शनिवार, 6 अक्टूबर 2018

संस्कृति- स्वागत गीत में बदल गया रेडिया ड्रामा

पितृपक्ष विसर्जन अमावस्या के दिन सुबह चार बजे देश और दुनिया के तमाम बंगाली उठ जाते हैं. श्राद्ध पक्ष के खत्म होने और दुर्गापूजा के आने के बीच इस दिन अल सुबह हर पारंपरिक परिवार में एक रस्म निभाई जाती है. रेडियो ऑन करके वीरेंद्र कृष्ण भद्र के धार्मिक प्ले महिषासुर मर्दनी को न सुन लिया जाए. दुर्गापूजा की शुरुआत नहीं मानी जा सकती है.

हिंदुस्तान अनोखी रवायतों का देश है और 1931 में पहली बार सुनाए गए इस प्ले का बंगाल के सबसे बड़े पर्व का हिस्सा बन जाना भी ऐसी ही एक अनोखी मिसाल है. 1966 में रेडियो पर पहली बार महालया (पितृविसर्जन अमावस्या का बंगाल में प्रचलित नाम) के दिन वीरेंद्र भद्र के प्ले महिषासुर मर्दनी को ब्रॉडकास्ट किया गया था. देखते ही देखते 90 मिनट की ये कंपोज़ीशन मां दुर्गा के स्वागत का प्रतीक बन गई.

1905 में पैदा हुए वीरेंद्र भद्र प्ले राइटर, ऐक्टर और डायरेक्टर थे. यूं तो उन्होंने ‘साहब बीबी गोलाम’ जैसे कई मशहूर बांग्ला नाटक डायरेक्ट किए मगर संगीतकार पंकज मल्लिक के साथ मिलकर बनाई गई उनकी कंपोजीशन महिषासुर मर्दनी ने उन्हें साहित्य और कला जगत के साथ-साथ धार्मिक रस्मो-रिवाज का हिस्सा बना दिया.
दुर्गा सप्तशती, लोक संगीत और कूछ दूसरे मंत्रों को मिलाकर बनाई गई इस रचना में विरेन के पढ़ने का अंदाज रोंगटे खड़े कर देता है. ऑल इंडिया रेडियो ने इस प्ले के साथ बीच-बीच में कई प्रयोग करने की भी कोशिश की. बांग्ला फिल्मों के सुपर स्टार उत्तम कुमार को वीरेंद्र भद्र की आवाज को रिप्लेस करने के लिए लाया गया. उत्तम कुमार अपनी तमाम लोकप्रियता के बावजूद बुरी तरह से हूट किए गए. आप आज भी उस दौर के किसी कोलकाता वाले से पूछिए, इस घटना को याद करके वो इस तरह से गुस्सा होगा मानों कि वीरेंद्र भद्र की आवाज को रिप्लेस करना कोई धार्मिक पाप हो.

वीरेंद्र भद्र 1991 में इस दुनिया से चले गए मगर उनकी आवाज हर साल एक तय वक्त पर देवी दुर्गा का स्वागत करती है. बदलते दौर के साथ महिषासुर मर्दनी यूट्यूब, सीडी और दूसरे डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध हो गया है मगर इसका जादू अभी भी वैसा है.
साभार-
फर्स्ट पाेस्ट से साभार...

शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018

बाल कहानी- जादुई गुलाबी तकिया/ नीलम चन्द्रा

'होप' नामक अनाथालय में ग्रेशिया नामक आठ वर्षीय बालिका रहा करती थी। वो तन और मन दोनों से ही बहुत सुंदर थी और सबकी चहेती थी। यह देखकर उसकी सहेली जूलिया बहुत जला करती थी। अनाथालय मुश्किलों के दौर से गुजर रहा था और हरदम पैसों की तंगी रहती थी। अनाथालय की बालिकाओं को हरदम कोई ऐसे अतिथि के आगमन का इंतज़ार रहता था जो उनके लिए अच्छी चीजें लेकर आए। यदि कोई अतिथि अच्छा खाना लेकर आ जाता तो उनको खाने में अच्छी चीजें मिल जाया करती थीं, वर्ना उन्हें पतली दाल और चावल खाकर ही गुजारा करना पड़ता था।कभी-कभी कुछ अधिक स्नेही अतिथि बालिकाओं के लिए अच्छे कपड़े अथवा खिलौने भी ले आते थे जिसे देखकर सभी के मुख पर मुस्कान आ जाती थी चूँकि अनाथालय तंगी के दौर से गुजर रहा था, इसलिए सभी बच्चों के बीच काम बाँट दिए गए थे। बड़े बच्चों को खाना बनाने का काम दे दिया गया था और छोटे बच्चों को सफाई, बर्तन साफ करना, अनाज चुनना, सब्जी काटना इत्यादि जैसे काम दे दिए गए थे। ग्रेशिया का दिन सुबह साढ़े चार बजे से शुरू हो जाता था। सबसे पहले वो सुबह उठकर एक-डेढ़ घंटा पढाई करती। फिर उस हफ्ते का उसको दिया हुआ काम निपटाती और फिर स्कूल जाती।
जहाँ स्कूल से लौटने पर बाकी बच्चे खेलते-कूदते, ग्रेशिया एक बार फिर पढाई में लग जाती। शाम को एक आद घंटा खेलने के पश्चात वो अपना शाम कार्य निपटा कर सो जाती, इस बार बहुत दिनों से कोई अतिथि का आगमन नहीं हुआ था और कई दिनों से वही पतली दाल और चावल खाते हुए बच्चे ऊब गए थे। एक रात जब ग्रेशिया रात को अपने बिस्तर पर सोने को लेटी, तो उसका कड़ा और कठोर सा तकिया देख दुःखी हो गई। जहाँ उसका बिस्तर था, उसी के पास खिड़की थी। खिड़की से आसमान साफ नज़र आ रहा था। ग्रेशिया सबसे तेज रोशनी वाले तारे की तरफ मुँह करती हुई बोली, "कितने नर्मआसमान में तुम रहते हो? क्या तुमको हमपर दया नहीं आती? अरे कम से कमखाना-पीना नहीं तो एक नर्म तकिया मुझे भी दिलवा दो ना! चूँकि रात को ग्रेशिया को देर तक नींद नहीं आई थी, उसे सुबह उठने में देर हो गई थी। दौड़ती-भागती वो स्कूल पहुँची। जब वापस अनाथालय पहुँची तो उसे आगँतुक कक्ष में भीड़ देखते ही समझ गया कि कोई अतिथि का आगमन हुआ है। अँदर पहुँचकर देखा एक बहुत प्यारी सी युवती थी। वो सभी बच्चों के लिए कुछ ना कुछ भेंट लाई थी। ग्रेशिया भी भेंट लेने के लिए लाइन में लग गई। वो लाइन में सबसे पीछे थी। उसे मन ही मन यह डर भी था कि उसका नंबर आते-आते कोई भेंट बचेगी भी कि नहीं। उधर जूलिया उसे चिढा भी रही थी। उसे बार-बार कहे जा रही थी, "देख लेना, तुम्हारा नंबर आते-आते सारी भेंट खत्म हो जाएँगी।" परग्रेशिया ने उसकी तरफ ध्यान देना बंद कर दिया था, जब उसका नंबर आया तो सचमुच उस युवती का झोला खाली हो चुका था। पर वो युवती मुस्कुराते हुए बोली, "तुम तो ग्रेशिया हो ना? तुम्हारे लिए मैं एक नर्म तकिया लाई हूँ। फिर उसने उसे एक सुँदर सा गुलाबी तकिया निकालकर दिया और बोली, "तुमको यही चाहिए था ना? देखो मुझे पता चल गया था। यह जादुई तकिया है। तुम इससे रोज एक मुराद माँग सकती हो। बस इस बात का ख्याल रखना कि कभी कोई गलत चीज मत माँग बैठना जिससे किसी और को हानि हो सकती हो। यह तकिया हरदम तुम्हारा साथ देगा।"
ग्रेशिया को मुराद वाली बात ना ही समझ में आई ना ही उसका ध्यान उसपर गया। वो तो एक नर्म तकिया पाकर खुश थी।उस रात वो उसपर बड़े आराम से सोई। और बच्चों को ज्यादतर सुंदर कपड़े,जूते इत्यादि मिले थे और वो बहुत खुश थे। जूलिया अपना लाल फ्रॉक उसे दिखा-दिखाकर जलाने की कोशिश करने लगी। पर ग्रेशिया अपनी भेंट से खुश थी। आखिर उसे मनचाही मुराद जो मिल गई थी। उसने उस तेज रोशनी वाले तारे को मन से धन्यवाद दिया, एक दिन ग्रेशिया अपने उस गुलाबी तकिए पर सर रखकर लेटी हुई थी। उसने देखा था कि उसके स्कूल में अन्य बच्चे पानी पीने के लिए वाटर बॉटल लाते हैं। वो सोचने लगी कि काश उसके पास भी एक वैसी ही बॉटल होती। उसे आश्चर्य तब हुआ जब अगले दिन वाकई स्कूल में उसकी टीचर ने घोषणा की कि ड्राइंग प्रतियोगिता में उसे प्रथम पुरस्कार मिला है और उसे एक सुँदर नीली बॉटल भेंट की। ग्रेशिया यह तो समझ गई थी कि यह सब गुलाबी जादुई तकिए की वजह से हुआ है और वो बहुत खुश रहने लगी थी। वो जो चाहती थी वो पूरा जो होने लगा था। पर उसने उस युवती कि बात हमेशा याद रखी और कभी किसी को हानि पहुँचाने वाली कोई चीज नहीं माँगी।
ग्रेशिया वैसे भी किसी को नुकसान पहुँचाने की सोच ही नहीं सकती थी। पर ग्रेशिया के मन की सारी इच्छाएँ पूरी होते देख जूलिया जलभुन कर राख होने लगी थी। उसका ध्यान अब इस पर ही रहने लगा था और वो ग्रेशिया पर नज़र रखने लगी थी। एक दिन जूलिया ने देखा कि ग्रेशिया अपने तकिए से कुछ बात कर रही है तो वो सतर्क होकर सुनने लगी। वो उससे कह रही थी, "प्यारे तकिए, तुम कितने अच्छे हो! तुम मेरी सारी जरूरतें पूरी कर देते हो। मैंने बहुत दिनों से आइसक्रीम नहीं खाई है। कल मुझे एक आइसक्रीम खिला देना – प्लीज!"जूलिया को अब ग्रेशिया की खुशी का राज समझ में आ गया था। अगले दिन जब सारे बच्चे स्कूल जा रहे थे, जूलिया ने पेटदर्द का बहाना बनाया और अनाथालय में ही रुक गई। सबके जाते ही उसने तुरंत अपना तकिया ग्रेशिया के तकिए से बदल दिया और उसके तकिए पर अपना गिलाफ चढ़ा दिया और अपने तकिए पर उसका। फिर वो खुशी-खुशी उस जादुई तकिए पर सर रखकर लेट गई जूलिया के मन में खोट तो थी ही। 
उसने जैसे ही तकिए पर हाथ रखा उसके मन में तुरंत आया कि वो सबसे पहले यह माँगे कि ग्रेशिया के साथ कुछ बुरा हो। उसने तकिए पर सर रखकर यह इच्छा जाहिर की कि ग्रेशिया को स्कूल में बहुत डाँट पड़े पर जूलिया को यह पता नहीं था कि कुछ बुरा माँगते ही तकिए की जादुईशक्ति खत्म हो जाती है। उसने यह इच्छा जाहिर की ही थी कि सामने वो युवती खड़ी थी जिसने उन्हें कुछ दिनों पहले कई उपहार दिए थे। वो युवती असल में सिमी परी थी और वो उस तेज चमकने वाले तारे पर रहती थी। उसी ने ग्रेशिया द्वारा एक नर्म तकिए की मुराद सुनी थी और उसे वो जादुई तकिया दिया था। पर उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसने तो वो जादुई तकिया ग्रेशिया को दिया था और अब वो जूलिया के पास था!उसे सारी बातें समझते देर ना लगी। उसने जूलिया से कहा, "जो दूसरों का बुरा चाहते हैं, उनके साथ बुरा ही होता है। मुझे पूरा विश्वास हैकि तुमने यह जादुई तकिया ग्रेशिया से चुराया है। इसकी सज़ा यह है कि मैं ग्रेशिया को यह वरदान देती हूँ कि अब उसकी एक की जगह दो मुरादें पूरी हुआ करेंगी। और तुम्हें अब तब तक कोई भी वस्तु नहीं मिलेगी जब तक तुम उस दिन कोई अच्छा काम नहीं करतीं।"
तब तक ग्रेशिया भी स्कूल से वापस आ गई थी। उसने जब यह सारी बातें सुनीं तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया। वो सिमी परी से जूलिया को माफ करने का निवेदन करने लगी। यह देख जूलिया की आँखों में आँसू आ गए।उसने तो जलन की वजह से ग्रेशिया का बुरा ही चाहा था। पर यहाँ ग्रेशिया उसके लिए माफी माँग रही थी। उसने सिमी परी से कहा, "मुझे आपकी शर्तमंजूर है। मेरी बुराइयों ने मेरी आँख के आगे पट्टी बाँध दी थी जो अबखुल चुकी है। शर्त के अनुसार मैं अब अच्छा कार्य करने की कोशिश करूँगी।" फिर वो ग्रेशिया की तरफ देखती हुई बोली, "बहन, मुझे माफ करदो और मुझे अपने जैसा बनाने में मेरी यदि मदद कर सको तो मैं तुम्हारी सदा आभारी रहूँगी ग्रेशिया ने जूलिया को गले लगा लिया।सिमी परी दोस्ती की इस शुरूआतको देख मुस्कुरा दी। NEELAM SAXENA CHANDRA-Electrical/electronic Engineering · Novelist · Poetry · Song writing · Writer

गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018

ऐसे करें सूरजमुखी के बीज का खाने में इस्तेमाल, ये होंगे फायदे

सूरजमुखी एक वार्षिक पौधा है जिसकी ऊंचाई एक से तीन मीटर के बीच होती है. यह फूल दिखने में जितना प्यारा होता है उससे कहीं ज्यादा फायदेमंद इसके बीज होते हैं. कहने का मतलब यह है कि सूरजमुखी के बीज बहुत ही गुणकारी होते हैं. इसका सेवन बहुत ही सेहतमंद माना जाता है.

आइए हम बताते हैं आपको कि कैसे करें सूरजमुखी के बीज का इस्तेमाल और क्या होंगे इसे अपने खान-पान में शामिल करने के फायदे:

ये हैं सूरजमुखी बीज के फायदे:
- सूरजमुखी के बीज मिनरल्स से भरपूर होते हैं. इनके सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं.
- इनमें मैग्निशियम और कॉपर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इनमें पाया जाने वाला विटामिन E हड्डियों के दर्द में बहुत फायदेमंद है.
- इस बीज में मौजूद मैग्निशियम नसों को शांत रखने में मददगार है. इसके सेवन से स्ट्रेस, माइग्रेन जैसी शारीरिक समस्याएं दूर होती हैं.
- सूरजमुखी के बीज में पाया जाने वाला विटामिन E स्किन की चमक बढ़ाने में कारगर है. यह स्किन को UV rays से बचाता है.
- रोजाना एक चौथाई कप सूरजमुखी का बीज का सेवन दिल की बामारी से बचाता है. यह खराब कोलेस्ट्रोल को कम करता है.
- इतना ही नहीं बल्कि बीज के सेवन से गैस्ट्रिक, अल्सर, अस्थमा और स्किन प्रॉब्लम भी दूर हो सकती है.

कैसे करें अपने खान-पान में सूरजमुखी के बीज का इस्तेमाल:
- सलाद पर सूरजमुखी के बीज की गर्निशिंग की जा सकती है.
- आप इसे हल्का भूनकर भी इसे खा सकते हैं.
- दही में डालकर खाने से दही का स्वद भी बढ़िया हो जाता है.
- सैंडविच और पास्ता में इसे से डाला जा सकता है.
- इसे आटे में मिलाकर इसकी रोटी या पराठे खाने से जरूरी विटामिन्स शरीर को मिलती हैं
साभार 
 पकवानगलीडॉटइन से

बुधवार, 3 अक्टूबर 2018

रोस्टेड पनीर सीसम क्यूब्स- नीरा कुमार

पनीर से बनने वाले 'रोस्टेड पनीर सीसम क्यूब्स' की रेसिपी बहुत आसान है। यह तुरंत झटपट तैयार होने वाली बहुत ही टेस्टी डिश है। इसे आप बहुत आसानी से घर पर ही बना सकती हैं।इतना ही नहीं ये रेसिपी वो लोग भी बना सकते हैं, जिन्हें किचेन के बारे में जरा भी आइडिया नहीं है। ये इतनी आसान रेसिपी है कि खाना न बनाने वाले भी 'रोस्टेड पनीर सीसम क्यूब्स' बना सकते हैं।
जानें रेसिपी-
रोस्टेड पनीर सीसम क्यूब्स' के लिए सामग्री
पनीर: 200 ग्राम
तिल: 1 टेबल स्पून
चाट मसाला: 1/2 टी स्पून
रिफाइंड ऑयल: 1 टी स्पून
टूथपिक: थोड़े से
विधिपनीर के एक इंच लंबे, एक इंच चौड़े और आधा इंच मोटे क्यूब्स काट लें।
एक नॉनस्टिक पैन में तेल डालें।
गर्म तेल में पनीर के क्यूब्स डालें।
कम आंच में पनीर को उलटते-पलटते रहें।
जब किनारों से पनीर गुलाबी होने लगे तो ऊपर से तिल (सीसम) बुरक दें।
थोड़ी देर तक सेंकें। तिल फूलने पर चाट मसाला बुरकें।
टूथपिक लगा कर गर्मा-गर्म रोस्टेड पनीर सीसम क्यूब्स सर्व करें।
वेजीटेबल भेल
सामग्री : मिक्सड लाल
हरी पीली शिमलामिर्च (छोटे क्यूब में कटी) ½ कप
फ्रांसबीन छोटे टुकड़ों में कटी 2 बड़े चम्मच
छोटे क्यूब में कटी गाजर ½ कप
बारीक कटी पत्तागोभी ½ कप
उबली हरी मटर ½ कप
हरेप्याज छोटे टुकड़ों में कटे ½ कप
सोया सॉस 2 छोटे चम्मच
चीनी 1 छोटा चम्मच
कालीमिर्च चूर्ण ½ छोटा चम्मच
भुनी मूंगफली के दाने 3 बड़े चम्मच
भुने चने 3 बड़े चम्मच
नींबू का रस 1 बड़ा चम्मच
चाट मसाला और नमक स्वादानुसार
टोमैटो चटनी 1 बड़ा चम्मच
ऑलिव ऑयल 1 बड़ा चम्मच
मुरमुरे 1 कप
विधि : एक नॉनस्टिक पैन में तेल गरम करके गाजर और फ्रांसबीन पांच मिनट धीमी आंच पर पकाएं ताकि थोड़ी गल जाए।
इसमें मिक्सड शिमलामिर्च, पत्तागोभी, हरी मटर और हरी प्याज डालकर तीन चार मिनट सॉटे करें।
नमक, चीनी व सोया सॉस डालकर उलटे-पलटें, फिर गैस बंद करके बची सामग्री मिलाकर तुरंत सर्व करें।
नीरा कुमार एक जानी मानी कुकरी विशेषज्ञ हैं। कुकरी से जुड़े सवाल आप हमारे मैं अपराजिता के पेज पर पूछ सकते हैं। आपके सवालाें का स्वागत हैं।
mainaparajita@gmail.com

