बुधवार, 17 मई 2017

योग की युक्ति से पाएं दर्द से मुक्ति


 दिनभर घर का कामकाज करने के बाद एड़ी में आने वाली दरार और उसमें दर्द के कारण परेशानी बढ़ जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए कुछ घरेलू उपाय आजमाएं।
एड़ी में दर्द 
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कसरत करें -  पैरो की उंगलियो को पॉइंट करने की कसरत में आपको केवल अपनी टांग उठानी है और अपने पैरों को तब तक घुमाना है जब तक इनकी उँगलियाँ नीचे की और पॉइंट नहीं करने लगे फिर आप थोड़ी देर का ब्रेक लेकर एक बार फिर दूसरे पैर के साथ इस क्रिया को दोहराएं। इस से आपके पैर की मसल्स में खिंचाव बनता है और एड़ी में दर्द  से  राहत मिलती है।
गेंद वाला व्यायाम -  इसके अलावा पै
र केे नीचे गेंद को घुमाकर भी व्यायाम कर सकते है। यह एक मसाज की तरह आपके लिए काम करता ह।ै आप किसी हलकी या टेनिस वाली गेंद लेकर इसे अपने पैर के नीचे तीन मिनट तक घुमाएँ और फिर अपने दूसरे पैर के साथ भी ऐसा ही करें। इस से आपको आपके पैर और एड़ी के दर्द  में बड़ी राहत मिलेगी।
शोर्ट फुलिंग करें - शोर्ट फुलिंग कसरत को  आप बड़ी आसानी से कर सकते है इसके लिए आपको केवल जूते खोलकर अपने पैरो की उँगलियों को नीचे की और खींचकर अपने पैर के ऑर्च को सिकोड़ना होता है इस से भी आपके पेरों की मसल्स को आराम मिलता है और आपके एड़ी में दर्द को इस से  आराम मिलता है।
एक्युप्रेशर की मदद लें - एक्युप्रेशर तकनीक का उपयोग करते हुए भी आप अपने पैरो में रक्तसंचार को सामान्य कर सकते है और एड़ी में दर्द  से आराम पा सकते है
गर्म पानी से सिकाई - गर्म पानी से अपने पैरों को सेंकने से भी राहत मिल सकती है।
 “काफ स्ट्रेचेज”  करें -  दीवार के सामने सीधे खड़े हो जाएँ और अपने हाथों को दीवार पर रखें और एडियो को फर्श पर रखें फिर धीरे धीरे आगे की ओर स्ट्रेच करें और फिर शुरुआती स्थिति में वापिस आ जाएँ।
आराम फरमाएं -किसी ऊँची जगह पर बैठकर आराम फरमाएं और कोई अपनी पसंद का गाना सुनते हुए अपने पैरो को लटका कर गोल गोल घुमाएँ और अपने पैरो की उंगलियो को अपनी तरफ खीचे और बाद में उसकी विपरीत दिशा में घुमाएँ।
चेहरे की चर्बी दूर करने और  डबल चिन से निजात के लिए आसान क्रियाएं
डा दीपिका शर्मा कहती हैं कुछ लोग चेहरे की चर्बी से बहुत परेशान रहते हैं। उनकी इस समस्या का निदान योगासनों से भी किया जा सकता है।  
लॉयन फेस एक्सरसाइज करने के लिए मुंह जितना खोल सकते हैं खोलें, सांस बाहर छोड़ें। आंखें जितनी खोल सकें खोलें। दो से तीन मिनट तक इसी अवस्था में रहें। इसके बाद सामान्य मुद्रा में आकर गहरी लंबी सांस लें। जीभ बाहर निकालें। गर्दन को नीचे झुकाते हुए जीभ को अपने सीने से लगाने की कोशिश करें।
च्वगिंम, लौंग, इलायची, सौंफ में से किसी भी एक चीज को मुंह में डालकर 5 से 10 मिनट तक चबाते रहें। यह बहुत अच्छा व्यायाम है।ऽ गर्दन को क्लॉकवाइज और फिर एंटी क्लॉकवाइज घुमाएं। इस एक्सरसाइज को करने से फैशियल फैट से छुटकारा मिलता है। इसे रोज 10 बार करें।
गहरी सांस लें और मुंह में इतनी हवा भरे, जैसे गुब्बारा फुलाने के लिए मुंह में हवा भरते हैं। पांच सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें। अब पांच सेकंड तक दाएं गाल को दबाएं और फिर बाएं गाल को। फिर सामान्य मुद्रा में आ जाएं। इस प्रक्रिया को पांच से आठ बार दोहराएं।
अपने होठों को मछली के आकार का बनाते हुए दोनो दिशाओं पर अपने होठो को घुमायें और इस प्रक्रिया को 10 सेकेंड तक यूं ही रहने दें। इससे भी डबल चिन और चेहरे की चर्बी से निजात मिलती है।

