मंगलवार, 1 मई 2018

TUESDAY PARENTING सिर्फ प्लीज नहीं कुछ और भी- अनुजा भट्ट

आपको क्या लगता है कि सिर्फ प्लीज और थैंक यू कहना सीखना ही एटीकेट में आता है। सोसाइटी को चलाने के लिए कुछ रूल्स की जरूरत होती है और इन्हें ही गुड मैनर्स भी कहा जाता है। आपकी मुलाकात के शुरू के कुछ सेकंड ही आपके बारे में बहुत कुछ सामने वाले को बता देते हैं। गुड मैनर्स ऐसी लाइफ स्किल हैं जोकि हर एक व्यक्ति के अंदर आदतों में शुमार होनी चाहिए। बच्चों की रोजमर्रा की आदत में यदि अच्छे संस्कार डाल दिए जाएं तो उनकी आने वाली जिंदगी आसान हो जाती है। यदि आपने इसके लिए देर कर दी तो बड़े होने पर इसकी आदत डलवा पाना बहुत मुश्किल होता है। सबसे बढ़िया तरीका यह है कि हर कोई एडल्ट व्यक्ति चाहे वह पेरेंट्स हों या स्कूल के टीचर सभी बच्चे के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा कि वह चाहते हैं कि बच्चा उनके साथ करे। इससे बच्चे की आदतों में यह सब मैनर्स समाहित हो जाएंगे। यदि हम किसी के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं तो दूसरे को तो अच्छा लगता ही है स्वयं भी हमें खुशी और संतोष की प्राप्ति होती है। अपने बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वह प्लीज और थैंक्स शब्दों का प्रयोग करें। 
खाने के समय टेबल पर पानी मांगने के लिए प्लीज शब्द का प्रयोग होना चाहिए न कि आॅडर के तौर पर कहा जाए। यदि किन्हीं लोगों के ग्रुप के बीच में से निकलना हो तो एक्सक्यूज मी कहकर रास्ता मांगें। 
बात करते हुए बीच में किसी को न टोकें। यदि टोकना भी पड़े तो पहले उसके लिए माफी मांग लें।
 यदि कोई आपसे पूछे कि आप कैसे हो तो आपको भी जवाब देकर उनके हालचाल के बारे में पूछना चाहिए।
 घर पर भी अपने बच्चों को सिखाएं कि दूसरों को पहले अंदर आने के लिए दरवाजे को होल्ड करके खड़़े हों।
 बच्चे को खाना खाने के सही तरीके सिखाएं।
 यदि कोई व्यक्ति कुछ लेकर जा रहा है और उसे मुश्किल हो रही है तो आप अपनी हेल्प उसे आॅफर करें। बच्चे को सिखाएं कि वह बोलने से पहले जरूर सोचे कि यह बात यहां बोलनी चाहिए या नहीं। 
बच्चे पाॅजिटिव बातचीत करें न कि इधर उधर की बातें करके झगड़ा करें। बच्चे को सिखाएं कि यदि कोई उन्हें काम्पलीमेंट करता है तो अपनी आंखें न झुकाएं बल्कि उसे सहर्ष स्वीकार करें।

सोमवार, 30 अप्रैल 2018

याेग चर्चा-40 के बाद हड्डियां को बनाएं मजबूत- डा. दीपिका शर्मा


उम्र के 40 वर्ष पूरे होने के साथ साथ हमारे शरीर के  मसल्स ढीले होने लगते हैं और साथ ही हड्डियां कमजोर। इस उम्र में ऑस्टियोपोरेसिस होने का खतरा बढ़ जाता है और हल्की सी चोट से भी हड्डी टूटने का डर बना रहता है।  मगर घबराने की जरूरत नहीं यदि आप इन योगासानों को अपनी दिनचर्या में अपना लेंगें तो यह आपकी हड्डियों को कमजोर नहीं होने देंगें।
चक्रासन
सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को घुटने से मोड़ें जिससे एड़ी हिप्स को छुए और पंजे जमीन पर हों। अब गहरी सांस लेते हुए कंधे, कमर और पैर को ऊपर की ओर उठाएं। इस प्रक्रिया के दौरान गहरी सांस लें और छोड़ें। फिर हिप्स से लेकर कंधे तक के भाग को जितना हो सके ऊपर उठाने का प्रयास करें। कुछ क्षण बाद नीचे आ जाएं और सांसे सामान्य कर लें।
वृक्षासन
पेड़ की तरह तनकर खड़े हो जाइए। शरीर का भार अपने पैरों पर डाल दीजिए और दाएं पैर को मोड़िये। दाएं पैर के तलवे को घुटनों के ऊपर ले जाकर बाएं पैर से लगाइये। दोनों हथेलियों को प्रार्थना मुद्रा में लाइये। अपने दाएं पैर के तलवे से बाएं पैर को दबाइये और बाएं पैर के तलवे को जमीन की ओर दबाइये। सांस लेते हुए अपने हाथों को सिर के ऊपर ले जाइये। सिर को सीधा रखिए और सामने की ओर देखिये। 20 मिनट तक इस स्थिति में रुके रहें।
पद्मासन
जमीन पर बैठ जाएं। दायां पैर मोड़ेंऔर दाएं पैर को बाईं जांघ के ऊपर कूल्हों के पास रखें। ध्यान रहे दाईं एड़ी से पेट के निचले बाएं हिस्से पर दबाव पड़ना चाहिए। बायां पैर मोड़ें तथा बाएं पैर को दाईं जांघ के ऊपर रखें। यहां भी र्बाइं एड़ी से पेट के निचले दाएं हिस्से पर दबाव पड़ना चाहिए। हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों के ऊपर रखें। रीढ़ की हड्डी को बिलकुल सीधी रखें। धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़े। कम से कम 10 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।
भुजंगासन
पहले पेट के बल सीधा लेट जाएं और दोनों हाथों को माथे के नीचे रखें। दोनों पैरों के पंजों को साथ रखें। अब माथे को सामने की ओर उठाएं और दोनों बाजुओं को कंधों के समानांतर रखें जिससे शरीर का भार बाजुओं पर पड़े। अब शरीर के ऊपरी हिस्से को बाजुओं के सहारे उठाएं। शरीर को स्ट्रेच करें और लंबी सांस लें। कुछ पल इसी अवस्था में रहने के बाद वापस पेट के बल लेट जाएं।
उत्कटासन
सबसे पहले पंजों के सहारे जमीन पर बैठ जाएं। हाथों को आगे की तरफ फैलाएं और उंगलियों को सीधा रखें। गला एकदम सीधा होना चाहिए। अब आप कुर्सी की पोजीशन में आ चुके हैं। 10 मिनट कतक इस मुद्रा में बने रहें।

