रविवार, 13 जनवरी 2019

फैशन में सिंड्रेला गाउन- अनुजा भट्ट


फेयरी टेल फैशन एक अनूठी और कल्पनाशील सृजनात्मकता का पर्याय है। जिसने उच्च फैशन के लेंस के माध्यम से परी कथाओं से फैशन को रचा जाता है। चार्ल्स पेरौल्ट, ब्रदर्स ग्रिम और हंस क्रिश्चियन एंडरसन जैसे लेखकों द्वारा लिखी गई परियों की कहानियों में पोशाक कई तरह के संदर्भ लिए होती है। उदाहरण के लिए, सिंड्रेला की ग्लास चप्पल का महत्व व्यापक रूप से जाना जाता है। लोकिन फैशन में यह ग्लास चप्पल और गाउन सिलेब्रिटी से लेकर आम जन की नजर में छा जाता है। अभी हाल ही में एक फैशन शो में फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत और अदिति राव हैदरी कुछ इसी अंदाज में नजर आई। यह ड्रेस डिजाइन की थी जानेमाने फैशन डिजाइनर गौरव गुप्ता ने।
सिंड्रेला का नाम सुनकर हमारे दिमाग में एक परी की कहानी याद आती है जो बच्चों को बहुत प्रिय है। उसका घेरदार गाउन और सिर पर सजा ताज बच्चों के साथ हमें भी मोहित करता है।
डिजाइनर गौरव गुप्ता के परिधानों पर नजर डालें तो लगता है जैसे रोबोट और सिंड्रेला का मिलन हुआ हो। रोबेट सिंड्रेला के बहुत करीब जान पड़ता है। इसी तरह हम डिजाइनर गौरव गुप्ता की डिजाइनर ड्रेस की नई श्रृंखला को व्याख्यायित कर सकते हैं। यह श्रृंखला उत्कृष्ट रफल्स, प्लीट्स और फोल्ड्स को अतिआधुनिक तरह से पेश करने वाली है।
गौरव गुप्ता की इस नई श्रृंखला का नाम है क्रिस्टल मिथ, जिसे उनके एवेरुजियन स्टोर में प्रदर्शन के लिए रखा गया है। कपड़े में एक आकृति उकेरी गई है, जो चमचमाते मोतियों की कड़ियों में एक लहर का सा आभास देती हुई खूबसूरती के अहसास से भर देती है। यह सब बहुत भविष्य की सुंदर परिकल्पना से सराबोर है, फिर भी स्वप्निल और महिलाओं को मोहने वाला है।

इस संग्रह के कई हिस्से हैं। जिसमें गाउन, ड्रेस, टोपी, लहंगा और साड़ी शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि इसका उद्घाटन इंस्टाग्राम पर सबसे पहले हुआ। गौरव कहते हैं, मुझे सिर्फ एक शो करने का मन नहीं था। आजकल सामान्यतः हर कोई इंस्टाग्राम पर मौजूद है और हर कोई देख भी रहा है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए गौरव कहते हैं," शो डिजाइन को नकल करने के लिए होते हैं। इंस्टा पर हम पूरे साल अपनी बनाई ड्रेस शो कर सकते हैं।



गौरव के लिए संग्रह किसी खास सीजन या मौके की पेशकश नहीं हैं। इसका मतलब है कि हर बार कुछ नया करते हैं। और जब उनके मन में कोई नया विचार जन्म लेता है उसे वह अपने डिजाइन में ढाल लेते हैं। हम रफल्स, प्लीट्स, कढ़ाई, बिगुल बीड्स और ड्रेपिंग सिल्हूट्स के साथ प्रयोग करते रहते हैं। यह श्रृंखला हमने 40 कपड़ों के साथ शुरुआत की और फिर हमने एक और 10 जोड़ा ... अब 100 हैं, '' वह आगे कहते हैं।

रंगों के विस्तार की बात करें तो यह रंग मिडनाइट ब्लू, ब्लैक शैंमपेन, केलको एक्रू, काबल ग्रे, लावा रेड, सेंड पिंक होते हैं। “मैं परिष्कृत, उत्कृष्ट रंगों का उपयोग करता हूं। ये अब गौरव गुप्ता रंग के रूप में जाने जाने लगे हैं। इस संग्रह में, शिफॉन, ट्यूल और दुपट्टे जैसे फ़्लेबी फैब्रिक को बड़ी रफ़ल और नाटकीय तरंगों में घुमाया जाता है, जिसमें गौरव की स्वदेशी बॉन्डिंग तकनीक के साथ बनाई गई सामग्री होती है जिसका उपयोग चोली बनाने में होता है।

एक साल पहले गौरव ने मेन्सवियर की अपनी लाइन शुरू की। वह हँसते हुए कहते हैं, मेरे दोस्त, रिश्तेदार और उसके बाद दुल्हनों के परिचित सभी ने यह सुझाव दिया कि मैं दूल्हे को इतना नजर अंदाज क्यों करता हूं। फिर मैंने पुरूषों के लिए भी परिधान बनाने शुरू किए। जिसे लोगो ने पसंद किया। उनका कहना है कि उन्हें सिर्फ पुरुषों के कपड़ों में ही गढ़ी गई तकनीक का इस्तेमाल करना था और लैपल्स की विभिन्न शैलियों पर काम करना था।

डिजाइन करते समय जो कुछ आप सोच रहे हैं उसे परिधान के रूप में पेश करना होता है ताकि लोगों को कुछ नया दिखाई दे। लोगो को पसंद को भी अपने विचार में ढालना होता है। कुच लोग एक जैसी चीज पसंद नहीं करते चाहे फिर उसे किसी अभिनेत्री ने ही क्यूं न पहना हो। और कुछ अभिनेत्री जैसे परिधान की ही मांग करते हैं। लेकिन मुझे पहली वाली सोच ज्यादा प्रभावित करती है। सचमुच वह अपनी पर्सनेलिटी के बारे में क्योम न सजग हो। फिर भी मेरा अनुमान है कि ज्यादातर अपने बारे में जानने लिए बहुत उत्सुक नहीं हैं। इसलिए वह अपने लिए ड्रेस को खोजने के लिए पर्याप्त उत्सुक नहीं हैं, "गौरव कहते हैं, मेरी व्यक्तिगत शैली कभी भी बदल सकती है। एकपल वह नई होती है और, अगले पल वह पुरानी हो जाती है। परिधान में उनका प्यार दो जड़ाऊ पिन में दिखाई दे रहा है, जो उनके किनारे को सजा रहा है - एक गोल-मटोल सुनहरी मछली और दूसरी तरफ मणि से सजा हुआ भौंरा।



संक्षेप में कहें तो फैशन डिजाइनर का यह कहना एकदम सही है कि हम अपने लिए अपने हिसाब से कपडे चुनें । जो हमारे व्यक्तित्व पर सकारात्मक असर डालें। सब पर सब कुछ फबता नहीं इसलिए एसे परिधान चुनें जो आप पर फबें। परिधान चुतते समय अपनी कद काठी, रंग रूप और देहयष्टि पर भी विचार करें। दूसरों की तरह नहीं अपनी तरह दिखें।



खास चेहरे के वैडिंग गाउन की विशेषताएं

फैशन डिजाइनर राल्फ लॉरेन ने प्रियंका की क्रिश्चियन वेडिंग में हैंड एम्ब्रॉयडेड व्हाइट फ्लोरल गाउन तैयार किया था। उनके इस वेडिंग गाउन की एम्ब्रॉयरी में 1826 घंटे लगे. प्रियंका कहती है,यहां बात फैशन की नहीं थी. मैं कुछ बहुत अनूठा चाहती थी. मैं दुनिया का सबसे लंबा वेल चाहती थी और मुझे वो मिला.

