अधिकांश मम्मी, अपने बच्चाें की लापरवाही, ढीले ढाले रवैया और अनुशासनहीनता के कारण परेशान हैं। यह परेशानी बच्चे के स्कूल,जाने से पहले और स्कूल से आने के बाद शुरू हाे जाती है। एक एक बात बच्चे काे कहनी पड़ती है। स्कूल से आने के बाद हर राेज यह कहना पड़ता है, बेटा जूता सही जगह रखाे। बैग बैग की जगह रखाे। कपड़े निकालकर वाशिंग मशीन में डालाे। लेकिन हम देखते हैं बच्चा काेई बात नहीं सुनता। स्कूल में वह 10 मिनट में खा लेता है लेकिन घर में वह आराम से खाता है। मॉल जाने या फिल्म देखने की बात हाे वह फटाफट तैयार हाे जाता है अपने कपड़े खुद ढूंढ लेता है हालांकि वहां भी वह काेई काेशिश नहीं करता, जाे मिल जाए वह पहन लेता है वह ताे बाहर जाने के नाम से ही राेमांचित है। यह सब शिकायतें बहुत आम हैं। हर पेरेंट्स की हैं। अब इसके उलट बच्चाें से पूछे गलती हाेने पर मम्मी का रिएक्शन क्या हाेता है। मम्मी गुस्सा जाती हैं, डांटती हैं और मारती भी हैं। लेकिन अगर वही गलती पापा, या बड़े करें ताे मम्मी कुछ नहीं कहती उल्टा सॉरी हीे बाेलती हैं। उदाहरण के लिए अगर मेरे कपड़े बिस्तर पर हैं ताे मां नाराज हाेती है गुस्से में कपड़े फैंक देती हैं पर पापा से कुछ नहीं कहतीं हैं, उनके कपड़े सहेजकर रख देती हैं। और अगर कभी पापा जल्दी आ जाएं और बैड पर कपड़े पड़े हाें ताे मम्मी की जगह पापा नाराज हाेते हैं और कहते हैं, कपड़े अभी तक बिस्तर में पड़े हैं तब मां साॉरी कहती हैं। जैसे पापा अ़ॉफिस जाते हैं थक कर आते हैं एेसे ही हम भी स्कूल जाते हैं और थक कर आते हैं। मम्मी का गुस्सा मुझपर ही क्याें है।
यह उदाहरण बताता है कि एक ही बात के लिए हमारे मानदंड अलग हैं। बात एक ही है। हम हैंडिल अलग अलग तरह से कर रहे हैं ताे अनुशासन ताे बिगड़ेगा ही। अपने कपड़े सबकाे समेटकर रखने चाहिए बड़े और बच्चाें दाेनाें काे। दूसरी बात जैसा बड़े करते हैं बच्चे भी वैसा ही करते हैं। एेसे में गुस्सा करके आप खुद काे ही बीमार कर रही हैं। यह गुस्सा आपके भीतर तनाव काे पैदा कर रहा है और तनाव है कि बच्चा आपकी नहीं सुनता छाेटी छाेटी बात नहीं सुनता। हर वक्त रिलेक्स हाेकर रहता है।
अब बात खाने की करें। बच्चे बड़े हर काेई ऑफिस या स्कूल में ब्रेक में मिले समय पर खाना खाते हैं घर पर यह नियम लागू नहीं हाेता। हम घर में रिलेक्स हाेते हैं। घर का मतलब हमारे लिए आराम करने की जगह है। बच्चे भी एेसे ही साेचते हैं। एेसे में उनका कीमती समय नष्ट हाे जाता है। काेई काम समय पर पूरा नहीं हाेता वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते। उनके पापा काे हर हाल में अपना टारगेट पूरा करना है तभी नाैकरी बची रह सकती है। उनकाे पैसे कमाकर लाने हैं तभी घर का खर्च और पढ़ाई लिखाई हाे सकती है। पापा काे टारगेट पूरा करना है और पापा टारगेट पूरा करते दिखाई नहीं देते क्याेंकि वह ताे घर पर रहते नहीं है। बच्चा इस दृश्य काे नहीं देख पाते इसलिए वह टारगेट काे समझ नहीं पाते। हमें उनको यही समझाना है। पापा अपना टारगेट खत्म करके ही घर आते हैं और रिलेक्स हाेना चाहते हैं और आपकाे अपना टारगेट पूरा करने के लिए स्कूल से आकर भी पढ़ाई करनी है ताकि आप जिंदगी में कुछ हासिल कर पाएं। इस तरह स्कूल से आकर अगर हर समय रिलेक्स हाेकर आप कुछ कर नहीं सकते और फिर जब समय हाथ से निकल जाएगा आपके पास काेई आप्शन नहीं बचेगा।
आप गुस्सा करने के बजाए काेशिश करें कि किस तरह से वह आपकी बात समझ सकता है। अपने मित्रों की भी मदद लें। समस्या का हल निकालने के लिए प्रयास करें। मायूस न हाे। गुस्सा न करें।