रविवार, 29 अप्रैल 2018

आप गलत रास्ते में हैं- डा. अनुजा भट्ट


क्या आपकाे लगता है कि साधु संन्यासी आपकी समस्या का हल निकाल सकते हैं। आत्मिक शांति का रास्ता क्या साधु संताें के जरिए ही पाया जा सकता है। आखिर क्या वजह है कि इनके भक्ताें की संख्या कराेड़ाें में है। महिला भक्ताें का आकड़ा सबसे ज्यादा है। क्या यह संत ईश्वर के पर्याय हैं।
यह जाे उपदेश हर राेज देते हैं क्या उसका अंश भर भी खुद पर अमल करते हैं। उपनिषद, महाभारत, रामायण, वेद, गुरुग्रंथ , संतवाणी का सार संदेश जाे यह अपने भक्ताें काे देते हैं क्या भक्त भी उसे स्वीकार करते हैं। अगर एेसा है ताे इतना भ्रष्टाचार, अन्याय और अनैतिकता का माहाैल क्याें सर्वव्याप्त है। हमारा खुद पर क्याें भराेसा उठ गया है।
महिलाएं जिस शांति की शरण के लिए इन के पास जाती है वह असली जगह नहीं हैं। अपने लिए शांति की तलाश वह खुद कर सकती हैं। अपनी समस्याआें का निदान खुद पा सकती हैं। आपकी समस्याएं हैं। बहुत तरह की समस्याएं हैं। पर सबसे पहले हमें समस्या क्याें हैं इसे जानना हाेगा और फिर उसके निदान के लिए सही रास्ता चुनना पड़ेगा।
ईश्वर हमारी आस्था का नाम है। और यह आस्था हमारे भीतर के विश्वास काे मजबूत करती है और आत्मविश्वास से भर देती है। हमें अपने भातर के ईश्वर से खुद साक्षात्कार करना हाेगा। काेई संत ईश्वर के साथ हमारा समागम नहीं करा सकता। दर असल यह सब एक मकड़जाल है। इस मकड़जाल में नेता से लेकर आमजन तक हर आदमी जकड़ा हुआ है जकड़ता जा रहा है। वह बिना मेहनत के सब कुछ हासिल करने का ख्वाब सजा रहा है। इसलिए कभी काला पर्स मशहूर हाे जाता है ताे कभी कुछ।
अगर आप निःसंतान है ताे डाक्टर की राय ही आपके लिए महत्वपूर्ण है। और अगर आप बेराेजगार है ताे आपकाे देखना हाेगा कि आप क्या कर सकते हैं और कैसे कर सकते हैं। अगर पारिवारिक समस्या है ताे उसे सुलझाना भी परिवार के साथ ही है। और अगर बच्चे नालायक हैं ताे उसे सुधारने की चाबी भी आपके पास ही है।
अपने मन में संकीर्तन कीजिए। अपने मन काे साफ कीजिए। अपने भीतर प्यार, उदारता और ईमानदारी पैदा कीजिए। आपके सारे डर छूमंतर हाे जाएंगे। मजबूत बनिए। आज सबसे ज्यादा तकलीफ में महिलाएं ही हैं। उनके साथ उनकी बच्चियाें के साथ बलात्कार हाे रहा है, हिंसा हाे रही है। हत्या हाे रही है। वह शाेषण का शिकार बनती जा रही है। अखबार का हर पन्ना इसी तरह की खबराें से भरा है। सनसनी खेज अपराध के वीडियाे वायरल हाे रहे हैं। अश्लील सीडी पकड़ी जा रही हैं। पर सच और भी कुछ है।
वह मजबूत भी हाे रही हैं। उनके सपनाें का आकाश साफ हाे रहा है। 4 साल की बच्ची के साथ भी पढ़ाई करके वह आईएएस की परीक्षा में दूसरे नंबर पर आती है। पहलवानी से लेकर तीरंदाजी और हाकी से लेकर क्रिकेट तक में उसने मैडल अपने नाम कर लिए हैं।
पर यह आकड़ा अभी बहुत है। हमें इस आकड़े के ग्राफ काे बढ़ाना है। अखबार के हर पन्ने में जब महिलाआें की सफलता की कहानियां हाेगी तभी सच्ची आजादी हाेगी। इसके लिए बस हमें अपनी समस्या और उसके निदान के सही रास्ते पर नजर रखनी हाेगी। साधु समाज का यह रास्ता आपकाे गलत रास्ते पर ले जा रहा है।

