सोमवार, 19 अक्टूबर 2020

कपड़ों के हैं रंग निराले, कुछ चमकीले कुछ है सादे

 डा. अनुजा भट्ट

 जब भी हम कपड़ा खरीदने का मन बनाएं तो उससे पहले उसके बारे में जानकारी ले लें। आनलाइन शापिंग में आपके लिए यह बहुत जरूरी है।  क्योंकि यहां आप कपड़े को छूकर नहीं देख सकते। आपके पास फोटो का आप्शन है।

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आज आपके लिए पेश कर रहा है फेब्रिक के बारे में जानकारियां...

आज हम फ्रेबिक के बारे में बात करेंगे।

बात की शुरूआत कॉटन से..

·            कॉटन( Cotton)

 जिसे हिंदी में सूती कहते हैं। यह कपास से बनाया जाता है। इस पौधें में रूई निकलती है जिससे सूत काता जाता है और इससे धागा बनता है । सूत से ही सूती शब्द बना है। यह हजारों सालों से उपयोग में लाया जा रहा है . सूती कपड़ा बहुत आरामदायक होता है .यह दुनिया भर में सबसे अधिक पसंद किये जाने वाला कपड़ा है . इसमें किसी केमिकल का उपयोग नहीं होता अतः स्किन को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाता है . एलर्जी या रेशेज होने की संभावना बहुत कम होती है .

कई प्रकार के कपड़े जैसे कैलिको , डेनिम , ड्रिल , टेरी टोवलिंग . कैम्ब्रिक , गेबरडीन , पापलीन , वेलवेट आदि कॉटन से बनाये जाते हैं . इसके अलावा कॉटन के साथ अन्य फेब्रिक को मिलकर कॉटन ब्लेंड फेब्रिक जैसे कॉटन लिनन , कॉटन ट्वील , कॉटन जर्सी , कॉटन साटिन आदि कपड़े बनाये जाते हैं .

·          पोलीकॉटन ( Policotton)

यह प्राकृतिक कॉटन तथा सिंथेटिक पोलिस्टर यार्न को मिलाकर बनाया जाता है . कपड़े के उपयोग किये जाने के अनुसार कॉटन और पोलिस्टर की मात्रा में भारी फेरबदल हो सकता है . पोली कॉटन कपड़ा पतला और वजन में हल्का होता है और बहुत मजबूत होता है . ये लम्बे समय तक ख़राब नही होता .इस कपड़े में सूती कपड़े का आराम और सिंथेटिक कपड़े की मजबूती दोनों का लाभ मिल जाता है . इसके कुछ उदहारण में लिमा कॉटन , पोपलिन , मुस्लिन , पनामा , कैनवास आदि शामिल हैं ये कपड़े मजबूत होने के साथ ही इनमे जल्दी सिलवट नहीं पड़ती , हवा लगती है , इस पर इस्त्री करना आसान होता है , यह सिकुड़ता नहीं है , कॉटन से सस्ता होता है , ज्यादा बार धोया जा सकता है .

·          लिनन – Linen

अलसी के पौधे से मिलने वाला रेशा Fiber लिनन कहलाता है . इस फाइबर से बने कपड़े बहुत आरामदायक और मजबूत होते हैं . लचीलापन कम होने के कारण तह लगाकर बार बार इस्त्री करने से इसके रेशे टूट सकते है . लिनन से पहनने के कपड़ों के अलावा , कई प्रकार के उत्पाद बनाये जाते हैं जैसे परदे , सोफा कवर , जैकेट , टेबल क्लॉथ , बिस्तर और उसके कवर , तौलिये आदि .  इसका उपयोग जैकेट की आंतरिक परत के लिए भी किया जाता है, इसलिए नाम "अस्तर" है।

 

·         रेशम , सिल्क – Silk

सिल्क दुनिया का सबसे ज्यादा चमकीला और सुन्दर प्राकृतिक रेशा है . यह रेशम के कीड़े द्वारा बनाया जाता है . रेशम के धागे से कपड़े बनाना आसन नहीं है इसमें बहुत मेहनत लगती है इसलिए सिल्क से बने कपड़े बहुत महंगे होते हैं .सिल्क से बने कपड़े बहुत मुलायम , चमकदार और शाही होते हैं. रेशन का प्राकृतिक धागा हाइपो एलेर्जेनिक होता है यानि इसे पहनने से एलर्जी नहीं होती .सिल्क से बने कई फेब्रिक जैसे शिफोन , जोर्जट , ओर्गेन्जा , टसर , क्रेप , साटिन आदि दुनिया भर में बहुत पसंद किये जाते हैं . सिल्क से कपड़े दिखने में मुलायम भले ही हों लेकिन मजबूती मे कम नहीं होते हैं .

 

·         क्रेप – Crep

क्रेप शब्द फ्रेंच भाषा में क्रीपर से बना है जिसका मतलब सिलवट वाला होता है . क्रेप कपड़ा की विशेषता यही होती है कि इसकी सतह खुरदरी होती है . छूने पर यह कपड़ा दानेदार महसूस होता है ।यह किसी भी फाइबर से बना हों सकता है  अगर सिल्क से बना हो तो इसे क्रेप सिल्क कहते हैं और यदि कॉटन से बना हो तो इसे कॉटन क्रेप कहते है . सिल्क से बना क्रेप चमकदार होता है . क्रेप प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों तरह के धागों से बनाया जा सकता है . पोलिस्टर क्रेप बहुत कॉमन है और बहुत किफायती भी है .सिंथेटिक क्रेप की देखभाल अपेक्षाकृत आसान होती है . इसमें जल्दी से सिलवटें नहीं पड़ती इसलिए पहनना आसान होता है वजन में यह हल्का होता है इससे बने कपडे बहुत पसंद किये जाते हैं . क्रेप कपड़े का उपयोग कपड़े बनाने के लिए किया जा सकता है, जैसे  सूट, ब्लाउज, पैंट, और बहुत कुछ। Crêpe घर की सजावट में  जैसे पर्दे और तकिए के कवर के लिए भी इसका उपयोग होता है ।

 

·         लाईक्रा – Licra

यह कपड़ा इलास्टेन नामक मेटेरिअल से बना होता है जो इन्सान द्वारा विकसित किया गया कृत्रिम फाइबर है . इलास्टेन को spandx के नाम से भी जाना जाता है . इससे स्पोर्ट्स वेयर , स्विम वेयर . अंडर गारमेंट्स आदि बनाये जाते हैं .

इसे कितनी भी बार खींचें यह लौटकर पुनः अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाता है . यह वजन में हल्का , मुलायम और चिकनी सतह वाला होता है . इसे किसी अन्य रेशे के साथ मिलाकर कपड़ा बनाया जा सकता है . यह धूप , पसीने या डीटरजेंट से ख़राब नहीं होता है

उपयोग के हिसाब से लाईक्रा की मात्रा कम या ज्यादा करके कपडे बनाये जाते हैं . बाजार में लाइक्रा के नाम से बिकने वाले फैशनेबल कपड़ों में लाइक्रा की मात्रा सिर्फ 2 – 3 % ही होती है . स्पोर्ट्स वेयर बनाने के लिए लाईक्रा की मात्रा 25 – 30 % तक रखी जाती है

·            पोलिस्टर – Polyester

पोलिस्टर एक मानव निर्मित सिंथेटिक फाइबर है जो कोयला और पेट्रोलियम जैसे पेट्रोकेमिकल से बनाया जाता है ।यह कपड़ा बहुत मजबूत और नर्म होता है . इसमें जल्दी सिलवटें नहीं पड़ती . इसे दूसरे रेशे के साथ बुना जा सकता है. इन कपड़ों में ना तो हवा लगती है और ना ही इनमे सोखने की ताकत होती है . ये कपड़े पहनने से असहज और चिपचिपा महसूस होता है . जिन लोगों की स्किन सेंसिटिव होती है उन्हें यह कपड़ा पहनने से एलर्जी हो सकती है . इसके अलावा यह कपड़ा तुरंत आग पकड़ लेता है . रसोई घर में ये कपड़े पहनना सुरक्षित नहीं होता है .

 

 

·          रेयोन या विस्कोस – Reyon Viscose

रेयान को ही विस्कोस भी कहते हैं . यह फेब्रिक सेल्युलोस फाइबर से बनता है जो लकड़ी में पाया जाता है . रेयान सस्ता , नर्म , हवा पास होने वाला , किसी दूसरे रेशे के साथ बुना जा सकने वाला , और आसानी से रंग चढ़ाये जा सकने वाला फेब्रिक है . इसे ड्राई क्लीन करवाना पड़ता है क्योकि धोने से यह ख़राब हो जाता है .

