बुधवार, 19 सितंबर 2018

चाट के शाही अंदाज- नीरा कुमार

चाट के नाम पर मुँह में पानी आना जैसे मुहावराें का सही अर्थ पता चलता है ताे इसकी लाेकप्रियता का अंदाज इस बात से लग जाता है कि गली का नाम ही पड़ जाता है चाट वाली गली। साइनबाेर्ड पर अक्सर आपने देखा- पढा हाेगी चाट वाली गली के सामने। आज में आपकाे एेसी ही कुछ खास चाट की विधि बता रही हूं जाे आपका स्वाद और सेहत दाेनाें बदल देंगे।
मैक्सिकन कार्न चाट

सामग्री :
उबले कार्न 1 कप
बारीक कटी लाल पत्तागोभी 2 बड़े चम्मच
बारीक कटी हरी बंदगोभी 2 बड़े चम्मच
बारीक कटी प्याज 1 बड़ा चम्मच
बारीक कटी हरी शिमलामिर्च 1 बड़ा चम्मच
बारीक कटा टमाटर 1 बड़ा चम्मच
टोमैटो कैचप 1 बड़ा चम्मच, नमक
चाट मसाला और जीरा पाउडर स्वादानुसार
थोड़ी सी सेकी हुई पापड़ी या खाखरा

विधि :
उबले कार्न में उपरोक्त लिखी सभी सामग्री मिलाएं और ऊपर से सेकी हुई पापड़ी या खाखरा छोटे टुकड़ों में तोड़ कर डालें।
बढिय़ा मैक्सिकन चाट तैयार है।


मटर की चाट

सामग्री : सफेद मटरा 250 ग्राम
खाने वाला सोडा 1/4 छोटा चम्मच
हल्दी पाउडर 1/4 छोटा चम्मच
दालचीनी 1 इंच टुकड़ा
साबुत बड़ी इलायची 1 नग
लौंग 4 नग
बारीक कतरा प्याज ½ कप
बीजरहित क्यूब में कटा टमाटर ½ कप
बारीक कतरा अदरक
हरीमिर्च 1 बड़ा चम्मच
इमली का गाढ़ा पल्प 2 बड़े चम्मच
बारीक कतरा हरा धनिया 2 बड़े चम्मच
चाट मसाला
नमक
जीरा पाउडर
लालमिर्च पाउडर स्वादानुसार
हरी चटनी
मीठी चटनी आवश्यकतानुसार
विधि :
मटरा को साफ करके पानी से धोएं और चार कप पानी व खाने वाले सोडे के साथ रात भर भिगो दें।
सबेरे पानी से अच्छी तरह धोएं।
मटरा में दो कप पानी, लौंग, इलायची, दालचीनी, हल्दी पाउडर और थोड़ा सा नमक डालकर प्रेशरकुकर में गलने तक पकाएं।
इस मटर में से दालचीनी, लौंग और बड़ी इलायची निकाल लें।
बाकी सभी सामग्री मिलाएं और सर्विंग प्लेट में मटरा रखें, ऊपर से खट्टी मीठी चटनी डालकर सर्व करें।
नीरा कुमार एक जानी मानी कुकरी विशेषज्ञ हैं। कुकरी से जुड़े सवाल आप हमारे मैं अपराजिता के पेज पर पूछ सकते हैं। आपके सवालाें का स्वागत हैं।
mainaparajita@gmail.com

मंगलवार, 18 सितंबर 2018

मनाेविज्ञान से मनाेरंजन तक शबाना की चर्चा हर तरफ

जन्मदिन मुबारक हाे

शबाना आजमी हिंदी सिनेमा की ऐसी मंझी हुई अदाकारा हैं जो खुद को हर अभिनय के अनुरूप उसी साँचे ढल जातीं हैं। उन्होंने हिंदी फिल्मों में तरह तरह के रोल अदा किये हैं। वह आज भी फिल्मों में सक्रिय हैं। एक अभिनेत्री होने के साथ-साथ शबाना आजमी सामाजिक कार्यों में भी समान रूप से जुडी रहतीं हैं। शबाना आजमी हिंदी सिनेमा के मशहूर लेखक,संगीतकार जावेद अख्तर की पत्नी हैं।


उनके पिता मशहूर शायर, कविकार थे। उनकी माँ का नाम शौकत आजमी था, जोकि इंडियन थिएटर की आर्टिस्ट थीं। मां से विरासत में मिली अभिनय-प्रतिभा को सकारात्मक मोड़ देकर शबाना ने हिन्दी फिल्मों में अपने सफर की शुरूआत की।

पढ़ाई
शबाना ने अपनी शुरुआती पढ़ाई क़्वीन मैरी स्कूल मुंबई से की है। उन्होंने मनोविज्ञान (Psychology) में स्नातक किया है. उन्होंने स्नातक की डिग्री मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से ली है. शबाना आजमी ने एक्टिंग का कोर्स फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टिटीयूट ऑफ इंडिया (Film and Television Institute of India), पुणे से किया है।

शादी
शबाना आजमी की शादी हिंदी सिनेमा के मशहूर संगीतकार जावेद अख्तर से हुई है। जावेद अख्तर पहले से शादी-शुदा थे, लेकिन शबाना के प्यार में उन्होंने अपनी पहली पत्नी हनी ईरानी को तलाक देकर अभिनेत्री शबाना से निकाह कर लिया। और उनकी यह जोड़ी आज भी लोग के लिए मिसाल है।