रविवार खास कहानी -खत हमारे प्यार का-अनामिका शर्मा

दोपहर 2 बजे । Ting-tong , ting-tong आ रही हूँ पापा ! पापा आ गये !पापा आ गये !( कृति ने दरवाजा खोलते ही पापा को गले लगा लिया ।)हाँ मेरी बेटी! मम्मी कहाँ है? "मम्मी तो अभी बाहर गई है।"अच्छा, कहा गई है? कब आएँगी? कुछ बताया था? "नही भइया । भाभी ने बस इतना कहा था कि वह आपको मैसेज कर देंगी । अच्छा भइया मेरे ट्यूशन का टाईम हो रहा है, इसलिए मैं जा रही हूँ । बाय । "( दीपा ने बाहर जाते हुए कहा)सुबोध ने मोबाइल देखा । अर्चना का मैसेज था, "मैं बाजार जा रही हूँ । आने में देर हो जाएगी ।खाना गर्म करके समय से खा लेना और कृति को भी खिला देना ।दीपा को तो ट्यूशन जाना है, तुम्हारे आते ही वह निकल जाएगी ।तुम घर पर हो तो सारे काम आराम से निपटा कर ही आउंगी ।बाय ।"सुबोध ने मोबाइल एक तरफ रख दिया ।कपड़े बदल कर खाना गर्म किया कृति को खिलाया और खुद खाने की कोशिश करने लगा । आज अपने आप खाना गर्म करके लेना उसे अजीब लग रहा था ।शादी के बाद इन चार सालों में सुबोध ने कभी खुद खाना लेकर नहीं खाया । खाना ही क्या न कभी एक कप चाय बनाई, न कभी अपने कपड़े तह करके रखे ,न कभी प्रेस करी । बाजार का भी बहुत सा काम अर्चना ही करती आई है । सुबह जब वह नहा कर निकलता है तब उसे अपने कपड़े, बेल्ट, लैपटॉप बैग, मोबाइल, चार्जर, गाड़ी की चाभी , लंच बाक्स सभी तैयार मिलता है ।हर काम अर्चना कर देती है ।उसके कहने से पहले ही उसकी हर जरूरत पूरी हो जाती है ।"पापा! यह होमवर्क करवा दो ना प्लीज, मम्मी तो लेट आएगी फिर मेरे खेलने का वक्त हो जाएगा ।"सुबोध ने कृति को होमवर्क करवाया ।फिर कृति खेलने लगी ।सुबोध ने घड़ी देखी ।ओह, अभी तक 3 ही बजा है ।वक्त तो जैसे थम सा गया है ।अर्चना नहीं है तो जैसे घर खाने को दौड़ रहा है ।सुना सुना सा । वर्ना अर्चना इतना बोलती है कि मुझे कहना पड़ता है, "अब तो चुप हो जा देवी । और वह झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहती है, हाँ, सही है । अब तो आपको मेरा बोलना भी पसंद नहीं है ।और शादी से पहले कितनी बार फोन करते थे, वह भी सिर्फ मेरी आवाज सुनने के लिए ।" सुबोध के होठों पर प्यार भरी मुस्कान फैल गई ।मुस्कुराते हुए अचानक उसकी मुस्कान फीकी पड़ गई, उसे सुबह हुई घटना याद आ गई । सुबोध को देर हो रही थी और उसकी जरुरी फाइल, जो उसने कार की चाबी के साथ रखी थी नही मिल रही थी ।अर्चना नहाने चली गई थी तो कौन मदद करता ।अर्चना जैसे ही नहा कर आई सुबोध उस पर बरस पड़ा , "पता नही क्या जल्दी रहती है नहा कर तैयार होने की? तुम्हे कौन सा ऑफिस जाना है? पहले मेरा सामान तो सही से रख देती ।अब मेरी फाइल और चाबी लाकर दोगी या ऐसे ही घूरती रहोगी? "अर्चना ने सुबोध के बैग में से फाईल जो कि सुबोध ने ही उसे बैग मे रखने को दी थी और टेबल पर रखी चाबी जो कि वहां रखे फूलदान की ओट से छिप रही थी निकाल कर सुबोध को दे दी और चुपचाप अपने कमरे में चली गई ।अब सुबोध को बुरा लग रहा था ।गलती उसकी थी, उसे अहसास तो था लेकिन उसके अंदर का पति नाम का शख्स उसे माफी न मांगने के लिए उकसा रहा था । ऐसा कभी नही हुआ था कि सुबोध हाफ डे पर घर आया हो और अर्चना बाहर चली जाये । वह उससे नाराज थी इसलिए बिना कुछ कहे चली गई थी । वर्ना अर्चना तो बहाने ढूंढती थी कि सुबोध जल्दी घर आये तो उसके साथ थोड़ा वक्त बिता पाये । सुबोध सोचने लगा कि शादी के पहले यह अहम कभी उनके बीच क्यों नही आया? क्या इसलिए क्योंकि नया नया प्यार था । या इसलिए क्योंकि कोई सामाजिक तमगा नही था । या इसलिए क्योंकि वक्त बहुत कम होता था और उस थोड़े से वक्त मे रूठे हुए को मनाना भी होता था और प्यार भी जताना होता था ।लेकिन अब शादी के बाद कभी भी बात कर सकते है, कभी भी गुस्सा दिखा सकते है और मना सकते है ।लेकिन यह कभी भी, कभी आता ही नही और दोनो मे से कोई एक समझौता कर लेता है अपने आप ।न रूठना, न मनाना । न हँसी, न ठिठोली । अब तो पास भी सिर्फ शरीर की जरूरत के लिए ही आते है और बात भी घर की जरूरतो तक ही सीमित रह जाती है ।अब याद नही कब उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर उससे बाते की हो, उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा हो और वह मेरे कंधे पर सिर रख कर सोई हो । प्यार से गले लगाना तो भूल ही गया हूँ ।आज भी याद है मुझे शादी से पहले जब अर्चना किसी बात पर नाराज हो गई थी और मेरा फोन रिसीव नहीं कर रही थी तब उसे मनाने के लिए और उसकी एक झलक पाने के लिए शहर के इस कोने से दूसरे कोने मे बसे उसके घर तक गया था और घर के बाहर खड़े होकर मैसेज किया था, "बात मत कीजिए पर जरा खिड़की से बाहर तो झांकिये " और मुझे वहां देख कर उसका सारा गुस्सा काफूर हो गया था , बच्चों जैसे खुश हो गई थी और वह पूरी रात हमने फोन पर बात करके काटी थी । पर अब,अब मैं करू भी तो क्या? जब भी समय निकालकर उसके साथ बैठने की, उसके साथ समय बिताने की कोशिश करता हूँ उसे कभी कपड़े प्रेस करने होते है, कभी वह थकी हुई होती है,कभी बच्चो का होमवर्क बीच में आ जाता है और तो और कभी मैडम का फेवरिट सीरियल का टाईम होता है जिसे किसी भी वजह से मिस नही किया जा सकता । गोया सीरियल न हुआ बोर्ड एक्जाम हुआ जिसे मिस नहीं किया जा सकता ।तब तो बड़ा गुस्सा आता है मुझसे ज्यादा महत्वपूर्ण उसके लिए टीवी सीरियल हो गये है ।पर अगले ही पल लगता है मै भी तो यही करता आया हूँ उसके साथ ।जब वह वक्त चाहती है मुझे काम होता है । वह काम से छुट्टी लेने को कहती है और मैं अपनी कीमती छुट्टी बिना वजह बर्बाद नहीं करना चाहता । बिना वजह छुट्टी ले ली और कोई एमरजेंसी हो गई फिर छुट्टी न मिली तो? एक मिडिल क्लास आदमी को कितना डर डर के जीना पड़ता है । हर चीज बचा बचा कर रखनी होती है । चाहे वह पैसा हो या छुट्टी । और समय न दे पाने के कारण वह नाराज हो जाती है । कहती है "तुम्हे हर काम के लिए छुट्टी मिल जाती है, मम्मी जी या पापाजी की तबीयत खराब हो तब भी, या बच्चो का कोई भी काम हो तब भी लेकिन जब मैं चाहती हूँ तब नही और मेरी बिमारी पर भी नही मिलती " सही कहती है अर्चना, वह बिमार होती है और मैं उसे दवाई दे कर काम पर आ जाता हू सिर्फ यह कह के कि शाम तक ठीक नही हुआ तो डाक्टर को दिखा आएंगे । और शाम तक वह ठीक भी हो जाती है क्योंकि शायद बिमार उसका शरीर नही दिल होता है जिसे प्यार और अपनेपन की डोज चाहिए होती है, जिसे मिलने की उम्मीद को मैं हर बार रौंद देता हूँ ।और वह बिना कहे सब समझ जाती है ।यह उम्मीद तो पूरी होने से रही ।कितने अकेले हो गये है हम दोनो । साथ होकर भी साथ नही है । पास हो कर भी दिल से दूर हो गये है । सिर्फ चार साल में ही हमारा प्यार दम तोडने लगा है । पता नही उसके मन मे क्या चल रहा होगा अभी? क्या वह मुझसे नाराज है? क्या इतना परेशान हो गई है कि मुझसे दूर रहना चाहती है? क्या उसे अहसास नही कि मै इन्तजार कर रहा हूँ उसका ।अभी तो सिर्फ दो घंटे ही हुए है उसका इंतजार करते हुए, उससे बात किये हुए और मन बेचैन सा होने लगा है , पर उसने तो कितनी राते काटी है मेरे इंतजार में, कितनी बार भूखी सोई है मेरे साथ खाना खाने के इंतजार में । बेइंतहा प्यार करता हूँ अर्चना से ।कही अपने अहम में मैं उसे खो न दूं । मुझे मेरे अहम को एक तरफ रख कर पहल करनी होगी । आज जब वह आएगी मै उसकी नाराज़गी दूर करने की कोशिश करूंगा । और कुछ समय हमारे प्यार के लिए जरूर दूंगा । पर ऐसा क्या करू जिससे वह खुश हो जाए और सारी नाराज़गी भूल जाए ।सुबोध ने अपना लेपटॉप उठाया और ऑनलाइन एक अच्छा सा बुके ऑर्डर कर दिया ।तभी उसे एक आईडिया आया ।वह अपनी टेबल पर रखा रजिस्टर लेने गया तो उसकी नजर पेपर वेट के नीचे रखे पन्ने पर पड़ी जो हवा के झोंके से हिलते हुए अपनी उपस्थिति का अहसास करवा रहा था ।सुबोध ने उसे देखा उसके उपर लिखा था "ख़त हमारे प्यार का " सुबोध हँस पड़ा क्योंकि वह भी अर्चना को ख़त लिखने की सोच रहा था ।सुबोध ने बड़ी उत्सुकता से उस ख़त को खोला और पढ़ने लगा ।प्यारे सुबु चौक गये न यह नाम देखकर । पर यह नाम देखकर अगर तुम्हारे होठों पर मुस्कान आ गई है तो हमारी आधी परेशानी तो खत्म हुई समझो । (सुबोध मुस्कुराने लगा)याद है ना कि यही कह के बुलाया करती थी मैं तुम्हे शादी से पहले । पर शादी के बाद बड़ो के सामने इस नाम से बुला ही नही पाई । और तुम कब सुबु से कृति के पापा बन गये पता ही नही चला।वैसे भी शादी के बाद प्यार के कितने पल बिता पाये है हम साथ? पर अभी शिकायत नही करनी है कुछ कहना है ।पिछले दो महीने से देख रही हू तुम बहुत परेशान से रहते हो । हो सकता है काम का प्रेशर हो या कोई परेशानी? मै बहुत समय से बात करना चाह रही थी पर कभी मेरा तो कभी तुम्हारा ईगो बीच मे आ जाता है ।कभी तुम अजीब बर्ताव करते हो, मुझ पर गुस्सा होते । यहा तक तो ठीक था लेकिन जो आज सुबह हुआ ।तुम कितना भी परेशान हो पर कभी इस तरह से बात नही करते ।इस तरह के शब्दो का इस्तेमाल तो बिल्कुल भी नही करते ।क्या हम ऐसे थे सुबोध? शादी से पहले सभी हमारे प्यार की मिसाल देते थे ।मुझे आज भी याद है जब तुम MBA करने के लिए दूसरे शहर गये थे तब भी कभी दूरी का अहसास नही होने दिया था तुमने ।कभी-कभी गलतफहमिया हो जाती थी लेकिन हम उसे सुलझा कर फिर से एक दूजे के प्यार मे डूब जाते थे ।साथ ही तुम्हे कोई भी कैसी भी परेशानी होती थी तुम मुझे जरूर बताते थे ।पर अब ऐसा क्या हो गया कि हम पास हो कर दूर हो गये । आज बात करने के लिए ख़त का सहारा लेना पड़ रहा है ।तुम्हे कोई परेशानी है, कोई शिकायत है तो कहो मुझसे । चुप रहने से समस्या बढती ही है ।और एक बात और यह जो वक्त है न सुबु लौट कर नही आएगा ।मै नही चाहती की उम्र की सांझ मे हम यह सोचकर पछतावा करे कि एक-दूसरे को वक्त नही दिया । पता है मुझे तुम बहुत बिजी रहते हो । वक्त तो चुराना पड़ता है जैसे शादी से पहले छुप छुपकर मिलने के लिए चुराते थे ।तो तैयार हो जाओ शादी के बाद की इस पहली डेट के लिए ।आज का डिनर हम बाहर ही करेंगे ।बाकी सब मैनेज हो जायेगा तुम्हे एड्रेस मैसेज कर दिया है ।आ जाना टाईम से ।अब वही मुलाकात होगी हमारी । सुबोध ने भीगी आँखो से लेटर को एक तरफ रखा और सोचने लगा एक अहम हम दोनो के बीच कितनी दूरी ले आया ।अगर आज अर्चना पहल नही करती तो कितनी बाते अनकही रह जाती ।सुबोध ने अपने आँसू पोंछे और तैयार होने लगा ।आज उसे बिल्कुल ऐसा महसूस हो रहा था जैसे शादी से पहले डेट पर जाने पर होता था

