रविवार, 22 अप्रैल 2018

एडजेस्टमेंट या दबाव- दर्शना बांठिया

समीरा और नैंना दोनों खास दोस्त है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि दोस्त नहीं सगी बहनें है।नैंना की माँ दोनों में कोई फर्क नहीं करती..समीरा का भी उतना ही ख्याल रखती है ,जितना नैंना का ,क्योंकि समीरा की माँ के पास अपनी बेटी के साथ बैठने ,खेलने व उसकी बातों को सुनने का समय ही नहीं होता।समीरा की माँ मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर है। अपना करियर बनाने की इतनी धुन सवार थी ,कि किसी के साथ कोई संयोजन नहीं करना ,अपने काम से ही मतलब रखना ...., परिणामतः संयुक्त परिवार से ही अलग होना पडा़।संयुक्त परिवार को छोड़ अपने पति व बेटी समीरा के साथ मुंबई चली आई।वहीं पडो़स में नैंना से मुलाकात हुई,और धीरे -धीरे दोनों पक्की सहेलियाँ बन गई।

"समीरा ,तुम और नैंना शादी के लंहगे की मैचिंग चुडियाँ आज ही ले आओ,कल से नैंना बाहर नहीं जा सकेगी"...नैंना की माँ ने कहा।

क्यों आँटी ...समीरा बोली।

'अरे परसों मेंहदी और अगले दिन शादी,अभी भी बाजारों में घूमेगी तो लोग क्या कहेगें? अरे आँटी आप भी लोगों की बातों को सुनकर कुछ भी कहते हो ...समीरा बोली।

समीरा ,माँ सही कह रही है.अभी मेरी सासू माँ भी यही बोल रहे थे कि ,'बेटा अब ज्यादा बाहर न निकलना ,हमारे यहाँ तो शादी के एक हफ्ते पहले से ही लड़कियों का बाहर निकलना बंद हो जाता था'।"क्या तू भी अपनी सास की बातों को सीरियसली लेती है."..चल अब समीरा, नैंना का हाथ पकडकर बोली।

नैंना की शादी खूब धूम-धाम से हुई ,विदाई के समय नैंना की माँ खूब रोई,समीरा ने आँटी को सँभाला और बोली ;'अरे आँटी 2 सोसायटी छोडकर ही तो नैंना का ससुराल है ,जब जी चाहे चले जाना'।समीरा नैंना के ससुराल हर दूसरे -तीसरे दिन पहुँच जाती,और घंटो बतियाती।

नैंना की सास बहुत सरल थी,वो समय के साथ परिवर्तन करना जानती थी।

नैंना -'आज शोपिंग करने चलेंगे .. रोहित के साथ कोई प्लान मत बनाना '..समीरा ने रविवार सुबह ही फोन पर कहा।

ठीक है..वैसे भी आज मम्मी ने रोहित को खाने पर बुलाया है ,सिमू तू भी आ जाना,वही से शोपिंग करने चलेंगे'-नैंना ने कहा। ठीक है... पर जल्दी आना, समीरा बोली।

नैंना तैयार होकर रोहित को आवाज लगाती है,रोहित कितनी देर फोन पर बात करोगें,चलो ना....। आ रहा हूँ.1 मिनट.'सॉरी यार..आज मेरा खास दोस्त कुनाल आया है ,अमेरिका से ..और कल सुबह की फ्लाइट से वापस जा रहा है,तो वो अभी आ रहा है लंच पर ,प्लीज आज मम्मी के यहाँ नहीं चल पाएगें'।नैंना को बहुत बुरा लगा.. ।मम्मी व सिमू मेरा इंतजार कर रही होगी,उन्हें मना तो कर दूँ।। 'सिमू, आज नहीं हो पाएगा...सॉरी यार ' -नैंना ने उदासी से कहा। ''क्या है यार, इतनी मुश्किल से तो प्लान बनाया था ,सारा चौपट कर दिया.....'यार रोहित का दोस्त आ रहा है ,क्या करुँ'?नैंना बुझे मन से बोली। 'तो तू क्यों समझौता कर रही है ,बोल दे तुझे भी जाना है,समीरा ने गुस्से में कहा ।'छोड़ न यार कल मिलते है.'... अभी लंच भी बनाना है,चल बॉय ,नैंना ने फोन रखा और खाने की तैयारी में लग गई।

