मंगलवार, 6 मार्च 2012

सजावट की एंटीक थीम




 डॉ. अनुजा भट्ट

होली का त्योहार रंगों और मस्ती के साथ अब सब तरफ  छाने लगा है। ऐसे में घर में मेहमानों की रौनक न हो ऐसा कैसे हो सकता है। गले मिलकर दावत के लिए निमंत्रण देना इस मौके पर ही होता है। ऐसे में आपका घर एंटीक से सजा हो तो फिर बात ही निराली है। जी हां यही मौका है कुछ अलग कर दिखाने का। इसीलिए पेश हैं आपके लिए कुछ आइडिया। 
एडवांस लाइफस्टाइल में स्लीक और कॉम्पेक्ट फर्नीचर की बजाय एंटीक लुक का फर्नीचर बाजार में अपनी जगह बना चुका है। आप भी कुछ डिजाइनर और नक्काशीदार वस्तुओं से ड्रॉइंगरूम सजा-संवार सकते हैं। एंटीक थीम पर सजावट के लिए सबसे अच्छा यह रहेगा कि कोई कलर थीम चुन लें और फिर उसी के अनुसार डेकोरेशन करें।
मसलन, अगर आप वुडन थीम के आधार पर अपना ड्राइंग रूम सजाना चाहते हैं, तो ड्राइंगरूम के पर्दे, सोफे के कवर, कुशन कवर, आर्टिफिकेट्स, वॉल कलर, हैंगिंग लैंप, फोटो फ्रेम आदि इस तरह लगाएंए जो अगर वुडन कलर के न भी हों, तो इससे मैचिंग जरूर रखते हों।
घर में मेहमान आएं, तो ऐसे में मेहमानों के सामने ट्रेंडी और राजसी लुक दिखाने के लिए नक्काशीदार चीजें काफी चलती हैं। नक्काशीदार सेंटर टेबल, कुर्सियां, सोफे और मिरर बाजार में काफी आसानी से मिल जाएंगे। इनके डिजाइन भी काफी मिल जाएंगे। आप अपने ड्राइंगरूम के साइज और कलर कॉम्बिनेशन के मुताबिक फर्नीचर का चयन कर सकते हैं।
उसे आप अपने घर में उकेर सकते हैं। मसलन, राजस्थान का कलरफुल अंदाज हो, गुजरात की नक्काशी या फिर उड़ीसा का चिकन डिजाइन, सब कुछ आप पसंद के मुताबिक कर सकते हैं। अगर आप राज्य के आधार पर डेकोरेटिव थीम चाहते हैं, यही नहीं, आपने आजकल देखा होगा कि ड्राइंगरूम की मेज टॉप मिरर की बनी होती है। ऐसे में आप मिरर से झांकता हुआ अपना कोई भी ट्रेडिशनल आर्टिफिकेट मेज पर रख सकते हैं। इसके बाद आपको मेज पर किसी भी प्रकार के टेबल क्लॉथ बिछाने की जरूरत नहीं रहेगी, क्योंकि हर आने वाला व्यक्ति इस एंटीक अंदाज पर फिदा हो जाएगा।
इसके अलावा, ड्राइंगरूम के कोनों में भी एंटीक आइटम्स को सजा सकते हैं। इसके लिए बाजार में नक्काशीदार कॉर्नर से लेकर, हाथी, घोड़े, वॉर वैरियर और टेलिफोन स्टैंड तक बाजार में आसानी से मिल जाते हैं। घर में एंटीक टेलिफोन से भी राजसी लुक दे सकते हैं। ये आज भी मार्केट में उपलब्ध हैं।
इंटीरियर डिजाइनर कहते हैं, अब तो पुराने नक्काशीदार बर्तन भी आसानी से मिल जाते हैं। आप इन बर्तनों से मेहमानों को खाने-पीने का सामान सर्व कर सकते हैं। वैसे, लुक के हिसाब से आप इसे लॉबी में सजावटी सामान के तौर पर भी रख सकते हैं।
इसके अलावा घर की पुरानी बेकार डिजाइनदार चादरों की कटिंग करके आप उन्हें फ्रेम करा सकते हैं। इससे आपकी दीवारों को एंटीक टच मिलेगा। इसी तरह अपने पूर्वजों की फोटो को फ्रेम करवाकर लगवा सकते हैं। ड्राइंगरूम के डेकोरेटिव लुक में पुरानी तस्वीरों से डिफरेंट गेटअप भी मिल सकेगा।

मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

होम ऑफिस इंटीरियर



डॉ. अनुजा भट्ट
  जब घर पर ऑफिस बनाने की बात आती है तो सबसे पहले हम घर में एक ऐसी जगह की तलाश करते हैं जहां एकांत हो और आराम से बैठकर काम किया जा सके। पर इतना ही काफी नहीं है। हमको होम आफिस के इंटीरियर पर भी ध्यान देना होगा ताकि वह देखने में भी सुंदर लगे। और हमको ऑफिस का जैसा अहसास  हो।
इस कमरे में  पर्दे की जगह पर हम वुडन ब्लाइंड्स लगा  सकते है। अगर रोशनी कम लगे तो इसको खींचकर ऊपर किया जा सकता है। आमतौर पर यह आफिस में  प्रयोग में लाई जाती है। इसके अलावा कुछ  इनडोर प्लांट्स भी लगाएं।  ताकि हरियाली  भी दिखाई दे।
 दीवारों पर  पेटिंग लगाएं। जिस कमरे में आफिस हो  वहां  बैठने की भी व्यवस्था हो और साथ ही एक काफी टेबल हो जिस पर फूलदान रखा हो । इसमें नियमित ताजे फूल लगाए जाएं।  ताजे फूल रचनात्मकता का प्रतीक होते है। हर दिन नया रचने का संदेश  भी देते है सबसे बड़ी बात मन को सुकून देते है। यह ऑफिस ऐसा हो जिसमें आप अपने क्लाइंट से मुलाकात भी कर सकें। खूबसूरत फर्नीचर, मजबूत और आरामदेह कुर्सियां, कंप्यूटर टेबल, प्रिंटर, फैक्स, फोन रखने की जगह सुविधाजनक हो। ताकि काम करने के दौरान तकलीफ न हो। याद रखिए यहां सारी व्यवस्था आपको करनी है  क्योंकि आफिस भी तो आपका है।
 आजकल बाजार में मीडिया हाउस भी ऐसी क्राकरी, स्टेशनरी  बनवा रहे है जिसमें  आफिस का टच रहता है। विश्व पुस्तक मेले में एनबीटी ने  ऐसे मग  प्रदर्शनी के लिए रखे है जिसमें आई लव बुक्स जैसे स्लोगन लिखे हैं। इसी तरह पढ़ाई-लिखाई और किताब पढऩे के लिए प्रेरित करने वाली  टी-शर्ट भी पेश की गई हैं। हमारे रोजमर्रा की जरूरतों के साथ यदि पढ़ाई लिखाई की जरूरत को भी अहं मान लिया जाए और उसका प्रचार किया जाए तो इसका असर पड़ेगा। जो चीज निगाह में सबसे पहले आती है बार- बार आती है हम उसके प्रति प्रेरित होते हैं  विज्ञापन का यही असर है। और यदि ऐसे मग,  पेंसिल, रबड़, कॉपी  आपके ऑफिस में हों तो फिर रचनात्मक असर तो होगा ही। आपकी टेबल के सामने भी रचनात्मक स्लोगन होने चाहिए । यह स्लोगन आपको इंटरनेट से मिल सकते है या खुद आप अपने लिए स्लोगन लिख भी सकते हैं। ये स्लोगन आपके टारगेट को पूरा करने  में आपकी मदद करेंगे।  कारपेट, रग,  घड़ी  इनको खरीदते समय भी रचनात्मकता  का ध्यान दें।  घड़ी आपकी टेबल के सामने होनी चाहिए।  मोबाइल स्टेंड चार्जर भी जरूरी है ताकि घंटी बजने पर इसे खोजने में  समय न लगे।

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

लकी बैम्बू से घर में आएगी बहार

  लकी बैम्बू का पौधा फेंगशुई में एक खास पौधे के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि यह घर में सुख समृद्धि लाता है इसीलिए इसका नाम लकी प्लांट भी है। कहते हैं, इसे घर में रखने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इसके अलावा आपके घर को सजाने और ताज़गी भरा अहसास बरकरार रखने में भी ये अहम हो सकता है। ज़्यादा दिनों तक इस पौधे को हरा-भरा बनाए रखने के लिए इसकी सही देखभाल ज़रूरी होगी, जैसे-
बाजार में मिलने वाले बैम्बू के पौधे एक विशेष तरह की जैली में रखे होते हैं, जो इनकी तली को अधिक देर तक नम बनाए रखने में मददगार होती है। लेकिन बहुत ज्यादा दिनों तक यदि पौधे को एक ही जैली में रखा जाए, तो यह सड़ जाते हैं। इसलिए घर लाने के बाद पौधे को जैली से अलग करें, फिर जड़ों को अच्छी तरह धोने के बाद बैम्बू को पानी से भरे बोल में डाल दें।


प्रकाश और पानी की उचित मात्रा पौधे को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है। कम से कम आठ घंटे मद्धम रोशनी  इसके लिए ज़रूरी है। इसके अलावा यदि बैम्बू छोटा है, तो एक इंच तक पानी काफी होगा। वहीं पौधे के बड़ा होने पर 3-4 इंच तक पानी डालें।
पौधे को हरा-भरा रखने के लिए साधारण के बजाय फिल्टर पानी का इस्तेमाल करें। साधारण पानी में मौजूद सॉल्ट (लवण) इसकी जड़ों में जम जाता है और धीरे-धीरे पौधे को नुकसान पहुंचाने लगता है।
हफ्ते में कम से कम दो बार ध्यान से बैम्बू के पौधे का पानी बदलते रहें। कभी भी बैम्बू ट्री को ऊपर या नीचे से न काटें। इससे भी बैम्बू पीला पड़ जाता है।
तो देर मत कीजिए, बैम्बू स्टिक से अपना घर सजाइएँ और फेंगशुई से होने वाले फायदों का लाभ उठाइएँ। आजकल अधिकांश लोग अपने कमरों में फूल के पौधे या किसी और सजावटी पेड़ों को लगाने के बजाए बैम्बू स्टिक को लगाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। यह तीन तरह के साइज में मिल रहा है। छोटे वाले बैम्बू स्टिक पॉट की कीमत 50 रुपए, मीडियम साइज वाला 70से 150 रुपए और बड़े 500 से 700 रुपए में मिलता है।

