रविवार, 16 अप्रैल 2017

बुर्जुगों के हाथों में नन्हे मुन्हों की डोर- डा. अनुजा भट्ट



बच्चाें के पेरेंट्स काम पर जाते हैं तो बच्चों की देखभाल का जिम्मा ग्रैंड पेरेंट्स पर आ जाता है।  ग्रैंड पेरेंट बच्चों के दोस्त होते हैे, राजदार होते हैं और साथ ही उन्हें इमोषनल सपोर्ट भी देते हैं।  ग्रैंड पेरेंट्स को  घर-परिवार के इतिहास के बारे में, परंपराओं और संस्कारों के बारे में जानकारी होती है जोकि वह अपने ग्रैंड किड्स को विरासत में दे सकते हैं।  सही गाइडलाइन्स और सपोर्ट से वह बच्चों की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण छाप छोड़ सकते हैं।
आज के दौर में जब हसबैंड-वाईफ दोनो वर्किंग है तब नन्हे-मुन्नों से लेकर किशोर बच्चों की जिम्मेदारी ग्रैंड पेरेंट्स पर आ जाती है इस जिम्मेदारी के तहत बच्चों के लिए खाना बनाना, उनको खिलाना, उनके कपड़े धोना से लेकर उनकी सेहत का भी ख्याल रखना होता है जबकि यही वह समय होता है जब उनको आराम की जरूरत होती है मिले। उनको अपनी दिनचर्या में, घर में बहुत से एडजेस्टमेंट करने पड़ते हैं।  ग्रैंड पेरेंट्स के अंदर एनर्जी भी नहीं रहती जो कि यंग ऐज में थी लेकिन उनको यह करना ही होता है। जो ग्रैंड पेरेंट्स यह जिम्मेदारी निभाने से मना कर देते हैं या रूचि नहीं दिखाते, सच तो यह है कि वह अपने भीतर इतनी शक्ति, सहनशक्ति और सांमजस्य बिठा पाने के लिए खुद को तैयार नहीं कर पाते और अन्य अपने हमउम्र के साथियों से आजकल के बच्चों के बारे में पता चलता है कि यह इतना भी आसान नहीं है।  इन सब विचारों का मतलब यह कतई नहीं है कि वह अपने ग्रैंड किड्स से प्यार नहीं करते।
उम्र के इस पड़ाव पर ग्रैंड पेरेंट्स होने के नाते आपके पास बच्चों को पालने की जिम्मेदारी है तो यह बहुत जरूरी है कि आप पहले अपनी सेहत का ख्याल रखें और अपने बच्चों से यह कहने में हिचक महसूस न करें कि कि वह सपोर्ट सिस्टम की व्यवस्था करें।  खुद का ख्याल रखना आपकी पहली जरूरत है।  यदि आप खुद ही ठीक नहीं तो बच्चे का ख्याल कैसे रख पाएंगें। अनुभवों से यह बात सामने आई है कि दूसरी जनेरेशन को पालने के बहुत से फायदे भी होते हैं और नुकसान भी।
  • बच्चों के ग्रैंड पेरेंट्स के पास रहने से बच्चों को एक सुरक्षित वातावरण मिलता है। वहीं ग्रैंड पेरेंट्स को बुढ़ापे में साथ और सुरक्षा मिलती है।
  • बच्चों के साथ उनका रिश्ता मजबूत बनता है।  
  • इससे बच्चों को परिवार के साथ मिलजुल के रहने का महत्व पता चलता है।  
  • अक्सर पेरेंट्स अपनेे बच्चों से छोटे-छोटे काम भी नहीं करवाते कि वह कर नहीं पाएंगें लेकिन अपने बुर्जुग माता-पिता से वह हर काम करवाते हैं। जबकि बच्चे बहुत स्मार्ट और एनर्जी से भरपूर होते हैं।  वह छोटे-छोटे काम दौड़दौड़ कर पूरा कर लेतेें हैं और उससे ग्रैंड पेरेंट्स की मदद भी हो जाएगी।
  • यदि आप अन्य छोटे बच्चों के पेरेंट्स से मिलेगें, बात करेंगें तो हो सकता है कुछ समय लगे लेकिन ऐसे पेरेंट्स से दोस्ती फायदेमंद ही रहेगी।  आप आज के बच्चों की समस्याओं के बारे में जान सकेंगें ।
