मथुरा के पेड़े से अच्छे और स्वादिष्ट पेड़े दुनियां भर में कहीं भी नहीं मिलते. आप यदि पारम्परिक मथुरा जी के पेड़े का एक टुकड़ा भी चखते हैं तो कम से कम चार पेड़े से कम खाकर तो रह ही नहीं पायेंगे. आईये आज मथुरा जी के पे़ड़े बनाते हैं.
इसे बनाने के लिये मावा और का उपयोग होता है, मावा और (दाने दार बूरा) आप बाजार से ला सकते हैं यदि बाजार में न मिले तो घर में भी मावा बना सकते हैं देखिये एवं यदि आप बाजार से मावा ला रहे हैं तो दानेदार मावा लेकर आयें.
मथुरा जी के पेड़े बनाते समय मावा को अधिक से अधिक भूना जाता है. मावा को जितना अधिक भूनेंगे बने हुये पेड़ों की शेल्फ लाइफ उतनी ही अधिक होगी. मावा भूनते समय बीच बीच में थोड़ा थोड़ा दूध या घी डालते रहते हैं जिससे इसे अधिक भूनना आसान हो जाता है. भूनते समय मावा जलता नहीं और मावा का कलर हल्का ब्राउन हो जाता है. तो आइये बनाना शुरू करते हैं मथुरा के पेड़े.
आवश्यक सामग्री
खोया या मावा - 250 ग्राम (1 कप से ज्यादा)
तगार बूरा - 200 ( 1 कप)
घी - 2-3 टेबल स्पून
छोटी इलायची - 4 - 5 (छील कर कूट लीजिये)
विधि -
मावा को क्रम्बल कर लीजिए.
पैन गरम करके उसमें क्रम्बल किया हुआ मावा डाल दीजिए. मावा को लगातार चलाते हुए मीडियम आंच पर डार्क ब्राउन होने तक भून लीजिए. मावा के हल्के ब्राउन होने पर इसमें 2 चम्मच घी डाल दीजिए और ऎसे ही बीच-बीच में मावा में घी डालते हुए मावा को डार्क ब्राउन होने तक भून लीजिए.
अगर मावा सूखा लगे तो इसमें 2 टेबल स्पून दूध डालकर मावा को लगातार चलाते हुए दूध के सूखने तक भून लीजिए. मावा के भुन जाने पर गैस बंद कर दीजिए लेकिन मावा को चलाते रहिए क्योंकि कढ़ाही गरम है.
माव के हल्के गरम रह जाने पर इसमें इलायची पाउडर और थोड़ा सा तगार पेड़ों पर लपेटने के लिए बचाकर बाकी तगार डाल दीजिए. मिश्रण को अच्छे से मिला दीजिए. पेड़े बनाने के लिये मिश्रण तैयार है.
मिश्रण से थोड़ा सा मिश्रण हाथ में लेकर गोल करके, हाथ से दबाकर पेड़े का आकार दीजिये, पेड़े को प्लेट में रखे हुये बूरे में लपेटकर प्लेट में रखते जाइए. एक एक करके सारे पेड़े इसी तरह तैयार करके प्लेट में लगाते जाइये.
स्वाद में लाज़वाब मथुरा के पेड़े (Mathura Peda) तैयार हैं. मावा को बहुत अच्छे से भूनने पर ये खुश्क हैं. इसलिए इन पेड़ों को फ्रिज में रखकर के एक महीने तक खाया जा सकता है.
सुझाव
बीच -बीच में मावा में थोड़ा-थोड़ा घी इसलिए डाला जाता है ताकि मावा जले ना.
मावा को बिल्कुल ठंडा ना होने दें, हल्के गरम रहते ही पेड़े बना लीजिए वरना मावा खिला खिला हो जाएगा और पेड़े नही बन पाएंगे.
मथुरा के पेड़े को गाय के दूध से बने मावा से बनाया जाए, तो वो नेचुरल रूप से ब्राउन बनता है. उसमें अलग से घी और दूध डालने की आवश्यकता नही होती.