मंगलवार, 2 अक्टूबर 2018

इंटरनेट में जिंदगी नहीं, माैत खाेजते हैं किशाेर


साइबर बुलिंग इस समय युवाओं में आत्महत्या का प्रमुख कारण है। साइबर बुलिंग इंटरनेट, मैसेज, एप्स, सोशल मीडिया, फोरम्स और गेम्स आदि के सहारे की जाती है। इस तरह की बुलिंग में कुछ लोग फर्जी आईडी या एप्लिकेशन बनाकर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं और फिर उन्हें उनकी प्राइवेट सूचनाओं या फोटो-वीडियो के माध्यम से ब्लैक मेल करते हैं। युवा इन मामलों में जल्दी फंसते हैं क्योंकि उनमें विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होता है या कई बार उन्हें सबकुछ जल्दी पा लेने की चाहत होती है। इन बातों से बच्चों को दूर रखना जरूरी है और बच्चों के इंटरनेट इस्तेमाल, उनके मोबाइल में इंस्टॉल एप्स के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी रखना जरूरी। अगर ये मुमकिन नहीं है, तो कम से कम बच्चों के व्यवहार परिवर्तन पर तो नजर जरूर रखें
अश्लील तस्वीरें और वीडियोज
इंटरनेट जितनी तेजी से लोगों की खासकर युवाओं की जिंदगी का हिस्सा बना है, उतनी ही तेजी से ये उनकी जिंदगियां छीन भी रहा है। सोशल मीडिया, डेटिंग साइट्स, वेबसाइट्स और प्राइवेट ग्रुप्स में चैटिंग करते समय लोग कई बार इतने घुल-मिल जाते हैं कि अपनी निजी जानकारियां और तस्वीरें दूसरों को देने में संकोच नहीं करते हैं। ज्यादातर मामलों में ये तस्वीरें और वीडियोज किसी गलत तरीके से वायरल कर दी जाती हैं। इसके बाद बेइज्जती और बदनामी के डर से या डिप्रेशन के कारण युवा लड़के-लड़कियां आत्महत्या का रास्ता चुन लेते हैं। इसलिए बच्चों को शुरू से ही ये बात समझाएं कि वो इंटरनेट पर ऐसी कोई भी जानकारी किसी से न शेयर करें, जिससे उन्हें बाद में परेशानी हो।
बच्चों के साथ समय बिताना जरूरीटीनएज या उससे छोटे बच्चे आमतौर पर प्यार और सम्मान की चाहत रखते हैं। आजकल की बिजी लाइफ में जब उन्हें ये प्यार और सम्मान घर-परिवार या समाज से नहीं मिलता है, तो वो इंटरनेट पर इसे ढूंढने की कोशिश करते हैं। अपना खाली समय किसी क्रिएटिव काम की बजाय आजकल ज्यादातर टीन एज बच्चे इंटरनेट पर बेवजह की चीजें देखने-पढ़ने में बिताते हैं। इसलिए ये जरूरी है कि मां-बाप बच्चों को समय दें, उनसे बात करें और उनकी परेशानियों में उनके साथ खड़े रहें। अकेलापन बच्चों को धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार बनाता है। बच्चे जब किसी से अपनी बात नहीं कह पाते हैं, तो आत्महत्या का रास्ता चुन लेते हैंरियल और वर्चुअल दुनिया में अंतर बताएंबच्चों के लिए छोटी उम्र में ये समझना कठिन होता है कि रियल और वर्चुअल वर्ल्ड में अंतर होता है। टीन एज बच्चे इंटरनेट पर सोशल मीडिया साइट्स और डेटिंग साइट्स पर दिखने वाले हर व्यक्ति को सच मान लेते हैं और उनपर विश्वास कर लेते हैं। इंटरनेट पर प्यार में धोखा और रिश्तों में दरार भी आजकल आत्महत्या का कारण बन रहा है। ऐसे में आप बच्चों को शुरुआत से ही ये बताएं कि उन्हें उन लोगों पर विश्वास करना चाहिए, जो उनके आस-पास हैं, न कि उन लोगों पर जिनको वे जानते नहीं हैं।
बच्चों के व्यवहार पर नजर रखेंआत्महत्या से पहले व्यक्ति के व्यवहार में कई तरह के परिवर्तन आते हैं। आमतौर पर डिप्रेशन, तनाव या परेशान होने पर किसी दूसरे व्यक्ति से अपने दिल की बात कह देने से तनाव कम होता है। इसलिए बेहतर होगा कि जब आप बच्चों के व्यवहार में थोड़ा परिवर्तन देखें, तो उनसे बात करें और उनकी परेशानी दूर करने की कोशिश करें। ऐसे समय में अगर बच्चे ने कोई बड़ी गल्ती भी की है, तो उसे मारें या डांटें नहीं, बल्कि प्यार से समझाएं और समस्या को सुलझाने की कोशिश करें।
साभार- आेनलीमाईहेल्थडॉटक़ॉम

सोमवार, 1 अक्टूबर 2018

हर्ब्स फॉर हैल्थ-़डा.दीपिका शर्मा

भारत में हजाराें वर्षाें से स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जड़ी बूटियाें का प्रयाेग हाेता रहा है। आयुर्वेद विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सापद्धति है जिससे सिर्फ राेगाें का उपचार ही नहीं हाेता उनसे बचाव और दीर्घायु के लिए भी जडी बूटियाें का प्रयाेग किया जाता है। एलाेपेथी और हाेम्याेपेथी की बहुत सी दवाएं भी वनस्पतियाें से बनाई जाती है। तुलसी, अश्वगंधा, आंवला, अशाेक और मुलहठी एेसी ही जड़ी बूटियाें के नाम है।
तुलसी काे सर्वआेषधि माना जाता है।अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां फायदेमंद साबित होती हैं। रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है। दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है। नैचुरोपैथों द्वारा ल्यूकोडर्मा का इलाज करने में तुलसी के पत्तों को सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया गया है।
 सिर के दर्द में तुलसी एक बढि़या दवा के तौर पर काम करती है। तुलसी का काढ़ा पीने से सिर के दर्द में आराम मिलता है। आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए।
श्वास संबंधी समस्याओं का उपचार करने में तुलसी खासी उपयोगी साबित होती है। शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से ब्रोंकाइटिस, दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है। नमक, लौंग और तुलसी के पत्तों से बनाया गया काढ़ा इंफ्लुएंजा (एक तरह का बुखार) में फौरन राहत देता है।
तुलसी गुर्दे को मजबूत बनाती है। यदि किसी के गुर्दे में पथरी हो गई हो तो उसे शहद में मिलाकर तुलसी के अर्क का नियमित सेवन करना चाहिए। छह महीने में फर्क दिखेगा।
तुलसी खून में कोलेस्ट्राल के स्तर को घटाती है। ऐसे में हृदय रोगियों के लिए यह खासी कारगर साबित होती है।
तुलसी की पत्तियों में तनाव काे कम करनेे के गुण भी पाए जाते हैं। हाल में हुए शोधों से पता चला है कि तुलसी तनाव से बचाती है।
अश्वगंधा- यह एक टानिक है जाे असमय बुढ़ापा नहीं आने देता है। बच्चाें के सूखा राेग में यह विशेष लाभदायक है। इसका पहला फायदा तो ज्यादातर लोग जानते हैं कि यह तनाव को कम करने में बेहद मददगार औषधि है। यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाने में भी काफी मददगार है और दिमाग को ठंडा रखने में भी।
अगर आपको नींद न आने की समस्या है और आपकी रात सिर्फ करवटें बदलने में ही निकल जाती है, तो अश्वगंधा आपके लिए एक प्रभावशाली दवा की तरह काम करता है और आप चैन की नींद सो पाते हैं।
 अगर आप पित्त प्रकृति के व्यक्ति हैं और आपके बाल असमय सफेद होने के साथ ही झड़ने भी लगे हैं, तो आपको अश्वगंधा का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे आपकी समस्या का जरूर समाधान हो जाएगा।
 यह बड़ी उम्र के हिसाब से भी बालों में पोषण का एक बेहतरीन जरिया है जो जड़ों तक पोषण देकर बालों को सफेद होने से बचाता है और उन्हें स्वस्थ बनाए रखता है।
 बालों की जड़ों व स्कैल्प संबंधी समस्याओं में भी यह काफी फायदेमंद है। जड़ों को मजबूती देने के साथ ही यह अन्य समस्याओं जैसे डैंड्रफ आदि से भी बचाता है।

