गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

बनाइए बिजनेस चेन



समय और सुविधा के मुताबिक ट्रेंड्स में हमेशा बदलाव आता है। आज खरीदारी करने का अंदाज बदला है। ई-शापिंग की सफलता के साथ ही साथ घर से कारोबार करने का चलन भी बढ़ रहा है। अपराजिता द्वारा कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि आजकल कमोबेश हर घर में कोई न कोई कारोबारी आइडिया हर दिन दिमाग की बत्ती जला रहा है।
इंटरनेट ने आसान की जिंदगी
इंटरनेट के जरिए आर्डर लेने अाैर देने का काम आसान हो गया है। कुरियर सर्विस, स्पीड पोस्ट, पार्सल के माध्यम से सही समय पर सामान भिजवाना  भी आसान है। आप अपनी सुविधा और फंड को ध्यान में रखकर कहीं से भी कुछ भी मंगा सकते हैं। जो काम पहले बड़ी-बड़ी कंपनी करती थी, वह अब स्टार्टअप कंपनी भी करने लगी हैं। सोसायटी में या मोहल्ले में रहने वाले लोग आसपास से ही सामान खरीदना पसंद करते हैं क्योंकि यहां पर अगर सामान में कोई कमी है तो उसे वापस करना आसान है। जूलरी का बिजनेस करने वाली श्रीमती तरविंदर कौर कहती हैं कि मुझे इस व्यवसाय को करने के लिए फेस बुक, वाट्सएप ग्रुप, इंस्टाग्राम, आॅनलाइन शापिंग ग्रुप से बहुत फायदा हुआ। मेलेे में कभी उम्मीद से कई गुना फायदा हुआ तो कई बार हमारी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
बड़ी कंपनियां भी दे रही है घर घर में दस्तक
ओरीफ्लेम, एमवे, मोदीकेयर, टपरवेयर कई अनगिनत कंपनियंा महिलाओं को केंद्र में रखकर अपना बिजनेस स्टाइल बना रही है। उनकी नजर ऐसी पढ़ी लिखी स्मार्ट वुमेन पर हैं जो महत्वाकांक्षी हैं और घर के साथ अपना कारोबार करना चाहती हैं। यह कारोबार चेन सिस्टम की तरह काम करता है। दवा, ब्यूटी प्रोडक्ट, डिटरजेंट, किचनवेयर सब घर घर में पहुंचाए जा रहे हैं। इसके लिए कंपनियाँ, वर्कशाॅप, सेमिनार, मीटिंग करती हैं। ओरी फ्लेम से जु़ड़ी रुचि कहती हैं हम लोग नेटवर्किंग पर काम करते हैं। जैसे जैसे काम बढ़ते जाता है आपकी कमीशन भी बढ़ते जाता है। शुरूआत में 3 पर्सेंट से लेकर यह 21 पर्सेंट तक जाता है। मात्र 4000 से आप इस काम को शुरू कर सकते हैं।
कौन महिलाएं हैं आगे
ऐसी पढ़ी लिखी महिलाएं जो घर परिवार की जिम्मेदारी के चलते नौकरी नहीं कर पा रही हैं लेकिन जिनके अंदर कुछ करने की तमन्ना है वह ऐसी कंपनियों से जुड़ रही है और अपनी प्रोफाइल से हटकर काम कर रही है।  प्रोफाइल से अलग हटकर काम करना जहां चुनौतीपूर्ण होता है वहीं यह आपक¢ आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। डाक्टर इंजीनियर या  सिविल सर्वेंट बनने की चाह रखने वाली महिलाएं ट्यूशन पढ़ाकर कई इंजीनियर, डाक्टर अ©र सिविल सर्वेंट समाज को दे चुकी है। आर्ट और म्यूजिक की दुनिया की तरफ भी जनता जागरूक हुई है अ©र पेरेंट्स बच्चों को प्रोत्साहित भी कर रहे हैं। छोटी छोटी चीजों की भी वैल्यू बढ़ी है। मसलन हैंडराइटिंग क¢ लिए भी पेरेंट्स ट्यूशन भेज रहे हैं ताकि वह कैलीग्राफी सीख सकें। खुशी है कि महिलाओं ने अपना कद बड़ा किया है वह उदासीन अ©र अवसाद की शिकार नहीं हुईं। किसी एक करियर क¢ भरोसे भी वह नहीं रही। उन्होंने सही मायने में चुनौतियों को स्वीकार किया।
खुद का बिजनेस भी खड़ा कर रही हैं
महिलाएं कारीगरों के साथ मिलकर अपना फैशन हाउस बना रही हैं जहां वह ग्राहक की रूचि और बजट के आधार पर चीजें तैयार करती हैं। इन चीजों में आपकी ड्रेस, ज्वेलरी, फुटवियर के अलावा आपके घर का इंटीरियर भी शामिल है।
इसके अलावा उनकी नजर स्वाद पर भी है क्योंकि हम सभी जानते हैं कि सबका स्वाद अलग-अलग होता है। कुछ स्वाद में एक्सपेरिमेंट करना पसंद करते हैं कुछ ट्रेडीशनल खाना पसंद करते हैं। फूड एक्सपर्ट के तौर पर महिलाएं खुद की नई जमीन तलाश रही हैं। आज फूड बिजनेस जोरों पर है।
फंड का प्रबंध भी खुद करती है महिलाएं
अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए अपने लिए फंड का प्रबंध भी वह खुद करती हैं इसके लिए स्वयं सहायता समूह भी उनकी मदद करते हैं। वह किटी पार्टी और कमेटी के जरिए भी फंड इक्ट्ठा करती हैं। स्टार्ट ग्रुप का प्रपोजल पसंद आने पर सरकार भी उनकी मदद करती है। स्टार्टअप कंपनी को सरकार कर्ज प्रदान करती है।
मुनाफे का सौदा
महिलाएं अपने सामान को बेचने के लिए मेले में भी हिस्सा लेती हैं। मेले आयोजित करने का काम भी अधिकांश महिलाएं ही करती हैं।  जहां सभी लोग एक साथ एक़ित्रत होते हैं। यह मेले समय-समय पर लगाए जाते हैं। मेले का उद्देश्य सामाजिक जागरूकता के साथ एकजुटता का संदेश देना भी है।
इंवेट मैनेजमेंट में भी महिलाएं
घर पर ही रहकर इवेंट मैनेजमेंट जैसे काम महिलाएं आसानी से कर रही हैं। इसमें बर्थडे, शादी, वर्कशाॅप/सेमिनार, उत्सव मेले, कार्निवाल शामिल है।
निष्कर्ष- कुल मिलाकर कहें तो महिलाओं ने अपने आप को हर सांचे में ढालने की कोशिश की है। यह संस्कार देकर ही बच्चियों को बड़ा किया जाता है। महिलाएं अगर चाहें तो खुद को मोटीवेट कर सकती हैं। जैसे इंजीनियर नहीं बन पाए तो क्या हुआ इंजानियर बनाए तो सही। जिसकी कोई ट्रेनिंग नहीं ली। उसे खुुद से सीखने का साहस तो जुटाया अ©र फिर तेजी से काम किया।  यही है महिलाओं की सफल जिंदगी का राज जिसे उन्होेंने बांटा अपराजिता क¢ साथ। कड़ी दर कड़ी चलते रहो, गले मिलते रहो। आपक¢ कदम खुद बना देंगे रास्ता।

special post

कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...