वेल की लंबाई 75 फीट थी. यह दुनिया का अब तक का सबसे लंबा वेल था. प्रियंका के हाई नेक कॉलर, फुल लॉन्ग स्लीव गाउन में 23 लाख सीक्वेंस से कारीगरी की गई. इस गाउन का लुक ट्रांसपेरेंट है.

प्रियंका की खास फरमाइश पर उनके शादी के जोड़े में आठ शब्द और फ्रेज भी टांके गए थे। यह 'Hope', 'Family', Love', 'Compassion', 'ओम नम: शिवाय', 'December 1 2018' लिखा गया था। इसके अलावा उनके पति का पूरा नाम 'निकोलस जेरी जोनास' कोट पर और ड्रेस पर पीछे की तरफ उनके माता-पिता 'मधु और अशोक' भी लिखा गया था। सिर्फ इतना ही नहीं निक की मां डेनीस जोनास मिलर के अपनी शादी में पहने गए जोड़े की लेस भी पीसी के जोड़े में टांकी गई थी। फैमिली शब्द उनके गाउन के दाहिने बाजू पर टांका गया था, जिसमें 'Daddy's lil Girl' टैटू बना हुआ है। लव शब्द उन्होंने अपने पर दिल के पास वाली हिस्से पर लिखवाया था। यह सारी कढ़ाई आइवरी रंग के धागे से की गई थी।

प्रियंका की ड्रेस के कोट में बारीक कढ़ाई मुंबई के 15 कारीगरों ने की है। प्रियंका की ड्रेस में 32000 सीक्वेंस, 5600 मोतियां और 11632 स्वारोस्की क्रिस्टल्स का इस्तेमाल किया गया था। इस कोट को बंद करने के लिए सैटिन से बने 135 बटन का इस्तेमाल किया गया था।

शनिवार, 12 जनवरी 2019

भारतीय सेना दिवस 15 जनवरी महिला अफसर पहली बार करेंगी लीड, सलामी लेंगे आर्मी चीफ-डॉ. अनुजा भट्ट


जब एक महिला कमांड कर रही हो और बाकी लोग उसे फॉलो कर रहे हों तो अच्छा लगता है. बाइक चलाती लड़कियां तो बहुत देखी पर बाइक में कलाबाजी करती लड़की दिखे तो और अच्छा लगता है. सेटेलाइट के जरिये सेना को मजबूत बनाने का संकल्प लेते यदि कोई लड़की दिखे तो अच्छा लगता है. उनके मजबूत इरादों को देखकर अच्छा लगता है. सवाल हो सकता है कि आखिर अच्छा लगने का कारण क्या है.... जी हां इस अच्छा लगने का अहसास शहर से लेकर गांव तक की हर लड़की को साहस के कारनामों के लिए उकसाता है.
एक जमाने में सर्कस में लड़कियों के हैरतअंगेज साहसिक कारनामे देखकर लोग लोग दांतों तले उंगुली दबा लेते थे और माहौल में मनोरंजन की जलेबी तैरने लगती थी. सर्कस खत्म हो जाता था पर जांबाजी के वे दृश्य याद रहते थे. महिलाओं की ये जांबाजी अब सर्कस के रिंग से निकल कर सेना के मैदान में आ पहुंची है. भारतीय सेना के इतिहास में पहली बार सेना दिवस के मौके पर एक महिला अफसर परेड को लीड करेगी.
सेना दिवस का यह अवसर सिर्फ हैरतअंगेज कार्यक्रम पेश करके चौंकाने के लिए नहीं है बल्कि देशवासियों को ये बताने के लिए है कि सेना ने उनकी हिफाजत के लिए क्या क्या इंतजाम किए हैं. और महिलाएं एक सैनिक के तौर पर खुद को कैसे तैयार कर रही हैं. यह ये बताने के लिए है कि उन्होंने जोखिम उठाने के लिए अपने दिल और कंधे दोनों को किस कदर मजबूत किया है.
इन्हीं जांबाज योद्धाओं में से एक लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी पहली महिला होंगी जो सेना दिवस के परेड का नेतृत्व करेंगी. अभी तक किसी भी महिला ने सेना दिवस समारोह में परेड को लीड नहीं किया है. लेफ्टिनेंट भावना इंडियन आर्मी सर्विस कॉर्प्स के ग्रुप का नेतृत्व करेंगी. यह ग्रुप पिछले 23 साल से परेड में भाग नहीं ले रहा था. इस साल दोबारा परेड में शामिल होगा. 144 जवान वहां होंगे. आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत इनकी सलामी लेंगे. वही जनरल बिपिन रावत, जिन्होंने एक न्यूज चैनल के इंटरव्यू में कहा था कि महिलाओं का पहला काम बच्चे पालना है. फ्रंटलाइन पर वो सहज महसूस नहीं करेंगी और जवानों पर कपड़े बदलते समय अंदर ताक-झांक किए जाने का आरोप भी लगाएंगी. इसलिए उन्हें कॉम्बैट रोल के लिए भर्ती नहीं करना चाहिए. अधिकतर जवान गांव के रहने वाले हैं और वो कभी नहीं चाहेंगे कि कोई और औरत उनकी अगुवाई करे. जरा फर्ज कीजिये, भावना कस्तूरी को कमांड देते देख कैसा महसूस करेंगे.
कौन हैं भावना कस्तूरी, शिखा सुरभि और भावना स्याल
लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी ने 2015 में अफसर के पद पर ज्वॉइन किया था. वो नेशनल कैडेट कॉर्प्स में थीं. नेशनल कैडेट कॉर्प्स के लिए आर्मी में स्पेशल एंट्री के एग्जाम होते हैं. उन्होंने यह परीक्षा दी और पूरे देश में चौथे स्थान पर रहीं.
भावना कहती हैं, जब मुझे परेड कमांड करने के लिए चुना गया तो इंस्ट्रक्टर से लेकर सभी ऑफिसर और जवान भी बेहद गर्व महसूस कर रहे थे. एक लेडी ऑफिसर कमांड दे रही है और 144 जवान उसकी कमांड फॉलो कर रहे हैं यह अपने आप में बिल्कुल अलग अनुभव है. आर्मी जवानों के दस्ते का नेतृत्व करती लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी का आत्मविश्वास न सिर्फ अपने जवानों को कमांड देते वक्त झलकता है बल्कि बातचीत में भी भी वह गर्व और आत्मविश्वास से लबरेज नजर आती हैं. उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता की आर्मी चीफ महिलाओं को कॉम्बैट रोल न देने के बारे में क्या सोचता है.
कैप्टन शिखा सुरभि पहली लेडी ऑफिसर हैं जो सेना दिवस पर डेयरडेविल्स टीम के साथ आर्मी डे परेड का अहम हिस्सा बनेंगी. बाइक पर स्टंट दिखाते आर्मी डेयरडेविल्स के बीच लेडी अफसर को देखना आर्मी के साथ ही सभी लोगों के लिए एक गर्व की अनुभूति है. वह कहती हैं, मुझे सेना में कोर ऑफ सिग्नल डेयर डेविल्स टीम के लिए चुना गया ते मुझे लगा अब मैं कुछ कर सकती हूं. देश के काम आ सकती हूं. मैं पहली महिला सदस्य चुनी गई. मेरा शुरू से ही बाइकिंग में इंटरेस्ट था लेकिन नॉर्मल बाइक चलाना और इस तरह बाइक पर स्टंट करना बिल्कुल अलग है. इसके लिए हमें बेसिक ट्रेनिंग दी गई कि किस तरह बाइक पर आगे की तरफ बैठना है ताकि टांगों से ही बाइक को होल्ड कर सकें क्योंकि हाथ छोड़ने होते हैं. यह तथ्य भी गौरतलब है कि आर्मी की डेयरडेविल्स टीम ने अब तक 24 वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाए हैं.
सेना दिवस के अवसर पर इन दो महिलाओं के साथ कैप्टन भावना स्याल भी अपनी उपलब्धि का तमगा लिए दिखाई देंगी. कैप्टन भावना स्याल आर्मी की सिगनल्स कोर से हैं और वह ट्रांसपोर्टेबल सैटलाइट टर्मिनल के साथ परेड पर भारतीय सेना की स्ट्रैंथ दिखाएंगी. कैप्टन भावना स्याल कहती हैं कि यह मशीन डिफेंस कम्युनिकेशन नेटवर्क का हिस्सा है. यह आर्मी को ही नहीं बल्कि तीनों सर्विस (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) के इंटीग्रेशन का भी काम करता है और वॉयस डेटा और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग फैसिलिटी देता है.
भारतीय सेनाओं में महिलाओं को सिर्फ अफसरों के तौर पर भर्ती किया जाता है. वह भी सिर्फ शॉर्ट सर्विस कमीशन पर. कॉम्बैट रोल देने के सवाल पर अभी भी वही पुरुषवादी नजरिया हावी है कि महिलाएं युद्ध का नेतृत्व कैसे करेंगी. आज से डेढ़ दो सौ साल पहले जब रानी झांसी, झलकारी बाई,जॉन ऑफ आर्क जैसी महिलाओं ने युद्ध का नेतृत्व किया होगा तो क्या पुरुष सैनिकों ने उनका नेतृत्व स्वीकार करने से इनकार कर दिया होगा. अगर ऐसा होता तो ये महिलाएं इतिहास की दुर्धष योद्धाओं के तौर पर याद नहीं की जातीं.
70 साल से हम सेना दिवस मनाते आ रहे हैं. अब जाकर महिलाएं पहली बार सेना दिवस परेड का नेतृत्व कर रही हैं. दुनिया के कई देशों में महिलाएं ये तमगा पहले हासिल कर चुकी हैं. इतने सालों के बाद अगर इसे भारतीय महिला सैनिकों की उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है तो उसके लिए उनके जज्बे को सलाम करना चाहिए. आखिर, सेना में महिलाओं के रोल सीमित करने के बावजूद उन्होंने यह मुकाम तो हासिल कर ही लिया. अगर आप महिला हैं तो यह मत समझिए कि आप फ्रंट पर लड़ नहीं सकतीं. आप भी एनसीसी की कैडेट परीक्षा देकर आर्मी का हिस्सा बन सकती हैं इस परीक्षा की नोटिफिकेशन जारी की जाती है. आपके पास एनसीसी का सीनियर डिवीजन में कम से कम दो साल या फिर C सर्टिफिकेट होना चाहिए साथ ही 50 फीसदी मार्क्स के साथ ग्रेजुएशन का सर्टिफिकेट.
आज महिलाएं भले ही नॉन कॉम्बैट रोल में भारतीय सेना में योगदान दे रही हों लेकिन जल्दी ही वो वक्त आएगा कि भारतीय जनरलों को महिलाओं को कॉम्बैट रोल देने होंगे, जहां उन्हें खुद को साबित करने का बड़ा मौका होगा. अब तक महिलाओं ने हर वो काम कर दिखाया है, जो पुरुषों का विशेषाधिकार वाला क्षेत्र समझा जाता था. भारतीय महिलाओं का जज्बा यहां भी उन्हें कामयाब बनाएगा. तो तैयार रहिए इस रोल को निभाने के लिए.भावना कस्तूरी, भावना स्याल और शिखा सुरभि की तरह लड़कियों की नई पीढ़ी जल्द ही साबित कर देंगी कि वे सिर्फ परेड ही नहीं युद्ध की कमान भी संभाल सकती हैं. ये शेर ऐसी ही लड़कियों के जज्बे को बयां करता है-
खुदी को कर बुलंद इतना
कि हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से खुद पूछे
बता तेरी रजा क्या है...
आप इस लेख काे आज के द क्विंट हिंदी वेबसाइट पर भी पढ़ सकते हैं
https://hindi.thequint.com/voices/opinion/army-day-lady-officer-will-lead-the-parade-for-the-first-time






