The fashion of the whole world is contained within the folk art.
बुधवार, 17 अक्टूबर 2018
मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018
शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2018
दुर्गा पूजा - एक नजर फैशन पर भी- डा. अनुजा भट्ट
उत्सव का माैसम आ गया है। पूजा, करवाचौथ, दीपावली स लेकर नए साल केआगाज तक। माैसम में मस्ती पूरी तरह घुली हुई है। और एेसे माैसम में हम फैशन की बात न करें ताे यह कैसे हाे सकता है। हर त्याैहार के माैके पर नए परिधान पहनना फत्सव का स्वागत भी है और उल्लास का प्रतीक भी।
इस बार फैशन में गिंगम स्टाइल (चेक प्रिंट) में ड्रेसेस का चलन नजर आ रहा है। कहने वाले इसे माेदी जी क गमछे प्रेम से भी जाेड़ रहे हैं। जाे भी हाे वेस्टर्न फैशन से इंस्पायर्ड इंडियन गिंगम पुरुष अपने गले में डाले नजर आते रहे हैं। यही गमछा अब साड़ी में भी आ चुका है। गमछे की लाइंस और बॉक्स जिन्हें चेक्स भी कहते हैं, साड़ी में नए फैशन के रूप में उभरे हैं। कॉटन साड़ी में पेस्टल और वाइब्रेंट कलर कॉम्बिनेशन में गमछा साड़ी यंग दीवाज़ से लेकर साड़ी लवर्स तक को खासी पसंद आ रही हैं। लगभग सभी कलर्स में इन्हें तैयार किया जा रहा है। इनका कूल अंदाज इन्हें समर फ्रेंडली साड़ी की लिस्ट में टॉप चॉइस में शामिल कर रहा है। इसे महिलाएं खूब कैरी कर रही हैं।
ज्वैलरी के साथ स्टाइलिंग
चेक्स साड़ी के साथ स्टाइलिंग के लिए कच्छ की भुजोड़ी ज्वेलरी यानी सिल्वर ऑक्सीडाइज, ट्राइबल ज्वेलरी को टीम-अप कर सकते हैं। इसके साथ शर्ट स्टाइल में ब्लाउज़ तैयार करवा सकते हैं। इसके अलावा मोजड़ी और एंब्रॉइडरी वाली जूतियां या जूते, सैंडल भी इसके साथ बहुत ही अच्छा लुक देती हैं।
खादी, लिनन, कॉटन का प्रयोग
फैशन एक्सपर्ट सपना सिंह परमार बताती हैं, जया जेटली ने वीवर्स की अामदनी बढ़ाने यह आइडिया विकसित किया। यह जीरो मेंटनेंस साड़ी है, जिसे वॉश एंड आयरन करना काफी है। यह स्टेटमेंट साड़ी एलीट क्लास का फैशन बन चुकी है जो कि खादी, लिनन, कॉटन में बन रही है। यह पाउडर, पेस्टल शेड्स में तैयार हो रही हैं। इसके एजेस में पोम-पोम, डेकोरेट एजिंग की जाती है। साड़ी लवर अपराजिता अग्रवाल कहती हैं, इसमें मिक्स ऑफ चेक्स, स्ट्राइप्स बहुत अच्छी लगती हैं।
मिसेज इंडिया फोटोजेनिक निधि जायसवाल बताती हैं कि युवा मोटिफ प्रिंट, गमछा प्रिंट, टसर सिल्क, बाटिक प्रिंट, अफगान ज्वेलरी, आर्टिफिशियल ज्वेलरी युवा को काफी भा रही है। मोटिफ का मतलब होता है छपाई की प्रक्रिया, जिसमें एक ही डिजाइन और पैटर्न को पूरे आउटफिट पर बनाया जाता है। मोटिफ प्रिंट को ब्लॉक प्रिंट भी कहा जाता है और इस बार दुर्गा पूजा के लिए मोटिफ प्रिंट के आउटफिट सबसे अधिक जंचने वाले हैं। कपड़ों के स्टोर्स में आपको मोटिफ प्रिंट के कई सारे आउटफिट मिल जाएंगे और आप चाहें तो ऑनलाइन भी इसे खरीद सकती हैं। इसमें आपको साड़ी से लेकर पैंट्स तक सब कुछ मिल जाएगा।
गमछा यह एक अनोखा हाथ से बना कपड़ा होता है, जिसे विशेष रूप से बंगाल के घरों में प्रयोग किया जाता है। यह काफी मुलायम और पहनने में आसान होता है। डिजाइनर्स अब गमछा से साड़ी से लेकर कई तरह की ड्रेस बनाने लगे हैं। इसमें स्टाइलिश गमछा कुर्ती, सूट-सलवार प्रमुख रूप से शामिल है।
: पारंपरिक सिल्क का कपड़ा होता है टसर और बंगाल और भारत के अन्य हिस्सों में व्यापक रूप से इसकी खेती की जाती है। कई सालों से लोग टसर का प्रयोग साड़ी बनाने में करते हैं। टसर सिल्क की साड़ी हर वर्ष की तरह वर्ष भी हिट है। इस साल भी आप टसर की सिल्क साड़ी में थोड़ा बदलाव कर पहन सकती हैं। टसर सिल्क पर एंब्राम्यडरी की हुई साड़ी इस दुर्गा पूजा में आपकी खूबसूरती के साथ-साथ स्टाइल में चार चांद लगा देगा।
अफगान व आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनीं पसंद: कपड़ों के साथ-साथ फैशन और ट्रेंड में ज्वेलरी भी चल रही है। इस साल दुर्गा पूजा पर अफगान ज्वेलरी खूब जंचेगी। इसे आप साड़ी, कुर्ता या फिर किसी भी ड्रेस के साथ मैच कर सकती हैं। इतना ही नहीं युवाओं के बीच आर्टिफिशियल ज्वेलरी भी पसंद में शुमार है।
लड़कों में कुर्ता-पायजामा ऑन डिमांड: युवाओं को फेस्टिव लुक मिले, इसके लिए नए-नए रंगों के साथ उनके कलेक्शन पेश किए गए हैं। इस पूजा बाजार में प्रिंट्स का चलन है। इन शर्ट को फॉर्मल पैंट और कैजुअल जींस के साथ भी पहनने के लिए डिजाइन किया गया है। इस बार पूजा में यंगस्टर्स के लिए बैलून पैंट और कुर्ता-पायजामा, धोती स्टाइल जैसे ट्रेडिशनल कपड़ों को नए लुक में पेश किया गया है। फ्लोरल प्रिंट्स, डॉट्स, चेक्स और ज्योमैट्रिकल प्रिंट्स पसंद किए जा रहे हैं। रग्गड़ जींस और स्मार्ट फिट ट्राउजर भी चलन में हैं। बंडी और लांग बंडी के भी नए कलेक्शन में हैं।
ज्वैलरी के साथ स्टाइलिंग
चेक्स साड़ी के साथ स्टाइलिंग के लिए कच्छ की भुजोड़ी ज्वेलरी यानी सिल्वर ऑक्सीडाइज, ट्राइबल ज्वेलरी को टीम-अप कर सकते हैं। इसके साथ शर्ट स्टाइल में ब्लाउज़ तैयार करवा सकते हैं। इसके अलावा मोजड़ी और एंब्रॉइडरी वाली जूतियां या जूते, सैंडल भी इसके साथ बहुत ही अच्छा लुक देती हैं।
खादी, लिनन, कॉटन का प्रयोग
