बुधवार, 25 जुलाई 2018

दर्द भरी कहानी का चित्रांकन- डा. अनुजा भट्ट

औरताें के दर्द की काेई सीमा नहीं हैं। हम राेज देख रहे हैं कि  कैसे छाेटी बच्चियाें से लेकर हर उम्र की महिला के साथ खाैंफनाक काम किए जा रहे हैं। हत्या से लेकर बलात्कार तक की घटनाएं हमें हम हर सुबह उदास कर जाती हैं और भीतर तक भर देती हैं दहशत. अपराधी बेकाबू है और हम उनकाे  कठाेर सजा दिलवा पाने में बेबस..
 एेसी स्थितियां  कलाकार के मन काे और अधिक दुःखी कर देती हैं। उसके पास रंगाें की  भाषा हाेती है। चित्रकार शशि कृष्णन नेअभी हाल ही में नाैएडा में अपनी एक प्रदर्शनी लगाई थी। जिसमें उन्हाेंने दर्द के एेसे ही दृश्याें काे साकार किया था जिसमें  हमें निर्भया के कई रूप देखने काे मिले।
 शशि का कहना था कि इस तरह की घटना ने उनकाे बहुत तकलीफ दी है। औरताें काे कई तरह के दर्द हैं जिनकी हम उपेक्षा कर देते हैं उनकी तकलीफें सुनने का वक्त नहीं है हमारे पास। पेंटिंग में कई जगह मुखाैटाें का प्रयाेग इसलिए किया गया है ताकि हम जान सकें उसका जीवन कितने किरदाराें में बंटा है और वह किस तरह दर्द और तकलीफ में भी सिर्फ मुस्कुराती है।
 पेंटिंग के लिए वह एक खास कैनवास का प्रयाेग करते हैं। जिसे पालीमर कहा जाता है। यह रंगाें काे करीब 5 मिनट में साेख लेता है। एेसे में चित्रकार काे बहुत कम समय में अपनी कल्पना काे रंग देने हाेते हैं। शशि अपनी सृजनात्मकता काे व्यक्त करने के लिए कई अलग तरह के रंग का प्रयाेग करते हैं  जाे सामान्यतः हमें दिखाई नहीं देते। पेंटिंग में एक अलग ही तरह के भूरे रंग का प्रयाेग किया गया है। वह रचना के साथ साथ रंगाें की भी खाेज करते हैं। रचना के साथ साथ रंगाें के प्रयाेग की दृष्टि से भी  उनकी कला एक नई छाप छाेड़ती है।

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