बुधवार, 2 जनवरी 2019

देह विदेह और माेह विमाेह का खूबसूरत संग्रह है मन के मंजीरे- डा. अनुजा भट्ट

मेरी मित्र रचना ने यूं ताे यह किताब मुझे बहुत पहले ही भेंट कर दी थी पर मैं जब भी इसे पढ़ती ताे हर बार लगता कि इसे बार बार पढ़ना चाहिए. यह कविता प्रेम के लाैकिक और पारलाैकिक दाेनाें पलड़ाें पर बराबर भारी है। कविता के साथ कभी जायसी ताे कभी कबीर की भूमि के रंगाें का असर भी दिखा ताे दूसरी आेर उर्दू और पंजाबी रंग भी नजर आए.. यह हाेना ही था. कविता अपनी भावभूमि काे कैसे नजर अंदाज कर सकती है। राजपालएंड संस से प्रकाशित इस संग्रह में कुल 141कविताएं हैं।
 सचमुच यह  प्रेम कविताएं मन काे सुकून देने वाली है दरअसल यहां बस आटाे या टेम्पाें पर लिखी गई महाेब्बत भरी शायरी नहीं जाे वैसे ही लिजलिजी से पाेस्टर का आभास दे. बल्कि यहां देह से हाेते हुए प्रेम के अमरत्व के रस की कुछ बूंदे हैं, जाे तृप्त करती हैं. प्रेम के माध्यम से यहां लाेक मानस की झलक भी बार बार मिलती है। भारतीय मिथकाें, प्रेम के दृश्य- अदृश्य रुपाकाराें काे रचनाकार ने बड़े जतन से सहेजा और संवारा है।
 प्रेम की सभी अभिव्यक्तियाें काे समेटने में वह कामयाब हुई हैं। उनकी कविताआें में उर्दू और पंजाबी शब्दाें का प्रयाेग भी हुआ है। एेसा जान पड़ता है यह शब्द कविता में ध्वनि और चमत्कार पैदा करने के लिए प्रयुक्त किए गए हैं, परन्तु यह प्रयाेग भावानुभूति के सतत प्रवाह में अवराेध पैदा करता है।  लेकिन हां पंजाबी शब्द  कविता की खूबसूरती काे चार चांद लगा देते हैं।
 इस संग्रह में देह का उत्सव एक अनाैखी कविता है। इसमें याेग ध्यान कुंडलनी और  चक्र का रूपक मन काे सुकून देता है। वह अपनी कविता में देह विदेह, आसक्ति अनासक्ति, स्वाद तृप्ति  का सुंदर विपरीत पर्याय बुनती हैं।
उसके अधराें के स्पर्श से
 बज उठी मैं कान्हा की बाँसुरी सी...
 हाैले हाैले कविता की बिम्ब याेजना अनूठी है।यहां लाेरियां प्रेम के वात्सल्य रूप काे प्रकट करती हैं। मुझे हाैले से उठाकर परियाें के देस ले जाता
 बिठाकर अरमानाें के उड़न खटाैेलेपर
 अपनी शहजादी काे आसमान की सैर करवाता..
कलंदर का लिबास, बरकत और बसावट भी मन काे छूती हैं। कुल मिलाकर संग्रह की सभी कविताएं अलग अलग समय शिल्प और अनुभूति काे पारंपरिक, दार्शनिक और आज के समय के साथ रचती है।आसमान में उड़ती ताे कभी स्कूटर में अपनी चुन्नी काे संभालती,कभी तारे देखती ताे कभी पीठ पर निकल आए तिल के साथ अपने मन की बात साझा करती कविताएं सचमुच बहुत प्यारी हैं।