फैशन एक्सपर्ट सपना सिंह परमार बताती हैं, जया जेटली ने वीवर्स की अामदनी बढ़ाने यह आइडिया विकसित किया। यह जीरो मेंटनेंस साड़ी है, जिसे वॉश एंड आयरन करना काफी है। यह स्टेटमेंट साड़ी एलीट क्लास का फैशन बन चुकी है जो कि खादी, लिनन, कॉटन में बन रही है। यह पाउडर, पेस्टल शेड्स में तैयार हो रही हैं। इसके एजेस में पोम-पोम, डेकोरेट एजिंग की जाती है। साड़ी लवर अपराजिता अग्रवाल कहती हैं, इसमें मिक्स ऑफ चेक्स, स्ट्राइप्स बहुत अच्छी लगती हैं।
मिसेज इंडिया फोटोजेनिक निधि जायसवाल बताती हैं कि युवा मोटिफ प्रिंट, गमछा प्रिंट, टसर सिल्क, बाटिक प्रिंट, अफगान ज्वेलरी, आर्टिफिशियल ज्वेलरी युवा को काफी भा रही है। मोटिफ का मतलब होता है छपाई की प्रक्रिया, जिसमें एक ही डिजाइन और पैटर्न को पूरे आउटफिट पर बनाया जाता है। मोटिफ प्रिंट को ब्लॉक प्रिंट भी कहा जाता है और इस बार दुर्गा पूजा के लिए मोटिफ प्रिंट के आउटफिट सबसे अधिक जंचने वाले हैं। कपड़ों के स्टोर्स में आपको मोटिफ प्रिंट के कई सारे आउटफिट मिल जाएंगे और आप चाहें तो ऑनलाइन भी इसे खरीद सकती हैं। इसमें आपको साड़ी से लेकर पैंट्स तक सब कुछ मिल जाएगा।
गमछा यह एक अनोखा हाथ से बना कपड़ा होता है, जिसे विशेष रूप से बंगाल के घरों में प्रयोग किया जाता है। यह काफी मुलायम और पहनने में आसान होता है। डिजाइनर्स अब गमछा से साड़ी से लेकर कई तरह की ड्रेस बनाने लगे हैं। इसमें स्टाइलिश गमछा कुर्ती, सूट-सलवार प्रमुख रूप से शामिल है।
: पारंपरिक सिल्क का कपड़ा होता है टसर और बंगाल और भारत के अन्य हिस्सों में व्यापक रूप से इसकी खेती की जाती है। कई सालों से लोग टसर का प्रयोग साड़ी बनाने में करते हैं। टसर सिल्क की साड़ी हर वर्ष की तरह वर्ष भी हिट है। इस साल भी आप टसर की सिल्क साड़ी में थोड़ा बदलाव कर पहन सकती हैं। टसर सिल्क पर एंब्राम्यडरी की हुई साड़ी इस दुर्गा पूजा में आपकी खूबसूरती के साथ-साथ स्टाइल में चार चांद लगा देगा।
अफगान व आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनीं पसंद: कपड़ों के साथ-साथ फैशन और ट्रेंड में ज्वेलरी भी चल रही है। इस साल दुर्गा पूजा पर अफगान ज्वेलरी खूब जंचेगी। इसे आप साड़ी, कुर्ता या फिर किसी भी ड्रेस के साथ मैच कर सकती हैं। इतना ही नहीं युवाओं के बीच आर्टिफिशियल ज्वेलरी भी पसंद में शुमार है।
लड़कों में कुर्ता-पायजामा ऑन डिमांड: युवाओं को फेस्टिव लुक मिले, इसके लिए नए-नए रंगों के साथ उनके कलेक्शन पेश किए गए हैं। इस पूजा बाजार में प्रिंट्स का चलन है। इन शर्ट को फॉर्मल पैंट और कैजुअल जींस के साथ भी पहनने के लिए डिजाइन किया गया है। इस बार पूजा में यंगस्टर्स के लिए बैलून पैंट और कुर्ता-पायजामा, धोती स्टाइल जैसे ट्रेडिशनल कपड़ों को नए लुक में पेश किया गया है। फ्लोरल प्रिंट्स, डॉट्स, चेक्स और ज्योमैट्रिकल प्रिंट्स पसंद किए जा रहे हैं। रग्गड़ जींस और स्मार्ट फिट ट्राउजर भी चलन में हैं। बंडी और लांग बंडी के भी नए कलेक्शन में हैं।
गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018
मेवे खाएं, भिगाेकर खाएं, सेहत बनाएं
ड्राईफ्रूट्स को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। यह दिमाग के लिए टॉनिक का काम करते हैं। लेकिन इनकाे खाने से पहले हमें काफी एहतियात बरतनी चाहिए। दरअसल,सूखे मेवों की तासीर गर्म होती है इसलिए इन्हें भिगोकर खाया जाना चाहिए। मेवों में उच्च मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है इसलिए ऐसे लोग जिन्हें किडनी रोग, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल या पाचन संबंधी रोग हो वे इन्हें डॉक्टरी सलाह के बाद ही खाएं।
सूखे मेवे या ड्राईफ्रूट्स को भले ही स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है, यह दिमाग के लिए टॉनिक का काम भी करता है, लेकिन क्या आपको पता है इसके नुकसान भी होते हैं।
सूखे मेवों की तासीर गर्म होती है इसलिए इन्हें भिगोकर खाया जाना चाहिए। किसी भी ड्राईफ्रूट को खाने से पहले इन्हें 6-8 घंटे पानी में भिगोकर रखना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे कि जिस पानी में आपने इन्हें भिगोया है उस पानी का प्रयोग दोबारा न करें क्योंकि इसमें छिलके की ऊपरी परत पर मौजूद दूषित कण शेष रह जाते हैं। मेवों से बने उत्पाद खाने की बजाय इन्हें ऐेस ही खाना चाहिए।
बादाम
बादाम में कैल्शियम,विटामिन ई, विटामिन बी और फाइबर मौजूद होते है जिससे ये सेहत के लिए जितने अच्छे हैं ,वहीं इनका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि अधिक बादाम खाने से आपको कब्ज़ हो सकती है, इसलिए दिन में 5 बादाम से ज्य़ादा न खाएं।
बादाम से मोटापा भी बढ़ाता है। इसलिए बादाम का सीमित मात्रा में सेवन करें। बादाम मौजूद 65 प्रतिशत मोनोसेचुरेटिड फैट शरीर के बैड कोलेस्ट्रॉल को कमऔर अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। बादाम में विटामिन ई, विटामिन बी और फाइबर मौजूद होते हैं। कैल्शियम की अच्छी मात्रा होने की वजह से बादाम महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। बादाम को बिना छीले खाना चाहिए, क्योंकि इसके छिलकों में फ्लेवोनॉइड्स नाम का एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो हृदय और रक्त धमनियों को सुरक्षित रखने में सहायक होता है।
. सूखी अंजीर
