रविवार, 29 अप्रैल 2018

आप गलत रास्ते में हैं- डा. अनुजा भट्ट


क्या आपकाे लगता है कि साधु संन्यासी आपकी समस्या का हल निकाल सकते हैं। आत्मिक शांति का रास्ता क्या साधु संताें के जरिए ही पाया जा सकता है। आखिर क्या वजह है कि इनके भक्ताें की संख्या कराेड़ाें में है। महिला भक्ताें का आकड़ा सबसे ज्यादा है। क्या यह संत ईश्वर के पर्याय हैं।
यह जाे उपदेश हर राेज देते हैं क्या उसका अंश भर भी खुद पर अमल करते हैं। उपनिषद, महाभारत, रामायण, वेद, गुरुग्रंथ , संतवाणी का सार संदेश जाे यह अपने भक्ताें काे देते हैं क्या भक्त भी उसे स्वीकार करते हैं। अगर एेसा है ताे इतना भ्रष्टाचार, अन्याय और अनैतिकता का माहाैल क्याें सर्वव्याप्त है। हमारा खुद पर क्याें भराेसा उठ गया है।
महिलाएं जिस शांति की शरण के लिए इन के पास जाती है वह असली जगह नहीं हैं। अपने लिए शांति की तलाश वह खुद कर सकती हैं। अपनी समस्याआें का निदान खुद पा सकती हैं। आपकी समस्याएं हैं। बहुत तरह की समस्याएं हैं। पर सबसे पहले हमें समस्या क्याें हैं इसे जानना हाेगा और फिर उसके निदान के लिए सही रास्ता चुनना पड़ेगा।
ईश्वर हमारी आस्था का नाम है। और यह आस्था हमारे भीतर के विश्वास काे मजबूत करती है और आत्मविश्वास से भर देती है। हमें अपने भातर के ईश्वर से खुद साक्षात्कार करना हाेगा। काेई संत ईश्वर के साथ हमारा समागम नहीं करा सकता। दर असल यह सब एक मकड़जाल है। इस मकड़जाल में नेता से लेकर आमजन तक हर आदमी जकड़ा हुआ है जकड़ता जा रहा है। वह बिना मेहनत के सब कुछ हासिल करने का ख्वाब सजा रहा है। इसलिए कभी काला पर्स मशहूर हाे जाता है ताे कभी कुछ।
अगर आप निःसंतान है ताे डाक्टर की राय ही आपके लिए महत्वपूर्ण है। और अगर आप बेराेजगार है ताे आपकाे देखना हाेगा कि आप क्या कर सकते हैं और कैसे कर सकते हैं। अगर पारिवारिक समस्या है ताे उसे सुलझाना भी परिवार के साथ ही है। और अगर बच्चे नालायक हैं ताे उसे सुधारने की चाबी भी आपके पास ही है।
अपने मन में संकीर्तन कीजिए। अपने मन काे साफ कीजिए। अपने भीतर प्यार, उदारता और ईमानदारी पैदा कीजिए। आपके सारे डर छूमंतर हाे जाएंगे। मजबूत बनिए। आज सबसे ज्यादा तकलीफ में महिलाएं ही हैं। उनके साथ उनकी बच्चियाें के साथ बलात्कार हाे रहा है, हिंसा हाे रही है। हत्या हाे रही है। वह शाेषण का शिकार बनती जा रही है। अखबार का हर पन्ना इसी तरह की खबराें से भरा है। सनसनी खेज अपराध के वीडियाे वायरल हाे रहे हैं। अश्लील सीडी पकड़ी जा रही हैं। पर सच और भी कुछ है।
वह मजबूत भी हाे रही हैं। उनके सपनाें का आकाश साफ हाे रहा है। 4 साल की बच्ची के साथ भी पढ़ाई करके वह आईएएस की परीक्षा में दूसरे नंबर पर आती है। पहलवानी से लेकर तीरंदाजी और हाकी से लेकर क्रिकेट तक में उसने मैडल अपने नाम कर लिए हैं।
पर यह आकड़ा अभी बहुत है। हमें इस आकड़े के ग्राफ काे बढ़ाना है। अखबार के हर पन्ने में जब महिलाआें की सफलता की कहानियां हाेगी तभी सच्ची आजादी हाेगी। इसके लिए बस हमें अपनी समस्या और उसके निदान के सही रास्ते पर नजर रखनी हाेगी। साधु समाज का यह रास्ता आपकाे गलत रास्ते पर ले जा रहा है।

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