शनिवार, 28 जुलाई 2018

मांइड बॉडी थेरेपी से दूर हाेगी बेचैनी- डा. अनुजा भट्ट

न्यूयार्क टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक, काेलंबिया यूनिवर्सिटी के शाेधकर्ताआें का कहना है कि मेडीटेशन करने, आत्मनिरीक्षण करने और प्राणायाम करने से व्यग्रता के शिकार किशाेर बच्चाें में सकारात्मक असर पड़ता है। उनकी स्मृतिदाेश जैसी समस्या का निदान हाेता है। 
अगर आपके बच्चाें में भी बेचैनी की यह समस्या है ताे यहां आपको कुछ उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप उनकी बेचैनी, व्यग्रता को तुरंत कम कर सकते हैं।

मेडिटेशन करें: मेडिटेशन तुरंत मानसिक शांति प्रदान करने के लिए आवश्यक होता है इसलिए अगर तनाव होता है तो उसे कम करने के लिए योग और मेडिटेशन कर सकते हैं। जब भी  चिंता या बेचैनी महसूस हो, उसे ध्यान केंद्रित करने के लिए कहें। उसे मेडीटेशन की सही तरीका बताएं। जैसे सबसे पहले आप गहरी साँस लेना शुरू करें। गहरी साँसों से दिमाग शांत होता है और हमारे शरीर को आराम मिलता है। एक से पाँच तक गिनते हुए साँस अंदर लें, थोड़ी देर रुकें और फिर धीरे धीरे साँस छोड़े। इसको कई बार करें, इससे आप बेहतर महसूस करेंगे।

अपनी भावनाओं को स्वीकारें: उसे अपनी भावनाओं और चिंता को समझने और स्वीकारने में मदद करें। जैसे  आप उसे समझाएँ की चिंतित होना भी एक मानव स्वभाव का हिस्सा है और यह जल्दी ही ठीक हो जाएगा। ऐसा करने से उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वह अपनी व्यग्रता से आसानी से निपट सकेंगा।

अपने विचारों को समझें:जब हमें चिंता होती है तब हमारे दिमाग में उल्टे-सीधे विचार आने लगते हैं। इन विचारों से हमारी चिंता और बेचैनी और अधिक बढ़ जाती है। उदाहरण के तौर पर: अगर आपको को कहीं सफर करना है तो आप सोचने लगते हैं की “कहीं मैं ट्रेन या बस मिस न कर दूँ” या “अगर मुझे टैक्सी नहीं मिली तो क्या होगा?” बच्चाें के साथ भी एेसा हाेता है। एेसे समय खुद से कुछ सवाल करने चाहिए जैसे:
क्या ये विचार सही हैं?
क्या ऐसा सच में हो सकता है?
क्या मैं ऐसी स्थिति का सामना कर पाऊँगा?
इन सवालों का जवाब देने से अपने विचारों पर काबू पाया जा सकता है और अत्यधिक चिंता से बचा जा सकता है।

सकारात्मक बातें सोचें:चिंताजनक स्थिति में मन में कई तरह के गलत विचार आते हैं। ऐसे में आशावादी और सकारात्मक बातें सोचने की कोशिश करनी चाहिए। जैसे आप कह सकते हैं“  चिंता के समय बुरे विचार आना स्वभाविक है लेकिन तुम पहले भी ताे एेसी परिस्थिति से बाहर निकल कर आए हाे। अपनी सफलता पर भराेसा रखाे।

वर्तमान पर ध्यान दें: चिंता होती है तो ज़्यादातर हम सब अपने भविष्य के बारे में सोचते हैं। ऐसे में  बच्चाें के लिए जरूरी है कि वह अपनी सोच को वर्तमान में लाएं।  वर्तमान पर ज़्यादा ध्यान देंगे तो स्थिति को अच्छे से संभाल पाएंगे। इन सब बाताें के अलावा यह भी शेयर करें-
किसी से बात करें: चिंताजनक स्थिति में किसी दोस्त,परिजन  से बात करने से मन हल्का होता है और आप बेहतर महसूस करते हैं। अपनी भावनाओं को अपने परिवार और मित्रों से अवश्य बाटें। जब आप चिंतित या बेचैन होते हैं तो आपकी सोचने और समझने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में कोई दूसरा व्यक्ति आपकी परेशानी को आपसे बेहतर समझ सकता है। कई बार साधारण सी सलाह भी आपकी समस्या का समाधान कर सकती है।

मन को खुश करने वाला कोई काम करें: जब भी आपको बेचैनी या चिंता हो तो उसे कम करने के लिए आपको अपना ध्यान भटकाना चाहिए। ऐसे में आप गाना सुन सकते हैं या फिर ब्रीदिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं जिससे आपका ध्यान भटके और आप उन चीजों के बारे में सोचना छोड़ दें जिनसे आपको चिंता होती है।

मीठा ना खाएं: जब लोगों को तनाव होता है तो वे अक्सर अच्छा महसूस करने के लिए मीठा खा लेते हैं। लेकिन मीठा खाने से एंग्जायटी और बढ़ जाती है क्योंकि इससे स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है इसलिए मीठा खाने की बजाय पानी पिएं।

खाली ना बैठें: जब आप किसी चीज को लेकर चिंतित होते हैं तो ऐसे में खाली ना बैठें। खाली बैठने पर आपका ध्यान बार-बार उन्हीं बातों पर जाता है जिससे आपको चिंता हो रही होती है इसलिए खाली बैठने की बजाय परिस्थितियों को सुधारने पर ध्यान दें।

कोई टिप्पणी नहीं:

special post

कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...