मंगलवार, 1 जनवरी 2019

सिलेब्रिटी का लेखन की तरफ झुकाव दर्शाता है  अब कथा कहानी के प्रति लाेगाें में दिचस्पी बढ़ी है। श्वेता नंदा की किताब  पेराडाइज टावर
 टिंविंकल खन्ना की किताब
  कहानी
 दीप्ति नवल की कविताएं
 साेहाअली खान  के संस्मरण
करण जाेहर
 प्रिंयका चाेपड़ा
 लिजा रे
उन्होंने उनकी तीसरी पुस्तक 'पायजमाज़ आर फॉरगिविंग' का लेखन पूर्ण कर लिया है और अब यह किताब जल्द रिलीज होने वाली हैl फिल्म अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना ने इस पुस्तक के माध्यम से उनकी तीसरी पुस्तक को लिखा है। इसके पहले वह 'मिसेस फनीबोंस' और 'द लीजेंड ऑफ लक्ष्मी प्रसाद' जैसी पुस्तक लिख चुकी हैंl आपको बता दें कि, उनकी पिछली फिल्म पैडमैन उनकी दूसरी पुस्तक की एक कहानी से प्रेरित थीl पायजमाज़ आर फॉरगिविंग ट्विंकल खन्ना द्वारा लिखा गया पहला नॉवेल होगा। इस पुस्तक के बारे में ट्विंकल खन्ना ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी हैl उनकी इस जानकारी देने के बाद उनके प्रशंसकों और शुभचिंतकों ने उन्हें बधाई दी हैl

परीक्षा की तैयारी और आपका खानपान

परीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है और बच्चों में घबराहट व तनाव का स्तर कई गुणा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक परीक्षा में अच्छा परफॉर्म करने के लिए इस तनाव से भरे लाइफ स्टाइल को बदलने और खान-पान की आदतों को सुधारने की जरूरत है, क्योंकि घबराहट व तनाव में पढ़ने से परीक्षा परिणाम अनुकूल की बजाय प्रतिकूल होने की अधिक आशंका होती है। आपके बच्चे को पर्याप्त पोषण मिले, तनाव का सामना उसे कम-से-कम करना पड़े और वह अपनी परीक्षा में अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन दे सके, इसके लिए जरूरी है कि एक मां के रूप में आप अपनी भूमिका सही तरीके से निभाएं।
तनाव कर सकता है पस्त
परीक्षा के दौरान बच्चे लगभग 12 से 14 घंटे पढ़ाई करते हैं, जल्दी से सिलेबस खत्म कर अधिक से अधिक रिवीजन करने के दबाव में लगातार जागते रहते हैं और आराम भी नहीं कर पाते। परिणामस्वरूप उनका स्ट्रेस लेवल इतना अधिक बढ़ जाता है कि वे लंबे समय तक पढ़ते तो रहते हैं, लेकिन एकाग्रता कम होने की वजह से पढ़ा हुआ याद नहीं रख पाते। अंतत: परीक्षा में अच्छा न कर पाने के डर से हतोत्साहित होने लगते हैं। पढ़ाई के अत्यधिक तनाव का उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
क्या होगी परेशानी : बीएलकपूर अस्पताल में गैस्ट्रोइन्ट्रोलॉजी डिवीजन के प्रमुख डॉ़ दीप गोयल बताते हैं कि तनाव के कारण बच्चे को पेट से संबंधित कई बीमारियां हो सकती हैं, तनाव की वजह से पाचन प्रणाली तक रक्त का संचार अवरुद्ध होने लगता है, इससे डाइजेस्टिव सिस्टम तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता और न्यूट्रिएंट  समाहित करने की शरीर की क्षमता भी कम हो जाती है। शरीर का मेटाबॉलिज्म घटने लगता है।
क्या करें :
परीक्षा के दौरान सबसे जरूरी है कि बच्चे के खानपान व आराम का पूरा ध्यान रखा जाए, साथ ही बच्चे पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव न बनाएं, ताकि बच्चा तनावमुक्त होकर पढ़ाई कर सके।
बच्चे के लिए उपयुक्त भोजन
न्यूट्रीशन थेरेपिस्ट, नीरज मेहता के मुताबिक, पढ़ाई के दौरान सबसे अधिक दिमाग का इस्तेमाल होता है। यूं तो यह हमारे शरीर का सबसे छोटा अंग होता है लेकिन शरीर की कुल ऊर्जा का 20 प्रतिशत दिमाग द्वारा इस्तेमाल होता है। यदि पढ़ाई के दौरान लगातार ऊर्जा मिलती रहे तो दिमाग तंदुरुस्त व उत्साहवर्धक बना रहता है।
क्या है परेशानी
पर्याप्त ऊर्जा न मिलने की स्थिति में, बच्चा थका हुआ महसूस करता है, एकाग्रचित होकर पढ़ाई नहीं कर पाता, इसलिए तनाव में आ जाता है। तनाव की वजह से उसके शरीर का मेटाबॉलिज्म घटने लगता है, साथ ही कई अन्य तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए परीक्षा के दौरान बच्चे के खानपान का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है।
क्या करें
  • दिन की शुरुआत हेल्दी नाश्ते से करनी चाहिए। आप बच्चे को नाश्ते में अंडा, पोहा, ओट्स, उपमा, इडली व खिचड़ी आदि दे सकते हैं, जिनमें ग्लाइसेमिक की मात्रा कम हो और शरीर को पर्याप्त ग्लूकोज मिलता रहे। अधिक तेल में बनने वाली चीजें जैसे कि पूरी, परांठे आदि से परहेज करें तो बेहतर होगा, क्योंकि इसे खाने से बच्चे को थकावट और नींद महसूस होने के कारण पढ़ाई में दिक्कत आ सकती है।
  • अधिक से अधिक आयरन व विटामिन बी युक्त पदार्थ दें, इनमें शारीरिक व मानसिक ऊर्जा बरकरार रखने की क्षमता होती है।
  • पालक में आयरन भरपूर मात्रा में होता है। अनाज, अंडे तथा मेवों में विटामिन बी की भरपूर मात्रा होती है। बच्चे को पोषक तत्वों से भरपूर खाना दें।
  • परीक्षा के दौरान जंक फूड से परहेज कर आयरन, कैल्शियम, जिंक युक्त पौष्टिक भोजन ही दें।
  • कोशिश करें कि हर दो घंटे में बच्चा कुछ न कुछ हेल्दी खाता रहे। इस प्रकार शरीर में लगातार आवश्यक तत्वों की पूर्ति होती रहेगी और बच्चा लंबे समय तक पूरे उत्साह के साथ सचेत होकर पढ़ाई कर सकेगा।
कॉफी-चाय से करें परहेज
ज्यादातर बच्चे लंबे समय तक जागकर पढ़ने के लिए कॉफी व चाय पीते रहते हैं, लेकिन न्यट्रिशन थेरेपिस्ट बताते हैं कि कॉफी व चाय में मौजूद कैफीन में अस्थायी उत्तेजक तत्व होते हैं, जिसका असर बहुत जल्द ही खत्म हो जाता है। यह शरीर के ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करती है। शरीर में कैफीन की मात्रा अधिक होने से तनाव व घबराहट बढ़ सकती है।
क्या करें
  • परीक्षा के दौरान कॉफी के बजाय सीरेल्स वाला दूध पीना बेहतर होता है। इसके अतिरिक्त पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, क्योंकि डिहाइड्रेशन की वजह से एकाग्रता कम हो जाती है और शारीरिक ऊर्जा जल्दी ही खत्म होने लगती है।
  • खाने में ज्यादा से ज्यादा ताजे फल और सब्जियां बच्चों को दें, खासकर हरी सब्जियां जैसे पालक, लौकी, तोरी में शरीर व मस्तिष्क को तंदुरुस्त रखने के लिए आवश्यक तत्व होते हैं। स्टार्च वाली सब्जियां जैसे आलू, अरबी के सेवन से बचें, क्योंकि इनसे थकावट व नींद महसूस होती है। खाना बार-बार गर्म न करें, क्योंकि ऐसा करने से भोजन के सभी जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। बच्चे को ताजा खाना ही दें।
  • बादाम, सेब, अखरोट, किशमिश, अंगूर, संतरा, अंजीर, सोयाबीन व मछली में याददाश्त बढ़ाने की क्षमता होती है। इसके अतिरिक्त शहद, दूध और मेवों से मन व मस्तिष्क को शांति मिलती है।
  • मछली का सेवन करने से दिमाग तेज होता है। इसके अलावा फलों का ठंडा रायता खाने से स्फूर्ति आती है।
  • संतरा, केला और गाजर पढ़ने वाले बच्चों के लिए बेहद जरूरी होते हैं। केला खाने से लंबे समय तक शारीरिक ऊर्जा बनी रहती है।
  • बच्चों को खाना धीरे-धीरे और पूरी तरह चबा कर खाने के लिए कहें।