आंवला-आंवले का उपयोग आंखाें की रोशनी को मजबूत करता है। आंखों में खुजली, व जलन से भी राहत देता है।
प्रतिदन एक या दो आंवलों चबाने से दांतों में कीडे लगने की संभावना कम हो जाती है , दांत मजबूत रहते हैं व दांतों का पीलापन भी काफी हद तक कम रहता है
आंवले में विटामिन सी व कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए आंवले के उपयोग से हड्डियां मजबूत रहती हैं।
आंवले के रस को मिश्री के साथ खाने से पाईल्स यानी बवासीर के रोग में लाभ मिलता है।
आंवले का रस पीने से शरीर की पाचन प्रणाली दुरुस्त रहती है। आंवले का रस कब्ज, बदहजमी व खट्टे डकार कम करने में भी अति लाभकारी है।
अशाेक- इसकी छाल रक्त प्रदर में, पेशाब रुकने में लाभ पहुंचाती है। गर्भाशय संबंधी सभी राेगाें में इसके सेवन से लाभ मिलता है। मासिक धर्म की अनियमितता, अतिरिक्त साव्र के लिए अशाेकारिष्ट एक श्रेष्ठ औषधि है। यह तनाव को कम करने में बेहद मददगार औषधि है। यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाने में भी काफी मददगार है और दिमाग को ठंडा रखने में भी।
मुलहठी-आयुर्वेदिक औषधि गुणों से भरपूर मुलहठी का प्रयाेग बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है। इसका इस्तेमाल श्वसन और पाचन क्रिया के रोग की आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा सर्दि में होने वाली समस्याएं जैसे सर्दी-खांसी, जुकाम, कफ, गले और यूरिन इंफैक्शन की प्रॉब्लम को भी यह जड़ से खत्म कर देता है। इसका सेवन कैंसर जैसी कई बीमारियों को भी दूर करने में मदद करता है। इसका सेवन कफ, सर्दी-खांसी और जुकाम समस्या को दूर करता है।
गले की सूजन, इंफैक्शन, खराश, मुंह में छाले और गला बैठने पर मुलेठी का एक टुकड़ा लेकर उसे चूसे। इससे आपकी सभी प्रॉब्लम दूर हो जाएगी।
यूरिन इंफैक्शन, जलन, और बार-बार यूरिन आने की समस्या  को दूर करने के लिए मुलेठी सबसे अच्छा उपाय है।
डा. दीपिका शर्मा अपाेलाे  फेमिली क्लीनिक नौएडा, उत्तरप्रदेश, सेक्टर 110 में  फेमिली फिजिशियन हैं।
 सेहत से जुड़े सवाल आप हमारे मैं अपराजिता के फेसबुक पेज में कर सकते हैं। अपनी सेहत संबंधी समस्या के लिए आप हमें मेल भी कर सकते हैं-
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रविवार, 30 सितंबर 2018

लघुकथाएं- पवित्रा अग्रवाल



समर्थ

विपिन के लौटते ही माँ ने रवि से कहा --"रवि तू तो कह रहा था कि तेरा दोस्त विपिन बहुत पैसे वाले घर का लड़का है,उसने कितनी घिसी हुई जीन्स पहन रखी थी,उसमें छेद भी हो रहा था ।''
"हाँ माँ यह सच है वाकई वह बहुत पैसे वाले घर का लड़का है।उसके घर में दो एयर कंडीशन्ड कारें हैं,घर में ए.सी. लगे हैं।इस सब के बावजूद उसे रहीसी दिखाने का शौक नहीं है ,वह बहुत सिम्पिल लड़का है, घमंड तो उस में नाम मात्र को नहीं है।''
"तू भी कुछ सीख उस से ,तेरे तो कितने नखरे हैं।तेरी स्कूल यूनिर्फोम की पेंट कुछ ऊँची हो गई थी मैं ने इतनी मेहनत करके उसे खोल कर लम्बा किया फिर भी तूने उसे नहीं पहना और मुझे दूसरे खर्चो में कटौती कर के नई पेन्ट खरीदनी पड़ी ।''
"अरे माँ वह पैसे वाले घर का लड़का है,उसकी घिसी जीन्स को फैशन या उसकी सादगी कहा जाएगा और हम पहन लें तो उसे हमारी आर्थिक कमजोरी समझा जाएगा।''
'पर बेटा लोग कुछ भी सोचें .हम को अपनी हैसियत और जरुरत के हिसाब से खर्च करना चाहिये '



