आपका साथ मिला है, आपका साथ मिलेगा


प्यारे मित्राें,  
आज आपसे कुछ अपनी बात कहनी है और बहुत सारी आपकी बात सुननी है।


ताे दाेस्ताें ,
कला के प्रति एक अलग तरह का सम्मोहन बचपन से ही था। कला की हर विधा मुझे आकर्षित करती। कविता, कहानी रंग और छाया से मेरी दोस्ती समय के साथ और गाढ़ी होती गई। पत्रकारिता के साथ साथ अलग अलग रास्तों और पगडंडियों पर चलते हुए मेरा बार बार सामना जीवनशैली से हुआ। लाइफस्टाइल से जुड़े हर विषय पर मैंने लिखा। काफी के कप लेकर फैशन की जिंदादिल और रंगीन दुनिया की कई शामें मैंने दिग्गज फैशन डिजाइनरों के साथ गुजारी। चमकती दुनिया में रहते हुए भी उनकी सादगी भरे जीवन की मैं कई बार कायल हुई। नामी डिजाइनर रोहित बल, जेजे वलाया, जितिन कोचर से लेकर कई नामी गिरामी डिजाइनरों के काम को बहुत बारीकी से देखा।
 इसी के साथ पाठकों के प्रति अपनी जवाबदेही काे मैंने समझा। पाठक की पसंद क्या है, वह क्या पढ़ना चाहते हैं उनकी रूचि किस तरह की चीजों पर है और बाजार में उसकी उपलब्धता की उम्मीद कितनी है। वह किस दाम पर और किस गुणवत्ता के साथ हैं। इनको जानना और बताना जरूरी था।
इधर पत्रकारिता का यह नया दौर बिलकुल अलग है। तुलना का यहां सवाल ही नहीं है। विचार बदल रहे हैं पसंद बदल रही है। हर तरह के समूह है। वाट्सएप ग्रुप में इसकी कई मिसालें मिल जाएंगे। पढ़ने वालॆ का ग्रुप, फूडी ग्रुप, फैशन ग्रुप, ब्यूटी  ग्रुप, अध्यात्म ग्रुप,  किटी ग्रुप, आदि आदि आदि...
फिर भी इस नए दौर में एक चीज है वह है जानकारी। जिसकी जिसमें रूचि है वह उसके बारे में जानना चाहता है और मजेदार बात यह है कि वह इसके लिए वाट्सएप यूनिवर्सिटी में दाखिले लेने को मजबूर है। मुझे लगता है ठीक इसी जगह पर सही दरवाजे पर दस्तक देनी चाहिए। मैंने होम डेकोर को चुना। और अब आपसे इससे जुड़े विषयाें पर चर्चा करूंगी। समय समय पर नामी डिजाइनर्स के साथ बातचीत करूंगी। जिसमें मैं आपकी ऱूचि उनसे साझा करूंगी और उस बारे में उनकी जानकारी आपसे साझा करूंगी। अपराजिता आर्गनाइजेशन के बैनर तले में मैं होम डेकोर पर आपका हर रोज इंतजार करूंगी। मेरा आनलाइन ठिकाना अब वही है। 
अगर आप वाट्सएप्प पर इस ठिकाने से जुड़ना ज्यादा सहज समझते हैं तो उसका लिंक भी साझा कर रही हूं। मेरे इस नए ठिकाने पर आप जरूर आएं आपका स्वागत है।
https://chat.whatsapp.com/CLQZgXRIcbi1j3Pt6T2QT3
#8826016792


कोई टिप्पणी नहीं:

Special Post

गजानन के मस्तक पर विराजमान है गजासुर- डा. अनुजा भट्ट

आपने पिता पुत्र के बहुत से संवाद सुने होंगे। पर आज मैं आपको शिव और गणेश की बातचीत बता रही हूं । पिता पुत्र संवाद भीतर कौन जा रहा है बाहर क...