बुधवार, 10 मई 2017

हर रिश्ते की नई कहानी

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 पति-पत्नी के बीच के रिश्ते सहमति और असहमति के बीच ही मजबूत होते हैं। लेकिन लड़ाई-झगड़ा, गृहक्लेश, मनमुटाव रिश्ते की नींव को कमजोर करता है।
हर रिश्ते की एक मर्यादा होती है। बात जब पति-पत्नी के रिश्ते की हो तो इस मर्यादा को जानना-समझना ज्यादा जरूरी है क्योंकि यह दोनों ही परिवार की धुरी है। इन दोनों की ट्यूनिंग जितनी अच्छी होगी परिवार की समस्याओं का हल भी उतनी ही जल्दी होगा। अगर आपकी सोच समझ मिलती हैं फिर आप कितनी भी कठनाईयों से क्यों न घिरे,ं बाहर जरूर निकल आएंगे। हम यहां कुछ ऐसे बिंदुओं को लेकर चर्चा कर रहे हैं जिसको लेकर आमतौर पर पति-पत्नी में झगड़ा या बहस होती है।
नहीं होगी लड़ाई
 बहुत से जोड़े यह कहते हैं कि हमारे बीच कभी लड़ाई नहीं होती। ऐसे जोड़ों से बातचीत करें या उनके परिवार के साथ समय बिताएं तब यह राज समझ में आता है कि आखिर इतना बढ़िया सामंजस्य कैसे संभव है। दरअसल ऐसे जोड़े अपने वैचारिक मतभेद को कभी इतना नहीं बढ़ाते कि वह झगड़े तक पहुंच जाए। अगर कोशिश समझने की और उस पर अमल करने की हो तो रिश्ते मजबूत भी होते हैं और परिवार में खुशहाली का माहौल भी बना रहता है। समय का अभाव- बहुत बार तकरार का मुख्य कारण ही होता है कि साथी एक दूसरे को समय नहीं देते। जब हम एक दूसरे के साथ समय ही नहीं बिताएंगे तो उसकी खुशी और उसकी तकलीफ को कैसे जान सकेंगे। समय बिताने का मतलब यह नहीं कि आप घंटों साथ रहें यह संभव भी नहीं है। लेकिन कुछ समय साथ अवश्य रहें। चाहे आपके वैवाहिक जीवन को कितना भी समय क्यों नहीं बीत गया है अपना साथ साह्चर्य हमेशा महसूस करें। यह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना महत्वपूर्ण आपके लिए आफिस की मीटिंग। जैसे मीटिंग के समय आप फोन बंद कर देते हैं वैसे ही कुछ समय सिर्फ अपनी बातचीत के लिए निकालें। अन्यथा विवाद भी बढ़ेगा और दूरी भी।
रिश्तों को बराबर का सम्मान- रिश्तेदारी किसी भी पक्ष की हो उसे दोनों को निभाना है। लेन देन में एक निश्चित रकम तय हो जो सभी के लिए निभा पाना आसान हो। बहुत बार रिश्ते इसीलिए खराब हो जाते हैं क्योंकि या तो हम किसी से बहुत उम्मीद लगा लेते हैं या कभी दूसरा पक्ष हमसे बहुत उम्मीद लगा लेता है। लेन देन साथ साथ चलता है। अगर कोई हमें उपहार देता है तो हमें भी उसे उपहार देना चाहिए। उपहार देना एक शिष्टाचार है दिखावा नहीं। अधिक्तर रिश्ते दिखावे या उम्मीद के पूरा न हो पाने के कारण टूटते हैं। पति पत्नी में कलह का एक प्रमुख कारण यह भी होता है।
पैसा
शादी चाहे पारंपरिक हो या पसंद की कुछ ऐसे मुद्दे जरूर होते हैं जिसमें पति-पत्नी की राय अलग होती है। इसकी वजह यह है कि दोनों अलग अलग परिवेश से आते हैं और उनका पालनपोषण भी अलग ढंग से होता है।  यदि एक को पैसे की कमी रही हो और दूसरे ने कभी भी पैसे की कमी न देखी हो।  यदि ऐसे दो व्यक्ति एक साथ आते हैं  तो यह हो सकता है कि एक तो पैसे को सोच समझकर खर्च करे और दूसरा खुले हाथों से तो ऐसी स्थिति में दोनों का टकराव संभव है। ऐसे में समझदारी से काम लें। एक दूसरे को अपनी स्थिति समझाएं और मतभेद को आपसी बातचीत से सुलझाने का प्रयास करें।
मल्टी टासकिंग 
वह समय याद कीजिए जब आप दोनों ने बैठकर एक साथ वक्त गुजारा है। अधिकतर जब हम आपस में बैठकर बात करते हैं तो हमारा ध्यान कई चीजों में भटका रहता है। कभी टीवी, कभी मोबाईल तो कभी इंटरनेट।  हम बात करते हुए भी कभी फोन  देख रहे होते हैं तो कभी कुछ और काम कर रहे होते हैं।  यह बात करने का सही तरीका नहीं है। जब आप बात करें फोन का स्विच ऑफ करें और टीवी बंद करें। एक दूसरे की बात को ध्यान से सुनें तभी रास्ता निकलेंगा। चीजों को इग्नोर करने से समस्या बढ़ती है। अगर प्राब्लम है तो उसका सामना करें/हल निकालें।  अगर आप सर्फिंग करते करते बात करना चाहते हैं तो  इन सब बातों से आपका साथी खुद को उपे़िक्षत महसूस करता है।
यदि आपको भी  ऐसा ही महसूस होता है तो आप अपनी बात रख सकते हैं कि जब ऐसी को बात चल रही हो तो फोन या नेट को बंद रखा जाना चाहिए और यदि आपकी यह रिक्वेस्ट नहीं सुनी जा रही हो तो बेहतर है कि अपनी बात को किसी दूसरे वक्त के लिए टाल दिया जाए।
 सुख दुख, मान सम्मान, इच्छा अनिच्छा, लेन देन, आदर अनादर ये ऐसे शब्द हैं जिसमें आपकी जिंदगी छुपी है। इनको समझने की जरूरत है। अपने साथी से बहुत प्यार करें पर उसे स्पेस भी दें ताकि वह प्यार महसूस कर सकें। वह प्यार की गिरफ्त में न हो, प्यार में हो।

मंगलवार, 9 मई 2017

जानवर भी चाहते हैं मनपसंद खाना


 हम सोचते हैं जानवरों को कुछ भी खिला दिया जाए पर हकीकत यह है कि जानवरों की पसंद भी खाने-पीने को लेकर इंसान जैसी ही है।