माेटापा कम करने में कारगर अंजीर चाहे भूख को नियंत्रित रखने में सहायक होती है लेकिन इसका अधिक सेवन जिगर के लिए हानिकारक हो सकता है। अंजीर बहुत गर्म होती है, इसलिए 5 दाने से ज्य़ादा न खाएं। इसमें फाइबर और पोटैशियम की मात्रा ज़्यादा होती है। मोटे लोगों को सूखी अंजीर का सेवन करना चाहिए।यह उनका वज़न कम करने में भी सहायक होती है।
सूखे मेवों की तासीर गर्म होती है इसलिए इन्हें भिगोकर खाया जाना चाहिए। किसी भी ड्राईफ्रूट को खाने से पहले इन्हें 6-8 घंटे पानी में भिगोकर रखना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे कि जिस पानी में आपने इन्हें भिगोया है उस पानी का प्रयोग दोबारा न करें क्योंकि इसमें छिलके की ऊपरी परत पर मौजूद दूषित कण शेष रह जाते हैं। मेवों से बने उत्पाद खाने की बजाय इन्हें ऐेस ही खाना चाहिए।
बादाम
बादाम में कैल्शियम,विटामिन ई, विटामिन बी और फाइबर मौजूद होते है जिससे ये सेहत के लिए जितने अच्छे हैं ,वहीं इनका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि अधिक बादाम खाने से आपको कब्ज़ हो सकती है, इसलिए दिन में 5 बादाम से ज्य़ादा न खाएं।
बादाम से मोटापा भी बढ़ाता है। इसलिए बादाम का सीमित मात्रा में सेवन करें। बादाम मौजूद 65 प्रतिशत मोनोसेचुरेटिड फैट शरीर के बैड कोलेस्ट्रॉल को कमऔर अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। बादाम में विटामिन ई, विटामिन बी और फाइबर मौजूद होते हैं। कैल्शियम की अच्छी मात्रा होने की वजह से बादाम महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। बादाम को बिना छीले खाना चाहिए, क्योंकि इसके छिलकों में फ्लेवोनॉइड्स नाम का एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो हृदय और रक्त धमनियों को सुरक्षित रखने में सहायक होता है।
. सूखी अंजीर
माेटापा कम करने में कारगर अंजीर चाहे भूख को नियंत्रित रखने में सहायक होती है लेकिन इसका अधिक सेवन जिगर के लिए हानिकारक हो सकता है। अंजीर बहुत गर्म होती है, इसलिए 5 दाने से ज्य़ादा न खाएं। इसमें फाइबर और पोटैशियम की मात्रा ज़्यादा होती है। मोटे लोगों को सूखी अंजीर का सेवन करना चाहिए।यह उनका वज़न कम करने में भी सहायक होती है।
.पिस्ता-पिस्ता हृदय रोगियों के लिए बेहद लाभकारी है,यह विटामिन बी-6 का प्रमुख स्रोत है। डाइटिंग कर रही महिलाओं के लिए पिस्ता फायदेमंद होता है, क्योंकि इससे पेट ज़्यादा देर तक भरा रहता है।लेकिन ज़्यादा पिस्ता खाने से आपको एसिडिटी की दिक्कत हो सकती है। पिस्ते में नमक होने की वजह से ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए ज्यादा नुकसानदायक होता है। इसमें विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं। पिस्ते में नमक होने की वजह से हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के नुकसानदायक हाे सकता है।
किशमिश
यदि आपकी याददाश्त कमज़ोर हो गई है और आप भूलने लगते हैं तो किशमिश का सेवन बहुत बढ़िया है। इसे एक बढ़िया एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है, जो स्टैमिना बढ़ाता है। परंतु हमेशा इसका सेवन भिगोकर ही करना चाहिए। किशमिश के सेवन से पेट की कब्ज़ दूर होती है। इसे एक बढ़िया एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है, जो स्टैमिना बढ़ाता है।
काजू
काजू को ड्राय फ्रूट्स का राजा भी कहा जाता है। काजू को प्रोटीन,आयरन, फाइबर और मैगनीशियम का अच्छा स्रोत माना जाता है। काजू का सेवन शरीर को ऊर्जा देने के साथ कई बीमारियों से हमारी रक्षा करता है। काजू ज्यादा न खाएं क्योंकि इससे आपके गले में खुश्की और खांसी हो सकती है और एसिडिटी की दिक्कत भी हो सकती है।
पीनट्स
पीनट्स में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं। अगर पीनट्स को डिब्बे में बंद करके फ्रिज में रखा जाए, तो ये छह महीने तक खराब नहीं होते। जिनको अस्थमा की दिक्कत है, वो प्रेग्नेंसी के समय पीनट्स न खाएं। पीनट्स भी गर्म होते हैं। ज्यादा खाने से आपको गर्मी की शिकायत हो सकती है।
अखराेट
किशमिश
यदि आपकी याददाश्त कमज़ोर हो गई है और आप भूलने लगते हैं तो किशमिश का सेवन बहुत बढ़िया है। इसे एक बढ़िया एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है, जो स्टैमिना बढ़ाता है। परंतु हमेशा इसका सेवन भिगोकर ही करना चाहिए। किशमिश के सेवन से पेट की कब्ज़ दूर होती है। इसे एक बढ़िया एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है, जो स्टैमिना बढ़ाता है।
काजू
काजू को ड्राय फ्रूट्स का राजा भी कहा जाता है। काजू को प्रोटीन,आयरन, फाइबर और मैगनीशियम का अच्छा स्रोत माना जाता है। काजू का सेवन शरीर को ऊर्जा देने के साथ कई बीमारियों से हमारी रक्षा करता है। काजू ज्यादा न खाएं क्योंकि इससे आपके गले में खुश्की और खांसी हो सकती है और एसिडिटी की दिक्कत भी हो सकती है।
पीनट्स
पीनट्स में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं। अगर पीनट्स को डिब्बे में बंद करके फ्रिज में रखा जाए, तो ये छह महीने तक खराब नहीं होते। जिनको अस्थमा की दिक्कत है, वो प्रेग्नेंसी के समय पीनट्स न खाएं। पीनट्स भी गर्म होते हैं। ज्यादा खाने से आपको गर्मी की शिकायत हो सकती है।
अखराेट
अखरोट में मौजूद फैट और पौष्टिक तत्व शरीर में इंसुलिन की मात्रा को संतुलित रखने में सहायक होते हैं। एग्ज़ीमा और अस्थमा के रोगियों के लिए अखरोट फायदेमंद होता है। अखरोट से टाइप टू डाइबिटीज़ के रोगियों में हृदय रोग की आशंका कम हो जाती है। अखरोट को 10 ग्राम से 20 ग्राम मात्रा में ही खाएं। अखरोट गरम व खुश्क प्रकृति का होता है।अखरोट पित्त प्रकृति वालों के लिए हानिकारक होता है।