यह खिंच कर ढीला हो जाता है और वापस अपनी अवस्था में नहीं आता कपड़ा बहुत मजबूत नहीं होता और गीला होने से कमजोर हो जाता है . परदे या होम फर्निशिंग में काम नहीं आता . दाग धब्बे जल्दी लग जाते हैं .

दूसरे रेशे के साथ मिलाकर बनाया कपड़ा सस्ता पड़ने के कारण इसका  बहुत  उपयोग होता है .विस्कोस(Viscose) विस्कोस एक अर्ध-सिंथेटिक प्रकार का रेयान फैब्रिक है जो लकड़ी के गूदे से बना होता है, जो रेशम के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है। यह रेशम जैसा कपड़ा है और यह आकर्षक है इसका उपयोग कपड़ों की वस्तुओं जैसे कि ब्लाउज, कपड़े और जैकेट के लिए किया जाता है, और कालीन बनाने के लिए भी।

 

·          वेलवेट – Velvet

यह विशेष प्रकार की बुनाई से बनाया गया कपडा होता है जिसमे एक विशेष प्रकार का शाही लुक आता है . यह किसी विशेष रेशे से नहीं बनता बल्कि यह कपड़ा बनाने का एक तरीका है . अलग कपड़े के उपयोग किये जाने से इसे अलग नाम से पुकारा जाता है जैसे मार्बल वेलवेट , शिमर , प्लश , कॉटन वेलवेट , ब्रोकेड वेलवेट , क्रश्ड वेलवेट आदि

यह प्राकृतिक रेशे जैसे कॉटन , वूल , लिनन , रेशम तथा कृत्रिम रेशे जैसे रेयोन , पोलिस्टर आदि किसी से भी बनाया जा सकता है . यह सर्दी के मौसम में अच्छा रहता है क्योकि इसकी मोटाई अधिक होती है .पहनने के कपड़ों के अलावा वेलवेट से तकिया कवर , सोफा कवर , पर्दे आदि भी बनाये जाते हैं जो बहुत अच्छा look देते हैं . इसलिए दुनिया भर में बहुत पसंद किये जाते हैं . वेलवेट के गुण उसे बनाने में प्रयुक्त रेशे पर निर्भर होते है .

 

·          जोर्जट – Georgette

यह नायलॉन और पोलिस्टर को मिलाकर बनाया जाता है . महिलाओं को यह बहुत पसंद आता है क्योंकि यह हल्का , नर्म होता है और शानदार दीखता है . पहले इसे सिल्क से बनाया जाता था लेकिन अब सभी प्रकार के रेशे से बनाया जाता है . यह कम चमकीला होता है सामान्यतया चटक रंग में नहीं होता है , थोड़ा खिंच सकता है . यह यार्न में ट्विस्ट डालकर बनाया जाता है . यह एक प्रकार का क्रेप है ।

 

·          शिफोन – Chiffon

पहले शिफोन सिल्क से बनाया जाता था अब नायलोन तथा पॉलिस्टर से भी बनाया जाता है . पोलिस्टर शिफोन आने के बाद यह किफायती और मजबूत होने से बहुत लोकप्रिय हो गया है . यह कपडा पारदर्शक होता है . डेलिकेट होने के कारण इसे धोते वक्त ध्यान रखना पड़ता है . इसे ड्राई क्लीन करवाना अच्छा रहता है . यह नाजुक होने के कारण जल्दी उघड़ सकता है , यह जोर्जट से ज्यादा नर्म और चमकदार होता है .शिफॉन इतना फिसलता है कि सिलाई करना मुश्किल हो जाता है। कुछ टेलर कपड़ा सिलने के लिए कागज लगाते हैं ताकि सिलाई सही तरीके से हो सके . बाद में ध्यान से कागज निकाल दिया जाता है

 

·          कैनवस canvas

एक सादा-बुना कपड़ा है जो आमतौर पर भारी सूती धागे से बना होता है और कुछ हद तक, लिनन यार्न से। कैनवस कपड़े टिकाऊ, मजबूत होते हैं। सिंथेटिक फाइबर के साथ कपास सम्मिश्रण करके, कैनवास पानी प्रतिरोधी या यहां तक कि जलरोधी बन सकता है, जिससे यह एक आउटडोर कपड़े बन सकता है।  कैनवस एक अत्यंत टिकाऊ सादा-बुना कपड़ा है जिसका उपयोग नाव की पाल, टेंट, मार्के, बैकपैक्स, शेल्टर बनाने के लिए किया जाता है, तेल चित्रकला के लिए एक सहायक के रूप में और अन्य वस्तुओं के लिए, जिसके लिए एबंट की आवश्यकता होती है, साथ ही हैंडबैग, जैकेट और जूते।

 

·          कश्मीरी kasmeri / मेरिनो ऊन(Merino Wool)

एक प्रकार का ऊन का कपड़ा है जिसे कश्मीरी बकरियों और पश्मीना बकरियों से बनाया जाता है। कश्मीरी एक प्राकृतिक फाइबर है जो अपने अत्यंत नरम अहसास के लिए जाना जाता है। तंतु बहुत महीन और नाजुक होते हैं, स्पर्श करने पर एक रेशमी कपड़े की तरह महसूस होता है।  अक्सर कश्मीरी को ऊन के मिश्रण में बनाया जाता है और अन्य प्रकार के ऊन के साथ मिलाया जाता है, जैसे मेरिनो। मेरिनो ऊन एक प्रकार का ऊन है जो मेरिनो भेड़ के कोट से इकट्ठा किया जाता है। मेरिनो ऊन को एक शानदार फाइबर माना जाता है और इसका उपयोग अक्सर मोजे और बाहरी कपड़ों के लिए किया जाता है।

·           जर्सी (Jersey)

एक नरम स्ट्रेचबल बुना हुआ कपड़ा है जो मूल रूप से ऊन से बनाया गया था। आज कपास, कपास मिश्रणों और सिंथेटिक फाइबर से भी जर्सी बनाई जाती है। स्वेटशर्ट या बेड शीट  बनाने में इसका उपयोग होता है।

 

·          शनील sanel

शनील का कपड़ा नरम  होता है। यह भी एक बुना हुआ कपड़ा है जो विभिन्न प्रकार के विभिन्न रेशों से बनाया जा सकता है, जिसमें कपास, रेशम, ऊन और रेयान शामिल हैं।

 

·          दमस्क(Damask)

एक प्रतिवर्ती, जेकक्वार्ड-पैटर्न वाला कपड़ा है, जिसका अर्थ है कि पैटर्न कपड़े पर बुना हुआ है,  यह प्रिंट में भी बनता है । कपड़े का डिज़ाइन बुनाई के माध्यम से बनाया गया है, जो दो अलग-अलग बुनाई तकनीकों का एक संयोजन है। दमस्क पैटर्न या तो बहु-रंगीन या एकल रंग का हो सकता है। रेशम, लिनन, कपास, ऊन, या सिंथेटिक फाइबर, जैसे रेयान जैसे विभिन्न वस्त्रों से कई प्रकार के दमस्क बनाए जा सकते हैं।

·          गिंगहम(Gingham)

एक सूती कपड़ा है, जिसे एक चेक पैटर्न बनाने के लिए एक सादी बुनाई का उपयोग किया जाता है। गिंगहैम आमतौर पर दो-रंग का पैटर्न है,  लाल और सफेद या नीला और सफेद ।  पैटर्न विभिन्न आकारों में आ सकते हैं। Gingham पैटर्न प्रतिवर्ती है और दोनों तरफ समान दिखाई देता है। इसकी कम लागत और उत्पादन में आसानी के कारण गिंघम एक लोकप्रिय कपड़ा है।

 

·          साटन(Satin)

साटन बुनाई एक लोचदार, चमकदार, मुलायम कपड़ा  है। साटन कपड़ा एक तरफ नरम, चमकदार और दूसकी तरफ सादा। यह साटन बुनाई तकनीक का एक परिणाम है।

 

·          स्वेड(Suede)

एक प्रकार का चमड़ा है जिसे जानवरों की खाल के नीचे से बनाया जाता है, जो इसे नरम सतह देता है। स्वेड आमतौर पर भेड़ के बच्चे से बनाया जाता है, लेकिन यह अन्य प्रकार के जानवरों से भी बनाया जाता है, जिसमें बकरी, सुअर, बछड़े, और हिरण शामिल हैं। इसका उपयोग जूते, जैकेट और सहायक उपकरण के लिए किया जाता है, जैसे बेल्ट और बैग।

 

·         तफ़ता(Taffeta)

एक  सादा बुना हुआ कपड़ा है, जो रेशम के अलावा पॉलिएस्टर, नायलॉन, एसीटेट या अन्य सिंथेटिक फाइबर के साथ भी बुना जा सकता है। तफ़ता कपड़े में आमतौर पर चमक होती है।  तफ़ता वजन में हल्का है इससे अस्तर कपड़ा बनता है।

 