वागीशा कंटेंट प्रोवाइडर कंपनी, नोएडा, उत्तरप्रदेश।

रविवार, 19 फ़रवरी 2012

आभार


प्रिय मित्रों,
 आप सभी का आभार। आज वागीशा ने अपने पाठकों की संख्या 10,000  पार कर ली। यह सब आप सभी के सहयोग के बिना संभव नहीं था।   मात्र 3 माह में  यह आंकड़ा दर्शाता है कि आप वागीशा के प्रति कितने संजीदा है। वागीशा के हर कदम में आपने सहयोग किया। फिर चाहे वह समाज सरोकार का बात हो, लालनपालन की बात हो, साजसज्जा की बात हो, बाल साहित्य हो या खानपान की दुनिया हो या फिर  कुछ और।  हम बहुत जल्दी ही इसका विस्तार एक वेब मेग्जीन के रूप में करने जा रहे हैं जिसका नाम है अपराजिता।
 एक बार फिर से आप सभी का आभार
 आपकी अनुजा

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

खास है दिन आज का पर भूलें नहीं ये चंद बात



 आज का दिन खास है । इस दिन अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए लोग एकदूसरे को उपहार देते है। आप सबने यह तैयारियां जोर शोर से की होगीं। बाजार में वैसे भी इस समय कई तरह के गिफ्ट आइटम है। ऐसे में यह सोचना जरूरी है कि जिसे हम उपहार दे रहे हैं उसकी क्या रुचियां हैं। इसीलिए किसी को उपहार देते समय उसकी आयु, रुचि और पसंद-नापसंद आदि का विशेष रूप से खयाल रखना चाहिए।
 जिनके साथ अनौपचारिक संबंध हों उन्हें उपहार देते समय उनकी जरूरत का भी ध्यान रखें, लेकिन जिनके साथ औपचारिक संबंध हों उनके लिए उपहारों का चुनाव करते समय विशेष रूप से सजगता बरतें। ऐसे लोगों को ड्रेस या रोजमर्रा की जरूरत की दूसरी चीजें देने के बजाय बुके, पेन, शो पीसेज आदि देना ज्यादा अच्छा रहता है।
 जरूरी नहीं कि आप हमेशा महंगे उपहार ही दें। आप अपनी सुरुचि और कलात्मक सूझबूझ का परिचय देते हुए कम कीमत में भी उपहार देने के लिए सुंदर वस्तुएं खरीद सकती हैं। इस लिहाज से हस्तशिल्प से बनी वस्तुएं बहुत अच्छी साबित होती हैं।
 उपहार चाहे मामूली ही क्यों न हो, पर उसे हमेशा आकर्षक ढंग से पैक करना चाहिए। इससे लेने और देने वाले दोनों व्यक्तियों को खुशी मिलती है।
 यह जरूरी नहीं है कि उपहार के रूप में हमेशा बाजार से कोई सामान ही खरीदकर दिया जाए। अगर आपकी कोई सहेली पढने की शौकीन है तो उसकी रुचि से संबंधित पत्रिका का सब्सक्रिप्शन उसे उपहार स्वरूप दें। अगर आपकी भाभी अपने सौंदर्य के प्रति सचेत हैं तो उन्हें किसी अच्छे ब्यूटी पॉर्लर का पैकेज गिफ्ट वाउचर दे सकती हैं। इसी तरह बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए किसी बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम का उपहार और धार्मिक प्रवृत्ति वाले बुजुर्गो के लिए किसी तीर्थस्थल की यात्रा के पैकेज टूर का टिकट बहुत अच्छा उपहार साबित होगा।
 अंत में, सबसे जरूरी बात यह है कि उपहार से प्राइस टैग हटाना न भूलें और उपहार देने के बाद लेने वाले व्यक्ति से बार-बार अपने उपहार का जिक्र न करें। इससे वह असहज महसूस कर कर सकता है।
उपहार लेते समय
 उपहार की कीमत से कहीं ज्यादा देने वाले व्यक्ति की भावनाओं की अहमियत होती है। भले ही उपहार आपको पसंद न आए, फिर भी देने वाले की भावनाओं का सम्मान करते हुए गिफ्ट लेते समय देने वाले को धन्यवाद देना न भूलें।  अगर कोई व्यक्ति कुरियर या पार्सल के माध्यम से आपके लिए उपहार भेजे तो फोन से उसे धन्यवाद सहित प्राप्ति की सूचना देना न भूलें।  अपने करीबी लोगों द्वारा दिए गए उपहार का इस्तेमाल करने के बाद उन्हें यह जरूर बताएं कि आपने उनके उपहार का इस्तेमाल कर लिया है। इससे देने वाले को बहुत खुशी मिलेगी। अगर कोई आपको उपहार दे तो उसके सामने ही पैकिंग न खोलें। अगर कभी ऐसा करना ही हो तो पहले देने वाले की इजाजत जरूर लें। जब कोई उपहार दे तो उससे, इसकी क्या जरूरत थी, यह सामान तो पहले से मेरे पास था, यह तो बहुत महंगा होगा जैसे जुमले कहने के बजाय उसके सामने अपनी खुशी का इजहार करें। इससे उपहार देने वाले व्यक्ति को भी अच्छा लगेगा।
 वागीशा कंटेंट प्रोवाइडर कंपनी, नोएडा।

सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

सजे घर, कहे मन की बात


खास मेहमान का खास स्वागत आज से लेकर 14 तारीख तक हर दिन खास है। आज गुलाब की पंखुरी में फैला प्यार का रंग है तो कल अपने मन के राज खोल देने का दिन। फिर चॉकलेट को शेयर करने का खास दिन  है तो फिर अपने टेडी के लिए एक अनोखा दिन । 11  को एक दूसर से वादा लेने और करने का दिन और फिर 12 को है गले मिलने का दिन इसके ठीक दूसरे दिन एक चुंबन का। देखिए दिन बीते और आ पहुंचा वैलेंटाइन डे।
 शाम के खाने पर खास मेहमान आ रहे हैं और आप चाहती हैं कि टेबल सज्जा कुछ अलग प्रकार की हो। विशेष रुप से  जो उनको पसंद आए और कुछ रोमांटिक हो तो अपनाइए कुछ खास टिप्स 
* अपनी लंबी आयताकार टेबल पर लंबा टेबल क्लॉथ बिछाएँ। इस पर तीन सिल्वर रनर लगाएँ। इस टेबल पर सिल्वर कटलरी अच्छी लगेगी जिस पर सुनहरे रंग की किनोर हो। नेपकिन पर सुनहरे रंग का नेपकिन रिंग लगाएँ।
* इस टेबल की मुख्य सजावट फूलों से की जाएगी जो टेबल पर इस कोने से उस कोने तक सजाएँगे। सफेद शेवंती, आर्किड, जरबेरा, फर्न तथा कुछ बेलों की टहनियों को इस तरह लगाएँ जिससे फुलवारी का सा अहसास हो।
* पूरे टेबल को खास रोमांटिक अंदाज देने के लिए इस पर बड़ी-बड़ी सुनहरी मोमबत्तियाँ लगाएँ और पूरे टेबल पर गेंद के आकार की सुनहरी छोटी-छोटी मोमबत्तियाँ लगाएँ।
चीन में चाय छोटे-छोटे काले रंग के प्यालों में परोसी जाती है। एक बड़ी डिश में स्नैक रखे जाते हैं इस डिश में छेद होते हैं इसे भाप वाले बर्तन के ऊपर रखा जाता है। साथ में लकड़ी तथा हाथी दाँत की चॉपस्टिक भी रखी जाती हैं।
* चाय की टेबल बहुत छोटी होती है लेकिन इस पर सब कुछ सुविधाजनक रूप से रखा जा सकता है। चायना सिल्क का टेबल क्लॉथ बिछाएँ। टेबल के आसपास बेंबू प्लांट रखेंगी तो चाय का मजा दुगुना हो जाएगा।
सबसे पहले तो टेबल को फूलों से सजीव बनाते हैं। मैरून तथा पीले रंगों के गुलाबों से पोर्सिलीन के प्याले सजाएँ। नेपकिन होल्डर सिल्वर प्लेटेड होने चाहिए। नेपकिन बीज रंग के ओरगेंजा होने चाहिए।
* यदि  डिनर की व्यवस्था कर रहीं हैं तो आप को रंगों का खूबसूरती से चयन करना चाहिए जो क्राकरी तथा मोमबत्तियों के माध्यम से प्रकट होगा। पूरा लुक रंगबिरंगा होना चाहिए तथा टेबल मैट हैंड पेंटेड होना चाहिए। इससे वातावरण में अपनेपन और सहजता का अहसास होगा।
* टेबल को दीयों और मोमबत्तियों से सजाएँ। काँच के प्यालों में तैरते फूलों की सुगंध के बीच भोजन करने का आनंद आपके अतिथियों को भावविभोर कर देगा
टेबल सेटिंग-आप डायनिंग टेबल को दो तरह से सेट कर सकती हैं। एक वेस्टर्न स्टाइल दूसरा इंडियन।
वेस्टर्न स्टाइल टेबल क्लॉथ-अगर टेबल का टॉप ग्लास या मार्बल का है, तो ढकने की जरूरत नहीं है। टेबल क्लॉथ का इस्तेमाल करना चाहती हैं तो व्हाइट या पेस्टल कलर्स का ही चयन करें। ऎसा बैकग्राउंड भोजन को एलिगेंट और सिम्पल लुक देता है।
टेबल मैट्स-टेबल क्लॉथ या मैट्स में से किसी एक का ही इस्तेमाल करना ठीक रहता है। हालांकि आजकल दोनों का ही प्रयोग किया जा रहा है ताकि टेबल क्लॉथ अनचाहे दागों से बचा रहे। टेबल के किनारे और कुर्सी के सामने मैट्स को रखें। मैट्स में समान दूरी रखें।
डिनर प्लेट्स-प्लेट को मैट के ठीक बीच में रखें जिस व्यक्ति को खाना खाना है उसके बिल्कुल सामने। टेबल के किनारे से 2.5 से.मी. की दूरी पर। बाकी के बर्तन प्लेट के अनुसार ही रखें।
कटलरी-कटलरी को कैसे सजाना है यह आपकी पसंद और आपका भोजन किस तरह का है उस पर निर्भर करता है। चाकू और चम्मच प्लेट के राइट साइड में रखे जाते हैं और फोक लेफ्ट में। नाइफ का तेज किनारा अंदर की ओर घुमा कर रखा जाता है। कटलरी प्लेट से 1.5 से.मी. की दूरी पर होना चाहिए और वह भी सीधी लाइन मे। डेजर्ट कैसा है उसी के मुताबिक डेजर्ट कटलरी का चयन करें। इस प्लेट के ऊपरी हिस्से में सामने की ओर रखें।
गिलास-रंगीन गिलासों का प्रयोग न करें। नाइफ से ऊपर की ओर इसका मतलब पानी का गिलास लेफ्ट साइड में।
नेपकिन्स-नेपकिन्स को प्लेट की लेफ्ट साइड में रखें चाहें तो प्लेट के ऊपर या फिर गिलास के अंदर भी रख सकती हैं।
इंडियन स्टाइल-
प्लेट-हालांकि भारतीय भोजन में चपाती रसेदार सब्जी के साथ खाई जाती है इसलिए एक साइड प्लेट का होना जरूरी है। इसे डिनर प्लेट के लेफ्ट साइड में रखें। ध्यान रखें मैट पर डिनर प्लेट बीच में रहनी चाहिए। एक सीध में प्लेट्स होनी चाहिए। हाथ से खाने के कारण पानी के गिलास को प्लेट के लेफ्ट साइड में रखें।
बाउल-एक बड़ा बाउल जिसमें सब्जी होती है और छोटी कटोरियों में रायता डाला जाता है। इन्हें डिनर प्लेट के राइट साइड में रखा जाता है। भारतीय भोजन में केवल एक चम्मच, एक नाइफ और एक फोक का ही इस्तेमाल किया जाता है बजाय वेस्टर्न के। चाकू और चम्मच को प्लेट के राइट साइड में रखें और फोक को लेफ्ट पर। अगर सूप भी सर्व कर रही हैं, तो सूप बाउल को राइट साइड में रखें।
  वागीशा कॉन्टेंट प्रोवाइडर कंपनी