आजकल बैलेंस्ड डाइट पर चर्चा इंसानो की तरह ही जानवरों को लेकर भी हो रही है। मार्किट में कई कंपनियं हैं जो सिर्फ जानवरों के लिए फूड प्रोडक्ट बेच रही हैं। यह कहा जाता है कि घर का खाना पालतू जानवरों के लिए बैलेंस्ड डाइट नहीं है इसलिए मार्किट में डिब्बाबंद फूड आइटम का ट्रेंड बन चुका है। ऐसा भोजन जानवरों के लिए कितना फायदेमंद होता है आइए जानते हैं -
पालतू जानवरों को घर में बना हुआ खाना या फिर जो बच जाता था वही दिया जाता था। डाक्टर कहते हैं कि कुत्ता मांसभक्षी होता है। जिन घरों  में मांसाहार नहीं बनता वहां के पालतू जानवर के खाने की रूचियां भी उसी परिवार के हिसाब से ढ़ल जाती हैं। इंसान की खाने-पीने की रूचियां अलग होती हैं।  कुत्तों को शाकाहारी डाइट पर रखना आसान है लेकिन बिल्लीयों के लिए यह सही नहीं है।  यदि बिल्लियों को शाकाहारी डाइट पर रखा जाए तो वह छः माह से ज्यादा जीवित नहीं रह पाएंगी।  डाक्टर कहते हैं कि घर में मिलने वाली कई चीजें कुत्तों के लिए अच्छी नहीं होती जैसेकि चॉकलेट, प्याज, लहसुन, अंगूर, किशमिश, दूध आदि।  लेकिन हम उनको यह खाने को देते हैं।
आज पेट्स के लिए कई तरह के ड्राई, वेट और ग्रेवी वाले फूड आइटम मार्किट में उपलब्ध हैं  उनमें आडनरी और प्रीमियम कैटेगरी है।  आर्डनरी फूड जानवरों के लिए खतरनाक है क्योंकि इसमें पॉलटरी वेस्ट मिला होता है जबकि प्रीमियम कैटेगरी में खाने वाली चीजों का इस्तेमाल होता है।  तीसरी कैटेगरी में थेरेपिटक फूड आइटम आते हैं जोकि लिवर, किडनी और त्वचा की बीमारियों के समय दी जाती हैं।  डाक्टर आगे बताते हैंे कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में ऐसी कोई रेगुलेटरी बॉडी नहीं है जोकि जानवरों को दिए जाने वाले पैकिट फूड की जांच कर सके।
डाक्टर पेट पेरेंट्स को यह सलाह देते हैं कि यदि आप अपने पालतू जानवर को सिर्फ पैकेट वाला खाना ही देते हैं तो उसे साथ में खूब पानी पीने को भी जरूर दें।
पेट पेरेंट्स अपने पालतू जानवर के लिए अलग-अलग तरह के भोजन बनाने की विधि ऑनलाईन भी तलाश कर सकते हैं।

सोमवार, 8 मई 2017

करोड़ों लोगों के रोल मॉडल - निकोलस वुजिसिक

विश्वभर में कराेड़ाें अनुयायी

इंट्रो - हर इंसान कि जिंदगी में कठिनाइयां तो आती हैं और इंसान कमजोर पड़कर हार मान लेता है। ऐसे में यदि आप निकोलस वुजिसिक जैसी शख्सियत के बारे में पढ़ेंगें तो
आप जीवन से निराश होना छोड़ देंगे।
वुजसिक एक 34 वर्षीय सफल प्रेरक वक्ता हैं जिनके जन्म से ही हाथ-पैर नहीं हैं। कई डॉक्टर भी उनके इस विकार को सुधारने में असफल रहे। जन्म से ही ऐसा जीवन बिताना उनके लिए चुनौतियों भरा रहा। कई बार कुछ प्रश्न अक्सर उन्हें भी परेशान किया करते थे कि वे दूसरों से अलग क्यों हैं? क्या उनके जीवन का कोई उद्देश्य भी है या नहीं? लेकिन उन्होंने जीवन से हार नहीं मानी और हमेशा आम लोगों की तरह जिंदगी को जीने की कोशिश करते रहे।
19 साल की आयु में उन्होंने अपना पहला भाषण दिया। अब तक निक कई देशों की यात्रा कर चुके हैं और अपनी प्रेरणादायी बातों से लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। विश्वभर में आज निक के करोड़ों अनुयायी हैं, जो उन्हें देखकर प्रेरित होते हैं।
2007 में निक ने ऑस्ट्रेलिया से दक्षिण कैलिफोर्निया की लंबी यात्रा की, जहां वे इंटरनेशनल नॉन-प्रॉफिट मिनिस्ट्री, लाइफ विथआउट लिम्बस के अध्यक्ष बने। अपनी इस बहादुरी के लिए उन्होंने ऑस्ट्रेलियन यंग सिटीजन अवार्ड भी जीता।
आज वे एक लेखक, संगीतकार, कलाकार हैं और साथ ही फिशिंग, पेंटिंग और स्विमिंग का भी शौक रखते हैं। वे सामान्य व्यक्ति की ही तरह गोल्फ और फुटबॉल खेलते हैं, तैराकी और सर्फिंग करते हैं। लेकिन इससे भी ज्यादा प्रभावित करने वाली बात यह है कि उनका जीवन के प्रति नजरिया और खुशी दुनिया को जिंदगी जीने का तरीका सिखा रही है।
निक वुजिसिक जैसे लोग हर पल यह साबित करते रहते है कि असंभव कुछ भी नहीं है। जिंदगी द्वारा दी गई हर चीज को खुलेमन से स्वीकार करना चाहिए, चाहे वे मुश्किलें ही क्यों ना हों। मुश्किलें ही वो सीढ़ियां हैं जिन पर चढ़कर हमें जिंदगी में कामयाबी और खुशी मिलती है।



