शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

राेटी कपड़ा और मकान- डा. अनुजा भट्ट


राेटी, कपड़ा और मकान. मध्यमवर्ग के हसीन सपने में इससे ज्यादा और कुछ नहीं हाेता।  वह अपने जीवनभर की कमाई अपना घर बनाने में लगा देता है। कहते हैंअगर छत का जुगाड़ हाे जाए ताे बाकी और चीजाें का बंदाेबस्त करना आसान हाे जाता है इसलिए लाेग मकान बनाने या खरीदने काे प्राथमिकता देते हैं। किराए के घर में व्यक्ति खुद काे सुरक्षित महसूस महीं करता।  दूसरी महत्वपूर्ण बात यह भी है कि मकानाें का किराया भी लगातार बढ़ताजा रहा है। एेसे में बैंक लुभावने आफर के साथ ग्राहकाें  काे आकर्षित करते हैं। किराया देने से ज्यादा अच्छा ईएमआई देना लगता हैं। यहां कम से कम कल काे घर ताे अपना हो जाएगा। एेसे में लोग घड़ाघड़ मकान खरीदने में लग जाते हैं। हर शहर एक कंकरीटी शहर में तब्दील हाेता जा रहा है। हर जगह इमारतें खड़ी हैं। एक से एक बढ़कर आलीशान इमारतें। घर का रूपरंग भी बदल गया है। अपरार्टमेंट्स में हर तरह की सुविधा है। स्वीमिंग पूल से लेकर रेस्तरां,हाल जैसी सुविधाएं देकर माेटी रकम  वसूली जाती है।
 लेकिन पिछले 2 महीने ले लगातार मकान गिरने, छत गिरने, दीवार गिरने जैसी घटनाएं दहशत पैदा कर रही हैं। मकान कहीं से भी सुरक्षित नहीं हैं। भवन निर्माण में जाे सामग्री का  उपयाेग किया गया है वह बहुत खराब है। लाेगाें की मेहनत की जमापूंजी के साथ  खरीदे गए मकानमालिकाें के सात इस तरह का खिलवाड़ करने वालाें के लिए कठाेर सजा का प्रावधान जब तक नहीं हाेगा इस तरह की घटनाएं हाेती रहेंगी।
 भवन निर्माण  में उपयाेग में लाई जाने वाली  सामग्री की जांच जब तक बना हेराफेरी के  नहीं हाेगी जब तक कट कमीशन का खेल चलता रहेगी तब तक स्थितियां नहीं बदलेंगी।  रेड़ी में समान बेचने वाले से जब आप कहते हैं इतना मंहगा क्याें दे रहे हाे ताे वह तपाक से कहता है मुझे देना भी ताे पड़ता है। मैं अपने बच्चाें का पेट न पालूं।सब्जी बाजार  काे या हफ्ता बाजार हर  जगह पुलिस वाले सुरक्षा के लिए कम हफ्ता बाजारी के लिए ज्यादा घूमते हैं। यह ताे एक छाेटा सा उदाहरण है। बाकी तस्वीर ताे आप देक ही रहे हैं। मकान गिर रहे हैं सड़के टूट रही हैं जमीन धंस रही है....
राेटी कपड़ा और मकान की ख्वाइश भी दम ताेड़ रही है।

कोई टिप्पणी नहीं:

special post

कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...