गुरुवार, 26 जुलाई 2018

भूखे रहकर भी मुस्कुराती थी लड़कियां- डा.अनुजा भट्ट

गरीब के रुदन के आंसुओ की आग हूँ, भूख के मजार पर जला हुआ चिराग हूँ|
मेरा गीत आरती नही है राज पट की, जगमगाती आत्मा है सोये राज घट की|
मेरा गीत झोपडी के दर्दो की जुबान है, भुखमरी का आइना है, आंसू का बयान है|
भावना का ज्वार भाटा जिये जा रहा हू मै, क्रोध वाले आंसुओ को पिए जा रहा हू मै|
मै स्वयं को आज गुनेहगार पाने लगा हू, इसलिए मै भुखमरी के गीत गाने लगा हू|
मुझे मेरा पूरा देश आज क्रुद्ध चाहिए, झोपडी की भूख के विरुद्ध युद्ध चाहिए|
कवि : हरी ओम पवार की यह कविता आज की घटना पर सीधा हस्तक्षेप करती है। एक तरफ बलात्कार की खबरें, मासूम बच्चियाें की जिंदगी के साथ खिलवाड़ ताे दूसरी तरफ भुखमरी से हुई तीन बच्चियाें की माैत की खबरें।हर खबर के केंद्र में हैं बच्चियां। याैन उत्पीड़न से लेकर खाने न मिलने तक। कैसा समाज है यह जहां लड़कियाें के प्रति इतना निर्मम रवैया है। खाने न मिलने से तड़प तड़प कर हुई इस माैत ने देश की तस्वीर समाने रख दी है। खाने के लिए पैसा नहीं है पर पिता अपन लिए शराब का जुगाड़ कर लेता है। क्या शराब मुफ्त में मिलती है। और अगर एेसा व्यक्ति जाे मुफ्त में शराब पिला सकता है। मुफ्त में खाना नहीं खिला सकता। हताशा के भंवर में शराब का तिलस्म कारगर हाे जाता है ताे हताशा के भंवर में फंसे व्यक्ति की एनजीआे मदद क्याें नहीं करते। उनके लिए उनके हिसाब से राेजगार के अवसर क्याें नहीं मुहैया करवाते।
रिक्शा चलाकर भी घर चलाया जा सकता है। बशर्ते आप खुद काे हताश के भंवर में न जाने दें और एेसे लाेगाें से सावधान रहे जाे आपकाे नशे का आदी बना रहे हैं। नशा आपके पूरे परिवार काे सड़क पर ला देता है और आप कुछ नहीं कर पाते। मैं एेसे बहुत से लाेगों काे जानती हूं जाे किसी फैक्ट्री में मजदूर है और नाैकरी के बाद सुबह शाम 2 घंटा रिक्शा चलाते हैं। बच्चाें काे पब्लिक स्कूल में पढ़ाते हैं और उनकी बीवी भी कामकाज करती हैं।

बहुत बार हम खबराें में देखते हैं कि रिक्शा वाले के बच्चे ने मेडिकल इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की।
लेकिन जब हाैंसले ही पस्त हाे जाएं ताे फिर क्या हाे सकता है। इन सारी घटनाआें में शराब का रिश्ता सबसे अहं है। कभी अवसाद में शराब पी जाती है ताे कभी उत्तेजना के लिए। और दाेनाें में ही अपराधी यह कहकर छूटने का प्रयास करता है कि वह हाेश में नहीं था। लेकिन जनाब एेसा कहने से काम नहीं चलेगा। बच्चियां आपकाे कभी माफ नहीं करेंगी। न सरकार काे और न आपकाे। जिम्मेदारी ताे बनती है ना....

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