शनिवार, 29 अप्रैल 2017

जुड़वा बच्चे कभी जमाते हैं रंग, कभी करते हैं तंग


जुड़वा बच्चों में मां का प्यार बंट जाता है। वह पूरी तरह एक बच्चे को प्यार नहीं कर पाती यह बहुत परेषान करने वाली बात है जो हमेषा चुभती है।
 जुड़वा बच्चों को देखना बहुत अच्छा लगता है। एक जैसे कपड़े एक जैसा चेहरा अ©र एक जैसी शरारतें मन को मोह लेती हैं। लेकिन अगर उनकी मम्मी पापा से पूछें तो उनकी तकलीफों का पता चलता है। दो बच्चों को एक साथ संभालना आसान नहीं है। पत्रकार रश्मि उपाध्याय कहती हैं कि मैं दो जुड़वा बच्चों की मां हूं। मैंने महसूस किया है कि जुड़वा बच्चों में मां का प्यार बंट जाता है। वह पूरी तरह एक बच्चे को प्यार नहीं कर पाती यह बहुत परेशान करने वाली बात है जो हमेशा चुभती है। क्योंकि दोनों बच्चे जुड़वा है इसलिए उनक¢ साथ एक जैसा व्यवहार कर पाना कठिन होता है। ऐसे बच्चों में शेयर करने की भावना नहीं होती। जिससे प्राब्लम होती है। बच्चों को समझाना बहुत कठिन है। एक जैसा खाना पीना एक जैसे खिलौने..... सब कुछ एक जैसा कर पाना आसान नहीं क्योंकि मां तो एक है ना। बच्चे साथ साथ खेलते हैं साथ साथ बीमार भी पड़ते हैं।
बच्चों क¢ लिहाज से यह अच्छा होता है क्योंकि उनको अपना हम उम्र दोस्त तलाशना नहीं पड़ता। वह साथ साथ खेलते हैं, तो साथ साथ लड़ते हैं इस मौज मस्ती के बीच कुछ ऐसी बातें भी होती हैं जोकि दोनों में काॅमन भी होती हैं और अलग भी। ऐसे में इनको अपनी एकरूपता और अंतर को लेकर एक दूसरे के साथ तालमेल बैठाने में भी मुश्किल होती है। जुड़वा बच्चों में अगर लड़का लड़की की जोड़ी है तो एक उम्र क¢ बाद यह भी खुद को अक¢ला महसूस करते हैं।
जुड़वा साथी, दोस्ती भी तकरार भी
हमेशा दोनों के पास ही अपना एक साथी होता हैै।
हर दम दोनों साथ रहते हैं इससे वह सोशल होना सीख जाते हैं।
छोटी उम्र से ही वह चीजें शेयर करना सीख जाते हैं।
पेरेंट्स को अलग से वर्कआउट करने की जरूरत नहीं होती क्योंकि दो बच्चों को पालना में ही वर्कआउट हो जाता है।
जिन पेरेंट्स के जुडंवा बच्चे नहीं होते वह सोचते हैं कि आप सुपर हीरो है।
आप बच्चों की एक्सपर्ट एडवाइजर भी बन जाती हैं क्योंकि आपने दो दो बच्चे संभाले हैं वह भी एक ही उम्र के जोकि एक साथ पैदा तो हुए लेकिन हैं एक दूसरे से बिल्कुल अलग।
जब आपके जुडंवा बच्चे होते हैं तो आप इस बात को समझ सकते हैं कि व्यक्ति का हर समय परफेक्ट होना बिल्कुल असंभव है।  इससे आप स्ट्रेस को झेलना सीख जाते हैं।
यह हो सकता है कि आपके दोनों बच्चों की रूचियां भी एक जैसी हों तो वह एक दूसरे को मोटीवेट भी करते हैं।
यदि आपको दो बच्चे ही चाहिएं तो एक बार में ही काम हो जाता है। लेकिन यदि आपको इसके बाद एक और होता है तो आपको उसे हैंडिल करना आसान हो जाता है क्योंकि आप पहले ही दो को एक साथ हैंडिल कर चुके होते हैं।
थोड़ा बड़े होने पर बच्चे एक दूसरे के साथ ही खेलने लगते हैं तो वह आपको कम तंग करते हैं और आप अपने घर के काम निबटा सकती हैं।  उन दोनों को एक साथ खेलता और ब़ढ़ता देखने पर आपको बहुत खुशी मिलेगी।  हर दिन आपको एक नई चीज बच्चों के बारे में जानने को मिलेगी।
परेशानियां जुड़वा बच्चों की
अक्सर  जुड़वां बच्चों को पेरेंट्स एक जैसी पोशाक पहनाते हैं।  देखने वाले के लिए तो यह बहुत कूल है लेकिन इससे बहुत ही कन्फयूजन होता है और इनके लिए परेशान कर देने वाला।  ऐसे में इन दोनों को ही आइडेंडिटी क्राइसिस का सामना करना पड़ता है। एक को अधिकतर दूसरे के नाम से पुकारा जाता है।  इससे इन दोनों में एक दूसरे से लड़ाई भी हो सकती हैै।
दोनों बच्चे हमउम्र होते हैं साथ ही स्कूल में पढ़ने जाते हैं तो यदि दोनों में से एक पढ़ने में तेज है और एक कमजोर निकल जाता है तो कमजोर बच्चे का दूसरे जुंडवा से तुलना करने लगते हैं और उस पर दबाव डालते हैं कि वह भी दूसरे जुंडवा की तरह ही परर्फाम करे।
हर बच्चा अलग होता है, उसका अलग व्यक्तित्व होता है, रूचि और अरूचि अलग अलग होती है फिर चाहे बच्चे जुडंवा ही क्यांे न हों।  यदि दोनों में से एक बच्चा भी थोड़ा कमजोर हो तो दूसरे के साथ तुलनात्मक रवैया उसको परेशान कर देता है और समय के साथ साथ यह दूरी बढ़ती जाती है।
हालांकि दोनों जुड़वां एक जैसे दिखते है लेकिन दोनों जिंदगी में अलग अलग चीज ही चुनते हैं, इससे भी दोनों के बीच तुलना शुरू हो जाती है।
काॅम्पीटीशन उम्र के साथ खत्म होता जाता है लेकिन दोनों के बीच में बड़े होने पर ईगो क्लैश होने लगता है यदि एक दूसरे से ज्यादा सफल हो जाता है।  यह दोनों ही अंदरूनी क्लेश से गुजरते हैं जिसे कि सिर्फ वह ही समझ सकते हैं  जिसके कारण दो जुड़ंवा बच्चे जोकि छोटे होते एक अच्छे सिबलिंग का जोड़ा लगते थे वह ही एक दूसरे की तरफ मदद का हाथ भी नहीं  बढ़ाना चाहते।

शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

पेंटिंग के नए अंदाज



 प्रकृति की खूबसूरती को दिखाने के लिए रंग और ब्रष के साथ-साथ अब जूट, मनके, पत्थर, सीपी, सूखे पत्तों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