धमकी 


अस्पताल में कुछ लोगों द्वारा डाक्टर को पीटते देख कर मरीजों के रिश्तेदार परेशान हो गए---
एक व्यक्ति चिल्लाया --"अरे आप डाक्टर को क्यों मार रहे हैं ?'
"मारें नहीं तो क्या करें ..इनकी आरती उतारें ? जाने कहाँ कहाँ से आकर डाक्टर बन गए हैं ,इन्हों ने हमारे इकलौते बेटे की जान ले ली ।'
दूसरे व्यक्ति ने तर्क दिया --"अस्पताल में आने वाला हर मरीज ठीक हो कर ही तो घर नहीं जाता ?'
एक अन्य ने हॉ में हाँ मिलाई --"बिल्कुल,.. कुछ ठीक हो जाते हैं तो कुछ की मौत भी हो जाती है ।'
"आप का बेटा तो चला गया... आप इस तरह मार-पीट करेंगे तो दूसरे बहुत से मरीज बेमौत मारे जाएगे ।'
"वो कैसे ?'
"आप मारपीट और तोड़-फोड़ करेंगे तो सब डाक्टर्स हड़ताल पर चले जाएगे फिर दूसरे मरीजों का क्या होगा ?'
"आप लोग कौन हैं ?'
"हम यहाँ पर भर्ती मरीजों के रिश्तेदार हैं ..दूर हटिए हम आप को डाक्टर से मार-पीट नहीं करने देंगे.. ।'
"हाँ भैया यदि आपका बेटा डाक्टर की गल्ती से मरा है तो आप कम्पलेन्ट कीजिए।पर....
अपने को अकेला पड़ते देख कर वह झुंझला कर बोला ---- "आप मुझे जानते नहीं ,मैं एसे चुप नहीं बैठूँगा, अभी भैया जी को ले कर आता हूँ ।'
साभार लघुकथाब्लागस्पाॅटडाॅटकाॅम

शनिवार, 29 सितंबर 2018

23 साल बाद हुई मुलाकात-- डा. अनुजा भट्ट

शनिवार का दिन था. हम भाेर में ही उठ गए थे. सुबह सात बस से देहरादून जाना था। मेरे साथ मेरी बेटी और मेरे पति भी थे। रास्ते में कहीं कहीं बारिश हाे रही थी । बस ट्रेन या फिर बालकनी में खड़े हाेकर बारिश काे देखना बहुत प्रीतिकर हाेता है। एेसा लगता है बारिश में ही प्रकृति अपना श्रृंगार करती है। फूल ज्यादा स्थायी भाव से मुस्कुराते हैं। प्रकृति के नयनाभिराम रंग सम्माेहित करते हैं। सम्माेहन, प्यार, स्नेह और आत्मीयता जैसे शब्दाें के अर्थ भले ही अलग अलग हाे पर भाव एक ही है वह है अनुभूति.. जाे हम हर पल महसूस करते है। रास्ते में  मेरी बेटी माेबाइल के लिए जिद करती रही और  मैं समझाती रही  देखाे और महसूस कराे प्रकृति के रंगाें काे.देखाे हरा रंग ही कितनी विविधता के साथ है  माैजूद है। फूलाें की खुश्बू काे महसूस कराे।  पेड़ाें की आकृतियां देखाें उनका नर्तन देखाे और सुनाे कल कल बहती नदी का गान। पर्वताें के बीच नदी का अहसास , पहाड़ाें की बीच पानी की झलझल, चमकती रेत, कभी धूप कभी बारिश के बीच एक सधी हुई रेखा के साथ खड़े पेड़ ताे कहीं हवा में झूमते पेड़ कहीं गीत कहीं संगीत ताे कहीं अपनी गति लय और ताल से ंमंत्रमुग्ध करती प्रकृति।
कहीं कहीं रास्ता बहुत खराब था। बस उछल रही थी। टेड़े मेड़े रास्ते , खराब सड़क और बारिश के कारण एक डर भी था। लेकिन पूरे रास्ते भर मैंने एक चीज गाैर की की वह थी साफ सफाई। दिल्ली से लेकर देहरादून के रास्ते में मुझे गंदगी के ढेर नहीं दिखाई दिए। स्टेशन भी साफ सुथरे। सभी तरह की सुविधाआें से लबरेज।  बस अपनी धीमी गति से चल रही थी । पहाड़ाें में बस वैसे भी धीमी गति से ही चलती है। रास्ते में बस एक जगह थाेड़ी देर के लिए रुकी। अधिकांश लाेग अपने साथ ही भाेजन लेकर आए थे। उस रेस्तरां में काेई भी पहाड़ी खाना नहीं था। दक्षिण भारतीय खाना था।
 भारत की यही विविधता है कि जहां हम पारंपरिक भाेजन की तलाश करते हैं वहां हमें दक्षिण भारत, पंजाब या फिर चाइनीज खाना मिलता है। इसकी वजह यह भी है कि यह एक तरह से फास्ट फूड की तरह हाेता है। सवारी के पास इतना समय नहीं हाेता..
हम 3 बजे के आसपास देहरादून पहुंच गए। स्टेशन से पहले ही हम ग्राफिक ईरा यूनिवर्सटी के चाैक पर उतर गए। रास्ते में एक बच्ची ने हमें रास्ता बताने में मदद की। वह बेडमिंटन के टूर्नामेंट की तैयारी के लिए जा रही थी। हम लाेग शिल्पम विला खाेज रहे थे।  आसपास बहुत सारे हास्टिल थे। जाहिर है  बाहर गेट पर बच्चाें का जमावड़ा भी था। पूरी गली में बच्चे ही थे। कहीं चावमीन खाते हुए ताे कहीं यूं ही... तभी मेरी नजर  गेट पर लिखे शिल्पम विला पर पड़ी। बाहर खूबसूरत फूलाें लगे गमलाें ने बता दिया आप सही जगह पहुंचे है।
कालबेल बजायी ताे मैडम ही बाहर आईं। जी हां हमारी वार्डन उमा तिवारी पालनी मैडम। जी हां वह यहीं नाम लिखती हैं। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह कितनी सशक्त महिला हैं। वह हमारे लिए चाय नाश्ते का प्रबंध करने लगी। लेकिन मेरी निगाहें ताे अपने अंकल काे देखने के लिए बेताब थी। हास्टिल में सब उनकाे सर कहते थे लेकिन मेरे लिए उनके लिए अंकल संबाेधन ही निकला.. मैंंने उनकाे हमेशा काम करते हुए ही देखा। वह पेड़पाैधाें में रचबस जाते है। एक एक पत्ते काे साफ करना, पौधाें की कटाई छटाई से लेकर उनका पालन पाेषण तक. नामचीन वैज्ञानिक डा. एल. एम. एस पालनी काे मैंने बहुत सहज और सरलता के साथ जीवन जीते देखा है। ईमानदारी की मिसाल नहीं। छाेटे और बड़े का काेई भेद नहीं। अपनी भाषा के प्रति दीवानगी। हिंदी और कुमाऊनी दाेनाें में सिद्धहस्त. बाेलने  में ही नहीं लिखने में भी,, संगीत प्रेमी... हमारी ह़ॉस्टिल पार्टी हमारे साथ डांस करते। दिसंबर में हास्टिल खाली हाे जाता ।रह जाते हम शाेध छात्राएं। तब हम सब कैंप फायर करते. उस कैंपफायर में पहाड़ी गीत सुनाते  अंकल।  जगजीत सिंह की गजलें गाती मैडम..     मैं यूं ही उनकी फैन नहीं हूं.. बहुत खास है यह परिवार मेरे लिए..
चाय नाश्ता करने के दाैरान मैडम ने बताया कैसे अचानक उनकाे स्ट्राेक पड़ा और उनके शरीर का एक हिस्से काे पक्षाधात हाे गया। दिमाग का 70 प्रतिशत हिस्सा  निष्क्रिय है। कुछ याद है कुछ भूल गए हैं। कभी सहज हैं कभी आक्रामक.. वह आपकाे स्वीकार भी सकते हैं और दुत्कार भी सकते हैं। मैडम ने यह बातें शायद इसलिए कहीं हाेगी कि अगर उन्हाेंने नजर अंदाज कर दिया ताे मुझे बुरा न लग जाए..
उनके कमरे से 60 के दशक के पुराने गानाें की आवाज आ रही है.. बहुत धीरे धीरे पर बहुत सुरीली..  प्रकृति के बीच उस खूबसूरत शिल्पम विला  में एक याेगी बिस्तर  में सिमटे हुए से लेटे हैं।  मैं मेरी बेटी और पति धीमें से जाते हैं। मैं  23 साल बाद उनके ठीक सामने खड़ी हूं वह  मुझे देख रहे हैं एकटक.  मैडम कहती हैं, पहचाना. उनकी आंखाें में चश्मा लगाया जाता है। वह कहते हैं यह ताे हमारी. फिर दुहराते हैं यह ताे हमारी. तीसरी बार कहते हैं यह ताे हमारी अनुजा है...
 भाव विह्वल हाे जाती हूं मैं और भावविभाेर भी।
जल्दी ठीक हाे जाइए अंकल अभी आपसे बहुत सारी बाते करनी हैं.. बहुत सारी..

शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

हेयर कलर करवाती हैं क्या....


युवाओं में बालों को रंगने का चलन तेजी से बढ़ा है, लेकिन कई बार आपका यह शौक चिंता का विषय भी बन सकता है। अमेरिका और यूरोप में बालों में कलर कराने वाले लोगों में कैंसर के लक्षण पाए गए, जिससे यह साफ हुआ कि बालों को रंगना कैंसर का कारण भी बन सकता है। हेयर डाई को कई रसायनों से मिलाकर तैयार किया जाता है, इन रसायनों के संपर्क में आने से कैंसर का खतरा बढ़ता है। एक अध्‍ययन से यह भी सामने आया कि जिन महिलाओं ने 1980 से पहले हेयर डाई का इस्‍तेमाल शुरू किया, उन्‍हें हेयर डाई न लगाने वाली महिलाओं के मुकाबले 30 फीसदी कैंसर होने का खतरा ज्‍यादा था।

कलर करने के लिए आपको यह पता होना चाहिए कि बालों में कैसा कलर करें, मसलन कौन सा रंग आप पर सूट करेगा या कौन सा रंग आपके बालों के लिए सही रहेगा आदि। इस लेख के जरिए हम आपको दे रहे हैं कुछ ऐसी जानकारी जिससे आप बालों में कलरिंग के नुकसान के बारे में जान सकते हैं।
बालों में कलरिंग के नुकसान
हेयर डाई से ल्‍युकेमिया या लिम्‍फोमा होने का खतरा बढ़ता है। साथ ही इसे मूत्राशय कैंसर के खतरे से जोड़ कर भी देखा गया है।
डॉक्‍टरों के मुताबिक गर्भवती महिलाओं का बिना चिकित्‍सीय सलाह के हेयर डाई का इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए। हेयर कलर आपकी सेहत के साथ ही नवजात को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
परमानेंट हेयर कलर कराने के बाद कई बार लोगों में त्‍वचा संबंधी परेशानियों को देखा गया है। इसलिए आप स्‍थायी हेयर कलर की बजाय टेम्‍परेरी कलर कराएं तो बेहतर होगा।
बालों को कलर कराते समय यह सुनिश्‍चित कर लें कि कौन सा कलर आपके बालों के लिए सही रहेगा, इस मामले में जरा सी लापरवाही आपके अच्छे बालों को नुकसान पहुंचा सकती है।
बालों को कलर करवाने से पहले आपको एलर्जी का भी ध्यान रखना चाहिए, कई बार कुछ कलर या डाई बालों को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में यदि आपको अमोनियायुक्‍त डाई सूट न करें तो आप प्रोटीन युक्‍त डाई का प्रयोग भी कर सकते हैं। इसके लिए आप हेयर एक्सपर्ट या ब्यूटी पार्लर में जाकर परामर्श भी ले सकते हैं।
हेयर कलर कराने वालों को कुछ समय बाद त्वचा संबंधी दिक्कतों जैसे बालों की कोमलता में कमी, बाल जल्दी सफेद होना आदि का भी साममा करना पड़ता है। हेयर कलर में मिला अधिक अमोनिया बालों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इससे आपके सिर से सारे बाल भी गायब हो सकते हैं।
बालों को घर पर कलर करने के दौरान ब्रश और हाथों में दस्तानों का प्रयोग जरूर करें और अपनी आखों का खासतौर पर ध्यान रखें। यह आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए पहली बार किसी अनुभवी या
प्रोफेशनल व्यक्ति से कलर करवाना चाहिए।
बालों को कलर करने से पहले उन्हें धोकर सुखा लें और बालों को कंघी के एक सिरे से उठाते हुए कलर करें। इससे आपके बालों के टूटने का खतरा कम रहेगा।
यदि आपकी दिनचर्या व्यस्त हैं तो आपको हल्‍का हेयर कलर इस्तेमाल करना चाहिए। इससे आपके बालों को ज्‍यादा नुकसान नहीं होगा।
साभार- आेनली माई हेल्थ डॉटकाम