करियर
शबाना आजमी ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1973 में श्याम बेनेगल की फिल्म 'अंकुर' से की थी। इस फिल्म की सफलता ने शबाना आजमी को बॉलिवुड में जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई। अपनी पहली ही फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल हुआ।

फिल्म अकुंर के बाद 1983 से 1985 तक लगातार तीन सालों तक उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया. अर्थ, खंडहर और पार जैसी फिल्मों के लिए उनके अभिनय को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।

उस दौर में शबाना ने खुद को ग्लैमरस अभिनेत्रियों की भीड़ से स्वयं को अलग साबित किया। अर्थ, निशांत, अंकुर, स्पर्श, मंडी, मासूम, पेस्टॅन जी में शबाना आजमी ने अपने अभिनय की अमिट छाप दर्शकों पर छोड़ी। अमर अकबर एंथोनी, परवरिश, मैं आजाद हूं जैसी व्यावसायिक फिल्मों में अपने अभिनय के रंग भरकर शबाना आजमी ने सुधी दर्शकों के साथ-साथ आम दर्शकों के बीच भी अपनी पहुंच बनाए रखी।

प्रयोगात्मक सिनेमा के भरण-पोषण में उनका योगदान उल्लेखनीय है। फायर जैसी विवादास्पद फिल्म में शबाना ने बेधड़क होकर अपनी अभिनय प्रतिभा का प्रमाण दिया वहीं, बाल फिल्म मकड़ी में वे चुड़ैल की भूमिका निभाती हुई नजर आई। यदि मासूम में मातृत्व की कोमल भावनाओं को जीवंत किया तो वहीं, गॉड मदर में प्रभावशाली महिला डॉन की भूमिका भी निभाकर लोगो को हैरत मे डाल दिया। भारतीय सिनेमा जगत की सक्षम अभिनेत्रियों की सूची में शबाना आजमी का नाम सबसे ऊपर आता है।

प्रसिद्ध फ़िल्में
अंकुर, अमर अकबर अन्थोनी , निशांत, शतरंज के खिलाडी, खेल खिलाडी का,हिरा और पत्थर , परवरिश, किसा कुर्सी का, कर्म, आधा दिन आधी रात, स्वामी ,देवता ,जालिम ,अतिथि ,स्वर्ग-नरक, थोड़ी बेवफाई स्पर्श अमरदीप ,बगुला-भगत, अर्थ, एक ही भूल हम पांच, अपने पराये ,मासूम,लोग क्या कहेंगे, दूसरी दुल्हन गंगवा,कल्पवृक्ष, पार, कामयाब ,द ब्यूटीफुल नाइट, मैं आजाद हूँ, इतिहास,मटरू की बिजली का मंडोला।
 फिल्मी बीट से साभार

आपके बच्चे क्या आपके दाेस्त नहीं बन सकते- डॉ. अनुजा भट्ट

फाेटाे क्रेडिट-रचना चतुर्वेदी 
हर माता पिता अपने बच्चों के लिए जरूरत से ज्यादा करते हैं। वह यह सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं कि उनके बच्चे को कोई असुविधा न हो। वह सिर्फ अपने बच्चों से यही चाहते हैं कि उनका बच्चा उन्हें आदर सम्मान दें। लेकिन यह भी तभी संभव है जबकि आपकी अपने बच्चे के साथ गहरी आत्मीयता हो और इस आत्मीयता के लिए जरूरी है आप दोनों के बीच बेहतर संवाद और एक दूसरे के प्रति अटूट विश्वास।

परफेक्ट पेरेंटिग जैसी कोई चीज नहीं होती है। इसलिए पेरेंटिग के कोई सेट रूल नहीं होते। पेरेंट होना एक फुल टाइम जॉब है और बहुत मुश्किल भी। इस सफर में पेरेंटस और बच्चों दोनों के लिए सीखने का ही दौर चलता है। इसलिए आप अपनी और अपने बच्चे की जरूरत के अनुसार ही रूल सेट कीजिए और उसका पालन करिए और बच्चे से करवाइए भी।

 अपने बच्चे को अपना दोस्त बनाएं। ऐसी एक चीज ढ़ूढ़ने की कोशिश करें जहां पर आपके और बच्चे की पसंद एक हो।

 यदि आपका बच्चा जिद्दी हो तो उसके साथ नरम व्यवहार रखें क्योंकि उसके ऊपर किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं चल सकती। इसके अलावा यह देखें कि समस्या कहां है । उसी के अनुसार कोई युक्ति निकालें कि कैसे आप उसे अपनी बात समझा सकते हैं।

 अपने बच्चे की पसंद नापंसद को ध्यान में रखकर ही कोई भी योजना बनाएं न कि अपनी पसंद उसके ऊपर थोपें।
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 बच्चे को अपने ऊपर हावी न होने दें। कई पेरेंटस यह शिकायत करते हैं कि वह बच्चों को हैंडल नहीं कर पाते और दबाव में आकर झुक जाते हैं। जब बात योजना को क्रियान्वित करने की हो तो अपने इरादे मजबूत रखें। यदि आपको लगता है कि बच्चा किसी भी चीज को पाने की जिद कर रहा है और वह चीज जरूरी नहीं है तो तुरंत मना कर दें।

 बच्चे के अंदर सहनशक्ति लाने की कोशिश करें। यदि आपका बच्चा रोये तो रोने दें। यह उसकी ही भलाई के लिए है। हो सकता है ऐसे में बच्चा आपके बारे में नेगिटिव सोचे लेकिन परेशान न हों यह भी एक नेचुरल प्रोसेस है और बहुत जल्दी खत्म भी हो जाता है। आप इस दीवार को अपने प्यार और बात से आसानी से तोड़ सकते हैं।

 अपने बचपन के साथ अपने बच्चे के बचपन की तुलना मत कीजिए। न ही उसके भाई, बहन या उसके दोस्तों से उसकी तुलना कीजिए। आप यह कभी भी न सोचें कि जैसा आपने अपने बचपन में किया था वैसा ही आपका बच्चा भी करेगा।

 खुद खुशमिजाज बनिए। बच्चों के साथ हंसी मजाक कीजिए। घर का मौहाल खुशनुमा बनायें। इससे आपका बच्चा भी जिंदगी को अलग नजरिए से देखेगा और खुश रहेगा।
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आपके अंदर सहनशक्ति होनी चाहिए। हमेशा कोशिश कीजिए कि आप बच्चे की बात पूरी तरह एकाग्रचित होकर सुनें। बात करने की पहल खुद करें और बातचीत का मौहाल बनाएं। बच्चे को खुद से निर्णय लेने की आजादी देनी चाहिए। ऐसे बात करें कि जैसे कि आप किसी बड़े से बात कर रहे हैं। इस तरह से बच्चा अपनी बातें आपके साथ शेयर कर पाऐगा। उसकी बातों को जज करने की कोशिश न करें क्योंकि ऐसा करने से आप दोनों के संबधों में दूरी आ सकती है।

 अपने बच्चे को एक अलग शख्सियत की तरह देखें। अपनी भावनाएं व्यक्त करने का हर बच्चे का अपना अलग तरीका होता है । लेकिन साथ ही एक बैलेंस बना कर चलें।  यदि कहीं कोई समस्या है तो उसका समाधान तुरंत ढ़ूंढ़े। उसे टालें नहीं। नहीं तो समस्या तो गंभीर होगी ही साथ ही बच्चा भी सही बात नहीं समझ पायेगा।

 अपने बच्चे को यकीन दिलाएं कि उसका परिवार हर हाल में उसके साथ है। जहां जरूरत हो वहां बच्चे को समझाएं । हर बार यह मत सोचें कि बच्चा आपके हाव भाव से आपकी बात समझ जाऐगा। उससे मधुर भाषा में बात करें।

 अपनी गलतियों को स्वीकार करें और उनको सुधारने के लिए प्रयासरत रहें। इस तरह से आप अपने बच्चे के सामने एक उदाहरण बन सकते हैं

 अपने बच्चे को अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करें। पेड़ तभी हरा भरा होगा यदि उसकी जड़ मजबूत होगी। आपका बच्चा तभी अच्छे से बढ़ेगा जब आप उसके अंदर सही संस्कार डालेंगें। वह शारीरिक, मानसिक रूप से स्वस्थ हो। वह आर्थिक रूप से भी मजबूत बने। खुद को सुरक्षित महसूस करें। आपको हर दिशा में उसका पथप्रदर्शन करना होगा।
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बच्चे के प्रति रक्षात्मक रूप से बिहेव न करें। अपने बच्चे के लिए कभी झूठ न बोलें। इससे बच्चे पर नकारात्मक असर पड़ता है। उसने जो भी गलत या सही काम किया हो उसे उस काम की जिम्मेदारी लेनी आनी चाहिए।

 आपके बच्चे का न कहना भी उतना ही जरूरी है जितना कि हां कहना। इससे बच्चा कभी भी किसी काम को प्रेशर के चलते नहीं लेगा।

 बच्चों को सिखाएं गलतियों को स्वीकार करना और आत्मशक्ति को बढाना ताकि कोई भी अपनी इच्छाएं या निर्णय उन पर थोप न सके।

आपके बच्चे का भविष्य आपकी पेरेंटिग के तरीकों पर बहुत हद तक निर्भर करता है। आपको इसके लिए बहुत मेहनत करनी होगी। आपके पास सहनशक्ति और तेजी दोनों ही होनी चाहिए। आप अपने बच्चे की नजर में परफेक्ट हों यह जरूरी नहीं है पर आप उसकी नजर में एक सही इंसान बनें यह ज्यादा जरूरी है।

सोमवार, 17 सितंबर 2018

आैजाराें से हाेती है विश्वकर्मा की पूजा

आज विश्‍वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) है. विश्‍वकर्मा भगवान का जन्‍म भादो माह में हुआ था. हर साल 17 सितंबर को उनके जन्‍मदिवस को विश्‍वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) के रूप में मनाया जाता है. विश्‍वकर्मा को देवताओं का शिल्‍पी कहा जाता है. मान्‍यता है कि उन्‍होंने देवताओं के लिए खूबसूरत शहरों, भव्‍य महलों और एक से बढ़कर एक हथियारों का निर्माण किया. अपनी शिल्‍प कला के लिए मशहूर भगवान विश्‍वकर्मा सभी देवताओं में आदरणीय हैं. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार विश्‍वकर्मा को सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का सातवां धर्म पुत्र माना जाता है.
विश्‍वकर्मा जयंती के दिन भगवान विश्‍वकर्मा की पूजा और आरती का विधान है. इस दिन कारखानों, दफ्तरों, मशीनों, कलपुर्जों और औजारों की पूजा की जाती है. जो लोग इंजीनियरिंग, बढ़ई, वेल्डिंग जैसे कामों से जुड़े हुए हैं उनके लिए इस दिन का विशेष महत्‍व है. घर पर भी विश्‍वकर्मा की पूजा के साथ-साथ इस्‍तेमाल में आने वाले उपकरणों की पूजा की जाती है. मान्‍ययता है कि विश्‍वकर्मा की पूजा विधि-विधान से करने पर व्‍यापार में दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी होती है.
यहां पर हम आपको भगवान विश्‍वकर्मा की पूजा की संपूर्ण विधि बता रहे हैं:

- सबसे पहले स्‍नान करने के बाद अपनी गाड़ी, मोटर या दुकान की मशीनों को साफ कर लें.
- उसके बाद स्‍नान करें.
- घर के मंदिर में बैठकर विष्‍णु जी का ध्‍यान करें और पुष्‍प चढाएं.
- एक कमंडल में पानी लेकर उसमें पुष्‍प डालें.
- अब भगवान विश्‍वकर्मा का ध्‍यान करें.
- अब जमीन पर आठ पंखुड़‍ियों वाला कमल बनाएं.
- अब उस स्‍थान पर सात प्रकार के अनाज रखें.
- अनाज पर तांबे या मिट्टी के बर्तन में रखे पानी का छिड़काव करें.
- अब चावल पात्र को समर्पित करते हुए वरुण देव का ध्‍यान करें.
- अब सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी और दक्षिणा को कलश में डालकर उसे कपड़े से ढक दें.
- अब भगवान विश्‍वकर्मा को फूल चढ़ाकर आशीर्वाद लें.
- अंत में भगवान विश्‍वकर्मा की आरती उतारें.
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विश्‍वकर्मा की आरतीॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥

श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
एनडीटीवी इंडिया से साभार..

याेग करेगा आपकी हड्डियां मजबूत- याेग गुरू सुनील सिंह

हमारे शरीर काे हर उम्र में एक खास देखभाल की जरूरत हाेती है। आजकल बहुत सारे लाेग घुटनाें के दर्द के कारण परेशान हैं। अगर समय रहते हम  ध्यान दें ताे इस असाध्य दर्द से मुक्ति पा सकते हैं। याेग में इसका बहुत बेहतर उपाय बताया गया है। अमूमन 40 वर्ष पूरे होने के साथ साथ हमारे शरीर  की मांसपेशियां ढीली होने लगती हैं और साथ ही हड्डियां कमजोर। इस उम्र में ऑस्टियोपोरेसिस होने का खतरा बढ़ जाता है और हल्की सी चोट से भी हड्डी टूटने का डर बना रहता है।  मगर घबराने की जरूरत नहीं यदि आप इन योगासानों को अपनी दिनचर्या में अपना लेंगे तो यह आपकी हड्डियों को कमजोर नहीं होने देंगे।
चक्रासन
सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को घुटने से मोड़ें जिससे एड़ी हिप्स को छुए और पंजे जमीन पर हों। अब गहरी सांस लेते हुए कंधे, कमर और पैर को ऊपर की ओर उठाएं। इस प्रक्रिया के दौरान गहरी सांस लें और छोड़ें। फिर हिप्स से लेकर कंधे तक के भाग को जितना हो सके ऊपर उठाने का प्रयास करें। कुछ क्षण बाद नीचे आ जाएं और सांसे सामान्य कर लें।
वृक्षासन
पेड़ की तरह तनकर खड़े हो जाइए। शरीर का भार अपने पैरों पर डाल दीजिए और दाएं पैर को मोड़िये। दाएं पैर के तलवे को घुटनों के ऊपर ले जाकर बाएं पैर से लगाइये। दोनों हथेलियों को प्रार्थना मुद्रा में लाइये। अपने दाएं पैर के तलवे से बाएं पैर को दबाइये और बाएं पैर के तलवे को जमीन की ओर दबाइये। सांस लेते हुए अपने हाथों को सिर के ऊपर ले जाइये। सिर को सीधा रखिए और सामने की ओर देखिये। 20 मिनट तक इस स्थिति में रुके रहें।
पद्मासन
जमीन पर बैठ जाएं। दायां पैर मोड़ें और दाएं पैर को बाईं जांघ के ऊपर कूल्हों के पास रखें। ध्यान रहे दाईं एड़ी से पेट के निचले बाएं हिस्से पर दबाव पड़ना चाहिए। बायां पैर मोड़ें तथा बाएं पैर को दाईं जांघ के ऊपर रखें। यहां भी बाइंर् एड़ी से पेट के निचले दाएं हिस्से पर दबाव पड़ना चाहिए। हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों के ऊपर रखें। रीढ़ की हड्डी को बिलकुल सीधी रखें। धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़े। कम से कम 10 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।
भुजंगासन
पहले पेट के बल सीधा लेट जाएं और दोनों हाथों को माथे के नीचे रखें। दोनों पैरों के पंजों को साथ रखें। अब माथे को सामने की ओर उठाएं और दोनों बाजुओं को कंधों के समानांतर रखें जिससे शरीर का भार बाजुओं पर पड़े। अब शरीर के ऊपरी हिस्से को बाजुओं के सहारे उठाएं। शरीर को स्ट्रेच करें और लंबी सांस लें। कुछ पल इसी अवस्था में रहने के बाद वापस पेट के बल लेट जाएं।
उत्कटासन
सबसे पहले पंजों के सहारे जमीन पर बैठ जाएं। हाथों को आगे की तरफ फैलाएं और उंगलियों को सीधा रखें। गला एकदम सीधा होना चाहिए। अब आप कुर्सी की पोजीशन में आ चुके हैं। 10 मिनट कतक इस मुद्रा में बने रहें।
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रविवार, 16 सितंबर 2018

मिलिए इल्मा अफराेज से-शाकिर चाैधरी

कुंदरकी (मुरादाबाद) : इल्मा अफ़रोज़ से हमारी बातचीत के दौरान तेज़ आंधी आती है और एक लकड़ी का बोर्ड उड़कर उनके भाई अराफ़ात (24) के दाहिने हाथ पर गिर जाता है. इससे उनके हाथ से खून निकलने लगता है और हड्डी में गहरी चोट लगती है.

