मंगलवार, 18 सितंबर 2018

आपके बच्चे क्या आपके दाेस्त नहीं बन सकते- डॉ. अनुजा भट्ट

फाेटाे क्रेडिट-रचना चतुर्वेदी 
हर माता पिता अपने बच्चों के लिए जरूरत से ज्यादा करते हैं। वह यह सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं कि उनके बच्चे को कोई असुविधा न हो। वह सिर्फ अपने बच्चों से यही चाहते हैं कि उनका बच्चा उन्हें आदर सम्मान दें। लेकिन यह भी तभी संभव है जबकि आपकी अपने बच्चे के साथ गहरी आत्मीयता हो और इस आत्मीयता के लिए जरूरी है आप दोनों के बीच बेहतर संवाद और एक दूसरे के प्रति अटूट विश्वास।

परफेक्ट पेरेंटिग जैसी कोई चीज नहीं होती है। इसलिए पेरेंटिग के कोई सेट रूल नहीं होते। पेरेंट होना एक फुल टाइम जॉब है और बहुत मुश्किल भी। इस सफर में पेरेंटस और बच्चों दोनों के लिए सीखने का ही दौर चलता है। इसलिए आप अपनी और अपने बच्चे की जरूरत के अनुसार ही रूल सेट कीजिए और उसका पालन करिए और बच्चे से करवाइए भी।

 अपने बच्चे को अपना दोस्त बनाएं। ऐसी एक चीज ढ़ूढ़ने की कोशिश करें जहां पर आपके और बच्चे की पसंद एक हो।

 यदि आपका बच्चा जिद्दी हो तो उसके साथ नरम व्यवहार रखें क्योंकि उसके ऊपर किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं चल सकती। इसके अलावा यह देखें कि समस्या कहां है । उसी के अनुसार कोई युक्ति निकालें कि कैसे आप उसे अपनी बात समझा सकते हैं।

 अपने बच्चे की पसंद नापंसद को ध्यान में रखकर ही कोई भी योजना बनाएं न कि अपनी पसंद उसके ऊपर थोपें।
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 बच्चे को अपने ऊपर हावी न होने दें। कई पेरेंटस यह शिकायत करते हैं कि वह बच्चों को हैंडल नहीं कर पाते और दबाव में आकर झुक जाते हैं। जब बात योजना को क्रियान्वित करने की हो तो अपने इरादे मजबूत रखें। यदि आपको लगता है कि बच्चा किसी भी चीज को पाने की जिद कर रहा है और वह चीज जरूरी नहीं है तो तुरंत मना कर दें।

 बच्चे के अंदर सहनशक्ति लाने की कोशिश करें। यदि आपका बच्चा रोये तो रोने दें। यह उसकी ही भलाई के लिए है। हो सकता है ऐसे में बच्चा आपके बारे में नेगिटिव सोचे लेकिन परेशान न हों यह भी एक नेचुरल प्रोसेस है और बहुत जल्दी खत्म भी हो जाता है। आप इस दीवार को अपने प्यार और बात से आसानी से तोड़ सकते हैं।

 अपने बचपन के साथ अपने बच्चे के बचपन की तुलना मत कीजिए। न ही उसके भाई, बहन या उसके दोस्तों से उसकी तुलना कीजिए। आप यह कभी भी न सोचें कि जैसा आपने अपने बचपन में किया था वैसा ही आपका बच्चा भी करेगा।

 खुद खुशमिजाज बनिए। बच्चों के साथ हंसी मजाक कीजिए। घर का मौहाल खुशनुमा बनायें। इससे आपका बच्चा भी जिंदगी को अलग नजरिए से देखेगा और खुश रहेगा।
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आपके अंदर सहनशक्ति होनी चाहिए। हमेशा कोशिश कीजिए कि आप बच्चे की बात पूरी तरह एकाग्रचित होकर सुनें। बात करने की पहल खुद करें और बातचीत का मौहाल बनाएं। बच्चे को खुद से निर्णय लेने की आजादी देनी चाहिए। ऐसे बात करें कि जैसे कि आप किसी बड़े से बात कर रहे हैं। इस तरह से बच्चा अपनी बातें आपके साथ शेयर कर पाऐगा। उसकी बातों को जज करने की कोशिश न करें क्योंकि ऐसा करने से आप दोनों के संबधों में दूरी आ सकती है।

 अपने बच्चे को एक अलग शख्सियत की तरह देखें। अपनी भावनाएं व्यक्त करने का हर बच्चे का अपना अलग तरीका होता है । लेकिन साथ ही एक बैलेंस बना कर चलें।  यदि कहीं कोई समस्या है तो उसका समाधान तुरंत ढ़ूंढ़े। उसे टालें नहीं। नहीं तो समस्या तो गंभीर होगी ही साथ ही बच्चा भी सही बात नहीं समझ पायेगा।

 अपने बच्चे को यकीन दिलाएं कि उसका परिवार हर हाल में उसके साथ है। जहां जरूरत हो वहां बच्चे को समझाएं । हर बार यह मत सोचें कि बच्चा आपके हाव भाव से आपकी बात समझ जाऐगा। उससे मधुर भाषा में बात करें।

 अपनी गलतियों को स्वीकार करें और उनको सुधारने के लिए प्रयासरत रहें। इस तरह से आप अपने बच्चे के सामने एक उदाहरण बन सकते हैं

 अपने बच्चे को अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करें। पेड़ तभी हरा भरा होगा यदि उसकी जड़ मजबूत होगी। आपका बच्चा तभी अच्छे से बढ़ेगा जब आप उसके अंदर सही संस्कार डालेंगें। वह शारीरिक, मानसिक रूप से स्वस्थ हो। वह आर्थिक रूप से भी मजबूत बने। खुद को सुरक्षित महसूस करें। आपको हर दिशा में उसका पथप्रदर्शन करना होगा।
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बच्चे के प्रति रक्षात्मक रूप से बिहेव न करें। अपने बच्चे के लिए कभी झूठ न बोलें। इससे बच्चे पर नकारात्मक असर पड़ता है। उसने जो भी गलत या सही काम किया हो उसे उस काम की जिम्मेदारी लेनी आनी चाहिए।

 आपके बच्चे का न कहना भी उतना ही जरूरी है जितना कि हां कहना। इससे बच्चा कभी भी किसी काम को प्रेशर के चलते नहीं लेगा।

 बच्चों को सिखाएं गलतियों को स्वीकार करना और आत्मशक्ति को बढाना ताकि कोई भी अपनी इच्छाएं या निर्णय उन पर थोप न सके।

आपके बच्चे का भविष्य आपकी पेरेंटिग के तरीकों पर बहुत हद तक निर्भर करता है। आपको इसके लिए बहुत मेहनत करनी होगी। आपके पास सहनशक्ति और तेजी दोनों ही होनी चाहिए। आप अपने बच्चे की नजर में परफेक्ट हों यह जरूरी नहीं है पर आप उसकी नजर में एक सही इंसान बनें यह ज्यादा जरूरी है।

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