बुधवार, 29 मार्च 2017

चिड़ियों के डिजाइनर घर

प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा यह है कि बहुत सारे पक्षी अब विलुप्त होते जा रहे हैं। सुबह उठते ही चिड़ियों की चहचहाहट हमें ऊर्जा से भर देती है। पर्यावरण संरक्षक चिड़ियों की वापसी के लिए नेस्ट बाॅक्स लेकर स्वागत में खड़े हैं।

चिड़िया की चहचहाहट ने फिर से वापसी की है पर्यावरण संरक्षक नेस्ट बाॅक्स को नए-नए तरीके से डिजाईन कर रहे हैं। चिड़ियों का इनकी तरफ आकर्षित होना और इनको अपना घर स्वीकार करना पर्यावरण संरक्षकों को अधिक उत्साह के साथ और भी नए डिजाईन के नेस्ट बाॅक्स बनाने के लिए प्ररित कर रहा है।
चिड़िया ज्यादातर अपना घोंसला इंसानों द्वारा बनाए हुए घरों में, दीवारों, मीटरों के पीछे में ही बनाया करती हैं।  हम सभी इनकी चहचहाहट सुनकर ही बड़े हुए हैं।  लेकिन पिछले कुछ दशकों में मकान बनाने के लिए शीशे की दीवारें, स्टील का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके साथ ही कम होते पानी के óोत भी कम हुए हैं जिसकी वजह से कीड़े मकौड़े भी कम हो गए हैं और यही कीड़े मकौड़े चिड़ियों का आहार है। 
जवाहर नगर जयपुर के रहने वाले रविंद्र पाल सूद ने दो साल पहले नोटिस किया कि उनके आसपास चिड़ियों की चहचहाहट कम हो गई है।  उन्हें लगा चिडियांें की संख्या में कमी आई है और वह गायब होती जा रही हैं।  सूद भारतीय बर्ड फेयर में कुछ पर्यावरणविदों से मिले और उन्होंने उन्हें एक नेस्ट बाॅक्स और एक फीड बाॅक्स दिया जिसे कि उन्होंने दीवार पर टंगा दिया।  जब उन्होंने देखा कि चिड़िया बाॅक्स को बहुत अच्छे से ले रही है। तो वह और नेस्ट बाॅक्स खरीद लाए।  जिसमें बहुत सी चिडिया आकर रहने लगीं और उसे अपना घर बना लिया।  इसके बाद तो उनका बागीचा चिड़ियों की चहचहाहट से गूंज उठा।
इसी तरह आगरा के रहने वाले राकेश खत्री पहले सड़क पर बिखरे हरे नारियलों को इकट्ठा कर, उनके चारों ओर कूलर की घास लपेटकर घोंसला बनाते थे लेकिन इस तरह के घोंसलें ज्यादा दिन नहीं चलते थें फिर उन्होंने नारियल जटा, जूट की रस्सी और बांस के टुकड़ों से घोंसला बनाना शुरू कर दिया।  उन्होंने अपने इस अभियान में स्कूलों के बच्चों को भी जोड़ा।  वह उन्हें घोंसला बनाना सिखाते हैं साथ ही विभिन्न पक्षियों के बारे में जानकारी भी देते हैं।  राकेश जी ने गौरैया पर दो छोटी-छोटी किताबें भी लिखी हैं ताकि बच्चों को जानकारी दी जा सके और जल्द ही वह गौरया संरक्षण के बारे में वेबसाइट भी शुरू करने जा रहे हैं।
हमें भी नेस्ट बाॅक्स बनाने के आइडिया पर ध्यान देना चाहिए।  एक छोटा सा वुडन बाॅक्स और फीडर एक प्रजाति को फिर से बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।  बर्ड फेयर के कार्यकर्ताओं द्वारा अभी तक कुल 1200 बक्से जयपुर भेज दिए है और इस मुहिम के द्वारा तकरीबन 8000 चिड़िया हमारे पर्यावरण में नई आ गई हैं, जोकि वाकई खुशी और गर्व की बात भी है।  हमें इस मुहिम को पूरे देश में ले जाना है।
कहने का अभिप्राय यह है कि इस जीवन को सुंदर बनाने के लिए हमें प्रकृति के साथ चलना होगा और उसके खूबसूरत तोहफों चाहे वह नदी, पर्वत, पहाड़ हों या पशु-पक्षी, फूल और वृक्ष सबको  सहेजना होगा।

मंगलवार, 28 मार्च 2017

एथनिक स्टाइल में आपका घर-डा. अनुजा भट्ट

 
एथेनिक स्टाइलमें आपका घर विलक्षण और चमकदार आभा लिए दिखाई देगा। इस स्टाइल में घुमावदार फर्नीचर को शामिल करें। बाजार में इस तरह के फर्नीचर के कई डिजाइन मौजद हैं। एथेनिक स्टाइल में कई संस्कृतियों का समावेश है।

एथेनिक प्रिंट चूज करने के लिए आप ईस्ट से लेकर वेस्ट तक के पैटर्न्स ट्राय कर सकती हैं एथेनिक स्टाइलमें कमरे; एकांत का पर्याय लगते हैं। जहां अपने लिए दो पल गुजारे जा सकें। चमकीले रंगों का प्रयोग इसकी खासियत है। इस तरह के;स्टाइल में; रत्नों का भी प्रयोग किया जाता है। यहां पर कुछ ऐसीबातें बताई जा रही हैं जिनका; प्रयोग करके आप अपने घर को एथेनिकस्टाइल में बदल सकते हैं

एथेनिक स्टाइल फर्नीचर- 

कर्व स्टाइल इसकी विशेषता है। अपने ड्राइंगरूम के लिए जोसोफा लें वह बिना हत्थे वाला होना चाहिए।; रंगों में वाइन रेडकलर का प्रयोग करें  किचन में गहरे रंग की लकड़ी का प्रयोगकरे। खासकर केबिनेट बनवाने; के लिए।; गाढ़े रंगों को महत्वदें। फेब्रिक, वॉल हैंगिग, परदे सभी में यही पैटर्न चलेगा। कसीदाकारीइस थीम की विशेषचा होती है। कुशन कवर, बेड कवर और टेबल कवर के रुप मेंइसका प्रयोग करें। ये सभी चीजें कमरे को एथेनिक लुक देतीहैंबेड की ऊंचाई कम होनीचाहिए। मच्छरदानी लगाने वाले खूबसूरत; सेटेंड भी एथेनिक लुक देतेहैं। कमरे के दोनो तरफ टेबल लगी हो। बाथ रुम में रॉट आयरन या ब्रासवेयर का टॉवल रेल्स लगाएं। कपड़े टांगने के लिए जो हुक लगाएं वह हीएथेनिक स्टाइल के होने चाहिए।

एथेनिक स्टाइल का फर्श-

 टेरोकोटा स्टाइल और स्टोन का प्रयोग करें। यह आपके घर कोभव्यता प्रदान करेंगे और आपका घर एथेनिक लुक में नजर आने लगेगा।;हर कमरे में रग्स का प्रयोग करें। बेडरूम में मोसका फ्लोरिंग करें।फर्श पर बिछाने के लिए कारपेट की जगह ब्राइट कलर के रग्स का इस्तेमालकरें। यह आपके कमरे को एथेनिक लुक देगा।एथेनिक स्टाइल के ही फेब्रिक का प्रयोग करें। जो रंग सबसे ज्यादा चलते हैं वह हैं चमकदार गहरे और कसीदारी किए गए। यह अधिक्तर परदे, कुशन और बेडसीट में प्रयोग में लाए जाते हैं। मोरक्कन टच के लिए हैवी वैलवेट का प्रयोग करें। भारतीय शैली को दिखाने के लिए कसीदारी पर जोर दें। गोल्ड ,सिल्वर धागों से की गई कसीदाकारी भारतीय एथेनिक लुक को दर्शाती है।