शनिवार, 28 अप्रैल 2018

पेरेंटिंग स्पेशल-पिकनिक पर जाएं नालेजबुक संग लाएं- डा. अनुजा भट्ट

नम्रता थापा
अक्सर लोग यह सोचते हैं कि घूमना फिरना समय की बर्बादी है बल्कि घूमना बच्चों को सिखाने का सबसे बढ़िया तरीका है। बच्चे को स्कूल की चारदिवारी से निकालें, उन्हें दुनिया को समझने दें और खेल-खेल में नई बातें सीखने दें। उन्हें मौका दें नए लोगों से मिलने का, नई जगह के तौर तरीके और कल्चर को समझने का। इसलिए साल में एक बार उन्हें ऐसी जगह ले कर जरूर जाएं जहां आप पहले कभी न गए ह बच्चों को हाईकिंग, कैम्पिग के लिए ले जाएं उन्हें यह सिखाने के लिए कि हमें प्रकृति और वातावरण से कितना कुछ मिलता है और हमें उनकी देखभाल करनी चाहिए।  इसके अलावा आप बच्चों को पेड़ पौधों के बारे में भी जानकारी दे सकते हैं कि कैसे उनसे हमें दवाएं मिलती हैं, सांस लेने के लिए साफ हवा मिलती है। इसके अलावा और भी कई बातें हैं जिनके बारे में आप उन्हें बता सकते हैं।
 बर्फबारी दिखाना -  ऐसा कौन सा बच्चा होगा जोकि बर्फ के गोले बनाकर उसके साथ खेलना नहीं चाहेगा। यह उसके लिए जिंदगी भर याद रखने वाला अनुभव होगा इसलिए बच्चों को एक बार बर्फबारी दिखाने जरूर ले जाएं।
   आजकल विमान से ट्रैवल करना कोई बड़ी बात नहीं हैं लेकिन हाॅट ऐयर बैलून की राइड बच्चों को बहुत आकर्षित करती है।  आप बच्चों को राजस्थान मंे जैसलमेर, जोधपुर या फिर हांपी ले जा सकते हैं जहां पर ऐयर बैलून राइड पूरे वर्ष ही कराई जाती है।
विमान से यात्रा करने से समय की बचत तो होती है लेकिन यदि आप ट्रेन से यात्रा करते हैं तो समय तो तिगुना लगता है लेकिन जो आपको अनुभव मिलता है वह अमूल्य होता है।  आपको देखने मिलती हैं विभिन्न शहरों और गांवों की झलकियां, पहाड़, नदियां अलग अलग स्टेशनों पर गाड़ी का रूकना आदि आदि। जोकि आपके साथ जीवन भर रहते हैं।  यदि हो सके तो भारत की धरोहर टाॅय ट्रेन जोकि दार्जिलिंग और शिमला में चलती है तो उस अनुभव का कोई मुकाबला नहीं है।
  यह बहुत जरूरी है कि बच्चे अपने देश के अंदर मौजूद विभिन्न संस्कृतियों को जानें।  इसके लिए साल में किसी ऐसे राज्य में जहां पर कि उनका वार्षिक या धार्मिक उत्सव या मेला चल रहा हो बच्चों को लेकर जरूर जाएं।  इससे बच्चा अपने कल्चर के अलावा दूसरे लोगों की परंपराओं की पहचान भी करेगा साथ ही आप सब खूब मजा भी करेंगें।
  यदि इतिहास और ऐतिहासिक चीजों की बातें अगर क्लासरूम में बैठकर करें तो यह बच्चों के लिए बोरिंग हो जाता है लेकिन यदि यही बातें हम उन्हें उन ऐतिहासिक जगहों पर ले जाकर करें तो उन्हें वह बहुत ध्यान से सुनते हैं और याद भी रखते हैं। जब आप वहां जाएं तो वहां पर मौजूद गाइड को भी जरूर अपने साथ ले लें ताकि वह उस जगह के ऐतिहासिक महत्व की पूरी जानकारी दे सके।
   बच्चों के अंदर एंडवेंचर करने का शौक पैदा करना हो तो उन्हें ऐसे रोड ट्रिप पर ले जाएं जहां पर आमतौर पर लोग न जाते हों। इससे बच्चों को अपने दोस्तों को नई नई कहानियां सुनाने को मिलेंगी साथ ही कुछ नया करने की खुशी मिलेगी।  इससे आप बच्चे को यह भी सिखा सकते हो कि यदि हम कोई हटकर काम कर रहे हैं तो हमें क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए।
   आपके बच्चे को किस खेल में ज्यादा रूचि है।  यदि आपके शहर या आसपास में उस खेल का कोई राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय मैच आयोजित हो रहा हो तो बच्चे को वह दिखाने के लिए ले जाएं। यदि उसकी रूचि डांस या म्यूजिक में हो तो उन्हें किसी काॅन्सर्ट में ले कर जा सकते हैं। इससे आपका और आपके बच्चे के बीच संबध भी गहरा होगा।
   किसी दिन ऐसा कीजिए कि अपने बिजी शेडयूल में से यूं ही सब छुट्टी ले लें। बच्चों को भी स्कूल से छुट्टी करा दें और कहीं पिकनिक पर जाएं। म्यूजियम जाएं या फिर एमयूसमेंट पार्क। जहां मन करे वहां जाएं और बच्चों के साथ समय बिताएं और एंज्वाय करें।



शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

देशी फैशन के दीवाने युवा- अनुजा भट्ट


फैशन चाहे अपने कितने भी रंग बदले पर कुछ परिधान हमेशा फैशन में बने रहते हैं। रंग और डिजाइन में प्रयोग यहां भी होते हैं। मुझे लगता है समय के हिसाब से यह जरूरी भी है। बदलाव के साथ भारतीय परिधानों ने इस बार भी अपना रंग रूप बदला है। भारतीय गानों तक में इसकी छाप दिखाई दे रही है। लुंगी डांस ने जहां लुंगी को फैशन टेबल पर जगह बनाने में मदद की है वहीं और भी कई तरह डिजाइन पर युवा पर अपनी पैनी नजर रख रहे है। यह युवा फैशन डिजाइनर भी हैं और फैशन के चहेते भी। भारतीय जलवायु को ध्यान में ऱखते हुए वह इस तरह के परिधान चुन रहे हैं जो दशकों से चलन में हैं। साड़ी के अलावा भारत में सबसे ज्यादा पहने जाने वाला परिधान है सलवार कुर्ता। कुर्ते के नए स्टाइल के बारे में मैंने कई बार चर्चा की है। इस बार मैं चर्चा कर रही हूं सलवार को लेकर। जिस तरह कुर्ते के डिजाइन मे कई तरह के विकल्प मौजूद है उसी तरह कमर से नीचे पहन जाने परिधानों में भी विवधता आई है। लुंगी धोती जैसे परिधान अब नए डिजाइन में है। आज के युवा तो इस पर फिदा हैं।
आप जब भी गांव के आसपास से गुजरते हैं तो पुरुषों के ठेठ देशी पहनावे धोती कुर्ते को जरूर देखते होंगे। आजकल यह पहनावा महिलाआं और पुरुषों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है पर इसका अंदाज एकदम अलग और नया है। ब्रांडेड कंपनियां भी यह पेश कर रही हैं।
हैरम पैंट्स- धोती का यह नया अवतार हैरम पेंट के रूप में जाना जाता है। हैरम पेंट कई स्टाइल में है। यह कालेज जाने से लेकर किसी पार्टी तक में पहने जाने के लिए उपयुक्त है। एक तरफ यह आरामदायक है साथ ही फैशनेबल भी। दूसरी बात इसे आप भारतीय और पाश्चात्य किसी भी अंदाज में पहन सकती हैं। प्रिंटेड या प्लेन जैकेट या क्रॉप टॉप के साथ ये आपको बेहद स्टाइलिश लुक देता है, आप चाहें तो अपनी पसंद के अनुसार इसे और भी कई तरह से पहन सकती हैं।
इसके कई हैं नाम
हैरम पैंट्स को काउल पैंट्स भी कहते हैं और कई बार धोती पैंट्स भी। हैरम पेंट्स सीधे शब्दों में कहें तो भारतीय इंडियन सलवार का बदला हुआ रूप है जे कई तरह के कपड़ों पर तैयार किया जा सकता है। आपके शरीर के हिसाब से जो आप पर जचें वह खरीदा जा सकता है।
हिप्पी फैशन - स्ट्रेप वाले क्रॉप टॉप और फ्रिंज़ बैग के साथ यह स्टाइल आपको फैशनेबुल दिखाता है। आप चाहें तो हेडबैंड लगाकर इसे और आकर्षक बना सकती हैं। जीबांग, जोवी, ड्रेस बेरी, बीबा, मायसा क्रिएशन, बोहेमियम ब्लू जैसे ब्रांड में इस तरह के कई विकल्प मिल जाएंगे। कीमत 1000 रूपये के आसपास से शुरू है।
पार्टी लुक - हैरम पैंट्स को क्रॉप टीशर्ट या स्ट्रैप वाले खुले हुए मिडरीफ क्रॉप टॉप के साथ मैच करें. इसके साथ हील्स पहनें। आप कालेज जा रही हों या पार्टी में हर जगह के लिए आप तैयार हैं।
फॉर्मल लुक – आप ये हैरम या काउल पैंट्स किसी फॉर्मल काले रंग वाली शर्ट या कुर्ते के साथ भी पहन सकती हैं. ऊपर सफेद शर्ट के साथ नीचे पेंट में कोई भी रंग चलेगा। फैशन पर हमेशा नजर टिकाने वालों को अपने संग्रह में एक सफेद शर्ट जरूर रखनी चाहिए। यह आपको उच्चकोटि के फैशन परस्तों में शामिल करता है। अगर आप साधारण शैली अपनाना चाहते हैं तो प्रिंटेड टॉप के साथ नेकलेस जरूर पहनें।
बदले हैं देशी सलवार के भी तेवर
प्लेटेड सलवार
प्रयेग की गुंजाइश यहां भी है । प्लेन कट वाली सलवार में प्लेट डलवाकर इसे एक नए अंदाज में बनाया जा सकता है। प्लेट को आप साइड में या सामने की तरफ बनवाएं। जिससे यह थोड़ी खुली नज़र आएगी। इस तरह की सलवार आप किसी भी रंग और कपड़े पर बनवा सकती हैं या रेडीमेड भी खरीद सकती हैं। हील की जगह चप्पलें व मोजड़ी पहनें। ऐसा करने से आपका पहनावा और भी ज्यादा सुंदर लगेगा।।
सेमी पटियाला
सेमी पटियाला सलवार में फुल पटियाला सलवार की तुलना में कम घेर और पटलिया भी कम होती हैं। यदि आपकी लंबाई औसत है, तो आपके लिए सेमी पटियाला ज्यादा मुफीद रहेगी। आकर्षक दिखने के लिए सलवार के साथ बिना बाजूवाली कुर्ती पहनें।
धोती सलवार
आजकल धोती सलवार काफी पसंद की जा रही हैं। यदि आप चाहे तो धोती सलवार डिजाइन को प्लेन या प्रिंटेड दोनों विकल्पों में से कुछ भी चुन सकती हैं। अगर प्लेन बनवाई है, तो उसके साथ प्रिंटेड या एंब्रॉयडरी कुर्ती डिजाइन करवाएं। इससे आपकी धोती सलवार का लुक उभर कर आएगा। वहीं, प्रिंटेड धोती सलवार के साथ प्लेन कुर्ती बनवाएं।
अफगानी सलवार
यह सलवार ऊपर व नीचे से चुस्त और बीच में से ढीली होती है।यह आपको हैरम पैंट्स जैसा लुक भी देती है इसमें पोंचों की जगह पर पतले इलास्टिक का प्रयोग किया जाता है। बाकी के स्टाइल में यह एक तरह से हैरम सलवार ही होती है।सलवार के साथ आप पैरों में मोटी पाजेब और फंकी ज्वेलरी भी पहन सकती हैं।
शरारा सलवार
शरारा सलवार की खासियत है हलके कपड़े और ढीलाढाला स्टाइल। हलके कपड़े से बनी शरारा सलवार कमर से एड़ी तक खूब घेरेदार होती है और लंबाई के अंत तक घेर बना रहता है। फुल लेंथ वाले शरारा सलवार आप कैजुअल व फॉमर्ल वियर में पहन सकती हैं।अगर वेस्टर्न या इंडोवेस्टर्न लुक चाहती हैं, तो इस सलवार के साथ टी-शर्ट पहन सकती हैं। वहीं टी-शर्ट पर श्रग जैकेट खूब अच्छी लगेगी।
पटियाला सलवार
इस गर्मी के मौसम में पटियाला सलवार सबसे ज्यादा पहनी जाती है। इसके साथ कई प्रयोग भी किए जा सकते हैं, जैसे- वेस्टर्न स्टाइल के साथ इसे पहना जा सकता है, सलवार के साथ कम लंबाई वाली कुर्ती पहनें। हाई नेक या कॉलर नेक की कुर्ती भी जचेगी। बहुरंगी पटियाला सलवार के साथ एक रंग की कुर्ती या टॉप के साथ सूती दुप्पटा पहनें।
कहने का अर्थ यह है कि फैशन में भी वही चीजें ज्यादा समय तक टिकी रहती हैं जो आराम दायक होती है और जिसे पहनना भी आसान होता है। इसलिए सलवार कुर्ता हमेशा से फैशन में है। हां यह जरूर है कि इसने अपने साथ और भी कई विकल्पों के लिए गुंजाइश बना दी है। अब आप इसे परंपरागत भारतीय पहनाव नहीं कह सकते।