कला अपने एक रंग और ढंग मंे नहीं रहती। हर बार उसे व्यक्त करने का अंदाज एकदम अलग होता है। कभी लैंडस्केप बनाने के लिए कलाकार प्रकृति के बीच में जाकर प्रकृति के रंग चुनता था।  अब रंगों के साथ-साथ वह जूट, फाइबर, खुशबू, पत्ती और पत्थर भी चुनता है।
मूलतः न्यूयार्क में रहने वाली आर्टिस्ट उरसूला क्लार्क अपने स्पेशल आर्टवर्क की प्रर्दशनी के लिए भारत आई हुई थीं।  उरसुला का काम लोगों को प्रकृति की खूबसूरती से रूबरू कराता है और साथ ही आश्चर्यचकित भी करता है।
उरसुला क्लार्क ने ‘दी पार्क नेचर इन बैलेंस‘ में प्रकृति की खूबसूरती का चित्रण अपने आसपास की चीजों और दृश्यों को इक्ट्ठा करके किया है।  साईट वर्क एक नवीन आर्टिस्टिक व्यू को दर्शाता है जिसमें किसी तरह का संकोच या दिखावा नहीं है।  यह कहना गलत होगा कि आर्ट सिर्फ म्यूजियम और गैलरी में ही प्रदर्शित किया सकता है। आज हम कला को म्यूजियम और गैलरी से बाहर निकालकर ओपन एरिया में ले आए हैं। इसे साईट आर्ट के नाम से जाना जाता है। साईट आर्ट  में  जिस जगह पर आर्ट को लगाना होता है उसको ध्यान में रखते हुए  आर्टिस्ट आर्टवर्क बनाता है।  इस आर्ट को बनाने में साधारण सी चीजों का जैसे कि जूट, नैचुरल फाइबर, ड्राईड मौसिस  और पत्थर का इस्तेमाल होता है।  यह सभी चीजें आॅरगेनिक भी होती हैं।  इसमें टेक्सचर, रंग और खुशबू का खास ख्याल रखा जाता हैं।  इस आर्ट में इसी बात का ध्यान रखा जाता है कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता  बरकरार रहे।
पहली साईट स्पेसिफिक आर्ट एक्अीविटी कैंप में आंध्र यूनिवर्सिटी और विश्वभारती यूनिवर्सिटी के फाईन आर्ट्स के छात्रों ने हिस्सा लिया।
उरसुला क्लार्क का काम न्यूयार्क की कई गैलरीज में प्रदर्शित किया जा चुका है।   इसके अलावा उरसूला का आर्टवर्क ‘दी पार्क होटल‘ के चेसबोर्ड लाॅन एरिया में रखा गया है।  इसके अलावा आर्टिस्टिक डिस्प्ले के लिए होटल में ‘हस्ताकार‘ नाम से एक विशेष जगह बनाई गई है जहां पर कि नए आर्ट वर्क प्रदर्शित किए जाएंगंे।  सौम्या बेलुबी के अनुसार यहां पर कई  आर्टिस्ट का काम देखा जा सकता है जैसे कि रवि कट्टूकूरी, सिहांचलम डौलू, संध्या चैधरी, श्रीनिवास पदाकंदला, शर्माला कारी, तिरूपति राव, मोका सतीशकुमार, नरेश मोहंत।  हाल ही में सईदा अली का काम भी शामिल किया है जोकि रिवर्स पेंटिग करने में माहिर है।  इसके अलावा रश्मि दिवेदी के दो आर्ट वर्क, डी शंकर का ऐग शेल आर्टवर्क, रवि कट्टाकुरी के 10 वर्क लगाए गए हैं।

गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

केले से आएगी बालों में चमक


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 त्वचा और बालों में रूखापन आना आम समस्या है।  रूखेपन की वजह से डैंड्रफ, एग्जीमा आदि होने की संभावना होती है जिसकी वजह से बाल झड़ सकते हैं।  
जब सुंदरता की बात आती है तो निगाह चेहरे के साथ-साथ हमारे बालों की तरफ भी जाती है। हमारे बाल, हमारी त्वचा का भी महत्व है। यदि यह रूखे होते हैं तो हमारे बाल और हमारी त्वचा दोनों ही कांतिहीन हो जाते हैं। बालों की चमक को बनाए रखने के लिए हमें कुछ सावधानियों और कुछ उपाय अपनाने की जरूरत होती है।
बालों के लिए ब्लो ड्रायर  का इस्तेमाल कम से कम करें।
यदि ब्लो ड्रायर का इस्तेमाल करने वाले हों तो कंडीशनर या हीट प्रोटेक्टिंग प्रोडक्ट का पहले इस्तेमाल करें।
जिन चीजों में अल्कोहल का कंटेट ज्यादा हो उन चीजों का इस्तेमाल न करें।
डैंड्रफ से बचाव के लिए स्कैल्प पर शिया, कोकोनट, आॅलिव या जोजोबा आॅयल की कुछ बूंदे अपनी हथेलियों पर लेकर बालों में लगा लें।   इसके अलावा आप सप्ताह में एक बार एंटी डैंड्रफ शैंपू भी लगा सकते हैं।
सर्दियों में  डैंड्रफ से बचाव के लिए डीप कंडीशनिंग हेयर स्पा ट्रीटमेंट लें।
शैंपू से पहले हाॅट आॅयल मसाज  नियमित रूप से करें।
डैमेज हुए बालों को अच्छी स्थिति में लाने के लिए शिया बटर या आॅरगन आॅयल प्रभावशाली है ।  जिस शैंपू और कंडीशनर में शिया बटर और आॅरगन आॅयल हो उनका इस्तेमाल सर्दियांे में जरूर करें।
घरेलू नुस्खों में केेले के अंदर दो चम्मच हनी और कुछ बूंदे आॅरगन आॅयल की मिलाकर पेस्ट बना लें और मास्क  की तरह बालों में लगाकर छोड़ दें और 30-40 मिनट बाद बालों को धो लें इससे बालों में चमक  आ जाएगी।


                                       खूबसूरती के लिए आजमाएं केला

केले में विटामिन सी, ए, पोटैशियम, कैल्शियम, फास्फोरस व कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में होता है जो त्वचा के लिए फायदेमंद होता है।
ल्गातार कलरिंग और केमिकल्स से खराब हुए बालों को केले से ठीक किया जा सकता है।
फटी एडियों की समस्या के लिए भी केला फायदेमंद है। केले और नारियल के तेल को मिलाकर पैक बनाकर लगा दें।
मस्से होने पर केले के छिलके को उस जगह पर रगड़ें और रात भर के लिए छोड़ दें। दुबारा उस जगह पर मस्सा नहीं होगा।
दांत चमकाने के लिए केले के छिलके का प्रयोग करें।  ब्रश करने के बाद केले के छिलके को हर दिन दांत में रगड़ने से चमक आ जाती है।




बुधवार, 26 अप्रैल 2017

इंटरनेशनल डांसर बनना चाहती हूं - अलंकृता


अलंकृता को  बचपन से ही माडलिंग का शौक है।  इन्होंने 13 वर्ष की उम्र से ही माडलिंग की शुरूआत कर दी थी।  यह कत्थक, भरतनाट्यम और कंटम्परेरी डांस फार्म की ट्रेंड डांसर हैं। इन्होंने मिस नार्थईस्ट इंडिया ब्यूटी फेस आॅफ द ईयर का खिताब अपने नाम किया इसके साथ ही यह मिस दीवा यूनीवर्स कंटेस्ट की यह सबसे छोटी कंटेस्टेट बनीं और टाॅप 16 में अपनी जगह बनाई।  यह लखविंदर शाबला की फिल्म राजा एबरोडिया से बाॅलीवुड में कदम रख रही हैं।  आइए करते हैं उनसे बातचीत:-
प्रश्न: माडलिंग के अलावा और क्या शाैक हैं आपके ?
उत्तर -  डांसिंग,
प्रश्न:   आप जीवन में क्या बनना चाहती हैं?
उत्तर: मैं इंटरनेशनल डांसर बनना चाहती हूं।  मैने हाल ही में दुबई में शो किया है।  मुझे डयूट शो करना ज्यादा पसंद है।
प्रश्न: आपके डांस के गुरू कौन हैं?
उत्तर:  मैनें बिरजू महाराज और मोरमो मेथी से कत्थक सीखा है और भरतनाट्यम प्रीति बरूआ और महुआ चैधरी से सीखा है।
प्रश्न: आप फिटनेस के लिए क्या करती हैं?
उत्तर: जिम, योगा
प्रश्न:  जब आप गुवाहाटी से मुंबई आईं तोे आपको कैसा लगा?
उत्तर: मुंबई ड्रीम सिटी है।  मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लगा।  मुझे यहां आकर खुद को साबित करने के लिए बहुत से मौके मिले ।  यहां आकर मुझे लैक्मे फैशन वीक में भाग लेने का मौका मिला और वहां जज ने मेरे काम को बहुत सराहा।
प्रश्न:  आपकी फेवरेट बाॅलीवुड मूवी?
उत्तर:  करीना कपूर की कम्बख्त इश्क और आलिया भट्ट की हाईवे।
प्रश्न:  आपके फेवरेट एक्टर
उत्तर: रितिक रोशन और वरूण धवन
प्रश्न:   फेवरेट एक्टर्स?
उत्तर: करीना कपूर और आलिया भट्ट मेरी फेवरेट हिरोईन और मैं इन्हें अपना ऐक्टिंग गुरू भी मानती हूं।  पुरानी हिरोईन में मुझे श्रीदेवी पसंद हैं।
प्रश्न:  आपके अनुसार हर महिला में कौन सी तीन बातें अवश्य हाेनी चाहिए?
उत्तर:  हर महिला को इंडीपेंडेंट, फोक्सड और पाॅवरफुल होना चाहिए।
प्रश्न:  जो लड़कियां माडलिंग में आना चाहती हैं आप उन्हें क्या कुछ एडवाईज देना चाहेंगी?
उत्तर:  मैं नई लड़कियों से यही कहना चाहूंगी कि आप अपना पैशन पहचानें कि आप क्या बनना चाहती हैं और फिर उसी के लिए खुद को पूरी तरह तैयार करें।  ऐसा बिल्कुल नहीं है कि जो लड़कियां माॅडलिंग करती हैं वह फिल्मों में सक्सेसफुल नहीं हो सकती।

सोमवार, 24 अप्रैल 2017

घर में भी चलाएं स्वच्छता अभियान


सफाई करते समय सबसे पहला सवाल होता है कि सफाई आखिर कहां से शुरू करें।  एक्सपर्ट का कहना है कि घर की सफाई की शुरूआत घर की सीलिंग  से की जानी चाहिए।  उसके बाद दीवारें, खिड़कियां, केबिनेट, फर्नीचर और अंत में फ्लोर साफ करें।


आम तौर पर घरों में नियमित साफ-सफाई पर ध्यान ही नहीं दिया जाता।  घरों की छतों, पंखों में जाले लगे होते हैं और धूल-मिट्टी की तह जमा हो जाती है। बाथरूम में भी गंदगी दिखाई देती हैं।  यहां पेश है सीलिंग से लेकर वाॅशरूम तक की साफ-सफाई के आसान तरीके -
मकड़ी के जाले साफ करने के लिए
कमरे की सीलिंग पर बने हुए मकड़ी के जालों को हटाने के लिए मकड़ी के जाले के लिए बने हुए ब्रश का इस्तेमाल करें।  ब्रश से कमरे के हर कोने को साफ करें।  कई बार कुछ जाले ऐसे भी बनते हैं जोकि आसानी से दिखाई भी नहीं देते।
सीलिंग पर जमी हुई गंदगी साफ करने के लिए
लंबे ब्रश से आप सीलिंग पर जमी हुई गंदगी को साफ कर सकती हैं।  इसके लिए मैग्नेटिक वाले डस्टर भी आते हैं आप उन्हें भी इस्तेमाल में ला सकते हैं।
जहां पर लाईट लगी होती हैं या दीवार में छेद हो गए हों उस जगह की भी सफाई करें।  अक्सर मिट्टी वहीं पर इक्ðी होती है।  इसके लिए वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करें।  वैक्यूम क्लीनर के साथ लंबी एक्सटेंन्शन लगाकर टिप पर ब्रश लगा दें इससे मिट्टी दूसरी जगहों पर नहीं फैलेगी।
तेल के दाग मिटाने के लिए
किचन की सीलिंग पर से तेल के दाग मिटाने के लिए पहलेे गीले कपड़े से उसे साफ करें।  फिर स्पांज को क्लीनर और पानी के साल्यूशन में डालकर जगह को साफ करें।  फिर पोंछे को साफ करके सीलिंग को पोंछ दे।  सीलिंग को सूखने दें ताकि पानी के स्पाॅट हट जाएं।
वाॅल पेपर सीलिंग के लिए
वाॅलपेपर सीलिंग को साफ करने के लिए डिशवाशिंग डिर्टजंेट और पानी का साॅल्यूशन बनाएं और उसमें स्पांज डिप करके उससे सफाई करें।  फिर पोंछे से उसे सुखा दें।  इसकी सफाई करते हुए न ही ज्यादा स्पांज में पानी रहे और न ही पोंछे में। अंत में जल्द ही उसे सूखे कपड़े से सुखा दें।
टेक्सचर सीलिंग के लिए
टेक्सचर वाली छतों के लिए वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करें।  वैक्यूम क्लीनर पर लंबी एक्सटेशन लगाकर टिप पर साफ्ट ब्रश लगाएं।  यदि आप इस तरह की सीलिंग के लिए वाइप डाउन वाली तकनीक का इस्तेमाल करेंगें तो इससे सीलिंग की टेक्सचर को बहुत नुकसान पहंुचेगा।
वाॅषरूम की साफ-सफाई
खिड़की और मिरर के लिए
खिड़की और मिरर को ग्लास क्लीनर और पेपर टाॅवल से साफ करें।  ब्लीच का इस्तेमाल न करें इससे ग्लास सही तरीके से साफ नहीं होगा
सीलिंग के लिए
ब्लीच वाॅटर साॅल्यूशन को स्प्रे बाॅटल में लेकर सीलिंग पर लगे दागों को साफ करें।
फ्लोर के लिए
हाॅट सोप ब्लीच वाॅटर का इस्तेमाल बाथरूम की फ्लोर को साफ करने के लिए करें ताकि बाथरूम की फ्लोर पर साबुन न चिपका रहे।
बाथरूम की दीवार और फ्लोर को साफ करने के लिए ब्रश का इस्तेमाल करें और फिर साफ पानी से धो लें।
सिंक को साफ करने के लिए नाॅन अब्रेसिव क्लीनर का इस्तेमाल करें। क्लीनर लगाने के बाद 30 मिनट का इंतजार करें फिर उसे ठंडे पानी से साफ कर दें।  सारे मुश्किल दाग चले जाएंगे।
बाथटब के लिए
बाथटब और सिंक को साफ करने के लिए गर्म पानी में कुछ बूंदे डिशवाशिंग डिर्टजेंट मिला लें इससे सफाई बिना रगड़े ही हो जाएगी।
डोर के लिए
मेटल शाॅवर डोर को साफ करने के लिए लेमन आॅयल का इस्तेमाल करें।  इससे पानी के दाग जल्दी से हट जाते हैं और नए भी नहीं बनते।
ग्लास शाॅवर डोर के लिए स्पाॅज में विनेगर में डिप करके सप्ताह में एक बार साफ करें।
शाॅवर डोर ट्रैक को साफ करने के लिए टूथब्रश या काॅटन स्वैब का इस्तेमाल करें।
घर पर ही बनाएं डिटर्जेंट
1/4 कप बेकिंग सोडा, 1/4 कप लिक्विड डिर्टजेंट और 1/4 कप गर्म पानी को मिलाकर टाॅयलेट सीट पर लगाएं और उसे टाॅयलेट ब्रश से साफ करें फिर पानी से साफ कर दें।  यदि आप टाॅयलेट सीट रोज साफ करते हैं तो आपको स्क्रब करने की जरूरत नहीं है।
हमेशा याद रखें गंदे कपड़े इधर-उधर न फैलाएं। उनके लिए बाॅसकेट का इस्तेमाल करें।