अचानक से इल्मा बेहद तनाव में आ जाती हैं. वहां मौजूद लोग उन्हें समझाते हैं कि घबराइए मत, हड्डी नहीं टूटी है. मगर वो बदहवास हैं और तेज़ आंधी-तूफ़ान के बीच ही मुरादाबाद (कुंदरकी में हड्डी का डॉक्टर नहीं है) जाने की ज़िद करती हैं. कमरे में दौड़कर जाती हैं. अपना पर्स लाती हैं. पैसे कम देखकर चाचा से मांगती हैं. तभी अराफ़ात अपनी उंगलियां चलाकर दिखाता है, जिससे यह पता चलता है कि हड्डी सलामत है.

इल्मा को सामान्य होने में वक़्त लगता है. उनकी आंखें लाल हो जाती हैं और आंसू बाहर आ जाते हैं.

इल्मा कहती हैं, अब इसके सिवा मेरा कौन है. आज पहली बार इसको चोट लगी है.

मुरादाबाद के कुंदरकी की इल्मा अफ़रोज़ हाल ही में आए यूपीएससी के परिणाम में 217 रैंक पाकर भारत की सिविल सर्विस का हक़दार बन चुकी हैं और उनका आईपीएस बनना तय है.

32 बीघा ज़मीन (5 एकड़) पर खुद खेती करने वाले इल्मा अफ़रोज़ के पिता अफ़रोज़ 14 साल पहले उनके परिवार को बेसहारा छोड़कर चले गए तो घर बड़ी बेटी होने के नाते इल्मा ने परिवार संभाल लिया.

इल्मा के घर में किचन एक तख्त के ऊपर चलता है. उसके ड्राइंग रूम की छत पर फूस का छप्पर है. उसका ड्रेसिंग टेबल उनकी अम्मी को दहेज़ में मिला था, जो गल चुका है.

इल्मा के घर के दो कमरों में कोई बेड नहीं है. चारपाई टूटी हुई है. कुर्सियां पड़ोस से मांगकर लाई गई है. इल्मा के पास बेहद सस्ता स्मार्ट फोन है, जिसकी स्क्रीन टूट चुकी है.

अब से पहले भले ही कोई इन्हें पूछने वाला न हो, मगर जबसे उनके आईपीएस बनने की आहट हुई है, अचानक से रिश्तेदारों की आमद बढ़ गई है, इसलिए कुछ दिन से घर में खाना अच्छा बन रहा है.

इल्मा की कहानी में इतना दर्द है कि आपका कलेजा बाहर उछाल मारने की यक़ीनन कोशिश करेगा. इल्मा पेरिस, लंदन, न्यूयॉर्क और जकार्ता तक में पढ़ाई कर चुकी हैं. इनकी पढ़ाई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तक में हुई है. यूएन और क्लिंटन फॉउंडेशन के लिए भी काम किया है. बावजूद इसके इल्मा बिल्कुल साधारण कपड़े पहनती हैं और साधारण तरीक़े से ही रहती हैं.

अद्भुत प्रतिभा की मालकिन इल्मा हिम्मत न हारने की मिसाल हैं. अपने जीवन के संघर्षों को बताते हुए बिल्कुल हिचकती नहीं हैं.

वो कहती हैं, 9वीं में सबकुछ ठीक था. उसके बाद अब्बू नहीं रहे. मैं तब 14 साल की थी. भाई 12 का था. अब्बू मेरे बाल में कंघी करते थे. मैंने बाल ही कटवा दिए. उनकी जगह खेती संभाल ली. अब सवाल पढ़ाई का था. पहले 12वीं तक पढ़ाई स्कॉलरशिप के आधार पर हुई. फिर दिल्ली स्टीफ़न कॉलेज में दाख़िला मिल गया. वहां भी स्कॉलरशिप से पढ़ी. इसके बाद पेरिस, न्यूयॉर्क, ऑक्सफोर्ड सब जगह स्कॉलरशिप मिलती रही और मैं पढ़ती रही.

वो आगे कहती हैं कि, स्कॉलरशिप से मेरी पढ़ाई तो हो रही थी. लेकिन खुद का खर्च चलाना मुश्किल काम था. इसके लिए मैंने लोगों के घरों में काम किया. बर्तन साफ़ किए. झाड़ू-पोछा किया. बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया.

इल्मा कहती हैं कि, पिछले साल अपने भाई के कहने पर मैंने सिविल सर्विस का एक्ज़ाम दिया. पहले मैं आईएएस बनना चाहती थी, मगर मुझे लगा कि मेरे लिए आईपीएस होना ज़्यादा ज़रूरी है.

बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में हौसलों की मिसाल लिखने वाली इल्मा खेत में पानी चलाने, गेंहू काटने, जानवरों का चारा बनाने जैसे काम भी करती रही हैं.