गुरुवार, 26 अप्रैल 2018

मेरी फिटनेस के राज- बिपाशा बसु

 स्वास्थ्यवर्धक खाना और व्यायाम जिंदगी को खूबसूरत बनाने का मूलमंत्र है। यही वह रहस्य है जिससे जिंदगी को खूबसूरत बनाया जा सकता है। मैं  खूब पानी पीती हूं। घर पर तैयार की गई रेसिपी ही मेरी चमकती त्वचा का राज है। जो लुक मुझे सबसे ज्यादा पसंद है वह है सेक्सी स्मोकी आंखें और बिना लिपिस्टक लगे होंठ।  अरे हां मेरे बाल मेरी सुंदरता के सबसे बड़े राजदार हैं। और इसके लिए मैं हमेशा अच्छे कंडीशनर का प्रयोग करती हूं।  ताकि मेरे बॉल सुंदर और स्वस्थ रह सकें। मैं हमेशा आइल  मसाज  करवाती हूं ताकि मेरे बाल चमकदार बने रहें। मेरे बाल  प्राकृतिक रूप से काले और घने हैं फिर भी मैं कलर का प्रयोग करती हूं। कलर से मैं अपने बालों का हायलाइट करती हूं।
 मेरी चाहत है कि मैं हमेशा सुंदर दिखूं, मेरी त्वचा चमकती रहे इसके लिए मैं हमेशा क्लीजिंग, टोनिंग और माश्चराइजिंग पर यकीन करती हूं। सोने से पहले मैं इनका प्रयोग करती हूं। मैं बिना सनस्क्रीन लगाए घर से बाहर नहीं निकलती। हैवी मेकअप  करने से मैं हमेशा बचती हूं। जहां तक बात आंखों की है मैं आइलाइनर हमेशा लगाती हूं। मुझको  एम.ए.सी के प्रोडक्ट पसंद हैं। लिक्वड आई लाइनर, लिपग्लास मेरी पहली पसंद हैं खासकर उसके कोरल और पिंक शेड्स।
जैसा कि मैंने पहले कहा स्वास्थयवर्धक खाना और व्यायाम जिंदगी को खूबसूरत बनाने का मूलमंत्र है। इसीलिए मैं हर चीज खाती हूं सिवाय रेडमीट और चावल के। हरी सब्जियां, चिकन, दाल रोटी मेरा नियमित आहार है। चमकदार त्वचा के लिए मैं नट्स, सीड्स, स्प्राउट, योगर्ट  और फ्रूट्स  लेती हूं। फिश और नट्स में ओमेगा 3 फेटी एसिड होता है जिससे त्वचा चमकदार बनी रहती है।
 अपराजिता से पाठकों के लिए मेरा यही संदेश है सबसे पहले आपकी फिटनेस  जरूरी है।

बुधवार, 25 अप्रैल 2018

कहानी- करीम/ साबिर हुसैन

सुनील चला जा रहा था। तभी उसकी दृष्टि होटल पर काम कर रहे एक लडक़े पर पड़ी। वह ठिठककर रुक गया। पहले तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि होटल में काम कर रहा लडक़ा उसके स्कूल में पढऩेवाला करीम है, लेकिन जब उसने ध्यान से उसे देखा तो विश्वास करना ही पड़ा। करीम को वह कभी भूल नहीं सकता। पिछले साल वह सडक़ किनारे लगे जामुन के पेड़ पर चढक़र जामुन तोड़ रहा था। तभी वह पेड़ से गिर पड़ा था। उसके सभी दोस्त उसे घायल देखकर डरकर भाग गए थे। तब करीम ने भी उसे रिक्शे से अस्पताल पहुंचाया था। करीम भी लडक़ों के साथ जामुन खाने के लालच में आ गया था। तब उसने उसे डांट दिया था कि वह उसका गिराया एक भी जामुन न छुए। क्योंकि करीम न उसका दोस्त है और न सहपाठी है। करीम कक्षा 6 में पढ़ता था और वह कक्षा 8 में। वह एक अधिकारी का पुत्र था। और करीम एक सब्जीवाले का लेकिन जब करीम ने उसे अस्पताल पहुंचाया था तो उसका गर्व समाप्त हो गया था। यदि करीम उसे अस्पताल न पहुंचाता तो अधिक खून निकलने के कारण उसकी मृत्यु भी हो सकती थी। करीम ने ही उसकी मम्मी को उसके घायल होने की सूचना दी थी। ठीक होने के बाद उसने करीम को अपने घर ले जाना चाहा था, लेकिन हर बार करीम कोई न कोई बहाना बनाकर टाल जाता। तभी करीम के दोस्त ने बताया कि करीम की मां नहीं है। घर के छोट-मोटेकाम करीम स्वयं करता है और खाना उसके अब्बू बनाते हैं। करीम पढऩे में तेज था और उसके अब्बू की दुकान पर बिक्री भी ठीक होती थी, फिर वह होटल में नौकरी क्यों कर रहा है-यह बात उसकी समझ में नहीं आ रही थी। इधर काफी दिनों से करीम स्कूल में भी नहीं दिखाई दे रहा था। शायद वह स्कूल जा ही नहीं रहा था। सुनील की उत्सुकता बढ़ती गई और वह होटल में जाकर एक सीट पर बैठ गया। उसके बैठते ही करीम ने पानी का गिलास लाकर मेज पर रख दिया। क्या लाऊं साब? करीम ने पूछा। फिर उसे देखकर टिठक गया। करीम तुम होटल में कब से नौकरी करने लगे? सुनील ने पूछी। अभी कुछ ही दिनों से। करीम धीरे से बोला। क्यों? सुनील ने फिर पूछा? ऐसे ही, आपके लिए क्या लाऊं? करीम ने नीचे देखते हुए धीरे से पूछा। तुम्हारे अब्बू ने क्या तुमको घर से . मेरे अब्बू तो मर गए। सुनील की बात काटते हुए करीम बोला। क्या बीमार थे? नहीं पिछले दिनों जो दंगा हुआ था उसी में मेरे अब्बू को मार डाला गया और दुकान भी जला दी गई। कहते हुए करीम रो पड़ा। ओह, सुनील ने गहरी सास ली। किराया बाकी था, इसीलिए मकान-मालिक ने घर निकाल दिया और सब सामान रख लिया। सुबकते हुए करीम बोला। तुम्हारा कोई और नहीं है जो तुम यहां नौकरी कर रहे हो? सुनील ने पूछा। मामू हैं, उन्होंने ही मेरी यहां नौकरी लगवा दी। करीम ने बताया। अबे, करीमा यहां खड़ा क्या कर रहा है। होटल मालिक चिल्लाया। करीम तेजी से वहां से चल दिया। सुनील ने एक क्षण सोता और उठकर करीम का हाथ पकड़ते हुए बोला, अब तुम यहां नौकरी नहीं करोगे। फिर क्या करूंगा, करीम ने आश्चर्य से पूछा? तुम मेरे साथ रहना और पढऩा। सुनील बोला।नहीं मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगा । तुम हिंदू हो मुझे मार डालोगे। करीम भयभीत स्वर में बोला। हिंदू मुस्लमान क्या होता है। तुम भी इनसान, मैं भी इनसान। मैं तुमसे बड़ा हूं इसीलिए तुम्हारा बड़ा भाई हूं। एक भाई क्या दूसरे की हत्या करेगा? सुनील ने समझाते हुए पूछा। मेरे अब्बू ने क्या किया था? वह तो किसी से झगड़ा भी नहीं करते थे। फिर उन्हें क्यों मार डाला गया? करीम बोला। हत्यारे सिर्फ हत्यारे होते हैं। वे न हिंदू होते हैं न मुस्लमान। सुनील ने कहा। करीम तू वहां क्यों खड़ा है होटल मालिक फिर चिल्लाया। करीम अब तुम्हारे होटल में नौकरी नहीं करेगा। सुनील करीम के साथ होटल मालिक के पास जाकर बोला। नौकरी नहीं करेगा तो क्या करेगा? इसका बाप कौन सी जायदाद छोड़ गया है, जिसे बेचकर खाएगा। होटल मालिक बोला। यह मेरा छोटा भाई है, मेरे साथ रहकर पढ़ेगा। सुनील बोला। मुझे नौकरों की कमी नहीं है। यह जाना चाहे तो ले जाओ। होटल मालिक बोला। दंगे- फसाद होते रहेंगे तो नौकरों की कमी नहीं रहेगी। होटल से बाहर निकलते हुए सुनील बोला। तुम्हारे मम्मी-पापा वे बहुत खुश होंगे। करीम की बात काटते हुए सुनील बोला। घर पहुंचकर सुनील ने अपनी मम्मी को बता दिया कि यही करीम है जिसने उसकी जान बचाई थी और यह भी बता दिया कि करीम के अब्बू की मौत हो गई है। यह होटल पर काम कर रहा था। अब यह हमारे साथ रहेगा। तुम बहुत समझदार हो बेटे। तुमने अपने छोटे भाई की जिंदगी को बरबाद होने से बचा लिया। कहते हुए मम्मी ने करीन को सीने से लगा लिया। करीम ने महसूस किया मां सिर्फ सिर्फ मां होता है। वह उनसे लिपटकर रो पड़ा।

सोमवार, 23 अप्रैल 2018

याेग से दूर हाेता है माइग्रेन- डा. दीपिका शर्मा

सिर में हो रहे लगातार दर्द को माइग्रेन कहा जाता है। हाथ-पैर में झुनझुनी, उल्टी और रोशनी तथा आवाज से सेंसिटीविटी का बढ़ना जैसे लक्षण माइग्रेन के लक्षण होते हैं। दुनिया भर में माइग्रेन से पीड़ित लोगों की काफी बड़ी तादाद है। लोग इसके लिए तमाम तरह के चिकित्सकीय उपचार अपनाते हैं। लेकिन आज हम आपको योग के कुछ उन आसनों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनको नियमित रूप से करने से माइग्रेन की समस्या को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है।
शषांकासन
इसे करने के लिए सबसे पहले बैठकर दोनों एड़ीं पंजे आपस में मिला लें। अब हथेलियों को दाईं ओर रखें और पंजो को तान लें। घुटनों को टांगों से मोड़ते हुए वज्रासन की स्थिति में आ जाएं। अब दोनों घुटनों को दोनों ओर फैला दें तथा दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों के मध्य जमीन पर टिका दें। सांस बाहर करते हुए कमर के निचले हिस्से से धीरे-धीरे झुकते जाएं ऐसा करते हुए हथेलियों को आगे खिसकाते रहें। अपनी ठोड़ी को धरती से लगा लें। फिर उल्टी क्रिया करते हुए धीरे-धीरे पूर्वावस्था आ जाएं।

हलासन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले लेटकर दोनों एड़ी पंजो को आपस में मिला लें। अब दोनों टांगों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और सांस बाहर निकालते हुए सर की तरफ लेकर आएं। अब पंजों को जमीन से टिका दें। अंत में धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में लौट आएं।

विपरीत करणी मुद्रा आसन
सबसे पहले लेटकर एड़ी और पंजों को आपस में मिला लें। दोनों हथेलियों को धरती की ओर रखें। पंजों को टाइट कर दोनों पांवों को धीरे धीरे ऊपर उठाना शुरू कर दें। दोनों हथेलियों को नितंबों पर लगाकर उन्हें भी ऊपर की ओर उठाएं। कंधों से जंघा तक 45 डिग्री का कोण बनाएं। पंजों को तान दें और सांस को सामान्य कर लें। फिर धीरे धीरे पूर्वावस्था में लौट आएं और पंजो को धीरे से जमीन पर टिका दें।

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डा. दीपिका शर्मा अपाेलाे  फेमिली क्लीनिक नौएडा, उत्तरप्रदेश, सेक्टर 110 में  फेमिली फिजिशियन हैं।
 सेहत से जुड़े सवाल आप हमारे मैं अपराजिता के फेसबुक पेज में कर सकते हैं। अपनी सेहत संबंधी समस्या के लिए आप हमें मेल भी कर सकते हैं-
mainaparajita@gmail.com

रविवार, 22 अप्रैल 2018

गणेश जी की पाठशाला-रेनु दत्त

भगवान गणेश का जन्म भाद्रमास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसलिए हर साल भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश उत्सव मनाया जाता है। गणेश को वेदों में ब्रह्मा, विष्णु, एवं शिव के समान आदि देव के रूप में वर्णित किया गया है। इनकी पूजा त्रिदेव भी करते हैं। भगवान श्री गणेश सभी देवों में प्रथम पूज्य हैं। शिव के गणों के अध्यक्ष होने के कारण इन्हें गणेश और गणाध्यक्ष भी कहा जाता है। जैसा कि हम देखते हैं कि भगवान गणेश की एक विशेष तरह की आकृति है जिसमें उनका मस्तक हाथी का है। इन सबके प्रतीकात्मक अर्थ भी है।
बड़ा मस्तक
 गणेश जी का मस्तक काफी बड़ा है। माना जाता है कि बड़े सिर वाले व्यक्ति की नेतृत्व कला अद्भुत होती है, इनकी बुद्घि कुशाग्र होती है। गणेश जी का बड़ा सिर यह भी ज्ञान देता है कि अपनी सोच को बड़ा बनाए रखना चाहिए आंखें गणपति की आंखें यह ज्ञान देती है कि हर चीज को सूक्ष्मता से देख-परख कर ही कोई निर्णय लेना चाहिए। ऐसा करने वाला व्यक्ति कभी धोखा नहीं खाता
सूप जैसे लंबे कान
 गणेश जी के कान सूप जैसे बड़े हैं इसलिए वह सबकी सुनते हैं फिर अपनी बुद्धि और विवेक से निर्णय लेते हैं। बड़े कान हमेशा चौकन्ना रहने के भी संकेत देते हैं। गणेश जी के सूप जैसे कान से यह शिक्षा मिलती है कि जैसे सूप बुरी चीजों को छांटकर अलग कर देता है उसी तरह जो भी बुरी बातें आपके कान तक पहुंचती हैं उसे बाहर ही छोड़ दें। बुरीबातों को अपने अंदर न आने दें।
गणपति की सूंड
गणेश जी की सूंड हमेशा हिलती डुलती रहती है जो उनके हर पल सक्रिय रहने का संकेत है। यह हमें ज्ञान देती है कि जीवन में सदैव सक्रिय रहना चाहिए। शास्त्रों में गणेश जी की सूंड की दिशा का भी अलग-अलग महत्व बताया गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सुख-समृद्वि चाहते हो उन्हें दायीं ओर सूंड वाले गणेश की पूजा करनी चाहिए। शत्रु को परास्त करने एवं ऐश्वर्य पाने के लिए बायीं ओर मुड़ी सूंड वाले गणेश की पूजा लाभप्रद होती है। बड़ा उदर गणेश जी को लंबोदर भी कहा जाता है। लंबोदर होने का कारण यह है कि वे हर अच्छी और बुरी बात को पचा जाते हैं और किसी भी बात का निर्णय सूझबूझ के साथ लेते हैं। जो व्यक्ति ऐसा कर लेता है वह हमेशा ही खुशहाल रहता है।
एकदंत
 बाल्यकाल में भगवान गणेश का परशुराम जी से युद्घ हुआ था। इस युद्घमें परशुराम ने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत काट दिया। इस समय से ही गणेश जी एकदंत कहलाने लगे। गणेश जी ने अपने टूटे हुए दांत को लेखनी बना लिया और इससे पूरा महाभारत ग्रंथ लिख डाला। यह गणेश जी की बुद्घिमत्ता का परिचय है। गणेश जी अपने टूटे हुए दांत से यह सीख देते हैं कि चीजों का सदुपयोग किस प्रकार से किया जाना चाहिए। अगले रविवार पढ़िए भगवान गणेश क्याें खाते हैं माेदक----

