मंगलवार, 31 मार्च 2020

जेरीएट्रिक केयर प्रोफेशनल्स की जरूरत आपके अपनों काे भी है

जब से कराेना वायरस के संक्रमण के बारे में सुनती जा रही हूं मुझे एक चिंता सी हाे रही है। खासकर बुजुर्गाें काे लेकर। छाेटे शहराें में गांवाें में बहुत से परिवार ऐसे हैं जहां बुजुर्गों की देखभाल के लिए काेई नहीं है। इस कारण वहां कई तरह के विकल्प भी उभरकर आ रहे हैं। जैसे नौकरीपेशा लाेगाें के लिए टिफन सर्विस हुआ करती है वैसे ही अब जिन घराें में बुजुर्ग अकेले रह गए हैं वहां भी टिफिन सर्विस है। घर के बने खाने की मांग ज्यादा है। अक्सर यह खाना घरों पर ही बनता है। जेरीएट्रिक केयर प्रोफेशनल्स की शुरूआत अब भारत के छाेटे छाेटे शहराें में हाे चुकी है। आप जानना चाहेंगे यह क्या हाेता है और इसमें किस तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। क्या सिर्फ खाना ही मिलता है या कुछ भी। ताे दाेस्ताें, खाने की बात ताे एक संकेत भर है।

अभी हमारे देश में अभी बुजुर्गों के देखभाल(geriatric care) के लिए कोई प्रबंधन पश्चिमी मुल्कों की तरह तैयार नहीं हो पाया है। सरकारी अस्पतालों में भी ओल्ड एज के लिए अलग से ओपीडी की व्यवस्था नहीं है। हालांकि कई महानगरों में बुजुर्गों के देखभाल के लिए डे केयर सेंटर, ओल्ड एज होम और परामर्श केंद्र खुले हैं, मगर उनके स्वास्थ्य के जरुरतों के लिए अस्पतालों में अलग से ओपीडी नहीं खुली है।

बुढ़ापे में हेल्थ केयर सर्विस की सबसे ज्यादा जरुरत होती है और बुजुर्गों के देखभाल के लिए अलग से हेल्थ प्रोफेशनल की व्यवस्था को ही Geriatric Care Management कहते हैं।

क्या है जेरीएट्रिक केयर? (What is geriatric care?)

वरिष्ठ नागरिकों के जीवन के देखभाल के लिए पूरी तरह समर्पित प्रबंधन प्रणाली को जेरीएट्रिक केयर मैनेजमेंट कहते हैं। किसी भी तरह की इमरजेंसी में इसके प्रोफेशनल और एक्सपर्ट बुजुर्गों की हेल्थकेयर, होम केयर, हाउसिंग, डे केयर खाने-पीने की व्यवस्था से लेकर उनके आर्थिक और कानूनी जरुरतों को भी पूरा करते हैं। घर के सदस्यों के साथ मिल कर हर दिन 3 से 5 घंटे उनके घर में रह कर बुजुर्गों की देखभाल करते हैं। इनके देखभाल करने का तरीका बिल्कुल नियोजित तरीके से होता है और अपने ग्राहक (बुजुर्ग) की हर गतिविधि को लगातार मॉनिटर करते हैं।

हाउसिंग (Housing)

परिवार के लोगों को बुजुर्गों के देखभाल और बेहतर जिंदगी के लिए अच्छे घर खोजने में मदद करना।

होम केयर सर्विस (Home Care Service)

बुजुर्गों को घर में रहने-खाने-पीने से लेकर उनके दिन भर की जरुरतों के लिए क्या-क्या सामान चाहिए उसकी व्यवस्था करना। खास बात यह है कि इसमें उनकी सुविधा और स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाता है।

मे़डिकल केयर (Medical Care)

डॉक्टर से मिलने का समय तय करना, डॉक्टर, अपने ग्राहक(बुजुर्ग) और उनके परिवार के बीच संवाद कायम करना और डॉक्टर के निर्देश के मुताबिक अपने ग्राहक को हर मेडिकल जरुरत समय-समय पर उपलब्ध कराना।

संवाद (Discussion)

बुजुर्गों के आदत, खान-पान के तरीके या फिर व्यवहार में हो रहे बदलाव के बारे में परिवार के सदस्यों को समय-समय पर अवगत कराना।

बुजुर्गों का सामाजिक दायरा बढ़ाना (Social Connect)

ये प्रोफेशनल्स बुजुर्गों के अकेलेपन को काफी नजदीक से समझते हैं। ये उनको मानसिक और शारीरिक रुप से सक्रिय करने के लिए समय-समय पर सामाजिक समारोह आयोजित करते हैं और उनको इसमें भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। इस तरह के आयोजन में बुजुर्गों के मन बहलाने से लिए कई तरह के सांस्कृतिक और मनोरंजक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

कानूनी (Legal)

अपने ग्राहक(बुजुर्ग) को जरुरत होने पर मुकदमे की पैरवी करने या वसीयत बनवाने में वकीलों के साथ मिलने का समय फिक्स कराते हैं और एक्सपर्ट सलाह दिलवाते हैं।

वित्तीय (Financial)

बैंक का काम हो या फिर बिजली-पानी, गैस का बिल जमा करना हो ये अपने ग्राहक के हर जरुरत का ख्याल रखते हैं।

सुरक्षा (Security)

यह अपने ग्राहक(बुजुर्ग) के साथ उनके घर में समय बिताते हैं। साथ ही उन्हे अपने घर में चलने-बैठने या गिरने से बचने के लिए किस तरह के सुरक्षा उपकरण की जरुरत होगी इसकी व्यवस्था करते हैं। इतना ही नहीं बुजुर्गो के साथ आए दिन होने वाले हिंसा और उत्पीड़न के बारे में भी उन्हे आगाह करते हैं और इससे बचने के तरीके भी बताते हैं।

ऐसे मरीजों के लिए जरुरी है जेरीएट्रिक केयर प्रोफेशनल्स (For Such patients geriatric care is essential)


शारीरिक रुप से विकलांग
पर्किसंस
अल्जाइमर
डाउन सिंड्रोम
मानसिक अवसाद
ऑटिज्म
गंभीर और पुरानी बीमारी
मस्तिष्क में चोट लगने पर आपकाे यह जानकारी कैसी लगी जरूर बताएं पसंद आए ताे शेयर करें।

सोमवार, 30 मार्च 2020

Warli panting in your drawing room

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India has a rich tradition of folk arts the custodians of which are the many tribes that live in the interiors of various states.
Warli art is a beautiful folk art of Maharashtra, traditionally created by the tribal women's. Tribals are the Warli and Malkhar koli tribes found on the northern outskirts of Mumbai, in Western India. This art was first explored in the early seventies & from then it was named as “Warli art”. Tribal people express themselves in vivid styles through paintings which they execute on the walls of their house. This was the only means of transmitting folklore to a populace not acquainted with the written word. Warli paintings were mainly done by the women folk. The most important aspect of the painting is that it does not depicts mythological characters or images of deities, but depict social life. Pictures of human beings and animals, along with scenes from daily life are created in a loose rhythmic pattern. Warli paintings are painted white on mud walls. The paintings are beautifully executed and resembles pre-historic cave paintings in execution and usually depict scenes of human figures engaged in activities like hunting, dancing, sowing and harvesting.