इल्मा कहती हैं, लोग कहते थे लौंडिया है, क्या कर लेगी. अब कर दिया लौंडिया ने. मगर मेरी ज़िन्दगी में मुस्क़ान नाम की चीज़ अब आई है.

इल्मा के आईपीएस बनने के बाद स्थानीय लड़कियों में ज़बरदस्त क्रेज पैदा हो गया है. वो इल्मा से मिलने आती हैं. पिछले 3 दिन से उन्हें लगातार स्कूल कॉलेज में बोलने के लिए बुलाया जा रहा है.

इल्मा बताती हैं, डिबेट तो मेरी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा रही है. दिल्ली में डिबेट में प्राईज मनी के तौर पर जो पैसा मिलता था, उसी से मेरा ख़र्च चलता था. उस पैसे के लिए मुझे हर हाल में जीतना होता था. लेकिन अब बोलने के पैसे नहीं मिल रहे हैं, तसल्ली मिल रही है.

कुंदरकी के नबील अहमद (45) इल्मा की कामयाबी को चमत्कार मानते हैं. वो हमसे कहते हैं, अब तक कुंदरकी को विश्वास ही नहीं हो रहा है, यह कैसे हो गया. जिस दिन इल्मा नीली बत्ती में वर्दी पहने गांव में आएगी, उस दिन कुंदरकी झूम उठेगी. इस लड़की ने वाक़ई कमाल कर दिया है.

मगर इल्मा की मां सुहेला अफ़रोज़ अभी से झूम रही हैं. वो कहती हैं, मेरी बेटी ने बहुत तकलीफ़ झेली है, उसका रब खुश हो गया है ।
साकिर चाैधरी की फेसबुक बॉल से साभार

शनिवार, 15 सितंबर 2018

कहानी -भूख- चित्रा मुद् गल



आहट सुन लक्ष्मा ने सूप से गरदन ऊपर उठाई। सावित्री अक्का झोंपड़ी के किवाड़ों से लगी भीतर झांकती दिखी। सूप फटकारना छोड़कर वह उठ खड़ी हुई, ‘‘आ, अंदर कू आ, अक्का।'' उसने साग्रह सावित्री को भीतर बुलाया। फिर झोंपड़ी के एक कोने से टिकी झिरझिरी चटाई कनस्तर के करीब बिछाते हुए उस पर बैठने का आग्रह करती स्वयं सूप के निकट पसर गई।सावित्री ने सूप में पड़ी ज्वार को अँजुरी में भरकर गौर से देखा, ‘‘राशन से लिया?''
‘‘कारड किदर मेरा!''
‘‘नईं?'' सावित्री को विश्वास नहीं हुआ।
‘‘नईं।''
‘‘अब्बी बना ले।''
‘‘मुश्किल न पन।''
‘‘कइसा? अरे, टरमपरेरी बनता न। अपना मुकादम है न परमेश्वरन्, उसका पास जाना। कागद पर नाम-वाम लिख के देने को होता। पिच्छू झोंपड़ी तेरा किसका? गनेसी का न! उसको बोलना कि वो पन तेरे को कागद पे लिख के देने का कि तू उसका भड़ोतरी...ताबड़तोड़ बनेगा तेरा कारड।''
उसने पास ही चीकट गुदड़ी पर पड़े कुनमुनाए छोटू को हाथ लंबा कर थपकी देते हुए गहरा निःश्वास भरा-‘‘जाएगी।''
‘‘जाएगी नईं, कलीच जाना!'' सावित्री ने सयानों-सी ताकीद की। फिर सूप में पड़ी गुलाबी ज्वार की ओर संकेत कर बोली, ‘‘ये दो बीस किल्लो खरीदा न! कारड पे एक साठ मिलता।''
छोटू फिर कुनमुनाया। पर अबकी थपकियाने के बावजूद चौंककर रोने लगा। उसने गोद में लेकर स्तन उसके मुंह में दे दिया। कुछ क्षण चुकरने के बाद बच्चा स्तन छोड़ बिरझाया-सा चीखने लगा-‘‘क्या होना, आताच नई।'' उसने असहाय दृष्टि सावित्री पर डाली।