अगले दिन नैंना एक फूलों का गुलदस्ता और गिफ्ट लेकर समीरा से मिलने गई।

"हैप्पी बर्थ डे,सिमू".....नैंना ने उसे प्यार से गले लगा लिया।

'आ गई ,मैडम....मिल गई फुर्सत...थैंक्यू 'समीरा बोली।

"अरे यार आज तो पूरा दिन तेरे ही साथ हूँ..बता कहाँ चले ..मूवी, मॉल या केफे..सुन एक अच्छी हॉलीवुड मूवी लगी है ,चल वहीं चलते है....तेरी फेवरेट"..... नैंना उत्साह से बोली । ठीक है...मैडम अब आप कह रही है तो चलते है,समीरा की क्या मजाल जो मना करें,और दोनों खिलखिलाकर हँस पडी।

समीरा टिकट बुक हो गई ,तू तैयार हो जा 11 बजे का शो है ,नैंना ने कहा। आ रही हूँ दस मिनट... ...तभी नैंना का फोन बजा, 'बहू तुम अभी आ सकती हो ,मेरे क्लब की कुछ सहेलियाँ आई है ,तुम से मिलने..थोड़ी देर उनसे मिलकर दुबारा पीहर चली जाना..,अगर नहीं आ सकती तो कोई बात नहीं,फिर कभी मिल लेना 'नैंना की सास ने कहा।

नहीं-नहीं ऐसा कुछ नहीं है ,मैं आती हूँ कुछ देर में,नैंना ने कहा।

चल यार...मैं तैयार हूँ...समीरा बोली। "सॉरी सिमू....अभी मम्मी जी का फोन आया ,और बताया कि उनकी कुछ सहेलियाँ आ रही है ,मुझसे मिलने ..मैं मना नहीं कर पाई ",नैंना ने उदासी से कहा।

" नैंना तू हर समय किसी के दबाव में.क्यों आ जाती है,तेरी खुद की भी तो लाइफ है....हर जगह मत झुका कर..पागल..."।समीरा ने आवेश में कहा।

"इसमें झुकना क्या ? दबाव क्या ?मुझ पर उन्होंने कोई दबाव नहीं बनाया ,मैंने अपनी इच्छा से हाँ कहा है ,और थोड़ा बहुत एडजेस्टमेंट करना ही पड़ता है,उसमें क्या" ?नैंना ने कहा।

'अरे...,वो ही तो दबाव है,जब अपने मन का ही कुछ न कर पाएँ और उनके अनुसार चलें..वो जबरदस्ती अपनी बात मनवाएँ,ये सब दबाव नहीं है, तो क्या है..? तू बोल देती,मुवी की टिकट बुक हो गई है .अभी कैसे आऊँ.,समीरा झल्लाकर बोली।

सिमू ."एडजेस्टमेंट और दबाव में बहुत फर्क है,एडजेस्टमेंट सभी की खुशियों का ध्यान रखते हुए ,आपसी सहमति से काम करने को कहते है,जिस में सभी की खुशी शामिल हो,और दबाव जबरन काम करवाने को।"मुझ पर किसी ने कोई दबाव नहीं बनाया ,अभी नई-नई शादी हुई है मेरी, उनकी सहेलियाँ मिलना चाह रही है मुझसे और क्या....तू फालतू ही परेशान हो रही है...तेरी शादी होगी न तब पता चलेगा...चल अब मूड ठीक कर ,और मूवी का क्या ..3बजे का शो है ना वो चलते है ..फिर डिनर साथ में ही करेंगे..ठीक है..,नैंना ने उसके गाल सहलाते हुए कहा।

वास्तव में आजकल लोगों की सोच यहीं है कि हम क्यों समझौता करे,उन लोगों ने एडजेस्टमेंट और समझौता दोनों को समानार्थी शब्द बना दिया।

मेरा मानना है कि हम हवाओं को तो नहीं बदल सकतें,मगर कश्ती की दिशा को तो एडजेस्ट कर ही सकतें है।

आप अपनी राय जरुर दीजिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

special post

कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...