बुधवार, 2 मई 2018

WEDNESDAY RELATIONSHIP-रिश्ता मां बेटी का पार्ट 1 अनुजा भट्ट


मां और बेटी की भूमिका अब बदल गई है। फिर चाहे वह समाज हो, टीवी में दिखलाए जा रहे सीरियल हों या फिर विज्ञापन। सभी जगह बेटियां अपनी मां के साथ दिखाई दे रही हैं। इस बदलाव की वजह जहां आज का परिवेश है वहीं पूरी दुनिया का तकनीकी के जरिए एक मंच पर आ जाना भी है। एक दौर में मां अपनी बेटी को शिक्षा दीक्षा के  अलावा पाककला, सिलाई-कढ़ाई, संगीत, आचार-व्यवहार और सुरक्षा के बारे में सीख देती थी और यह सीख पीढ़ी दर पीढ़ी चलती जाती थी। आज भी कई पत्रिकाओं में दादी मां की रसोई जैसे कालम छपते हैं जो बहुत लोकप्रिय है। पर आज की ग्लोबल दुनिया में बेटी मां को दुनिया दिखा रही है और उसे पहले से ज्यादा दुनियादार बना रही है। टीवी, इंटरनेट और मोबाइल के जरिए जहां मां बेटी लगातार संपर्क में हैं वहीं मां अपनी बेटी से टेक्नोलाजी के गुर सीख रही है। प्रेशरकुकर ने दी थी उम्मीद
 कभी एक छोटे से प्रेशरकुकर ने  कई उम्मीदों से भर दिया था और आज रसोई में कई ऐसी चीजें आ गई है जिससे उसकी गृहस्थी की गाड़ी सरपट दौड़ रही है और वह अपने लिए समय निकाल रही है। बेटी उसे हर नए गेजेट्स के बारे में बताती है और उसका उपयोग करना भी सिखा रही है। मिक्सी, जूसर, गैसस्टोव, रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव, ओवन, गीजर, वाशिंग मशीन, बर्तन धोने की मशीन, कपड़े सिलने की मशीन, मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटाप, इनवर्टर यह सब ऐसी चीजें हैं जिसने मां की दुनिया को बदला है।
मां के और करीब हैं बेटियां
 गांव औरकस्बों में भी माएं अब स्कूटी से लेकर टैक्टर तक चला रही हैं। आज की बेटियों अपनी मां को नई से नई तकनीक से परिचित करा रही है ताकि वह अपनी मां के हमेशा करीब रह सकें। मां के भीतर भी उक्सुकता कम नहीं हैं। कंप्यूटर अब उनके लिए हौवा नहीं है वह मजे में अपने बच्चों से चैट करती है, मेल करती है। मां और बेटी की गपशप में भी टैक्नो का असर है। मां कम शब्दों में अपनी बात कहना सीख गई है। अब उसकी बेटी देश में रहे या विदेश में, उसे कोई चिंता नहीं क्योंकि वह हर रोज इंटरनेट के जरिए उससे मिलती है, गपशप करती है। पहले वह कहा इतनी बात कर पाती थी।अब तो बेटी कहीं भी हो वह उससे बात कर लेती है।पहले तो उसे तो घर के काम से ही फुर्सत नहीं थी।
खेल रही है ब्लाग का खेल
बेटी ने मां को ब्लाग चलाना सिखा दिया है । मां ने भी बचपन में शरो शायरी खूब लिखीं, कहानी कविताएं लिखीं।शादी के बाद मौका नहीं मिला। अब मां अपना ब्लाग लिख रही है, कहानी-कविता लिख रही है अपने बारे में लिख रही है। जो मन में है कह रही है। लोग पढ़ भी रहे हैं और सराहना भी कर रहे हैं। इससे मां बेटी दोनो का उत्साह बढ़ा है।
हुनर बन रहा है रोजगार
इस तरह के ब्लाग में अ्चार बनाने से लेकर कई ऐसे टिप्स हैं जो बड़े काम आते हैं अब माओं की कई ऐसी सहेलियां बन गई है जिनसे कभी मिले तो नहीं पर फिर भी वह दिल के करीब हैं।वह आपस में रेसिपी से लेकर बुनाई औरकढ़ाई भी शेयर करती हैं। घर का बना अचार मुरब्बा अब वह खुद बेच रही है। स्वयं सहायता समूह से जुड़कर उनको आर्थिक मदद मिली है। और वह अपने पांव पर खड़ी हो रही है। महिला शशक्तिकरण में टेक्नोलाजी के विकास ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कोई टिप्पणी नहीं:

Special Post

विदा - कविता- डा. अनुजा भट्ट

विदा मैं , मैं नहीं एक शब्द है हुंकार है प्रतिकार है मैं का मैं में विलय है इस समय खेल पर कोई बात नहीं फिर भी... सच में मुझे क्रि...