साफ-सफाई करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:-
कमरे के फर्नीचर, फिक्सचर और फ्लोर को पोलीथीन शीट या किसी और चीज से ढक दें।
सीलिंग की सफाई के लिए सीढ़ी या स्टूल का इस्तेमाल न करें। इसके बजाय लंबे हैंडिल वाली चीज का प्रयोग करें।
आंखों को कवर करने के लिए गौगल या कपड़े का इस्तेमाल करें।
यह ध्यान रखें कि पानी या क्लीनिंग डिटर्जेंट दीवारों पर न गिरे।
मकड़ी के जालों को सीलिंग या दीवार पर कपड़े से रगड़कर साफ न करें। नहीं तो उससे दीवार की फिनिश भी खराब हो जाएगी और वह उस जगह पर निशान भी छोड़ देगा।






रविवार, 23 अप्रैल 2017

अकेले अकेले कहां जा रहे हो


 बात सिर्फ घूमने की करें तो सभी उम्र के लोगों को घूमना-फिरना पसंद होता है। लेकिन अपने इस षौक में हम कई ऐसी चीजें भी जोड़ लेते हैं जिससे यह मंहगा हो जाता है। इसे अगर सिर्फ घुमक्कड़ी में ही सीमित रखें तो घूमना आज भी आसान है।
‘एन इवनिंग इन पेरिस‘ फिल्म का गाना दिमाग में कौंध रहा है। अकेले अकेले कहां जा रहे हों, जहां जा रहे हो हमें साथ ले लो। शम्मी कपूर के दिलचस्प अंदाज में गाया ये गाना अपने साथी से साथ ले जाने की गुहार करता हे। 70 के दशक का यह गीत आज भी बहुत लोकप्रिय है। 40 दशक बीत जाने के बाद एक बड़ा बदलाव नजर आ रहा है, वह यह कि आज युवा अकेले घूमने जाना चाहते हैं। युवाओं में सिर्फ लड़के ही नहीं लड़कियां भी अकेले घूमने का मजा लेना चाहती हैं। इसे तकनीक का असर कहें या ग्लोब्लाइजेशन की सौगात कुछ भी हो महिलाओं के लिए यह दिलचस्प है। कामकाज के लिए लड़कियों को अपनी देहरी के पार देखने का मौका मिला है। उनके भीतर के डर कम हुए हैं। पहले वह नौकरी की तलाश में बाहर निकलीं और अब घूमने फिरने के अपने शौक के लिए बाहर जा रही हैं।
यदि आप अकेले घूमने जा रही हैं तो नीचे लिखी कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखें।
आप जहां घूमने जा रही हैं वहां के बारे में पहले ही अच्छे से जानकारी इक्ट्ठी कर लें।
इस बात का खास ख्याल रखें कि आप अपनी डेस्टिनेशन पर कितने बजे पहुंचेंगी। प्लानिंग ऐसे करंे कि आप सुबह या दिन के वक्त ही वहां पहुंचें।
कई होटल अपने गेस्ट्स को पिक एंड ड्राप की सुविधा भी देते हैं। इस सुविधा का लाभ उठाएं।  रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा या बस स्टाॅप पर मिलने वाले आॅटो या टैक्सी का उपयोग न करें।
खूब सवाल पूछें। जिस होटल में ठहर रहे हैं। उसके मैनेजर से घूमने-फिरने की जगहों के बारे में जानकारी लें। टैक्सी के ड्राइवर से और वहां के लोकल लोगों से भी जानकारी लें।
अकेले ट्रैवल करने के लिए सबसे पहले तो आपको अपना मन शांत रखना होगा। अगर आप ब्रेकअप या किसी तरह की परेशानी से भागने के लिए घूमने जा रही हैं तो आप एंज्वाॅय नहीं कर पाएंगी।
खुद के साथ एंज्वाॅय करना सीखना होगा क्योंकि जब अकेले ट्रैवल कर रहे होते हैं तो कई बार वक्त काटना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अगर आपको अपने साथ वक्त बिताने की आदत नहीं है तो आप परेशान हो जाएंगी।
यदि आपको लगता है कि कोई आपको घूर रहा है तो उसे साफ और कड़े शब्दों में डांट दें और  ऐसे बोलें कि आसपास के लोगों को भी पता लग जाए कि वह क्या कर रहा है।
नए लोगों से मिलें, बात करें लेकिन बहुत ज्यादा घुलने-मिलने से बचें।
नए लोगों के साथ खाना या ड्रिंक शेयर न करें।
अकेले घूमने फिरने के लिए आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद ले सकती हैं। जिस जगह आप जाने का प्लान कर रही हैं अगर वहां कोई परिचित मिल जाए तो वह आपको ऐसी डेस्टीनेशन के बारे में बता सकता है जो बहुत खूबसूरत हो और हो सकता है आपके ट्रेवल गाइड के पास उसकी जानकारी न हो।
आप दूसरे लोगों द्वारा पोस्ट किए हुए ट्रैवलौग पढ़ें।  इससे आप जगह के बारे में पहले से ही जान पाएंगी और उनके अनुभवों से आपको फायदा ही होगा।
एक डायरी में अपने अनुभव लिखिए और बाद में उसे ट्रैवलौग के जरिए दूसरे लोगों के साथ शेयर करें।