शुक्रवार, 14 सितंबर 2018

जानें क्या है.. पेंसिल वाला नेट आर्ट .. प्रिया कालरा, नेल आर्ट विशेषज्ञ


सोशल मीडिया के प्रभाव में ब्यूटी ट्रेंड्स तेजी से बदल रहे हैं। एक ट्रेंड के प्रति दीवानगी बढ़ती है तो दूसरा शुरू हो जाता है। दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ते ही और अनूठे ट्रेंड की खोज शुरू हो जाती है। इसी तरह से अब एक से बढ़कर एक ट्रेंड सोशल मीडिया वॉल को घेरे रहते हैं। इन दिनों नेल आर्ट में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। रेनबो व जेल नेल आर्ट को छोड़कर युवतियां पेंसिल कलर नेल आर्ट को लेकर क्रेज दिखा रही हैं। इस तरह का नेल आर्ट कलरफुल टच देता है। ऐसे में माना जा रहा है कि फेस्टिव सीजन में यह नेल आर्ट काफी पसंद किया जाएगा।
 है क्या पेंसिल कलर नेल आर्ट
यह नेल आर्ट इस तरह से किया जाता है कि नाखून हूबहू पेंसिल कलर की तरह नजर आते हैं। नाखूनों पर इसी आकार में जेैल¨लग की जाती है और पेंसिल कलर से अलग अलग रंगों से इन्हें बाकायदा नोक देकर सजाया जाता है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि इस तरह के नेल आर्ट में कामकाज में असुविधा होती है लेकिन ट्रेंड परस्त लोग इसे खुशी खुशी अपना रहे हैं।
सोशल मीडिया से आया ट्रेंड इंस्टाग्राम पर आने वाला हर ट्रेंड कुछ ही पलों में लोगों को अपनी ओर आकर्षण में बांध लेता है। इस नेल आर्ट  ट्रेंड के साथ भी यही हुआ। रूस से आए इस ट्रेंड को लोगों ने हाथों हाथ लिया है। यहां पर भी इस तरह के नेल आर्ट की मांग बढ़ गई,  जिसके बाद नेल आर्ट आर्टिस्ट इसे सीख रहे हैं।
खूबसूरत नेल आ‌र्ट्स के साथ साथ अब अनूठे नेल आर्ट को भी उतनी ही तवज्जो मिल रही है। उनके मुताबिक अब युवतियां इस तरह के नेल आर्ट की मांग कर रही हैं। पेंसिल कलर नेल आर्ट हो या फिर ज्वेलरी नेल आर्ट। हर तरह के डिजाइंस इंस्टाग्राम व सोशल मीडिया से आ रहे हैं।
लोग इस तरह के डिजाइंस का डिमांड कर रहे हैं, क्योंकि युवा पूरी तरह से सोशल मीडिया के प्रभाव में जी रहे हैं और वहीं के डिजाइंस व ट्रेंड्स को पिक करते हैं। नेल आर्ट में भी लोग अनूठेपन की तलाश कर रहे हैं जिसको हम लोग पूरा करने की कोशिश भी कर रहे हैं।
मार्केट में सिंपल से लेकर, 4डी, 5डी हर तरह का नेल आर्ट है। इस साल ब्राइडल्स को नेल आर्ट अधिक पसंद रहा है। नेल एक्सटेंशन में एक्रेलिक जेल दो तरह से किए जाते हैं। इसे रेगुलर कराएं, ताकि नेचुरल नेल्स सही रहे। नेल एक्सटेंशन में एक्रेलिक की बजाए जेल को प्रेफर करें, क्योंकि इसे नेचुरल नेल्स को नुकसान नहीं होता।
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गुरुवार, 13 सितंबर 2018

कसरत के पहले भी खाए और बाद में भी- चयनिका शर्मा

पानी ही है असली दवा
सिर्फ कसरत करना सेहत को दुरुस्त रखने के लिए पर्याप्त नहीं है। कसरत करने से पहले और बाद में शरीर को स्वस्थ रखने वाली चीजें खाना भी जरूरी है। डायटीशियन चयनिका शर्मा कहती हैं कि व्यायाम के बेहतर नतीजे पाने के लिए उससे पहले और बाद में लिए जाने वाले आहार की जानकारी होनी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि शरीर को छरहरा और त्वचा को मुलायम रखने के लिए व्यायाम से पहले कार्बोहाइड्रेट लेना सबसे अच्छा है। जबकि व्यायाम के बाद ताजी सब्जियों का रस पीना लाभदायक हो सकता है।
व्यायाम से पहले खाएं कुछ ऐसा, जिससे बनी रहे ऊर्जा
साबुत अनाज कामप्लैक्स कार्वाेहाइड्रेट संतुलित मात्रा में खाएं इसकी जगह केला या मेवे भी ले सकते हैं।  व्यायाम से  पहले  भरपूर मात्रा में पानी पीना बहुत जरूरी है।
धावकों को व्यायाम के एक बार15 मिनट के अंदर हलकी लस्सी या छाछ लेनी चाहिए। 30 मिनट के बाद  नारीयल पानी पीने की सलाह दी जाती है। उसके बाद ताजा फल और सब्जियाें से बने जूस आपकी सेहत के लिए बहुत जरूरी है यह आपके शरीर से विषैले तत्वाें  काे बाहर निकालने में मदद करता है और आपकाे स्वस्थ रखता है।
 लेकिन याद रहे यह फल और सब्जियाें का चुनाव आप अपनी बॉडी टाइप काे देखकर ही करें। सभी काे यह फायदेमंद नहीं हाेता। बिना किसी की सलाह के जूस का सेवन आपके लिए नुकसानदायक हाे सकता है।
व्यायाम के बाद वो खाएं, जिनसे हो मांसपेशियों की मरम्मत
व्यायाम करने के 30 मिनट बाद ही खाने की तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए। ऐसी चीजें खानी चाहिए, जो आपकी मांसपेशियों की मरम्मत में मदद करें। अखरोट, फल, रसभरी और बादाम के साथ दही, जड़ वाली सब्जियां जैसे गाजर, चुकंदर, शकरकंद या उबले अंडे व्यायाम के बाद लिए जा सकते हैं। अगर आप वजन कम करने के लिए काेई याेजना बना रहे हैं ताे सबसे पहले डायटीशियन से राय अवश्य लें।
दौड़ने के बाद थोड़ा पानी या नारियल पानी और इसके बाद एक घंटे के भीतर प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट युक्त चीजें खानी चाहिए।
पूरे दिन भरपूर मात्रा में पानी और फल बहुत जरूरी है यह आपके मेटाबॉलिज्म काे सही रखते हैं साथ ही दूसरे दिन वर्कआउट के लिए भी तैयार करते हैं।