The tribals are forest-dwellers but have made a gradual transition towards being a pastoral community. They reside in the West coast of Northern Maharastra. A large concentration is found in the Thane district, off Mumbai. A little backward economically, they still maintain their indigenous customs and traditions. The growing popularity and commercialisation of the Warli painting has seen the uplift of many tribals and they are increasingly becoming integrated with the mainstream. Their marriage traditions are unique to their culture.
Colours of the Warli painting background are Henna, indigo, ochre, black, earthy mud, brick red and white made of rice paste to paint, occasionally yellow and red dots accompany white colour.

बुजुर्गों के अनुभव में भी हैं आपकी समस्याओं के हल

 हर घर में बुजुर्ग हाेते हैं। हमारी तरह उनकी भी कई समस्याएं हैं इसलिए उनकी बात काे गौर से सुनें। हो सकता है उनकी सुनाई गई कहानी से आपको अपने जीवन की किसी परेशानी को हल करने का सही जबाव मिल जाए। कहते हैं न बुजुर्गों का अनुभव ज्ञान का खजाना होता है।
 उर्मिल सत्यभूषण, जिन्हाेंने कभी खुद काे बुजुर्ग नहीं माना
 और  अंति समय तक साहित्य की सेवा की.
उनके गुस्से और विरोध को सहने की क्षमता रखें। कभी भी असहमति में बोले गए आपके स्वर इतने तल्ख न हों कि उनके दिल को ठेस पहुंच जाए। बढ़ती जीवन प्रत्याशा की वजह से दुनियाभर में बुजुर्गों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। बुढ़ापा आने पर हर व्यक्ति में शारीरिक, सामाजिक, बीमारी संबंधी और मनोवैज्ञानिक रूप से कई बदलाव आते हैं, जबकि उनकी जरूरतों, उनकी स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताएं उतनी तेजी से नहीं बदल पाती। हमारी व्यवस्था जीवनपर्यंत चलती रहती है और कभी-कभी इसमें बदलती जीवनचर्या के हिसाब से बदलाव भी लाया जा सकता है। वर्तमान स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हमारे लक्ष्य अब काफी बदल चुके हैं। संयुक्त परिवार की जगह स्वतंत्र रहन-सहन की व्यवस्था ने ले ली है। इस रहन-सहन की नई व्यवस्था को लाने में जहां एक तरफ हमारे बुजुर्गों की बढ़ी हुई जीवन प्रत्याशा, आजाद ख्याल और स्वाभिमान का योगदान है, वही दूसरी तरफ युवा पीढ़ी का स्वतंत्र और बेरोकटोक जीवन जीने की चाहत भी है। हालांकि बढ़ती उम्र के साथ कई नई तरह की बीमारियां, अव्यवस्था और अक्षमता भी सामने आती हैं,जिनसे अकेले निपटना मुश्किल होता है।
    पिछले कुछ दशकों के दौरान भारतीय बुजुर्गों के असामयिक निधन की बड़ी वजह संक्रामक बीमारियां नहीं बल्कि असंक्रामक बीमारियां और उसके प्रभाव ज्यादा देखे गए। बढ़ती जीवन प्रत्याशा और खराब स्वास्थ्य सुविधाओं की वजह से ही जवानी से बुढ़ापे की ओर कदम रख रहे लोगों और उनकी देखभाल करने वालों के लिए समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। अलग-अलग बीमारियों से जूझ रहे बुजुर्गों को उनकी जरूरत के हिसाब से खास स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। इतिहास में पहली बार दुनिया के ज्यादातर शख्स आज 60 साल से ज्यादा उम्र तक जीने की उम्मीद रख सकते हैं। ऐसे में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी को सुविधाएं मुहैया कराना विश्व के नीति निर्माताओं के सामने बड़ी चुनौती है।
 साल 1901 में भारत के बुजुर्गों की तादाद सिर्फ 12 मिलियन थी जो कि 1951 में बढ़कर 19 मिलियन हो गईए 2001 आते-आते ये संख्या 77 मिलियन और 2011 में 104 मिलियन पहुंच गई। उम्मीद है कि 2021 तक ये संख्या 137 मिलियन तक पहुंच जाएगी। दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा बुजुर्गों वाले हमारे देश को इनकी संख्या दोगुनी होने में मात्र 25 साल लगे।


रविवार, 29 मार्च 2020

पुराने घर को भी बना सकते हैं इकोफ्रेंडली

खरीदने के लिए कॉल करें#8826016798
नए घर में शिफ्ट करने वालों के लिए तो कोई परेशानी ही नहीं है। वे या तो ग्रीन को चुन सकते हैं या फिर ग्रीन लाइफ स्टाइल से शुरूआत कर सकते हैं। लेकिन अगर आप पहले से ही किसी घर में रह रहे हैं और वह पुराना है, तब भी कोई बात नहीं। आप इसे भी इकोफ्रेंडली या ग्रीन होम में तब्दील कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ उपाय करने होंगे।

एक्सपर्ट्स की राय में अब भी कुछ नहीं बिगड़ा। आप अपने व्यवहार में बदलाव कर पर्यावरण से तालमेल बैठा सकते हैं।

यह जाहिर सी बात है कि वर्तमान घर को ग्रीन बनाने के लिए तोड़ कर फिर से नहीं बनाया जा सकता है। लेकिन पयार्वरण के ख्याल से आप व्यवहारिक बदलाव तो ला ही सकते हैं। इससे आप पैसे की भी बचत कर सकेंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक दीवारों पर इंसुलेशन चढ़वाएं ताकि घर के भीतर गर्मी कम की जा सके। साथ ही, जब घर का रिनोवेशन करा रहे हों, तो डेंस मैटीरियल का कम से इस्तेमाल करें। यानी कि पेंट का इस्तेमाल न करें। यह नुकसान दायक है। इसकी जगह नेचुरल चीजें जैसे चंदन का इस्तेमाल करें। संगमरमर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें छित्र होते हैं जिस कारण यह काफी इकोफ्रेंडली है। वहीं आप ग्रेनाइट का कम से कम इस्तेमाल करें। किचन में तो यह चलेगा क्योंकि यह काफी डेंस होता है और इस वजह से काफी गर्मी सोखता है। लेकिन घर के अन्य हिस्सों के लिहाज से इसे इस्तेमाल करना ठीक नहीं होगा। जिन घरों में इस पत्थर का ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा, वहां गर्मी ज्यादा महसूस होगी।

जहं तक संभव हो, आप अपने घर को कुदरती तरीके से हवादार बनाने की कोशिश करें। घर में धूप का आना भी उतना ही जरूरी है इसलिए डिजाइन ऐसा हो कि आप को सूर्य की रोशनी भी मिल जाए तो उसकी गर्मी घर में ट्रैप भी न हो। धूप आने से घर में कीटाणु और कीड़े-मकोड़ों की भी कमी रहती है।

घर में एनर्जी बचाने वाले उपकरण इस्तेमाल करें। इससे ऊर्जा के साथ-साथ पैसे की भी बचत होगी। आप अगर घऱ में बल्ब या बड़ी ट्यूबलाइटों की जगह सीएफएल का इस्तेमाल करते हैं तो एनर्जी की कम खपत के साथ गर्मी और पॉकेट ढीला करने से भी राहत मिलेगी।

गर्मी के मौसम में गर्मी से बचाव के लिए यह जरूरी है कि आप खासतौर पर पूर्व और पश्चिम की खिड़कियों पर ब्लाइंड्स लगवाएं। इससे कमरे कूल रहेंगे। एसी वगैरह ज्यादा स्टार रेटिंग वाले ही इस्तेमाल में लाएं। स्टार रेटिंग वाले प्रोजक्ट थोड़े महंगे जरूर पड़ते हैं, लेकिन आप इसका खर्च थोड़े समय में ही वसूल कर लते हैं।

इको-फ्रेंडली होमं सिर्फ कागजी बात नहीं हैं आप इसमें आने वाली लागत को लेकर घबराएं नहीं। इस संबंध में हुए ताजे शोधों के मुताबिक इस तरह के घरों पर पारंपरिक तरीके से बनाए जाने वाले घरों की तुलना में लागत 17 से 30 फीसदी ज्यादा तो बैठती है, लेकिन यह लागत आप 3 से 5 साल के समय में वसूल कर लते हैं। आपके बिजली खर्च में ही 50 फसीदी से ज्यादा की बचत होती है। इमारतों के लिए ग्रीन रेटिंग सिस्टम डिवेलप करने वाली संस्था द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (टेरी) के मुताबिक ग्रीन बिल्डिंग के सपने को साकार करना कतई मुश्किल नहीं है। बस घर बनाते समय कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना होता है। जैसे कि ग्रीन हाउस अगर चाहते हैं तो उसमें खिड़की और दरवाजों का आकार पारंपरिक घरों की तुलना में अलग होता है ताकि कुदरती रोशनी आ सके। सोलर फिटिंग्स से भी बिजली बिल बचाने में काफी मदद मिलती है।

शनिवार, 28 मार्च 2020

बच्चों का बचपन न मुर्झाने दें


हमारे व्यक्तित्व को बनाने में बहुत से कारक काम करते हैं पर इसका असली बीज हमारे बचपन में ही पड़ जाता है। इस रहस्य को जानने के लिए एक चाबी भी आपके पास ही है। ऐसे कई आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक हैं जो बचपन के शुरुआती साल में ही असर डालने लगते हैं। आइए जानते हैं कि एक बच्चे की सामाजिक, आर्थिक स्थिति उसके विकास के विभिन्न क्षेत्रों को कैसे प्रभावित करती है।
सामाजिक आर्थिक स्थिति
इससे पहले कि जब हम पैदा होते हैं, हमारे आसपासएक खास स्थिति होती है उसी के आधार पर हमारा जीवन स्तर निर्धारित होता है।
सामाजिक आर्थिक स्थिति (एसईएस) समाज में व्यक्तियों के सामाजिक और वित्तीय स्तर को बताती है। जन्म से पहले और जीवन के शुरुआती वर्षों से आपकी सामाजिक आर्थिक स्थिति आपके माता-पिता पर निर्भर करती है, क्योंकि वे आपके और आपके शुरुआती विकास के लिए वित्तीय रूप से जिम्मेदार हैं।

आपके माता-पिता की सामाजिक आर्थिक स्थिति आपके शुरुआती विकास के बारे में कई बातें निर्धारित करेगी: आप दुनिया को कैसे देखते हैं; क्या, कितना, और कितनी बार खाते हैं; आपका समग्र स्वास्थ्य, आपके प्रति दूसरों का नजरिया
यह एक प्रकार की बचपन की प्रारंभिक शिक्षा है।
यह जीवन में आपकी बाद की सफलता या विफलता को भी प्रभावित करता है। यकीनन, हमारे जीवन का बहुत सा हिस्सा क्या होता है क्या नहीं द्रारा निर्धारित होता है। दो साल की उम्र से लेकर पांच साल की उम्र तक हम अपनी दुनिया को खोज रहे हैं और समझ रहे होते हैं।
संज्ञानात्मक विकास पर प्रभाव
आइए पहले देखें कि SES कैसे संज्ञानात्मक और भाषा विकास को प्रभावित करता है। संज्ञानात्मक हमारी विभिन्न अवधारणाओं, विषयों और प्रक्रियाओं को सोचने और समझने की क्षमता को संदर्भित करता है। अधिक जटिल विचारों को समझने की हमारी क्षमता इस पर निर्भर करती है कि जीवन के शुरुआती वर्षों में हमने सरल विचारों को कैसे प्रकट किया। अवधारणाओं की एक विस्तृत विविधता को अपने जीवन की प्रारंभिक शिक्षा कार्यक्रम से ही शुरू कर देने से आगे चलकर अपने आप को प्रकट करना सबसे आसान हो जाता है।
एक युवा बच्चे का एसईएस उसकी भाषा और संज्ञानात्मक क्षमताओं दोनों को प्रभावित करता है कि वह अपने माता-पिता से क्या सीख पाता है। एक बच्चे के रूप में हम जो सीखते हैं, उनमें से अधिकांश शब्द हमारे माता-पिता से आते हैं, इसलिए हमारी भाषा के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। कम एसईएस वाले कई लोग आमतौर पर उच्च एसईएस वाले लोगों की तुलना में कम शिक्षित होते हैं। वे अपने बच्चों को अधिक महत्वपूर्ण स्तर पर सोचने के लिए आवश्यक अवधारणाओं और विषयों को पढ़ाने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। वे उन शब्दों का भी ठीक से उपयोग नहीं कर सकते हैं जो उनके बच्चों के भीतर उचित भाषा के विकास की अनुमति देते हैं। बच्चे अक्सर अपने माता-पिता के बोलने के तरीके से प्रभावित होते हैं और उसी तरह बोलते हैं, जिसका अर्थ है कि यदि कोई अभिभावक अनुचित भाषा का उपयोग करता है, तो बच्चे भी वैसी ही भाषा का प्रयोग कर सकते हैं।
एक और तरीका एसईएस बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और उनके
संज्ञानात्मक कौशल को प्रभावित करता है, जब वे अच्छे स्वास्थ्य में होते हैं तो सोचने की बेहतर क्षमता होती है। एक कम एसईएस का एक नियमित आधार पर स्वस्थ भोजन खाना मुश्किल हो सकता है, जबकि एक उच्च एसईएस नियमित आधार पर स्वस्थ भोजन आसानी से प्राप्त कर लेता है। एक भूखा बच्चा वर्णमाला पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम नहीं होता क्योंकि उसके दिमाग में एकमात्र चीज भूख लगना होता है । आखिरकार, अधिकांश वयस्क समझते हैं कि भूख के बारे में इतना क्या सोचना.. लेकिन स्वस्थ खाद्य पदार्थ नहीं खाने से कुपोषण होता है, पौष्टिक भोजन न मिलने से दिमाग बेहतर तरीके से संचालित नहीं होता।
भावनात्मक विकास पर प्रभाव
अब आइए देखें कि SES बच्चों में भावनात्मक विकास को कैसे प्रभावित करता है। कम SES वाले परिवार में बड़े होने वाले युवा बच्चों में भावनात्मक और व्यवहार संबंधी समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है। यह बड़े पैमाने पर तनाव के कारण होता है जो भोजन, कपड़े, आदि जैसे आवश्यक संसाधनों के लिए संघर्ष के साथ आता है। माता-पिता द्वारा लाया गया तनाव, यह प्रभाव डालता है कि वे अपने बच्चों के साथ कैसे बातचीत करते हैं, और इसके परिणामस्वरूप बच्चों को तनाव भी होता है। थोड़े समय के भीतर ही बच्चे के भीतर उच्च स्तर की चिंता के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। क्योंकि बच्चा यह जानने के लिए बहुत छोटा है कि तनाव और चिंता से कैसे निपटें, वह अनुचित व्यवहार प्रदर्शित कर सकता है। माता-पिता यह नहीं समझ सकते हैं कि बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है, और उनके पास बच्चे को डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक के पास ले जाने का साधन नहीं होता । इसलिए, वे बच्चे को दंडित करते हैं। सजा के बाद, बच्चा संभवतः अधिक निराश और भावनात्मक रूप से अधिक अस्थिर हो जाएगा। जैसा कि आप समझ सकते हैं, इन शुरुआती विकासात्मक वर्षों के माध्यम से एक चक्र शुरू होता है जो अनवरत जारी रहता है। इसलिए भावनात्मक रूप से स्थिर बच्चे ज्यादा अच्छी तरह अपनी प्रतिभा को सामने ला पाते हैं और भावनात्मक रूप से कमजोर बच्चे विकसित होने के बजाय, वे तेजी से अस्थिर हो जाते हैं। छोटी उम्र में भी, बच्चे जानते हैं कि वे कब दूसरों से अलग होते हैं। इस वजह से, वे भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाते हैं और वह हीन भावना के शिकार हो जाते हैं। कभी कभी वह अवसाद में भी चले जाते हैं । जबकि उनकी उम्र के बच्चे अपनी मस्ती में रहते हैं।

शुक्रवार, 27 मार्च 2020

जब हो लजीज खाना और खूबसूरत मेजपोश—बात बन जाए

हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि एक अच्छी तरह से सजी हुई मेज और स्टाइलिश मेज़पोश वास्तव में आपके भोजन के स्वाद को बेहतर बना सकते हैं। यहां पर तारीफ आपके द्रारा बनाए लजीज खाने की ही नहीं बल्कि टेबल लिनेन, आपकी कलात्मक अभिरूचि और आपकी खास शैली की भी हो सकती है। इस तरह यह हमारे भोजन के तरीके को भी प्रभावित कर सकते हैं। अगर हम अपने बगीचे या पार्क में कोई पिकनिक करने का प्लान करें, या फिर छत पर चाय पीने का मन हो, सप्ताहांत किसी खास तरह का नाश्ता प्लान कर रहे हों या फिर औपचारिक रात्रिभोज की प्लानिंग हो उस समय हम सिर्फ खानेपीने की चीजें के बारे में ही नहीं सोचते बल्कि हमारा ध्यान उनको पेश करने के तरीके पर भी जाता है। ताकि हमारा आयोजन उत्सव में बदल जाए।
क्या करें
इसके लिए हमें चाहिए खूबसूरत लिनन मेजपेश, नैपकिन और रनर यानी कालीन जिनसे हम इस जगह को खास बना सकें।
आपके मन में मेरी तरह सवाल होगा कि आखिर यह सब चीजें हमें मिलेंगी कहां पर.... आप इसके लिए फेसबुक के अपराजिताआर्गनाइजेशन पेज पर क्लिक कर सकते हैं।

टेबल लिनन चुनना थोड़ा असुविधाजनक होता है इसलिए हम आपके सामने विकल्प भी पेश करते हैं और फैशन और ट्रेंड का भी ख्याल रखते हैं।

यहां पूरा मामला खानपान से जुड़ा है तो हमको इसकी साफ सफाई पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इसलिए ऐसा फ्रेबिक चुनें जिसे साफ करना आसान हो। हमें उसकी क्लाविटी पर ध्यान देना होगा। ताकि बार बार साफ करने पर उसका रंग न निकले। उसके धागे रंग न छोड़ें। धोने के बाद वह सिकुड़ न जाए। आप यह न सोचें कि आप सिर्फ उसे खरीदने के लिए खरीद रहे हैं बल्कि यह सोचकर खरीदें की आप जब निवेश कर ही रहे हैं तो उसकी सुंदरता का भी ख्याल रखें। उससे मेच करते करते फर्नीचर और घर की सजावट का भी ख्याल ऱखें।

यह सिर्फ एक टुकड़ा भर नहीं है। यह आपकी भावना, कल्पना शक्ति और सुरूचि का भी अनजाने में ही परिचय आपके अतिथियों से करवा देता है।

आमतौर पर टेबल लिनन को नरम, प्राकृतिक फाइबर जैसे लिनन या कपास से बनाया जाता है। आप सिंथेटिक भी खरीद सकते हैं। इनको धोना ज्यादा आसान है।

लिनेन से बने मेजपोश लंबे समय तक चलने वाले होते हैं। यह आपकी सेहत के हिसाब से भी अनुकूल होते हैं। गर्मियों के दिनों में सिंथेटिक से बचना चाहिए।

बात रंगों की करें तो यदि आप अधिक औपचारिक रूप चाहते हैं, तो सादे सफेद, ऑफ-व्हाइट या आइवरी टेबल लिनन चुनें। यदि आप कुछ और रंग जोड़ना चाहते हैं, तो एक सेट चुनें जो आपके घर की सजावट के साथ हो, आप धर की सजावट की जगह अपनी क्रॉकरी के रंगों के साथ भी इसका समन्वय कर सकते हैं, या फिर लिनन में ऐसे रंग चुनें जो दीवार या पर्दे के रंगों से अलग तो हो पर बेस कलर एक ही हो।

नैपकिन के साथ भी रंगों का समायोजन किया जा सकता है। यह कई तरह के रंगों में और खूबसूरत प्रिंट और मोटिफ में मिल जाएंगे।



बाजार में आजकल बहुत सारे डिजाइन, रंग और स्टाइल में आपको मेजपोश से लेकर कारपेट और नैपकिन मिल जाएंगे। अब बस आप लजीज रेसिपी के बारे में विचार कीजिए।





गुरुवार, 26 मार्च 2020

How to Choose the Perfect Table Linens

A recent study has shown that a well decorated table and stylish tablecloth can actually make your food taste better. So, not only do table linens add class and style to any mealtime, they can even affect the way we perceive our food. A backyard picnic, teatime on a terrace, weekend breakfast or formal dinner will all feel more special, more festive and elegant when set with clean, crisp linen tablecloths, napkins and runners.

Choosing table linen is a serious business, but needn’t feel daunting. Here are our tips on how to select the right table linen:
The key to a beautiful yet functional table setting is quality. Because table linens need to survive spills, stains and frequent washes, you want good quality fabrics that won’t fall apart or become threadbare after the second wash. Table linen is an investment – you’re paying not only for a piece of cloth but also for the mood, the aesthetic and special feeling you get when a table setting is carefully considered.
Ideally, table linens should be made from soft, natural fibres like linen or cotton. You can purchase synthetic ones, but the feel and overall impression is inferior. Pure linen gives the most Instagrammable, picture-worthy table, and feels amazing against the skin as you wipe, dab and clean.
Table linens made from linen are highly absorbent and long-lasting, making them sustainable as well as potential family heirlooms. Unlike synthetic fibres, linen doesn’t become shiny when exposed to an iron’s heat, and actually gets better with every wash. Linen and Egyptian cotton are widely considered the finest materials for table linens because of their long, durable fibres.
Once you’ve chosen the fabric, consider the color of your tablecloth and other table linen pieces. If you want a more formal look, choose plain white, off-white or ivory table linen. If you want to add some colour to your table, choose a set that goes with the décor of your home but doesn’t overwhelm it. Coordinate with the colors of your crockery, or choose linens in a tone that picks out shades from the wall or curtain colors. The simplest option is to purchase a tablecloth in a pastel colour along with several sets of napkins. That way, you can mix and match according to the season and occasion.

Linen table linen gives a polished yet informal, welcoming look to any table, and will make even the most ordinary of dinners or breakfasts feel special.And it’s easy to care for too.
 Thanks to modern pre-washing technologies, the fabric becomes extremely soft and luxurious to touch. Combine this sensory comfort and durability with the huge range of exquisite shades – from dusky lilacs to zingy citrine – and I think you’ll quickly fall in love with linen napkins, tablecloths and runners.

बुधवार, 25 मार्च 2020

Flower Decorating Tips

please contact# 8826016792
This time of year when we are eager for the departure of winter, adding colorful fresh flowers around our homes is one way to welcome spring into our lives. Ed knows this and for Christmas he always gives me a gift card that is only to be used to buy fresh flowers throughout the year, nothing else. It comes in very handy.

I love fresh flowers and try to use them most of the time, but sometimes it is just not possible.

When I can’t find what I am looking for in my yard or from the grocery store and I am desiring the visual joy of the color pops that flowers provide in my house, I don’t mind using fake flowers.

Not just any fake flowers though, I am very picky about the ones I buy and thought for today’s post I would share my fake flower decorating tips with you that can really make the difference when it comes to making them look as realistic as possible.

This time last year, I painted a vase with craft paint to place behind my sofa. In it I put fake forsythia. I loved it, the vase and the flowers looked fresh and vibrant in my living room. When summer came the forsythia went into a bag and into storage.

Fast forward to this week where I am tweaking the decor around my house for spring. I brought the vase and forsythia out of storage, except I decided I didn’t want to use the stems in the same way as I did last year. This is one of my tips on how to make fake flowers look real.

Change it up. Place your faux stems in a different vase or container. Move them from room to room so you get lots of mileage out of your purchase. I use the same forsythia branches every year, but placed them into a basket to help brighten up the firebox instead of the vase.

See the hydrangeas in the glass bottles on the mantel? When I first decorated the mantel for spring, I placed real flowers in the bottles. They have since died…

so I went to my fake flower storage stash and plucked out a few fake purple hydrangeas that I used to have on top of a cabinet in the kitchen of my previous house.

Fake flowers when you take care of them can last a very long time.

TIP #1: To help space the forsythia in the larger container, I placed a few bunched-up plastic grocery bags into the basket and around the stems so they would fall evenly around the basket.

TIP #2: Real flowers, their stems and leaves are not perfect. Fake flowers look better when they are not perfectly arranged or placed perfectly symmetrical.

TIP #3: RESEARCH FRESH FLOWERS – Before you can buy good-looking fake flowers you need to know what real ones look like. Visit a florist or look at images of real flowers online. Be sure to check out the leaves. Each flower has its own leaf shape, veining and texture. Makers of fake flowers are getting better about making the leaves and stems look real.

Look for the best colors and most realistic looking flowers. If you search and are choosey you will be surprised at just how nice many at the craft store look… Even the dollar store, sometimes has a few types of fake florals that look good.

TIP #4: CUT YOUR FLOWERS APART – Just because fake flowers are sometimes sold in a bunch doesn’t mean they have to stay that way. Separate the bouquet/bunch into individual stems. All it takes is a few snips using an inexpensive pair of wire cutters and you’ve got a bunch of individual flower stems to arrange in no time. Don’t use scissors as you will ruin the blades.

Once cut, you can arrange and place the flowers just as you would fresh flowers. If using a glass vase this in even more important since you don’t want to see the stems being held together as a bush through the glass.

TIP #5: BEND THE STEMS – A real flower does not stand perfectly straight on it’s stem, they softly droop to the sides of a vase. So using your hands, bend the wire stems a bit so they will stand more like a real flower.

TIP #6: ADD WATER TO THE VASE – When using glass vases to display fake flowers, make sure to add water to the vase. This tip alone will make fake florals look more realistic. If metal ends of stems are visible, cut them off with wire cutters and then place in water. If the metal can’t be cut off, apply clear nail polish over the metal and let dry, then place in water. This will keep rust marks from forming on the glass.

TIP #7: GO MONOCHROMATIC – One thing I don’t like about grocery store flowers is that many are sold in mixed bouquets. I prefer to decorate with flowers that are all one color and type. Find one fake flower in the color you like and fill the vase or container with them.

TIP #8: ALLOW A FEW BUDS OR PETALS TO DROP – Natural things never stays the same, real flowers shed, so let your fake flowers shed a few blossoms or buds on the table.

TIP #9: BUY ODD NUMBERS – When arranging flowers real or fake, use odd numbers of stems or branches. Odd numbers just look better. Buy enough to fill the vase. I always buy more than I think I will need and am always glad I did. If I get too many, I can always return them. You can’t do this with real flowers.


TIP #10: The reason these tulips look realistic is that their stems are thick and really resembles that of a real tulip. Many fake flowers come on thin wire stems and have cookie cutter dark green foliage. These petals have texture to them an the leaves have realistic looking veins which helps give a more realistic feel. Plus the color looks more translucent and not one solid opaque yellow color.

TIP #11: USE FLOWERS THAT ARE IN SEASON – An old-school rule about decorating with fake flowers was that you should only use fake flowers that are in season so they seem more realistic. I agree with this, but don’t let it influence my decision if I see pretty pink tulips in the middle of winter for sale at the grocery store. Nowadays you can buy any season of flower any time of year at the grocery store or florist.

TIP #12: STORE IN PLASTIC BAGS – To keep fake flowers from getting dusty, give them a shake from time to time. I have even run them under water and allowed them to dry upright in a vase. To store them, place in containers with large plastic garbage bags over the blooms. This way they stay clean, but won’t get crushed.

The next time you bring a bunch of fake flowers home from the store or get them out from storage, they are all always going to require a little fluffing and bending of the stems. Doing a little tweaking will have them looking realistic in no time. And best of all, unlike real flowers, fake flowers will last for a long time so your purchase will be well worth it.

TIP #13: Use % OFF COUPONS – When buying fake flowers from the craft store, I always wait until they are on sale or I have a 40% – 50% off coupon. I can get double the amount.

I love tulips and think I am going to splurge on these Purple Tulips. They are a bit pricey, but I know I will be able to use them for many years to come making the purchase worth it.

मंगलवार, 24 मार्च 2020

What Rug Material Is Right for Your Home?

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Figuring out what rug material is best for your space is essential. It’s important to consider how a space will be used, what kind of traffic it will receive, and how much coziness you desire. Check out our quick guide to the most commonly used materials for rugs and the pros and cons of each below.
WOOL
The most common material used for rugs, wool is prized for its durability and softness.
Why we love it: Strong; good stain and water repellency; excellent insulating properties; cozy underfoot.
Things to consider: Not good for damp places as it absorbs humidity; subject to fading; some shedding may occur but will lessen with time
Best for: Living rooms, dining rooms, high-traffic areas
SILK
Luxurious and lustrous, silk rugs are adored for their softness and subtle sheen.
Why we love it: Very soft and sumptuous feel; finer details than wool
Things to consider: Requires professional cleaning; can show footprints
Best for: Bedrooms, low-traffic areas
COTTON

It’s most frequently used to make flat-weave rugs such as dhurries and kilims.

Why we love it: Generally more affordable than wool or silk; easy to clean.

Things to consider: Doesn’t always wear well over long periods of time.

Best for: Kitchens, children’s rooms, casual spaces.

SISAL, JUTE, SEA GRASS

Durable, natural grasses and other fibers combine neutral, earthy palettes and rich textures, making them the ultimate design chameleons.

Why we love it: Very strong; renewable; typically free from chemical processing

Things to consider: Some varieties can be coarse and difficult to clean

Best for: Living rooms, high-traffic and sunny areas


ANIMAL SKINS

Available as complete hides, stitched panels, or woven strips of tanned leather.

Why we love it: Both soft and durable; unique pieces (especially hides); generally easy to clean

Things to consider: Not great for damp or humid areas

Best for: Bedrooms, offices, dens, low-traffic areas

SYNTHETICS

Man-made fibers including viscose, nylon, and polypropylene. They have been improved over the years to mimic the characteristics of natural fibers.

Why we love it: Easy to clean; family-friendly; can be used in damp environments; many types can be used outdoors

Things to consider: Doesn’t always feel luxurious
Best for: Hallways, outdoors (note: not all synthetic rugs are suitable for outdoor use), high-traffic and sunny areas.

सोमवार, 23 मार्च 2020

आपका साथ मिला है, आपका साथ मिलेगा


प्यारे मित्राें,  
आज आपसे कुछ अपनी बात कहनी है और बहुत सारी आपकी बात सुननी है।


ताे दाेस्ताें ,
कला के प्रति एक अलग तरह का सम्मोहन बचपन से ही था। कला की हर विधा मुझे आकर्षित करती। कविता, कहानी रंग और छाया से मेरी दोस्ती समय के साथ और गाढ़ी होती गई। पत्रकारिता के साथ साथ अलग अलग रास्तों और पगडंडियों पर चलते हुए मेरा बार बार सामना जीवनशैली से हुआ। लाइफस्टाइल से जुड़े हर विषय पर मैंने लिखा। काफी के कप लेकर फैशन की जिंदादिल और रंगीन दुनिया की कई शामें मैंने दिग्गज फैशन डिजाइनरों के साथ गुजारी। चमकती दुनिया में रहते हुए भी उनकी सादगी भरे जीवन की मैं कई बार कायल हुई। नामी डिजाइनर रोहित बल, जेजे वलाया, जितिन कोचर से लेकर कई नामी गिरामी डिजाइनरों के काम को बहुत बारीकी से देखा।
 इसी के साथ पाठकों के प्रति अपनी जवाबदेही काे मैंने समझा। पाठक की पसंद क्या है, वह क्या पढ़ना चाहते हैं उनकी रूचि किस तरह की चीजों पर है और बाजार में उसकी उपलब्धता की उम्मीद कितनी है। वह किस दाम पर और किस गुणवत्ता के साथ हैं। इनको जानना और बताना जरूरी था।
इधर पत्रकारिता का यह नया दौर बिलकुल अलग है। तुलना का यहां सवाल ही नहीं है। विचार बदल रहे हैं पसंद बदल रही है। हर तरह के समूह है। वाट्सएप ग्रुप में इसकी कई मिसालें मिल जाएंगे। पढ़ने वालॆ का ग्रुप, फूडी ग्रुप, फैशन ग्रुप, ब्यूटी  ग्रुप, अध्यात्म ग्रुप,  किटी ग्रुप, आदि आदि आदि...
फिर भी इस नए दौर में एक चीज है वह है जानकारी। जिसकी जिसमें रूचि है वह उसके बारे में जानना चाहता है और मजेदार बात यह है कि वह इसके लिए वाट्सएप यूनिवर्सिटी में दाखिले लेने को मजबूर है। मुझे लगता है ठीक इसी जगह पर सही दरवाजे पर दस्तक देनी चाहिए। मैंने होम डेकोर को चुना। और अब आपसे इससे जुड़े विषयाें पर चर्चा करूंगी। समय समय पर नामी डिजाइनर्स के साथ बातचीत करूंगी। जिसमें मैं आपकी ऱूचि उनसे साझा करूंगी और उस बारे में उनकी जानकारी आपसे साझा करूंगी। अपराजिता आर्गनाइजेशन के बैनर तले में मैं होम डेकोर पर आपका हर रोज इंतजार करूंगी। मेरा आनलाइन ठिकाना अब वही है। 
अगर आप वाट्सएप्प पर इस ठिकाने से जुड़ना ज्यादा सहज समझते हैं तो उसका लिंक भी साझा कर रही हूं। मेरे इस नए ठिकाने पर आप जरूर आएं आपका स्वागत है।
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रविवार, 22 मार्च 2020

OPEN THE DOOR TO DECORATION

It’s finally time to turn your boring doors into something really special with something from our huge collection of door stickers. We’re certain that our ever-expanding catalogue of door decals is going to have something just right for you. From awesome no entry signs to beautiful floral decorations, there’s bound to be something to suit your needs exactly.

Thanks to the extremely hard work of our wickedly talented design team who work tirelessly to create new door sticker designs to help you make your home as beautiful as can be. We’re always here to provide you as many designs as possible, be they glass door stickers or perhaps house number stickers to give your home a more personal touch with ease. Whatever your needs, we’re sure that we’ll have something just right for you.

If, by some miracle, you manage not to find exactly what you have been searching for, don’t worry for a moment, because we’re here to help! Here at tenstickers, we’re proud to say that we have the best service of personalised door stickers on the internet right now! Our service couldn’t be simpler, all you have to do is upload your image to us, or explain your design, choose the dimensions, and you’ll be in possession of your customised door sticker sooner than you’d think.
Should you be wondering about the quality of the products that we’re providing to you. Allow us to dispel any doubts that you may have right now. All of our door stickers are made from a high-quality vinyl material that is made to be durable, weather-proof and long-lasting. You’ll find that applying our stickers to any door or smooth surface is extremely simple with no fear of bubbles, rips or peeling in sight. What’s more, you’ll find that removing your door decals is just as easy, leaving behind no marks, residue or damage to your door.
So what are you waiting for? Go check out our amazing designs right now!

SELECTING WALL ART BY COLOUR


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Did you know in the world of decorating, there is a big difference between room colour palettes versus the colour palettes of art? With art, there is more allowance for the use of bold colour schemes or the brights you may only reserve for an accent wall. 
There are two major approaches to selecting your wall art by colour. 
First, add art to your room that incorporates colours already present in the room. In the majority of cases, sticking to a consistent scheme is cohesive, sophisticated, and complementary. Basics of this style include: 
Your most significant piece of artwork should have a background colour that matches your wall colour. 
Reference the colour wheel when selecting complementary shades. 
Use the same colour but in different shades. A light blue and white painting looks beautiful with a navy-blue wall. 
Only choose wall art if that exact shade is already in your room. Most spaces should not exceed four colours to look pulled together. 
Stick to black and whites when in doubt about colour. Black and white match everything while also adding to the elegance of a structure. 
Stay away from bright colours and neons as these do not always match up with neutral wall colours. 
Keep the colours in your wall art equal in proportion to their presence in the room. For instance, if your place is black and white with red throw pillows, select wall art that is black and white with a touch of red. 
Make use of mirrors to reflect art. Reflections make the room look larger and duplicate the appearance of all wall art. 
Alternatively, choose art for your room that introduces bolder shades on the same colour scheme. Your wall colour does not restrict your palette but instead serves as a baseline for your evolving sense of personal style. 
Bright or neon pieces stand out against walls with neutral backgrounds. 
Tie together the room with line work or style rather than colour. Pieces from the same artist could be different colours but pulled together with the style of painting. 
Play with texture and colour in wall art, furniture, and accessories. Buy pieces made from mixed materials like wood and metal. Adding the colours of the artwork to the accessories of your room emphasises the boldness of your wall hangings. 
Purchase based on undertones. The undertones of a painting are the underlying qualities of the picture. Dark brown undertones look great on light brown walls, even if light brown is not actually in the artwork. 
Make use of photo frames to emphasise your favourite pieces. Frames do not necessarily need to be in standard colours like black, white, silver, or gold. 
Introduce a new colour into the room in twos or threes. One occurrence of a bright pink could be accidental, but two circumstances make it intentional. Repeating colour increases its impact in the room. 