टाइम टेबल सेट करें
यह उदाहरण बताता है कि एक ही बात के लिए हमारे मानदंड अलग हैं। बात एक ही है। हम हैंडिल अलग अलग तरह से कर रहे हैं ताे अनुशासन ताे बिगड़ेगा ही। अपने कपड़े सबकाे समेटकर रखने चाहिए बड़े और बच्चाें दाेनाें काे। दूसरी बात जैसा बड़े करते हैं बच्चे भी वैसा ही करते हैं। एेसे में गुस्सा करके आप खुद काे ही बीमार कर रही हैं। यह गुस्सा आपके भीतर तनाव काे पैदा कर रहा है और तनाव है कि बच्चा आपकी नहीं सुनता छाेटी छाेटी बात नहीं सुनता। हर वक्त रिलेक्स हाेकर रहता है।
अब बात खाने की करें। बच्चे बड़े हर काेई ऑफिस या स्कूल में ब्रेक में मिले समय पर खाना खाते हैं घर पर यह नियम लागू नहीं हाेता। हम घर में रिलेक्स हाेते हैं। घर का मतलब हमारे लिए आराम करने की जगह है। बच्चे भी एेसे ही साेचते हैं। एेसे में उनका कीमती समय नष्ट हाे जाता है। काेई काम समय पर पूरा नहीं हाेता वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते। उनके पापा काे हर हाल में अपना टारगेट पूरा करना है तभी नाैकरी बची रह सकती है। उनकाे पैसे कमाकर लाने हैं तभी घर का खर्च और पढ़ाई लिखाई हाे सकती है। पापा काे टारगेट पूरा करना है और पापा टारगेट पूरा करते दिखाई नहीं देते क्याेंकि वह ताे घर पर रहते नहीं है। बच्चा इस दृश्य काे नहीं देख पाते इसलिए वह टारगेट काे समझ नहीं पाते। हमें उनको यही समझाना है। पापा अपना टारगेट खत्म करके ही घर आते हैं और रिलेक्स हाेना चाहते हैं और आपकाे अपना टारगेट पूरा करने के लिए स्कूल से आकर भी पढ़ाई करनी है ताकि आप जिंदगी में कुछ हासिल कर पाएं। इस तरह स्कूल से आकर अगर हर समय रिलेक्स हाेकर आप कुछ कर नहीं सकते और फिर जब समय हाथ से निकल जाएगा आपके पास काेई आप्शन नहीं बचेगा।
आप गुस्सा करने के बजाए काेशिश करें कि किस तरह से वह आपकी बात समझ सकता है। अपने मित्रों की भी मदद लें। समस्या का हल निकालने के लिए प्रयास करें। मायूस न हाे। गुस्सा न करें।
टाइम टेबल सेट करें
रूटीन बनाने से बच्चों को मदद मिलती है। टाइमटेबल स्कूल के साथ साथ घर के लिए भी जरूरी है। उसके खेल और मनोरंजन सहित प्रत्येक गतिविधि के लिए समय स्लॉट सेट करें। 1-1.15 घंटों के लिए अध्ययन करने के लिए समय अवधि निर्धारित करें। इस अवधि में 20 मिनट का अध्ययन, 5 मिनट ब्रेक स्लॉट आवंटित करें। अपनी बात पर कायम रहें, गुस्सा न करें याद रखें कि उसे दिनचर्या का पालन करवाना है। जब वह पढ़ाई पूरी करते हैं तो उसे स्टिकर दें। जब उसे 7 स्टिकर मिलते हैं तो उसे अपनी तरफ से इनाम दें। दिनचर्या करने में धैर्य रखें। धीरे-धीरे यह सब दिनचर्या मदद करेगा।
खेल खेल में स्पेलिंग और टेबल याद कराएं
आजकल एेसे बहुत से विकल्प हैं जिनकी मदद ली जा सकती है। स्कूल की पढ़ाई से बच्चों का मन उब जाता है आप वहीं चीजें दूसरी तरह से पढ़ाने की काेशिश करें। अॉडियाे विजुअल का सहारा लें। यह एक कठिन समय है कि आप काे घर संभालने के साथ बच्चे की परवरिश और पढ़ाई पर भी ध्यान देना है। अगर आप कामकाजी हैं ताे आपके लिए थाेड़ा मुश्किल ताे है पर रास्ते बहुत सारे हैं। आप अपने राेजमर्रा के काम के साथ उसके गाेल तय कीजिए। मसलन मैंने इतने समय में यह काम किया आपने इतने समय में क्या किया। इससे आपका काम भी हाेता जाएगा और वह भी अपना काम समय से करने लगेगा।
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