मंगलवार, 31 जनवरी 2012

सादगी में सुंदरता


नेहा दीवान 


 आपके घर में भी बेहद खूबसूरत तरीके से सादगी की झलक मिल सकती है। कम से कम साज-सज्जा करने से एक ओर जहां घर अस्तव्यस्त नजर नहीं आता, वहीं दूसरी ओर इसमें काफी जगह मिल जाती है। आप कुछ मूल बातों को ध्यान में रखकर अपना घर और सुंदर बना सकते हैं। यह समझना मुश्किल नहीं है कि बहुत से फायदों की वजह से न्यूनतम साज-सज्जा का चलन जोर पकड़ता जा रहा है। सबसे पहले यह आंखों को भाती है और घर को साफ सुथरा रखने में आसानी होती है। अगर आपके पास छोटी जगह है तो इस शैली को अपनाना आपके लिए अच्छा रहेगा क्योंकि इससे आपको अपने घर का अंदरुनी भाग काफी खुला मिलेगा। 
रविसांत होम/इंटीरियर्स की हेड डिजाइनर पदमिनी शर्मा का कहना है, ''न्यूनतम साज-सज्जा आपकी भावनाओं और जीवन में अनुशासन लाने के नजरिए को दर्शाती है। इसमें उपलब्ध स्थान का बेहतरीन डिजाइन बरकरार रखते हुए घर की कम से कम साज-सज्जा की जाती है। ऐसी साज-सज्जा के लिए उपयुक्त फर्नीचर और दीवारों पर मेटल फिनिश बेहतर रहती है।'' 
रविसांत ने इसके लिए अलग से अपना एक क्लेक्शन पेश किया है जिसमें आंखों को भाने वाले रंगों के पर्दे और कम जगह घेरने वाले फर्नीचर के साथ अन्य एसेस्री भी शामिल हैं। दिल्ली के लग्जरी इंटीरियर सॉल्यूशन ब्रांड ला सोरोगीका के पास भी न्यूनतम साज-सज्जा के लिए समाधान मौजूद हैं। तीन हजार रुपये स्क्वेयर फीट से शुरु होने वाली रेंज भूमध्य सागर के आसपास बसे तटीय देशों और सागर की ठंडी हवा की ताजगी से प्रेरित है। इसमें उपयुक्त डिजाइन के साथ ही शीशा, लकड़ी, स्टील जैसे मैटीरियल का बेहतरीन मिश्रण दिखता है। ला सोरोगीका की डायरेक्टर और सीईओ, अंजलि गोयल का मानना है कि न्यूनतम साज-सज्जा में फिनिश्ड प्रोडक्ट पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। 
यह जरूरी है कि आप अपने घर में भारी भरकम फर्नीचर का इस्तेमाल न करें। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आपके घर का इंटीरियर फीका नजर आए। इसमें आप रंगों के बेहतर इस्तेमाल और थोड़ी सी साज-सज्जा के साथ खूबसूरती में चार चांद लगा सकते हैं। इंटीरियर सॉल्यूशन ब्रांड कासा पैराडॉक्स के पास न्यूनतम साज-सज्जा को बेहतरीन दिखाने के लिए कुछ आकर्षक विकल्प उपलब्ध हैं। 
ब्रांड की सॉरबेट लाइन प्लम, कीवी, मैंड्रिन और चेरी जैसी चटकीले रंगों में मौजूद है। एसेस्री में बर्मा की फनीर्चर शैली की झलक मिलती है और इसकी रेंज 25,000 रुपये से शुरु होती है। फर्नीचर सॉल्यूशन ब्रांड ऊषा लेक्सस ने बर्कली के नाम वाली कम ऊंचाई वाले बेड की रेंज बाजार में उतारी है जिसकी कीमत 20,000 रुपये से शुरु है। यह ओक, रोजवुड, टीक, वॉलनट और वेंज के पांच शेड विकल्पों में उपलब्ध है। इस बेड में सामान रखने के लिए जगह नहीं है जिस वजह से इनका वजन भी काफी हल्का है। 
घर की न्यूनतम साज-सज्जा आपके घर को सादगी के साथ ही आंखों को भाने वाले सुंदरता भी देती है। तो क्या आप भी तैयार हैं न्यूनतम साज-सज्जा के साथ अपने घर को सुंदर बनाने के लिए।

