सोमवार, 8 अक्तूबर 2018

टीचर की सुनते हाे मां की भी सुनाे- डॉ. अनुजा भट्ट

साभार -भूपेश पंत
एक बच्चा संभलते नहीं संभलता ,पता नहीं टीचर कैसे इतने बच्चे को संभालते होंगे ।यह अक्सर ही हम सोचते हैं पर इसका उत्तर टीचर से नहीं पूछ पाते।यह गुत्थी टीचर ही सुलझा सकती है और उनको इसके लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। माओं के लिए फिलहाल ऐसे प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं है इसीलिए वह परेशान हैं।  बच्चे आपकी सुनें तो तेज बोलने की बजाय धीमी आवाज में उनसे कुछ कहें। फुसफुसाएं, बच्चे आपकी बात समझने की कोशिश में आपकी जरूर सुनेंगे।बच्चे की बर्थ डे पार्टी में फुसफुसाएं...यदि तुम लोग खरगोश की तरह उछलोगे तो तुम्हें केक मिलेगा। आप भले ही फुसफुसाए हों, थोड़ी देर में सभी बच्चे आपको उछलते हुए मिलेंगे। यदि बच्चों को कोई काम पसंद न आए तो उन्हें टाइमर लगाकर एक मिनट में वो काम पूरा करने को कहें। घर में आप सभी चीजों के लिए टाइमर सेट नहीं कर सकते। लिहाजा कुछ चीजों के लिए वक्त तय कीजिए। जैसे खाना खाने का, अपना कमरा सही करने का।
जो बच्चे छुट्टियों में स्कूल का कोई काम नहीं करते, स्कूल खुलने पर वे पढ़ाई पर कम ध्यान देने लगते हैं। इसलिए छुट्टियों के दौरान भी हर रोज उन्हें कुछ न कुछ लिखने के लिए प्रेरित करें।यदि आपका बच्चा लिखने में अनाकानी करता है तो आप उसकी पत्र मित्र बन जाएं। हर रोज एक दूसरे को कुछ न कुछ लिखें। ये पत्र तकिए के नीचे, मेज के नीचे आदि जगह पर छोड़ें। एक दूसरे के लिखे पत्र को पढऩे में मजा भी बहुत आएगा।बच्चों के सामने विकल्प न रखें ऐसा करने पर वह शिकायत भी कम करते हैं। जो है उसे खाना है, पहनना है। बच्चों के हाथ में पैसा मत दीजिए। उनमें बचत की आदत डालें चाहे वह पैसे की हो या समय की।जब बच्चों को महत्वपूर्ण बात बतानी हो, तो उनका ध्यान आकर्षित करना काफी मुश्किल होता है। इसलिए उनसे कहें कि मेरे मुंह की तरफ देखो, मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है। यदि बच्चे मेरी तरफ देखो कहने से भी न सुनें तो फिर कुछ क्रिएटिव हो जाएं। चलो हम दोनों अपना सिर से सिर भिड़ा कर बैठते हैं या फिर देखो मेरी नाक पर तो कुछ नहीं लगा हुआ। बच्चे जैसे ही आपके चेहरे की तरफ देखेंगे, आपकी सुनेंगे जरूर।बस आपका काम बन गया। अगर आप और भी इस तरह के टिप्स जानना चाहते हैं तो मुझे बताएं।..

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