एडजेस्टमेंट या दबाव- दर्शना बांठिया

समीरा और नैंना दोनों खास दोस्त है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि दोस्त नहीं सगी बहनें है।नैंना की माँ दोनों में कोई फर्क नहीं करती..समीरा का भी उतना ही ख्याल रखती है ,जितना नैंना का ,क्योंकि समीरा की माँ के पास अपनी बेटी के साथ बैठने ,खेलने व उसकी बातों को सुनने का समय ही नहीं होता।समीरा की माँ मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर है। अपना करियर बनाने की इतनी धुन सवार थी ,कि किसी के साथ कोई संयोजन नहीं करना ,अपने काम से ही मतलब रखना ...., परिणामतः संयुक्त परिवार से ही अलग होना पडा़।संयुक्त परिवार को छोड़ अपने पति व बेटी समीरा के साथ मुंबई चली आई।वहीं पडो़स में नैंना से मुलाकात हुई,और धीरे -धीरे दोनों पक्की सहेलियाँ बन गई।

"समीरा ,तुम और नैंना शादी के लंहगे की मैचिंग चुडियाँ आज ही ले आओ,कल से नैंना बाहर नहीं जा सकेगी"...नैंना की माँ ने कहा।

क्यों आँटी ...समीरा बोली।

'अरे परसों मेंहदी और अगले दिन शादी,अभी भी बाजारों में घूमेगी तो लोग क्या कहेगें? अरे आँटी आप भी लोगों की बातों को सुनकर कुछ भी कहते हो ...समीरा बोली।

समीरा ,माँ सही कह रही है.अभी मेरी सासू माँ भी यही बोल रहे थे कि ,'बेटा अब ज्यादा बाहर न निकलना ,हमारे यहाँ तो शादी के एक हफ्ते पहले से ही लड़कियों का बाहर निकलना बंद हो जाता था'।"क्या तू भी अपनी सास की बातों को सीरियसली लेती है."..चल अब समीरा, नैंना का हाथ पकडकर बोली।

नैंना की शादी खूब धूम-धाम से हुई ,विदाई के समय नैंना की माँ खूब रोई,समीरा ने आँटी को सँभाला और बोली ;'अरे आँटी 2 सोसायटी छोडकर ही तो नैंना का ससुराल है ,जब जी चाहे चले जाना'।समीरा नैंना के ससुराल हर दूसरे -तीसरे दिन पहुँच जाती,और घंटो बतियाती।

नैंना की सास बहुत सरल थी,वो समय के साथ परिवर्तन करना जानती थी।

नैंना -'आज शोपिंग करने चलेंगे .. रोहित के साथ कोई प्लान मत बनाना '..समीरा ने रविवार सुबह ही फोन पर कहा।

ठीक है..वैसे भी आज मम्मी ने रोहित को खाने पर बुलाया है ,सिमू तू भी आ जाना,वही से शोपिंग करने चलेंगे'-नैंना ने कहा। ठीक है... पर जल्दी आना, समीरा बोली।

नैंना तैयार होकर रोहित को आवाज लगाती है,रोहित कितनी देर फोन पर बात करोगें,चलो ना....। आ रहा हूँ.1 मिनट.'सॉरी यार..आज मेरा खास दोस्त कुनाल आया है ,अमेरिका से ..और कल सुबह की फ्लाइट से वापस जा रहा है,तो वो अभी आ रहा है लंच पर ,प्लीज आज मम्मी के यहाँ नहीं चल पाएगें'।नैंना को बहुत बुरा लगा.. ।मम्मी व सिमू मेरा इंतजार कर रही होगी,उन्हें मना तो कर दूँ।। 'सिमू, आज नहीं हो पाएगा...सॉरी यार ' -नैंना ने उदासी से कहा। ''क्या है यार, इतनी मुश्किल से तो प्लान बनाया था ,सारा चौपट कर दिया.....'यार रोहित का दोस्त आ रहा है ,क्या करुँ'?नैंना बुझे मन से बोली। 'तो तू क्यों समझौता कर रही है ,बोल दे तुझे भी जाना है,समीरा ने गुस्से में कहा ।'छोड़ न यार कल मिलते है.'... अभी लंच भी बनाना है,चल बॉय ,नैंना ने फोन रखा और खाने की तैयारी में लग गई।

अगले दिन नैंना एक फूलों का गुलदस्ता और गिफ्ट लेकर समीरा से मिलने गई।

"हैप्पी बर्थ डे,सिमू".....नैंना ने उसे प्यार से गले लगा लिया।

'आ गई ,मैडम....मिल गई फुर्सत...थैंक्यू 'समीरा बोली।

"अरे यार आज तो पूरा दिन तेरे ही साथ हूँ..बता कहाँ चले ..मूवी, मॉल या केफे..सुन एक अच्छी हॉलीवुड मूवी लगी है ,चल वहीं चलते है....तेरी फेवरेट"..... नैंना उत्साह से बोली । ठीक है...मैडम अब आप कह रही है तो चलते है,समीरा की क्या मजाल जो मना करें,और दोनों खिलखिलाकर हँस पडी।

समीरा टिकट बुक हो गई ,तू तैयार हो जा 11 बजे का शो है ,नैंना ने कहा। आ रही हूँ दस मिनट... ...तभी नैंना का फोन बजा, 'बहू तुम अभी आ सकती हो ,मेरे क्लब की कुछ सहेलियाँ आई है ,तुम से मिलने..थोड़ी देर उनसे मिलकर दुबारा पीहर चली जाना..,अगर नहीं आ सकती तो कोई बात नहीं,फिर कभी मिल लेना 'नैंना की सास ने कहा।

नहीं-नहीं ऐसा कुछ नहीं है ,मैं आती हूँ कुछ देर में,नैंना ने कहा।

चल यार...मैं तैयार हूँ...समीरा बोली। "सॉरी सिमू....अभी मम्मी जी का फोन आया ,और बताया कि उनकी कुछ सहेलियाँ आ रही है ,मुझसे मिलने ..मैं मना नहीं कर पाई ",नैंना ने उदासी से कहा।

" नैंना तू हर समय किसी के दबाव में.क्यों आ जाती है,तेरी खुद की भी तो लाइफ है....हर जगह मत झुका कर..पागल..."।समीरा ने आवेश में कहा।

"इसमें झुकना क्या ? दबाव क्या ?मुझ पर उन्होंने कोई दबाव नहीं बनाया ,मैंने अपनी इच्छा से हाँ कहा है ,और थोड़ा बहुत एडजेस्टमेंट करना ही पड़ता है,उसमें क्या" ?नैंना ने कहा।

'अरे...,वो ही तो दबाव है,जब अपने मन का ही कुछ न कर पाएँ और उनके अनुसार चलें..वो जबरदस्ती अपनी बात मनवाएँ,ये सब दबाव नहीं है, तो क्या है..? तू बोल देती,मुवी की टिकट बुक हो गई है .अभी कैसे आऊँ.,समीरा झल्लाकर बोली।

सिमू ."एडजेस्टमेंट और दबाव में बहुत फर्क है,एडजेस्टमेंट सभी की खुशियों का ध्यान रखते हुए ,आपसी सहमति से काम करने को कहते है,जिस में सभी की खुशी शामिल हो,और दबाव जबरन काम करवाने को।"मुझ पर किसी ने कोई दबाव नहीं बनाया ,अभी नई-नई शादी हुई है मेरी, उनकी सहेलियाँ मिलना चाह रही है मुझसे और क्या....तू फालतू ही परेशान हो रही है...तेरी शादी होगी न तब पता चलेगा...चल अब मूड ठीक कर ,और मूवी का क्या ..3बजे का शो है ना वो चलते है ..फिर डिनर साथ में ही करेंगे..ठीक है..,नैंना ने उसके गाल सहलाते हुए कहा।

वास्तव में आजकल लोगों की सोच यहीं है कि हम क्यों समझौता करे,उन लोगों ने एडजेस्टमेंट और समझौता दोनों को समानार्थी शब्द बना दिया।

मेरा मानना है कि हम हवाओं को तो नहीं बदल सकतें,मगर कश्ती की दिशा को तो एडजेस्ट कर ही सकतें है।

आप अपनी राय जरुर दीजिए।

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