सोमवार, 30 जनवरी 2012

आभार



 मित्रों आपने मेरा ब्लाग वागीशा पढ़ा और इसे सराहा इसके लिए मैं आप सबको धन्यवाद देना चाहती हूं। एक माह में  2000 से ज्यादा लोगों का इसे पढऩा एक सुखद अनुभूति का अहसास करा रहा है।  मैं चाहती हूं कि आप अपनी  टिप्पणी  भी प्रेषित करें। माह में सर्वश्रेष्ठ टिप्पणी  को पुरस्कृत किया जाएगा। आप क्या पढऩा चाहते हैं इस पर भी अपनी राय दें। हम बहुत जल्दी ही वागीशा का विस्तार एक वेब मैग्जीन के रूप में करने जा रहे हैं। जहां आपको देने के लिए मेरे पास ज्यादा स्पेस रहेगा।
 सादर स्नेह- अनुजा

मंगलवार, 24 जनवरी 2012

हर रंग कुछ कहता है


इंद्रधनुषी रंगों से सजी दीवारें हमारे घर की खूबसूरती को बढ़ाने के साथ-साथ हमारे दिल को भी सुकून देती हैं। हर रंग का हमारी सोच पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कुछ रंग हम पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं तो कुछ नकारात्मक।
दिशा आधारित शाखाओं में उत्तर दिशा हेतु जल तत्व का प्रतिनिधित्व करने वाले रंग नीले और काले माने गए हैं। दक्षिण दिशा हेतु अग्नि तत्व का प्रतिनिधि काष्ठ तत्व है जिसका रंग हरा और बैंगनी है। प्रवेश आधारित शाखा में प्रवेश सदा उत्तर से ही माना जाता है, भले ही वास्तविक प्रवेश कहीं से भी हो। इसलिए लोग दुविधा में पड़ जाते हैं कि रंगों का चयन वास्तु के आधार पर करें या वास्तु और फेंगशुई के अनुसार। यदि फेंगशुई का पालन करना हो, तो दुविधा पैदा होती है कि रंग का दिशा के अनुसार चयन करें या प्रवेश द्वार के आधार पर। दुविधा से बचने के लिए वास्तु और रंग-चिकित्सा की विधि के आधार पर रंगों का चयन करना चाहिए। वास्तु और फेंगशुई दोनों में ही रंगों का महत्व है। शुभ रंग भाग्योदय कारक होते हैं और अशुभ रंग भाग्य में कमी करते हैं। विभिन्न रंगों को वास्तु के विभिन्न तत्वों का प्रतीक माना जाता है। नीला रंग जल का, भूरा पृथ्वी का और लाल अग्नि का प्रतीक है। वास्तु और फेंगशुई में भी रंगों को पांच तत्वों जल, अग्नि, धातु, पृथ्वी और काष्ठ से जोड़ा गया है। इन पांचों तत्वों को अलग-अलग शाखाओं के रूप में जाना जाता है। इन शाखाओं को मुख्यतः दो प्रकारों में में बाँटा जाता है, ‘दिशा आधारित शाखाएंऔर प्रवेश आधारित शाखाएं
सामान्यतः सफेद रंग सुख समृद्धि तथा शांति का प्रतीक है यह मानसिक शांन्ति प्रदान करता है। लाल रंग उत्तेजना तथा शक्ति का प्रतीक होता है। यदि पति-पत्नि में परस्पर झगड़ा होता हो तथा झगडे की पहल पति की ओर से होती हो तब पति-पत्नि अपने शयनकक्ष में लाल, नारंगी, ताम्रवर्ण का अधिपत्य रखें इससे दोनों में सुलह तथा प्रेम रहेगा। काला, ग्रे, बादली, कोकाकोला, गहरा हरा आदि रंग नकारात्मक प्रभाव छोडते हैं। अतः भवन में दिवारों पर इनका प्रयोग यथा संभव कम करना चाहिये। गुलाबी रंग स्त्री सूचक होता है। अतः रसोईघर में, ड्राईंग रूम में, डायनिंग रूम तथा मेकअप रूम में गुलाबी रंग का अधिक प्रयोग करना चाहिये। शयन कक्ष में नीला रंग करवायें या नीले रंग का बल्व लगवायें नीला रंग अधिक शांतिमय निद्रा प्रदान करता है। विशेष कर अनिद्रा के रोगी के लिये तो यह वरदान स्वरूप है। अध्ययन कक्ष में सदा हरा या तोतिया रंग का उपयोग करें।
रंग चिकित्सा पद्दति का उपयोग किसी कक्ष के विशेष उद्देश्य और कक्ष की दिशा पर निर्भर करती है। रंग चिकित्सा पद्दति का आधार सूर्य के प्रकाश के सात रंग हैं। इन रंगों में बहुत सी बीमारियों को दूर करने की शक्ति होती है। इस दृष्टिकोण से उत्तर पूर्वी कक्ष, जिसे घर का सबसे पवित्र कक्ष माना जाता है, में सफेद या बैंगनी रंग का प्रयोग करना चाहिए। इसमें अन्य गाढे़ रंगों का प्रयोग कतई नहीं करना चाहिए। दक्षिण-पूर्वी कक्ष में पीले या नारंगी रंग का प्रयोग करना चाहिए, जबकि दक्षिण-पश्चिम कक्ष में भूरे, ऑफ व्हाइट या भूरा या पीला मिश्रित रंग प्रयोग करना चाहिए। यदि बिस्तर दक्षिण-पूर्वी दिशा में हो, तो कमरे में हरे रंग का प्रयोग करना चाहिए। उत्तर पश्चिम कक्ष के लिए सफेद रंग को छोड़कर कोई भी रंग चुन सकते हैं। सभी रंगों के अपने सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव हैं।