बुधवार, 12 सितंबर 2018

शुरू हाे गई गणेश उत्सव की तैयारी

 पेंटिंग- रिया राठाैड़
भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को शिवा कहते हैं. इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर स्नान दान व्रत जप आदि सत्कर्म करना चाहिए, जो व्यक्ति ऐसा करता है उसको गणपति जी का सौ गुना अभीष्ट फल प्राप्त होता है ऐसा भविष्य पुराण में दिया गया है. इस दिन गणेश जी के साथ शिव जी और पार्वती जी का भी पूजन करना चाहिए. भारत में कुछ त्यौहार धार्मिक पहचान के साथ-साथ क्षेत्र विशेष की संस्कृति के परिचायक भी हैं. इन त्यौहारों में किसी न किसी रूप में प्रत्येक धर्म के लोग शामिल रहते हैं. जिस तरह पश्चिम बंगाल की दूर्गा पूजा आज पूरे देश में प्रचलित हो चुकी है उसी प्रकार महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाई जाने वाली गणेश चतुर्थी का उत्सव भी पूरे देश में मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी का यह उत्सव लगभग दस दिनों तक चलता है जिस कारण इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है.

भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश का इसी दिन जन्म हुआ था. भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को सोमवार के दिन मध्याह्न काल में, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था. इसलिए मध्याह्न काल में ही भगवान गणेश की पूजा की जाती है, इसे बेहद शुभ समय माना जाता है. भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी या सिद्धीविनायक चतुर्थी भी कहा जाता है. कुछ जगहों पर इसे पत्तर चौथ और कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन नहीं किया जाता. मान्यता है कि चंद्र दर्शन करने से इस दिन कलंक लगता है.

गणेश चतुर्थी मुहूर्त: गणेश जी का दिन बुधवार को माना गया है. इसलिए बुधवार के दिन घर में गणेश जी की प्रतिमा लाना अत्यंत शुभ माना गया है.





चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: दिनांक 12 सितंबर दिन बुधवार को शाम 4:07 से चतुर्थी तिथि समाप्त: दिनांक 13 सितंबर दिन गुरूवार को दोपहर 2:51 बजे तक गणेश पूजन के लिए मुहूर्त: दिनांक 13 सितंबर दिन गुरूवार को सुबह 11:02 से 13:31तक गणेश जी की मूर्ति लाने का मुहूर्त: 1. दिनांक 12 सितम्बर दिन बुधवार को मध्याह्न 3:30 से सांयकाल 6:30 तक 2. दिनांक 13 सितम्बर दिन गुरुवार प्रातः 6:15- 8:05 तक तथा 10:50-11:30 तक

इस माह की चतुर्थी को गुड़, लवण (नमक) और घी का दान करना चाहिए. यह शुभ मान गया है और गुड़ के मालपुआ से ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए. इस दिन जो स्त्री अपने सास और ससुर को गुड़ के पूए खिलाती है वह गणेश जी के अनुग्रह से सौभाग्यवती होती है. पति की कामना करने वाली कन्या इस दिन विशेष रूप से व्रत करे और गणेश जी का पूजन करे. ऐसा शिवा चतुर्थी का विधान है.

शास्त्रों में भगवान श्रीगणेश का अभिषेक करने का विधान बताया गया है. जो व्यक्ति हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर भगवान श्रीगणेश का अभिषेक करता उसको विशेष लाभ और साथ ही धन लाभ भी होता है. जो हर चतुर्थी नहीं कर सकता वह इस दिन करे तो उसको उसी के बराबर फल की प्राप्ति होती. इस दिन आप शुद्ध जल में सुगन्धित द्रव्य या इत्र मिला करके श्रीगणेश का अभिषेक करें. साथ में गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ भी करें. बाद में लड्डुओं का भोग लगाएं.

शिव- पार्वती का मंगलगान है हरितालिका तीज

शिवपार्वती-पेंटिंग अंजलि लांबा
साल में चार बड़ी तीज आती हैं, जिनमें से हरियाली, कजली और हरतालिका तीज का काफी महत्व है। लेकिन इन तीनों में भी हरतालिका तीज को सबसे बड़ी माना जाता है। यह सभी तीज मुख्य रूप से सावन और भादो के महीने में आती हैं। इन दिन शादीशुदा महिलाएं अपने सुहाग के सौभाग्य और कुंवारी लड़कियां मनचाहे वर के लिए कठिन व्रत रखती हैं।
हरतालिका तीज का महत्वःपंडित हरदेव के मुताबिक हरतालिका तीज को सभी तीजों में सबसे महत्वपूर्ण और लाभदायक माना जाता है। यह तीज भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। हरतालिका तीज को बड़ी तीज व्रत भी कहा जाता है। इसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान और बिहार के क्षेत्रों में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। यह व्रत एक सूर्योदय से लेकर दूसरे सूर्योदय तक चलता है और रात में महिलाएं जागकर गौरी माता के गीत गाती हैं।

तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा
तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। वास्तव में यह दिन माता पार्वती को समर्पित है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने तृतीया तिथि को ही भगवान शिव को पुनः प्राप्त किया था। मां पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लेकर माता सती ने घोर तपस्या के बाद भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। इसलिए शादीशुदा महिलाएं इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके पति की लंबी उम्र और सौभाग्य का वरदान मांगती हैं और कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए ये व्रत रखती हैं।

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