How to Choose the Perfect Wall Art for Your Space


Wall hangings, art, and photos serve as the stylistic icing on the cake that is your home. Wall art draws the eye, pulls together space, and makes your home inviting. 
The search and installation of pieces you love are worth the trouble because it genuinely improves your home. 
While there is no set of rules in place for adorning a home, following these basic instructions will help you select the perfect pieces. Go by size, style, colour, theme, inspiration, or floor plan. The options are limitless. 
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THE #1 TIP YOU NEED FOR CHOOSING THE PERFECT WALL ART
The top piece of advice every person needs to choose the perfect wall art is this: select what you like. If you see something and it does not foster feelings of enjoyment or relaxation, don’t put it on your wall. It is your home, your design, and your money being spent on wall art. 
While it is common for family members to make compromises in selections, this definitely does not mean you need home décor that does not suit your style. You live in your home, so enjoy the pieces you have adorning your walls!
SELECTING WALL ART BY SIZE
When it comes to wall art, it gets tough if you are not particular about sizing. Go into your search for wall art with a size in mind for quick selection. 
Looking to decorate a room? Many people find it easier to start with the larger pieces and work their way down. As you begin pulling together your space, purchases add up, and soon enough your home will be decorated to your preferences. 
Here are the basics of wall art sizing, whether displaying pieces alone or together with a gallery wall, if you wish to use sizing for your defining feature: 
Oversized: These parts are 100 centimetres in length or greater. Before buying a piece this large, measure your space to see if it can accommodate it. Oversized wall art acts as a focal point of a wall or a room. 
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Large: This size frame is from about 80 to 100 centimetres in length. Large wall art could serve as a centrepiece or be balanced on either side with mini or small pieces. One to two large pieces per room is standard. 
Medium: Wall art in this category is from 60 to 70 centimetres long. Some pieces can stand alone, but medium pieces also go well when grouped with one another. Keep your space symmetrical when adding medium wall hangings. 
Small: A small hanging goes well above shelving, pieces of furniture, and on short walls because it is 45 to 59 centimetres in length. Small art pieces go well in pairs or groups of three to six hangings. 
Mini: The smallest size of frames are mini, falling in the range of 25 to 44 centimetres. Think about anything the size of a piece of paper or smaller as a mini piece of art. You often see them sold as collections; it is common to see at least three to four of these sold together. 
When selecting wall art, go with a general idea about the size you are looking for in a room. Most bathrooms cannot accommodate oversized wall art, just as most living rooms aren’t decorated with minis. 
There are some general sizing rules to think about: 
Pictures should not be more than two-thirds longer than your sofa. 
Photos should be at least 15 centimetres above the edge of your furniture. 
A small piece of art can’t fill a big space. Group small pieces together. Works by the same artist complement each other well. 
Consider the height of ceilings when choosing size. Be sure it fills the space in length and width
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Of all of the ways to choose wall art, decorating your home based on style might be the most natural. More than anything, selecting wall art by style is personal. A few examples of styles to use include: a focus on antique pieces, a bright, bold form, or a Bohemian look. 

सोमवार, 16 मार्च 2020

घर के कोने सजाने के आसान तरीके

 घर का हर काेना खास हाे सकता  है अगर आप उसे महत्व दें। यह त्रिकाेण आपके घर की फाेटाे गैलरी हाे सकता है पढ़ने या संगीत सुनने का एकदम मुफीद स्थान भी। आप इस जगह पर एक लाइब्रेरी भी बना सकते हैं। बाजार में इस खास जगह के लिए नक्काशीदार या साधारण डिजाइन के असाधारण विकल्प बहुत आसान दामाें में उपलब्ध हैं। अपराजिता आर्गनाइजेशन के फेसबुक पेज काे क्लिक कीजिए
https://www.facebook.com/APARAJITA-ORGANISATION-1447701708871014

और पाइए घर सजाने के कई सारे विकल्प।  मान लीजिए बात कमरे का कोना पर हाे ताे यह वाकई चुनौतीपूर्ण होता है।  यहां पर हमें कुछ विशिष्ट लेआउट को अपनाने के बारे में साेचना चाहिए। लेकिन यह भी जरूरी नहीं कि जैसा मैं कहूं आप वैसा ही करें। आप अपनी रचनात्मकता का परिचय दे सकते हैं। आज मैं  आपकाे घर के काेने सजाने के तरीके और बाजार में इसके लिए उपलब्ध उत्पाद पर आपसे चर्चा करूंगी।
पढ़ने के लिए हर काेई एकान्यत तलाशता है। आप भी इसे एक आरामदायक रीडिंग काेना बना सकती है और  कमरे के कोने वास्तव में आदर्श स्थान हैं। इसके लिए आपकाे चाहिए एक आरामदायक कुर्सी,  एक डेकाेरेशन पीस, एक साइड टेबल, एक लैंप और आपकी पसंदीदा चुनी हुई किताबें।
आप एक छोटे से डेस्क को लिविंग एरिया या बेडरूम  के काेने में भी रख सकते हैं। आपके  पास स्थान के हिसाब से  डेस्क नहीं मिल रही है ताे आप कस्टम डिजाइन पर विचार कर सकते है। डेस्क दीवार से सटा शेल्फ  भी हो सकता है।
आप कोनों में  सजावटी चीजों को भी प्रदर्शित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक बड़ा पॉटेड प्लांट वास्तव में ऐसी जगह में पूरी तरह से फिट होगा। यह वास्तव में कमरे के लेआउट के साथ  किसी तरह की दिक्कत नहीं करेगा। अधिक व्यावहारिक विकल्प है आप किताबों की अलमारी जैसे किसी फर्नीचर को कोने  पर लगा सकते हैं या आप इसे कॉम्पैक्ट कर सकते हैं।
 हम केवल अपने कमरों के कोनों के लिए फर्श लैंप चुनते हैं क्योंकि यह वास्तव में सुंदर लगते हैं। फर्श लैंप आमतौर पर लंबे और पतले होते हैं, इसलिए वे कोनों में पूरी तरह से फिट होते हैं और उसके पास एक आरामदायक कॉम्बो बनाते हुए कुर्सियाँ और सोफे उनके ठीक बगल में रखे जा सकते हैं।
आप वस्तुओं के एक समूह को प्रदर्शित करने के लिए एक कमरे के कोने का भी उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, वासेस, मूर्तियां, किताबें या अन्य वस्तुओं का संग्रह यहां प्रदर्शित किया जा सकता है।
यहाँ एक उदाहरण है कि आप डिज़ाइन में कोने को शामिल करके किसी स्थान को कैसे व्यवस्थित कर सकते हैं।
यदि आप इस तरह से एक कोने में एक कुर्सी या एक सोफा रखते हैं, तो आप उसके पीछे एक खाली त्रिकोण के आकार का स्थान छोड़ देंगे ताे भी यह सुंदर लगेगा। यदि आप फर्श लैंप, प्लांट या कोई अन्य सामान रखते हैं तो आप कोने के स्थान का अच्छा उपयोग कर सकते हैं।
यदि आप एकदम खाली दीवारों को सजाते हैं तो आप एक कमरे के कोने को कम कठोर और रैखिक बना सकते हैं और आप उनके बीच के बदलाव को अधिक चिकना और अधिक निर्बाध बना सकते हैं। इस विशेष मामले में, टेबल लैंप सही कोने में बैठता है, जो एक अच्छा विवरण है, क्योंकि प्रकाश आसन्न दीवारों पर परिलक्षित होता है, जो रात में सबसे अधिक ध्यान देने योग्य एक शांत दृश्य प्रभाव पैदा करता है।
विशेष रूप से अंडे के आकार वाली लटकने वाली कुर्सियाँ, खासकर कोनों के लिए बनाई जाती हैं जाे कम से कम  जगह में पूरी तरह से फिट हो जाती हैं। कुर्सी के बगल में एक प्यारा साइड टेबल जोड़ने में संकोच न करें ताकि आप एक सुगम और आरामदायक  काेना बना सकें। यह काेना आपके संगीत सुनने के लिए खास हाे सकता है।