साभार ओनली माई हेल्थ
मंगलवार, 9 अक्टूबर 2018
नवरात्रि में रखें अपने खानपान का ख्याल
नवरात्र में लोग नौ दिन व्रत रहकर भगवान की पूजा अर्चना करते हैं, तो कई श्रद्धालु पूरे नव दिनों का उपवास भी रखते हैं। नवरात्रों में व्रत-पूजा की महत्ता सालों से चली आई है । आज बदलते समय के साथ ही व्रत पूजा के मायने भी कुछ दि तक बदल गये हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो वज़न घटाने के लिए नौ दिनों का व्रत रखते हैं । लेकिन आहार विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करना बिलुकल गलत है। अगर आप वज़न घटाने के लिए व्रत रख रहे हैं, तो भी आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है ।
बीमार लोगों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही उपवास रखना चाहिए। विशेष तौर पर डायबिटीज या उच्च रक्तचाप या हृदय के मरीज को। गर्भवती महिलाओं को व्रत रखने से परहेज करना चाहिए। व्रत स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है बशर्ते कुछ बातों का ध्यान रखा जाए।
इन्हें आजमाएं
- व्रत के शुरुआत में भूख काफी लगती है। ऐसे में पानी में नींबू और शहद डालकर पिएं। इससे भूख को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी।
- निर्जला उपवास न रखें। इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है और अपशिष्ट पदार्थ शरीर के बाहर नहीं आ पाते। इससे पेट में जलन, कब्ज, संक्रमण, पेशाब में जलन जैसी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
- एक साथ खूब सारा पानी पीने के बजाए दिन में कई बार नींबू वाला पानी पिएं।
- व्रत के दौरान चाय, काफी का सेवन काफी बढ़ जाता है। इस पर नियंत्रण रखें।
- व्रत के दौरान आलू चिप्स और दूसरे स्नैक्स कम से कम खायें।
क्या खाएं
- सुबह एक गिलास दूध पिएं।
- दोपहर के समय फल या जूस लें। शाम को चाय पी सकते हैं।
- कई लोग व्रत में एक बार ही भोजन करते हैं। ऐसे में एक निश्चित अंतराल पर फल खा सकते हैं।
- रात के खाने में कुट्टू या सिंघाड़े के आटे से बनी पूरी और आलू, पकौड़ी और चीले खा सकते हैं।
इस डायट प्लान को फालो करने के अलावा आपको कुछ और बातों पर भी ध्यान देना चाहिए
- पूरा दिन थोड़ा-थोड़ा खाते रहने की बजाय दिन में 4-5 बार फल या जूस का सेवन करें ।
- अच्छा होगा आप सुबह की शुरूआत हैवी नाश्ते से करें ।
- अपनी स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए ही व्रत करें ।
- नौ दिन के उपवास का अर्थ यह नहीं है, कि आप दसवें दिन जब खाना खायें तो कुछ भी खा लें ।
- नौ दिनों के व्रत के बाद आपको संतुलित आहार का ही सेवन करना चाहिए ।
- साभार- अोनलीमाईहेल्थ
सोमवार, 8 अक्टूबर 2018
मिस ट्रांसक्वीन इंडिया 2018 का दूसरा संस्करण, मुंबई में वीणा सेन्द्रे ने जीता।
कर्नाटक और अन्य राज्यों की ट्रांस क्वीन ने मिस ट्रांसक्वीन इंडिया 2018 खिताब जीतने के लिए प्रतिस्पर्धा किया जहाँ छत्तीसगढ़ की वीणा सेन्द्रे ने ख़िताब जीता। सानिया सूद फर्स्ट रनर अप रहीं और नमिता अम्मू सेकंड रनर अप रहीं। इस इवेंट में टीवी एक्टर आशीष शर्मा ,बिग बॉस वाले सुशांत दिग्विकर आये थे पेजेंट को जज करने। ब्यूटी पीजेंट - मिस ट्रांसक्वीन इंडिया रीना राय की सोच है। उनका मानना है कि एलजीबीटी समुदाय की स्वीकृति और समावेश केवल तभी हो सकता है, जब हम उनके सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करना शुरू करें, "हमने ललित नई दिल्ली, द ललित मुंबई और द ललित अशोक बैंगलोर में ऑडिशन लिया। मिस ट्रांसक्वीन इंडिया के संस्थापक और अध्यक्ष मिस रीना राय ने कहा, "मैं अब कुछ वर्षों से समुदाय के साथ मिलकर काम करना चाहती हूं, अब मैं उन्हें सशक्त बनाना चाहती हूं, दृश्यता बढ़ा सकती हूं और रोज़गार के अवसर पैदा कर सकती हूं, और इसके माध्यम से एक समावेशी समाज के निर्माण में योगदान देना चाहता हूं।"
गार्नेट एंड गोल्ड मिस ट्रांसक्वीन इंडिया 2018 के लिए मीडिया पार्टनर रहे। ओल्मेक ब्यूटी और ट्रीटमेंट ने तीन लाख़ का सर्जरी विनर को गिफ्ट किया , क्रोनोकेयर गिफ्टींग पार्टनर रहे , सांताचेफ एनजीओ पार्टनर थे।
द ललित हॉस्पिटेलिटी पार्टनर थे । द ललित सूरी हॉस्पिटेलिटी ग्रुप के कार्यकारी निदेशक श्री केशव सूरी, मिस ट्रांसक्वीन इंडिया पेजेंट के साथ सहयोग के बारे में उत्साहित हैं। वह कहते हैं, "इस तरह की पहल के साथ, हम समुदाय के लिए अधिक समावेशी प्लेटफार्म तैयार करने में सक्षम होंगे। उन्हें कॉर्पोरेट, बॉलीवुड और समाज में सही स्वीकृति में प्रतिनिधित्व प्राप्त करें। मैं उन्हें शामिल करने के लिए यात्रा में सबसे अच्छी कामना करता हूं। "इसका लक्ष्य मुख्य लोगों को प्रदर्शन करने वाले स्थान में ट्रांसजेंडर समुदाय को जानना और स्वीकार करना है
मेरे पास 17 वर्षीय बेटा है जो कॉलेज से बाहर निकल गया। वह अब दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से स्नातक की पढ़ाई कर रहा है। समस्या यह है कि, वह घर से बाहर निकलने से इंकार कर देता है और कुछ भी करता है। ऐसे दिन होते हैं जब वह पूरे दिन बिस्तर से उठता नहीं है। वह किसी के साथ बातचीत करना पसंद नहीं करता है। हम उसे परामर्शदाता देखने के लिए राजी करने में सक्षम नहीं हैं। कृपया सुझाव दें कि क्या करना है।
यह वास्तव में एक मुश्किल स्थिति है। पूरी बातचीत आपके साझा गतिशीलता पर निर्भर करती है। सबसे पहले, उसे कॉलेज से बाहर निकलने का क्या कारण था? हो सकता है कि वह अभी भी कारण है कि वह जिस तरह से व्यवहार कर रहा है। खुले रहें और उससे पूछें कि क्या कुछ ऐसा हो रहा है और वह साझा करना चाहता है। उसे समझाओ कि आप बहुत चिंतित हैं।
उसे नाराज करने या उसे छेड़छाड़ किए बिना उससे बात करने के लिए प्रोत्साहित करें। यदि वह आपको पर्याप्त भरोसा करता है, तो शायद वह अंततः आपके लिए खुल जाएगा। जब वह करता है, तो उसे बताने की कोशिश न करें कि उसे क्या करना चाहिए या नहीं करना चाहिए या तुरंत समाधान और सलाह देना चाहिए। बस उसे सुनो और उससे पूछो कि वह क्या करना चाहता है, ताकि वह जिस तरह से महसूस कर सके, वह महसूस न करे।
पुष्टि करें कि आप चाहते हैं कि वह जीवन का आनंद उठाएं, बाहर जाएं और सामाजिककरण करें और यदि वह नहीं करता है, तो यह स्वस्थ नहीं हो सकता है। अगर वह इनकार करता है कि कुछ भी गलत है, तो उसे अपने साथ गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें। चलने के लिए या जिम के साथ जाओ। अगर उसका मनोदशा और व्यवहार वही रहता है, तो उसे एक मनोचिकित्सक या मनोचिकित्सक के पास ले जाएं, क्योंकि एक मेडिकल चेक-अप के लिए जाता है, यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सबकुछ उसके साथ ठीक है। दृढ़ रहो लेकिन अपना ठंडा मत खोना। अपने प्रतिरोध के माध्यम से आपको अभी तक निविदात्मक होने की आवश्यकता है।
मेरा बेटा एक बहिर्वाह है, स्कूल में काफी लोकप्रिय बच्चा है। वह 15 वर्ष है। हाल ही में मैंने देखा है कि वह विशेष रूप से सामाजिक सभाओं पर जोर दे रहा है। वह इसके बारे में बहुत सचेत हो रहा है।
स्टैमरिंग मनोवैज्ञानिक तनाव या कभी-कभी शारीरिक समस्या के कारण हो सकती है। हालांकि, चूंकि यह अभी शुरू हुआ है, यह मनोवैज्ञानिक कारण होने की अधिक संभावना है। उसे अपने बारे में न्याय या अजीब महसूस किए बिना उससे बात करें। यह पता लगाने की कोशिश करें कि क्या कोई ऐसी चीज है जो उसे परेशान कर रही है। क्या वह देर से चिंतित है या क्या ऐसी कोई घटना हुई है जो उसे परेशान कर रही है? यदि वह आपको खोल नहीं रहा है तो आप उसे परामर्शदाता के पास ले जा सकते हैं।
कभी-कभी, मनोवैज्ञानिक घटकों के साथ एक सौदे के बाद भी, किसी को बाधा को दूर करने के लिए अपने भाषण को पुनः प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है। उसे एक भाषण चिकित्सक के पास ले जाएं, जो इस मामले में आपके बेटे की मदद करने के लिए सबसे योग्य है। उसके साथ क्या हो रहा है उसके प्रति संवेदनशील रहें और बोलते समय उसे सही न रखें।
मैं अपने 16 वर्षीय बेटे के दराज में गंज के झुंड में आया हूं। मैं यह तय नहीं कर सकता कि मुझे उसका सामना करना चाहिए या इसे इस बार रहने दें और भविष्य में नजर रखें?
किसी समस्या को अनदेखा करने से आपको असहज टकराव मिल सकता है लेकिन लंबे समय तक सहायक नहीं होता है। इसे देने से समस्या का समाधान नहीं होता है। यदि यह आपके साथ ठीक है, तो हम अनुशंसा करते हैं कि आप उसे बताएं कि आपको दराज में क्या मिला है और उससे पूछें कि वह उसके साथ क्यों था। धैर्यपूर्वक उसे सुनें। एक बार जब आप सुनें कि उसे क्या कहना है, तो उसे बताएं कि यह आपके साथ बिल्कुल सही नहीं है। हालांकि, जब आप इसे संवाद करते हैं, तो अतिव्यापी या क्रोधित न हों। एक शांत लेकिन दृढ़ तरीके से उसके साथ संवाद करें।
बच्चे, बढ़ने के हिस्से के रूप में, आपके द्वारा निर्धारित सीमाओं को धक्का देंगे। वे हमारी दहलीज का परीक्षण करते हैं और हमारी सीमाओं को धक्का देते हैं लेकिन माता-पिता के रूप में, यह सीमा तय करने के लिए हमारा कर्तव्य है। यह आवश्यक नहीं है कि वे हमारे साथ सहमत हों या हर मुद्दे पर हमारे साथ आंखें देखें, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि वे हमारे द्वारा निर्धारित सीमाओं का सम्मान करना सीखें।
उसे बताएं कि यदि यह पहली बार और एक प्रयोग है, तो आप समझते हैं लेकिन आप इसे दोहराना नहीं चाहते हैं। यदि वह इस तर्क के साथ बहस करने का प्रयास करता है कि यह कितना अच्छा है, तो चर्चा को प्रोत्साहित न करें। उसे बताएं कि यह स्वीकार्य नहीं है और जब तक वह आपकी देखभाल में है, यह जारी नहीं रह सकता है। आप यह भी कह सकते हैं कि आपके पास यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि खरपतवार अपने शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है और यह चर्चा के लिए नहीं है।
अगर वह कहता है कि वह फिर से ऐसा नहीं करेगा तो उसे भरोसा करें और उसे वह वादा करने का मौका दें जो वह वादा कर रहा है। ध्यान रखें कि भविष्य में वह एक ही चीज़ दोहरा सकता है और आपको एक ही व्यायाम को दृढ़ तरीके से दोहराना पड़ सकता है। एक सीमा निर्धारित करना अक्सर एक लंबी दोहराव प्रक्रिया होती है, जब तक यह स्पष्ट और स्पष्ट न हो जाए। यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने बेटे पर नजर रखें।
मेरी 13 वर्षीय बेटी अभी भी कभी-कभी अपना बिस्तर बनाती है। उसने मासिक धर्म शुरू कर दिया है। हम उसकी मदद कैसे कर सकते हैं?