कलर स्कीम- 

गोल्ड, टरमिनिक, रेड, ब्राउनकोबेल्ट; ब्लू, लाइम ग्रीन, हॉट पिंक, पिकॉक शेड्स। पिस्ता,वाइन, मरून, गोल्ड और आइवरी शेड्स।एक्सेसरीज में भी इन रंगों का प्रयोग करें।
 पर्दे- एथेनिक स्टाइल पर्दे में सीसे का प्रयोग अच्छालगता है। साडिय़ों का प्रयोग भी एथेनिक लुक. देता है। कुशन में बीड्सका प्रयोग करें। 

 वॉल पेंटिंग -

 एथेनिक स्टाइल की वाल पेटिंज का प्रयोग करें। यहां भी वहीं कलर का; प्रयोग करें इस तरह के कमरों में; रहने पर घनिष्ठता का अहसास होता है। नजदीकियां बढ़ती वॉल हैंगिग, कारपेट्स, लैंटर्स, वॉल स्कान्स का प्रयोग करें।

चमकदार रोशनी के प्रयोग से बचें।

शनिवार, 25 मार्च 2017

ममता की डोर थामें सजाएं बच्चों का कमरा

डा. अनुजा भट्ट
 हमेशा बदलावों और नए नए ट्रेंड पर जोर देता है। टेंड भी ऐसे होने चाहिए जिसेस्वीकार करने में ज्यादा दिक्कतों का सामना न करना पड़े । माता-पिताके अलावा डिजाइनरों ने भी यह मान लिया है कि बच्चों के कमरे का अर्थ कार्टून वाले पर्दे या बेबी पोस्टर से सजे कमरे से नहीं है। अब यहकमरा खास कमरा है। बाजार में किड्सफर्नीचर अलावा बैड, पर्दे,कुशन सभी कुछ बच्चों को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे है। कमरे को सजानेके लिए एक्सेसरीज हैं, जिसमें पपेट के अलावा छोटी छोटी घंटियों की  मांग ज्यादा है।;इंटीरियरडिजाइनर मेहर दिवानिया कहती हैं, कि बच्चों के लिए अब पिंक और ब्लूबोरिंग हो गए हैं बंक बेड्स और क्यूट एक्सेसरीज भी अब फैशन में नहींहैं। लेकिन 0 से 6 साल के बच्चों का कमरा सजाने के लिए आपके पास बहुतसारे विकल्प हैं इसीलिए बच्चों का कमरा सजना सबसे ज्यादा आसान है। इसउम्र में बच्चों की अभिरुचियां स्पष्ट नहीं होती। वाल माउंटेन गेम्स,सॉउ्ट बोड्र्स, स्लाइड्स के अलावा बंक बेड्स, ट्रंडल बेड्स भी कमरे कीजरूरत हो सकते हैं। लेकिन सबसे पहले यह गौर करना है कि उपयुक्तफर्नीचर और स्टोरेज कैसे हासिल किया जाए।इतनी कम उम्रके बच्चे ऐसी जगह तलाश करते हैं जो परीकथा जैसी हो। इसीलिए सुंदर औरव्यवहारिक फर्नीचर खरीदें। सपाइडरमैन, क्रिकेट बॉबी डॉल जैसी चीजेंवॉलपेपर के रूप में लगाएं।; वालपेपर का प्रयोग थीम के साथ कियाजा सकता है।मार्केट में बेबी बायकी अपेक्षाकृत बेबी गर्ल के लिए ज्यादा च्वाइस है। उनके कमरे ज्यादाइनोवेटिव है। थीम के तौर पर कभी उनका कमरा गुडिय़ों से सजा होता है तोकभी पूरा का पूरा कमरा किसी खास रंग से। वैसे बेबी गर्ल को पिंक कलरज्यादा पसंद है और इसके लिए बैड कवर से लेकर, तौलिया, लैंप शेड सभीपिंकी पिंकी नजर आते हैं यहां तक कि उनकी गुडिय़ा के कपड़े,जूते, हेयर बैंड, फ्लावर पोट भी गुलाबी।