शनिवार, 22 अप्रैल 2017

आपके साथ समय बिताना चाहते हैं बच्चे


 आप किसी भी नाईट क्लब या बार में चले जाएं वहां आपको पार्टी करते स्कूली बच्चे मिल जाएंगें।  सवाल है कि उन्हें यह सब करने के लिए पैसे आखिर कहां से मिलते हैं? पैसे देने वाले उनके पेरेंट्स ही हैं। पेरेंट्स के पास बच्चों को देने के लिए वक्त नहीं हैं जिसकी कमी वह पैसे देकर पूरी करते हैं।

म सब कहते हैं समय बदल रहा है। समय के साथ सभी को बदलना पड़ता है। अगर हम इस बदलाव को स्वीकार नहीं करते तो समय के साथ चल नहीं पाएंगे।  वैसे भी महत्वाकांक्षी होना कोई खराब बात नहीं है क्योंकि बिना महत्वाकांक्षा के हम षिखर पर पहंुच भी नहीं सकते। लेकिन इस महत्वाकांक्षा के लिए हम अपनी जिम्मेदारी से भी मुंह नहीं मोड़ सकते। परिवार के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी है। बच्चों के हाथ में एटीएम कार्ड पकड़ाकर या उनको आया के भरोसे छोड़कर  महत्वाकांक्षा की रफ्तार को नहीं पकड़ सकते। अगर आप नियमित अखबार पढ़ते हैं, टीवी देखते हैं तो ऐसी खबरों पर नजर जरूर जाती होगी जिसमें बताया जाता है कि बच्चे अपराध की दुनिया में कितनी तेजी से कदम रख रहे हैं।
नशे की तरफ बढ़ते कदम
बच्चों को पाॅकिट मनी के तौर पर जो पैसे दिए जाते हैं वह उसका इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं इस बात पर कोई गौर नहीं करता। टीनएज उम्र का ऐसा पड़ाव होता है जब बच्चा गलत चीज की ओर जल्दी ही आकर्शित हो जाता है। पहले नषा करना बुरी बात मानी जाती थी लेकिन आजकल यह हर खुषी के मौके को सेलीबे्रट करने की षुरूआत माना जाता है।
आक्रामक हो गए हैं बच्चे
आजकल बच्चों के व्यक्तित्व में आक्रामकता भी साफ देखने को मिलती है। यदि पेरेंट्स कहते हैं कि उन्हें बच्चे के इस व्यवहार के बारे में पता नहीं है तो वह सिर्फ बहाना बना रहे हैं।  यह तभी होता है जब पेरेंट्स बच्चों को आजादी दे देते हैं कि वह अब बड़े हो गए है।
बड़े बच्चों पर भी रखिए नजर
यह सोच गलत है कि बच्चा बड़ा हो गया है और उसे अब निगरानी की जरूरत नहीं है बल्कि यही वह समय है जबकि उस कंट्रोल किया जाना जरूरी है।  पेरेंट्स समय की कमी को पैसे से पूरी करते हैं और पैसे से बच्चे नशा करने लगते हैं। जब उनको लत लग जाती है तब पेरेंट्स कंट्रोल करना चाहते हैं तो बच्चे आक्रामक हो जाते हैं। ऐसे में या तो वह दूसरे को नुकसान पहंुचाते हैं या स्वयं को हानि पहुंचाते हैं।
बच्चे चाहते हैं पेरेंट्स का साथ
आज बहुत से बच्चे अपनी इस अवस्था से दुखी भी हैं और इस नशे की लत और आक्रामकता से छुटकारा पाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति होने पर आपको ही उनको संभालना है। फिल्म अभिनेता सुनील दत्त और नर्गिस के बेटे संजय दत्त को आप एक उदाहरण के तौर पर देख सकते हैं। वह तो एक सेलीब्रिटी का बेटा है पर हम सब तो मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। क्या हम इलाज का खर्च उठा सकेंगें।
ऐसी स्थिति न आए इसके लिए जरूरी है कि आप अपने बच्चे को वक्त दें और उन्हें सही गलत का ज्ञान दें। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कई स्कूलों ने काउंसलिंग क्लासिस भी शुरू की हैं। हर सोसाइटी के भीतर भी काउंसलर होना चाहिए।  उसकी सलाह माननी चाहिए। बच्चा इंटरनेट पर क्या देख रहा है इस पर भी नजर रखी जानी चाहिए।  इसके साथ ही वह अपनी पाॅकिट मनी का इस्तेमाल कैसे कर रहा है उस बात की भी जानकारी होनी चाहिए।

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