·         (Toile) टॉइल

यह शब्द फ्रेंच का है। जिसका मलब है फ्रैब्रिक। यह  एक विशिष्ट प्रकार का लिनन है जो एक एक रंग में  बनता है आमतौर पर काले, नीले, या लाल रंग में। यद्यपि शब्द टॉइल का मतलब फ्रेंच में फैब्रिक है,  1700 के दशक में फ्रांस में इसने लोकप्रियता हासिल की। टॉयल डिज़ाइन गैर-फैब्रिक आइटम जैसे वॉलपेपर और फाइन चाइना के लिए लोकप्रिय हैं।  सका उपयोग भी घर की सजावट के लिए होता है।

 

·          ट्वीड(Tweed)

एक मोटा बुना हुआ कपड़ा होता है जिसे आमतौर पर ऊन से बनाया जाता है। एक सादे बुनाई या टवील बुनाई का उपयोग करके इसे बुना जा सकता है। यह एक अत्यंत गर्म,  मोटा और सख्त होता है। ऊन के ट्वीड को अक्सर  विभिन्न रंगों के धागों का उपयोग करके बुना जाता है। ट्वीड सूट और जैकेट के लिए बहुत लोकप्रिय है,  शिकारी लोग इस तरह के कपड़े को बहुत पसंद करते थे।

 

·          टवील(Twill)

टवील तीन प्रमुख प्रकार के कपड़ा बुना जाता है। कपड़े अपारदर्शी, मोटा और टिकाऊ है। ट्विल कपड़े शायद ही कभी  प्रिंट होते हैं, हालांकि कई रंगों के यार्न का उपयोग ट्वीड और हाउंडस्टूथ जैसे डिजाइनों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।  इसका उपयोग डेनिम,  और बेड लिनेन के लिए किया जाता है।

 

 

·          मलमल(Muslin)

मलमल एक ढीला-ढाला सूती कपड़ा है। यह सादे बुनाई तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है, जिसका अर्थ है कि एक एकल यार्न यार्न बारी-बारी से और एक ही ताना यार्न के नीचे।

 

·         25) ऑर्गेज़ा Organza

मूल रूप से रेशम से बनाया गया था।  सिंथेटिक फाइबर, मुख्य रूप से पॉलिएस्टर और नायलॉन से भी बनाया जा सकता है। ऑर्गेना को पूरे कपड़े में बहुत छोटे छेद ही उसकी विशेषता है,  ऑर्गेज़ा शादी के गाउन बनाने के लिए बेहद लोकप्रिय है, क्योंकि  इसमें एक झिलमिलाहट का अहसास होता है।

 

·         26) लेस(Lace)

फीता यार्न या धागे से बना एक नाजुक कपड़ा है, जो विभिन्न तरीकों  से बनाया जाता है मूल रूप से रेशम और लिनन से बनाया गया था, लेकिन आज सूती धागे और सिंथेटिक फाइबर दोनों का उपयोग किया जाता है। फीता एक सजावटी कपड़ा है जिसका उपयोग घर की सजावट की वस्तुओं को उभारने के लिए किया जाता है।

 

·         27) चमड़ा(Leather)

जिसे जानवरों की खाल या खाल से बनाया जाता है और अलग-अलग तरह के जानवरों और विभिन्न उपचार तकनीकों के परिणामस्वरूप अलग-अलग चमड़े निकलते हैं। जबकि काउहेड चमड़े के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे लोकप्रिय पशु त्वचा है, जिसमें लगभग 65 प्रतिशत चमड़े का उत्पादन होता है, लगभग किसी भी जानवर को चमड़े में बनाया जा सकता है, मगरमच्छ से लेकर सूअर तक। चमड़ा एक टिकाऊ, शिकन प्रतिरोधी कपड़े है, और यह जानवरों के प्रकार, ग्रेड और उपचार के आधार पर कई अलग-अलग लग रहा है और महसूस कर सकता है।

·         28) मॉडल(Modal)

मोडल फैब्रिक एक अर्ध-सिंथेटिक फैब्रिक है जो पेड़ के गूदे से बना होता है, जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से कपड़ों के लिए किया जाता है, जैसे अंडरवियर और पजामा, और घरेलू सामान, जैसे चादर और तौलिया। मोडल रेयान का एक रूप है, हालांकि यह रेयॉन की तुलना में थोड़ा अधिक टिकाऊ और लचीला है। मोडल को अक्सर कपास और स्पैन्डेक्स जैसे अन्य फाइबर के साथ मिश्रित किया जाता है। मोडल को एक नरम कपड़ा माना जाता है जो विस्कोस की तुलना में अधिक महंगा है।

·          शान्तांग (Shantung)

चीन के शेडोंग प्रांत में बनने वाला यह कपड़ा ऐतिहासिक रूप से रेशमी है। यह डुपियोनी के समान है। शान्तांग का उपयोग अक्सर दुल्हन के गाउन के लिए किया जाता है।

मंगलवार, 5 मई 2020

विकास की चिंताओं के साथ महिला सशक्तिकरण भी जरूरी



सामाजिक सरोकार,मानवीय मुद्दों की जब जब बात होती है रुचिका का नाम अनायास ही जेहन में आ जाता है। खासकर जब मैं ऐसे युवाओं से मिलती हूं जिनमें समाज के लिए कुछ अभिनव करने की चाह होती है पर मैं उनकी व्यवहारिक तैयारी से संतुष्ट नहीं हो पाती। जब हम यह तय करते हैं कि हमें यह काम करना है तो उसके लिए हमें यह भी जानना जरूरी है कि उस काम को करते वक्त क्या क्या मुश्किलें आएंगी और हमको किस तरह से अपना धैर्य बनाकर रखना होगा। समाजसेवा में अपना करियर देखने वालों के लिए रूचिका से मिलना दिलचस्प होगा।
 रुचिका उन चंद लोगों में रही हैं, जिन्होंने बहुत पहले यह तय कर लिया था कि वह सामाजिक विकास के क्षेत्र में ही काम करेंगी। अपने स्कूल के दिनों में वह दक्षिण दिल्ली के स्लम एरिया में छोटे बच्चों को पढ़ाया करती थीं। घर में आर्यसमाज संस्कृति में मौजूद दान की परंपरा ने उन्हें शुरु से आकर्षित किया। इस संस्कृति ने उन्हें लोगों की जरुरतों के प्रति संवेदनशील बनाया। यही वजह है कि जब लेडी श्रीराम कॉलेज में वाणिज्य  (कॉमर्स) और मनोविज्ञान (साइकोलॉजी) के बीच चुनाव करने का मौका आया तो उन्होंने मनोविज्ञान को तरजीह दी। वह कहती हैं, मुझे इस बात की खुशी है कि मैंने मनोविज्ञान का चुनाव किया क्योंकि इसने मुझे सामाजिक क्षेत्र से एक पेशेवर के तौर पर जोडऩे में मदद की।
   रुचिका बार बार अपने संकल्प को याद करती रही इससे उनका आत्मविश्वास भी बना रहा और वह खुद के इसके लिए तैयार भी करती रही। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंज में पहले दिन को याद करती हुईं रुचिका बताती हैं कि उन्हें उस दिन मुंबई के स्लम एरिया धारावी ले जाया गया। मानसून की बारिश में मुझे धारावी इलाके में तैरते मानव मल-मूत्र के बीच चलना पड़ा। उस समय वास्तविकता का अहसास हुआ। मैंने खुद से पूछा कि क्या मैं इसके लिए तैयार हूं? हर तरह से। मेरा मन हमेशा की तरह मेरे साथ था और भीतर से आवाज आती हां तुमको यही करना है। फिर भी दिल और दिमाग दोनो को बराबर महत्व देते हुए मैंने सामाजिक विकास के क्षेत्र में जाने के अपने फैसले के बारे में पुनर्विचार करने के लिए एक सप्ताह की छुट्टी ली। जीत दिल की हुई और इस बीच मेरा  इरादा मजबूत ही हुआ। मैं लौटी और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा।  

