शनिवार, 29 अप्रैल 2017

जुड़वा बच्चे कभी जमाते हैं रंग, कभी करते हैं तंग


जुड़वा बच्चों में मां का प्यार बंट जाता है। वह पूरी तरह एक बच्चे को प्यार नहीं कर पाती यह बहुत परेषान करने वाली बात है जो हमेषा चुभती है।
 जुड़वा बच्चों को देखना बहुत अच्छा लगता है। एक जैसे कपड़े एक जैसा चेहरा अ©र एक जैसी शरारतें मन को मोह लेती हैं। लेकिन अगर उनकी मम्मी पापा से पूछें तो उनकी तकलीफों का पता चलता है। दो बच्चों को एक साथ संभालना आसान नहीं है। पत्रकार रश्मि उपाध्याय कहती हैं कि मैं दो जुड़वा बच्चों की मां हूं। मैंने महसूस किया है कि जुड़वा बच्चों में मां का प्यार बंट जाता है। वह पूरी तरह एक बच्चे को प्यार नहीं कर पाती यह बहुत परेशान करने वाली बात है जो हमेशा चुभती है। क्योंकि दोनों बच्चे जुड़वा है इसलिए उनक¢ साथ एक जैसा व्यवहार कर पाना कठिन होता है। ऐसे बच्चों में शेयर करने की भावना नहीं होती। जिससे प्राब्लम होती है। बच्चों को समझाना बहुत कठिन है। एक जैसा खाना पीना एक जैसे खिलौने..... सब कुछ एक जैसा कर पाना आसान नहीं क्योंकि मां तो एक है ना। बच्चे साथ साथ खेलते हैं साथ साथ बीमार भी पड़ते हैं।
बच्चों क¢ लिहाज से यह अच्छा होता है क्योंकि उनको अपना हम उम्र दोस्त तलाशना नहीं पड़ता। वह साथ साथ खेलते हैं, तो साथ साथ लड़ते हैं इस मौज मस्ती के बीच कुछ ऐसी बातें भी होती हैं जोकि दोनों में काॅमन भी होती हैं और अलग भी। ऐसे में इनको अपनी एकरूपता और अंतर को लेकर एक दूसरे के साथ तालमेल बैठाने में भी मुश्किल होती है। जुड़वा बच्चों में अगर लड़का लड़की की जोड़ी है तो एक उम्र क¢ बाद यह भी खुद को अक¢ला महसूस करते हैं।
जुड़वा साथी, दोस्ती भी तकरार भी
हमेशा दोनों के पास ही अपना एक साथी होता हैै।
हर दम दोनों साथ रहते हैं इससे वह सोशल होना सीख जाते हैं।
छोटी उम्र से ही वह चीजें शेयर करना सीख जाते हैं।
पेरेंट्स को अलग से वर्कआउट करने की जरूरत नहीं होती क्योंकि दो बच्चों को पालना में ही वर्कआउट हो जाता है।
जिन पेरेंट्स के जुडंवा बच्चे नहीं होते वह सोचते हैं कि आप सुपर हीरो है।
आप बच्चों की एक्सपर्ट एडवाइजर भी बन जाती हैं क्योंकि आपने दो दो बच्चे संभाले हैं वह भी एक ही उम्र के जोकि एक साथ पैदा तो हुए लेकिन हैं एक दूसरे से बिल्कुल अलग।
जब आपके जुडंवा बच्चे होते हैं तो आप इस बात को समझ सकते हैं कि व्यक्ति का हर समय परफेक्ट होना बिल्कुल असंभव है।  इससे आप स्ट्रेस को झेलना सीख जाते हैं।
यह हो सकता है कि आपके दोनों बच्चों की रूचियां भी एक जैसी हों तो वह एक दूसरे को मोटीवेट भी करते हैं।
यदि आपको दो बच्चे ही चाहिएं तो एक बार में ही काम हो जाता है। लेकिन यदि आपको इसके बाद एक और होता है तो आपको उसे हैंडिल करना आसान हो जाता है क्योंकि आप पहले ही दो को एक साथ हैंडिल कर चुके होते हैं।
थोड़ा बड़े होने पर बच्चे एक दूसरे के साथ ही खेलने लगते हैं तो वह आपको कम तंग करते हैं और आप अपने घर के काम निबटा सकती हैं।  उन दोनों को एक साथ खेलता और ब़ढ़ता देखने पर आपको बहुत खुशी मिलेगी।  हर दिन आपको एक नई चीज बच्चों के बारे में जानने को मिलेगी।
परेशानियां जुड़वा बच्चों की
अक्सर  जुड़वां बच्चों को पेरेंट्स एक जैसी पोशाक पहनाते हैं।  देखने वाले के लिए तो यह बहुत कूल है लेकिन इससे बहुत ही कन्फयूजन होता है और इनके लिए परेशान कर देने वाला।  ऐसे में इन दोनों को ही आइडेंडिटी क्राइसिस का सामना करना पड़ता है। एक को अधिकतर दूसरे के नाम से पुकारा जाता है।  इससे इन दोनों में एक दूसरे से लड़ाई भी हो सकती हैै।
दोनों बच्चे हमउम्र होते हैं साथ ही स्कूल में पढ़ने जाते हैं तो यदि दोनों में से एक पढ़ने में तेज है और एक कमजोर निकल जाता है तो कमजोर बच्चे का दूसरे जुंडवा से तुलना करने लगते हैं और उस पर दबाव डालते हैं कि वह भी दूसरे जुंडवा की तरह ही परर्फाम करे।
हर बच्चा अलग होता है, उसका अलग व्यक्तित्व होता है, रूचि और अरूचि अलग अलग होती है फिर चाहे बच्चे जुडंवा ही क्यांे न हों।  यदि दोनों में से एक बच्चा भी थोड़ा कमजोर हो तो दूसरे के साथ तुलनात्मक रवैया उसको परेशान कर देता है और समय के साथ साथ यह दूरी बढ़ती जाती है।
हालांकि दोनों जुड़वां एक जैसे दिखते है लेकिन दोनों जिंदगी में अलग अलग चीज ही चुनते हैं, इससे भी दोनों के बीच तुलना शुरू हो जाती है।
काॅम्पीटीशन उम्र के साथ खत्म होता जाता है लेकिन दोनों के बीच में बड़े होने पर ईगो क्लैश होने लगता है यदि एक दूसरे से ज्यादा सफल हो जाता है।  यह दोनों ही अंदरूनी क्लेश से गुजरते हैं जिसे कि सिर्फ वह ही समझ सकते हैं  जिसके कारण दो जुड़ंवा बच्चे जोकि छोटे होते एक अच्छे सिबलिंग का जोड़ा लगते थे वह ही एक दूसरे की तरफ मदद का हाथ भी नहीं  बढ़ाना चाहते।

special post

कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...