बुधवार, 12 दिसंबर 2018

प्लाजो को करें विदा और सरारा गरारा को करें नमस्ते अनुजा भट्ट



फैशन में हर बार कुछ ऐसा होता है जिसे हर कोई अपनाता है। अभी पिछले साल पामपाम फैशन में था। पहनावे से लेकर चप्पलों तक, घर की सजावट ले लेकर जूड़े तक। हर जगह यह अपनी खास अदा के साथ मौजूद था। अब पाम पाम की जगह चुन्नटों ने ले ली है। यह चुन्नटें कई तरह से है। कहीं यह परत दर परत है तो कहीं आड़े तिरछे। कहीं चुन्नटें अलग अलग किस्म की आकृतियां बनाती हैं ते कहीं एकदम सादा। कहीं भड़कीलें रंगों के साथ सजती हैं तो कहीं हलके रंगों के साथ मेल करती हैं। कभी कुर्ते में, तो कभी साड़ी में, कभी लंहगे में, कभी ब्लाउज में तो कभी बैग या पर्स में भी...
लंबी कुर्ती हो या ब्लाउज इनके आकर्षण का मुख्य केंद्र है अलग अलग तरह से चुन्नटों का प्रयोग। गले के डिजाइन से ज्यादा जोर इस बार कंधों को आकर्षक बनाने में किया जा रहा है। चूड़ीदार पजामा और अंगरखा स्टाइल के कुर्ता की मांग इस मौसम में सबसे ज्यादा है।

उत्सव और शादी ब्याह के इस मौसम की जानकारी सभी के पास है और सभी इस मौके पर सुंदर दिखना चाहते हैं। अपनी अलमारी को सहजने का यह सुंदर मौका है। और आप भी चाहेंगे कि आपके पहनावे में नयापन हो। लेकिन, जब आपकी नजर पुरानी कढ़ाई वाले लंहगे और नीरस सी दिखने वाली शेरवानी पर पड़ती है तो आप मायूस हो जाते हैं। यह बहुत स्वभाविक है। यह सब आपके साथ ही नहीं हो रहा है। कहने का अर्थ यह है कि इस तरह की परेशानी आपकी अकेले की नहीं है। लेकिन मैं आपको बताऊं आजकल के युवा लोग पहले से अधिक प्रयोग करने के इच्छुक हैं।

बदलाव के लिए सबसे पहला प्रयोग हम रंगें के साथ ही करते हैं। फैशन में रंगों का महत्व हमेशा रहा है। रंग और पहनावे के शिल्प में थोड़ा बहुत परिवर्तन करके आप अपने परिधान को नयी सजधज के साथ पहन सकते हैं जिसे लोग पसंद भी कर रहे हैं। अभी भी शादी ब्याह के मौके पर लोग परंपरागत परिधान के ही महत्व देते हैं। इसलिए, एक तरफ, शरारा और गरारा जैसी पोशाक दुबारा से फैशन में छायी हुई है पर देखने वाली बात यह है कि शरारा गरारा के चमकीले रंगों की जगह अब गैर परंपरागत रंग पसंद किए जा रहे है। चमकीले की जगह हलके रंगों ने ले ली है। पहनावे में कई तरह के शिल्प और कलाकारी का प्रयोग एक साथ है। घेरदार पहनावे में चुन्नटों का प्रयोग भी है।

कंधा है खास

डिजाइनर प्रिया कटारिया पुरी कंधों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए धनुष, कपड़े के फूल, पंख, फ्रिंज और पफ आस्तीन जैसे सजावट चुनने का सुझाव देती हैं, जबकि ब्लॉगर ब्रिंडा शाह कंधों के डिजाइन के लिए कढ़ाई, पैड और अन्य सजावट की पेशकश करती हैं।




फैशन डिजाइनर बर्बर कहती हैं कि शादी के इस मौसम में बहुत ज्यादा कसीदाकारी वाली शेरवानी पसंद किए जाने की उम्मीद कम ही है। कुर्ता और स्लिमकट शेरवानी इस मौसम में खास है।अलीगड़ी शेरवानी और अलीगड़ी पैंट फैशन में है। शेरवानी की उंचाई पहले से कम है।

इसकी वजह यह है कि कोई भी खुद को बोरियत भरे अहसास के साथ नहीं देखना चाहता। नए रंग, नयी सजधज का दिवाना हर कोई है चाहे वह पुरूष हो या स्त्री।

डिज़ाइनर अर्पिता मेहता कहती हैं ,अपने लंहगे को आकर्षक बनाने एक और आसान तरीका है अपने चोली या ब्लाउज के ऊपर एक केप या पोंचो को पहन लें। केप और पेंचों दोनो ही इस समय खूब पसंद किए जा रहे है।



चुन्नटदार लंहगे के साथ स्कर्ट भी खूब चल रही है। साड़ी पहनने का अंदाज अब पूरी तरह बदला है। स्कर्ट, और ढीले ढ़ाले पैजामे के पसंद करने वालोंकी संख्या में इजाफा हुआ तो साड़ी को भी आरामदायक बनाने की कोशिशें तेज हुईं। फैशन में चुन्नदार साड़ी आई जो काफी लोकप्रिय हो रही है। चुन्नटों का प्रयोग सिर्फ परंपरागत परिधानों में ही नहीं हुआ आधुनिक परिधान भी इससे खूब सजे। 1990 में भी यह फैशन में आया था पर तब लोगों ने इसे ज्यादा पसंद नहीं किया। पर इस बार इसके कद्रदानों में फिल्मी हस्तियां भी शामिल है। पल्लू में छोटी चुन्नट और प्लेट्स के सामने वाले हिस्से में बड़ी चुन्नटों का प्रयोग इसे अभिनव बना रहा है। इस तरह की साड़ी जार्जेट औक शिफान में पसंद की जा रही है।



लंबी आस्तीन

साड़ी के साथ अब लंबी बाजू वाले ब्लाउज का फैशन है। कह सकते है 1990 के दशक का फैशन नई सजधज के साथ लौटा है। लेकिन यह आस्तीन सादी नहीं है। इसमें भी चुन्नटों का प्रयोग है और ऊपर से यह फूली हुई है। इसे पफ स्टाइल कहा जाता है।