रुचिका सामाजिक परिवर्तन में अपनी छाप छोडऩे के इच्छुक सामाजिक उद्यमियों को उनकी ही तरह सोचने और विचार रखने वालों से लोगों से मिलवाती हैं। रुचिका का काम पूरी दुनिया से ऐसे लोगों को एक साथ लाकर उन्हें साझीदारी और सहभागिता को बढ़ावा देना है ताकि वे मिलकर सामाजिक बेहतरी के एक समान उद्देश्य को हासिल कर सकें। वह आपसी समन्वय और साझीदारी वाली इन गतिविधियों को आगे बढ़ाने में अहम रोल अदा करती हैं। वह फंड इकट्ठा करने के लिए अशोका नेटवर्क से जुड़े लोगों की मदद भी लेती हैं। यह इसलिए कि परिवर्तन से जुड़े अभियानों और विचारों को मूर्त रूप दिया जा सके।
 रुचिका वकील भी हैं। उनका कहना है, जब आप परिवर्तन के कारोबार से जुड़े हों कानून का ज्ञान आपके लिए जरूरी हो जाता है। वह वकीलों को इस बात के लिए सहमत करती हैं, वह सामाजिक परिवर्तन में रुचि लेने वाले सामाजिक उद्यमियों को अपनी सेवा निशुल्क मुहैया कराएं।
चेवनिंग स्कॉलरशिप पर वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिक्स में जेंडर एंड सोशल पॉलिसी के अध्ययन के लिए गईं। विकास कार्यों से जुड़े 13 साल के अपने अनुभव में रुचिका ने मानवाधिकार से लेकर महिलाओं और उनके कानूनी अधिकारों के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में वित्तीय सशक्तिकरण से जुड़े कार्यक्रमों के तहत कई काम किए। वह वल्र्ड बैंक और जीटीजेड जैसे संगठनों से भी जुड़ी रहीं। उनके काम की प्रकृति उन्हें विभिन्न देशों में ले जाती है।
 अपनी बात को जारी रखते हुए वह कहती हैं, सामाजिक विकास के क्षेत्र ने उन्हें अपनी क्षमताओं को जानने और निखारने का पूरा मौका दिया। बदलाव में सक्रिय भूमिका निभाना ज्यादा अहम है। हालांकि मेरे काम का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है परिवर्तनकामी लोगों की पहचान करना और उन्हें साथ जुड़ कर काम करने के लिए राजी करना।

बुधवार, 29 अप्रैल 2020

आनंद और उदासी भरे चक्र


लॉकडाउन से जब सब घर के अंदर है और बाहर आवाजाही के रास्ते बंद तो ऐसे में बारिश और बारिश के बाद मिट्टी की खुशबू जैसे मन भर को तृप्त कर देती है। अभी 1 या 2 रोज पहले झमाझम बारिश हुई तो जैसे पेड़ पौधें सब नृत्य करने लगे। प्रकृति का इतना सुंदर और मनोरम रूप मैंने कई साल बाद देखा। सूर्यास्त के दृश्य ने कई मानवीय और मानवेतर कथाओं के मानस से जैसे मेरे पोर पोर को भिगो दिया। एकतरफ प्रकृति का इतना सुंदर दृश्य और दूसरी तरफ गमलों में चहकते फूल जैसे गले मिलने के आतुर हो। वाह कितना सुंदर सामिप्य। और दूसरी तरफ सामिप्य की प्यास में नन्हें पौधें की अकुलाहट. जैसे वह भी हाथ बढ़ाकर कह रहे हो मुझे भी ले लो अपने साथ अपने साहचर्य में .... पर आनंद और उदासी भरे चक्र में बारिश की बूंदों के साथ लहरों की कीर्तन सुनने का अभ्यास भी तो नहीं। तभी एक गमले का टुकड़ा जैसे मेरे हाथ में आकर कुछकहना चाहता हो मेरी तंद्रा तोड़ना चाहता हो जो मिट्टी को हाथ में लेकर कई न जाने किस लोक में चली गई हो।

अरे अब न तो बारिश है और रात में आसमान में तारे में टिमटिमा रहे हैं। दूर पहाड़ों में घरों की रोशनी टिमटिमाते तारे जैसी लग रही है। फिर मेरी हथेली में जो यह मिट्टी है वह कैसे गीली है। और यह गमले का नन्हा सा टुकड़ा क्यों चाहता है कि मैं आज उसके बारे में भी बात करूं।

मिथक कहते हैं कि भगवान ब्रहमा ही पहले कुम्हार थे जिन्होंने भगवान विष्णु का चक्र बनाने के लिए मिट्टी का प्रयोग किया था। आगे चलकर यह कला का आधार बन गया। सेरामिक्स जी हां इसका वास्तविक नाम प्राचीन ग्रीक भाषा में केरामिकोस है। केरामिकोस शब्द केरामोस से आया है जिसका अर्थ है कुम्हार की मिट्टी। यह कला सर्वप्रथम चीनी लोगों ने सीखी। उसके बाद क्रेतान, ग्रीक, रोमन,पर्शियन, मयान जैसे देशों से विकसित होती हुई भारत में पहुंची। तब से मिट्टी के बर्तनों के साथ ही साथ मूर्तियों के कई और डिजाइन भी बनाए गए। हर कोई चाहता है कि उसके घर में समृद्धि आए और शांति रहे। इसके लिए वह भारतीय पद्धति के साथ ही साथ चीनी, बौद्ध, जापानी कई तरह की कला पद्धतियों का सहारा लेते हैं। मिट्टी से कलाकृतियों का निर्माण सिर्फ भारत में ही नहीं होता बल्कि हर देश में यह कला अपनी जीवनशैली के अनुरूप विकसित होती है। कला के साथ साथ वहां की पौराणिक मान्यताएं उजागर होती हैं। यह प्रतीकों के रूप में संवारे जाते हैं। वास्तु शास्त्र, फैंग्शुई के साथ कला अपना विस्तार कर रही है और मिट्टी की सौंधी सुगंध को पूरे परिवेश में रचाबसा रही है।

हर कलाकृति सिर्फ कलाकार की भावनाओं को ही संप्रेषित नहीं करती बल्कि वह कला के कद्रदान के मन के पट भी खोलती है।

गमले का यह टुकड़ा और भी बहुत कुछ कहता है जैसे कोई कहानी कहता है।

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

क्या ऐसा ही आपका बच्चा


 मेरा बच्चा ऐसा क्यों करता है. पता नहीं किस पर गया है हममें से कोई भी ऐसा नहीं.
 यह सब बातें हम अक्सर करते हैं। कभी कभी सामने वाला भी करता है. आपका बच्चा आपका जैसा नहीं है। तब मन में यह सवाल आता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है। आखिर स्वभाव क्या है।
स्वभाव कुछ ऐसा है जिसके साथ हम पैदा हुए हैं - यह उन लक्षणों का एक समूह है जो हममें से प्रत्येक को अद्वितीय बनाता है, और यह निर्धारित करने में एक शक्तिशाली कारक है कि हम दुनिया में आने के बाद कैसे प्रतिक्रिया करते हैं। जब बच्चा घर से बाहर निकलकर एक नई स्थिति से संपर्क करता है तब उसके वास्तविक स्वभाव के बारे में पता चलता है।
उदाहरण  के लिए,  मैं आपको दो से तीन-वर्षीय बच्चों को डेकेयर की पहली सुबह और उनकी कक्षा में प्रवेश करने की प्रतिक्रिया के बारे में बताती हूं।
 रहीम और उसकी माँ ने दरवाजा खोला और कुछ पल के लिए कमरे को निहारा। कुछ ही मिनटों में, रहीम ने अपने कोट और टोपी को उतार दिया और अन्य बच्चों के साथ ब्लाक खेलने के लिए बैठ गया। अब उसने अपनी मां का साथ छोड़ दिया और बच्चों के साथ मशगूल हो गया।
 थोड़ी देर में एक दूसरा बच्चा आया जिसका नाम था फ्रेंक वह अपने पापा के साथ आया था। कमरे के अंदर आने के बाद भी वह अपने पापा के साथ लिपटा रहा उसने अपने पापा के पांव को और जोर से पकड़ लिया। उसने अपना कोट और टोपी उतारने से भी मना कर दिया।  थोड़ी देर बाद उसने चंद कदमों पर ऱखी मेज  को  देखा जिसमें बच्चे पजल्स खेल रहे थे। फ्रेंच  अपने पापा का  हाथ थामे उस मेज तक पहुंचा और वह धीरे से उस टेबल के पास गया और फिर बच्चों के साथ खेलने लग गया।
 कार्लोस अपनी दादी के साथ वहां गया। उसने बिलकुल भी समय नहीं गंवाया और उसने अपने जैसे दो बच्चों का भी उत्साह बढाया जो तब तक बेमन से खेल रहे थे। इस खेल में प्लास्टिक की गाड़ियों की रेस चल रही थी । इतना ही नहीं उसने यह रेस जीत भी ली और जोर से चिल्लाया यह मेरी है।
 बच्चे एक ही स्थिति पर इतने अलग तरीके से प्रतिक्रिया क्यों करते हैं? इसका कारण यह  है कि हर बच्चा अपने स्वभाव के साथ पैदा हुआ था।
आपका बच्चा हर रोज़ दिनचर्या, संक्रमण, अपरिचित स्थितियों के बारे में अपनी तरह से प्रतिक्रिया करता है, और नए लोग उसके स्वभाव से प्रभावित या अप्रभावित होते हैं।
 क्या किसी के स्वभाव को परिभाषित किया जा सकता है। जी हां  ऐसे कई तरीके हैं जिनसे स्वभाव को परिभाषित किया जा सकता है। हम यहाँ पाँच लक्षणों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो जन्मजात विशेषताओं जैसे  प्रतिक्रिया की तीव्रता, गतिविधि का स्तर, हताशा, सहनशीलता, परिवर्तन की प्रतिक्रिया, और नए लोगों से मेलमिलाप की प्रतिक्रिया के आधार पर तय की गई हैं।