विभिन्न भौतिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों के कारण बिस्तर-गीलापन हो सकता है। कुछ बच्चे कभी-कभी तब तक बिस्तर-गीले होते हैं जब तक वे लगभग 12 वर्ष तक नहीं होते हैं या जब तक वे मासिक धर्म शुरू नहीं करते हैं। वह अभी तक सामान्य घंटी वक्र से बहुत दूर नहीं है। मेनारचे के समय, मूत्र पथ के आस-पास एक असहज महसूस करना भी असामान्य नहीं है, जिससे बिस्तर-गीलेपन हो सकता है। कभी-कभी मूत्र पथ में संक्रमण इस प्रकार के एपिसोड का कारण बन सकता है।
उसे पहले एक बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं और सुनिश्चित करें कि इसके लिए कोई शारीरिक कारण नहीं है। शारीरिक रूप से
mere paas 17 varsheey beta hai jo kolej
यह वास्तव में एक मुश्किल स्थिति है। पूरी बातचीत आपके साझा गतिशीलता पर निर्भर करती है। सबसे पहले, उसे कॉलेज से बाहर निकलने का क्या कारण था? हो सकता है कि वह अभी भी कारण है कि वह जिस तरह से व्यवहार कर रहा है। खुले रहें और उससे पूछें कि क्या कुछ ऐसा हो रहा है और वह साझा करना चाहता है। उसे समझाओ कि आप बहुत चिंतित हैं।
उसे नाराज करने या उसे छेड़छाड़ किए बिना उससे बात करने के लिए प्रोत्साहित करें। यदि वह आपको पर्याप्त भरोसा करता है, तो शायद वह अंततः आपके लिए खुल जाएगा। जब वह करता है, तो उसे बताने की कोशिश न करें कि उसे क्या करना चाहिए या नहीं करना चाहिए या तुरंत समाधान और सलाह देना चाहिए। बस उसे सुनो और उससे पूछो कि वह क्या करना चाहता है, ताकि वह जिस तरह से महसूस कर सके, वह महसूस न करे।
पुष्टि करें कि आप चाहते हैं कि वह जीवन का आनंद उठाएं, बाहर जाएं और सामाजिककरण करें और यदि वह नहीं करता है, तो यह स्वस्थ नहीं हो सकता है। अगर वह इनकार करता है कि कुछ भी गलत है, तो उसे अपने साथ गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें। चलने के लिए या जिम के साथ जाओ। अगर उसका मनोदशा और व्यवहार वही रहता है, तो उसे एक मनोचिकित्सक या मनोचिकित्सक के पास ले जाएं, क्योंकि एक मेडिकल चेक-अप के लिए जाता है, यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सबकुछ उसके साथ ठीक है। दृढ़ रहो लेकिन अपना ठंडा मत खोना। अपने प्रतिरोध के माध्यम से आपको अभी तक निविदात्मक होने की आवश्यकता है।
मेरा बेटा एक बहिर्वाह है, स्कूल में काफी लोकप्रिय बच्चा है। वह 15 वर्ष है। हाल ही में मैंने देखा है कि वह विशेष रूप से सामाजिक सभाओं पर जोर दे रहा है। वह इसके बारे में बहुत सचेत हो रहा है।
स्टैमरिंग मनोवैज्ञानिक तनाव या कभी-कभी शारीरिक समस्या के कारण हो सकती है। हालांकि, चूंकि यह अभी शुरू हुआ है, यह मनोवैज्ञानिक कारण होने की अधिक संभावना है। उसे अपने बारे में न्याय या अजीब महसूस किए बिना उससे बात करें। यह पता लगाने की कोशिश करें कि क्या कोई ऐसी चीज है जो उसे परेशान कर रही है। क्या वह देर से चिंतित है या क्या ऐसी कोई घटना हुई है जो उसे परेशान कर रही है? यदि वह आपको खोल नहीं रहा है तो आप उसे परामर्शदाता के पास ले जा सकते हैं।
कभी-कभी, मनोवैज्ञानिक घटकों के साथ एक सौदे के बाद भी, किसी को बाधा को दूर करने के लिए अपने भाषण को पुनः प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है। उसे एक भाषण चिकित्सक के पास ले जाएं, जो इस मामले में आपके बेटे की मदद करने के लिए सबसे योग्य है। उसके साथ क्या हो रहा है उसके प्रति संवेदनशील रहें और बोलते समय उसे सही न रखें।
मैं अपने 16 वर्षीय बेटे के दराज में गंज के झुंड में आया हूं। मैं यह तय नहीं कर सकता कि मुझे उसका सामना करना चाहिए या इसे इस बार रहने दें और भविष्य में नजर रखें?