चूड़ीदार पैंट के साथ साड़ी

साड़ी अभी भी लोकप्रिय हैं बस इसे अब पेटीकोट के बजाय चूड़ीदार पैंट के साथ पहना जा रहा है। यह पेंट साड़ी के साथ दिखाई देती है। इसके साथ आप आर्टिफिशियल ज्वैलरी पहन सकती हैं। जिस साड़ी का चुनाव करें वह हलके कपड़े में होनी चाहिए। पीला लाल और नीला रंग इस बार फैशन में हैं इसके हलके और गहरे शेड में से आप कुछ भी चुन सकते हैं।

यदि भारी, अत्यधिक सजावट वाले लहंगे के देखकर आप अटपटा महसूस कर रहे है और आपको नवंबर की सर्दी में भी गर्मी का अहसास हो रहा है तो आप अपने लिए गहरे रंग के लंहगे का प्रयोग करें और उसके साथ फूलों के प्रिंटवाली जैकेट पहनें। पुरूष भी फूल प्रिंट वाली जैकेट पहन सकते हैं। चुन्नटों वाले लंहगे और साड़ी इस समय का नवीनतम फैशन है एक बार आप भी आजमाएं।

प्लाजो को करें विदा और सरारा गरारा के करें नमस्ते. जी हां यह चलन है इन दिनों। इसके साथ ही आप लंबी या छोटी जैकेट जैकेट भी पहन सकती हैं। साड़ी के साथ कोट ब्लैजर या जैकेट भी इन दिनों खूब पसंद की जा रही है।

तो आप भी इस त्यौहार में सजने संवरने के लिए तैयार हो जाइए। क्रिसमस से लेकर शादी तक के निमंत्रणपत्र तैयार हो चुके हैं। बस आप अपने निमंत्रण पत्र का इंतजार कीजिए।

फैशन ये कहता है यारा तुझमें मैं, मुझमें तू.. अनुजा भट्ट


फैशन में यह समय जड़ों की तरफ लौटने का है। हम अपने प्राचीन संगीत नृत्य और ताल को खोज रहे हैं। परंपरागत पहनावे और संस्कृति को महत्व दे रहे हैं। हमारी बोली बानी में भले ही अंग्रेजियत रच बस गई हो पर जब बात उत्सव की आती है तो हम अपनी संस्कृति को याद करते हैं। परंपरा के अनुसार पहले शादी के अवसर पर परिवार के सभी सदस्य एक जैसी पगड़ी या साफा पहनते थे और परिवार की महिलाएं दुप्पटा या ओढ़नी. फिर सब कुछ बदल गया था. लेकिन अब हम वापसी कर रहे हैं...
शादियों में फैशन हर साल एक नया ट्रेंड लेकर आता है जिसे सब महसूस करते हैं। पिछले साल तक शादियों में थीम को बहुत महत्व मिला। थीम के मुताबिक शादी के मंडप सजाए गए। कहीं ताजमहल ते कहीं लाल किला नजर आए। पर इस बार जो शादियां हो रही हैं वहां संस्कृति रचबस रही हैं। शादी के कार्ड के साथ मिठाई देने की पुरानी परंपरा थोड़े फैशन के साथ और ज्यादा ताजी हो गई है । शादी का कार्ड और मिठाई का डिब्बा अब साथ है। दूल्हा दुल्हन का जोड़ा ही अब डिजाइनर नहीं है बल्कि परिवार के अन्य लोगों के परिधान भी डिजाइनर हो गए हैं। फिल्मी सेलिब्रिटी शादियों का यह माहौल अब मध्यमवर्ग को भी प्रभावित कर रहा है। यह मौका शादियों में किसी थीम को दिखाने का नहीं रहा बल्कि अब तो हम अपनी संस्कृति में फैशन को घोल रहे हैं।


यह समय हॉलीवुड- वॉलीवुड और उद्योगपतियों की शादियों का है। दीपिका पादुकोण- रणवीर सिंह तो प्रियंका निक की जोड़ी के साथ उद्योगपति मुकेश अंबानी की बेटी ईशा आनंद की शादी की सुर्खिया सभी जगह छाई हुई हैं। इन सुर्खियों में जिस पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वह है पहनावा और संस्कृति। शादी के संगीत में जिस तरह से डीजे धमाल मचा रहा था और कुछ खास गानों पर लोग थिरक रहे थे। वहां से हम वापस हे लिए हैं अब हमें वहीं पुराने लोकगीत, शास्त्रीय संगीत, नृत्य, सूफी और कब्बाली याद आ रही है। नीता अंबानी का नृत्य इसी परंपरा का फैशनबल रूप है। अपने को पहचानने की ललक और प्रेम, शादी का मूल मंत्र भी यही है।


इन शादियों में मेहमानें के साथ ही साथ उनका पहनावा भी कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। महत्वपूर्ण इसलिए भी क्योंकि यह अलग अलग संस्कृतियों के मिलन का भी प्रतीक था और विविधता का भी। विभिन्न संस्कृतियों का पहनावा, सजधज, आभूषण और अलंकार साथ ही रीति नीति के जरिए हमने बहुत सारी विविधताएं देखी। यह विवधताएं फैशन के गलियारों से होते हुए जब हम तक पहुंची तो उसमें ग्लैमर का तड़का भी था। दीपिका ने कोंकणी रिवाज के अनुसार पहले सफेद रंग का लंहगा पहना तो रणवीर ने भी सफेद रंग का कुर्ता, चूड़ीदार और पगड़ी पहनी। सफेद रंग के बाद दीपिका ने नारंगी रंग का लंहगा पहना। कोंकणी शादी के बाद उनकी शादी सिंधी और पंजाबी रीतिनीति से भी हुई जिसमें उन्होंने सलवार कुर्ता पहना। इस तरह कोंकणी गहनों के साथ ही दीपिका ने पंजाबी चूड़ा भी पहना। प्रियंका की शादी भी दो तरह से हुई। इसाई रीति रिवाज और पंजाबी संस्कृति की झलक हर जगह दिखाई दी। प्रियंका ने भी ईसाई शादी में लंबा गाउन पहना तो लंहगा और साड़ी भी पहनी।


इन दिनों फैशन में जो ट्रेंड सामने दिखाई दिया वह है जोड़े का एक जैसा पहनावा, सिर्फ रंग में ही नहीं स्टाइल में भी..आइए पहले बात करते हैं हाल ही में शादी के बंधन में बंधे रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की। शादी से पहले भी कई बार और शादी के बाद तो लगातार यह जोड़ा साथ में एक दूसरे से मेल खाते पहनावे में नजर आ रहे हैं।


दुनिया की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक ऐश्वर्या और उनके पति अभिषेक बच्चन भी कई बार एक ही तरह के पहनावे में नजर आ चुके हैं । इनकी अंतरंगता लोगों के बीच सफल जोड़े की पहचान विकसित करती है। क्रिकेट कप्तान विराट कोहली और बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा पिछले ही साल शादी के बंधन में बंधे हैं। अक्सर हाथों में हाथ डाले ये जोड़ा एकजैसे पहनावे में नजर आ चुका है।


देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा और हॉलिवुड के चर्चित गायक निक जोनस को भी कई बार एकजैसे पहनावे में एकसाथ कभी साइकिल चलाते हुए तो कभी एयरपोर्ट पर देखा गया है।


दिव्यंका विवेक-छोटे पर्दे का ये खूबसूरत और मशहूर जोड़ा शादी करके अपने प्यार को नाम दे चुका है। चाहे परंपरागत परिधान हों या पाश्चात्य शैली में बने परिधान.. दोनों कई मौकों पर एकजैसे पहनावे में नजर आ चुके हैं।


इसी साल शादी के बंधन में बंधे युविका और प्रिंस ने हाल ही में एक फोटो शेयर की है जिसमें दोनों एक जैसी टी-शर्ट पहने हैं। बिपाशा और करण भी कई बार एक साथ रंग में रंगे नजर आते हैं।


वैसे तो मीरा बॉलिवुड से नहीं है लेकिन वो किसी बॉलिवुड की अभिनेत्री से कम नहीं लगतीं। दोनों अपने रोमांटिक अंदाज से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचते नजर आते हैं। इन दोनों को भी कई बार एक जैसे पहनावे में में देखा गया है।


क्या है यह ट्रेंड


इस ट्रेंड का सीधा सा मतलब यह है कि लोग जोड़े में हो या समूह में वह एक जैसा दिखना और महसूस करना चाहते हैं। पहले यह मैचिंग यानी समरूपता वाला फैशन हर कोई अपने लिए करता था । मैचिंग यानी समरूपता पहले परिधान औरर आभूषणें तक ही सीमित थी फिर उसके साथ अन्य चीजें भी जुड़ी जैसे पर्स चप्पल जूते आदि. फिर जमाना आया कंट्रास्ट यानी विरोधाभासी रंगों का। लेकिन अब यह मैचिंग वाला फैशन व्यक्तिगत न होकर सामूहिक हे गया है। जोड़े कई तरह के हो सकते हैं।


पतिपत्नी


सिर्फ सेलीब्रिटी पति पत्नी ही नहीं आम पतिपत्नी भी आजकल किसी कार्यक्रम में जाते हैं तो कोशिश होती है एक तरह के परिधान पहनने की। पहनावा एक जैसा न हो तो बात रंग पर आ जाती है। एक ही रंग..


दोस्ती में भी यह चलन में है। दोस्त भी पार्टी में यह ट्रेंड अपनाते हैं यहां पर वह एक जैसी एक्सेसरीज पर जोर देते हैं लड़किया हैं तो एक जैसी इयररिंग ,पर्स और लड़के हैं तो एक जैसे मफलर. कुछ न कुछ मैचिंग जरूर होना चाहिए।


मां बेटी और पिता पुत्र


मां बेटी और पिता पुत्र भी इस ट्रेंड में पीछे नहीं हैं। वह भी एक जैसा फील चाहते हैं कभी टीशर्ट में तो कभी एक जैसे कुर्ते में वह फैशन का यह बदलाव महसूस करते हैं। अलग अलग साइज में एक ही प्रिंट या डिजाइन की सहूलियत भी है। ब्रांड अलग अलग साइज में एक ही डिजाइन के कई परिधान बनाती हैं। परिधान सब तरह के डिजाइन में हैं आप चाहें तो पाश्चात्य शैली से लेकर भारतीय शैली तक किसी से भी कुछ भी चुन सकते हैं।


एक जैसा दिखने और महसूस करने के लिए जरूरी नहीं कि पहनावा परंपरागत ही हो। भारतीय और पाश्चात्य शैली में बने किसी भी परिधान के साथ यह प्रयोग किया जा सकता है। यह बहुत खर्चीला भी नहीं है। आप सीमित बजट में भी इसे अपना सकते हैं।


संक्षेप में कहूं तो फैशन में यह समय समरूपता, एकाग्रता और संस्कृतियों के मिलन का है। फिर चाहे वह संगीत हो खानपान हो या हो पहनावा.. आप भी इस ट्रेंड को अपनाएं और कुछ खास महसूस करें।

शनिवार, 24 नवंबर 2018

क्याें पिछड़ गई भारतीय महिलाएं- रामचंद्र गुहा. प्रसिद्ध इतिहासकार

सरोजिनी नायडू 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनी थीं। उनके नाम का प्रस्ताव महात्मा गांधी ने किया, जो ‘हिंदू-मुस्लिम एका की पक्षधर' होने के नाते नायडू के प्रशंसक थे। गांधी की नजर में सरोजिनी नायडू का चयन ‘हमारी भारतीय बहनों की प्रशंसा का सबसे माकूल तरीका था, जिसकी लंबे समय से दरकार थी।' 1925 में तो पश्चिम में भी किसी बड़े राजनीतिक दल के मुखिया पद पर महिला का आना असंभव सी बात थी। हाल ही में जब मैंने बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम में इस सच को रेखांकित किया तो इसका जबर्दस्त स्वागत हुआ। इतना कि मुझे दर्शकों को रोकना पड़ा। क्योंकि 1925 से अब तक पश्चिम तो राजनीति के शीर्ष पर महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने में तेजी से आगे बढ़ा, लेकिन हमारी प्रगति कमजोर रही है। .


आज के नारीवादी मानकों से तो शायद गांधी भी हतप्रभ होते। उन्होंने तो अपनी पत्नी को हमेशा खुद से आगे देखा। उन्हें अपने समय के अन्य विश्व नेताओं की अपेक्षा ज्यादा महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में लाने का श्रेय है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भी सरोजिनी नायडू ही नहीं, कमलादेवी चट्टोपाध्याय, राजकुमारी अमृतकौर और विजयलक्ष्मी पंडित भी पहले से थीं। इसके विपरीत उसी दौर के फ्रैंकलिन रूजवेल्ट और विंस्टन चर्चिल जैसे नेताओं की पार्टी में कोई वरिष्ठ महिला सहयोगी नहीं दिखती। चार्ल्स द गॉल, माओत्से तुंग या हो ची मिन्ह भी अपवाद नहीं हैं।.


अमेरिकी राज्यों में भी महिलाएं ठीक-ठाक संख्या में हैं, जहां विधायिका में उनकी 25 फीसदी भागीदारी है। अरिजोना और वरमांट जैसे राज्यों में तो यह प्रतिशत 40 तक पहुंच गया है, जबकि हमारी विधानसभाओं में यह अनुपात संसद से भी कम महज नौ फीसदी है।.

1925 में गांधी, राजनीति में महिला हिस्सेदारी के सवाल पर रूजवेल्ट और चर्चिल से भले आगे रहे हों, लेकिन उन देशों के स्त्रीवादी आंदोलनों ने पुरुष सत्ता को पीछे धकेलते हुए महिलाओं को अच्छी-खासी भागीदारी दिला दी, जबकि भारत पितृसत्ता की छाया से नहीं निकला। यही हमें आरक्षण के सवाल से टकराने को मजबूर करता है। .

भारत जैसे पिछड़े समाज वाले देश में हमें महिलाओं के लिए कानूनी तौर पर आरक्षण की सख्त जरूरत है। यहा पंचायत व नगर पालिका स्तर पर तो आरक्षण मौजूद है, विधानसभाओं और संसद के स्तर पर नदारद। जबकि यह कहीं ज्यादा जरूरी था, क्योंकि विधायकों-सांसदों के पास पंचायत सदस्यों की अपेक्षा कहीं ज्यादा फंड तो होता ही है, नीति-निर्धारण में भी इनकी प्रत्यक्ष भूमिका होती है। .

यूपीए सरकार के दौरान महिला आरक्षण विधेयक लाया जरूर गया, जिसमें लोकसभा व विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की बात थी, लेकिन अफसोस कि कांग्रेस ने इसे पास कराने में अपनी पूरी ऊर्जा नहीं लगाई। उस वक्त तो लोकसभा में विपक्ष की नेता भी एक महिला सुषमा स्वराज थीं, लेकिन फिर भी यूपीए अध्यक्ष भाजपा को इस मुद्दे पर साथ लाने में कामयाब नहीं हुईं। विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया, लेकिन लोकसभा में अटक गया। बाद में कांग्रेस ने भी इसे बीच राह छोड़ दिया। .

