रविवार, 30 सितंबर 2018

लघुकथाएं- पवित्रा अग्रवाल



समर्थ

विपिन के लौटते ही माँ ने रवि से कहा --"रवि तू तो कह रहा था कि तेरा दोस्त विपिन बहुत पैसे वाले घर का लड़का है,उसने कितनी घिसी हुई जीन्स पहन रखी थी,उसमें छेद भी हो रहा था ।''
"हाँ माँ यह सच है वाकई वह बहुत पैसे वाले घर का लड़का है।उसके घर में दो एयर कंडीशन्ड कारें हैं,घर में ए.सी. लगे हैं।इस सब के बावजूद उसे रहीसी दिखाने का शौक नहीं है ,वह बहुत सिम्पिल लड़का है, घमंड तो उस में नाम मात्र को नहीं है।''
"तू भी कुछ सीख उस से ,तेरे तो कितने नखरे हैं।तेरी स्कूल यूनिर्फोम की पेंट कुछ ऊँची हो गई थी मैं ने इतनी मेहनत करके उसे खोल कर लम्बा किया फिर भी तूने उसे नहीं पहना और मुझे दूसरे खर्चो में कटौती कर के नई पेन्ट खरीदनी पड़ी ।''
"अरे माँ वह पैसे वाले घर का लड़का है,उसकी घिसी जीन्स को फैशन या उसकी सादगी कहा जाएगा और हम पहन लें तो उसे हमारी आर्थिक कमजोरी समझा जाएगा।''
'पर बेटा लोग कुछ भी सोचें .हम को अपनी हैसियत और जरुरत के हिसाब से खर्च करना चाहिये '



धमकी 


अस्पताल में कुछ लोगों द्वारा डाक्टर को पीटते देख कर मरीजों के रिश्तेदार परेशान हो गए---
एक व्यक्ति चिल्लाया --"अरे आप डाक्टर को क्यों मार रहे हैं ?'
"मारें नहीं तो क्या करें ..इनकी आरती उतारें ? जाने कहाँ कहाँ से आकर डाक्टर बन गए हैं ,इन्हों ने हमारे इकलौते बेटे की जान ले ली ।'
दूसरे व्यक्ति ने तर्क दिया --"अस्पताल में आने वाला हर मरीज ठीक हो कर ही तो घर नहीं जाता ?'
एक अन्य ने हॉ में हाँ मिलाई --"बिल्कुल,.. कुछ ठीक हो जाते हैं तो कुछ की मौत भी हो जाती है ।'
"आप का बेटा तो चला गया... आप इस तरह मार-पीट करेंगे तो दूसरे बहुत से मरीज बेमौत मारे जाएगे ।'
"वो कैसे ?'
"आप मारपीट और तोड़-फोड़ करेंगे तो सब डाक्टर्स हड़ताल पर चले जाएगे फिर दूसरे मरीजों का क्या होगा ?'
"आप लोग कौन हैं ?'
"हम यहाँ पर भर्ती मरीजों के रिश्तेदार हैं ..दूर हटिए हम आप को डाक्टर से मार-पीट नहीं करने देंगे.. ।'
"हाँ भैया यदि आपका बेटा डाक्टर की गल्ती से मरा है तो आप कम्पलेन्ट कीजिए।पर....
अपने को अकेला पड़ते देख कर वह झुंझला कर बोला ---- "आप मुझे जानते नहीं ,मैं एसे चुप नहीं बैठूँगा, अभी भैया जी को ले कर आता हूँ ।'
साभार लघुकथाब्लागस्पाॅटडाॅटकाॅम

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