मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

इंटरनेट में जिंदगी नहीं, माैत खाेजते हैं किशाेर


साइबर बुलिंग इस समय युवाओं में आत्महत्या का प्रमुख कारण है। साइबर बुलिंग इंटरनेट, मैसेज, एप्स, सोशल मीडिया, फोरम्स और गेम्स आदि के सहारे की जाती है। इस तरह की बुलिंग में कुछ लोग फर्जी आईडी या एप्लिकेशन बनाकर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं और फिर उन्हें उनकी प्राइवेट सूचनाओं या फोटो-वीडियो के माध्यम से ब्लैक मेल करते हैं। युवा इन मामलों में जल्दी फंसते हैं क्योंकि उनमें विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होता है या कई बार उन्हें सबकुछ जल्दी पा लेने की चाहत होती है। इन बातों से बच्चों को दूर रखना जरूरी है और बच्चों के इंटरनेट इस्तेमाल, उनके मोबाइल में इंस्टॉल एप्स के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी रखना जरूरी। अगर ये मुमकिन नहीं है, तो कम से कम बच्चों के व्यवहार परिवर्तन पर तो नजर जरूर रखें
अश्लील तस्वीरें और वीडियोज
इंटरनेट जितनी तेजी से लोगों की खासकर युवाओं की जिंदगी का हिस्सा बना है, उतनी ही तेजी से ये उनकी जिंदगियां छीन भी रहा है। सोशल मीडिया, डेटिंग साइट्स, वेबसाइट्स और प्राइवेट ग्रुप्स में चैटिंग करते समय लोग कई बार इतने घुल-मिल जाते हैं कि अपनी निजी जानकारियां और तस्वीरें दूसरों को देने में संकोच नहीं करते हैं। ज्यादातर मामलों में ये तस्वीरें और वीडियोज किसी गलत तरीके से वायरल कर दी जाती हैं। इसके बाद बेइज्जती और बदनामी के डर से या डिप्रेशन के कारण युवा लड़के-लड़कियां आत्महत्या का रास्ता चुन लेते हैं। इसलिए बच्चों को शुरू से ही ये बात समझाएं कि वो इंटरनेट पर ऐसी कोई भी जानकारी किसी से न शेयर करें, जिससे उन्हें बाद में परेशानी हो।
बच्चों के साथ समय बिताना जरूरीटीनएज या उससे छोटे बच्चे आमतौर पर प्यार और सम्मान की चाहत रखते हैं। आजकल की बिजी लाइफ में जब उन्हें ये प्यार और सम्मान घर-परिवार या समाज से नहीं मिलता है, तो वो इंटरनेट पर इसे ढूंढने की कोशिश करते हैं। अपना खाली समय किसी क्रिएटिव काम की बजाय आजकल ज्यादातर टीन एज बच्चे इंटरनेट पर बेवजह की चीजें देखने-पढ़ने में बिताते हैं। इसलिए ये जरूरी है कि मां-बाप बच्चों को समय दें, उनसे बात करें और उनकी परेशानियों में उनके साथ खड़े रहें। अकेलापन बच्चों को धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार बनाता है। बच्चे जब किसी से अपनी बात नहीं कह पाते हैं, तो आत्महत्या का रास्ता चुन लेते हैंरियल और वर्चुअल दुनिया में अंतर बताएंबच्चों के लिए छोटी उम्र में ये समझना कठिन होता है कि रियल और वर्चुअल वर्ल्ड में अंतर होता है। टीन एज बच्चे इंटरनेट पर सोशल मीडिया साइट्स और डेटिंग साइट्स पर दिखने वाले हर व्यक्ति को सच मान लेते हैं और उनपर विश्वास कर लेते हैं। इंटरनेट पर प्यार में धोखा और रिश्तों में दरार भी आजकल आत्महत्या का कारण बन रहा है। ऐसे में आप बच्चों को शुरुआत से ही ये बताएं कि उन्हें उन लोगों पर विश्वास करना चाहिए, जो उनके आस-पास हैं, न कि उन लोगों पर जिनको वे जानते नहीं हैं।
बच्चों के व्यवहार पर नजर रखेंआत्महत्या से पहले व्यक्ति के व्यवहार में कई तरह के परिवर्तन आते हैं। आमतौर पर डिप्रेशन, तनाव या परेशान होने पर किसी दूसरे व्यक्ति से अपने दिल की बात कह देने से तनाव कम होता है। इसलिए बेहतर होगा कि जब आप बच्चों के व्यवहार में थोड़ा परिवर्तन देखें, तो उनसे बात करें और उनकी परेशानी दूर करने की कोशिश करें। ऐसे समय में अगर बच्चे ने कोई बड़ी गल्ती भी की है, तो उसे मारें या डांटें नहीं, बल्कि प्यार से समझाएं और समस्या को सुलझाने की कोशिश करें।
साभार- आेनलीमाईहेल्थडॉटक़ॉम

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