  • ग्रैंड किड्स के साथ सांमजस्य बिठा पाने में जैसी दिक्कत आपको हो रही है वैसे ही ग्रैंड किड्स के लिए भी खुद को नए मौहाल में ढालना आसान नहीं है । जो बच्चे अपने ग्रैंड पेरेंट्स के साथ नहीं रहते हैं उनकी फीलिंग को समझ पाना आसान नहीं है।   बच्चे की फीलिंग बाहर आने के बहुत तरीके होते हैं। आक्रामक रवैया उनमें से एक हैै। आपके सपोर्ट की उनको जरूरत होती है।  आप भी उनके साथ यदि वैसा ही आक्रामक व्यवहार करने लगेंगें तो स्थिति बनने की बजाय बिगड़ने लगती है।
  • कई बार बच्चे जब ग्रैंड पेरेंट्स के घर में आते हैं और शुरू में बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं लेकिन कुछ समय के बाद उनका व्यवहार बुरा हो जाता है, वह तुनकमिजाज हो जाते हैं। इसका अर्थ यह है कि वह सुधरे नहीं हैं जैसे पहले थे वैसे ही हैं।  आपको ऐसा लगेगा कि बच्चे आपसे प्यार नहीं करते लेकिन उनका ऐसा बिहेवियर यह दर्शाता है कि वह आपके साथ इतना सुरक्षित महसूस करते हैं कि वह अपनी अंदर की फीलिंग, डर, इमोशन को आपके सामने प्रकट कर सकते हैं।  वह सहज महसूस कर रहे हैं।
  • बच्चों के लिए रूटीन और शेडयूल बनाएं जिसका कि उसे पालन करना हो।  कुछ ऐसे काम रखें जोकि आप और आपके ग्रैंड किड्स वीकएंड या बेडटाइम पर करें।
  • बच्चों के साथ बात करें और उनकी बातों को, उनके सवालों को सुनें।  इससे आप दोनों के बीच भावनात्मक रिश्ता और गहरा होगा।  बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वह अपने मन की बात आपसे करें।  उनको जज न करें और न ही उनकी बातों पर हंसें।
  • छोटे बच्चे खुद की भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते। कई बार आपको उनके बिहेवियर को देखकर भी अंदाजा लगाना पड़ता है।
  • आपके पास हर सवाल का जवाब नहीं हो सकता। यदि आपको नहीं पता तो आप सच बोलें न कि आप झूठ बोले या सवाल से बचने की कोशिश करें।  बच्चे इन छोटी छोटी बातों से ही रिश्तों में विश्वास और सच्चाई के महत्व को समझ पाएगंे।
  • बच्चे को किस सिचुऐशन के बारे में कितनी जानकारी दी जानी चाहिए यह उसकी उम्र और समझ को ध्यान मंे रखते हुए ही बताना चाहिए।
  • यदि आपकी अपने ग्रैंड किड्स के पेरेंट्स से नहीं बनती है तो भी कभी भी बच्चे के सामने उन बातों का जिक्र न करें।  
  • बच्चे के पेरेंट्स के साथ रिश्ता अच्छा बना कर रखें।  उन्हें बच्चे के स्कूल, हौबी और दोस्तों के बारे में जानकारी देते रहें।  पेरेंट्स के पास बच्चे का शेडयूल और कानटेक्ट की जानकारी होनी चाहिए।
  • ग्रैंड पेरेंट्स और पेरंेट्स के बीच का बांडिग स्ट्रांग होनी चाहिए। 

ग्रैंड किड्स और ग्रैंड पेरेंट्स की जोड़ी के बारे में पहले से ही कहा जाता है कि बच्चा बूढ़ा एक समान। बूढ़े होते माता-पिता के लिए सहारे की लाठी का काम भी ग्रैंड किड्स ही करते हैं। अगर दोनों के बीच की कैमेस्ट्री स्ट्रांग हो जाए तो घर में रौनक भी रहती है और हम आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत भी बनते हैं।

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कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...