यह सब गुण हर बच्चे में मौजूद हैं - पर व्यक्त करने का तरीका अलग अलग है। उदाहरण के लिए, जब नए लोगों की प्रतिक्रिया की बात आती है, तो एक बच्चा जो ऐसे किसी अन्य बच्चे से जिससे वह पहले कभी नहीं मिला हो वह खुशी के साथ मिलता है जबकि दूसरा बच्चा ऐसी स्थिति में आंख उठाकर भी नहीं देखता।
 6 और 9 महीनों के बीच, अधिकांश माता-पिता अपने बच्चे के व्यवहार में पैटर्न देखना शुरू करते हैं जो उन्हें यह सुनिश्चत करने में मदद करते हैं कि बच्चे का स्वभाव कैसा होगा लेकिन बच्चे का स्वभाव 1 वर्ष के बाद ही पता चलता है।  क्योंकि तब आपका बच्चा बोलना सीख जाता है और वह लोगों से मिलना भी शुरू कर देता है।
 प्रतिक्रिया की गहनता
 जैसा कि आप इन विशेषताओं के बारे में पढ़ते हैं,  आपको हर बच्चे की एक अलग तस्वीर दिखाई देती है।
 प्रतिक्रिया की तीव्रता
कार्लोस जैसे बच्चे दुनिया को जोर से और स्पष्ट बताते हैं कि वे कैसा महसूस करते हैं। इनको हम बड़ा रिएक्टर कह सकते हैं। जब वे खुश होते हैं, तो सारी दुनिया को पता चलता है इसी तरह जब वह गुस्से में होते हैं तो भी सारी दुनिया को पता चल जाता है। उनकी हँसी और चिल्लाहट में बहुत त्तीव्रता होती है।
 तीव्रता की कम सीमा पर बच्चे शांत और शायद ही कभी उपद्रव करते हैं, औसत से अधिक सोते हैं, और चेहरे की अभिव्यक्ति हो या गले की आवाज, मामूली बदलाव के साथ अपनी भावनाओं को दिखाते हैं।
विशेषताएं: "मैं सिर्फ चिल करना चाहता हूं" से "मैं चाहता हूं कि हर कोई यह जाने कि मैं कैसा महसूस करता हूं"
कुछ बच्चे अपने में खोए रहते  हैं। एक अपनी ही दुनिया में । उनकी इस दुनिया के बारे में कुछ जानना चाहते हैं कुछ नहीं भी। लेकिन ऐसे बच्चे सक्रिय नहीं होते है। उनको बार बार याद दिलाना पड़ता है। वह घंटों एक ही जगह पर बैठे रह सकते हैं। 
  सामाजिकता से जोड़ने के लिए जरूरी है कि आप उनकी दुनिया में शामिल  होने की कोशिश करें। उनके साथ संगीत सुनें। पढ़ते समय नाटकीय आवाज का प्रयोग करें।गतिविधियों को शामिल करें।
 कुछ बच्चे जो अपने शरीर के किसी हिस्से को लगातार हिलाते रहते हैं। इसका मतलब यह है कि वह जो कर रहे हैं उसके साथ उनके दिमाग में कुछ और भी साथ साथ चल रहा है।
 कम तीव्रता वाले बच्चे अक्सर अधिक उत्तरदायी होते हैं।
यदि  वह इसी तरह के हैं और मोबाइल टीवी से चिपके रहते हैं तो आप बड़े रिएक्टर के लिए  इन बातें पर गौर करें। संगीत और प्रकाश व्यवस्था नरम होनी चाहिए। बच्चे को संभावित विस्फोटक स्थितियों से धीरे से हटा दें। पुनर्निर्देशन की कोशिश करें- उसे एक अलग गतिविधि में शामिल करें। हां यह जरूर याद रखें कि आपके बच्चे का व्यवहार कुछ बच्चों से अलग हो सकता है पर यह मानने की भूल न करें कि वह मानसिक रूप से बीमार है।
 यदि कार्लोस जैसा बच्चा रहीम या फ्रेंक के पास जाए और गुस्सा करें तो उलझें नहीं अपने बच्चे को गले लगा लें उसे उससे कमजोर न समझें।
सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को वह नींद मिलती है जो उसे चाहिए।
 गतिविधि स्तर
यदि आपका बच्चा एक्शन ओरिएंटेड है, तो आप शायद अब तक जान गए होंगे कि उसे दौड़ना, चढ़ाई करना और अपने आसपास की दुनिया को खोजना पसंद है। ये मूवर्स और शेकर्स उन स्थानों को पसंद करते हैं जो उनको अपनी ऊर्जा को खर्च करने के बहुत सारे अवसर प्रदान करते हैं।
 दूसरे छोर पर वे बच्चे हैं जो चुपचाप बैठने और खेलने की सामग्री को पाकर खुश हैं।  जो अपने पैरों के बजाय अपने हाथों की उर्जा खर्च करना चाहते हैं उनको उसी तरह के खेल की तलाश है। वे दुनिया को देखना और सुनना चाहते हैं। उनके आस-पास की चीजों में उनकी रुचि सक्रिय बच्चे की तरह की मजबूत हो सकती है, लेकिन उसके लिए उनको दोड़ना भागना पसंद नहीं।
 विशेषताएं: "मैं बैठकर खेलना चाहता हूं और इसी तरह खुश हूं"
कम सक्रिय बच्चे के लिए:
अपने बच्चे को एक दिलचस्प खिलौना रखकर आगे बढ़ने के लिए लुभाएँ, जहाँ वह आसानी से पहुँच सके। इसे धीरे धीरे करें। उसे जिम में बच्चों को देखने दें। एक साथ संगीत सुनें। यदि संगीत से ज्यादा आपके बच्चे को नृत्य पसंद है तो उसे नृत्य के लिए प्रेरित करें।
सुरक्षित, सक्रिय अन्वेषण के लिए बहुत सारे अवसर प्रदान करें। लुका-छिपी, फ्रीज टैग और अन्य सक्रिय गेम खेलें। अपने बच्चे से लंबे समय तक बैठने की उम्मीद न करें।
 इस तरह हम निष्कर्ष के तौर पर कह सकते हैं कि आपका बच्चा अपने आप में सबसे अलग है उसका स्वभाव अलग है। जो जन्मजात है। इसलिए उससे कभी भी अपनेआप से या किसी से भी जोड़कर न देखें। शक्ल मिल सकती है पर स्वभाव नहीं।

बुधवार, 22 अप्रैल 2020

चिंताहरण के बारे में सुना है आपने

कोरोना का असर अब बड़ों के साथ बच्चों में भी दिखाई देने लगा है। अनिश्चतता के इस दौर में जहां सभी से धैर्य रखने की बात लगातार कही जा रही है वहीं चुपके से मनोवैज्ञानिक बीमारियां भी अपने पांन पसार रही है और यह मंजर ज्यादा तांडव पैदा करेगा। हमें इस तांडव से बचने की तैयारी भी साथ साथ शुरू करना होगी। सबके मन में सेहत के सवाल के सात ही जो सवाल सबसे ज्यादा परेसान कर रहा है वह है रोजगार। रोजी रोटी का सवाल सबसे अहं है। करियर की चिंता, स्कूल और शिक्षा-दीक्षा की चिंता, अपनों की चिंता, ईएमआई की चिंता.... ते जब इतनी ज्यादा चिंता है तो चिंताहरण के बारे में भी उसी तरह सोचना होगा जैसे सेहत के बारे में....



क्वारंटाइन के दौरान चिंता (Anxiety), तनाव या अवसाद (Depression) की समस्या होना सामान्य है क्योंकि प्रतिबंधों के कारण आपकी दैनिक गतिविधियों में बाधा आती है हमारा मन अपनों से मिलने क लिए मचलता है। भले ही हम आन लाइन वीडियो या वाट्यएप के जरिए लगातार संपर्क में रहते है बातचीत करते है पर फिर भी बहुत कुछ है जो हमारे भीतर रसता रहता है और हमें बीमार बना देता है। हालांकि, कुछ पौष्टिक खाद्य पदार्थ (Nutritious Foods) हैं जो चिंता, अवसाद और तनाव के स्तर को मैनेज कर इससे बचने में आपकी मदद कर सकते हैं. हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए डाइट भी काफी जरूरी होती है. कुछ फूड्स ऐसे हैं जिनको बेहतर मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए डाइट में शामिल करना जरूरी है.

1. दही (Yogurt)

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दही चिंता कम करने में मदद कर सकता है. प्रोबायोटिक फूड्स की खपत और सामाजिक चिंता में कमी के बीच एक संबंध देखा गया है. एक अच्छे योगर्ट में आमतौर पर एक ग्राम में 100 मिलियन प्रोबायोटिक और एक कप में लगभग 25 बिलियन प्रोबायोटिक जीवित होते हैं. अपनी रोजाना की डाइट में इसे शामिल करें.

2. बादाम (Almonds)

बादाम में मैग्नीशियम होता है जो प्रभावी रूप से चिंता से संबंधित लक्षणों का इलाज कर सकता है, क्योंकि अपर्याप्त मैग्नीशियम मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन के स्तर को कम करता है. बादाम का केवल
1 औंस जो लगभग 12 नट्स में 75 मिलीग्राम मैग्नीशियम होता है जो आपके रोजमर्रा की अनुशंसित मूल्य का लगभग 19% है. आप फलियां, और बीज जैसे खाद्य पदार्थों से भी मैग्नीशियम प्राप्त कर सकते हैं.

3. जामुन (Berries)

रसभरी, ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी और ब्लैकबेरी जैसे जामुन आपके लिए उपलब्ध सबसे बड़े एंटीऑक्सिडेंट खाद्य पदार्थों में से एक हैं. जर्नल ऑफ न्यूट्रीशनल एंड एनवायर्नमेंटल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में, एंटीऑक्सिडेंट और प्लेसबो के साथ रोगियों का 2 साल तक इलाज किया गया. 2 वर्षों के बाद, जिन लोगों को एंटीऑक्सिडेंट के साथ इलाज किया गया था, उनमें काफी कम अवसाद स्कोर था.
4. सेब (Apples)

एक सेब, अगर इन खाद्य पदार्थों के साथ खाया जाता है, तो आपको लंबे समय तक अच्छे परिणाम मिलते हैं. जामुन की तरह, सेब एंटीऑक्सिडेंट में समृद्ध हैं जो ऑक्सीकरण क्षति, सूजन को रोकने और मरम्मत करने में मदद कर सकते हैं. वे घुलनशील फाइबर में भी समृद्ध हैं जो रक्त शर्करा के स्तर संतुलित करते हैं.

5. एल-थीनिन (L-theanine)

L-theanine एक अमीनो एसिड है जो आमतौर पर ग्रीन टी के अर्क में मौजूद होता है. यह न्यूरोट्रांसमीटर GABA (गामा-अमीनोब्यूट्रिक एसिड) का अग्रदूत है, जो तनाव के लिए शारीरिक प्रतिक्रियाओं को कम कर सकता है, और तंत्रिका तंत्र को राहत देता है और चिंता को दूर करने में मदद कर सकता है. इसमें ऐसी विशेषताएं भी हैं जो पर्यावरणीय न्यूरोटॉक्सिन के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती हैं.

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

Tips to Improve Concentration Levels in Your Kids

Thinking how can we help child in that?
Ok, the part of the brain that is responsible for concentration and memory is the frontal lobe of our brain.It is also responsible for thinking, reasoning, managing emotions, problem solving and decision making.So the concentration skills can be improved by practicing some cognitive exercises regularly which can modify the existing brain cells. The exercises have more to do with the mechanism of how one learns, remembers things, solves problem and pays attention. Early intervention is always very effective. But it's never too late to help our children learn to focus.

· Various types of memory games can be played with your children. Arrange about 10 of the toys or any household things in a line in a particular order. Allow the child to observe for a couple of minutes. The child may form a mental imagery or use a mnemonics or any other way to remember the order. Now shuffle the order and ask your child to arrange the toys in the same order. For older children, use the order of books in a book shelf. After they observe the order for a few minutes, without their knowledge either remove a book or change the order of the books. Let them find the right order.
· Play the game of Name Chain. You can play with as many players as you want. Let the first player say a name. The second player should say the name the first player said followed by a new name. The third player has to say the first 2 names in the same order followed by another new name. So the game can go on for many rounds till one person makes a mistake in the order or the name.

· Play the game "Follow the leader" with a series of actions. Let one of the players be the leader and the rest the followers. The followers have to do the exact same thing the leader does and in the same order. If the child has ear for music, choose different utensils and things made of different materials such as iron, ceramic, glass,copper, plastic, leather. Let the leader use a plastic mallet or a wooden stick to tap the materials (not necessarily on all the materials) in certain order in a rhythm. Let the followers observe and tap them in the same order. Another variation to make it more complex is to blindfold the follower and ask him to hear the sounds and identify the material and retain it in memory. Remove the blindfold and let him try to tap the correct material in the same order as the leader.

· Change the things around the house from the usual. For example hang a photo upside down, put the cushion cover inside out, wear socks from 2 different pairs. Use your imagination to make the change and ask your child to identify the difference.

· Place a few things on a tray - Let the child observe the things. Now hide the tray. See how many things your child can recall. To make it a little more complex, remove few items and replace with some other items. See if your child can identify which items got replaced with the new items.

· Play I-spy with the clues that has minute details of the things in the house to make it really hard to find.

· Give a skein of yarn and a rubber ball or a small rectangular box. Let the child wrap the ball/box with the yarn so no part of the ball or the box is seen. Child will learn to pay attention to details.

· Have 3 long strings of yarn of same color. Put a knot at one of the ends of each string and mark them as A, B and C. Tie any toy or a treat to the other end of one of the strings and leave the other 2 string ends free. Now entangle the strings through a furniture such as dining table or chairs and hide the ends. Let the child trace the path of the strings to find which string has the ball/treat tied to it. Other variation is to just entangle the strings and let the child untangle the strings. This activity helps the child to stay on task.

· Finding the differences between 2 pictures, completing a maze, solving a picture puzzle, also help in improving the observation skills.

· Most of us don't give much importance to ART. Involving the child in different visual art forms helps the child focus better. Craft, painting, drawing, sculpting help them focus as well as improve their creativity. For example let the child observe any bark of a tree in a closer view and draw a picture of the bark with every minute detail. For smaller children, describe any object with words for the child to draw the details.

· Write a list of colors but use a different color pens for writing the color names. For example write RED with BLUE ink, PURPLE with GREEN ink and so on. Let the child say the color of the ink for each word instead of reading the names of the color. Eyes see a color but brain instructs to read the word. Focusing on the ink instead of the spelling is one of the good cognitive exercises to train the brain.

· Write a series of same numbers in multiple rows. In between the numbers write one or 2 different number. for example write a series of 8 like 8888888888888 and include a similar looking number 3 in between. 8888888888888888883888888888888888. Let the child find out all the occurrences of 3. Similarly you can make the child look for the number of occurrences of a particular alphabet in a sentence.

· Children who enjoy music can try to focus on one particular instrument in a music. This activity helps in learning to ignore the distraction from other instruments. Singing a harmony works the same way. Let one person start singing a song. The second person should start singing the same song when the first person is at the beginning of the second or the third line of the song. It will be quiet confusing at the initial stage. But the child will learn to remove the other distractions and focus on his lines. Enrolling your child in a school music band will help as they will be involved in playing ensembles where one has to focus on his instrumental rhythm and notes.

· Other activities that help children to improve their concentration skills are yoga, meditation, music and sports. These activities help in mind and body integration so child who have lots of energy will learn self-control. Play a game of "Statue". By forcing oneself not to move helps in controlling the body and mind.



गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

Dress up your sofa

What’s a luxury sofa without a stylish cushion arrangement? Not only are cushions functional essentials, they’re also your sofa’s seasonal outfit changes – a way to dress up, dress down or style any sofa just as you’d like it. (Just see this plush arrangement by Elicyon, above.) A new set of designer cushions can revive an older sofa, change up your style and even transform a whole sofa arrangement. Don’t underestimate the power of these sofa staples whichever way you style them.
Discover how to choose the perfect cushion arrangement and dress your sofa with our 9 essential cushion styles.


1. PAIRED CUSHION ARRANGEMENT

A cushion arrangement for minimalists, two individual cushions makes for a simple, chic aesthetic. Place matching cushions side by side in the centre of the sofa with a proportional gap between them. Channel a sophisticated, cohesive look with matching or similar fabrics or draw attention to special cushions with a contrasting fabric.


2. ECLECTIC CUSHION ARRANGEMENT

There’s no rhyme nor reason to this kind of multi-layered sofa styling and that’s just the way we like it. Ikat prints alongside paisleys and brocades mixed in with printed linens – this kind of arrangement is all about texture. Although it’s preferable to throw the rule book out of the window in this instance, there are a few tips for creating a designer-approved look.
When choosing fabrics, think of the scale of the patterns you plan to pair together. A large, medium and small scale print will produce an interesting and well-balanced cushion arrangement. Next think of the cushions’ styles. Are they mostly casual or formal? Pretty or edgy? A common thread in the visual quality of the fabrics is also important. If you have both of these covered, you can be bold enough to be as creative as you want.
This is also a great place to bring in added extras, like fringing, tassels and braiding, since this style is all about a nonchalant, bohemian vibe.