इसी प्रकार वास्तु या भवन में उत्तर का भाग जल तत्व का माना जाता है। इसे धन यानी लक्ष्मी का स्थान भी कहा जाता है। अतः इस स्थान को अत्यंत पवित्र स्वच्छ रखना चाहिए और इसकी साज-सज्जा में हरे रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। कहा जाता हे कि रंग नेत्रों के माध्यम से हमारे मानस में प्रविष्ट होते हैं एवं हमारे स्वास्थ्य, चिंतन, आचार-विचार आदि पर इनका गहरा प्रभाव पड़ता है। अतः उचित रंगों का प्रयोग कर हम वांछित लाभ पा सकते हैं।
लाल रंग शक्ति, प्रसन्नता प्रफुल्लता और प्यार का प्रोत्साहित करने वाला रंग है। नारंगी रंग रचनात्मकता और आत्मसम्मान को बढ़ाता है। पीले रंग का संबंध आध्यात्मिकता और करूणा से है। हरा रंग शीतलदायक है। नीला रंग शामक और पीड़ाहारी होता है। इंडिगो आरोग्यदायक तथा काला शक्ति और काम भावना का प्रतीक है।
जहाँ सफेद रंग हमें शांति का अहसास देता है तो वहीं हरा रंग खुशहाली का। दीवारों पर रंगों के बदलने के साथ ही हमारा जीवन किस तरह से प्रभावित होता है। रंग केवल वास्तु के लिहाज से श्रेष्ठ होते हैं, बल्कि हमारे जीवन की दशा दिशा भी निर्धरित करने में सहयोग प्रदान करते हैं। अगर रंगों का चयन वास्तु के अनुरूप हो, तो तरक्की के सारे रास्ते खुल जाते हैं। आइये, इस पर एक नजर डालते हैं कि अलग-अलग रंग हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भी भवन में गृहस्वामी का शयनकक्ष तथा तमाम कारखानों, कार्यालयों या अन्य भवनों में दक्षिणी-पश्चिम भाग में जी भी कक्ष हो, वहां की दीवारों फर्नीचर आदि का रंग हल्का गुलाबों अथवा नींबू जैसा पीला हो, तो श्रेयस्कर रहता है। गुलाबी रंग को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह आपसी सामंजस्य तथा सौहार्द में वृद्धि करता है। इस रंग के क्षेत्र में वास करने वाले जातकों की मनोभावनाओं पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। यही वजह है कि होली जैसे, पवित्र त्यौहार पर गुलाबी रंग का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। इस भाग में गहरे लाल तथा गहरे हरे रंगों का प्रयोग करने से जातक की मनोवृत्तियों पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
इसी प्रकार उत्तर-पश्चिम के भवन में हल्के स्लेटी रंग का प्रयोग करना उचित रहता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह भाग घर की अविवाहित कन्याओं के रहने या अतिथियों के ठहरने हेतु उचित माना जाता हैं।
इस स्थान का प्रयोग मनोरंजन कक्ष, के रूप में भी किया जा सकता है। किसी कार्यालय के उत्तर-पश्चिम भाग में भी स्लेटी रंग का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इस स्थान का उपयोग कर्मचारियों के मनोरंजन कक्ष के रूप में किया जा सकता है। वास्तु या भवन के दक्षिण में बना हुआ कक्ष छोटे बच्चों के लिए उपयुक्त माना जाता है। चूंकि चंचलता बच्चों का स्वभाव है, इसलिए इस भाग में नारंगी रंग का प्रयोग करना उचित माना जाता है। इस रंग के प्रयोग से बच्चों के मन में स्फूर्ति एवं उत्साह का संचार होता है। इसके ठीक विपरीत इस भाग में यदि हल्के रंगों का प्रयोग किया जाता है, तो बच्चों में सुस्ती एवं आलस्य की वृद्धि होती है। वास्तु या भवन में पूरब की ओर बने हुए कक्ष का उपयोग यदि अध्ययन कक्ष के रूप में किया जाए, तो उत्तम परिणाम पाया जा सकता है।
वास्तु या भवन में पूरब की ओर बने हुए कक्ष का उपयोग यदि अध्ययन कक्ष के रूप में किया जाए, तो उत्तम परिणाम पाया जा सकता है।
