बगरू बागोरा में है रंगाे की बहार आप पहनेंगे बारबार-डॉ. अनुजा भट्ट

राजस्थानी रंग और फैशन का संग

 राजस्थान का एक छोटा सा गाँव बगरू जयपुर से 32 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। यह ब्लाक प्रिंटिंग की अपनी पारंपरिक प्रक्रिया के लिए जाना जाता है। बगरू के 'छीपा' राजस्थान के सवाई माधोपुर, अलवर, झुंझुनू और सीकर जिलों से यहाँ आकर बसे और लगभग 300 साल पहले इसे अपना घर बना लिया। बगरू शब्द 'बागोरा' से लिया गया है, जो एक झील में एक द्वीप का नाम है । जहाँ मूल रूप से शहर बसाया गया था।

कम से कम 400 वर्षों से बगरू छीपा का घर रहा है - एक कबीला जिसका नाम या तो एक गुजराती शब्द से आया है जिसका अर्थ है "छपना" या नेपाली भाषा के दो शब्दों के संयोजन से आया है 'छी' यानी रंग चढ़ाना और 'पा' यानी थोड़ी देर धूप में रहना। जब आप यहां से गुजरते हैं तो आपको यह परिभाषा सही लगती है। जब आप छीपा मोहल्ला पहुंचते हैं ताे आप एक अलग तरह की भीनी भीनी खुशबू से राेमांचित हाेते हैं। यह खुशबू है कपड़ाें पर तारी हाे चुके रंगाें की। जी हां ,कपड़े की खुशबू से यहाँ की हवा सुर्ख होती है; जमीन और कंक्रीट की दीवारें अलग अलग रंगाें से सजी है जिसमें नारंगी, नीला और गुलाबी ज्यादा से है। यह दृश्य आपको बांध लेता है।

 आइए मिलते हैं विजेंद्र जी से। विजेंद्र, छीपा की इस सामुदायिक परंपरा को जारी रखे हुए है। पांचवीं पीढ़ी के डायर और मास्टर प्रिंटर, विजेंद्र जिनकाे सब प्यार से विजु बुलाते हैं बगरू टेक्सटाइल्स के संस्थापक हैं - एक कंपनी जो कपड़े रंगने और छपाई का व्यवसाय कई पीढ़ियाें से करती आई है। 2007 में अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्हाेंने अपने पिता के काम काे संभाला। संभालते समय जाे बात सबसे पहले उनके जेहन में आई वह थी स्थानीय लाेगाें काे पलायन से कैसे राेका जाए। विजू ने स्थानीय परिवारों को रोजगार देने और राजस्थानी ब्लॉक प्रिंटिंग के लिए नया बाजार विकसित करने के लिए एक प्लान तैयार किया। इस प्लान में कई चीजाें काे शामिल किया गया।

सबसे पहले आसापास सागवान (सागौन), शीशम (भारतीय रोज़वुड) के पेड़ लगाए गए। इन पेड़ाें के लगाने की एक खास वजह भी थी। जैसा कि मैंने बताया यहां प्रिटिंग का काम हाेता है और इसके लिए ब्लाक का प्रयाेग किया जाता है। ब्लाक बनाने के लिए खास तरह की लकड़ी के प्रयाेग हाेता है और यह लकड़ी इन पेड़ों से ही मिलती है। किसी भी एक उद्याेग को विकसित करने के लिए उसके साथ और भी बहुत सारी जरूरतें होती हैं। कम से कम सोलह परिवार नियमित रूप से मास्टर प्रिंटर, खरीदार, ब्लॉक कार्वर, धोबीवालों (कपड़े धोने वाले लोगों) के रूप में काम करते हैं। बगरू टेक्सटाइल्स के मुनाफे का एक हिस्सा पूरे छीपा समुदाय के लिए सामुदायिक पहल करता है। ब्लॉक शॉप ने गाँव में फिर से संगठित होने, स्वास्थ्य क्लीनिकों को प्रायोजित करने, परिवारों के लिए फिल्टर पानी प्रदान करने के लिए अपना कार्यक्रम विकसित किया है।

वुडब्लॉक नक्काशी

छीपा प्रिंटर प्रिंट डिजाइन में रंगों और आकृतियों की संख्या के आधार पर कितने ब्लॉक बनाने है यह तय करता है। आम तौर पर, एक प्रिंटर पहले बैकग्राउंड ब्लॉक को स्टैम्प करता है, उसके बाद एक आउटलाइन ब्लॉक (रेख) होता है। औसतन, एक प्रिंटर को हाथ से मुद्रित कपड़े बनाने के लिए कम से कम 4 या 5 ब्लॉक की आवश्यकता होती है। एक ही ब्लॉक को तराशने और तैयार करने में एक या दो दिन का समय लग सकता है क्योंकि स्थानीय लकड़ियों का चयन और मसाला बनाना भी इसी प्रक्रिया में शामिल है। प्रत्येक पैटर्न डिजाइन के लिए ब्लॉक की भूमिका विशिष्ट है।

बगरू में, ब्लॉक बनाते समय सागवान (सागौन), शीशम (भारतीय रोज़वुड), या रोहिड़ा टीक या मारवाड़ टीक जैसी लकड़ियों का उपयोग करते हैं। शीशम की सापेक्ष कठोरता जटिल या विस्तृत रूपांकनों के अनुकूल होती है।
एक बार ब्लॉक के डिज़ाइन को कागज पर स्केच किया जाता है और ब्लॉक को आकार में काट दिया गया है, पैटर्न सीधे लकड़ी पर खींचा जाता है। कार्वर ड्रिल, छेनी, हथौड़े, नाखून से ब्लॉक पर पैटर्न को बनाता है। बगरू में किसी भी छपाई वाले के क्वार्टर में चले जाइए, आप अक्सर एक ही उपकरण देखेंगे: एक लंबी टेबल, ब्लॉक (निश्चित रूप से), और एक रोलिंग ट्रॉली जिसमें एक डाई ट्रे और कुछ अन्य आइटम होते हैं।

पारंपरिक बगरू प्रिंट क्रीम पृष्ठभूमि पर गहरे (या रंगीन) पैटर्न का उपयोग करते हैं। पैटर्न बनाने में, पुष्प, पशु और पक्षी के रूपों के साथ ज्यामितीय रूपों को अपनाया गया  है। ब्लॉक प्रिंटिंग तकनीक  में पैटर्न में व्यवस्थित रूप से
दोहराया जाता है।  इसे पुष्प बूटी कहते हैं। बगरू प्रिंट में आमतौर पर देखे जाने वाले बूटों में गैंदा, गुलाब, बादाम, कमल और बेल शामिल हैं। ये रूपांकन पूरे कपड़े पर अलग-अलग आकार और संयोजन में दिखाई देते हैं जिस पर उन्हें मुद्रित किया जाता है। अन्य डिज़ाइनों में छोटे जाली पैटर्न होते हैं, जो पुष्प रूपांकनों से बने होते हैं।
  आपको बताते चलूं कि बगरू टेक्सटाइल्स के फैब्रिक का उपयोग ब्लॉक शॉप, बीस्टी थ्रेड्स, मौली माहोन, पेनी सेज, और रेख एंड दत्ता जैसे अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों द्वारा किया गया है । भारतीय ब्लॉक प्रिंटिंग एक वैश्विक डिजाइन प्रवृत्ति के रूप में उभर रही है। वोग और न्यूयॉर्क टाइम्स में भी इसकी चर्चा हुई है।

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