The fashion of the whole world is contained within the folk art.
क्या आप धार्मिक फैशन के बारे में जानते हैं-डा. अनुजा भट्ट
मैं इन दिनाें महसूस कर रही हूं कि धर्म और धार्मिक आस्थाएं अब फैशन के जरिए एक नया तरह के ट्रेंड सेट कर रही हैं। खुद मेरे पास भी इस तरह के बहुत से प्रोडक्ट हैं जिसे लाेग खरीदते रहते हैं। यह ज्यादा कीमत से लेकर मामूली कीमत में भी मिल जाते हैं। गायत्री मंत्र ताे अब हर जगह मिल जाता है। सिक्के से लेकर साड़ी दुप्ट्टा, हाेम डेकाेर और आभूषण में भी। नामी गिरामी कंपनियां भी इसे बना और बेच रही हैं । सिलेब्रिटी पुलकित सम्राट से लेका नीता अंबान जैसी कई सिलेब्रिटी अपने पहनावे में धार्मिक मंत्र दर्शन काे महत्व दे रही हैं। यह कितना बाैद्धिक है कितना आध्यात्मिक और कितना व्यवसायिक यह कहना जल्दबाजी हाेगी। पर जिस तरह से पुलकित ने शादी में मिंट ग्रीन कलर की शेरवानी पहनी थी और जिस पर गायत्री मंत्र लिखा था उसी के साथ उन्हाेंने शेरवानी के साथ मैचिंग कलर की धोती, स्टोल और पगड़ी भी पहनी थी । शेरवानी को कॉम्प्लीमेंट करने के लिए उन्होंने मोतियों की माला नहीं, बल्कि ग्रीन स्टोन का हार चुना। हाथों में रिंग और कानों में डायमंड स्टड के साथ पहना। आने वाली इस तरह उन्होंने दूल्हों को एक्सपेरिमेंट करने के काफी सारे ऑप्शन्स दिए। वहीं नीता अंबानी ने अपने बेटे अनंत अंबानी की शादी में एक शानदार लाल रेशमी बनारसी साड़ी पहनी थी, जिस पर बारीक सोने की ज़री का काम और पक्षियों की आकृतियाँ बनी हुई थीं। हालाँकि यह पहनावा पहले से ही आकर्षक था, लेकिन असली आकर्षण तब सामने आया जब उन्होंने पल्लू दिखाया जिसपर सोने में कढ़ाई करके पवित्र गायत्री मंत्र लिखा हुआ था। मुझे लगता है अब इस धार्मिक आस्थाएं भी बाजार में अपनी जगह बना रही हैं। जिसे हम खरीद रहे हैं। कुछ मंत्र बहुत पापुलर हाे गए हैं। रचनात्मकता का यह प्रयाेग बहुत संजीदा भी है। लेकिन यहां संजीदगी गायब है। मेरा नजरिया है सृजन का विस्तार हाेना चाहिए। पर इस विस्तार के साथ कुछ गाइडलाइंस भी हाेनी चाहिए। यह सब बहुत पवित्र मंत्र हैं। हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र को महामंत्र भी कहा जाता है। मान्यता है कि दुनिया की पहली पुस्तक ऋग्वेद की शुरुआत इसी मंत्र से होती है। ब्रह्मा जी ने चार वेदों की रचना से पहले इस मंत्र की रचना की थी। ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। इसका पहला अर्थ है: हम पृथ्वीलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक में व्याप्त उस सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के तेज का ध्यान करते हैं। हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की तरफ चलने के लिए परमात्मा अपने तेज से हमें प्रेरित करे। दूसरा अर्थ है: उस दुःखनाशक, तेजस्वी, पापनाशक, प्राणस्वरूप, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें। हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में परमात्मा प्रेरित करे। तीसरा अर्थ है: ॐ: सर्वरक्षक परमात्मा, भू: प्राणों से प्यारा, भुव: दुख विनाशक, स्व: सुखस्वरूप है, तत्: उस, सवितु: उत्पादक, प्रकाशक, प्रेरक, वरेण्य: वरने योग्य, भर्गो: शुद्ध विज्ञान स्वरूप का, देवस्य: देव के, धीमहि: हम ध्यान करें, धियो: बुद्धि को, यो: जो, न: हमारी, प्रचोदयात्: शुभ कार्यों में प्रेरित करें। एक पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि विश्वामित्र ने इस मंत्र के बल पर ही एक नई सृष्टि का निर्माण किया था। इसी से पता चलता है कि यह मंत्र कितना शक्तिशाली है। ऐसा कहा जाता है कि इसके हर अक्षर के उच्चारण से एक देवता का आह्वान होता है। जब भी इस तरह का पहनावा पहनें ताे याद रखें कि गायत्री मंत्र स्नान करके पहनें। वस्त्र गंदा न हाे। आप इस मंत्र काे धारण करते हैं ताे इसकी पवित्रता का भी ख्याल रखें। पहनने से पहले साेचे आपने क्या पहना है उसका महत्व क्या है। बिना विचारे कुछ भी न पहने। किसी भी चीज काे खरीदते समय भी अगर नहीं पता है तो दुकानदार से पूछिए यह क्या लिखा है इसका अर्थ क्या है। मेरा मानना है धार्मिक शिक्षा मंत्र वाले परिधान और आभूषण काे पहनने वाले की उस पर आस्था भी हाेनी चाहिए। आप क्या कहते हैं.
Location:
Noida, Uttar Pradesh, India
I am a journalist by profession and a poet by heart. I am influenced by the life around me. I love art and everything related to it. My mind becomes restless for expression.
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1 टिप्पणी:
ये सच है कि दिमाग़ हमेशा नए की खोज में रहता है और दिल हमेशा पुराने से लगाव रखता है । धार्मिक मन्त्रों को फैशन के साथ जोड़ कर नये प्रयोग भी हो गए और हमारी आस्थाएँ भी प्रेरक हो गईं । बढ़िया लिखा है ।
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