अगर आप किसी दुविधामें हैं कि कैसे मैं उसके कमरे को सजाऊं तो अपनी बच्ची के मन पसंद रंगऔर उनकी पसंद के कपड़ों पर गौर कीजिए। बाजार में उनके लिए जो परिधानबन रहे है उनकी डिजाइन पर गौर करे आपको वहीं से कोई आइडिया क्लिक करजाएगा, क्योंकि ट्रेंड यहीं से शुरू होता है। आपको जानकर आश्चर्य होगाजब प्यारी प्यारी बच्चियां खूब घेरदार फ्राक पहनकर नाचती है तो वहअपनी खुशी प्रकट करती है इसीलिए उनके कमरे में झालर का प्रयोग करनाचाहिए यह झालरचद्दरों से लेकर पर्दो और बैडकवर तक में दिखाई देसकती है। इसी तरह उनको चौखनी प्रिंट वाले या फिर सीधी धारियों वालेफेब्रिक पसंद आते हैं। इसकी वजह है स्कूल की ड्रेस।क्या आपने अपनीनन्हीं बिटिया की ड्राइंगबुक देखी है वह किसी एक रंग का प्रयोग नहींकरती बल्कि उसे गाढ़े रंग पसंद आते है एकदम चटक। सफेद को तो वह रंगमानती ही नहीं। वह तरह तरह के गोले बनाती है और उनमें रंग भरती है।इसीलिए अगर आप पोलका डाट प्रिंट वाले पिलो उसके लिए चुनेंगी तो उसेपसंद आएंगे। अपनी बेटी की जो तस्वीरे आपको पसंद हैं और जिन्हें देखकरउसका बचपन याद आता है तो उसे फोटो फ्रेम में बंद न करें अब यह फैशनपुराना पड़ गया है। आप चाहें तो उन फोटो को तौलिए, चादर, टी शर्ट याफिरकाकरी में संजो सकती हैं यह ट्रेंड एकदम नया है। अगर आप काबच्चा आड़ी तिरछी रेखाएं खींच रहा है तो खींचने दीजिए और उसे ्िकसीपेंटिंग थीम में बदल दीजिए। किड्स पेंटिंग इन दिनों एकदम नए टेंड केतौर परउभर रही है। गुडिय़ों की जगह कठपुतलियों ने ले ली है।आर्ट क्राफ्ट काप्रयोग इंटीरियर के साथ किया जा रहाहै।पर अगर बच्चोंकमरे को पेंट करने की बात करें तो बच्चों को काला, स्टील और ग्रे कलरपसंद है लेकिन इसके बाद वह लाल कलर पर ही फोकस करते हैं।उनकेऔर पसंदीदा कलर हैं- इंडिगो ब्लू, यलो, आरेंज, ब्राइट पिंक औररस्ट। आजकल कई तरह केप्रिंट वाले वालपेपर बाजार में मौजूद है। फ्लोरल प्रिंट के अलावाएनिमल प्रिंट पर ज्यादा जोर है। वाल पेपर के साथ साथ बार्डर भी मौजूदहै। पर्दे ,बार्डर और वाल पेपर के संयोजन से बहुत बदलाव लाया जा सकताहै।इसके अलावा वास्तुशास्त्र और फैंगशुई जैसी तमाम देशी विदेशी पद्धितियों पर भी लोगों की नजर है । माना जाता है कि ये पद्धतियां सकारात्मक ऊर्जा पैदा करती है।अपने बच्चों के कमरे में कभी भी झाडफ़ानूस न लगाएं। बड़े हो जाने के बाद
फैंसियर,इनडायरेक्ट लाइट लगा सकते हैं। अगर आप अपनी बच्ची का कमरासजाने जा रही है तो मल्टीपरपज फर्नीचर की तैयारी करें जो बाद में भी काम आ सके।

special post

कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...