वर्ल्ड इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स रिसर्च का हालिया अध्ययन कहता है कि विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ना भारतीय लोकतंत्र को मजबूती देगा। विधानसभाओं में विधायकों के कामकाज की लिंग आधारित पड़ताल का यह विश्लेषण बताता है कि महिला विधायकों की अपेक्षा पुरुषों पर आपराधिक आरोप होने की गुंजाइश तीन गुना ज्यादा है और पुरुषों की अपेक्षा महिला विधायकों की संपत्ति में भी दस प्रतिशत कम ही इजाफा हुआ है। सड़क निर्माण पर महिला और पुरुष, दोनों समान रूप से उत्साहित दिखे, लेकिन महिला विधायक के क्षेत्र में इसकी प्रगति खासी बेहतर दिखी। व्यापक तौर पर देखें, तो यह अध्ययन जमीनी हकीकत दिखाता है। .

विधानसभाओं और संसद में महिलाओं की ज्यादा भागीदारी के पीछे मूल रूप से नैतिकता और न्याय की भावना थी, लेकिन अब ऐसा लगता है कि इसके लिए पर्याप्त आर्थिक आधार भी मौजूद हैं। इस व्यापक अध्ययन के नतीजे देखकर किसी को भी महिला आरक्षण कानून बनवाने में यूपीए की विफलता पर अफसोस होगा। लेकिन अब चूंकि कांग्रेस और भाजपा, दोनों से ही इस मामले में कोई उम्मीद नहीं है, इसलिए सारी उम्मीदें उस सामाजिक दबाव पर ही निर्भर हैं कि वहां से दलों और नेताओं पर दबाव बढ़े, ताकि इस जरूरी कानून की राह फिर से खुल सके।.

जिस वक्त यह आलेख अंतिम रूप ले चुका था, ओडिशा विधानसभा ने विधायिका में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव पारित किया है, पर राज्य के अन्य दलों ने इसे बीजू जनता दल का पाखंड व अवसरवादिता बताते हुए निंदा की है। वे इसी आरोप में एक बार फिर दोषी साबित होंगे, अगर लोकसभा में भी वे ऐसे किसी विधेयक के पक्ष में और मजबूती से नहीं खड़े होंगे।. .

(दैनिक हिंदुस्तान से साभार)

मंगलवार, 20 नवंबर 2018

स्वस्थ आँखें हजार नियामत- डॉ. दीपिका शर्मा

आज के इलेक्ट्रानिक युग में सबसे ज्यादा स्वास्थ्य आँखों का प्रभावित होता है। छोटे छोटे बच्चों की आँखों में चश्मा चढ़ा होता है। जिनको पढ़ाई तो करनी ही है साथ ही टीवी, वीडियो गेम, कंप्यूटर, मोबाइल के कारण आँखें ज्यादा खराब होती है। कंप्यूटर पर लगातार काम करने के कारण आँखों में जो समस्या उत्पन्न होती है उसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम सीवीएस कहते हैं। जिसके लक्षण हैं आँखों में दर्द, सिरदर्द, ड्राई आँख, थकी और लाल आँखें, धुंधला और दो दिखाई देना,गर्दन और पीठ में दर्द आदि।

इससे बचने के उपाय

  • आँखों को बीच बीच में झपकाएं इससे आप आँखों की ड्राई समस्या से बचेंगे. 
  • बीच बीच में खिड़की के बाहर किसी दूर चीज पर नजर टिकाएं. फिर थोड़ी देर के लिए आखें बंद करें, इससे आराम मिलेगा. 
  • 20-20 का रूल अपनाएं- हर बीस मिनट पर आँखों को बीस फिट दूर रखी चीज पर 20 सैकेंड तक टिकाएं. 
  • कंप्यूटर का मानीटर आपसे 20 या 26 इंच की दूरी पर रहे। जिसकी स्क्रीन का ट़ॉप आई लेवल पर रहे. 
  • जो लोग कंप्यूटर पर जॉब नहीं करते वह भी मोबाइल पर गेम खेलने में अपना समय खर्च करते हैं। जबकि समझदारी इसी में है कि इसमें अपना कम से कम समय बिताएं. 
  • इन सबके अलावा आँखों का व्यायाम अवश्य करें। जैसे गर्दन स्थिर रखकर आँखों को ऊपर नीचे दाएं बाएं घुमाना. 
  • क्लॉक वाइज और एंटी क्लॉक वाइज 10 बार घुमाना 
  • नाक के टिप को देखना, फिर सामने देखना. 
  • पामिंग अवश्य करें.किसी आँखों के डाक्टर स सीखकर अवश्य करें. 
  • पेंसिल की टिप के पास लाना और जब एक के दे दिखाई दें तो दूर ले जाना. 
  • आँखों में ठंडे पानी के छींटे अवश्य मारने चाहिए. आँखों के स्वास्थ्य के लिए हरी सब्जियां और पीले फल अवश्य खाने चाहिए. 
  • बादाम भिगोकर खाने और काली मिर्च से आँखों के बहुत फायदा होता है। 
  • सौंफ, नारियल का बुरादा और मिश्री मिलाकर रख लें और एक चम्मच हर रोज खाएं, आराम मिलेगा. 
  • सुबह नंगे पांव घास में चलना भी फायदेमंद है. 
उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में रखकर आप अपनी आँखों को स्वस्थ रख सकते हैं। ज्यादा समस्या होने पर आप आँखों के डाक्टर से परामर्श अवश्य लें।
डा. दीपिका शर्मा अपाेलाे  फेमिली क्लीनिक नौएडा, उत्तरप्रदेश, सेक्टर 110 में  फेमिली फिजिशियन हैं।
 सेहत से जुड़े सवाल आप हमारे मैं अपराजिता के फेसबुक पेज में कर सकते हैं। अपनी सेहत संबंधी समस्या के लिए आप हमें मेल भी कर सकते हैं-
.mainaparajita@gmail.com

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

VAGEESHA CLUB

जीभरकर साेएं बदलें में इनाम भी पाएं- डा. अनुजा भट्ट

जापान में शादियां आयाेजित करने वाली एक कंपनी क्रेजी इंक अपने उन कर्मचारियों को वेतन से अलग एक इनाम देती है, जो अच्छी नींद के बाद दफ्तर पहुंचते हैं।हफ्ते के पांचों दिन कम से कम 6 घंटे की नींद लेने वाले कर्मचारियों को पूरे साल अवॉर्ड में कुछ पॉइंट्स देती है, जिनकी कीमत 570 डॉलर यानी करीब 41 हजार रुपये है। इन पॉइंट्स को कर्मचारी दफ्तर की कैंटीन में खर्च कर सकते हैं। यानी अच्छी नींद के बदले मिलेगा फ्री खाना।
कंपनी का मानना है कि बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए कर्मचारियों के लिए पर्याप्त नींद जरूरी है। इसलिए उन्होंने पर्याप्त नींद लेने वाले कर्मचारियों को इनाम देने का फैसला किया है। कंपनी के प्रमुख केजूहिको मोरियामा का कहना है कि हमें कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करनी होगी नहीं तो देश खुद-ब-खुद कमजोर हो जाएगा। यह कंपनी ऐप के जरिए सोने का ट्रैक जारी करती है। खासतौर पर विकसित किए गए एक ऐप के जरिए सोने के घंटे का ट्रैक रखा जाता है।
यह कंपनी नींद के अलावा बेहतर पोषण, व्यायाम और कार्यालय में पॉजिटिव माहौल को बढ़ावा भी देती है।
‘फुजी रियोकी’ नाम की कंपनी के सर्वे के मुताबिक, 20 साल से अधिक उम्र के 92 प्रतिशत से ज्यादा जापानियों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त नींद नहीं मिल रही है। एेसी स्थिति में यह कदम बेहद सराहनीय है।

Special Post

मिथक यथार्थ और फेंटेसी का दस्तावेज-डॉ. अनुजा भट्ट

  (अब पहले की तरह किस्से कहानियों की कल्पनाएं हमें किसी रहस्यमय संसार में नहीं ले जाती क्योंकि हमारी दुनिया में ज्ञान, विज्ञान और समाज विज्...