संजय दत्त की जीवनी ‘द क्रेजी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ बॉलीवुडस बैड बॉय संजय दत्त’ जब से बाजार में आई है तब से यह लगातार चर्चा और विवादों में बनी हुई है. इस किताब पर चर्चित लेखक प्रभात रंजन की टिप्पणी-
आजकल यासिर उस्मान की लिखी किताब की बड़ी चर्चा है. संजय दत्त की यह जीवनी एक साथ चर्चा और विवादों में है. पहले संजय दत्त ने कहा कि उन्होंने ‘द क्रेजी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ बॉलीवुडस बैड बॉय संजय दत्त’ लिखने के लिए न तो प्रकाशक न ही लेखक यासिर उस्मान को इसके अधिकार दिए थे. उन्होंने एक ट्वीट में यह भी लिखा कि उनकी आधिकारिक जीवनी जल्दी ही आएगी. उन्होंने प्रकाशक जगरनॉट से यह भी कहा कि वे इसके अंशों को प्रकाशित होने से रोकें जिसे प्रकाशक ने मान लिया. उन्होंने किताब रोकने के लिए नहीं कहा. बस इसके अंशों के प्रकाशन को रोकने के लिए कहा. सब जानते हैं कि उनकी बायोपिक भी बन रही है जिसमें रणवीर कपूर ने संजय दत्त की भूमिका निभाई है.
यासिर बहुत संजीदा पत्रकार-लेखक हैं. इससे पहले वे दो जीवनियाँ लिख चुके हैं- राजेश खन्ना और रेखा की. उनकी लिखी रेखा की जीवनी पिछले साल अंग्रेजी में बेस्टसेलर सूचियों में छाई रही और निस्संदेह एक दिलचस्प जीवनी थी. किसी भी जीवनी के आधिकारिक होने का दावा नहीं था लेकिन उनको लेकर किसी तरह का विवाद नहीं हुआ.
यासिर ने हाल में ही खलीज टाइम्स को दिए गए अपने इंटरव्यू में यह कहा है कि अनाधिकारिक जीवनी लिखना अधिक मुश्किल होता है. इसके लिए आपको काफी शोध करना होता है और लिखते हुए कानूनी पहलू का भी पूरी तरह ध्यान रखना होता है. खैर, आधिकारिक अनाधिकारिक की इस बहस के बीच इस जीवनी को पढ़ते हुए संजय दत्त एक ऐसे किरदार के रूप में उभर कर आते हैं जिनको कहा भले ही बैड बॉय गया हो लेकिन वे आपके दिल में बस जाते हैं, अपनी सच्चाई, अपनी भावुकता और जीवन में एक के बाद एक घटित त्रासदियों के कारण. उन त्रासदियों से निकलकर एक सफल स्टार बनने के कारण. संजय दत्त का किरदार परदे पर हो सकता है उतना करिश्माई न लगा हो लेकिन परदे के बाहर वह एक चमत्कारिक व्यक्तित्व की तरह लगते हैं. जीवनी में लेखक केवल तथ्यों का संकलन करके उसे गुडी गुडी नहीं बनाता है बल्कि वह एक किसी व्यक्ति के किरदार को हर कों से दिखाने का काम भी करता है. इस रूप में यासिर उस्मान की लिखी यह जीवनी बहुत सफल है और रोचक भी.
लेकिन मुझे संजय दत्त की जीवनी को पढ़ते हुए सबसे अधिक जिस किरदार ने प्रभावित किया वह सुनील दत्त हैं. एक पति, एक पिता के रूप में सुनील दत्त का व्यक्तित्व बहुत प्रभावित करता है. पहले पत्नी नर्गिस को कैंसर और उसके बाद पुत्र संजय दत्त की नशामुक्ति के लिए अमेरिका में उनके इलाज करवाने के बाद जब सब कुछ पटरी पर आ रहा था कि अचानक संजय दत्त के ऊपर टाडा लगा दिया गया. यासिर ने इस जीवनी में यह बताया है कि जिस समय संजय दत्त टाडा में फंसे उस समय सुनील दत्त की मुम्बई में लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार को खतरा महसूस होने लगा था. संजय के ऊपर अगर आर्म्स एक्ट लगाया गया होता तो शायद उनको इतना अधिक नहीं भुगतना पड़ा होता. लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने उनके ऊपर टाडा लगा दिया और उनके ऊपर आतंकवादी की तरह कार्रवाई हुई, ट्रायल हुआ. यह सब जिस समय शुरू हुआ उस समय संजय अपने कैरियर के शिखर पर थे.
यह जीवनी संजय दत्त के व्यक्तित्व को सहानुभूति से देखती है और हर पढने वाले को उस व्यक्तित्व को लेकर सहानुभूति होने लगती है जो जीवन भर प्यार के लिए तरसता रहा, भागता रहा. जिसके प्रति नफरत भड़काने की जितनी भी कोशिश हुई उसके लिए लोगों में उतना ही प्यार बढ़ा.
निस्संदेह ‘बैड बॉय’ यासिर उस्मान की सबसे सुगठित, सुसंयोजित और अच्छी तरह से शोध करके लिखी गई किताब है. एक ऐसी किताब जिसे पढ़कर आप निराश नहीं होंगे. और हिंदी सिनेमा के सबसे अभिशप्त नायक के जीवन को कुछ और करीब से देख-समझ पायेंगे.
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