किसी समस्या को अनदेखा करने से आपको असहज टकराव मिल सकता है लेकिन लंबे समय तक सहायक नहीं होता है। इसे देने से समस्या का समाधान नहीं होता है। यदि यह आपके साथ ठीक है, तो हम अनुशंसा करते हैं कि आप उसे बताएं कि आपको दराज में क्या मिला है और उससे पूछें कि वह उसके साथ क्यों था। धैर्यपूर्वक उसे सुनें। एक बार जब आप सुनें कि उसे क्या कहना है, तो उसे बताएं कि यह आपके साथ बिल्कुल सही नहीं है। हालांकि, जब आप इसे संवाद करते हैं, तो अतिव्यापी या क्रोधित न हों। एक शांत लेकिन दृढ़ तरीके से उसके साथ संवाद करें।
बच्चे, बढ़ने के हिस्से के रूप में, आपके द्वारा निर्धारित सीमाओं को धक्का देंगे। वे हमारी दहलीज का परीक्षण करते हैं और हमारी सीमाओं को धक्का देते हैं लेकिन माता-पिता के रूप में, यह सीमा तय करने के लिए हमारा कर्तव्य है। यह आवश्यक नहीं है कि वे हमारे साथ सहमत हों या हर मुद्दे पर हमारे साथ आंखें देखें, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि वे हमारे द्वारा निर्धारित सीमाओं का सम्मान करना सीखें।
उसे बताएं कि यदि यह पहली बार और एक प्रयोग है, तो आप समझते हैं लेकिन आप इसे दोहराना नहीं चाहते हैं। यदि वह इस तर्क के साथ बहस करने का प्रयास करता है कि यह कितना अच्छा है, तो चर्चा को प्रोत्साहित न करें। उसे बताएं कि यह स्वीकार्य नहीं है और जब तक वह आपकी देखभाल में है, यह जारी नहीं रह सकता है। आप यह भी कह सकते हैं कि आपके पास यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि खरपतवार अपने शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है और यह चर्चा के लिए नहीं है।
अगर वह कहता है कि वह फिर से ऐसा नहीं करेगा तो उसे भरोसा करें और उसे वह वादा करने का मौका दें जो वह वादा कर रहा है। ध्यान रखें कि भविष्य में वह एक ही चीज़ दोहरा सकता है और आपको एक ही व्यायाम को दृढ़ तरीके से दोहराना पड़ सकता है। एक सीमा निर्धारित करना अक्सर एक लंबी दोहराव प्रक्रिया होती है, जब तक यह स्पष्ट और स्पष्ट न हो जाए। यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने बेटे पर नजर रखें।
मेरी 13 वर्षीय बेटी अभी भी कभी-कभी अपना बिस्तर बनाती है। उसने मासिक धर्म शुरू कर दिया है। हम उसकी मदद कैसे कर सकते हैं?
विभिन्न भौतिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों के कारण बिस्तर-गीलापन हो सकता है। कुछ बच्चे कभी-कभी तब तक बिस्तर-गीले होते हैं जब तक वे लगभग 12 वर्ष तक नहीं होते हैं या जब तक वे मासिक धर्म शुरू नहीं करते हैं। वह अभी तक सामान्य घंटी वक्र से बहुत दूर नहीं है। मेनारचे के समय, मूत्र पथ के आस-पास एक असहज महसूस करना भी असामान्य नहीं है, जिससे बिस्तर-गीलेपन हो सकता है। कभी-कभी मूत्र पथ में संक्रमण इस प्रकार के एपिसोड का कारण बन सकता है।
उसे पहले एक बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं और सुनिश्चित करें कि इसके लिए कोई शारीरिक कारण नहीं है। शारीरिक रूप से
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मेरी बेटी, जो सांतवीं कक्षा में है, उसके लिए झूठ बाेलना एक आम बात बन गई है। वह बुनियादी चीजों के बारे में भी झूठ बोलती है। इसकी वजह क्या है क्या इसका मनाेवैज्ञानिक पहलू है।
जब कोई बच्चा झूठ बोलना सीखता है तो इसका मतलब है कि वे अपनी वास्तविकता को प्रभावित करने के लिए अपनी कल्पना का उपयोग करना सीख रहे हैं। हालांकि, कक्षा सांतवीं में एक लड़की के लिए यह सामान्य नहीं है।
आपसी बातचीत के जरिए समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। आप शांति से बैठें और अब उससके बात करें। उससे पूछें कि उसके जीवन में क्या चल रहा है और वह क्यों झूठ बोल रही है। कुछ तनाव हो सकते हैं कि जिसका वह सामना कर रही है, और यह तनाव उसे इस तरह से व्यवहार करने के लिए प्रेरित कर रहे हाें। साथ ही, क्या वह सिर्फ आपसे ही झूठ बाेलती है या हर किसी के साथ उसका यह व्यवहार है। क्या वह हर किसी के लिए झूठ बोल रही है? अगर वह सिर्फ आपसे झूठ बोल रही है तो आपको उसके साथ अपने बातचीत के कुछ पहलुओं को बदलने की आवश्यकता हो सकती है। स्पष्ट रूप से समझाएं कि आपके लिए गैर-विचारणीय क्या है। दृढ़ हों। एेसी स्थिति में गुस्सा आना स्वभाविक है पर आपके गुस्से का उसपर काेई असर नहीं पड़ेगा।
आपको दोहराने की आवश्यकता हो सकती है कि झूठ बोलना स्वीकार्य नहीं है। हालांकि, जब आप उसे बताते हैं कि झूठ बोलना सही नहीं है, तो आपको ईमानदारी से निपटने में सक्षम होने के लिए लचीला होना चाहिए। जब भी वह झूठ बोलने के बजाय ईमानदार होने का विकल्प चुनती है तो आपको उसे कबूल और इनाम देने में सक्षम होना चाहिए। अगर आपको लगता है कि समस्या हाथ से बाहर हो रही है, तो आप परामर्शदाता की मदद भी ले सकते हैं। परामर्शदाता न केवल आपकी बेटी की मदद कर सकता है बल्कि आपको यह बताने में भी सक्षम होगा कि उसके साथ क्या हो रहा है और आपसे बेहतर बातचीत करने में मदद करें।
धैर्य रखें
आपका गुस्सा भी हाे सकता है वजह
कहीं घर में ताेझूठ नहीं बाेलते
अपनी प्राेमिस नहीं ताेड़िए
बच्चाें काे भी सारी बाेलिए
सिचुरएशन समझिए
कहानी कविताआें में भी एेसी लाइन हाेती है जाे झूठ न बाेलने को प्रेरित करती हैं।
जब कोई बच्चा झूठ बोलना सीखता है तो इसका मतलब है कि वे अपनी वास्तविकता को प्रभावित करने के लिए अपनी कल्पना का उपयोग करना सीख रहे हैं। हालांकि, कक्षा सांतवीं में एक लड़की के लिए यह सामान्य नहीं है।