गुरुवार, 27 सितंबर 2018

मिलिए अपनी सेहत के रखवाले से- रेनु दत्त

आंवले के नियमित उपयोग से कई शारीरिक समस्याएं ठीक की जा सकती है। आंवले को कच्चा, सुखाकर या जूस निकाल कर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें किसी तरह के केमिकल नहीं मिले होते है इसलिए स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। बात करते हैं इसके गुणों के बारे में।
तनाव या नींद नहीं आने की समस्या में इसका सेवन लाभदायक होता है।
आँखों की ज्योति के लिए और चश्मा हटाने में बहुत लाभदायक है।
हमारे शरीर में बहुत सारे हानिकारक तत्व इक्ट्ठे हो जाते हैंं और इसके सेवन से उन्हें बड़ी आसानी से बाहर किया जा सकता है।
लीवर और ब्लैडर को सही तरीके से काम करने में मदद करता है इसके लिए आप रोजाना सुबह खाली पेट आंवले के रस का उपयोग करें।
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इसके सेवन से मेटाबोलिज्म में सुधार आता है और मोटापे को भी कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
इसका सेवन रोगप्रतिरोधक क्षमता को ब-सजय़ा देता है जिससे रोगों से बचाव की क्षमता में वृद्धि होती है।
इसका सेवन बालों के लिए वरदान हो सकता है।
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चुकंदर के सेहत के लाभ
चुकंदर के रूप में प्रकृति ने हमारे शरीर की जरुरत के अनुसार हर तरह के गुणों से भरपूर फल हमें दिया है। इसकी सबसे खास बात है कि इस फल को एनीमिया में सबसे अधिक गुणकारी माना जाता हैै।
इसके अंदर प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है इसलिए यह उर्जा का बेहतरीन स्त्रोत है। कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर के ऊर्जा के स्तर में इजाफा करता है जिसकी वजह से हमे थकान की समस्या नहीं होती है।
सफेद चुकंदर का इस्तेमाल फोड़े और जलन जैसी समस्या में भी किया जा सकता है। इसके बेतरीन स्वास्थ्य लाभ के लिए सफेद चुकंदर को पानी में उबालकर और छानकर अलग कर लें और उसका इस्तेमाल फोड़े और मुहांसे के लिए कर सकते हैं।
खसरा और बुखार की वजह से हो सकता है आपकी त्वचा खराब हो गयी हो तो चुकंदर के इस्तेमाल से आप उसे भी ठीक कर सकते है।
इस से हमारे पाचनतंत्र को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले कारकां को उतेजना मिलती है जिसकी वजह से पाचनतंत्र भी बेहतर हो जाता है।
इसमें आयरन की भी प्रचुर मात्रा होती है इसको खाने से हमारे खून के अंदर पाए जाने वाली लाल रक्त
कोशिकाएं एक्टिव रहती हैं। एनिमिया होने पर डाक्टर भी इसका सेवन करने की सलाह देते हैं। रक्त की व्याधिओं के लिए यह सबसे उत्तम फल है। जिस से शरीर में नया खून बनने की क्रिया को बल मिलता है।
इसके सेवन से शरीर पर आई विभिन्न चोट और घाव भरने में भी मदद मिलती है और हमारी चोट जल्दी ठीक हो जाती है।
कब्ज जैसे रोगों में भी यह लाभदायक है।
रक्तचाप को नियमित करने में भी यह सहायक होता है।
चुकंदर का सेवन बवासीर में भी उतम होता है।
यह न केवल आपकी आंतरिक शक्ति को ब-सजय़ाता है साथ ही मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है। के लिए भी सही होता है।
इसमें प्रचुर मात्र में पोटेशियम, मैग्नेशियम, आयरन, विटामिन बी6 सी, फोलिक एसिड भी होता है । इसके अलावा इसमें प्रचुर मात्रा में शक्तिदायक एंटीआक्सीडेंट होते हैं जो आपके शरीर को विभिन्न रोगों से लड़ने में आपकी मदद करते है।
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बुधवार, 26 सितंबर 2018

फूल गोभी और पत्ता गोभी से बनाएं लजीज पकवान -नीरा कुमार

पत्ता गोभी, फूल गोभी और ब्रोकली बहुत पौष्टिक होते हैं। लेकिन आप ज्यादातर इनकी सब्जी ही बनाती होंगी। अगर आप चाहें तो इनसे कई तरह के स्वादिष्ट-चटपटे व्यंजन भी बना सकती हैं। इसीलिए इस बार हम आपके लिए लेकर आए हैं, पत्ता गोभी, फूल गोभी और ब्रोकली से बने कुछ डिफरेंट डिशेज की रेसिपी।
चटपटी पत्ता गोभी 
 सामग्रीबारीक कटी पत्ता गोभी: 3 कप
हरे मटर के दाने: 1 कप
बारीक कटा गाजर: 1/2 कप
काली मिर्च: 15 नग
चीनी: 1/2 टी स्पून
मस्टर्ड ऑयल: 2 टेबल स्पून
हल्दी पावडर: 1/2 टी स्पून
बारीक कटा अदरक-हरी मिर्च: 2 टी स्पून
मेथी दाना: 1 टी स्पून
नींबू का रस: 1 टी स्पून
नमक: स्वादानुसार
कटा हरा धनिया: 1 टेबल स्पून
विधिएक कड़ाही में तेल गर्म करें।
उसमें मेथीदाने का तड़का लगाएं, फिर कुटी काली मिर्च, अदरक, हरी मिर्च, हल्दी पावडर, मटर और गाजर डालकर तीन मिनट तक ढंक कर मंदी आंच पर पकाएं।
मटर और गाजर गलने पर कटी पत्ता गोभी डाल कर मिलाएं। अब नमक और चीनी डालें।
पांच मिनट तक मंदी आंच पर ढंक कर पकाएं। ध्यान रहे पत्ता गोभी थोड़ी क्रिस्पी रहनी चाहिए।
अच्छी तरह भूनने के बाद नीबू का रस डाल कर गैस बंद कर दें।
सर्विंग डिश में सब्जी पलटें और ऊपर से कटा हरा धनिया बुरक कर सर्व करें।
फूल गोभी कोरमा
 सामग्रीकद्दूकस की हुई फूल गोभी: 3 कप
बारीक कटी अदरक-हरी मिर्च: 2 टी स्पून
मेथी दाना: 1/2 टी स्पून
हल्दी पावडर: 1/4 टी स्पून
लाल मिर्च पावडर: 1/2 टी स्पून
धनिया पावडर: 1 टी स्पून
गर्म मसाला: 1/2 टी स्पून
दरदरी कुटी सौंफ: 1/2 टी स्पून
रिफाइंड ऑयल: 1 टेबल स्पून
नमक: स्वादानुसार
थोड़ा सा कटा हरा धनिया: सजाने के लिए
विधिकड़ाही में तेल गर्म करके मेथी दाने का तड़का लगाएं, फिर अदरक हरी मिर्च, फूल गोभी डालकर कुछ देर पकाएं।
हल्दी पावडर, धनिया पावडर, मिर्च पावडर और नमक डालकर एकसार करें।
गोभी गलने पर गर्म मसाला, दरदरी सौंफ और हरा धनिया डालकर अच्छी तरह मिक्स करें।
नान या परांठे के साथ फूल गोभी कोरमा सर्व करें।
नीरा कुमार जानी मानी कुकरी एक्सपर्ट हैं।

Special Post

मिथक यथार्थ और फेंटेसी का दस्तावेज-डॉ. अनुजा भट्ट

  (अब पहले की तरह किस्से कहानियों की कल्पनाएं हमें किसी रहस्यमय संसार में नहीं ले जाती क्योंकि हमारी दुनिया में ज्ञान, विज्ञान और समाज विज्...