3. BALANCED CUSHION ARRANGEMENT

As they say, if it ain’t broke, don’t fix it. Sometimes the standard approach is best. A balanced cushion arrangement is one of the most visually pleasing arrangements. Make yours interesting by playing with colour, pattern and texture. A balanced cushion arrangement harmonises varying fabrics very well – its symmetry gives even the most casual or eclectic array of fabrics a smart aesthetic. Lumber or bolster cushion styles are a simple way to create interest with this kind of arrangement

4. CENTRAL CUSHION ARRANGEMENT

Why must our cushions be confined to the ends of our sofas? Place cushions slightly away from the ends for a change from the norm. When working this style, a minimum of three is suggested but the style works equally well with larger even numbers too.
Centralised cushion styling is an ideal choice for sofas which are too small to hold multiple arrangements or sofas which are too long for arrangements at either end.
The arrangement is also a natural fit for curved sofas which don’t have such structured ends. Try rounded designs to echo the lines of the sofa in a harmonious combination.









5. SEPARATED TRIO ARRANGEMENT

Trio cushion arrangements in opposing corners is a popular and timeless look for a sofa arrangement.
For a tailored look, think mirror image. Place the largest cushion at the back, angled in the crook of the sofa between the arm and the backrest, then place the medium in front of it (slightly offset away from the arm) and the smallest in front of that (again slightly offset towards the arm). Replicate the look in the opposite corner with the same cushions. Have the corresponding cushions match and the look will be neat and composed.
For a slightly more casual arrangement, consider mixing up the fabrics and configurations. The result will be a more “lived in” look but will still maintain the balance of the classic arrangement.


6. ALTERNATING PATTERNS ARRANGEMENT

When working with patterns and plains, one of the most common and aesthetically balanced arrangements is an alternating one. Start with two fabrics which complement each other (perhaps a patterned and a plain in a similar colourway). Beginning at both ends of the sofa, layer one on top of the other towards the middle alternating between the two cushion styles. You could even place a throw which combines colours or elements from both designs over the middle of the sofa for a polished look and to add an extra dimension.


7. DIFFERENT SHAPES ARRANGEMENT

Get artistic with your cushion arrangement by treating it as you would a well-curated vignette or gallery wall. Nothing is off limits with this configuration so consider using differing shapes and offsetting them against each other in unique ways, playing on their geometric strengths. Throw in rectangular, circular and bolster cushion styles as well as the traditional square shapes for an exciting cushion cocktail. For maximum impact, curate the arrangement’s fabrics to include contrasting designs as another way to highlight their individuality.


8. INDIVIDUAL CUSHION ARRANGEMENTS

Individual cushions arrangements are straightforward, minimalist and formal. They emphasise the squared structure of leather sofas making them slightly more masculine and they suit spaces which need to maintain a level of professionalism. (They’re the go-to for offices and lobbies.) Soften the look with a more tactile texture, a contrasting colour and a throw.


9. HYBRID CUSHION ARRANGEMENT

There’s something intriguing and welcoming about a hybrid cushion arrangement. It can have as formal a quality as the layered style if refined fabrics and patterns are chosen but it also adds interest without being too maximalist.
This look works well with throws or other accessories which can visually balance the sofa resulting in a unique arrangement which doesn’t feel chaotic. Use this arrangement in a formal situation which desires a slightly casual temperament.

दिया सजाएं कुछ नए अंदाज में

दीया  किसी भी उत्सव और समाराेह  में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पूजा  का अनिवार्य हिस्सा होने से लेकर रंगोली की सुंदरता को बढ़ाने तक में इसके महत्व काे नकारा नहीं जा सकता। दीया का प्रतीकात्मक अर्थ भी है यह हमें सकारात्मक साेच के लिए प्रेरित करता है। दिया घर के भीतर और बाहर दाेनाे जगह जलाने की परंपरा है। अमूमन लाेग घर के आंगन में तुलसी के चाैरे पर दिया जलाते हैं।  बाजार में आज कई तरह के दिए हैं।  दिया काे दीवार पर भी टांग सकते हैं।
 बाजार से दिया खरीदने के अलावा आप अपनी रचनात्मकता से इसे और भी सुंदर बना सकते  हैं। बाजार में बहुत ही कलात्मक  दिया मिल जाएगा जिसे आप रंग से और ज्यादा सुंदर बना सकते हैं। दिया जलाने के साथ साथ यह जानना भी जरूरी है कि उनकाे किस तरह ऱखा जाए।  यानी उनकी प्लेसमेंट कैसी हाें। आपकाे कुछ तरीके बता रही हूं। उम्मीद है आपके काम आएंगे-
 बच्चों के घर में रंग न हाें ताे राैनक कैसी। रंग बिना घर बेराैनक हाे जाता है इसलिए रंगाें का प्रयाेग करें। दिए में पेंसिल से डिजाइन बनाएं और फिर रंगाें से भरें। पिछली दीपावली में आपके घर में दिया आए हाेंगे   उनका उपयाेग करें और  उन्हें गोल्ड, रेड, ब्लू और इस तरह के और अधिक सुंदर रंगों में रंगने की खुशी  महसूस करें। अपने पसंदीदा  रंगों को चुनें और अपनी रचनात्मकता को बहने दें।

लतकन दिया जलाएं
अपने रसोई घर में रखे पुराने टिन के डिब्बे का पुन: उपयोग करें। उन्हें पेंट करें और दीये लगाने के लिए उन्हें अपनी दीवार पर लटका दें। क्या यह दीया सजाने का एक रचनात्मक तरीका नहीं है?
  पुराने कांच के गिलास का उपयोग करें
 स्टील की प्रानी प्लेट पर अपनी कल्पना के रंग की छटा बिखेर दें। डिजाइन के लिए आप इंटरनेट पर भी सर्च कर सकती हैं। गिलास में भी पेंट करें और अब दिया सजा दें।
आपके पास अपनी पसंदीदा फिल्मों की सीडी हैं, लेकिन अब उनका उपयोग नहीं कर सकते हैं? इस साल  एक सुपर स्टाइलिश दीया स्टैंड में बदल दें। यू ट्यूब में इस तरह के बहुत सारे डीआईवी हैं।
रंगोली जिसे हम सभी प्यार करते हैं। रंगाेली गर्मजोशी के साथ हमारा और हमारे मेहमानों का स्वागत करती है। दीया को  रंगाेली के  साथ रखकर अपनी रंगोली में चमक जोड़ें।
कुछ स्टिक्स, यार्न और कार्डबोर्ड को पकड़ो और इस अद्भुत यार्न टेंट टी लाइट दीया को बनाएं।
पत्थराें का प्रयाेग करें एक । आपके घर के आंगन में बहुत सारे पत्थर हाेंगे उनकाे पेंट करें और
इस साल समुद्र तट का दौरा किया? समुद्र तट पर जाने की एक रस्म के रूप में कुछ गोले एकत्र किए? अब इनका उपयोग करने का समय है। समझाने की जरूरत नहीं कि कैसे!
रॉकी दीया
आपके गार्डन में पड़े पत्थरों का इस्तेमाल दीयों को सजाने के लिए भी किया जा सकता है। उन्हें इक्ट्ठा करें, उन्हें पेंट करें और एक आर्ट वर्क बनाएं।  इस तरह आपका सुंदर आउटडोर दीया सेट तैयार हाे जाएगा ।

चूड़ियाँ हर घर में पाई जाती हैं। दीया सजाने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।

बुधवार, 15 अप्रैल 2020

THE BEST WATER BOTTLES OF 2020

Staying well-hydrated is one of the best, easiest health hacks around. By increasing the amount of water you drink daily, you'll be giving your brain what it needs to think more quickly and quell the urge to overeat. Feeling sore? Being well hydrated will assist the rest of your body by lubricating your joints, helping to stave off inflammation. With perks like this achievable through little more than remembering to drink a little more water a little more often, it's hard to find a reason not to find a great, reusable vessel for hauling around water in.

 Stainless Steel Filtering Water Bottle  is the best water bottle for everyday life. We found this 20-ounce bottle kept the liquid inside of it refreshingly frosty.

