत खुश रहने लगी थी। वो जो चाहती थी वो पूरा जो होने लगा था। पर उसने उस युवती कि बात हमेशा याद रखी और कभी किसी को हानि पहुँचाने वाली कोई चीज नहीं माँगी।
ग्रेशिया वैसे भी किसी को नुकसान पहुँचाने की सोच ही नहीं सकती थी। पर ग्रेशिया के मन की सारी इच्छाएँ पूरी होते देख जूलिया जलभुन कर राख होने लगी थी। उसका ध्यान अब इस पर ही रहने लगा था और वो ग्रेशिया पर नज़र रखने लगी थी। एक दिन जूलिया ने देखा कि ग्रेशिया अपने तकिए से कुछ बात कर रही है तो वो सतर्क होकर सुनने लगी। वो उससे कह रही थी, "प्यारे तकिए, तुम कितने अच्छे हो! तुम मेरी सारी जरूरतें पूरी कर देते हो। मैंने बहुत दिनों से आइसक्रीम नहीं खाई है। कल मुझे एक आइसक्रीम खिला देना – प्लीज!"जूलिया को अब ग्रेशिया की खुशी का राज समझ में आ गया था। अगले दिन जब सारे बच्चे स्कूल जा रहे थे, जूलिया ने पेटदर्द का बहाना बनाया और अनाथालय में ही रुक गई। सबके जाते ही उसने तुरंत अपना तकिया ग्रेशिया के तकिए से बदल दिया और उसके तकिए पर अपना गिलाफ चढ़ा दिया और अपने तकिए पर उसका। फिर वो खुशी-खुशी उस जादुई तकिए पर सर रखकर लेट गई जूलिया के मन में खोट तो थी ही। 
उसने जैसे ही तकिए पर हाथ रखा उसके मन में तुरंत आया कि वो सबसे पहले यह माँगे कि ग्रेशिया के साथ कुछ बुरा हो। उसने तकिए पर सर रखकर यह इच्छा जाहिर की कि ग्रेशिया को स्कूल में बहुत डाँट पड़े पर जूलिया को यह पता नहीं था कि कुछ बुरा माँगते ही तकिए की जादुईशक्ति खत्म हो जाती है। उसने यह इच्छा जाहिर की ही थी कि सामने वो युवती खड़ी थी जिसने उन्हें कुछ दिनों पहले कई उपहार दिए थे। वो युवती असल में सिमी परी थी और वो उस तेज चमकने वाले तारे पर रहती थी। उसी ने ग्रेशिया द्वारा एक नर्म तकिए की मुराद सुनी थी और उसे वो जादुई तकिया दिया था। पर उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसने तो वो जादुई तकिया ग्रेशिया को दिया था और अब वो जूलिया के पास था!उसे सारी बातें समझते देर ना लगी। उसने जूलिया से कहा, "जो दूसरों का बुरा चाहते हैं, उनके साथ बुरा ही होता है। मुझे पूरा विश्वास हैकि तुमने यह जादुई तकिया ग्रेशिया से चुराया है। इसकी सज़ा यह है कि मैं ग्रेशिया को यह वरदान देती हूँ कि अब उसकी एक की जगह दो मुरादें पूरी हुआ करेंगी। और तुम्हें अब तब तक कोई भी वस्तु नहीं मिलेगी जब तक तुम उस दिन कोई अच्छा काम नहीं करतीं।"
तब तक ग्रेशिया भी स्कूल से वापस आ गई थी। उसने जब यह सारी बातें सुनीं तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया। वो सिमी परी से जूलिया को माफ करने का निवेदन करने लगी। यह देख जूलिया की आँखों में आँसू आ गए।उसने तो जलन की वजह से ग्रेशिया का बुरा ही चाहा था। पर यहाँ ग्रेशिया उसके लिए माफी माँग रही थी। उसने सिमी परी से कहा, "मुझे आपकी शर्तमंजूर है। मेरी बुराइयों ने मेरी आँख के आगे पट्टी बाँध दी थी जो अबखुल चुकी है। शर्त के अनुसार मैं अब अच्छा कार्य करने की कोशिश करूँगी।" फिर वो ग्रेशिया की तरफ देखती हुई बोली, "बहन, मुझे माफ करदो और मुझे अपने जैसा बनाने में मेरी यदि मदद कर सको तो मैं तुम्हारी सदा आभारी रहूँगी ग्रेशिया ने जूलिया को गले लगा लिया।सिमी परी दोस्ती की इस शुरूआतको देख मुस्कुरा दी। NEELAM SAXENA CHANDRA-Electrical/electronic Engineering · Novelist · Poetry · Song writing · Writer

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