आपसी बातचीत के जरिए समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। आप शांति से बैठें और अब उससके बात करें। उससे पूछें कि उसके जीवन में क्या चल रहा है और वह क्यों झूठ बोल रही है। कुछ तनाव हो सकते हैं कि जिसका वह सामना कर रही है, और यह तनाव उसे इस तरह से व्यवहार करने के लिए प्रेरित कर रहे हाें। साथ ही, क्या वह सिर्फ आपसे ही झूठ बाेलती है या हर किसी के साथ उसका यह व्यवहार है। क्या वह हर किसी के लिए झूठ बोल रही है? अगर वह सिर्फ आपसे झूठ बोल रही है तो आपको उसके साथ अपने बातचीत के कुछ पहलुओं को बदलने की आवश्यकता हो सकती है। स्पष्ट रूप से समझाएं कि आपके लिए गैर-विचारणीय क्या है। दृढ़ हों। एेसी स्थिति में गुस्सा आना स्वभाविक है पर आपके गुस्से का उसपर काेई असर नहीं पड़ेगा।
आपको दोहराने की आवश्यकता हो सकती है कि झूठ बोलना स्वीकार्य नहीं है। हालांकि, जब आप उसे बताते हैं कि झूठ बोलना सही नहीं है, तो आपको ईमानदारी से निपटने में सक्षम होने के लिए लचीला होना चाहिए। जब भी वह झूठ बोलने के बजाय ईमानदार होने का विकल्प चुनती है तो आपको उसे कबूल और इनाम देने में सक्षम होना चाहिए। अगर आपको लगता है कि समस्या हाथ से बाहर हो रही है, तो आप परामर्शदाता की मदद भी ले सकते हैं। परामर्शदाता न केवल आपकी बेटी की मदद कर सकता है बल्कि आपको यह बताने में भी सक्षम होगा कि उसके साथ क्या हो रहा है और आपसे बेहतर बातचीत करने में मदद करें।
धैर्य रखें
आपका गुस्सा भी हाे सकता है वजह
कहीं घर में ताेझूठ नहीं बाेलते
अपनी प्राेमिस नहीं ताेड़िए
बच्चाें काे भी सारी बाेलिए
सिचुरएशन समझिए
कहानी कविताआें में भी एेसी लाइन हाेती है जाे झूठ न बाेलने को प्रेरित करती हैं।
टीचर की सुनते हाे मां की भी सुनाे- डॉ. अनुजा भट्ट
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साभार -भूपेश पंत |
जो बच्चे छुट्टियों में स्कूल का कोई काम नहीं करते, स्कूल खुलने पर वे पढ़ाई पर कम ध्यान देने लगते हैं। इसलिए छुट्टियों के दौरान भी हर रोज उन्हें कुछ न कुछ लिखने के लिए प्रेरित करें।यदि आपका बच्चा लिखने में अनाकानी करता है तो आप उसकी पत्र मित्र बन जाएं। हर रोज एक दूसरे को कुछ न कुछ लिखें। ये पत्र तकिए के नीचे, मेज के नीचे आदि जगह पर छोड़ें। एक दूसरे के लिखे पत्र को पढऩे में मजा भी बहुत आएगा।बच्चों के सामने विकल्प न रखें ऐसा करने पर वह शिकायत भी कम करते हैं। जो है उसे खाना है, पहनना है। बच्चों के हाथ में पैसा मत दीजिए। उनमें बचत की आदत डालें चाहे वह पैसे की हो या समय की।जब बच्चों को महत्वपूर्ण बात बतानी हो, तो उनका ध्यान आकर्षित करना काफी मुश्किल होता है। इसलिए उनसे कहें कि मेरे मुंह की तरफ देखो, मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है। यदि बच्चे मेरी तरफ देखो कहने से भी न सुनें तो फिर कुछ क्रिएटिव हो जाएं। चलो हम दोनों अपना सिर से सिर भिड़ा कर बैठते हैं या फिर देखो मेरी नाक पर तो कुछ नहीं लगा हुआ। बच्चे जैसे ही आपके चेहरे की तरफ देखेंगे, आपकी सुनेंगे जरूर।बस आपका काम बन गया। अगर आप और भी इस तरह के टिप्स जानना चाहते हैं तो मुझे बताएं।..
रविवार, 7 अक्टूबर 2018
नादिया मुराद जिनकाे मिला शांति के लिए नाेबेल पुरस्कार
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नादिया मुराद |
पतले और पीले पड़ चुके चेहरे वाली मुराद (25) उत्तरी इराक के सिंजर के निकट के गांव में शांतिपूर्वक जीवन जी रहीं थी लेकिन 2014 में इस्लामिक स्टेट के आंतकवादियों के जड़े जमाने के साथ ही उनके बुरे दिन शुरू हो गए। वह उत्तरी इराक में सिंजर के जिस गांव में रह रही थी, उसकी सीमा सीरिया के साथ लगती है। और यह इलाका किसी जमाने में यजीदी समुदाय का गढ़ थाजिहादियों के ट्रक उनके गांव कोचो में धड़धड़ाते हुए घुस आए। इन आंतकवादियों ने पुरूषों की हत्या कर दी, बच्चों को लड़ाई सिखाने के लिए और हजारों महिलाओं को यौन दासी बनाने और बल पूर्वक काम कराने के लिए अपने कब्जे में ले लिया। आज मुराद और उनकी मित्र लामिया हाजी बशर तीन हजार लापता यजीदियों के लिए संघर्ष कर रहीं हैं। माना जा रहा है कि ये अभी भी आईएस के कब्जे में हैं।
दोनों को यूरोपीय संघ का 2016 शाखारोव पुरस्कार दिया जा चुका है। मुराद फिलहाल मानव तस्करी के पीड़ितों के लिए संयुक्त राष्ट्र की गुडविल एंबेसडर हैं। वह कहती हैं, ‘आईएस लड़ाके हमारा सम्मान छीनना चाहते थे लेकिन उन्होंने अपना सम्मान खो दिया।’आईएस की गिरफ्त में रह चुकीं मुराद इसे एक बुराई मानती हैं। पकड़ने के बाद आतंकवादी मुराद को मोसुल ले गए। मोसुल आईएस के स्वघोषित खिलाफत की ‘राजधानी’थी। दरिंदगी की हदें पार करते हुए आतंकवादियों ने उनसे लगातार सामूहिक दुष्कर्म किया, यातानांए दी और मारपीट की।
वह बताती हैं कि जिहादी महिलाओं और बच्चियों को बेचने के लिए दास बाजार लगते हैं और यजीदी महिलाओं को धर्म बदल कर इस्लाम धर्म अपनाने का भी दबाव बनाते हैं। मुराद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपबीती सुनाई। हजारों यजीदी महिलाओं की तरह मुराद का एक जिहादी के साथ जबरदस्ती निकाह कराया गया। उन्हें मेकअप करने और चुस्त कपड़े पहनने के लिए मारा पीटा भी गयाअपने ऊपर हुए अत्याचारों से परेशान मुराद लगातार भागने की फिराक में रहती थीं और अंतत:मोसूल के एक मुसलमान परिवार की सहायता से वह भागने में कामयाब रहीं। वह बताती हैं कि गलत पहचान पत्रों के जरिए वह इराकी कुर्दिस्तान पहुंची और वहां शिविरों में रह रहे यजीदियों के साथ रहने लगीं। वहां उन्हें पता चला कि उनके छह भाइयों और मां को कत्ल कर दिया गया है। इसके बाद यजीदियों के लिए काम करने वाले एक संगठन की मदद से वह अपनी बहन के पास जर्मनी चलीं गईं। आज भी वह वहां रह रही हैं। मुराद ने अब अपना जीवन ‘अवर पीपुल्स फाइट’ के लिए समर्पित कर दिया है।
साभार- टाइम्सनाउन्यूज
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