These are the best water bottles we tested ranked, in order:
Brita Stainless Steel Filtering Water Bottle
Yeti Rambler 26-ounce Vacuum Insulated Stainless Steel Bottle with Cap
Hydro Flask Double Wall Vacuum Insulated Stainless-Steel Leak Proof Sports Water Bottle
Hydro Flask Wide Mouth 18-ounce
Klean Kanteen Wide Insulated Stainless-Steel Bottle With Loop
CamelBak Eddy Water Bottle
Vapur Element
Lifefactory BPA-Free Glass Water Bottle with Straw Cap and Silicone Sleeve
Thermos Intak Hydration Bottle with Meter
S’well Vacuum Insulated Stainless Steel Water Bottle
Takeya Classic Glass Water Bottle with Silicone Sleeve and Twist Cap
Klean Kanteen Insulated TKPro
Brita Sport Water Bottle with Filter
CrazyCap2
Platypus Platy Ultralight
Nalgene Silo Wide Mouth BPA-Free Water Bottle
Memobottle A5

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

टेबल काे करें ड्रेसअप

मुझे खाने के सभी व्यंजनों की व्यवस्था करने से पहले टेबल पर टेबल रनर रखना और नैपकिन का समन्वय करना पसंद है। खूबसूरत क्राकरी, कलात्मक घर मुझे बेहद पसंद हैं। आज मैं  आपसे बाजार में उपलब्ध टेबल सजाने के लिए विकल्प के बारे में बात कर रही हूं। इन दिनों टेबल सजाने का चलन बढ़ा है चाहे वह किसी भी रूप में इस्तेमाल की जाती हो । इसके लिए कई तरह के आर्टपीस बाजार में हैं।
रनर शब्द हिंदी के बिछावन शब्द के समानार्थक है जिसका उपयोग फर्श से लेकर मेज तक में होता है।"टेबल रनर" यानी कपड़े का लंबा टुकड़ा है जो मेज़पोशों के ऊपर रखा जाता है। इसे आपकी टेबल सेटिंग्स की तारीफ करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।  किसी भी अवसर को खास अवसर में बदलना हाे ताे यह एक खूबसूरत विकल्प है ।
 माना जाता है कि टेबल रनर का जन्म 15 वीं शताब्दी में यूरोप में हुआ था और यह आभिजात्य परिवारों की टेबल पर सजता था। उस समय तक सामान्य लोग मेजपोश जैसी कलात्मक चीजों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते थे। एक तरह से कहा जा सकता है कि मेजपोश का प्रयोग एक अभिजात्य वर्ग का नवाचार था। अक्सर खाना खाते समय मेज पर दाग धब्बे पड़ जाते थे और हर रोज इनको साफ करना भी दुविधाजनक था। इस वजह से मेजपोश के ऊपर रनर बिछाने का चलन आया और आज यह फैशन में है। रनर का प्रयोग फर्श से लेकर टेबल तक में प्रयोग में लाया जा रहा है।

मेजपोश और रनर के साथ ही नैपकिन यानी रूमाल रखने का भी चलन बढ़ा है। नैपकिन कागज और कपड़े दोनो के ही प्रयोग में लाए जाते हैं। पहले नैपकिन एकदम सफेद या फिर हलके रंगों के बनाए जाते थे पर अब यहां भी आर्टवर्क दिखाई देता है। दुनियाभर के आर्टवर्क यहां पर देखे जा सकते हैं। जिसमें पेंटिंग से लेकर कसीदाकारी और बुनकारी जैसे कई प्रयोग हो रहे हैं। आज यह अपने आप में एक आर्टपीस बन गया है।
टेबल रनर
कलात्मक घर कई तरह से अपनी छाप छोड़ते हैं। यह कह सकते हैं कि घर के हर साजो-सामान में कलात्मकता की पहचान दिखाई देती है। टेबल रनर भी अच्छी तरह से सजाए गए घरों में जब टेबल पर सज जाते हैं तो खाने के शौकीन खाने के साथ साथ कला का भी आनंद लेते हैं। कभी-कभी सेंटरपीस की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए छोटी लंबाई के यह रनर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। फैब्रिक और डिजाइन का मेल इसे आकर्षक बनाता है। यह रेशम, लिनन, कपास, और पॉलिएस्टर, विनाइल, प्लास्टिक और कागज सहित सभी प्रकार की सामग्रियों से बने होते हैं। यह हस्तनिर्मित, मशीन-निर्मित, कशीदाकारी, बुनकारी से भी तैयार किए जाते हैं। इनके डिजाइन, पैटर्न, रंग, और आकार कई तरीकों के हो सकते हैं।

आज बाजार में कैजुअल से लेकर फॉर्मल कई तरह के टेबल रनर हैं। डिजाइनर इसमें अतिरिक्त डिजाइन जोड़ सकते हैं। जब टेबल की सजावट महत्वपूर्ण होती है, तो कभी-कभी एक रनर पूरी मेज के डिजाइन को संभाल लेता है। साधारण सी बिना पैटर्न और डिजाइन वाली मेज भी रनर के इस्तेमाल से खूबसूरत हो जाती है। टेबल रनर एक रसोई या डाइनिंग रूम टेबल को "ड्रेस अप" करने के लिए एक शानदार तरीका प्रदान करते हैं। पूरे टेबल को कवर करने के बजाय, टेबल रनर केवल टेबल के मध्य भाग को कवर करता है, टेबल की लंबाई या चौड़ाई को "रनिंग" करता है। मेज के हिसाब से रनर की लंबाई और चौड़ाई अलग अलग होती है। आज यह कई डिजाइन और कई पैटर्न में उपलब्ध हैं जिससे चयन करना आसान हो जाता है।

यह मेज़पोश की तुलना में कम महंगे होते हैं। कुछ लोग अपनी मेज के केंद्र में अतिरिक्त रंग का उपयोग करने के लिए भी रनर का प्रयोग करते हैं। खाली टेबल, बुफे बार पर टेबल रनर का उपयोग किया जा सकता है। कॉफी टेबल, बुफे और कंसोल के लिए भी यह एकदम उपयुक्त हैं।

THE HISTORY OF TABLE RUNNER

The table runner was born in the middle Ages, mainly because medieval folks were sloppy. The tablecloth was considered an aristocratic innovation, but it needed protection from lively and careless royal revelers who spilled, drooled and made a mess!  No doubt, the wise women responsible for laundering linens came up with the innovative idea for the table runner in an effort to save the tablecloths from unnecessary laundering.  Napkins were also invented because it was no longer considered acceptable to wipe your mouth on the tablecloth.
These ingenious long, narrow pieces of cloth now known as “table runners” were placed over the tablecloths. They were gathered up at the end of the meal for washing and the tablecloths remained intact and clean. The table runner along with tablecloths became fixtures in everyone’s collection of linens by the 15th century.
TABLE RUNNERS
Table Runners performed many different tasks in well decorated homes – they were used on the bare table or on tablecloths to protect or add a bit of style, especially for that special occasion or holiday. They were also used to create visual balance for full place settings.  They served as a backdrop for a piece of art, unified decorative elements and helped to make a design statement.
The most popular way to use table runners is to place them lengthwise in the center of the table or over the tablecloth to cover the full length, with a 6″ to 12″ drop on opposite ends.  Sometimes a shorter length is used to compliment a centerpiece.  Another design option is to place more than one runner across the width of the table so the table runner also serves the purpose of placemats while providing a little extra coverage to catch spills and dripsTable Runner fabrics and designs we see today range in style from simple to ornate, depending on the event and decorator.  Some runners have a finished hem while others are cut and allowed to fray. There are runners with fancy tassels on the ends, as well as flat, fringed or pointed end table runners. They are made from all sorts of materials including cloth (silk, linen, cotton, and polyester), vinyl, plastic, and paper; and in a variety of ways including handmade, machine-made, embroidered, quilted, and beaded in a variety of designs, patterns, colors, and sizes.
There are numerous types of table runners ranging from Casual to Formal and everything in-between.  Runners can add extra design without being overwhelming. When table decoration is important, sometimes a runner can add just the right touch of pattern, design or accent without taking over the design of the entire table and making it too busy when combined with the china and other decor. Table runners provide a terrific way to “dress up” a kitchen or dining room table. Instead of covering the entire table, a table runner covers only the middle section of the table, “running” the length or width of the table. They come in a variety of widths and sizes designed for different length tables, and also have many patterns from which to choose.  Because they are smaller and use less fabric, they are less expensive than tablecloths and they take up less room to store in the linen closet.
Some people use table runners on a bare table, buffet bar or table, to provide extra color and protection to the center of their table. They might purchase coordinating place mats to create more protection of the table at each place setting. Smaller runners can make the perfect tablecloth for coffee tables, buffets and consoles.  I like to place table runners and coordinating napkins on a buffet table before arranging all of the food dishes.  Table runners provide an extra layer of protection from heat, moisture and spills while adding a “pulled together” look.
Table runners are designed to compliment your table settings. They add a great touch of elegance to any occasion. Table runners also provide an elegant finishing touch for your tablecloths. Whatever your occasion, they will enhance and make your table setting even more beautiful and stylish.

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