रविवार, 15 मार्च 2020

10 Corner Decoration Ideas That Actually Make Sense

Room corners are awkward and also pretty annoying and challenging when it comes to furnishing or decorating a space. They often force us to adopt certain specific layouts or to organize our homes in ways which are not necessarily optimal. But there’s no point being demoralized about it when a much more efficient attitude would be trying to find a way to make the most of that awkward corner space and to actually turn it into a positive feature. Today we’re showing you ten corner decoration ideas which will hopefully set you on the right track.
Room corners are actually ideal spaces if you want to create a cozy reading nook. Find yourself a comfortable chair, maybe also an ottoman, a side table and a lamp and cuddle up with a good book.
You can also put a small desk in the corner of a room like the living area or the bedroom. You might not be able to find a desk with the exact dimensions that you need so consider a custom design. The desk could simply be an oversized wall-mounted shelf.
You can also display things in corners. For example, a large potted plant would actually fit perfectly in such a space. It wouldn’t really interfere with the room’s layout and it could actually be pretty big and tall, like this one.A more practical option is to occupy the corner with a big piece of furniture like a closet or a bookcase. You could put doors and shelves on either side of the unit or you can make it compact so it can double as a space divider in an unconventional sense of the term.
More often than not, we choose to display floor lamps in the corners of our rooms simply because it really makes sense and it’s actually a perfect match. Floor lamps are usually tall and narrow so they fit perfectly in corners and you can have chairs and sofas placed right beside them, creating a cozy combo
You can also use a room corner to display a group of objects. For example, a collection of vases, sculptures, books or other items can be displayed here, all grouped up on shelves or on a console table.
Here’s an example of how you can organize a space by incorporating the corner into the design. Notice how you can barely notice the corner since it’s covered by the plant and wall decor.
If you place a chair or a sofa in a corner like this you’ll be left with an empty triangle-shaped space just behind it and that’s actually not such a bad thing. You can put the corner space to good use if you place a floor lamp, a plant or some other accent piece there.
You can make a room corner seem less harsh and linear if you decorate the adjacent walls and you make the transition between them smoother and more seamless. In this particular case, the table lamp sits right in the corner which is a nice detail too as the light is reflected onto the adjacent walls, creating a cool visual effect, most noticeable at night.
Hanging chairs, especially the egg-shaped ones, are made for corners or at least they fit perfectly in there. It makes sense to hang one in a corner since you don’t want it to be in the way and to interfere with your room’s layout too much. This is actually true for any kind of accent chair, not just the hanging kind. Don’t hesitate to add a cute side table next to the chair so you can create a snuggly and cozy reading nook.

बुधवार, 11 मार्च 2020

पेड़ पौधें भी हमसे बात करते हैं

 
जब हम जीवन के  बारे में बात करते हैं तो सोचते हैं कि मनुष्य ही मनुष्य से बात करता है एक दूसरे को समझता है।  जबकि यह पूरी सच्चाई नहीं है। इंसान की भाषा पशु पक्षी और पेड़ पाैधें भी बहुत आसानी से  समझते हैं। सिर्फ भाषा की ही नहीं वह मनुष्य की तरह हमारी स्मृतियाें का भी हिस्सा हाेते हैं। जैसे हम मनुष्य काे उसके नाम से पुकारते हैं  ऐसा ही हम फूलाें और पाैधाें काे लेकर भी  करते हैं। हमारी यादाें में वह अक्सर दस्तक देते हैं। अगर हम किसी पुराने शहर घर गांव में जाएं ताे सबसे पहले हमारी निगाहें उन पाैधों काे देखती हैं और मन ही  मन दुलराती हैं। यदि वह पाैधें पेड़ वहां पर नहीं हाेते ताे हमारे भीतर एक रिक्तिता का अहसास हाेता है और अनायास हमारे मुँह से निकलता है कभी यहां आम का पेड़ हाेता था। या यह देखाे अमरूद का पेड़ अभी भी कितना फल देता है। यह कहकर जैसे हम उसके गले लग जाते हैं जैसे बरसाें बाद काेई मित्र मिला हो। बड़ी बड़ी इमारताें के बीच दबे पेड़ पाैधाें काे याद करते है। हमारी उम्र और साेच के साथ पेड़ पाैधाें के साथ हमारा तादात्मय और गहरा जाता है।  उनके न खिलने पर हम उदास हाे जाते हैं और खिल जाने पर लगता है घर का शाेक दुःख और दरिद्र चला गया। अगर किसी के घर से काेई फूल ताेड़ लेता है ताे उसके संरक्षक काे बहुत बुरा लगता है।
 आइए पौधाें काे अपने परवार का हिस्सा बनाएं। घर काे स्वस्थ बनाएं।

Letest style keyring

keychain, or keyring, is a small chain, usually made from metal or plastic, that connects a small item to a keyring. The length of a keychain allows an item to be used more easily than if connected directly to a keyring. Some keychains allow one or both ends the ability to rotate, keeping the keychain from becoming twisted, while the item is being used.
A keychain can also be a connecting link between a keyring and the belt of an individual. It is usually employed by personnel whose job demands frequent use of keys, such as a security guard, prison officer, janitor, or retail store manager. The chain is often retractable, and therefore may be a nylon rope, instead of an actual metal chain. The chain ensures that the keys remain attached to the individual using them, makes accidental loss less likely, and saves on wear and tear on the pockets of the user.



























Special Post

विदा - कविता- डा. अनुजा भट्ट

विदा मैं , मैं नहीं एक शब्द है हुंकार है प्रतिकार है मैं का मैं में विलय है इस समय खेल पर कोई बात नहीं फिर भी... सच में मुझे क्रि...