मावा को कल्छी से लगातार चलाते हुए भूनिए, यह तले में लगना नही चाहिए.
इसे बनाने के लिये मावा और का उपयोग होता है, मावा और (दाने दार बूरा) आप बाजार से ला सकते हैं यदि बाजार में न मिले तो घर में भी मावा बना सकते हैं देखिये एवं यदि आप बाजार से मावा ला रहे हैं तो दानेदार मावा लेकर आयें.
मथुरा जी के पेड़े बनाते समय मावा को अधिक से अधिक भूना जाता है. मावा को जितना अधिक भूनेंगे बने हुये पेड़ों की शेल्फ लाइफ उतनी ही अधिक होगी. मावा भूनते समय बीच बीच में थोड़ा थोड़ा दूध या घी डालते रहते हैं जिससे इसे अधिक भूनना आसान हो जाता है. भूनते समय मावा जलता नहीं और मावा का कलर हल्का ब्राउन हो जाता है. तो आइये बनाना शुरू करते हैं मथुरा के पेड़े.
आवश्यक सामग्री
खोया या मावा - 250 ग्राम (1 कप से ज्यादा)
तगार बूरा - 200 ( 1 कप)
घी - 2-3 टेबल स्पून
छोटी इलायची - 4 - 5 (छील कर कूट लीजिये)
विधि -
मावा को क्रम्बल कर लीजिए.
पैन गरम करके उसमें क्रम्बल किया हुआ मावा डाल दीजिए. मावा को लगातार चलाते हुए मीडियम आंच पर डार्क ब्राउन होने तक भून लीजिए. मावा के हल्के ब्राउन होने पर इसमें 2 चम्मच घी डाल दीजिए और ऎसे ही बीच-बीच में मावा में घी डालते हुए मावा को डार्क ब्राउन होने तक भून लीजिए.
अगर मावा सूखा लगे तो इसमें 2 टेबल स्पून दूध डालकर मावा को लगातार चलाते हुए दूध के सूखने तक भून लीजिए. मावा के भुन जाने पर गैस बंद कर दीजिए लेकिन मावा को चलाते रहिए क्योंकि कढ़ाही गरम है.
माव के हल्के गरम रह जाने पर इसमें इलायची पाउडर और थोड़ा सा तगार पेड़ों पर लपेटने के लिए बचाकर बाकी तगार डाल दीजिए. मिश्रण को अच्छे से मिला दीजिए. पेड़े बनाने के लिये मिश्रण तैयार है.
मिश्रण से थोड़ा सा मिश्रण हाथ में लेकर गोल करके, हाथ से दबाकर पेड़े का आकार दीजिये, पेड़े को प्लेट में रखे हुये बूरे में लपेटकर प्लेट में रखते जाइए. एक एक करके सारे पेड़े इसी तरह तैयार करके प्लेट में लगाते जाइये.
स्वाद में लाज़वाब मथुरा के पेड़े (Mathura Peda) तैयार हैं. मावा को बहुत अच्छे से भूनने पर ये खुश्क हैं. इसलिए इन पेड़ों को फ्रिज में रखकर के एक महीने तक खाया जा सकता है.
सुझाव
बीच -बीच में मावा में थोड़ा-थोड़ा घी इसलिए डाला जाता है ताकि मावा जले ना.
मावा को बिल्कुल ठंडा ना होने दें, हल्के गरम रहते ही पेड़े बना लीजिए वरना मावा खिला खिला हो जाएगा और पेड़े नही बन पाएंगे.
मथुरा के पेड़े को गाय के दूध से बने मावा से बनाया जाए, तो वो नेचुरल रूप से ब्राउन बनता है. उसमें अलग से घी और दूध डालने की आवश्यकता नही होती.
मावा को कल्छी से लगातार चलाते हुए भूनिए, यह तले में लगना नही चाहिए.
साभार- निशा मधुलिका डॉट काम से
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें