जब से कराेना वायरस के संक्रमण के बारे में सुनती जा रही हूं मुझे एक चिंता सी हाे रही है। खासकर बुजुर्गाें काे लेकर। छाेटे शहराें में गांवाें में बहुत से परिवार ऐसे हैं जहां बुजुर्गों की देखभाल के लिए काेई नहीं है। इस कारण वहां कई तरह के विकल्प भी उभरकर आ रहे हैं। जैसे नौकरीपेशा लाेगाें के लिए टिफन सर्विस हुआ करती है वैसे ही अब जिन घराें में बुजुर्ग अकेले रह गए हैं वहां भी टिफिन सर्विस है। घर के बने खाने की मांग ज्यादा है। अक्सर यह खाना घरों पर ही बनता है। जेरीएट्रिक केयर प्रोफेशनल्स की शुरूआत अब भारत के छाेटे छाेटे शहराें में हाे चुकी है। आप जानना चाहेंगे यह क्या हाेता है और इसमें किस तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। क्या सिर्फ खाना ही मिलता है या कुछ भी। ताे दाेस्ताें, खाने की बात ताे एक संकेत भर है।
अभी हमारे देश में अभी बुजुर्गों के देखभाल(geriatric care) के लिए कोई प्रबंधन पश्चिमी मुल्कों की तरह तैयार नहीं हो पाया है। सरकारी अस्पतालों में भी ओल्ड एज के लिए अलग से ओपीडी की व्यवस्था नहीं है। हालांकि कई महानगरों में बुजुर्गों के देखभाल के लिए डे केयर सेंटर, ओल्ड एज होम और परामर्श केंद्र खुले हैं, मगर उनके स्वास्थ्य के जरुरतों के लिए अस्पतालों में अलग से ओपीडी नहीं खुली है।
बुढ़ापे में हेल्थ केयर सर्विस की सबसे ज्यादा जरुरत होती है और बुजुर्गों के देखभाल के लिए अलग से हेल्थ प्रोफेशनल की व्यवस्था को ही Geriatric Care Management कहते हैं।
क्या है जेरीएट्रिक केयर? (What is geriatric care?)
वरिष्ठ नागरिकों के जीवन के देखभाल के लिए पूरी तरह समर्पित प्रबंधन प्रणाली को जेरीएट्रिक केयर मैनेजमेंट कहते हैं। किसी भी तरह की इमरजेंसी में इसके प्रोफेशनल और एक्सपर्ट बुजुर्गों की हेल्थकेयर, होम केयर, हाउसिंग, डे केयर खाने-पीने की व्यवस्था से लेकर उनके आर्थिक और कानूनी जरुरतों को भी पूरा करते हैं। घर के सदस्यों के साथ मिल कर हर दिन 3 से 5 घंटे उनके घर में रह कर बुजुर्गों की देखभाल करते हैं। इनके देखभाल करने का तरीका बिल्कुल नियोजित तरीके से होता है और अपने ग्राहक (बुजुर्ग) की हर गतिविधि को लगातार मॉनिटर करते हैं।
हाउसिंग (Housing)
परिवार के लोगों को बुजुर्गों के देखभाल और बेहतर जिंदगी के लिए अच्छे घर खोजने में मदद करना।
होम केयर सर्विस (Home Care Service)
बुजुर्गों को घर में रहने-खाने-पीने से लेकर उनके दिन भर की जरुरतों के लिए क्या-क्या सामान चाहिए उसकी व्यवस्था करना। खास बात यह है कि इसमें उनकी सुविधा और स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाता है।
मे़डिकल केयर (Medical Care)
डॉक्टर से मिलने का समय तय करना, डॉक्टर, अपने ग्राहक(बुजुर्ग) और उनके परिवार के बीच संवाद कायम करना और डॉक्टर के निर्देश के मुताबिक अपने ग्राहक को हर मेडिकल जरुरत समय-समय पर उपलब्ध कराना।
संवाद (Discussion)
बुजुर्गों के आदत, खान-पान के तरीके या फिर व्यवहार में हो रहे बदलाव के बारे में परिवार के सदस्यों को समय-समय पर अवगत कराना।
बुजुर्गों का सामाजिक दायरा बढ़ाना (Social Connect)
ये प्रोफेशनल्स बुजुर्गों के अकेलेपन को काफी नजदीक से समझते हैं। ये उनको मानसिक और शारीरिक रुप से सक्रिय करने के लिए समय-समय पर सामाजिक समारोह आयोजित करते हैं और उनको इसमें भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। इस तरह के आयोजन में बुजुर्गों के मन बहलाने से लिए कई तरह के सांस्कृतिक और मनोरंजक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
कानूनी (Legal)
अपने ग्राहक(बुजुर्ग) को जरुरत होने पर मुकदमे की पैरवी करने या वसीयत बनवाने में वकीलों के साथ मिलने का समय फिक्स कराते हैं और एक्सपर्ट सलाह दिलवाते हैं।
वित्तीय (Financial)
बैंक का काम हो या फिर बिजली-पानी, गैस का बिल जमा करना हो ये अपने ग्राहक के हर जरुरत का ख्याल रखते हैं।
सुरक्षा (Security)
यह अपने ग्राहक(बुजुर्ग) के साथ उनके घर में समय बिताते हैं। साथ ही उन्हे अपने घर में चलने-बैठने या गिरने से बचने के लिए किस तरह के सुरक्षा उपकरण की जरुरत होगी इसकी व्यवस्था करते हैं। इतना ही नहीं बुजुर्गो के साथ आए दिन होने वाले हिंसा और उत्पीड़न के बारे में भी उन्हे आगाह करते हैं और इससे बचने के तरीके भी बताते हैं।
ऐसे मरीजों के लिए जरुरी है जेरीएट्रिक केयर प्रोफेशनल्स (For Such patients geriatric care is essential)
शारीरिक रुप से विकलांग
पर्किसंस
अल्जाइमर
डाउन सिंड्रोम
मानसिक अवसाद
ऑटिज्म
गंभीर और पुरानी बीमारी
मस्तिष्क में चोट लगने पर आपकाे यह जानकारी कैसी लगी जरूर बताएं पसंद आए ताे शेयर करें।
अभी हमारे देश में अभी बुजुर्गों के देखभाल(geriatric care) के लिए कोई प्रबंधन पश्चिमी मुल्कों की तरह तैयार नहीं हो पाया है। सरकारी अस्पतालों में भी ओल्ड एज के लिए अलग से ओपीडी की व्यवस्था नहीं है। हालांकि कई महानगरों में बुजुर्गों के देखभाल के लिए डे केयर सेंटर, ओल्ड एज होम और परामर्श केंद्र खुले हैं, मगर उनके स्वास्थ्य के जरुरतों के लिए अस्पतालों में अलग से ओपीडी नहीं खुली है।
बुढ़ापे में हेल्थ केयर सर्विस की सबसे ज्यादा जरुरत होती है और बुजुर्गों के देखभाल के लिए अलग से हेल्थ प्रोफेशनल की व्यवस्था को ही Geriatric Care Management कहते हैं।
क्या है जेरीएट्रिक केयर? (What is geriatric care?)
वरिष्ठ नागरिकों के जीवन के देखभाल के लिए पूरी तरह समर्पित प्रबंधन प्रणाली को जेरीएट्रिक केयर मैनेजमेंट कहते हैं। किसी भी तरह की इमरजेंसी में इसके प्रोफेशनल और एक्सपर्ट बुजुर्गों की हेल्थकेयर, होम केयर, हाउसिंग, डे केयर खाने-पीने की व्यवस्था से लेकर उनके आर्थिक और कानूनी जरुरतों को भी पूरा करते हैं। घर के सदस्यों के साथ मिल कर हर दिन 3 से 5 घंटे उनके घर में रह कर बुजुर्गों की देखभाल करते हैं। इनके देखभाल करने का तरीका बिल्कुल नियोजित तरीके से होता है और अपने ग्राहक (बुजुर्ग) की हर गतिविधि को लगातार मॉनिटर करते हैं।
हाउसिंग (Housing)
परिवार के लोगों को बुजुर्गों के देखभाल और बेहतर जिंदगी के लिए अच्छे घर खोजने में मदद करना।
होम केयर सर्विस (Home Care Service)
बुजुर्गों को घर में रहने-खाने-पीने से लेकर उनके दिन भर की जरुरतों के लिए क्या-क्या सामान चाहिए उसकी व्यवस्था करना। खास बात यह है कि इसमें उनकी सुविधा और स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाता है।
मे़डिकल केयर (Medical Care)
डॉक्टर से मिलने का समय तय करना, डॉक्टर, अपने ग्राहक(बुजुर्ग) और उनके परिवार के बीच संवाद कायम करना और डॉक्टर के निर्देश के मुताबिक अपने ग्राहक को हर मेडिकल जरुरत समय-समय पर उपलब्ध कराना।
संवाद (Discussion)
बुजुर्गों के आदत, खान-पान के तरीके या फिर व्यवहार में हो रहे बदलाव के बारे में परिवार के सदस्यों को समय-समय पर अवगत कराना।
बुजुर्गों का सामाजिक दायरा बढ़ाना (Social Connect)
ये प्रोफेशनल्स बुजुर्गों के अकेलेपन को काफी नजदीक से समझते हैं। ये उनको मानसिक और शारीरिक रुप से सक्रिय करने के लिए समय-समय पर सामाजिक समारोह आयोजित करते हैं और उनको इसमें भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। इस तरह के आयोजन में बुजुर्गों के मन बहलाने से लिए कई तरह के सांस्कृतिक और मनोरंजक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
कानूनी (Legal)
अपने ग्राहक(बुजुर्ग) को जरुरत होने पर मुकदमे की पैरवी करने या वसीयत बनवाने में वकीलों के साथ मिलने का समय फिक्स कराते हैं और एक्सपर्ट सलाह दिलवाते हैं।
वित्तीय (Financial)
बैंक का काम हो या फिर बिजली-पानी, गैस का बिल जमा करना हो ये अपने ग्राहक के हर जरुरत का ख्याल रखते हैं।
सुरक्षा (Security)
यह अपने ग्राहक(बुजुर्ग) के साथ उनके घर में समय बिताते हैं। साथ ही उन्हे अपने घर में चलने-बैठने या गिरने से बचने के लिए किस तरह के सुरक्षा उपकरण की जरुरत होगी इसकी व्यवस्था करते हैं। इतना ही नहीं बुजुर्गो के साथ आए दिन होने वाले हिंसा और उत्पीड़न के बारे में भी उन्हे आगाह करते हैं और इससे बचने के तरीके भी बताते हैं।
ऐसे मरीजों के लिए जरुरी है जेरीएट्रिक केयर प्रोफेशनल्स (For Such patients geriatric care is essential)
शारीरिक रुप से विकलांग
पर्किसंस
अल्जाइमर
डाउन सिंड्रोम
मानसिक अवसाद
ऑटिज्म
गंभीर और पुरानी बीमारी
मस्तिष्क में चोट लगने पर आपकाे यह जानकारी कैसी लगी जरूर बताएं पसंद आए ताे शेयर करें।