इस कक्ष में सफेद रंग का प्रयोग किया जाना अच्छा रहता है, क्योंकि सफेद रंग सादगी एवं शांति का प्रतीक होता है। इसे सभी रंगों का मूल माना जाता हैं। चूंकि दृढ़ता, सादगी तथा लक्ष्य के प्रति सचेत एवं मननशील रहना विद्यार्थी के लिए आवश्यक होता है, अतः सफेद रंग के प्रयोग से उसमें इन गुणों की वृद्धि होती है। इस स्थान पर चटक रंगों का प्रयोग करने से विद्यार्थी का मन चंचल होगा और उसका मन पढ़ने में नहीं लगेगा।
वास्तु या भवन में पश्चिम दिशा के कक्ष का उपयोग गृहस्वामी को अपने अधीनस्थों या संतान के रहने के लिए करना चाहिए और इसकी साज-सज्जा में नीले रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। ऐसा करने से वहां रहने वाले आज्ञाकारी और आदर देने वाले बने रहेंगे तथा उनके मन में गृहस्वामी के प्रति अच्छी भावना बनी रहेगी।
वैसे भी नीला रंग नीलाकाश की विशालता, त्याग तथा अनंतता का प्रतीक है, इसलिए वहां रहने वाले के मन में संकुचित या ओछे भाव नहीं उत्पन्न होंगे। इसी प्रकार किसी वास्तु या भवन के उत्तर-पूर्वी भाग को हरे एवं नीले रंग के मिश्रण से रंगना अच्छा रहता है। चंूकि यह स्थान जल तत्व का माना जाता है, इसलिए इसका उपयोग पूजा-अर्चना, ध्यान आदि के लिए किया जाना उचित है। इस स्थान पर साधना करने से आध्यात्मिकता में वृद्धि होती है तथा सात्विक प्रवृत्तियों का विकास होता है। इस स्थान पर चटख रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। वास्तु या भवन में दक्षिण-पश्चिम का भाग अग्रि तत्व का माना जाता है। इसलिए इस स्थान का प्रयोग रसोई के रूप में किया जाना श्रेष्ठ होता है। इस स्थान की साज-सज्जा में पीले रंग का प्रयोग उचित होता है।
यह जानने के लिए अपने आशियाने की दीवारों को रंगवाने से पहले उन रंगों के हम पर पड़ने वाले प्रभावों पर एक नजर-
ला रंग:- यह रंग हमें गर्माहट का अहसास देता है। इस रंग से कमरे का आकार पहले से थोड़ा बड़ा लगता है तथा कमरे में रोशनी की भी जरूरत कम पड़ती है। अत: जिस कमरे में सूर्य की रोशनी कम आती हो, वहाँ दीवारों पर हमें पीले रंग का प्रयोग करना चाहिए। पीला रंग सुकून रोशनी देने वाला रंग होता है। घर के ड्राइंग रूम, ऑफिस आदि की दीवारों पर यदि आप पीला रंग करवाते हैं तो वास्तु के अनुसार यह शुभ होता है।
गुलाबी रंग:- यह रंग हमें सुकून देता है तथा परिवारजनों में आत्मीयता बढ़ाता है। बेडरूम के लिए यह रंग बहुत ही अच्छा है।
नीला रंग:- यह रंग शांति और सुकून का परिचायक है। यह रंग घर में आरामदायक माहौल पैदा करता है। यह रंग डिप्रेशन को दूर करने में भी मदद करता है।
 जामुनी रंग:- यह रंग धर्म और अध्यात्म का प्रतीक है। इसका हल्का शेड मन में ताजगी और अद्भुत अहसास जगाता है। बेहतर होगा यदि हम इसके हल्के शेड का ही दीवारों पर प्रयोग करें।
 नारंगी रंग:- यह रंग लाल और पीले रंग के समन्वय से बनता है। यह रंग हमारे मन में भावनाओं और ऊर्जा का संचार करता है। इस रंग के प्रभाव से जगह थोड़ी सँकरी लगती है परंतु यह रंग हमारे घर को एक पांरपरिक लुक देता है।
अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए आपको अपने कमरे की उत्तरी दीवार पर हरा रंग करना चाहिए।
—– आसमानी रंग जल तत्व को इंगित करता है। घर की उत्तरी दीवार को इस रंग से रंगवाना चाहिए।
—–. घर के खिड़की दरवाजे हमेशा गहरे रंगों से रंगवाएँ। बेहतर होगा कि आप इन्हें डार्क ब्राउन रंग से रंगवाएँ।
—-जहाँ तक संभव हो सके घर को रंगवाने हेतु हमेशा हल्के रंगों का प्रयोग करें।
 इसी प्रकार वास्तु या भवन में उत्तर का भाग जल तत्व का माना जाता है। इसे धन यानी लक्ष्मी का स्थान भी कहा जाता है। अतः इस स्थान को अत्यंत पवित्र स्वच्छ रखना चाहिए और इसकी साज-सज्जा में हरे रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। कहा जाता हे कि रंग नेत्रों के माध्यम से हमारे मानस में प्रविष्ट होते हैं एवं हमारे स्वास्थ्य, चिंतन, आचार-विचार आदि पर इनका गहरा प्रभाव पड़ता है। अतः उचित रंगों का प्रयोग कर हम वांछित लाभ पा सकते हैं।

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