शनिवार, 22 अप्रैल 2017

आपके साथ समय बिताना चाहते हैं बच्चे


 आप किसी भी नाईट क्लब या बार में चले जाएं वहां आपको पार्टी करते स्कूली बच्चे मिल जाएंगें।  सवाल है कि उन्हें यह सब करने के लिए पैसे आखिर कहां से मिलते हैं? पैसे देने वाले उनके पेरेंट्स ही हैं। पेरेंट्स के पास बच्चों को देने के लिए वक्त नहीं हैं जिसकी कमी वह पैसे देकर पूरी करते हैं।

म सब कहते हैं समय बदल रहा है। समय के साथ सभी को बदलना पड़ता है। अगर हम इस बदलाव को स्वीकार नहीं करते तो समय के साथ चल नहीं पाएंगे।  वैसे भी महत्वाकांक्षी होना कोई खराब बात नहीं है क्योंकि बिना महत्वाकांक्षा के हम षिखर पर पहंुच भी नहीं सकते। लेकिन इस महत्वाकांक्षा के लिए हम अपनी जिम्मेदारी से भी मुंह नहीं मोड़ सकते। परिवार के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी है। बच्चों के हाथ में एटीएम कार्ड पकड़ाकर या उनको आया के भरोसे छोड़कर  महत्वाकांक्षा की रफ्तार को नहीं पकड़ सकते। अगर आप नियमित अखबार पढ़ते हैं, टीवी देखते हैं तो ऐसी खबरों पर नजर जरूर जाती होगी जिसमें बताया जाता है कि बच्चे अपराध की दुनिया में कितनी तेजी से कदम रख रहे हैं।
नशे की तरफ बढ़ते कदम
बच्चों को पाॅकिट मनी के तौर पर जो पैसे दिए जाते हैं वह उसका इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं इस बात पर कोई गौर नहीं करता। टीनएज उम्र का ऐसा पड़ाव होता है जब बच्चा गलत चीज की ओर जल्दी ही आकर्शित हो जाता है। पहले नषा करना बुरी बात मानी जाती थी लेकिन आजकल यह हर खुषी के मौके को सेलीबे्रट करने की षुरूआत माना जाता है।
आक्रामक हो गए हैं बच्चे
आजकल बच्चों के व्यक्तित्व में आक्रामकता भी साफ देखने को मिलती है। यदि पेरेंट्स कहते हैं कि उन्हें बच्चे के इस व्यवहार के बारे में पता नहीं है तो वह सिर्फ बहाना बना रहे हैं।  यह तभी होता है जब पेरेंट्स बच्चों को आजादी दे देते हैं कि वह अब बड़े हो गए है।
बड़े बच्चों पर भी रखिए नजर
यह सोच गलत है कि बच्चा बड़ा हो गया है और उसे अब निगरानी की जरूरत नहीं है बल्कि यही वह समय है जबकि उस कंट्रोल किया जाना जरूरी है।  पेरेंट्स समय की कमी को पैसे से पूरी करते हैं और पैसे से बच्चे नशा करने लगते हैं। जब उनको लत लग जाती है तब पेरेंट्स कंट्रोल करना चाहते हैं तो बच्चे आक्रामक हो जाते हैं। ऐसे में या तो वह दूसरे को नुकसान पहंुचाते हैं या स्वयं को हानि पहुंचाते हैं।
बच्चे चाहते हैं पेरेंट्स का साथ
आज बहुत से बच्चे अपनी इस अवस्था से दुखी भी हैं और इस नशे की लत और आक्रामकता से छुटकारा पाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति होने पर आपको ही उनको संभालना है। फिल्म अभिनेता सुनील दत्त और नर्गिस के बेटे संजय दत्त को आप एक उदाहरण के तौर पर देख सकते हैं। वह तो एक सेलीब्रिटी का बेटा है पर हम सब तो मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। क्या हम इलाज का खर्च उठा सकेंगें।
ऐसी स्थिति न आए इसके लिए जरूरी है कि आप अपने बच्चे को वक्त दें और उन्हें सही गलत का ज्ञान दें। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कई स्कूलों ने काउंसलिंग क्लासिस भी शुरू की हैं। हर सोसाइटी के भीतर भी काउंसलर होना चाहिए।  उसकी सलाह माननी चाहिए। बच्चा इंटरनेट पर क्या देख रहा है इस पर भी नजर रखी जानी चाहिए।  इसके साथ ही वह अपनी पाॅकिट मनी का इस्तेमाल कैसे कर रहा है उस बात की भी जानकारी होनी चाहिए।

Special Post

मिथक यथार्थ और फेंटेसी का दस्तावेज-डॉ. अनुजा भट्ट

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