हमेशा बदलावों और नए नए ट्रेंड पर जोर देता है।
टेंड भी ऐसे होने चाहिए जिसेस्वीकार करने में ज्यादा दिक्कतों का सामना न करना
पड़े । माता-पिताके अलावा डिजाइनरों ने भी यह मान लिया है कि बच्चों के कमरे का
अर्थ कार्टून वाले पर्दे या बेबी पोस्टर से सजे कमरे से नहीं है।
अब यहकमरा खास कमरा है। बाजार में किड्सफर्नीचर अलावा बैड, पर्दे,कुशन सभी कुछ बच्चों को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे है।
कमरे को सजानेके लिए एक्सेसरीज हैं, जिसमें पपेट के अलावा छोटी छोटी घंटियों की मांग ज्यादा है।;इंटीरियरडिजाइनर मेहर दिवानिया कहती हैं, कि बच्चों के लिए अब पिंक और ब्लूबोरिंग हो गए
हैं बंक बेड्स और क्यूट एक्सेसरीज भी अब फैशन में नहींहैं। लेकिन 0 से 6 साल के बच्चों का कमरा सजाने के लिए आपके पास बहुतसारे
विकल्प हैं इसीलिए बच्चों का कमरा सजना सबसे ज्यादा आसान है। इसउम्र में बच्चों की
अभिरुचियां स्पष्ट नहीं होती। वाल माउंटेन गेम्स,सॉउ्ट बोड्र्स, स्लाइड्स के अलावा बंक बेड्स, ट्रंडल बेड्स भी कमरे कीजरूरत हो सकते हैं। लेकिन सबसे पहले
यह गौर करना है कि उपयुक्तफर्नीचर और स्टोरेज कैसे हासिल किया जाए।इतनी कम उम्रके
बच्चे ऐसी जगह तलाश करते हैं जो परीकथा जैसी हो। इसीलिए सुंदर औरव्यवहारिक फर्नीचर
खरीदें। सपाइडरमैन, क्रिकेट बॉबी डॉल जैसी चीजेंवॉलपेपर के रूप में
लगाएं।; वालपेपर का प्रयोग थीम के साथ कियाजा सकता
है।मार्केट में बेबी बायकी अपेक्षाकृत बेबी गर्ल के लिए ज्यादा च्वाइस है। उनके
कमरे ज्यादाइनोवेटिव है। थीम के तौर पर कभी उनका कमरा गुडिय़ों से सजा होता है तोकभी
पूरा का पूरा कमरा किसी खास रंग से। वैसे बेबी गर्ल को पिंक कलरज्यादा पसंद है और
इसके लिए बैड कवर से लेकर, तौलिया, लैंप शेड सभीपिंकी पिंकी नजर आते हैं यहां तक कि उनकी
गुडिय़ा के कपड़े,जूते, हेयर बैंड, फ्लावर पोट भी गुलाबी।अगर आप किसी दुविधामें हैं कि कैसे
मैं उसके कमरे को सजाऊं तो अपनी बच्ची के मन पसंद रंगऔर उनकी पसंद के कपड़ों पर
गौर कीजिए। बाजार में उनके लिए जो परिधानबन रहे है उनकी डिजाइन पर गौर करे आपको
वहीं से कोई आइडिया क्लिक करजाएगा, क्योंकि ट्रेंड यहीं से शुरू होता है। आपको जानकर आश्चर्य
होगाजब प्यारी प्यारी बच्चियां खूब घेरदार फ्राक पहनकर नाचती है तो वहअपनी खुशी
प्रकट करती है इसीलिए उनके कमरे में झालर का प्रयोग करनाचाहिए यह झालरचद्दरों से
लेकर पर्दो और बैडकवर तक में दिखाई देसकती है। इसी तरह उनको चौखनी प्रिंट वाले या
फिर सीधी धारियों वालेफेब्रिक पसंद आते हैं। इसकी वजह है स्कूल की ड्रेस।क्या आपने
अपनीनन्हीं बिटिया की ड्राइंगबुक देखी है वह किसी एक रंग का प्रयोग नहींकरती बल्कि
उसे गाढ़े रंग पसंद आते है एकदम चटक। सफेद को तो वह रंगमानती ही नहीं। वह तरह तरह
के गोले बनाती है और उनमें रंग भरती है।इसीलिए अगर आप पोलका डाट प्रिंट वाले पिलो
उसके लिए चुनेंगी तो उसेपसंद आएंगे। अपनी बेटी की जो तस्वीरे आपको पसंद हैं और
जिन्हें देखकरउसका बचपन याद आता है तो उसे फोटो फ्रेम में बंद न करें अब यह फैशनपुराना
पड़ गया है। आप चाहें तो उन फोटो को तौलिए, चादर, टी शर्ट याफिरकाकरी में संजो सकती हैं यह ट्रेंड एकदम नया
है। अगर आप काबच्चा आड़ी तिरछी रेखाएं खींच रहा है तो खींचने दीजिए और उसे ्िकसीपेंटिंग
थीम में बदल दीजिए। किड्स पेंटिंग इन दिनों एकदम नए टेंड केतौर परउभर रही है।
गुडिय़ों की जगह कठपुतलियों ने ले ली है।आर्ट क्राफ्ट काप्रयोग इंटीरियर के साथ
किया जा रहाहै।पर अगर बच्चोंकमरे को पेंट करने की बात करें तो बच्चों को काला, स्टील और ग्रे कलरपसंद है लेकिन इसके बाद वह
लाल कलर पर ही फोकस करते हैं।उनकेऔर पसंदीदा कलर हैं- इंडिगो ब्लू, यलो, आरेंज, ब्राइट पिंक औररस्ट। आजकल कई तरह केप्रिंट वाले वालपेपर
बाजार में मौजूद है। फ्लोरल प्रिंट के अलावाएनिमल प्रिंट पर ज्यादा जोर है। वाल
पेपर के साथ साथ बार्डर भी मौजूदहै। पर्दे ,बार्डर और वाल पेपर के संयोजन से बहुत बदलाव लाया जा सकताहै।इसके
अलावा वास्तुशास्त्र और फैंगशुई जैसी तमाम देशी विदेशी पद्धितियों पर भी लोगों की
नजर है । माना जाता है कि ये पद्धतियां सकारात्मक ऊर्जा पैदा करती है।अपने बच्चों के कमरे में कभी भी झाडफ़ानूस न लगाएं। बड़े हो जाने के बाद
The fashion of the whole world is contained within the folk art.
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